hotaks444
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झाड़ियो के छुपाव में खड़ी गाड़ी वैसे सड़क से किसी को नही दिखती अनलेस कोई साइकल पे या पैदल हो. वैसे भी अंधेरा ढल चुका था और रूट पे इक्का दुक्का गाडियो के सिवाए किसी भी पैदल चलने वाले की उम्मीद करना ही बेकार था. पर अगर कोई होता और गाड़ी के नज़दीक आ के देखता तो कसम से उसका लंड या चूत अंदर का नज़ारा देख के ज़रूर पनिया जाती. ड्राइवर सीट में सुजीत आधी खुली शर्ट और बनियान में बैठा था. पॅंट और अंडरवेर पैरों में थे. सीट पिछे को हुई पड़ी थी और आधी लेटी अवस्था में उसके राइट हॅंड्ज़ की उंगलियाँ सरला के मोटे चुतडो से खेल रही थी. कभी चूत तो कभी गांद में घुसती. कभी चूत का रस लेके सुजीत के मूह में चली जाती. सुजीत के लंड का हाल बुरा था. पिच्छले 10 मिनट से लगतार उसपे सरला के मूह के हमले हो रहे थे. इतना थूक किसी औरत के मूह से पहली बार उसके लंड और टट्टों पे लगा था. क्या कमाल का लोडा चूस्ति थी. 20 मिनट पहले उसकी पॅंट के उभार को देख के सरला मचल गई थी. उसके बाद पहले हाथों से पॅंट के उपर से मसल के और फिर चलती गाड़ी में ज़िप खोल के जो उसने चूसना शुरू किया था कि पुछो मत.
सुजीत भी कम नही था. चलती गाड़ी में लंड चुस्वाते हुए ही सरला की चोली की डोरी खींच दी थी. गियर बदलने की ज़रूरत नही थी तो खाली हाथ बगल से होते हुए खुली चोली में नीचे से मम्मे निचोड़ने में बिज़ी हो गया. निपल का पहला एहसास आते ही लंड ने मूह में एक झटका लिया था. गाड़ी 1 सेकेंड के लिए आउट ऑफ कंट्रोल हुई तो जगह देख के यहाँ झारीओं में पार्क कर दी. सीट पिछे की और मस्ती में घाघरा उठा के पॅंटी साइड में करके उंगली चलाने लगा. सरला की चूत का नशा अजीब था. हल्की झाटों वाली चूत ऐसे लिसलिसाई हुई थी कि पुछो नही. पॅंटी तो पहले से ही गीली थी. थाइस पे भी काफ़ी जूसज़ लगे हुए थे.
''हाआँ जाआं...आंटी नही कहूँगा..अब से अकेले में तू मेरी जाअँ ही हुई...आंटी सबके सामने....ऊऊहह आराम से जान....चूत में भी डालना है अभी तो...चल आजा थोड़ा ब्रेक ले ले ..मूह दुख गया होगा...मोटा है ना ...थोड़ा आराम करले और मम्मे चुस्वा ले...फिर पिच्छली सीट पे लूँगा तेरी....आआर्र्घह...'' सुजीत के सुपादे पे जैसे ही सरला के नमकीन होंठो का आख़िरी चुप्पा पड़ा तो वो काँप उठा.
''हां जानू...मूह थक गया तेरा मोटा डंडा लेके पर सच्ची नीयत नही भरी...अगर इस निगोडी चूत का ख़याल नही होता तो पहले तेरे लंड का रास्पान करती...हाए क्या जालिम चीज़ है....उउंम्म ...चल अब आजा और आंटी के मम्मे चूस ले......उउम्म्म्मम...हाआआन्न्नणणन्..ऊओह....मर्द के होंठ मर्द के ही होते हैं...कोई औरत वो एहसास नही दे सकती....ऊऊहह चाहे फिर वो तेरी छिनाल बीवी ही क्यों ना हो........''' अपनी चूत को पॅंटी के उपर से रगर्ते हुए सरला मम्मे चुस्वाते हुए गांद को सीट पे गोल गोल रगड़ रही थी. चोली उसकी गर्दन के आस पास थी और दोनो भारी भरकम चूचे नीचे से बाहर लटके हुए थे. लेफ्ट चूचा सुजीत के मूह में था और राइट वाले को वो मस्त तरीके से भींच रहा था. राखी के मोटे मम्मो पे की हुई प्रॅक्टीस आज सही काम आ रही थी. वैसे भी दोनो के मम्मो के साइज़ में तो फरक था नही..40सी...बस फरक था तो शेप में. जहाँ राखी के अभी भी गोल गोल थे वहीं सरले के थोड़े लंबे नीचे को झुके हुए. पर उमर के हिसाब से अभी भी मस्त थे. उसके स्किन में अभी अभी बहुत कसाव था.
