hotaks444
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अजय भैया: मानु भैया मुझे माफ़ कर दो!
मैं: भैया ऐसा मत बोलो! मैं जानता हूँ आपने जो भी किया वो अपने मन से नहीं बलिक दबाव में आ के किया और मेरे मन में ना आपके प्रति और ना घर के किसी भी व्यक्ति के प्रति कोई बुरा भाव है, सिवाय उस एक इंसान के और वो है चन्दर! अगर वो मेरे परिवार के आस-पास भी भटका ना तो उसके लिए अच्छा नहीं होगा! उसने मेरे परिवार को बहुत क्षति पहुंचाई है और इस बार तो मैं सह गया पर अब आगे कुछ नहीं सहूँगा!
अजय भैया: मानु भैया आप शांत हो जाओ ...मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूँगा की उन्हें शहर ना आने दूँ| आप चिंता मत करो!
रसिका भाभी: मानु भैया आप मुझसे नाराज हो?
मैं: नहीं तो!
रसिका भाभी: जो भी हुआ उसके लिए मैं बहुत शरमिन्दा हूँ!
मैं: भूल जाओ उस सब को भाभी....मैं भी भूल चूका हूँ| मुझे आप दोनों को एक साथ देख के बहुत ख़ुशी हो रही है| मैं भी यही चाहता था|
रसिका भाभी: भैया दीदी कैसी हैं?
मैं: ठीक हैं....आजकल बहुत चिंतित हैं| उस दिन जो हुआ उससे उनका मन बहुत दुखा है!
रसिका भाभी: आप उनका अच्छे ख्याल रख ही रहे होगे| उनसे कहना की जो हुआ उसे भूलने की कोशिश करें| धीरे-धीरे सब ठीक हो जायेगा!
मैं: मैं भी यही उम्मीद करता हूँ! और अजय भैया मैं अपनी तरफ से तो पूरी कोशिश कर रहा हूँ पर आप भी कोशिश करो की हम सब फिर से एक हो जाएं! रही बात पंचायत की तो? मैं उसे भी देख लूँगा! आप बस कोशिश करो की बड़के दादा का मन बदले!
अजय भइया: मैं भी पूरी कोशिश कर रहा हूँ भैया! पर थोड़ा समय लगेगा! अम्मा आप को बहुत याद करती हैं!
मैं: मैं भी उन्हें बहुत याद करता हूँ! अच्छा एक बात तो मैं आप लोगों को बताना ही भूल गया! संगीता माँ बनने वाली है!
रसिक भाभी: क्या? सच? (उनके मुख पे ख़ुशी झलक आई थी और ठीक वैसी ही ख़ुशी अजय भैया के मुख पे भी थी|)
मैं: हाँ! दो महीने से प्रेग्नेंट हैं वो!
रसिका भाभी: भैया अब तो आपको उनका और भी ज्यादा ख्याल रखना होगा|
मैं: हाँ
अजय भैया: भैया ये तो आपने बहुत ही ख़ुशी की खबर सुनाई...मैं अम्मा से जर्रूर बताऊँगा|
मैं: भैया अगर हो सके तो मेरी एक बार उनसे बात करा देना| छुप के..अकेले में ये कैसे भी...उनकी आवाज सुनने को कान तरस गए हैं!
अजय भैया: जर्रूर भैया अब तो फ़ोन करना बनता है| मैं जर्रूर बात कराऊँगा|
मैं: ओरे छोट साहब आप.....स्कूल जाते हो ना?
वरुण: हम्म्म.... आपकी कहानियाँ बहुत याद आती हैं!
मैं: Awwwwwww ...... मेरा बच्चा! बेटा आप अपने मम्मी पापा के साथ मेरे घर आना मैं आपको रोज कहानी सुनाऊँगा ठीक है?
वरुण: हम्म्म! (और हाँ में सर हिलाया)
अजय भैया: मानु भैया चाचा?
मैं: वो आपसे या किसी से नाराज नहीं हैं! देखो अगर आप कभी भी शहर आये तो हम से मिलना, हमारे पास ही ठहरना और अगर अछा लगे तो हमारे साथ काम भी करना|
अजय भैया: सच भैया?
मैं: मैं झूठ क्यों बोलूँगा! अच्छा मैं अब चलता हूँ फ्लाइट मिस हो जाएगी!
रसिका भाभी: भैया दीदी को मेरा प्यार देना!
अजय भैया: और चाचा-चाची को हमारा प्रणाम!
मैं: जी जर्रूर!
