hotaks444
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अगली सुबह... कानपुर मे.....
आज फिर से मानस उसी ग्राउंड पर आया था. आज फिर से वही सब रिपीट हुआ, लेकिन आज जब मानस उस बेंच पर बैठा तो दृष्टि उठ कर गयी नही, बल्कि वो मानस के बॉडी लॅंग्वेज को अब्ज़र्व करने लगी. मानस, ड्रस्टी पर बिना कोई ध्यान दिए बेंच से टिका बैठा रहा, और गाने सुनता रहा...
"कमाल है, कल से जहाँ जा रही हूँ, वहीं ये मिल रहा है. हरकतें तो सरीफ़ जैसा ही हैं. दूसरे लड़कों की तरह, यहाँ किसी को घूर भी नही रहा. इत्तिफ़ाक़ है इसका मिलना, या ये कोई नाटक कर रहा है".
ड्रस्टी जब तक ये सब सोच मे लगी थी, तब तक मानस अपनी जगह से उठ कर बिना उसकी ओर देखे चुप-चाप अपना गाना सुनते चला गया.... "कितना अजीब है ये लड़का" ... ड्रस्टी भी उठ कर चली गयी. आज फिर से वही सब हो रहा था...
ड्रस्टी जिस शेरिंग ऑटो मे कॉलेज जाने के लिए बैठी, उसी ऑटो मे मानस भी बैठ गया.... "ये लड़का फिर से आज मेरे ही ऑटो मे. बुरखे मे ये मुझे कैसे जान गया. उस दिन भी बुरखे मे ही मिली थी, तो इसने जब देखा ही नही, तो मेरा पिच्छा कैसे कर रहा.... कुछ तो गड़बड़ है"
आज मानस उसे और परेशान करते हुए, उसके पिछे-पिछे कॉलेज के रास्ते पर चल दिया. ड्रस्टी के समझ से परे था कि मानस उसका पिच्छा कर रहा है या ये महज इत्तफ़ाक़ है. ड्रस्टी जैसे ही गाते से करीब 50 कदम की दूरी पर थी, कि उसे गेट पर पूर्वी दिख गयी.
पीछे मानस था, आगे पूर्वी... ड्रस्टी अपनी जगह पर रुकी और थोड़ी साइड हो कर पूर्वी को कॉल लगाने लगी. तब तक मानस आगे बढ़ गया था....
पूर्वी जैसे ही ड्रस्टी का कॉल देखी वो पिक अप करती एक कदम आगे बढ़ कर बिल्कुल गेट के सामने आ गयी.... और ठीक उसी वक़्त मानस भी उसके सामने कॉलेज के गेट पर पहुँचा...
पूर्वी कॉलेज गेट पर फोन को पिक-अप कर रही थी. उसके ठीक सामने मानस.... और दोनो को आमने सामने देख कर ड्रस्टी के मुँह से ... "या अल्लाह" निकल गया.....
ड्रस्टी के प्राण हलक मे थे. जिस पूर्वी को वो मानस से दूर रखने की कोसिस मे थी, आज उसी की वजह से वो मानस के सामने खड़ी थी. दोनो की नज़रें भी एक दूसरे से मिली, और दोनो ने एक दूसरे को देखा. ये देखने के बाद तो जैसे ड्रस्टी और भी ज़्यादा हैरान रह गयी.
मानस, पूर्वी को ऐसे देखा जैसे कोई अंजान लड़की उसके सामने खड़ी हो, और बिल्कुल वही रिक्षन पूर्वी का भी था. शॉक्ड, ड्रस्टी प्युरे शॉक्ड हो गयी. मानस ने पूर्वी को एक झलक देखा और इग्नोर करता आगे बढ़ गया. मानस जब उस जगह से चला गया, तब ड्रस्टी, पूर्वी के पास पहुँची...