''ह्म्म्म्मम.....मेरी आंटी जान...सब समझता हूँ....तेरे चूचे को जब पहली बार छ्छू के उंगली मूह में ली थी तभी राखी की लिप ग्लॉस की महक और स्वाद आ गया था. और जब तू ट्राइयल रूम से महकती हुई चूत ले के बाहर आई थी तो तेरी ये तीव्र गंध मेरी नाक से बची नही थी. मैं तो तभी से तेरे को चोद्ने का मन बना चुका था..पर मुझे क्या पता था कि हालात और तेरा छिनाल पन मुझे इतनी जल्दी तेरी चूत की गहराइयो में घुसने का मौका दे देंगे....सच्ची बहुत बढ़िया चूचे हैं जान...मस्सस्त एक दम...पर तेरी बेटी तेरे पे नही है...उसके इतने छ्होटे क्यों हैं....?? '' सुजीत मम्मे मूह में भर भर के लंबे लंबे चूसे ले रहा था. निपल्स की लंबाई काफ़ी अच्छी थी. उसे बहुत मज़ा आ रहा था.
''हां बेटा...तेरी आंटी जान को तेरी रंडी बीवी ने थर्का दिया और फिर तेरे बाबूजी का वापिस आने से मना कर देना...उफ़फ्फ़ ऐसा मौका कैसे छोड़ती जानू जब क़ि पिक्निक से ही तेरे लंड को तरस रही हूँ. तुझे तो कैसे ना कैसे मैने आज अंदर लेना ही था....ऊओहमाआआअ.......कितना अच्छे से चूस्ता है मेरे मम्मे....पसंद आए मेरे बेटे को....ऊओ....??? बता ना...मेरे जानू बेटे.......तेरे रंडी आंटी जान पसंद आई कि नही....??? जितनी तेरे लंड की भूखी हूँ उतनी ही तेरी नज़रों और गंदी तारीफ़ की भी....बता ना...मुझे अपनी छिनाल बनाएगा....???''' दोनो हाथों से पकड़ पकड़ के अपने मम्मे चुस्वाते हुए सरला ने पुछा.
''हाआँ बहुत सेक्सी जान है तू आंटी...सच्ची तेरी चूत के दर्शन होते ही मेरे लंड को अजीब सा सुकून मिल गया....और क्या बोलूं...तेरे मम्मे चूसे तो राखी की याद आ गई....मेरी राखी नही...वो मोटे मम्मो वाली राखी सावंत....उम्म्म्मम.....जान चल अब पिछे चलते हैं....अब जब बाबूजी की बदौलत इतना अच्छा मौका मिल ही गया है तो तस्सली से नंगे होके एक दूसरे को मस्ती दे दें...सच्ची में तुझे नंगी करने का बहुत मन है....बस ये राजस्थानी जूती पहने रखना.....चल ना खोल दे अब ये सब ....अब डंडा डाल के साथ में दूध पीऊंगा'' सुजीत ने चोली खोलते हुए सरला की कमर की तरफ हाथ बढ़ाया. सुजीत के बड़े बड़े हाथों का स्पर्श अपने नंगे पेट पे महसूस कर सरला ने एक अंगड़ाई ली और अपने चूतर उपर को किए. उसका एक हाथ अभी भी अपने मम्मो से खेल रहा था और दूसरा सुजीत के सिर और कंधों को सहला रहा था.
