hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
तभी कुछ लोग वँहा आये आश्चर्य की बात थी की उनके हाथो में बड़े बड़े लाठियां थी कोई खुलेआम रिवाल्वर को अपने हाथो में घुमा रहा था लेकिन किसी ने उन्हें रोकने की हिम्मत नही की ,वो लगभग 10-15 की संख्या में थे ,एक लड़का उनके सामने चल रहा था और एक जैकेट पहने हुए था,सभी लोग उन्हें शक और डर की नजर से देख रहे थे ..वो लोग सीधे आये और लड़के ने चम्पा के सर पर गन टिका दी ,चम्पा और अजय दोनो के लिए के बिल्कुल ही अप्रत्याशित था ,बाकी के लड़के उन्हें घेर कर खड़े हो गए ,पूरी तरह से शांति पूरे माहौल में छा गई थी …
“ये क्या बतमीजी है “
अजय गुस्से से चीखा
“तुम्हारा खेल खत्म हुआ मोंगरा बाई “लड़के के चहरे में क्रोध साफ दिख रहा था ..
लेकिन उसकी इस बात पर अजय बस जोरो से हँस दिया लकड़ा उसे अजीब निगाहों से घूरा ..
“मुझे अभी तक इस बात पर शक हो रहा था की किसी ने इसे देखकर मोंगरा क्यो नही कहा ..लेकिन अब समझ आया की अभी तक क्यो नही कहा क्योकि जमीदार साहब को खबर करना था...और फिक्र मत करो ये मोंगरा नही उसकी बहन चम्पा है”
लड़के के चहरे में अविश्वास के भाव आये
“मैं तुम्हारे इलाके का नया इंस्पेक्टर हु अजय ...जमीदार साहब मुझे पहचानते है “
अजय ने उसे कांफिडेंस में लाने के लिए कहा ..
लेकिन उस लड़के ने अभी भी वो गन नही हटाया था चम्पा खामोश सी बैठी थी जैसे उसे पता था की ये होने वाला है …
लड़के ने एक फोन किया
“पिता जी ये तो चम्पा है ,और वो नए इंस्पेक्टर के साथ है ..”
उधर से भी कुछ कहा गया और लड़के ने फोन अजय को दे दिया लेकिन इस दौरान भी चम्पा के सर से किसी ने भी गन नही हटाई थी …
अजय वँहा से उठा और थोड़ी दूर जाकर बात करने लगा
“हम ठाकुर प्राण बोल रहे है “
:जी ठाकुर साहब “
“ये क्या है इंसपेक्टर हमने तुम्हे मोंगरा को पकड़ने के लिए भेजा था लेकिन तुम उसकी हमशक्ल के साथ रंगरलियां मना रहे हो “
“ठाकुर साहब ये ही मेरे काम का ही हिस्सा है ,आप भी जानते है की दोनो ही बहने हमशक्ल है,लेकिन पता नही की अभी तक जितने भी लोग यंहा उसे पकड़ने आये वो इस बात का फायदा क्यो नही उठा पाये ,मैं इस बात का फायदा उठाकर उसे पकडूँगा, ये मेरे प्रेम जाल में पूरी तरह से फंस चुकी हैं, इसके जरिए ही इसकी बहन तक पहुचा जा सकता हैं”
ठाकुर ने शाबासी के कई वाक्य कह डाले
“बहुत बढ़िया अजय ,तुम बस उस कुतिया को हमारे हवाले करो और मुह मांगा इनाम तुम्हारा …और चम्पा को फसाने में जितनी भी मदद लगे हम देंगे “
अजय के चहरे में कुटिल मुस्कान खिल गई
“फिलहाल तो 1 लाख ही भेज दो ,साली को पटाने में बहुत पैसा खर्च होगा….”
दोनो तरफ से हँसी गूंज गई …..
मोंगरा के जिस्म में लगे हुए घाव को देखकर बलवीर के मन में अजीब सी तिलमिलाहट हो रही थी,लेकिन वो कर भी क्या सकता था आखिर मोंगरा थी तो उसकी सरदार …
बलवीर बड़े ही प्यार से उस जख्म को छुआ..
“आउच “मोंगरा के चहरे में एक दर्द की लहर आने की बजाए खुसी झलकने लगी,आंखों में मस्ती के बादल थे और होठो में हल्की सी मुसकान….
