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"तेरा भेजा पहले ही उड़ जाएगा श्याने...जब मैं शिकार पर निकलता हूं तब इस बात का इंतजाम करके चलता हूं कि कहीं कोई मेरे काम में बाधा न डाल दे। अपने पीछे देख। तेरे भेजे से ज्यादा दूर नहीं है वो बन्दूक...देख-देख।" स्याहपोश निरंतर सामने की ओर देखता हुआ इस प्रकार बोला मानो उसे अपने पीछे भी सब-कुछ दिखाई दे रहा हो।
राज को उसकी बात पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जब उसने तिरछी दृष्टि से गर्दन को थोडा-सा घुमाकर देखा तो उसे अपने पीछे किसी की मौजूदगी की झलक मिल गई। यकीनन कोई उसके पीछे मौजूद था। उसका माउजर स्वत: ही नीचे की ओर झुक गया। वह समर्पण की मुद्रा में आ चुका था। समर्पण की मुद्रा में आने के बाद उसने मुड़कर पीछे देखना चाहा तो तुरन्त ठंडी बैरल उसकी गर्दन से आ चिपकी।
"पिस्तौल फेंक दो!" कठोर स्वर में आदेश दिया गया।
वह ठिठक गया।
"पिस्तौल फेंको वरना...!" स्वर में धमकी भरी हुई थी।
उसने उंगलियों में फंसा माउजर उंगलियों की गिरफ्त से आजाद कर दिया।
तीखी आहट के साथ भारी माउजर फर्श से टकराकर एक बार थोड़ा-सा उछला फिर स्थिर हो गया। उसके बाद वह पीछे मुड़ा। तब उसने देखा। लम्बोतरे चेहरे वाला खरनाक-सा आदमी ढीले-ढाले कुर्ते-पायजामे में खतरनाक गन लिए खड़ा था।
इस बीच...!
स्याहपोश भी अपनी गन समेत उसकी ओर घूम गया। वह दो खतरनाक हत्यारों के घेरे में पहुंच चुका था, जो न सिर्फ पेशेवर थे बल्कि निर्मम भी थे। उसने बारी-बारी से दोनों की ओर देखा।
दोनों हत्यारों ने क्रूरतापूर्ण ढंग से अट्टहास लगाया।
"हम जिसकी सुपारी लेते हैं उसे इस फानी दुनिया से कूच करना ही पड़ता है।" स्याहपोश गुर्राता हुआ क्रूरतापूर्ण स्वर में बोला।
"अब तू देखेगा...तेरी आखों के सामने हम उसे शूट कर देंगे जिसे बचाने के लिए तू आधी-तूफान की तरह दौड़ता-भागता यहां तक पहुंचा है।" लम्बे चेहरे वाले ने शैतानी हंसी के साथ कहा।
तुम लोग किसे मारना चाहते हो?" राज ने सामान्य होते हुए पूछा।
"जिसे तू बचाना चाहता है।"
"मैं किसे बचाना चाहता हूं...?"
"ऐ श्याने, जास्ती बकवास करेंगा तो पहले तुझे ही निशाना बना डालूंगा...क्या!"
"अच्छा इतना तो बता दो-उसकी सुरपारी तुम्हें दी किसने?"
"ये हमारे बिजनेस का सीक्रेट है। हम सीक्रेट आउट नहीं करते। अब मुश्किल ये है कि हमें एक की जगह दो गोलियां बरबाद करनी पड़ेगी।"
राज ने अपने दाहिने हाथ को हल्का-सा दबाव दिया और कोट की आस्तीन के अंदर ही अंदर एक छोटी-सी गोली रेंगती हुई आगे बढ़ने लगी। गोली को व्यवस्थिति करने की गरज से उसने अपना जबड़ा खुजाने के लिए हाथ ऊपर उठाया तो आगे बढ़ती गोली बीच में ही रुक गई। सब-कुछ बेहद सामान्य था। उन दोनों को कुछ पता नहीं था कि उनके विरुद्ध कार्यवाही अमल में लायी जा चुकी है।
"एक ही जगह दो हत्याएं करनी पड़ेगी।" लम्बे चेहरे वाला बोला-"एक उरसकी जो नर्सिंग होम में है और दूसरी इसकी।" उसने राज की ओर संकेत किया।"
"मुझसे वाकिफ हो?" राज ने उसकी आखों में अपलक झांकते हुए पूछा। "वक्ती जुनून के तहत बना हुआ हीरो।" "मुम्बई की पूरी पुलिस मेरी तलाश में है...।"
स्याहपोश चौंका।
"तू निशाना लगा...टेम खोटी मत कर। तब तक मैं इस हीरो से निपटता हूं।" लम्बे चेहरे वाला कर्कश स्वर में बोला।
