vasna story इंसान या भूखे भेड़िए - Page 2 - SexBaba
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vasna story इंसान या भूखे भेड़िए

अब तो मनु की भी साँसे अटक गयी ... अब तक तो उसने जो भी किया वो कंबल की आड मे था, पर स्नेहा तो ओपन मे उसके लिंग को मूह मे ले ली.... मनु उसके बाल पकड़ कर उससे हटाने की कोसिस करने लगा ... पर स्नेहा थी कि लिंग को जड़ से अपने मुत्ठियों मे दबोचे अपना सिर हिला-हिला कर चूस रही थी.......


उत्तेजना से बेकाबू ऐसा हुआ मनु कि वो ज़ोर लगा कर हटा भी नही पा रहा था.... सीट से टिक कर अपना सिर टिका लिया .. और ज़ोर-ज़ोर से साँसे लेने लगा.... स्नेहा इतनी एग्ज़ाइटेड थी कि भरी भीड़ मे वो लिंग को मूह मे लिए बस चूस ही रही थी....


"ओह स्नहााआआआ" करते मनु ज़ोर की एक उत्तेजना भरी मादक आवाज़ निकाला और सिर को पकड़ कर अपने लिंग पर ज़ोर-ज़ोर उपर नीचे करने लगा.... लिंग पूरा मूह मे नही भी जा रहा था तो भी ज़बरदस्ती उसे अंदर धकेल रहा था...


इस बीच लोगों की बुदबुदाहट फिर से होने लगी ... लाइट जल गयीं मोबाइल की... और कई लोगों ने देखा.... स्नेहा का झुका होना... और उसकी टी-शर्ट सीने पर, जिस मे से उसके बूब्स बाहर निकले थे... और मूह मे लिंग भरा हुआ था ...


लाइट जलते ही, दोनो ने एक दूसरे को झटके के साथ छोड़ा..... स्नेहा धीरे से बोली ... "अब क्या होगा".....

"डॉन'ट वरी" का रिप्लाइ किया मनु ने .... और लोगों के रिक्षन भापने लगा....



मनु ने झट से स्नेहा की नाक पर एक मास्क रखा .. खुद भी एक मास्क पहना ... और स्प्रे कर दिया.... सारे लोग बेहोश हो कर गिरने-पड़ने लगे...


तभी मनु ने एक मेसेज भेजा और चार लोग वहाँ दौड़े चले आए ........ फिर उन चार लोगों ने भी मास्क पहना .. और पूरे कम्पार्टमेंट को बेहोश कर के दो-दो लोगों ने दोनो गेट को कवर कर लिया....


मनु.... अब हमे देखने वाला कोई नही.... भीड़ मे सेक्स का मज़ा लो पूरी तरह खुल कर जानेमन........ और इतना कह कर एक लाइट जला दिया.....


सारे लोग बेहोश पड़े थे... जलती लाइट मे ही मनु ने अब स्नेहा को पूरा नंगा कर दिया... खिड़की से आती सर्द हवा उसे ठंडा कर रही थी, पर इतने सारे लोगों के बीच सेक्स करना ... सोच-सोच कर ही स्नेहा गीली हो रही थी....


स्नेहा लोगों की पीठ पर पाँव देती वहीं खड़ी हो गयी.... और अपने पाँव फैला कर बोली..... मनु डार्लिंग अभी इसे थोड़ा होंठो से लगा कर चूस लो... ये तुम्हारे होंठो की प्यासी है....


मनु नीचे बैठ कर स्नेहा के योनि मे मूह डाला .... उससे ज़ोर-ज़ोर से चाटने लगा.... स्नेहा ... अपने बाल पकड़ कर अपना सिर हवा मे हिलाती ... जोर्र्र-जोर्र से ... "उफफफफफफफफफ्फ़.... आहह इस्शह" करने लगी...


स्नेहा मस्ती मे, कभी मनु के बालों पर हाथ फेरती, तो कभी अपने बूब्स मसल रही थी ... और मनु बस लगातार उसकी योनि को चूस ही रहा था..... बीच-बीच मे योनि के क्लिट को दाँतों तले दबा लेता तो कभी योनि के लीप के अंदर दाँत घुसा कर कुरेद देता....
 
स्नेहा का बदन पूरा झटका खा रहा था. वो खड़ी-खड़ी अपने कमर हिलाती इस मस्त चुसाइ का मज़ा ले रही थी.... अचानक ही उसका बदन अकड़ सा गया ... और तेज-तेज चिल्लाती हुई स्नेहा कही..... "उम्म्म्ममममम.... अहह.... मनुउऊउ मेरा तो रस छूटने वाला है".....


मनु अपना सिर हटा कर..... "उम्म्म्मम ... मलाई ... आज मलाई ... आ रही है.... जल्दी पिलाऊओ"... इतना कहते ही मनु ने फिर से योनि मे मूह लगा लिया और उसके कमर को हाथ से पकड़ कर... मूह के अंदर पूरी योनि को ले लिया.....


स्नेहा, लगभग मनु के मूह पर ही पूरा भर दी थी... स्नेहा अपनी कमर मे तेज-तेज झटका देती.... पूरे बदन को हिलाने लगी ... और अपना सारा रस छोड़ दिया.....


मनु फिर भी योनि को पूरे मूह मे भरे चूस्ता रहा.... लगातार उसकी योनि को जीभ से सेवा देता रहा.... स्नेहा खुद को काफ़ी हल्का महसूस करने लगी......