पूर्वी.... हद है ड्रस्टी, मैं कब से यहाँ इंतज़ार कर रही हूँ, 15 मिनट पहले कही थी कि कॉलेज पहुँची और अभी आ रही है. और ये, एक तो तू ना ये काले कव्वे के भेष मे ना आया कर, पास से गुजर भी गयी होगी अभी तो पता ना चला होगा.
ड्रस्टी.... बस भी कर, कितना पटर-पटर करती है. अर्रे बाबा एमर्जेन्सी थी वॉशरूम मे जाना पड़ा, सॉरी बाबा. वैसे वो लड़का कौन था, जो अभी-अभी तुझे देखा और मुस्कुरा कर गया, और बदले मे तू भी सेम रेस्पॉंड की.
पूर्वी.... ये लो मैं किसी को देख कर मुस्कुराइ, ये बात मुझे ही नही पता. तेरा दिमाग़ खराब हो गया है. ज़रा बताएगी किसे देख कर मैं मुस्कुराइ.
ड्रस्टी.... अर्रे जब तू मेरा कॉल पिक करने गेट के सामने आई थी, तभी तो वो लड़का तुम्हारे सामने आया था, और उसे देख कर तुम भी मुस्कुरा रही थी.
पूर्वी.... तू ना थप्पड़ खाएगी. कौन लड़का, किस लड़के की बात कर रही है... यहाँ तो कई आए और गये, मैं क्या यहाँ खड़े हो कर सब को देखने आई थी.... हुहह ! तू बता मुझे यहाँ क्यों बुलाई थी.
ड्रस्टी.... हां छोड़ उसे, चल शॉपिंग करने चलते हैं.....
"ये तो कमाल हो गया, पूर्वी उसे एक बार देखी, और वो ठीक वैसा ही रिक्षन दे रही है जैसे राह चलते किसी को देख कर नोटीस नही करते. मानस ने भी उसे सामने से देखा... और उसने भी उसे अंजानो की तरह ट्रीट किया. आअन्ह्ह्ह्ह ! ये लड़का अब तो मुझे पागल कर देगा".
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आज फिर से मानस उसी ग्राउंड पर आया था. आज फिर से वही सब रिपीट हुआ, लेकिन आज जब मानस उस बेंच पर बैठा तो दृष्टि उठ कर गयी नही, बल्कि वो मानस के बॉडी लॅंग्वेज को अब्ज़र्व करने लगी. मानस, ड्रस्टी पर बिना कोई ध्यान दिए बेंच से टिका बैठा रहा, और गाने सुनता रहा...
"कमाल है, कल से जहाँ जा रही हूँ, वहीं ये मिल रहा है. हरकतें तो सरीफ़ जैसा ही हैं. दूसरे लड़कों की तरह, यहाँ किसी को घूर भी नही रहा. इत्तिफ़ाक़ है इसका मिलना, या ये कोई नाटक कर रहा है".
ड्रस्टी जब तक ये सब सोच मे लगी थी, तब तक मानस अपनी जगह से उठ कर बिना उसकी ओर देखे चुप-चाप अपना गाना सुनते चला गया.... "कितना अजीब है ये लड़का" ... ड्रस्टी भी उठ कर चली गयी. आज फिर से वही सब हो रहा था...
ड्रस्टी जिस शेरिंग ऑटो मे कॉलेज जाने के लिए बैठी, उसी ऑटो मे मानस भी बैठ गया.... "ये लड़का फिर से आज मेरे ही ऑटो मे. बुरखे मे ये मुझे कैसे जान गया. उस दिन भी बुरखे मे ही मिली थी, तो इसने जब देखा ही नही, तो मेरा पिच्छा कैसे कर रहा.... कुछ तो गड़बड़ है"
आज मानस उसे और परेशान करते हुए, उसके पिछे-पिछे कॉलेज के रास्ते पर चल दिया. ड्रस्टी के समझ से परे था कि मानस उसका पिच्छा कर रहा है या ये महज इत्तफ़ाक़ है. ड्रस्टी जैसे ही गाते से करीब 50 कदम की दूरी पर थी, कि उसे गेट पर पूर्वी दिख गयी.
