hotaks444
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सरला की गांद अब सुलग रही थी. थूक से भरी गांद में से हल्की हल्की प्फिच फिछ की आवाज़ें आ रही थी. मम्मो की घुंडिया पकड़ के खुद ही खींच रही थी और सुजीत के दोनो हाथ उसकी चूत की फांके खोले हुए थे. सरला के मूह में सुजीत की जीभ घूम रही थी. सरला के होंठ और उनके आस पास का हिस्सा सुजीत के थूक से भरा हुआ था. फिर सुजीत ने गांद हिलते हुए हल्के हल्के झटके मारने शुरू किए. कुर्सी पे गांद की पोज़िशन इस प्रकार थी कि लंड सिर्फ़ 1 - 2 इंच ही अंदर बाहर हो पा रहा था. दर्द से अभी भी सरला कराह रही थी. इसलिए सुजीत उसका मूह भी नही छोड़ सकता था. पर इन सब में वो चूत में दोनो हाथों की फोर फिंगर्स डाल के घिसने लगा. चूत का रिस्ता हुआ रस निकाल के कभी खुद चाटने लगा तो कभी सरला की ज़ुबान पे लगाता. सरला भी अब पागल हो चुकी थी और उसकी गांद में लंड की चुभन हल्का मीठा एहसास देने लगी थी.
''सुजीत डारलिंग अब ज़ोर से धक्के लगाओ जान...अब सहेन नही हो रहा. चोद दे मुझे अब ...ऊओ माआ....अगर सखी अभी देख ले तो उसे तो यकीन ही नही होगा कि कितनी बड़ी छिनाल बन गई हूँ मैं..और सब उसके कमीने जेठ की वजह से...'' सरला अब हल्के हल्के कूदना शुरू कर रही थी.
''मैं तो चोद दूँगा जान पर तुम्हारे इस मूह का क्या करूँ जो इतनी आवाज़ें निकालता है...?? तुम अगर मूह बंद नही करोगी तो घर क्या पूरा मोहल्ला सुन्न लेगा. '' सुजीत ने निपल्स को खींचते हुए कहा.
''उफफफफ्फ़ जाअलीम कुत्ते...साले बाप का माल नही हूँ जो ऐसे खींच रहा है...तेरी बीवी के ऐसे खींच...उम्म्म्मम ऊओह हान्न ऐसे जब तू मसलता है तो चूत घनघना जाती है ...मसला कर मेरे मम्मे उन्हे खींचा ना कर....उउम्म्म्मम और मेरा मूह बंद करने के लए सिर्फ़ एक ही इलाज है तेरे पास...मूह में लंड घुस्वा दे...हाआअन्न्णणन् कितना मज़ा आ जाए अगर एक सुहाना सा मजबूत लोड्ा और मिल जाए....इश्स बुढ़ापे में भी जवान हो जाउन्गि...उम्म्म्म मसल ना हल्के हल्के ...उम्म'' सरला अब गांद को गोल गोल घुमा रही थी. सुजीत के मूह पे उसके होंठ लग गए और दोनो बंद आँखों से एक दूसरे को तृप्त करने की कोशिश में लगे रहे.
''तो लीजिए आपकी मनोकामना आज पूरी होती है ...ये मजबूत लोड्ा हाजिर है आपके होठों की शोभा बढ़ाने के लिए ....आपके इन लाल लाल होठों के चुंबन के लिए. .....''संजय की आवाज़ सुजीत और सरला के कानो के पास पड़ी और साथ सरला की चूत में उसकी लंबी लंबी 2 उंगलियाँ घुस गई और चूत का दाना अंगूठे के नीचे मसला गया.
सुजीत और सरला एक झटके से अलग हुए और भोचक्की आँखों से संजय के मुस्कुराते हुए चेहरे को देखने लगे. मदरजात नंगा संजय अपने 11 इंच के हथियार के साथ एक दम तैयार खड़ा उनके चेहरों केभाव देख के मुस्कुराने लगा. चूत ने एक साथ कई बार हल्के हल्के फेडक के कामुकता के सिग्नल दिए. पर चेहरा और आँखें डर के भाव दिखा रही थी.