अद्भुत एक्सिटमेंट .... स्नेहा झट से नीचे बैठी ........ "ओह्ह्ह्ह मनु डार्लिंगगगग.... उम्म्म्मम आज तो सातवे आसमान पर हुन्न्ञणन्.... लाओ अब मैं भी इस से ज़रा खेल लूँ"


कहती हुई स्नेहा ने मनु के बॉल को अपने हाथों से उठाया और जड़ मे अपनी जीभ फिराने लगी... जीभ फिराती वो जड़ से उपर की तरफ आई ... और पूरे लिंग को चाट'ते हुए, नीचे से टॉप पर पहुँची.... फिर स्नेहा ने पहले तो लिंग को अपने दोनो हाथों की मुट्ठी का बीच पकड़ा और ज़ोर से चमड़ी आगे-पीछे करने लगी .....


मनु गर्दन उँची किया स्नेहा के सिर पर हाथ रखा.... और ... "सस्स्स्स्स्स्सिईईईई, उफफफफफफफफफ्फ़... ओह" करने लगा.

"डार्लिंग... अब मुझे भी मलाई रस पिलाओ".... कहती हुई स्नेहा ने मनु के लिंग को अपने मूह मे डाल लिया ... और बड़ी तेज़ी से चूसने लगी... मनु भी स्नेहा के बाल पकड़ कर उसे ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा.... थोड़ी देर बाद मनु भी "सुउुउऊहह.... लूऊओ .... आअ र रहा है"......


तेज सिसकारी के साथ, मनु ने स्नेहा के सिर को अपने लिंग पर दबा दिया.... और कमर से तेज-तेज झटके देने लगा...... पूरा कम स्नेहा के मूह मे उडेल दिया... जो मूह के साइड से लार के साथ निकलने लगा....


कम निकालने के बाद मनु भी खुद मे काफ़ी हल्का महसूस करने लगा. ठंडे पड़े लिंग को स्नेहा अब बॉल्स के साथ मूह मे डाल कर चूस रही थी..... थोड़ी ही देर मे लिंग फिर से आकार लेने लगा.... कुछ देर लिंग चूसने के बाद स्नेहा पिछे हटी ... और कहने लगी....


"इसस्शह मनु... अब अंदर की आग बुझा दो... डाल भी दो"....
 
बंधु एक कहावत हमें भी याद आ गई है हम भी सुना देते हैं

जंगलतंत्र

प्यास बुझाने की चाहत में नदी तट पर पहुंची बकरी वहां मौजूद शेर को देख ठिठक गई. शेर ने गर्दन घुमाई और चेहरे को भरसक सौम्य बनाता हुआ बोला—‘अरे, रुक क्यों गई, आगे आओ. नदी पर जितना मेरा अधिकार है, उतना तुम्हारा भी है.’

शेर की बात को बकरी टाले भी तो कैसे! उसने मौत के आगे समर्पण कर दिया. जब मरना ही है तो प्यासी क्यों मरे. यही सोच वह पानी पीने लगी. पेट भर गया. शेर ने बकरी को छुआ तक नहीं. बकरी चलने लगी तो शेर ने टोक दिया—‘तुम कभी भी, कहीं भी बिना किसी डर के, बेरोक–टोक आ जा सकती हो. जंगल के लोकतंत्र में सब बराबर हैं.’ बकरी डरी हुई थी. शेर ने जाने को कहा तो फौरन भाग छूटी. देर तक भागती रही. काफी दूर जाकर रुकी—

‘मैं तो नाहक की घबरा गई थी. शेर होकर भी कितने अदब से बोल रहा था. यह सब लोकतंत्र का कमाल है. पर लोकतंत्र है क्या….? क्या वह शेर से भी खतरनाक है? बकरी सोचने लगी. पर कुछ समझ न सकी.

तभी उसे दूसरी ओर से बकरियों का रेला आता हुआ दिखाई दिया. आगे एक सियार था. कंधे पर रामनामी दुपट्टा डाले. तिलक लगाए. वह गाता हुआ बढ़ रहा था. पीछे झूमती हुई बकरियां जा रही थीं.

‘हम जिन भेड़िया महाराज के दर्शन करने जा रहे हैं. वे पहले बहुत हिंस्र हुआ करते थे. बकरियों पर देखते ही टूट पड़ते. जब से परमात्मा की कृपा हुई है, तब से अपना सबकुछ भक्ति को समर्पित कर दिया है.’ सियार ने बकरी को समझाया.

बकरी शेर का बदला हुआ रूप देख चुकी थी. उसने भेड़िया के पीछे मंत्रामुग्ध–सी चल रहीं बकरियों पर नजर डाली.

‘आज शेर कितना विनम्र था. संभव है भेड़िया का भी मन बदल गया हो. वह पीछे–पीछे चलने लगी. एक स्थान पर जाकर भेड़िया रुका. बकरियों को संबोधित कर बोला—

‘यह काया मिट्टी की है. इसका मोह छोड़ दो. संसार प्रपंचों से भरा हुआ है. देह मुक्ति में ही आत्मा की मुक्ति है.’

उसी समय दायीं ओर से शेरों की टोली ने प्रवेश किया. बकरियां उन्हें देखकर डरीं, परंतु गीदड़ का प्रवचन चलता रहा—

‘डरो मत! यह मौत जीवन का अंत नहीं है. इसके बाद भी जीवन है. बड़े सुख के लिए इस देह की कुर्बानी देनी पड़े तो पीछे मत रहो.’ इस बीच बायीं ओर भेड़ियाओं का समूह दिखाई पड़ा तो सियार ने प्रवचन समाप्त होने की घोषणा कर दी. बकरियां उसके सम्मोहन से बाहर निकलने का प्रयास कर ही रही थीं कि दायें–बायें दोनों ओर से उनपर हमला हुआ. शेर और भेड़िया एक साथ उनपर टूट पड़े. एक भी बकरी बच न सकी. थोड़ी देर बाद जंगल का राजा शेर झूमता हुआ वहां पहुंचा.