मैं वहाँ से निकला पर समय पे एयरपोर्ट नहीं पहुँच पाया और फ्लाइट छूट गई| इधर उसी समय संगीता का फोन आया;
मैं: Hello !
संगीता:Muuuuuuaaaaaaaahhhhhhhh !
मैं: Oh GOD! इतना बड़ा muah?
संगीता: कितने बजे पहुँच रहे हो?
मैं: Sorry यार एक दिन और लगेगा!
संगीता: क्या? पर आपने कहा था की आप आज रात को आ जाओगे? मैं आपसे बात नहीं करुँगी!
मैं: Awwwwwww .... बाबू कल पक्का आ जाऊँगा!
पर वो नहीं मानी! मैं खुश था की आज उन्होंने इतना खुल के मुझसे बात की पर flight मिस हो चुकी थी| तो मेरे पास अगला ऑप्शन था रेल या बस? तो मैंने रेल का ऑप्शन लिया! तत्काल में टिकट कटाई और सारे रास्ते हिलते-हिलते सुबह lucknow mail से दिल्ली पहुँचा! घर आके मैं नार्मल रहा और किसी को भी पंचायत वाली बात नहीं बताई और किसी को शक भी नहीं हुआ! पर मेरा दिल कह रहा था की संगीता को अब भी चैन नहीं मिला और ना ही कभी मिलेगा| उसे अंदर ही अंदर आयुष को लेके डर है और मुझे कैसे भी ये डर उसके दिल से मिटाना था| मैं court में case फाइल नहीं कर सकता था वरना उनके divorce के चक्कर में फंस जाता| क्योंकि Divorce मिलने में कम से कम डेढ़ साल लगता है और इस दौरान applicant शादी नहीं कर सकते| तो अगर मैंने case file किया होता तो मैं और पचड़े में पड़ जाता| पुलिस में इसलिए नहीं जा सकता था क्योंकि वहाँ भी कभी न कभी divorce की बात निकल ही जाती और मामला उल्टा पड़ जाता| ये तो खुशकिस्मती है की उस इंस्पेक्टर ने papers पढ़ने के बाद ज्यादा detail नहीं माँगी और सतीश जी ने बात संभाल ली| मुझे कुछ ऐसा सोचना था की मैं संगीता को इस डर के जंगल में से निकाल लूँ| इसका हल जो मुझे नजर आया वो ये था..................................................................
मैं: भैया ऐसा मत बोलो! मैं जानता हूँ आपने जो भी किया वो अपने मन से नहीं बलिक दबाव में आ के किया और मेरे मन में ना आपके प्रति और ना घर के किसी भी व्यक्ति के प्रति कोई बुरा भाव है, सिवाय उस एक इंसान के और वो है चन्दर! अगर वो मेरे परिवार के आस-पास भी भटका ना तो उसके लिए अच्छा नहीं होगा! उसने मेरे परिवार को बहुत क्षति पहुंचाई है और इस बार तो मैं सह गया पर अब आगे कुछ नहीं सहूँगा!
अजय भैया: मानु भैया आप शांत हो जाओ ...मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूँगा की उन्हें शहर ना आने दूँ| आप चिंता मत करो!
रसिका भाभी: मानु भैया आप मुझसे नाराज हो?
मैं: नहीं तो!
रसिका भाभी: जो भी हुआ उसके लिए मैं बहुत शरमिन्दा हूँ!
मैं: भूल जाओ उस सब को भाभी....मैं भी भूल चूका हूँ| मुझे आप दोनों को एक साथ देख के बहुत ख़ुशी हो रही है| मैं भी यही चाहता था|
रसिका भाभी: भैया दीदी कैसी हैं?
मैं: ठीक हैं....आजकल बहुत चिंतित हैं| उस दिन जो हुआ उससे उनका मन बहुत दुखा है!
रसिका भाभी: आप उनका अच्छे ख्याल रख ही रहे होगे| उनसे कहना की जो हुआ उसे भूलने की कोशिश करें| धीरे-धीरे सब ठीक हो जायेगा!
मैं: मैं भी यही उम्मीद करता हूँ! और अजय भैया मैं अपनी तरफ से तो पूरी कोशिश कर रहा हूँ पर आप भी कोशिश करो की हम सब फिर से एक हो जाएं! रही बात पंचायत की तो? मैं उसे भी देख लूँगा! आप बस कोशिश करो की बड़के दादा का मन बदले!
अजय भइया: मैं भी पूरी कोशिश कर रहा हूँ भैया! पर थोड़ा समय लगेगा! अम्मा आप को बहुत याद करती हैं!
