hotaks444
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सुबह के वक़्त......
शम्शेर की जब आखें खुली तो वो खुद को देख कर हैरान रह गया... दिमाग़ पर ज़ोर डाल कर वो रात के बारे मे सोचने लगा... रात की बातें उसे याद आने लगी.... तभी बिस्तर पर नज़र गयी... जहाँ पर काव्या के फटे कपड़े और बिस्तर पर खून था....
शम्शेर की साँसे अटक गयी.... माथे पर हाथ रख कर सोचने लगा..... "ये क्या हो गया"
तभी कोने से काव्या के सिसकने की आवाज़ सुनाई दी... अकड़ू बैठी वो बस रोए ही जा रही थी.... उसके आँसू रुक ही नही रहे थे......
शम्शेर कपड़े पहन कर चुप-चाप वहाँ से निकल गया. जल्दी से तैयार हो कर वो अकेला ही मीटिंग के लिए निकल गया. वापस जब लौट कर आया तो होटेल का महॉल ही कुछ अलग था. शम्शेर को पता चला कि काव्या ने अपनी नब्ज़ काट ली है और वो हॉस्पिटल मे है....
शम्शेर जल्दी से हॉस्पिटल पहुँचा, सब से पहले काव्या की हालत के बारे मे पता किया..... कोई ख़तरा नही था उसे, राहत की सांस जैसे मिली हो. शम्शेर वहाँ की पूरी व्यवस्था कर के लौट आया. शम्शेर जब से घर पहुँचा, तब से ही उसे रह-रह कर ये ख्याल आ रहा था कि उसने एक कुवारि लड़की के साथ ग़लत किया.
गहरी चिंता, और आगे क्या करेगा उसे पता नही. टेन्षन मे उसने 2 पॅक लगाया और नींद की गोली खा कर सो गया. अगली सुबह और भी ज़्यादा टेन्षन का महॉल ले कर आया. अख़बार की खबरों मे शम्शेर और काव्या ही सुर्ख़ियों मे थे. काव्या के सुसाइड की कहानी को अख़बार वाले मिर्च मसाला के साथ छाप कर शम्शेर का नाम उस से ज़ोर दिया था.
सुबह से ही उसके घर के फोन की घंटी बजनी शुरू हो गयी. तरह-तरह के गॉसिप चारो ओर थे, और शम्शेर किसी को कुछ जबाव नही दे पा रहा था..... इसी बीच ये खबरें हर्षरधन के पास पहुँची, वो भी अपना सारा काम समेट कर फ़ौरन वापस आ गया.
क्या करे क्या ना करे घर के किसी सद्स्य को समझ मे नही आ रहा था, उपर से इस खबर के छपने के बाद शम्शेर ना तो किसी से मिलता था, और ना ही किसी से बात करता था. सब को यही लगा कि बदनामी के कारण शन्शेर को गहरा सदमा लगा है.
सच ही है, किसी औरत का त्रिया चरित्र क्या से क्या करवा सकता है.... मनु और मानस, पूरा एस.एस ग्रूप और उसके सारे पार्ट्नर्स.... सब की ज़िंदगी उलझी, और इसकी सिर्फ़ एक ही वजह थी वो था किसी लड़की का त्रिया चरित्र और " सेक्स गेम"
हर्षवर्धन सब से पहले काव्या से मिलने गया. काव्या अब भी हॉस्पिटल मे थी और अब तक उसकी ओर से कोई बयान नही आया था. हर्षवर्धन और काव्या की लगभग 1 घंटे तक बात होती रही, अंत मे दोनो गले मिले और हर्षवर्धन वापस लौट आया.
वापस जब वो लौट कर आया तो उसने अपने और काव्या के बीच की सारी बात पूरे घर को बताया. उस वक़्त शम्शेर भी सब सुन रहा था. काफ़ी मंथन और अमृता को काफ़ी कॉन्वियेन्स किया गया... और अंत मे सब ने हर्षवर्धन के फ़ैसले पर सहमति जता दिया.....
सारी उलझने सुलझने के बाद हर्षवर्धन ने अगले दिन का एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखा. प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही अख़बार की एक खबर ने फिर से सब को शॉक कर दिया..... जिसमे हर्षवर्धन और काव्या के गले मिलने की तस्वीर थी, और नीचे लिखा था..... "शम्शेर के गुनाह को साबित करती ये तस्वीर, जिसमे एक लड़की को खरीद लिया गया और उसे अपने फेवर मे ले लिया गया"
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शम्शेर की जब आखें खुली तो वो खुद को देख कर हैरान रह गया... दिमाग़ पर ज़ोर डाल कर वो रात के बारे मे सोचने लगा... रात की बातें उसे याद आने लगी.... तभी बिस्तर पर नज़र गयी... जहाँ पर काव्या के फटे कपड़े और बिस्तर पर खून था....