‘जन्मदिन मुबारक हो जंगल सम्राट.’ भेड़िया और शेर सभी ने एक स्वर में कहा. सियार एक कोने में खड़ा था.

‘महाराज, पहले हम जब भी हमला करते थे तो बकरियां विरोध करती थीं. आज सियार ने न जाने क्या जादू किया कि विरोध की भावना ही नदारद थी. इस शानदार दावत के लिए इसको ईनाम मिलना चाहिए.’ शेर और भेड़िया ने जुगलबंदी की.

‘हमने सोच लिया है, आज से ये जंगल के मंत्री होंगे.’ जंगल के सम्राट ने गर्वीले अंदाज में कहा. इसी के साथ पूरा जंगल ‘जन्मदिन’ और ‘मंत्रीपद’ की मुबारकबाद के नारों से गूंजने लगा.

सियार अगले ही दिन से दूसरे जानवरों को फुसलाने में जुट गया. मंत्री पद बचाए रखने के लिए यह जरूरी भी था.
 
कम निकालने के बाद मनु भी खुद मे काफ़ी हल्का महसूस करने लगा. ठंडे पड़े लिंग को स्नेहा अब बॉल्स के साथ मूह मे डाल कर चूस रही थी..... थोड़ी ही देर मे लिंग फिर से आकार लेने लगा.... कुछ देर लिंग चूसने के बाद स्नेहा पिछे हटी ... और कहने लगी....


"इसस्शह मनु... अब अंदर की आग बुझा दो... डाल भी दो"....


मनु हँसते हुए कहने लगा.... "दोनो पाँव दोनो सीट पर डाल कर खिड़की की रोड पकड़ लो"


स्नेहा भी अपने दोनो पाँव फैला कर दोनो सीट पर डाली और खिड़की के रोड को पकड़ ली.... ठंडी हवा के झोंके स्नेहा के चेहरे बूब्स और खुले बदन पर पड़ने गये... कुछ ही पल मे उसके दाँत किट-किट बजने लगे... जोश भी, इस ठंड के साथ ठंडा पड़ रहा था ...


तभी मनु अपने लिंग को योनि से रगड़ते एक ही झटके मे पूरा अंदर कर दिया ....

"आहह .... माआअंनूऊऊुुुुउउ"


फिर मनु नही रुका ... वो स्नेहा के कमर पकड़ कर उसे ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा.... स्नेहा रोड पकड़े, हर धक्के पर पूरा हिल रही थी .. और ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी....


स्नेहा के पाँव जैसे अकड़ से गये हो उतना फैलाए-फैलाए... वो फिर मनु को हटने के लिए कही ... और जा कर लोगों के उपर ही उल्टी लेट गयी .... स्नेहा के नंगे जिस्म के नीचे कई लोग थे ... जिस्म की गर्मी से वो और भी ज़्यादा पागल होती, स्नेहा ज़ोर-ज़ोर से कहने लगी.... "ओह फक मी हार्डएर्र बाबयययययययी.... कॉंईए ओन्णन्न् फक्क्क-फक्क्क फक्क्क्क"


अजीब है सेक्स का सुरूर... इतने लोगों के बीच लाइट ऑन कर के ... और कोई डर नही.... धक्कों की रफ़्तार उत्तेजना के हिसाब से ही पूरे चरम पर थी... स्नेहा का पूरा बदन अंजाने लोगों के बदन से घिस रहा था.... और वो अपनी कमर हवा मे उछाल-उछाल कर सेक्स का भरपूर मज़ा लेने लगी.


सुबह ... लोगों को बेहोश छोड़ कर ही दोनो मुंबई उतर गये.... एक तूफ़ानी रात स्नेहा बिता कर आ रही थी.... सेक्स का ऐसा अनुभव उसे आज तक नही हुआ..... दोनो रात वाली हरकतों पर खूब हंस-हंस कर चर्चा करने के बाद ... स्नेहा मनु से पुछ्ने लगी..... "बॉस अब क्या वापस देल्ही चले"


मनु..... नही बाबा... अभी तो मुंबई मे हमे काया से मिलना है...


स्नेहा बड़ी सी आँखें करते हुए ... बारे आश्चर्य से ज़ोर से कही ...... " क्या .... काया.... पर क्योँन्न"


मनु.... क्योंकि अभी तो तीर छोड़ना शुरू करूँगा ... और पहले तीर की शुरुआत काया से ही होगी......


स्नेहा.... ह्म्म्म्म ! मतलब आप सेक्स फॅंटेसी मे नही .... बल्कि मुंबई शिकार खेलने आए हैं...


मनु.... नोट एग्ज़ॅक्ट्ली जानेमन.... मैने कहा मैं सिर्फ़ काया से मिलूँगा... उस से ज़्यादा कुछ नही ... अब सोचना बंद करो ... आगे और भी बहुत से काम हैं हमे .....


मनु और स्नेहा दोनो काया के बंग्लॉ मे घुसे .... और जैसे ही हॉल के अंदर आए वहाँ का पूरा महॉल ही शॉकिंग हो गया.... उम्मीद से परे थे ये ... जिसकी कल्पना ना तो मनु ने और ना ही काया ने की थी.... और बाकी का भी कुछ ऐसा ही हाल था.....



महॉल बिल्कुल शांत सा हो गया... स्नेहा ने जब वहाँ मौजूद लोगों को देखा तो चुप-चाप जा कर मनु के पिछे खड़ी हो गयी..... हॉल मे काया अपनी माँ और मनु की सौतेली माँ अमृता और पापा हर्षवर्धन के साथ थी....


काया...... मुझे कोई उम्मीद नही थी कि आप यहाँ आओगे, चले जाओ आप... मेरी ज़रूरत पर आए नही, और जब कोई उम्मीद नही तो चौका दिया.
 