बलवीर की चिढ़ इसे देखकर और भी बढ़ गई थी …
अचानक ही चम्पा की नींद खुली और अब भी उसके होठो में वही मुस्कान थी और थोड़ी शर्म भी …
“लगता है की चम्पा सरदार पर भारी पड़ रही है,सरदार भूलिए मत की आप चम्पा नही मोंगरा है,शायद उस इंस्पेक्टर ने आपके अंदर वो सारे अरमान जगा दिए है जो एक साधारण लड़कियों के अंदर होते है और आज तो हद ही कर दी आपने अपना मिशन भूलकर उसके साथ ……”
वो चुप था ,लेकिन मोंगरा के होठो में अभी भी वही मुस्कान थी,
बलवीर और भी बुरी तरह से झल्ला गया
“जिस्म की हवस मिटाने तक तो ठीक था सरदार लेकिन तुम तो ...तुम तो ऐसा लग रहा है जैसे तुम उसके प्यार में पड़ गई हो “
बलवीर का चहरा रूवासु हो गया जिसे देखकर मोंगरा खिलखिला कर हँस पड़ी …
“वाह बलवीर बहुत बड़ी बड़ी बाते करने लगा है तू तो ...लगता है की तु भी हमसे प्यार करने लगा है …”
मोंगरा की बात सुनकर बलवीर थोड़ा घबरा सा गया लेकिन कुछ भी नही कहा ..
“घबरा क्यो रहे हो ,बलवीर मैं हमेशा से जानती हु और तुमसे मैं सिर्फ अपने जिस्म की प्यास ही बुझती थी लेकिन फिर भी तुम्हारे प्यार के कारण मेरे अंदर भी प्यार की लहरे उठानी शुरू हो गई मैं तुम्हे चाहती हु लेकिन अपने बेटे की तरह …”
बलवीर की आंखों में पानी था,
“तुम ये क्या कह रही हो सरदार “
“सच ही कह रही हु ,”मोंगरा के आंखों में भी आंसू आ गए थे वो बलवीर के बालो पर प्यार से हाथ फेर रही थी
“सरदार उस अजय का कोई भी भरोसा करना ठिक नही है हो सकता है की वो आपको जमीदार के हवाले कर दे ,क्या पता सरकारी आदमी है हम उसके बारे में जानते भी नही है और वो हो सकता है की जमीदार से मिला हुआ होगा “
मोंगरा के होठो में एक मुस्कान आ गई
“नही बलवीर मेरा अजय ऐसा नही है “
बलवीर को मोंगरा का अजय के प्रति इतना अपनापन चुभ सा गया ..
“क्या पता की आपके अजय के मन में क्या चल रहा होगा “
अचानक ही बलवीर उठ खड़ा हुआ और मोंगरा के हाथो को अपने सर पर लगा लिया
“आपको मेरी कसम है की अपनी असलियत उसे नही बताओगी “
मोंगरा थोड़ी मचल गई
“सुनो सरदार तुमने ये नाटक किया था क्योकि तुम उस अजय को फंसा कर जमीदार तक पहुचना चाहती थी लेकिन अब तो हद हो गई है आप तो खुद ही उसके प्यार में फंसती जा रही है ...क्या आप वो सब भूल गई जो उस हरामजादे जमीदार ने आपके और आपके परिवार के साथ किया था ...याद करो सरदार उस दर्द को जो उसने आपको दिया है…”
बलवीर के चहरे की नशे खिंच गई थी ,लेकिन मोंगरा के आंखों में बस दर्द ही था…
“वी दर्द मैं कैसे भूल सकती हु ...लेकिन पता नही क्यो अजय के प्यार के आगे लगता है की वो सब चीजों को भूल कर बस उसकी बांहो में झूलती रहूं ……….”
अब शायद बलवीर से ये असहनीय हो चुका था वो उठ खड़ा हुआ ..
“आप वो सरदार नही रही जो अपने लोगो के लिए जिया मरा करती थी “
बलवीर उठकर जाने लगा था,मोंगरा ने उसका हाथ पकड़ लिया..
“रुको …मैं जानती हु की तुम क्या चाहते हो ,और फिक्र मत करो तुम्हारी सरदार में अभी भी इतनी ताकत है की वो अपने लक्ष्य के सामने अपने प्यार को आने नही देगी ...लेकिन तुम जो सोच रहे हो वो भी सच है की मैं अजय के प्यार में बौरा सी गई हु ...उसमे मुझे मेरा भविष्य दिखाई देता है,लेकिन अपने भविष्य के लिए मैं तुम लोगो की भावनाओ से नही खेल सकती …”
मोंगरा अब भी बलवीर को किसी आशा से देख रही थी ऐसे तो उसका हुक्म ही इस गुट का नियम था लेकिन फिर भी मोंगरा अपने सभी सदस्य साथियों का समान सम्मान करती थी……
“चम्पा को अपने प्यार से प्यार करने दो इस बात पर मुझे मत रोको लेकिन मोंगरा अपना इंतकाम लेगी ...और क्या पता शायद अजय भी हमारे किसी काम आ जाए …”
मोंगरा की बात सुनकर बलवीर ने एक गहरी सांस ली ,उसके चहरे में संतोष के भाव तो अभी भी नही आये थे लेकिन फिर भी वो थोड़ा शांत जरूर दिख रहा था…….