मैं: मैं भी उन्हें बहुत याद करता हूँ! अच्छा एक बात तो मैं आप लोगों को बताना ही भूल गया! संगीता माँ बनने वाली है!
रसिक भाभी: क्या? सच? (उनके मुख पे ख़ुशी झलक आई थी और ठीक वैसी ही ख़ुशी अजय भैया के मुख पे भी थी|)
मैं: हाँ! दो महीने से प्रेग्नेंट हैं वो!
रसिका भाभी: भैया अब तो आपको उनका और भी ज्यादा ख्याल रखना होगा|
मैं: हाँ
अजय भैया: भैया ये तो आपने बहुत ही ख़ुशी की खबर सुनाई...मैं अम्मा से जर्रूर बताऊँगा|
मैं: भैया अगर हो सके तो मेरी एक बार उनसे बात करा देना| छुप के..अकेले में ये कैसे भी...उनकी आवाज सुनने को कान तरस गए हैं!
अजय भैया: जर्रूर भैया अब तो फ़ोन करना बनता है| मैं जर्रूर बात कराऊँगा|
मैं: ओरे छोट साहब आप.....स्कूल जाते हो ना?
वरुण: हम्म्म.... आपकी कहानियाँ बहुत याद आती हैं!
मैं: Awwwwwww ...... मेरा बच्चा! बेटा आप अपने मम्मी पापा के साथ मेरे घर आना मैं आपको रोज कहानी सुनाऊँगा ठीक है?
वरुण: हम्म्म! (और हाँ में सर हिलाया)
अजय भैया: मानु भैया चाचा?
मैं: वो आपसे या किसी से नाराज नहीं हैं! देखो अगर आप कभी भी शहर आये तो हम से मिलना, हमारे पास ही ठहरना और अगर अछा लगे तो हमारे साथ काम भी करना|
अजय भैया: सच भैया?
मैं: मैं झूठ क्यों बोलूँगा! अच्छा मैं अब चलता हूँ फ्लाइट मिस हो जाएगी!
रसिका भाभी: भैया दीदी को मेरा प्यार देना!
अजय भैया: और चाचा-चाची को हमारा प्रणाम!
मैं: जी जर्रूर!
मैं वहाँ से निकला पर समय पे एयरपोर्ट नहीं पहुँच पाया और फ्लाइट छूट गई| इधर उसी समय संगीता का फोन आया;
मैं: Hello !
संगीता:Muuuuuuaaaaaaaahhhhhhhh !
मैं: Oh GOD! इतना बड़ा muah?
संगीता: कितने बजे पहुँच रहे हो?
मैं: Sorry यार एक दिन और लगेगा!
संगीता: क्या? पर आपने कहा था की आप आज रात को आ जाओगे? मैं आपसे बात नहीं करुँगी!
मैं: Awwwwwww .... बाबू कल पक्का आ जाऊँगा!
पर वो नहीं मानी! मैं खुश था की आज उन्होंने इतना खुल के मुझसे बात की पर flight मिस हो चुकी थी| तो मेरे पास अगला ऑप्शन था रेल या बस? तो मैंने रेल का ऑप्शन लिया! तत्काल में टिकट कटाई और सारे रास्ते हिलते-हिलते सुबह lucknow mail से दिल्ली पहुँचा! घर आके मैं नार्मल रहा और किसी को भी पंचायत वाली बात नहीं बताई और किसी को शक भी नहीं हुआ! पर मेरा दिल कह रहा था की संगीता को अब भी चैन नहीं मिला और ना ही कभी मिलेगा| उसे अंदर ही अंदर आयुष को लेके डर है और मुझे कैसे भी ये डर उसके दिल से मिटाना था| मैं court में case फाइल नहीं कर सकता था वरना उनके divorce के चक्कर में फंस जाता| क्योंकि Divorce मिलने में कम से कम डेढ़ साल लगता है और इस दौरान applicant शादी नहीं कर सकते| तो अगर मैंने case file किया होता तो मैं और पचड़े में पड़ जाता| पुलिस में इसलिए नहीं जा सकता था क्योंकि वहाँ भी कभी न कभी divorce की बात निकल ही जाती और मामला उल्टा पड़ जाता| ये तो खुशकिस्मती है की उस इंस्पेक्टर ने papers पढ़ने के बाद ज्यादा detail नहीं माँगी और सतीश जी ने बात संभाल ली| मुझे कुछ ऐसा सोचना था की मैं संगीता को इस डर के जंगल में से निकाल लूँ| इसका हल जो मुझे नजर आया वो ये था..................................................................