मनु, काया की बात सुन कर वहाँ से चुप-चाप जाने लगा, तभी काया दौड़ कर उसके गले लगती हुई..... "भाई, यूँ अचनाक, अच्छा सर्प्राइज़ दिया, वैसे मैं अब भी नाराज़ हूँ"


मनु..... सर्प्राइज़्ड तो मैं हो गया, मोम-डॅड आप दोनो कब आए...... मुझे किसी ने कुछ बताया भी नही...


अमृता.... बताया तो तुम ने भी नही मनु, तुम यहाँ आ रहे हो. वैसे यूँ, इस तरह काया से मिलने आए, बड़े आश्चर्य की बात है...


काया.... भाई है मेरे, कभी भी आ सकते हैं, आप भी ना मोम.... वैसे भी अब मैं जाउन्गी भाई के साथ घूमने.....


हर्षवर्धन..... पर काया बेटा, वो अभी सफ़र से आया है, और उसकी हालत भी ठीक नही लग रही...


मनु.... नही डॅड मैं तो फिट हूँ, पर काया मैं नही चल सकता तेरे साथ.... मैं तो बस तुझे देखने चला आया था.....


काया.... हुहह ! मुझे कुछ नही सुन'ना, आप मुझे यहाँ आधे घंटे मे फ्रेश हो कर मिलो, बससस्स .. नो आर्ग्युमेंट .....


मनु, काया की बात मान कर चला गया, उसके साथ-साथ काया भी स्नेहा को ले कर उसे उसका फ्रेश होने के लिए कमरा दिखाने ले जाती है... इधर, हर्षवर्धन मूलचंदानी और अमृता दोनो आपस मे....


अमृता.... हर्ष, ये यहाँ क्या कर रहा है.... ज़रूर तुम ने ही बताया होगा...


हर्षवर्धन.... मुझे क्या पता मनु यहाँ क्या कर रहा है.... ट्रॅवेल एजेंट ने तो बताया भी नही इसकी कोई मुंबई की टूर प्लान है....


अमृता..... दोनो को साथ जाने से रोको, वरना कहीं बातों-बातों मे काया ने हमारी बात बता दी तो लेने के देने पड़ जाएँगे....


हर्षवर्धन..... नही काया उस से कुछ नही बताएगी, वैसे भी काया जब मनु के साथ होती है तो उन-दोनो को अपनी बातों के सिवा कुछ और सूझता ही कहाँ है...


अमृता.... पता नही ये मेरी ही बेटी है या हॉस्पिटल मे बच्चा बदल गया था.... ये हमारी तरह उस से कटी-कटी क्यों नही रह सकती. खा-म-खा उसे बाहर ले जा कर हमारी परेशानी बढ़ा रही है.


हर्षवर्धन.... चुप करो वो आ रही है.....


काया के आते ही वहाँ का महॉल शांत हो जाता है...... फीकी मुस्कान हँसती, अमृता बोलने लगी..... "काया मैं क्या सोच रही थी, चलो हम सब शॉपिंग करने चलते हैं".


काया..... नही मैं भाई के साथ जाउन्गी...


अमृता..... मनु के साथ फिर कभी चली जाना, कितने अरमान से तुम्हारे लिए टाइम निकाल कर आए हैं, और तुम हो कि हमारे साथ जाने से मना कर रही हो....


काया..... आइ लव यू मोम, आइ लव यू डॅड.... पर आप को नही लगता कितना अजीब है, आप को अपनी बेटी के लिए टाइम निकाल कर यहाँ आना पड रहा है. यही अंतर है आप मे और भैया मे. वेल थॅंक्स फॉर युवर टाइम, बट सॉरी मैं आप लोगों के साथ नही आ सकती....


काया की बात सुन कर, अमृता पूरी तरह से गुस्सा हो जाती है, लेकिन अपने गुस्से को काबू कर के शांत बैठ जाती है.... थोड़ी देर बाद मनु भी हॉल मे आ जाता है और काया उस के साथ चली जाती है.....


घर पर ... हर्षवर्धन-अमृता और स्नेहा...


हर्षवर्धन.... सो स्नेहा तुम लोगो कोई नये कांट्रॅक्ट के लिए यहाँ आए हो...


स्नेहा.... नो सर, मनु सर को केवल काया मैम से मिलना था, और मिल कर हम वापस चले जाते...


अमृता..... तुम झूठ तो नही बोल रही. देखो मनु, काया के साथ गया है, और वो अपने सारे काम छोड़ सकता है पर काया जब तक कहेगी तब तक वो उसके साथ रहेगा. वैसे भी उसके सारे कांट्रॅक्ट तो हाथ से निकल गये, अब यदि काम नही होगा उसके पास तो उसकी कंपनी डूब जाएगी ना, इसलिए पूछ रही हूँ... यदि किसी कांट्रॅक्ट के लिए आए हो तो बता दो, हर्ष फ्री हैं वो चले जाएँगे...


स्नेहा... नो मैं, मैं सच कह रही हूँ. सर यहाँ किसी काम से नही केवल काया मैम से मिलने आए थे......
 
इधर काया और मनु....


काया.... भाई आप ने चौका दिया, फोन कर के नही आ सकते थे....


मनु.... मन किया चला आया, अब क्या मैं फोन करूँ तुझे, बता...


काया.... और मैं कहीं बाहर होती तो....


मनु..... तो तू मुझे बता कर जाती. वैसे मुझ पर इतना गुस्सा किस बात पर थी, और यूँ अचानक ले कहाँ जा रही है...


काया.... सब पता चल जाएगा चलो तो सही....


कुछ ही देर मे दोनो एक रेस्टौरेंट मे थे... और उन दोनो के टेबल पर एक लड़का आ कर बैठ गया.....


काया... भैया इन से मिलो....


