hotaks444
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यानी दीवान सारी बात जानता था. अब कौन होगा ऐसा जो मनु के घर और ऑफीस मे अपने जासूस लगाए हो, और वो जो कोई भी था, नही चाहता कि उस रात का राज बाहर आए. काव्या जी, आप ने इतना बड़ा गेम प्लान किया था कि हमारे पास सवालों की लंबी लिस्ट थी और शक़ के दायरे मे पूरा एस.एस ग्रूप. लेकिन एक बार भी शक़ आप पर नही गया.....
एक सल्यूट तो बनता है काव्या इस गेम प्लॅनिंग के लिए. क्या दिमाग़ पाया है. जब तुम्हे लगा कि पोलीस दीवान की मौत का पता लगाते हुए नेगी और श्रमण तक पहुँच जाएगी, तुम ने तो सारे शक़ की सुई को हर्षवर्धन और अमृता पर ही घुमा दिया.
"क्या दिमाग़ पाया है, हां.... कमाल बिल्कुल. किसी को ना यकीन करने की कोई वजह ही नही दी, ऐसा खेल रचा जिस मे पूरा शक़ हर्षवर्धन और अमृता के उपर ही जाए. यहाँ तक कि मनु और स्नेहा का वीडियो भी तुम्हारे इशारे पर ही लीक हुआ.... ब्रावो"...
"अब तुम्हारे दिमाग़ मे ये आ रहा होगा कि, कंप्लीट डेड एंड के बाद भी हमे तुम्हारा पता कैसे चला. ये भी एक और संयोग. हम पुख़्ता सबूत इकट्ठा कर रहे थे, इसलिए हमने दो लोगों पर गहराई से छानबीन किया, नेगी और श्रमण...
"श्रमण तो खैर किसी काम का ही नही था. उसे तो बस इतना पता था, कि किसी ने काम कहा और उसे पूरा करना है, बदले मे उसे पैसे मिलेंगे. हालाँकि, नेगी को भी इतनी ही खबर रहती थी, लेकिन अतीत का उसके एक किए कांड ने धीरे-धीरे सारे राज खोल डाले"....
"गूव्ट. शिप्पिंग टेंडर, और नेगी का वो टेंडर लीक, जिसका सीधा फ़ायदा अग्रॉ शिप्पिंग का हुआ और वो टेंडर उसे मिल गया. हमारी कड़ियाँ लिंक हो चुकी थी. अग्रॉ शिप्पिंग के एल्लिगल धंधे मे कोई एस.एस ग्रूप का भी कोई असोसिएट शामिल है".
"अब यहाँ आ कर गुत्थी उलझी थोड़ी सी. क्योंकि जिस वक़्त वो टेंडर लीक हुआ था... हर्षवर्धन विदेश मे था और अमृता को ऑफीस से कोई मतलब ही नही. बस फिर क्या था, हमारे सोचने का नज़रिया थोड़ा चेंज हुआ, हमे लगा कि मनु और मानस की हालत के पिछे कोई तीसरा भी है, जिसने बाद मे हर्षवर्धन और अमृता को अपनी ओर मिलाया होगा".
"फिर क्या था, उस वक़्त के पुराने पन्ने हमने पलटना शुरू किया. और कमाल की बात ये थी, कंपनी से रिलेटेड हर इश्यू मे केवल एक ही नाम सामने आया, और वो था काव्या.... काव्या, काव्या, काव्या..... आख़िर ये काव्या चीज़ क्या थी".....
"फिर क्या था हमने काव्या के अतीत को भी छान डाला. समझ मे आ चुका था कि क्यों हर्षवर्धन और अमृता नफ़रत करते थे मनु और मानस से. लेकिन दोनो को देख कर लगता नही था कि ये दोनो रेप जैसी भी प्लॅनिंग कर सकते हैं. उपर से काव्या जैसा नाम सुसाइड कर ले, उफफफफ्फ़ बात कुछ हजम नही हुई"...
एक सल्यूट तो बनता है काव्या इस गेम प्लॅनिंग के लिए. क्या दिमाग़ पाया है. जब तुम्हे लगा कि पोलीस दीवान की मौत का पता लगाते हुए नेगी और श्रमण तक पहुँच जाएगी, तुम ने तो सारे शक़ की सुई को हर्षवर्धन और अमृता पर ही घुमा दिया.
"क्या दिमाग़ पाया है, हां.... कमाल बिल्कुल. किसी को ना यकीन करने की कोई वजह ही नही दी, ऐसा खेल रचा जिस मे पूरा शक़ हर्षवर्धन और अमृता के उपर ही जाए. यहाँ तक कि मनु और स्नेहा का वीडियो भी तुम्हारे इशारे पर ही लीक हुआ.... ब्रावो"...
"अब तुम्हारे दिमाग़ मे ये आ रहा होगा कि, कंप्लीट डेड एंड के बाद भी हमे तुम्हारा पता कैसे चला. ये भी एक और संयोग. हम पुख़्ता सबूत इकट्ठा कर रहे थे, इसलिए हमने दो लोगों पर गहराई से छानबीन किया, नेगी और श्रमण...
"श्रमण तो खैर किसी काम का ही नही था. उसे तो बस इतना पता था, कि किसी ने काम कहा और उसे पूरा करना है, बदले मे उसे पैसे मिलेंगे. हालाँकि, नेगी को भी इतनी ही खबर रहती थी, लेकिन अतीत का उसके एक किए कांड ने धीरे-धीरे सारे राज खोल डाले"....
"गूव्ट. शिप्पिंग टेंडर, और नेगी का वो टेंडर लीक, जिसका सीधा फ़ायदा अग्रॉ शिप्पिंग का हुआ और वो टेंडर उसे मिल गया. हमारी कड़ियाँ लिंक हो चुकी थी. अग्रॉ शिप्पिंग के एल्लिगल धंधे मे कोई एस.एस ग्रूप का भी कोई असोसिएट शामिल है".
"अब यहाँ आ कर गुत्थी उलझी थोड़ी सी. क्योंकि जिस वक़्त वो टेंडर लीक हुआ था... हर्षवर्धन विदेश मे था और अमृता को ऑफीस से कोई मतलब ही नही. बस फिर क्या था, हमारे सोचने का नज़रिया थोड़ा चेंज हुआ, हमे लगा कि मनु और मानस की हालत के पिछे कोई तीसरा भी है, जिसने बाद मे हर्षवर्धन और अमृता को अपनी ओर मिलाया होगा".
"फिर क्या था, उस वक़्त के पुराने पन्ने हमने पलटना शुरू किया. और कमाल की बात ये थी, कंपनी से रिलेटेड हर इश्यू मे केवल एक ही नाम सामने आया, और वो था काव्या.... काव्या, काव्या, काव्या..... आख़िर ये काव्या चीज़ क्या थी".....
"फिर क्या था हमने काव्या के अतीत को भी छान डाला. समझ मे आ चुका था कि क्यों हर्षवर्धन और अमृता नफ़रत करते थे मनु और मानस से. लेकिन दोनो को देख कर लगता नही था कि ये दोनो रेप जैसी भी प्लॅनिंग कर सकते हैं. उपर से काव्या जैसा नाम सुसाइड कर ले, उफफफफ्फ़ बात कुछ हजम नही हुई"...