पीछे मानस था, आगे पूर्वी... ड्रस्टी अपनी जगह पर रुकी और थोड़ी साइड हो कर पूर्वी को कॉल लगाने लगी. तब तक मानस आगे बढ़ गया था....
पूर्वी जैसे ही ड्रस्टी का कॉल देखी वो पिक अप करती एक कदम आगे बढ़ कर बिल्कुल गेट के सामने आ गयी.... और ठीक उसी वक़्त मानस भी उसके सामने कॉलेज के गेट पर पहुँचा...
पूर्वी कॉलेज गेट पर फोन को पिक-अप कर रही थी. उसके ठीक सामने मानस.... और दोनो को आमने सामने देख कर ड्रस्टी के मुँह से ... "या अल्लाह" निकल गया.....
ड्रस्टी के प्राण हलक मे थे. जिस पूर्वी को वो मानस से दूर रखने की कोसिस मे थी, आज उसी की वजह से वो मानस के सामने खड़ी थी. दोनो की नज़रें भी एक दूसरे से मिली, और दोनो ने एक दूसरे को देखा. ये देखने के बाद तो जैसे ड्रस्टी और भी ज़्यादा हैरान रह गयी.
मानस, पूर्वी को ऐसे देखा जैसे कोई अंजान लड़की उसके सामने खड़ी हो, और बिल्कुल वही रिक्षन पूर्वी का भी था. शॉक्ड, ड्रस्टी प्युरे शॉक्ड हो गयी. मानस ने पूर्वी को एक झलक देखा और इग्नोर करता आगे बढ़ गया. मानस जब उस जगह से चला गया, तब ड्रस्टी, पूर्वी के पास पहुँची...
पूर्वी.... हद है ड्रस्टी, मैं कब से यहाँ इंतज़ार कर रही हूँ, 15 मिनट पहले कही थी कि कॉलेज पहुँची और अभी आ रही है. और ये, एक तो तू ना ये काले कव्वे के भेष मे ना आया कर, पास से गुजर भी गयी होगी अभी तो पता ना चला होगा.
ड्रस्टी.... बस भी कर, कितना पटर-पटर करती है. अर्रे बाबा एमर्जेन्सी थी वॉशरूम मे जाना पड़ा, सॉरी बाबा. वैसे वो लड़का कौन था, जो अभी-अभी तुझे देखा और मुस्कुरा कर गया, और बदले मे तू भी सेम रेस्पॉंड की.
पूर्वी.... ये लो मैं किसी को देख कर मुस्कुराइ, ये बात मुझे ही नही पता. तेरा दिमाग़ खराब हो गया है. ज़रा बताएगी किसे देख कर मैं मुस्कुराइ.
ड्रस्टी.... अर्रे जब तू मेरा कॉल पिक करने गेट के सामने आई थी, तभी तो वो लड़का तुम्हारे सामने आया था, और उसे देख कर तुम भी मुस्कुरा रही थी.
पूर्वी.... तू ना थप्पड़ खाएगी. कौन लड़का, किस लड़के की बात कर रही है... यहाँ तो कई आए और गये, मैं क्या यहाँ खड़े हो कर सब को देखने आई थी.... हुहह ! तू बता मुझे यहाँ क्यों बुलाई थी.
ड्रस्टी.... हां छोड़ उसे, चल शॉपिंग करने चलते हैं.....
"ये तो कमाल हो गया, पूर्वी उसे एक बार देखी, और वो ठीक वैसा ही रिक्षन दे रही है जैसे राह चलते किसी को देख कर नोटीस नही करते. मानस ने भी उसे सामने से देखा... और उसने भी उसे अंजानो की तरह ट्रीट किया. आअन्ह्ह्ह्ह ! ये लड़का अब तो मुझे पागल कर देगा".
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