मनु बीच मे ही बात काट'ते हुए..... ये हैं मिस्टर नॉमिन घोसाल, सन ऑफ मिस्टर. सचिन घोसाल...


नॉमिन... हा हा हा, काया हम पहले मिल चुके हैं...


काया.... हुहह ! मेरा सर्प्राइज़ तो सर्प्राइज़ रहा ही नही, जानते हो तो अब बैठ के दोनो बातें करो मैं चलती हूँ....


मनु.... बस भी कर पगली, नोमिट क्या सोचेगा हमारे बारे मे...


काया.... आप के बारे मे कुछ सोचा तो उड़ा दूँगी, आख़िर मेरा फ्यूचर हज़्बेंड है....


मनु पूरा शॉक्ड हो गया..... "क्या ये कब हुआ, मुझे किसी ने बताया क्यों नही"


काया.... कल ही तो सब तय हुआ है... और मैं नाराज़ भी थी, मोम-डॅड आए और आप नही...


मनु फीकी सी मुस्कान के साथ... "कोई बात नही कोंग्रथस बोत ऑफ यू... कल मैं आक्च्युयली थोड़ा परेशान था इस वजह से नही आ पाया... वैसे गुस्सा तो मुझे होना चाहिए...


काया.... अच्छा वो क्यों भला.....


मनु..... "क्योंकि मैं नही आ सका तो क्या हुआ, तुम तो मुझे बता सकती थी".


काया अपने कान पकड़ती.... "सो सॉरी भाई, वो सब कुछ इतना अचानक हो गया कि मैं भूल गयी"


नॉमिन... लगता है मैं दोनो भाई-बहन के बीच आ गया.... मुझे चलना चाहिए....


काया.... हां ये सही कहे... हहहे, ... तुम्हारा कोई काम नही, मैं अब भाई के साथ ये पूरा दिन बिताउन्गी....


मनु.... सॉरी नॉमिन, हट पागल कोई ऐसे बात करता है क्या....


नॉमिन.... इट'स ओके मनु, कोई बात नही..... मैं वैसे भी ऑफीस जा रहा था...


काया.... ओये, यदि मुझ से शादी करनी है तो भाई को भैया बुलाओ. इतना भी किसी ने नही सिखाया क्या, घर मे बड़ों से कैसे बात करते हैं. और हां कोई बिज़्नेस वाला रीलेशन नही है, इनके पाँव भी छुने होंगे....


मनु.... नॉमिन इसकी बातों का बुरा मत मान'ना ... मुझे ले कर कुछ ज़्यादा ही सीरीयस रहती है...


काया... हुहह ! सही ही कही हूँ मैं... कोई ग़लत बात नही बोली.....


मनु, काया को खींच कर बाहर ले आया.... "क्या तरीका है ऐसे किसी से बात करने का, वैसे भी रेस्पेक्ट अर्न की जाती है, उससे ज़बरदस्ती हाँसिल नही किया जाता"


काया.... आप इसमे कुछ नही बोलो, वरना समझ लो आप की मेरी कट्टी. खा-म-खा डाँट दिया उस लंगूर के लिए... उस से अब शादी कॅन्सल ...


मनु ने उसे कुछ भी ऐसा करने से मना कर दिया. दोनो भाई-बहन साथ मे ही घूमे सारा दिन,

और शाम को स्नेहा के साथ मनु मुंबई से देल्ही रवाना हो गया....

...........................................
 
स्नेहा.... "मनु, तुम्हारी सौतेली माँ को तो तुम्हारी बहुत फ़िक्र है".... फिर स्नेहा ने घर पर हुई सारी बातें बता दी.....


मनु.... जानती हो काया की शादी फिक्स हो गयी, और शादी कहाँ तय हुई है पता है...


स्नेहा.... कहाँ...


मनु... घोसाल ग्रूप ऑफ कपम्पनीएस के ओनर सचिन घोसल के बेटे नॉमिन से....


स्नेहा.... हा हा हा, मतलब तीर आप छोड़ने गये थे या उल्टा तीर खाने...


मनु.... शॉकिंग तो है बेबी, पर इन सब चक्कर मे उन लोगों ने काया को घसीट कर अच्छा नही किया.....


स्नेहा... वैसे एक बात पर ध्यान दिया आपने... कल ही आप की भी शादी फिक्स हुई...


मनु... ह्म ! इस बात पर मेरा ध्यान गया नही .... स्नेहा ज़रा पता करो कल वंश और राजीव किधर थे....


दोनो के बारे मे पता करने के बाद..... "मनु कल के दिन की कोई खबर नही ये दोनो कहाँ थे कल, इनफॅक्ट परसो की भी इन्फर्मेशन नही. ऑफीस स्टाफ मे से किसी ने ना तो वंश सर को देखा और ना ही राजीव सर को".


"ह्म ! इसका मतलब मैं इन सब से एक कदम पीछे रह गया. अच्छा कोई बात नही, एक काम करो... सारे बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स को मेसेज कर दो.... ऐज पर हिज़/हर चाय्स, आइदर ही/शी कॅन टेकोवर और मर्ज माइ कॉप्नीस... दा बिड ईज़ ओपन टूमारो फ्रॉम 12:00 पीयेम"


इधर काया के बिहेव को ले कर अमृता, हर्षवर्धन पर बरसती हुई कह रही था..... "ये दिन मुझे तुम्हारे कारण देखना पड़ रहा है हर्ष, सिर्फ़ तुम्हारी वजह से मेरी बेटी उस सन ऑफ बिच के इतने करीब है. काया की ज़िंदगी से उसे हटाओ, वरना मुझ से बुरा कोई नही होगा".....
 
