hotaks444
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सुबह-सुबह पार्क मे मानस और ड्रस्टी.....
ड्रस्टी.... मानस तुम कल नही आए थे...
मानस.... हां ! वो सुबह मैं उठ नही पाया था.
ड्रस्टी.... सुबह उठ नही पाए, या परसो की बात कल तक दिमाग़ पर स्ट्राइक करती रही....
मानस.... हां कह सकती हो ड्रस्टी...
ड्रस्टी.... मानस ये पूर्वी और तुम्हारे बीच क्या चक्कर है.
मानस.... बोला तो था उसी दिन, जब हम आमने सामने बात करेंगे... वेट आ मोमेंट, तुम्हे तो मैने पूर्वी के बारे मे नही बताया, फिर कैसे पता.
ड्रस्टी.... दीवान अंकल को ढूँढना तुम उनके जिस दोस्त से मिले वो मेरे अब्बू हैं.
मानस.... ओह्ह्ह्ह ! तो तुम नबाव साहब की बेटी हो. अब सब समझ गया, तुम्हारी नाराज़गी की वजह . वही मैं सोच मे था की बिना जाने, बिना कोई बात के तुम क्यों इतना मुझ से खफ्फा थी.
ड्रस्टी.... नही वो बात नही थी... (कहते हुए ड्रस्टी की नज़रें नीचे हो गयी)
मानस.... झूट बोल रही हो तुम्हारे चेहरे पर लिखा है. तुम्हे जो भी मेरे बारे मे सोचना है सोचो, मैं तुम्हारी राई थोड़े ना बदल सकता हूँ... मैं तुम्हे थोड़े ना कहूँगा, अपने घर वालों की बात पर विस्वास ना करो. लेकिन एक बात मैं बता दूं सभी सुनी हुई
बातें सच नही होती..
ड्रस्टी.... आइ बिलिव ऑन यू मानस. हां मैं अम्मी-अब्बू की बात सुन कर पहले कुछ और ही सोच रखी थी. लेकिन जान'ने के बाद मेरी थोट चेंज हो गयी. तुम्हारा दर्द क्या है वो मैं नही जानती, और मुझे कुछ पूछना भी नही, क्योंकि मेरा दिल जानता है तुम बुरे नही. आज 2पीयेम बजे मेरे घर आ जाना. वहाँ तुम्हे पूर्वी और दीवान दोनो मिल जाएँगे.......
ड्रस्टी.... मानस तुम कल नही आए थे...
मानस.... हां ! वो सुबह मैं उठ नही पाया था.
ड्रस्टी.... सुबह उठ नही पाए, या परसो की बात कल तक दिमाग़ पर स्ट्राइक करती रही....
मानस.... हां कह सकती हो ड्रस्टी...
ड्रस्टी.... मानस ये पूर्वी और तुम्हारे बीच क्या चक्कर है.
मानस.... बोला तो था उसी दिन, जब हम आमने सामने बात करेंगे... वेट आ मोमेंट, तुम्हे तो मैने पूर्वी के बारे मे नही बताया, फिर कैसे पता.
ड्रस्टी.... दीवान अंकल को ढूँढना तुम उनके जिस दोस्त से मिले वो मेरे अब्बू हैं.
मानस.... ओह्ह्ह्ह ! तो तुम नबाव साहब की बेटी हो. अब सब समझ गया, तुम्हारी नाराज़गी की वजह . वही मैं सोच मे था की बिना जाने, बिना कोई बात के तुम क्यों इतना मुझ से खफ्फा थी.
ड्रस्टी.... नही वो बात नही थी... (कहते हुए ड्रस्टी की नज़रें नीचे हो गयी)
मानस.... झूट बोल रही हो तुम्हारे चेहरे पर लिखा है. तुम्हे जो भी मेरे बारे मे सोचना है सोचो, मैं तुम्हारी राई थोड़े ना बदल सकता हूँ... मैं तुम्हे थोड़े ना कहूँगा, अपने घर वालों की बात पर विस्वास ना करो. लेकिन एक बात मैं बता दूं सभी सुनी हुई
बातें सच नही होती..
ड्रस्टी.... आइ बिलिव ऑन यू मानस. हां मैं अम्मी-अब्बू की बात सुन कर पहले कुछ और ही सोच रखी थी. लेकिन जान'ने के बाद मेरी थोट चेंज हो गयी. तुम्हारा दर्द क्या है वो मैं नही जानती, और मुझे कुछ पूछना भी नही, क्योंकि मेरा दिल जानता है तुम बुरे नही. आज 2पीयेम बजे मेरे घर आ जाना. वहाँ तुम्हे पूर्वी और दीवान दोनो मिल जाएँगे.......