अचानक से सरला के दोनो हाथ उसके चेहरे पे चले गए और उसके सूबकने की आवाज़ें आने लगी. सिर झुका हुआ था और खुले बाल लटके हुए थे. शरीर सूबकीओं के बीच हिलने लगा. सुजीत के दोनो हाथ उसकी कमर पे स्थिर हो गए. ठीक उसी समय संजय की उंगलियाँ और अंगूठा भी चूत से बाहर हो गए और वो सीधा खड़ा हो गया. दोनो भाई एक दूसरे को देखने लगे और सुजीत की आँखें में गुस्सा झलक रहा था. इतनी बढ़िया गांद का उद्घाटन तो हो गया था पर अब जब असली खेल शुरू होना था तो 12वे खिलाड़ी ने गूगली मार दी. इतनी तगड़ी केएलपीडी तो आज तक उसके साथ नही हुई थी. पर इससे पहले कि वो दोनो कुच्छ कहते रोती हुई सरला की आवाज़ उन्हे सुनाई दी.
''हेयेयी भगवान ये मैने क्या कर दिया...अपनी बेटी को क्या मूह दिखाउन्गि...सत्यानाश हो गया मेरा तो...इज़्ज़त ख़तम हो गई...मेरा सगा दामाद मुझे ऐसे देख रहा है ..और और..ऊओ नूओ....मर क्यों नही गई मैं ये सब करने से पहले...'' सरला ने रोते रोते अपने हाथ हटाए और झटके से सिर उठाया. उसके मूह से कुच्छ और नही निकला पर आँखें लाल थी और चेहरे पे अब गुस्से के भाव थे. आँसू पून्छ्ते हुए उसने सुजीत के लंड पर से उठने की कोशिश की. पर दर्द की एक ल़हेर उसकी गांद से उठी और उसके पूरे शरीर में दौड़ गई. ऐसा लगा जैसे उसके 2 टुकड़े हो जाएँगे. इसी दर्द ने एक जादू कर दिखाया. चीखते हुए वो फिर बैठ गई और दर्द से निढाल होके उसने अपना सिर सामने खड़े संजय की जाँघ पे टीका दिया. संजय का लंड उसके गाल से मात्र 1 इंच पे हिचकोले खा रहा था. अनायास ही उसके दोनो हाथ संजय की कमर के इर्द गिर्द हो गए और उसको निढाल होता देख सुजीत ने उसकी कमर फिर से जाकड़ ली.
संजय के हाथ में भरा विस्की का ग्लास हल्का सा छलक गया. पर संजय हिला नही और कुच्छ पल सरला को देखने के बाद हल्के हाथ से उसके बालों को सहलाने लगा. सुजीत की ओर देखते हुए उसने मूह बना के इशारा किया कि वो सरला के चुंबन ले. सुजीत ने आगे झुक के सरला की पीठ पे हल्के चुंबन लेने शुरू कर दिए और धीरे धीरे हाथों को सरकाते हुए सरला के मोटे सुडॉल्ल मम्मो को गिरफ्तार कर लिया. हल्के हाथों से बड़ी नर्माई से मम्मो को सहलाते हुए निपल्स के आस पास उंगलियाँ चलानी शुरू कर दी. जो निपल दर्द के मारे नरम पड़ गए थे उनमे धीरे धीरे कसाव आने लगा.
''सुजीत डारलिंग अब ज़ोर से धक्के लगाओ जान...अब सहेन नही हो रहा. चोद दे मुझे अब ...ऊओ माआ....अगर सखी अभी देख ले तो उसे तो यकीन ही नही होगा कि कितनी बड़ी छिनाल बन गई हूँ मैं..और सब उसके कमीने जेठ की वजह से...'' सरला अब हल्के हल्के कूदना शुरू कर रही थी.
''मैं तो चोद दूँगा जान पर तुम्हारे इस मूह का क्या करूँ जो इतनी आवाज़ें निकालता है...?? तुम अगर मूह बंद नही करोगी तो घर क्या पूरा मोहल्ला सुन्न लेगा. '' सुजीत ने निपल्स को खींचते हुए कहा.
''उफफफफ्फ़ जाअलीम कुत्ते...साले बाप का माल नही हूँ जो ऐसे खींच रहा है...तेरी बीवी के ऐसे खींच...उम्म्म्मम ऊओह हान्न ऐसे जब तू मसलता है तो चूत घनघना जाती है ...मसला कर मेरे मम्मे उन्हे खींचा ना कर....उउम्म्म्मम और मेरा मूह बंद करने के लए सिर्फ़ एक ही इलाज है तेरे पास...मूह में लंड घुस्वा दे...हाआअन्न्णणन् कितना मज़ा आ जाए अगर एक सुहाना सा मजबूत लोड्ा और मिल जाए....इश्स बुढ़ापे में भी जवान हो जाउन्गि...उम्म्म्म मसल ना हल्के हल्के ...उम्म'' सरला अब गांद को गोल गोल घुमा रही थी. सुजीत के मूह पे उसके होंठ लग गए और दोनो बंद आँखों से एक दूसरे को तृप्त करने की कोशिश में लगे रहे.