''हां जानू...आग लगी पड़ी है...डंडा डालने से ही ख़तम होगी..और दूध तो क्या तू कहे तो चूत का रस भी पिलाउन्गि तुझे..आज भी पी और आगे पिछे घर में जब भी मौका मिलेगा तो भी पी लेना...और हां सखी की चूचियाँ इसलिए छोटी हैं क्योंकि वो बचपन से ही शरीफ थी...मम्मे सही उमर में पुटवाए होते तो मेरे जैसी निकलती..पर तू भी देखना बच्चा हो गया तो उसके भी बाद बड़े हो जाएँगे.....ऊहह ना कर ना...उतार दे कछि और ले चल पिछे ...यहाँ बैठ के उंगली करेगा तो झर जाउन्गि...जाअनुउऊउ....मत कार्रर्र्र्ररर...ऊऊहह...'' घाघरा और चोली तो उतार चुके थे और पॅंटी को साइड में कर के 2 उंगलियाँ अंदर बाहर हो रही थी. सुजीत चाहता था कि पहला राउंड जल्दी ख़तम हो. उसको पता था कि वो खुद बहुत जल्दी झरेगा. इतनी चुसाई में तो कोई भी मर्द खल्लास हो जाए. उसने कितना कंट्रोल किया था ये उसे ही पता था. सो इसलिए सरला आंटी को भी चरम सीमा तक पहुँचना ज़रूरी था.
सुजीत भी कम नही था. चलती गाड़ी में लंड चुस्वाते हुए ही सरला की चोली की डोरी खींच दी थी. गियर बदलने की ज़रूरत नही थी तो खाली हाथ बगल से होते हुए खुली चोली में नीचे से मम्मे निचोड़ने में बिज़ी हो गया. निपल का पहला एहसास आते ही लंड ने मूह में एक झटका लिया था. गाड़ी 1 सेकेंड के लिए आउट ऑफ कंट्रोल हुई तो जगह देख के यहाँ झारीओं में पार्क कर दी. सीट पिछे की और मस्ती में घाघरा उठा के पॅंटी साइड में करके उंगली चलाने लगा. सरला की चूत का नशा अजीब था. हल्की झाटों वाली चूत ऐसे लिसलिसाई हुई थी कि पुछो नही. पॅंटी तो पहले से ही गीली थी. थाइस पे भी काफ़ी जूसज़ लगे हुए थे.
''हाआँ जाआं...आंटी नही कहूँगा..अब से अकेले में तू मेरी जाअँ ही हुई...आंटी सबके सामने....ऊऊहह आराम से जान....चूत में भी डालना है अभी तो...चल आजा थोड़ा ब्रेक ले ले ..मूह दुख गया होगा...मोटा है ना ...थोड़ा आराम करले और मम्मे चुस्वा ले...फिर पिच्छली सीट पे लूँगा तेरी....आआर्र्घह...'' सुजीत के सुपादे पे जैसे ही सरला के नमकीन होंठो का आख़िरी चुप्पा पड़ा तो वो काँप उठा.
''हां जानू...मूह थक गया तेरा मोटा डंडा लेके पर सच्ची नीयत नही भरी...अगर इस निगोडी चूत का ख़याल नही होता तो पहले तेरे लंड का रास्पान करती...हाए क्या जालिम चीज़ है....उउंम्म ...चल अब आजा और आंटी के मम्मे चूस ले......उउम्म्म्मम...हाआआन्न्नणणन्..ऊओह....मर्द के होंठ मर्द के ही होते हैं...कोई औरत वो एहसास नही दे सकती....ऊऊहह चाहे फिर वो तेरी छिनाल बीवी ही क्यों ना हो........''' अपनी चूत को पॅंटी के उपर से रगर्ते हुए सरला मम्मे चुस्वाते हुए गांद को सीट पे गोल गोल रगड़ रही थी. चोली उसकी गर्दन के आस पास थी और दोनो भारी भरकम चूचे नीचे से बाहर लटके हुए थे. लेफ्ट चूचा सुजीत के मूह में था और राइट वाले को वो मस्त तरीके से भींच रहा था. राखी के मोटे मम्मो पे की हुई प्रॅक्टीस आज सही काम आ रही थी. वैसे भी दोनो के मम्मो के साइज़ में तो फरक था नही..40सी...बस फरक था तो शेप में. जहाँ राखी के अभी भी गोल गोल थे वहीं सरले के थोड़े लंबे नीचे को झुके हुए. पर उमर के हिसाब से अभी भी मस्त थे. उसके स्किन में अभी अभी बहुत कसाव था.