“ये क्या बतमीजी है “
अजय गुस्से से चीखा
“तुम्हारा खेल खत्म हुआ मोंगरा बाई “लड़के के चहरे में क्रोध साफ दिख रहा था ..
लेकिन उसकी इस बात पर अजय बस जोरो से हँस दिया लकड़ा उसे अजीब निगाहों से घूरा ..
“मुझे अभी तक इस बात पर शक हो रहा था की किसी ने इसे देखकर मोंगरा क्यो नही कहा ..लेकिन अब समझ आया की अभी तक क्यो नही कहा क्योकि जमीदार साहब को खबर करना था...और फिक्र मत करो ये मोंगरा नही उसकी बहन चम्पा है”
लड़के के चहरे में अविश्वास के भाव आये
“मैं तुम्हारे इलाके का नया इंस्पेक्टर हु अजय ...जमीदार साहब मुझे पहचानते है “
अजय ने उसे कांफिडेंस में लाने के लिए कहा ..
लेकिन उस लड़के ने अभी भी वो गन नही हटाया था चम्पा खामोश सी बैठी थी जैसे उसे पता था की ये होने वाला है …
लड़के ने एक फोन किया
“पिता जी ये तो चम्पा है ,और वो नए इंस्पेक्टर के साथ है ..”
उधर से भी कुछ कहा गया और लड़के ने फोन अजय को दे दिया लेकिन इस दौरान भी चम्पा के सर से किसी ने भी गन नही हटाई थी …
अजय वँहा से उठा और थोड़ी दूर जाकर बात करने लगा
“हम ठाकुर प्राण बोल रहे है “
:जी ठाकुर साहब “
“ये क्या है इंसपेक्टर हमने तुम्हे मोंगरा को पकड़ने के लिए भेजा था लेकिन तुम उसकी हमशक्ल के साथ रंगरलियां मना रहे हो “
“ठाकुर साहब ये ही मेरे काम का ही हिस्सा है ,आप भी जानते है की दोनो ही बहने हमशक्ल है,लेकिन पता नही की अभी तक जितने भी लोग यंहा उसे पकड़ने आये वो इस बात का फायदा क्यो नही उठा पाये ,मैं इस बात का फायदा उठाकर उसे पकडूँगा, ये मेरे प्रेम जाल में पूरी तरह से फंस चुकी हैं, इसके जरिए ही इसकी बहन तक पहुचा जा सकता हैं”
ठाकुर ने शाबासी के कई वाक्य कह डाले
“बहुत बढ़िया अजय ,तुम बस उस कुतिया को हमारे हवाले करो और मुह मांगा इनाम तुम्हारा …और चम्पा को फसाने में जितनी भी मदद लगे हम देंगे “
अजय के चहरे में कुटिल मुस्कान खिल गई
“फिलहाल तो 1 लाख ही भेज दो ,साली को पटाने में बहुत पैसा खर्च होगा….”
दोनो तरफ से हँसी गूंज गई …..
मोंगरा के जिस्म में लगे हुए घाव को देखकर बलवीर के मन में अजीब सी तिलमिलाहट हो रही थी,लेकिन वो कर भी क्या सकता था आखिर मोंगरा थी तो उसकी सरदार …
बलवीर बड़े ही प्यार से उस जख्म को छुआ..
“आउच “मोंगरा के चहरे में एक दर्द की लहर आने की बजाए खुसी झलकने लगी,आंखों में मस्ती के बादल थे और होठो में हल्की सी मुसकान….
बलवीर की चिढ़ इसे देखकर और भी बढ़ गई थी …
अचानक ही चम्पा की नींद खुली और अब भी उसके होठो में वही मुस्कान थी और थोड़ी शर्म भी …
“लगता है की चम्पा सरदार पर भारी पड़ रही है,सरदार भूलिए मत की आप चम्पा नही मोंगरा है,शायद उस इंस्पेक्टर ने आपके अंदर वो सारे अरमान जगा दिए है जो एक साधारण लड़कियों के अंदर होते है और आज तो हद ही कर दी आपने अपना मिशन भूलकर उसके साथ ……”
वो चुप था ,लेकिन मोंगरा के होठो में अभी भी वही मुस्कान थी,
बलवीर और भी बुरी तरह से झल्ला गया
“जिस्म की हवस मिटाने तक तो ठीक था सरदार लेकिन तुम तो ...तुम तो ऐसा लग रहा है जैसे तुम उसके प्यार में पड़ गई हो “
बलवीर का चहरा रूवासु हो गया जिसे देखकर मोंगरा खिलखिला कर हँस पड़ी …
“वाह बलवीर बहुत बड़ी बड़ी बाते करने लगा है तू तो ...लगता है की तु भी हमसे प्यार करने लगा है …”
मोंगरा की बात सुनकर बलवीर थोड़ा घबरा सा गया लेकिन कुछ भी नही कहा ..