''तो लीजिए आपकी मनोकामना आज पूरी होती है ...ये मजबूत लोड्ा हाजिर है आपके होठों की शोभा बढ़ाने के लिए ....आपके इन लाल लाल होठों के चुंबन के लिए. .....''संजय की आवाज़ सुजीत और सरला के कानो के पास पड़ी और साथ सरला की चूत में उसकी लंबी लंबी 2 उंगलियाँ घुस गई और चूत का दाना अंगूठे के नीचे मसला गया.
सुजीत और सरला एक झटके से अलग हुए और भोचक्की आँखों से संजय के मुस्कुराते हुए चेहरे को देखने लगे. मदरजात नंगा संजय अपने 11 इंच के हथियार के साथ एक दम तैयार खड़ा उनके चेहरों केभाव देख के मुस्कुराने लगा. चूत ने एक साथ कई बार हल्के हल्के फेडक के कामुकता के सिग्नल दिए. पर चेहरा और आँखें डर के भाव दिखा रही थी.
अचानक से सरला के दोनो हाथ उसके चेहरे पे चले गए और उसके सूबकने की आवाज़ें आने लगी. सिर झुका हुआ था और खुले बाल लटके हुए थे. शरीर सूबकीओं के बीच हिलने लगा. सुजीत के दोनो हाथ उसकी कमर पे स्थिर हो गए. ठीक उसी समय संजय की उंगलियाँ और अंगूठा भी चूत से बाहर हो गए और वो सीधा खड़ा हो गया. दोनो भाई एक दूसरे को देखने लगे और सुजीत की आँखें में गुस्सा झलक रहा था. इतनी बढ़िया गांद का उद्घाटन तो हो गया था पर अब जब असली खेल शुरू होना था तो 12वे खिलाड़ी ने गूगली मार दी. इतनी तगड़ी केएलपीडी तो आज तक उसके साथ नही हुई थी. पर इससे पहले कि वो दोनो कुच्छ कहते रोती हुई सरला की आवाज़ उन्हे सुनाई दी.
''हेयेयी भगवान ये मैने क्या कर दिया...अपनी बेटी को क्या मूह दिखाउन्गि...सत्यानाश हो गया मेरा तो...इज़्ज़त ख़तम हो गई...मेरा सगा दामाद मुझे ऐसे देख रहा है ..और और..ऊओ नूओ....मर क्यों नही गई मैं ये सब करने से पहले...'' सरला ने रोते रोते अपने हाथ हटाए और झटके से सिर उठाया. उसके मूह से कुच्छ और नही निकला पर आँखें लाल थी और चेहरे पे अब गुस्से के भाव थे. आँसू पून्छ्ते हुए उसने सुजीत के लंड पर से उठने की कोशिश की. पर दर्द की एक ल़हेर उसकी गांद से उठी और उसके पूरे शरीर में दौड़ गई. ऐसा लगा जैसे उसके 2 टुकड़े हो जाएँगे. इसी दर्द ने एक जादू कर दिखाया. चीखते हुए वो फिर बैठ गई और दर्द से निढाल होके उसने अपना सिर सामने खड़े संजय की जाँघ पे टीका दिया. संजय का लंड उसके गाल से मात्र 1 इंच पे हिचकोले खा रहा था. अनायास ही उसके दोनो हाथ संजय की कमर के इर्द गिर्द हो गए और उसको निढाल होता देख सुजीत ने उसकी कमर फिर से जाकड़ ली.
संजय के हाथ में भरा विस्की का ग्लास हल्का सा छलक गया. पर संजय हिला नही और कुच्छ पल सरला को देखने के बाद हल्के हाथ से उसके बालों को सहलाने लगा. सुजीत की ओर देखते हुए उसने मूह बना के इशारा किया कि वो सरला के चुंबन ले. सुजीत ने आगे झुक के सरला की पीठ पे हल्के चुंबन लेने शुरू कर दिए और धीरे धीरे हाथों को सरकाते हुए सरला के मोटे सुडॉल्ल मम्मो को गिरफ्तार कर लिया. हल्के हाथों से बड़ी नर्माई से मम्मो को सहलाते हुए निपल्स के आस पास उंगलियाँ चलानी शुरू कर दी. जो निपल दर्द के मारे नरम पड़ गए थे उनमे धीरे धीरे कसाव आने लगा.