''ह्म्म्म्मम.....मेरी आंटी जान...सब समझता हूँ....तेरे चूचे को जब पहली बार छ्छू के उंगली मूह में ली थी तभी राखी की लिप ग्लॉस की महक और स्वाद आ गया था. और जब तू ट्राइयल रूम से महकती हुई चूत ले के बाहर आई थी तो तेरी ये तीव्र गंध मेरी नाक से बची नही थी. मैं तो तभी से तेरे को चोद्ने का मन बना चुका था..पर मुझे क्या पता था कि हालात और तेरा छिनाल पन मुझे इतनी जल्दी तेरी चूत की गहराइयो में घुसने का मौका दे देंगे....सच्ची बहुत बढ़िया चूचे हैं जान...मस्सस्त एक दम...पर तेरी बेटी तेरे पे नही है...उसके इतने छ्होटे क्यों हैं....?? '' सुजीत मम्मे मूह में भर भर के लंबे लंबे चूसे ले रहा था. निपल्स की लंबाई काफ़ी अच्छी थी. उसे बहुत मज़ा आ रहा था.
''हां बेटा...तेरी आंटी जान को तेरी रंडी बीवी ने थर्का दिया और फिर तेरे बाबूजी का वापिस आने से मना कर देना...उफ़फ्फ़ ऐसा मौका कैसे छोड़ती जानू जब क़ि पिक्निक से ही तेरे लंड को तरस रही हूँ. तुझे तो कैसे ना कैसे मैने आज अंदर लेना ही था....ऊओहमाआआअ.......कितना अच्छे से चूस्ता है मेरे मम्मे....पसंद आए मेरे बेटे को....ऊओ....??? बता ना...मेरे जानू बेटे.......तेरे रंडी आंटी जान पसंद आई कि नही....??? जितनी तेरे लंड की भूखी हूँ उतनी ही तेरी नज़रों और गंदी तारीफ़ की भी....बता ना...मुझे अपनी छिनाल बनाएगा....???''' दोनो हाथों से पकड़ पकड़ के अपने मम्मे चुस्वाते हुए सरला ने पुछा.
''हाआँ बहुत सेक्सी जान है तू आंटी...सच्ची तेरी चूत के दर्शन होते ही मेरे लंड को अजीब सा सुकून मिल गया....और क्या बोलूं...तेरे मम्मे चूसे तो राखी की याद आ गई....मेरी राखी नही...वो मोटे मम्मो वाली राखी सावंत....उम्म्म्मम.....जान चल अब पिछे चलते हैं....अब जब बाबूजी की बदौलत इतना अच्छा मौका मिल ही गया है तो तस्सली से नंगे होके एक दूसरे को मस्ती दे दें...सच्ची में तुझे नंगी करने का बहुत मन है....बस ये राजस्थानी जूती पहने रखना.....चल ना खोल दे अब ये सब ....अब डंडा डाल के साथ में दूध पीऊंगा'' सुजीत ने चोली खोलते हुए सरला की कमर की तरफ हाथ बढ़ाया. सुजीत के बड़े बड़े हाथों का स्पर्श अपने नंगे पेट पे महसूस कर सरला ने एक अंगड़ाई ली और अपने चूतर उपर को किए. उसका एक हाथ अभी भी अपने मम्मो से खेल रहा था और दूसरा सुजीत के सिर और कंधों को सहला रहा था.
''हां जानू...आग लगी पड़ी है...डंडा डालने से ही ख़तम होगी..और दूध तो क्या तू कहे तो चूत का रस भी पिलाउन्गि तुझे..आज भी पी और आगे पिछे घर में जब भी मौका मिलेगा तो भी पी लेना...और हां सखी की चूचियाँ इसलिए छोटी हैं क्योंकि वो बचपन से ही शरीफ थी...मम्मे सही उमर में पुटवाए होते तो मेरे जैसी निकलती..पर तू भी देखना बच्चा हो गया तो उसके भी बाद बड़े हो जाएँगे.....ऊहह ना कर ना...उतार दे कछि और ले चल पिछे ...यहाँ बैठ के उंगली करेगा तो झर जाउन्गि...जाअनुउऊउ....मत कार्रर्र्र्ररर...ऊऊहह...'' घाघरा और चोली तो उतार चुके थे और पॅंटी को साइड में कर के 2 उंगलियाँ अंदर बाहर हो रही थी. सुजीत चाहता था कि पहला राउंड जल्दी ख़तम हो. उसको पता था कि वो खुद बहुत जल्दी झरेगा. इतनी चुसाई में तो कोई भी मर्द खल्लास हो जाए. उसने कितना कंट्रोल किया था ये उसे ही पता था. सो इसलिए सरला आंटी को भी चरम सीमा तक पहुँचना ज़रूरी था.