“घबरा क्यो रहे हो ,बलवीर मैं हमेशा से जानती हु और तुमसे मैं सिर्फ अपने जिस्म की प्यास ही बुझती थी लेकिन फिर भी तुम्हारे प्यार के कारण मेरे अंदर भी प्यार की लहरे उठानी शुरू हो गई मैं तुम्हे चाहती हु लेकिन अपने बेटे की तरह …”
बलवीर की आंखों में पानी था,
“तुम ये क्या कह रही हो सरदार “
“सच ही कह रही हु ,”मोंगरा के आंखों में भी आंसू आ गए थे वो बलवीर के बालो पर प्यार से हाथ फेर रही थी
“सरदार उस अजय का कोई भी भरोसा करना ठिक नही है हो सकता है की वो आपको जमीदार के हवाले कर दे ,क्या पता सरकारी आदमी है हम उसके बारे में जानते भी नही है और वो हो सकता है की जमीदार से मिला हुआ होगा “
मोंगरा के होठो में एक मुस्कान आ गई
“नही बलवीर मेरा अजय ऐसा नही है “
बलवीर को मोंगरा का अजय के प्रति इतना अपनापन चुभ सा गया ..
“क्या पता की आपके अजय के मन में क्या चल रहा होगा “
अचानक ही बलवीर उठ खड़ा हुआ और मोंगरा के हाथो को अपने सर पर लगा लिया
“आपको मेरी कसम है की अपनी असलियत उसे नही बताओगी “
मोंगरा थोड़ी मचल गई
“सुनो सरदार तुमने ये नाटक किया था क्योकि तुम उस अजय को फंसा कर जमीदार तक पहुचना चाहती थी लेकिन अब तो हद हो गई है आप तो खुद ही उसके प्यार में फंसती जा रही है ...क्या आप वो सब भूल गई जो उस हरामजादे जमीदार ने आपके और आपके परिवार के साथ किया था ...याद करो सरदार उस दर्द को जो उसने आपको दिया है…”
बलवीर के चहरे की नशे खिंच गई थी ,लेकिन मोंगरा के आंखों में बस दर्द ही था…
“वी दर्द मैं कैसे भूल सकती हु ...लेकिन पता नही क्यो अजय के प्यार के आगे लगता है की वो सब चीजों को भूल कर बस उसकी बांहो में झूलती रहूं ……….”
अब शायद बलवीर से ये असहनीय हो चुका था वो उठ खड़ा हुआ ..
“आप वो सरदार नही रही जो अपने लोगो के लिए जिया मरा करती थी “
बलवीर उठकर जाने लगा था,मोंगरा ने उसका हाथ पकड़ लिया..
“रुको …मैं जानती हु की तुम क्या चाहते हो ,और फिक्र मत करो तुम्हारी सरदार में अभी भी इतनी ताकत है की वो अपने लक्ष्य के सामने अपने प्यार को आने नही देगी ...लेकिन तुम जो सोच रहे हो वो भी सच है की मैं अजय के प्यार में बौरा सी गई हु ...उसमे मुझे मेरा भविष्य दिखाई देता है,लेकिन अपने भविष्य के लिए मैं तुम लोगो की भावनाओ से नही खेल सकती …”
मोंगरा अब भी बलवीर को किसी आशा से देख रही थी ऐसे तो उसका हुक्म ही इस गुट का नियम था लेकिन फिर भी मोंगरा अपने सभी सदस्य साथियों का समान सम्मान करती थी……
“चम्पा को अपने प्यार से प्यार करने दो इस बात पर मुझे मत रोको लेकिन मोंगरा अपना इंतकाम लेगी ...और क्या पता शायद अजय भी हमारे किसी काम आ जाए …”
मोंगरा की बात सुनकर बलवीर ने एक गहरी सांस ली ,उसके चहरे में संतोष के भाव तो अभी भी नही आये थे लेकिन फिर भी वो थोड़ा शांत जरूर दिख रहा था…….