desiaks
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सोनिया के डैडी अपनी कला के पक्के थे। युवावस्था में अनगिनत यौवनाओं के साथ संभोग कला में प्रशस्ती प्राप्त कर चुके थे। पर ये कोई ऐरी-गैरी यौवना नहीं थी ... उनकी अपनी रूपवान नन्ही बिटिया थी। हाँ अब वो नन्ही नहीं रही थी, एक परिपक्व स्त्री की देह और गुणों की स्वामिनी थी वो। हर रूपवती जिस लैंगिक सुख की अधिकारी होती है, वो सुख मिस्टर शर्मा आज उसे दे कर रहेंगे! मिस्टर शर्मा ने एक निगाह अपने खौफ़नाक, वज्र से कठोर लिंग को देखा, काला-काल और लिसलिसा, उनकी पुत्री की योनि की दहलीज पर खड़ा हुआ धड़क रहा था। सोनिया की आँखों के भाव पर एक निगाह फेरते ही उन्हें अपने अगले प्रश्न का उत्तर पूछने से पहले ही मिल गया था।
“बिटिया, तैयार हो ना ? थोड़ा सा दर्द होगा, सह लोगी ?” उन्होंने चेताया। सोनिया पूरी तरह से तैयार थी। अपनी योनि में वो अपने डैडी के मोटे लन्ड का वो फिर अनुभव करना चाहती थी, रोके नहीं रुकती थी।
“मैं तैयार हूं डैडी! मुझे पूरा कस के चोदिये! कोई लिहाज न रखिये। जैसे मम्मी को कल रात कस कर चोदा था!”, सोनिया चीखी और पिता से लिपट कर कांपने लगी।
“मतलब तू हमें चोरी-छिपे देख रही थी ?”
हाँ डैडी, मैने रात सब देख लिया! जब आपकोओ मम्मी को चोदते देखा तो मन करता था कि आप मुझे चोद रहे हैं! मुझे तो ऐसा सपना भी कल रात आया।”
“लो कर लो बात !”, उसकी बात सुनकर विस्मय से मिस्टर शर्मा ने आह भरी। उनकी सगी बेटी में ऐसी उत्कट कामुकता भरी हुई थी! अपने सौभाग्य पर उन्हें विश्वास नहीं होता था। उन्हीं के घर में, उनकी नाक के नीचे, एक पके आम सी युवा योनी पनप रही थी, जिसे अब बस चखने की देर भर थी!
कराहते हुए मिस्टर शर्मा ने नवयौवना की बलखाती योनि को अपने लिंग पर नीचे उतारा, और साथ ही अपने कूल्हे ऊपर को उचकाये, और इस प्रकार अपने मोटे लिंग की आधी से अधिक लम्बाई को सोनिया की माँद में ठूस डाला। ।
“ओह आह ! ऊऊह, डैडी, कितना बड़ा है, कितना सॉलिड है आपका लन्ड! मेरी पतली सी चूत में बड़ी मस्ती आ रही है! ऊँहहहह! मेरी चूत को, बाप रे, पूरा भर डाला !”
कामावेग में मिस्टर शर्मा की भाषा भी अब लज्जारहित हो चली थी। अपने विशाल लिंग पर पुत्री के तपते योनि-माँस के बलशाली साँचे को जकड़ता अनुभव करके वे बोले, “बिटिया, लन्ड चाहिये ना? ::' ले साली लन्ड !”, वे गुर्राये, और अपने काले लिंग को अपनी पुत्री की आतुर योनि में कुछ और इन्च घुसेड़ दिया।
“बिटिया, तैयार हो ना ? थोड़ा सा दर्द होगा, सह लोगी ?” उन्होंने चेताया। सोनिया पूरी तरह से तैयार थी। अपनी योनि में वो अपने डैडी के मोटे लन्ड का वो फिर अनुभव करना चाहती थी, रोके नहीं रुकती थी।
“मैं तैयार हूं डैडी! मुझे पूरा कस के चोदिये! कोई लिहाज न रखिये। जैसे मम्मी को कल रात कस कर चोदा था!”, सोनिया चीखी और पिता से लिपट कर कांपने लगी।
“मतलब तू हमें चोरी-छिपे देख रही थी ?”
हाँ डैडी, मैने रात सब देख लिया! जब आपकोओ मम्मी को चोदते देखा तो मन करता था कि आप मुझे चोद रहे हैं! मुझे तो ऐसा सपना भी कल रात आया।”
“लो कर लो बात !”, उसकी बात सुनकर विस्मय से मिस्टर शर्मा ने आह भरी। उनकी सगी बेटी में ऐसी उत्कट कामुकता भरी हुई थी! अपने सौभाग्य पर उन्हें विश्वास नहीं होता था। उन्हीं के घर में, उनकी नाक के नीचे, एक पके आम सी युवा योनी पनप रही थी, जिसे अब बस चखने की देर भर थी!
कराहते हुए मिस्टर शर्मा ने नवयौवना की बलखाती योनि को अपने लिंग पर नीचे उतारा, और साथ ही अपने कूल्हे ऊपर को उचकाये, और इस प्रकार अपने मोटे लिंग की आधी से अधिक लम्बाई को सोनिया की माँद में ठूस डाला। ।
“ओह आह ! ऊऊह, डैडी, कितना बड़ा है, कितना सॉलिड है आपका लन्ड! मेरी पतली सी चूत में बड़ी मस्ती आ रही है! ऊँहहहह! मेरी चूत को, बाप रे, पूरा भर डाला !”
कामावेग में मिस्टर शर्मा की भाषा भी अब लज्जारहित हो चली थी। अपने विशाल लिंग पर पुत्री के तपते योनि-माँस के बलशाली साँचे को जकड़ता अनुभव करके वे बोले, “बिटिया, लन्ड चाहिये ना? ::' ले साली लन्ड !”, वे गुर्राये, और अपने काले लिंग को अपनी पुत्री की आतुर योनि में कुछ और इन्च घुसेड़ दिया।