मुंबई के एक पब मे


जिया अपनी दोस्त नताली के साथ बैठी, वोड्का का सीप ले रही थी. जिया और नताली, दोनो का साथ काफ़ी लंबे समय से था, और दोनो अपनी हर तरह की बातें शेर करती थी. नताली, रौनक की तरह ही बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स मे से एक वंश पटेल की बेटी थी.


सेक्सी, स्टाइलिश, हॉट, और अपनी अदाओं से जादू चलाने वाली दोनो बालाएँ, अक्सर साथ पाई जाती थी. इस वक़्त भी दोनो पब मे बैठे, वोड्का के टकीला शॉट लगा रही थी....


जिया.... व्हाट दा फक... जी करता है अपने बाप पर केस कर दूं...


नताली.... तू एक्सट्रा हॉट क्यों हो रही है, पब मे आग लग जाएगी....


जिया.... यार, सारे जहाँ मे मेरे डॅड को बस वो बंदर ही मिला था शादी के लिए. अब वो फोर्स कर रहे हैं शादी के लिए हां कर दूं.... यार शादी, और अभी... अभी तो ज़िंदगी को जिया ही कहाँ है...


नताली.... तो मना कर दे ना, बोल दे तेरा पहले से एक बाय्फ्रेंड है और तू उसी से शादी करेगी....


जिया..... बाय्फ्रेंड माइ फुट, डॅड ने पहले मुझ से बारे मे प्यार से पुछा था...


नताली एक सीप लेती... हुन्न हुन्न क्या ???


जिया.... तुम्हारा कोई बाय्फ्रेंड है, जिस से तुम शादी करना चाहती हो....


नताली.... फिर क्या कहा तूने....


जिया..... मैं क्या कहती, मैने सोचा इन्हे मेरी शादी की कहीं फ़िक्र ना हो रही हो, मैने मना कर दिया....


नताली.... हहहे.... तू ग्लास खाली कर... मैं अभी वॉश रूम से आई...


जिया टेबल पर बैठी कुछ सोच ही रही थी, तभी उस टेबल पर एक हॅंडसम सा लड़का आ कर बैठा... माचो मॅन की पर्सनालटी... बिल्कुल किसी मॉडेल की तरह दिखने वाला....


लड़का.... हेलो सेक्सी, आइ आम पार्थ...


जिया.... आइ आम नोट इंटरेसटेड, प्लीज़ डॉन'ट डिस्ट्रब मी...


तभी नताली वहाँ पहुँचती है.... "क्या हो गया जिया, ये हॅंडसम कौन है"


जिया, चिढ़ती हुई.... तेरा बाय्फ्रेंड...


नताली.... कमाल है, मेरा बाय्फ्रेंड और मुझे ही पता नही...


पर्थ.... मुझे भी पता नही, तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो... हाई, आइ आम पार्थ...


नताली..... आइ'डी कार्ड दिखाओ तो मैं मानू...


पार्थ, उसे अपना कार्ड दिखाते.... नाउ यू बिलीव.. वैसे एक बात तो है... बोत ऑफ यू डॅम हॉट... दूर से ही आग लग गयी थी....


नताली.... हहहे... थॅंक्स.. वैसे यहाँ स्वीमिंग पूल नही, इसलिए सावधानी से जलना....


जिया.... हुहह... यहाँ मैं परेशान हूँ... और तू है कि फालतू की गॉसिप मे लगी है.....


पार्थ.... किस तरह की परेशानी जिया...


नताली..... इसके डॅड ने इसकी शादी फिक्स कर दी है और ये करना नही चाहती....


जिया..... एक स्ट्रेंजर से तू आज सब डिसकस कर ले नताली... तुम जाओ यार यहाँ से...


पार्थ..... मुझे समझ मे नही आता, तुम जैसी हॉट & सेक्सी गर्ल शादी का नाम सुन कर ऐसे ओवर रिक्ट क्यों करती है....


जिया..... व्हाट दा फक ! व्हाट डू यू मीन...


पार्थ.... आइ मीन टू से मिस.... पब शादी के बाद भी रहेगा, ड्रिंक तब भी होंगे, और तुम्हारी सेक्सी अदाओं पर मिटने के लिए मुझ जैसा हॅंडसम तब भी होगा. कौन सा मीना कुमारी की तरह घूँघट डाल कर तुम पब आओगी.... मॅरेज इस जस्ट लाइक आ कांट्रॅक्ट, करना भी पड़े तो इसमे इतना पॅनिक होने की ज़रूरत नही... उल्टा बहुत से फ़ायदे हैं...


जिया.... फ़ायदा, वो कैसे....


पार्थ.... पति पसंद ना आया, तो मैं तलाक़ करवा कर उसकी आधी दौलत दिलवा दूँगा.... आख़िर तुम्हारा ये लॉयर कदरदान किस दिन कम आएगा....


जिया.... क्वाइट इंटरेस्टिंग हां ! तो तुम लॉयर भी हो...


पार्थ.... हुआ नही, अपकमिंग हूँ....


नताली..... मुझे लगता है किसी और को जाय्न करना चाहिए....


जिया..... तेरी मर्ज़ी है....


पार्थ..... सो जिया, एक ड्रिंक हो जाए...


जिया.... हहे, ओके पार्थ बट सिर्फ़ एक....
 
दोनो ने टोस्ट कर के एक जाम साथ मे पिया. फिर पार्थ उससे इन्सिस्ट करते डॅन्स फ्लोर तक ले गया. दोनो एक दूसरे की कमर मे हाथ डाले, म्यूज़िक पर दोनो के पाँव थिरकाते रहे. पार्थ के हाथ जिया की कमर से नीचे पूरे बॅक से से होते हुए उसके पीठ पर फिर रहे थे.