शम्शेर की साँसे अटक गयी.... माथे पर हाथ रख कर सोचने लगा..... "ये क्या हो गया"
तभी कोने से काव्या के सिसकने की आवाज़ सुनाई दी... अकड़ू बैठी वो बस रोए ही जा रही थी.... उसके आँसू रुक ही नही रहे थे......
शम्शेर कपड़े पहन कर चुप-चाप वहाँ से निकल गया. जल्दी से तैयार हो कर वो अकेला ही मीटिंग के लिए निकल गया. वापस जब लौट कर आया तो होटेल का महॉल ही कुछ अलग था. शम्शेर को पता चला कि काव्या ने अपनी नब्ज़ काट ली है और वो हॉस्पिटल मे है....
शम्शेर जल्दी से हॉस्पिटल पहुँचा, सब से पहले काव्या की हालत के बारे मे पता किया..... कोई ख़तरा नही था उसे, राहत की सांस जैसे मिली हो. शम्शेर वहाँ की पूरी व्यवस्था कर के लौट आया. शम्शेर जब से घर पहुँचा, तब से ही उसे रह-रह कर ये ख्याल आ रहा था कि उसने एक कुवारि लड़की के साथ ग़लत किया.
गहरी चिंता, और आगे क्या करेगा उसे पता नही. टेन्षन मे उसने 2 पॅक लगाया और नींद की गोली खा कर सो गया. अगली सुबह और भी ज़्यादा टेन्षन का महॉल ले कर आया. अख़बार की खबरों मे शम्शेर और काव्या ही सुर्ख़ियों मे थे. काव्या के सुसाइड की कहानी को अख़बार वाले मिर्च मसाला के साथ छाप कर शम्शेर का नाम उस से ज़ोर दिया था.
सुबह से ही उसके घर के फोन की घंटी बजनी शुरू हो गयी. तरह-तरह के गॉसिप चारो ओर थे, और शम्शेर किसी को कुछ जबाव नही दे पा रहा था..... इसी बीच ये खबरें हर्षरधन के पास पहुँची, वो भी अपना सारा काम समेट कर फ़ौरन वापस आ गया.
क्या करे क्या ना करे घर के किसी सद्स्य को समझ मे नही आ रहा था, उपर से इस खबर के छपने के बाद शम्शेर ना तो किसी से मिलता था, और ना ही किसी से बात करता था. सब को यही लगा कि बदनामी के कारण शन्शेर को गहरा सदमा लगा है.
सच ही है, किसी औरत का त्रिया चरित्र क्या से क्या करवा सकता है.... मनु और मानस, पूरा एस.एस ग्रूप और उसके सारे पार्ट्नर्स.... सब की ज़िंदगी उलझी, और इसकी सिर्फ़ एक ही वजह थी वो था किसी लड़की का त्रिया चरित्र और " सेक्स गेम"
हर्षवर्धन सब से पहले काव्या से मिलने गया. काव्या अब भी हॉस्पिटल मे थी और अब तक उसकी ओर से कोई बयान नही आया था. हर्षवर्धन और काव्या की लगभग 1 घंटे तक बात होती रही, अंत मे दोनो गले मिले और हर्षवर्धन वापस लौट आया.
वापस जब वो लौट कर आया तो उसने अपने और काव्या के बीच की सारी बात पूरे घर को बताया. उस वक़्त शम्शेर भी सब सुन रहा था. काफ़ी मंथन और अमृता को काफ़ी कॉन्वियेन्स किया गया... और अंत मे सब ने हर्षवर्धन के फ़ैसले पर सहमति जता दिया.....
सारी उलझने सुलझने के बाद हर्षवर्धन ने अगले दिन का एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखा. प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही अख़बार की एक खबर ने फिर से सब को शॉक कर दिया..... जिसमे हर्षवर्धन और काव्या के गले मिलने की तस्वीर थी, और नीचे लिखा था..... "शम्शेर के गुनाह को साबित करती ये तस्वीर, जिसमे एक लड़की को खरीद लिया गया और उसे अपने फेवर मे ले लिया गया"
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