desiaks
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बहनचोद ! रुका क्यों ? टट्टे सूख गये क्या !” । जिस्मानी जुनून में बेक़ाबू होकर मासूम लगने वाली डॉली गाली-गलौज कर रही थी। उसकी पीठ कमान की तरह पीछे को तनी थी। लम्बे बाल जन्गली जानवर जैसे हवा में लहरा रहे थे। उसने अपनी आँखेन बन्द कर रखी थी। सर्दी के मौसम में भी दोनो के बदन पर बेलौस पसीना बह रहा था। राज तसल्लि से बहन की चूत को लम्बे, गहरे ठेले देकर चोद रहा था।
उस रात डॉली तीन बर झड़ी थी। उसके बाद राज ने अपने खौलते वीर्य को बहन की उचकती चूत में बहा दिया था। उसके बाद डॉली फिर चार बार झड़ी थी।
आज उस हसीन रात की याद कर के डॉली की चूत में फिर वही उबाल आ ह था। अपने मासूम मजेदार गुनाह की सुहागरात के बाद भी ऐसी अनगिनत रातें हुई थीं।
डॉली के भाई की सैक्स की प्यास मम्मी के साथ मिलकर भी वो नहीं मिटा पाती थी। अभि सुबह-सुबह ही तो चोद कर उसने डॉली को नींद से जगाया था। डॉली को अब एक और चुदाई की फ़ौरी जरूरत थी। पर मिस्टर शर्मा के फ़ोन पर बुलावे पर राज वहाँ दफ़ा हो गया था। ऐसी भी क्या जल्दी थी बहनचोद को ? डॉली ने सोचा। “क्या मिसेज शर्मा से उसका टाँका तो नहीं भिड़ गया था ?” एक शैतानी भरी मुस्कान उसके कमसिन चेहरे पर नाच रही थी, “ह्मम! शैतान का लन्ड, जभ भी चूत मिलती है, चोद डालता है !”
अपनी मैगजीन को अलग फेंकती हुई डॉली सीधे मकान के पीछे बगीचे में पहुंची। पड़ोस में मिस्टर शर्मा के घर में झाँका तो पूल के आस-पास कोई भी नहीं था। दौड़ कर डॉली शर्मा जी के बाहर पहुंची और बाजू वाले दरवाजे को खुला हुआ पाया। घर के अन्दर झाँकी और कान खड़े कर के किसी आहट को सुनने की कोशिश करने लगी। | पूरा घर सुना लग रहा था, तो बेखौफ़ होकर डॉली अन्दर खुसी। मेहमान खाना और किचन दोनों खाली थे। पर ऊपर किसी रूम से दबी से आवाजें सुनाई पड़ती थीं। जैसे-जैसे वो गलियारे में अन्दर चल रही थी, उसे वो आवाजें ज्यादा साफ़ और तेज सुनाई दे रही थीं। उसके कानों पर कराहने की जानी-पहचानी आवाज़ पड़ी, उसके भाई की। ‘पक्का किसी लौन्डिया को चोद रहा था। पर आखिर किस को ? मिसेज शर्मा ही होंगी। राज हर वक़्त टीना जी की चूत को एक न एक दिन फ़तह करने का दावा करता फिरता था। लगता है आज हरामी ने मैदान मार ही लिया!' दबे पाँव डॉली आवाजों की जानिब पहुंची। आवाज एक बेडरूम से आ रही थी। मारे रोमांच के, डॉली की नब्ज़ बढ़ने लगी।
उस रात डॉली तीन बर झड़ी थी। उसके बाद राज ने अपने खौलते वीर्य को बहन की उचकती चूत में बहा दिया था। उसके बाद डॉली फिर चार बार झड़ी थी।
आज उस हसीन रात की याद कर के डॉली की चूत में फिर वही उबाल आ ह था। अपने मासूम मजेदार गुनाह की सुहागरात के बाद भी ऐसी अनगिनत रातें हुई थीं।
डॉली के भाई की सैक्स की प्यास मम्मी के साथ मिलकर भी वो नहीं मिटा पाती थी। अभि सुबह-सुबह ही तो चोद कर उसने डॉली को नींद से जगाया था। डॉली को अब एक और चुदाई की फ़ौरी जरूरत थी। पर मिस्टर शर्मा के फ़ोन पर बुलावे पर राज वहाँ दफ़ा हो गया था। ऐसी भी क्या जल्दी थी बहनचोद को ? डॉली ने सोचा। “क्या मिसेज शर्मा से उसका टाँका तो नहीं भिड़ गया था ?” एक शैतानी भरी मुस्कान उसके कमसिन चेहरे पर नाच रही थी, “ह्मम! शैतान का लन्ड, जभ भी चूत मिलती है, चोद डालता है !”
अपनी मैगजीन को अलग फेंकती हुई डॉली सीधे मकान के पीछे बगीचे में पहुंची। पड़ोस में मिस्टर शर्मा के घर में झाँका तो पूल के आस-पास कोई भी नहीं था। दौड़ कर डॉली शर्मा जी के बाहर पहुंची और बाजू वाले दरवाजे को खुला हुआ पाया। घर के अन्दर झाँकी और कान खड़े कर के किसी आहट को सुनने की कोशिश करने लगी। | पूरा घर सुना लग रहा था, तो बेखौफ़ होकर डॉली अन्दर खुसी। मेहमान खाना और किचन दोनों खाली थे। पर ऊपर किसी रूम से दबी से आवाजें सुनाई पड़ती थीं। जैसे-जैसे वो गलियारे में अन्दर चल रही थी, उसे वो आवाजें ज्यादा साफ़ और तेज सुनाई दे रही थीं। उसके कानों पर कराहने की जानी-पहचानी आवाज़ पड़ी, उसके भाई की। ‘पक्का किसी लौन्डिया को चोद रहा था। पर आखिर किस को ? मिसेज शर्मा ही होंगी। राज हर वक़्त टीना जी की चूत को एक न एक दिन फ़तह करने का दावा करता फिरता था। लगता है आज हरामी ने मैदान मार ही लिया!' दबे पाँव डॉली आवाजों की जानिब पहुंची। आवाज एक बेडरूम से आ रही थी। मारे रोमांच के, डॉली की नब्ज़ बढ़ने लगी।