थोड़े देर दोनो एक दूसरे से चिपके, डॅन्स करने के बाद, जिया उसके कानो को पॅसशॉंट्ली काट'ती हुई धीरे से कान मे कही.... "टेक मी अवे पार्थ"


पार्थ उसके होंठो को चूम कर उसकी बॅक को स्मूच किया, और दोनो वहाँ से निकल कर कार मे आ गये.... कार सीधे जा कर एक फ्लॅट मे रुकी... और दोनो जैसे ही अंदर आए... एक दूसरे के होंठो से होंठ लगा कर चूमना शुरू कर दिए....


पर्थ के होंठो को दाँतों तले दबा कर जिया ने बड़ी तेज़ी से उसकी टी-शर्ट उतार दी. टी-शर्ट उतार कर उसके नंगे जिस्म पर पूरे होंठ चलाती उसके कंधे पर एक ज़ोर की बाइट की और उसकी पीठ पर अपने नाख़ून गढ़ा कर उसे छिलती हुई, नीचे तक ले आई....


"ओह्ह्ह्ह ... ज़ियाआअ".... करता पार्थ दर्द और मज़े के साथ आवाज़ निकाल दिया. उस ने भी जिया के बदन से तेज़ी से सारे कपड़े निकाल दिए, और उसकी गर्दन पर किस और बाइट करने लगा.... जिया ने उसे धक्के दे कर बिस्तर पर लिटा दिया.... और टाँगो को फैला कर उसके बदन के दोनो ओर करती उसके उपर चढ़ गयी.....


पहले उसके होंठो को अपने होंठ तले दबा कर उसे जोरदार किस की... फिर होंठ नीचे सरकाती, उसकी ठुड्डी पर बाइट किए. होंठ फिर उसके सीने पर ले कर आई... और सीने को चूमती, उसके निपल को अपने दाँतों तले दबा कर, उसे बाइट करने लगी....


पार्थ की आखें जो मस्ती मे बंद थी, वो हल्के दर्द से खुल गयी... वो जिया के बॅक को पूरी टाइट्ली होल्ड करते... उसे पूरे ताक़त से स्मूच किया....

"आहह" की एक सुकून भरी आह जिया के होंठो से निकली.... और वो निपल को बाइट करती... धीरे-धीरे पेट पर अपने होंठ फिरा, बाइट करती नीचे क्मर तक आई.....


कमर के बेल्ट को बड़ी तेज़ी से खींचती, जिया उसे निकाल दी. पार्थ उठ कर बैठना चाहा, पर उसके सीने पर हाथ रख कर उससे धक्के दे कर फिर से लिटा दी.... जल्द ही उसके पॅंट और अंडरवेअर दोनो को निकाल कर फर्श पर फेक दी....


पार्थ बिस्तर पर लेटा, तेज-तेज साँसे ले रहा था.... जिया उसके नीचे के पूरे खुले हिस्से को अपने आखों से ताड़ने के बाद, हौले से उस पर अपने नाख़ून फिराई.... जिया के हाथों का एहसास होते ही लिंग मे एरेक्षन शुरू हो गया....


जिया देर ना करती उसे अपने हाथो मे ले कर, पहले तो उसके भींच-भींच कर बड़ी तेज़ी से उपर नीचे करने लगी.... उफफफ्फ़ साँसे अटक सी गयी पार्थ की.... उसके बदन मे पूरे आग लग गया... वो उठ कर बैठ गया, और अपनी खुली आखों से देखने लगा.... कैसे जिया अपने अपने बड़े-बड़े नखुनो वाले हाथ से उसके लिंग को बड़ी ही ज़ोर से उपर नीचे कर रही है....

जिया देर ना करते हुए उसे अपनी हाथो मे ले कर, पहले तो उसको भींच-भींच कर बड़ी तेज़ी से उपर नीचे करने लगी....

उफफफ्फ़ साँसे अटक सी गयी पार्थ की.... उसके बदन मे पूरे आग लग गया... वो उठ कर बैठ गया, और अपनी खुली आखों से देखने लगा.... कैसे जिया अपने अपने बड़े-बड़े नखुनो वाले हाथ से उसके लिंग को बड़ी ही ज़ोर से उपर नीचे कर रही है.


थोड़ी देर लिंग को हाथों से खेलने के बाद अपने सिर को नीचे झुकाई... पूरा कमर पर जिया के सिर के बाल बिखरे पड़े थे और उसके नीचे वो लिंग को अपने हाथों मे पकड़ कर .. पहले तो उस पर अपनी पूरी जीभ फिराई....


फिर उसे अपनी लार से गीला कर के, उसके स्किन को पिछे भीची, और आगे के टिप पर अपने जीभ गोल-गोल फिराने लगी.... पार्थ तो दोनो हाथों को बस्तर से टिका... ज़ोर से आहें भरने लगा.... जिया आगे बढ़'ती लिंग को पूरा अपने मूह मे गॅप से ले ली, और अपनी उत्तेजना के हिसाब से, कभी धीमे तो कभी ज़ोर से... उसे लगातार चुस्ती चली जा रही थी....
 
जान तो तब निकल जाती पार्थ की जब लिंग के नीचे जिया अपने हाथ लगा कर अपने नाखूनों को ज़ोर से उस पर गढ़ा कर एक इंच आगे खुसकाती.... और दाँतों के बीच लिंग को दबा देती.... पल मे ही रोम-रोम पूरा झनझना जाता.... उत्तेजना पर दर्द हावी होता और अगले ही पल फिर से मज़ा....


जिया उपर आ कर पार्थ की गोद मे बैठ गयी... और अपने ब्रेस्ट को उसके सीने पर रगड़ती, उसके बालों को खींच कर उसकी गर्दन पर बाइट करने लगी.... पार्थ भी पूरे उत्तेजना मे आया, जिया की कमर के नीचे हाथ लगाया और अपनी कमर को गोल-गोल हिलाने लगा....