स्याहपोश टेलिस्कोपिक गन संभालकर नर्सिग होम की तरफ घूम गया लेकिन उसका समूचा ध्यान राज की तरफ ही लगा हुआ था।
"हां...तो तू क्या कह रहा था...अक्सी मुम्बई की पुलिस तेरी तलाश कर रही है?" लम्बोतरे चेहरे वाला गुर्राहट भरे स्वर में बोला।
राज को उसकी बात पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जब उसने तिरछी दृष्टि से गर्दन को थोडा-सा घुमाकर देखा तो उसे अपने पीछे किसी की मौजूदगी की झलक मिल गई। यकीनन कोई उसके पीछे मौजूद था। उसका माउजर स्वत: ही नीचे की ओर झुक गया। वह समर्पण की मुद्रा में आ चुका था। समर्पण की मुद्रा में आने के बाद उसने मुड़कर पीछे देखना चाहा तो तुरन्त ठंडी बैरल उसकी गर्दन से आ चिपकी।
"पिस्तौल फेंक दो!" कठोर स्वर में आदेश दिया गया।
वह ठिठक गया।
"पिस्तौल फेंको वरना...!" स्वर में धमकी भरी हुई थी।
उसने उंगलियों में फंसा माउजर उंगलियों की गिरफ्त से आजाद कर दिया।
तीखी आहट के साथ भारी माउजर फर्श से टकराकर एक बार थोड़ा-सा उछला फिर स्थिर हो गया। उसके बाद वह पीछे मुड़ा। तब उसने देखा। लम्बोतरे चेहरे वाला खरनाक-सा आदमी ढीले-ढाले कुर्ते-पायजामे में खतरनाक गन लिए खड़ा था।
इस बीच...!
स्याहपोश भी अपनी गन समेत उसकी ओर घूम गया। वह दो खतरनाक हत्यारों के घेरे में पहुंच चुका था, जो न सिर्फ पेशेवर थे बल्कि निर्मम भी थे। उसने बारी-बारी से दोनों की ओर देखा।
दोनों हत्यारों ने क्रूरतापूर्ण ढंग से अट्टहास लगाया।
"हम जिसकी सुपारी लेते हैं उसे इस फानी दुनिया से कूच करना ही पड़ता है।" स्याहपोश गुर्राता हुआ क्रूरतापूर्ण स्वर में बोला।
"अब तू देखेगा...तेरी आखों के सामने हम उसे शूट कर देंगे जिसे बचाने के लिए तू आधी-तूफान की तरह दौड़ता-भागता यहां तक पहुंचा है।" लम्बे चेहरे वाले ने शैतानी हंसी के साथ कहा।
तुम लोग किसे मारना चाहते हो?" राज ने सामान्य होते हुए पूछा।
"जिसे तू बचाना चाहता है।"
"मैं किसे बचाना चाहता हूं...?"
"ऐ श्याने, जास्ती बकवास करेंगा तो पहले तुझे ही निशाना बना डालूंगा...क्या!"
"अच्छा इतना तो बता दो-उसकी सुरपारी तुम्हें दी किसने?"
"ये हमारे बिजनेस का सीक्रेट है। हम सीक्रेट आउट नहीं करते। अब मुश्किल ये है कि हमें एक की जगह दो गोलियां बरबाद करनी पड़ेगी।"
राज ने अपने दाहिने हाथ को हल्का-सा दबाव दिया और कोट की आस्तीन के अंदर ही अंदर एक छोटी-सी गोली रेंगती हुई आगे बढ़ने लगी। गोली को व्यवस्थिति करने की गरज से उसने अपना जबड़ा खुजाने के लिए हाथ ऊपर उठाया तो आगे बढ़ती गोली बीच में ही रुक गई। सब-कुछ बेहद सामान्य था। उन दोनों को कुछ पता नहीं था कि उनके विरुद्ध कार्यवाही अमल में लायी जा चुकी है।
"एक ही जगह दो हत्याएं करनी पड़ेगी।" लम्बे चेहरे वाला बोला-"एक उरसकी जो नर्सिंग होम में है और दूसरी इसकी।" उसने राज की ओर संकेत किया।"
"मुझसे वाकिफ हो?" राज ने उसकी आखों में अपलक झांकते हुए पूछा। "वक्ती जुनून के तहत बना हुआ हीरो।" "मुम्बई की पूरी पुलिस मेरी तलाश में है...।"
स्याहपोश चौंका।
"तू निशाना लगा...टेम खोटी मत कर। तब तक मैं इस हीरो से निपटता हूं।" लम्बे चेहरे वाला कर्कश स्वर में बोला।
स्याहपोश टेलिस्कोपिक गन संभालकर नर्सिग होम की तरफ घूम गया लेकिन उसका समूचा ध्यान राज की तरफ ही लगा हुआ था।
"हां...तो तू क्या कह रहा था...अक्सी मुम्बई की पुलिस तेरी तलाश कर रही है?" लम्बोतरे चेहरे वाला गुर्राहट भरे स्वर में बोला।