जिया, पैंटी के उपर पड़ रहे लिंग के दबाव से थोड़ी और उत्तेजना मे आ गयी ... वो अपने घुटनो पर बैठ कर अपने सीने को उपर की, और ब्रा से अपने बूब्स को आज़ाद करती एक बूब्स को पार्थ के मूह मे डाल कर अपने दूसरे बूब्स को अपने हाथों से बारे ज़ोर से मसलने लगी....


पार्थ भी बूब्स को मूह मे लेते ही उसे पूरा मूह मे भर लिया... उसके बूब्स को मूह के जितना अंदर ले सकता था, उतना अंदर लिया. उस पर दाँत को पूरा गढ़ा कर, दाँतों की पकड़ को खिसकाता धीरे धीरे निपल तक लाने लगा....


"ओह पर्थह".... मीठा सा दर्द पैदा होने लगा... जिया अपनी ऐसी उत्तेजना मे थी, कि धीरे तो उसे पसंद ही नही था, ऐसी ज़ोर आज़माइश उसके मज़े को और दुगना कर रही थी...


जिया अपने दोनो हाथ पार्थ के सिर पर डाल अपने सीने को और ज़ोर से पर्थ के मूह पर दबाने लगी. पर्थ भी और जोरों से उसके बूब्स को सक करते हुए बाइट करने लगा.... नीचे पार्थ के हाथ पीछे पैंटी के अंदर डाले, उसके बॅक को बेस बना कर स्मूच कर रहे थे....


पार्थ बूब्स को मूह मे भरे.... उसे ज़ोर-ज़ोर से काट'ते और चूस्ते, अब अपने हाथ की उंगलियों को बॅक की दरार से होते... अपनी एक उंगली को योनि मे और दूसरे को उसके आस होल मे डाल कर उसे तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा.....

"आहह" की एक लंबी सिसकारी जिया के मूह से निकल गयी.... अंदर वो पूरी तरह वेट हो चुकी थी.


कमर उसकी अपने आप हिलने लगी.... सिने को और कस कर उसके मूह पर दबाने लगी... "उफफफफफफफफ्फ़, आहह".... करती जिया, कभी अपना पूरा सिर हिला कर दाएँ-बाएँ कर रही थी, तो कभी पर्थ के बालों को भींच रही थी.....


अचानक ही जिया का बदन अकड़ने सा लगा, वो पार्थ के बाल को पकड़ कर अपने सीने से और ज़ोर से चिपका ली.... और पूरे बाल को मुट्ठी मे भिंचे ज़ोर की सिसकारी अपनी उखड़ती सांसो के साथ निकली.... "इस्शह"


पार्थ अब भी अपने हाथ, उसकी योनि और आस होल मे डाले तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था, और उसके बूब्स को अपने होंठो मे दबा ... उसे ज़ोर-ज़ोर से निचोड़ रहा था.... जिया निढाल पड़ी, कुछ देर अपने चरम को सुकून से एंजाय करने के बाद, अपने बूब्स को मूह से निकाली, और पार्थ के सीने पर अपने नाख़ून गढ़ा कर उससे नीचे तक छिल्ति.... धक्के दे कर लिटा दी....


एक दम से तेज जलन हुआ पार्थ को..... "जंगली.... पूरा छिल दिया... उफफफफ्फ़"


जिया, उस की आखों मे देखती.... "एंजाय हार्ड फक बेबी"..... इतना कहते ही जिया उसके सिर के दाएँ-बाएँ पाँव रख कर खड़ी हो गयी...... अपनी कमर को रोल करती बड़ी अदा से अपनी पैंटी को अपने पाँव से निकाली, उसे पाँव से अंगूठे मे दबा कर ... अपने हाथों मे ली, और पार्थ के मूह पर फेंक दी....


पार्थ उस की खुश्बू ले कर, जैसे ही अपने चेहरे से हटाया, जिया अपने घुटनो के बल बैठ कर अपनी कमर को उसके चेहरे से हल्का उपर रखी..... पर्थ के सिर को नीचे से पकड़ कर उठाई और अपने योनि से टिका दी....


पार्थ भी अपने हाथ, उसके दोनो बॅक पर डालता, उसे पकड़ कर बेस बना लिया... और अपनी जीभ को उसकी योनि से डाल, योनि के क्लिट को अपने दाँतों तले दबा लिया.... "अऔचह, उफफफफफफफफफफफ्फ़... सक इट बाबययययी"..... "उफफफफफफफ्फ़... सक्क इट्ट्ट"


जिया अपनी कमर और बदन को प्युरे हवा मे लहराती, गोल-गोल घुमाने लगी...... और अपने सीने पर हाथ लगाती, अपने बूब्स मसलने लगी.... पार्थ अब भी बॅक पर हाथ लगाए वो जीभ को योनि के अंदर फिराता... क्लिट को दाँतों तले दबाए उस पर हल्का-हल्का बाइट कर रहा था....


धीरे-धीरे... अपने पाँव को पूरा रिलॅक्स देती, जिया अपने पाँव फैला कर पूरा भार उसके चेहरे पर दे दिया..... पार्थ ने अपने दोनो हाथों से उसके बॅक को पकड़ कर थोड़ा उपर किया... और फिर से बड़ी तेज़ी से योनि को चूसने और उस पर अपने दाँत गढ़ाने लगा....


जिया मस्ती मे अपने कमर हिलाती, अपने हाथों को पिछे ले गयी, और उसके लिंग को पकड़ कर, उसे ज़ोर-ज़ोर से मुट्ठी मे भिचने लगी..... "टेक मी हाइअर्र्र... बेबी.... ओह ... सक इट हार्ड... टेक मी हार्डर.... हाइयर..... उफफफफफफफफफफ्फ़"
 
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