desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
“बस मम्मी मुझे लाड़ कर रही थीं और मैं उनकी सेवा! देख रहा हूँ की डैडी और तू भी यहाँ प्यार और सेवा ही कर रहे हो। क्यों मम्मी ?”, जय बोला, और अपने लिंग को टीना जी द्वारा दबा देने की प्रतिक्रियावश उसने माँ के ममता भरे स्तनों को कस के दबा दिया। । “हाँ भैया, मः ‘मम्मी का हाल देख के तो साफ़ लगता है की खः 'खूब सेवा हुई है !”, सोनिया हाँफ़ते हुए बोली। मिस्टर शर्मा ने अचानक पुत्री के चोंचले को मुंह में दबा कर खींच कर चूसा, तो वो जोर से बिलबिला उठी और पीठ को अकड़ाने लगी।
। “अँहाँहः 'अ'आँघ'अह अह! ओह भगवान, आह डैडी! चूसो! मुझे एक और बार झड़ा दो !” | टीना जी मन्त्रमुग्ध होकर अपने पतिदेव को निपुणता से उनकी पुत्री की टपकती योनि को चूसत -चाटते हुए देख रही थीं। देख कर उनसे रहा नहीं गया। तुरन्त चीख कर उन्होंने अपने पुत्र को अपनी देह के ऊपर खींचा, और उसके कठोर लिंग को अपने भीगे हुए योनि द्वार पर रगड़ने लगीं।
ओह ओहहह! चोद जय मुझे ! तुझे तेरे बाप की कसम, चोद मुझे! तेरी हरामजादी माँ को इसी वक़्त तेरा काला मोटा मादरचोद लन्ड अपनी चूत में चाहिये !”
बाप के सामने बेटे से चुदती है? ले रन्डी, ले!”, जय गुर्राया, और अपने लिंग को बलपूर्वक माँ की कोमल, लाल, खुली हुई प्रजनन -गुहा में दबा कर पेल दिया।
अब विस्मय करने की बारी सोनिया की थी, उसने बड़ी हैरानी से अपनी माँ और भाई को ऐसे गन्दे शब्दों का उपयोग करते सुने और भाई के दैत्याकार लिंग के बैंगनी सुपाड़े को माँ की रोम-सज्जित योनि की कोपलों को पाटते हुए एक जोरदार ‘सुड़प्प' के घोष के साथ प्रविष्ट होते देखा। जय का दस इन्ची अश्वलिंग माँ के फूले हुए योनि -द्वार में एक ही भीमकाय ठेले के साथ पूरा-का-पूरा विलीन हो गया। । “ओहहहह! ऊँह ऊंघह! मादरचोऽद! जय, मुझे फिर चोद तू! बेटा, अपने लम्बे-लम्बे, काले-काले लौड़े से माँ की जलती चूत को चोद! ऊह, बाप के सामने चोद !!!!”
टीना जी ने पुत्र के गहरे खोदते लिंग के स्वागत में अपने कूल्हे उचकाये। जय मातृ देह में ऊर्जात्मक रूप से ठेलने लगा, और पुत्र दायित्व निभाता हुआ माँ की फड़कती योनि को अपने किशोर लिंग की उत्तेजक कठोरता से भरता गया।
अब जय माँ को उत्तेजीत करने के हर गुर में उस्ताद हो गया था। अपने हृष्ट-पुष्ट नौजवान कूल्हों को घुमाता हुआ, वो अपने चुस्त तन्दुरुस्त लिंग को ताबड़तोड़ उनकी फैल कर खुली हुई योनि में डालकर बारबार ठोकरें दे रहा था। अपने पौरुष के प्रतीक, माँस और नाड़ियों से बने, लम्बाकार लौहस्तम्भ को वो टीना जी की तंग, सिमटती माँद की सुलगती गहराइयों में घोंपे जा रहा था।
62 एक फूल दो माली जय के शक्तिशाली नौजवान लिंग के ठेलों की दिल दहलाने वाली गति के प्रभाववश पूरा बिस्तर चरमरा रहा था। पुत्र के घोंपते लिंग को योनि के ममता भरे आलिंगन में समाविष्ट कराने के वास्ते टीना जी अपने वक्राकार नितम्ब बिस्तर से उचकाती जा रही थीं। उनकी गगनोन्मुख योनि जय के किशोर लिंग को चुपड़-चुपड़ की जोरदार लिसलिसी ध्वनि निकालती हुई निगले जा रही थी। दोनो के निकट, मिस्टर शर्मा सोनिया की तंग, रिसती योनि को चाटते और चूसते हुए इसी प्रक्रिया में आवाजें कर रहे थी। कुंवारी यौवना सोनिया मारे आनन्द के बेसुधी में झूम रही थी। उसके पिता उसके फूले हुए गुप्तांगों को किसी भेड़िये जैसे चाटे जा रहे थे।
“ऊउहह, ऊँह! बेटीचोद, अपनी मोटी जीभ मेरी चूत में घुसा दे !”, सोनिया ने भी माँ की देखा-देखी रन्डी भाषा में बोलना शुरू कर दिया। कराहती हुई वो अपनी कोमल योनि को पिता की गहरी घुसती जिह्वा पर टिका कर मसलने लगी। “ऊऊहहह! चीभ से चोद! उँह! बड़वे! आह! बेटीचोद! चूस डैडी! मेरी चूत को चूस! आहह !” ।
नवयौवना सोनिया अपने पिता के सुपुड़ते मुँह में ही चरम यौन आनन्द की प्राप्ति पा रही थी। मिस्टर शर्मा निपुणता से अपने मुख द्वारा पुत्री की योनि से मैथुन कर रहे थे। उनकी सनसनाती जिह्वा के तले सोनिया अपनी कमसिन कमर को नागिन जैसी बलखा रही थी। | टीना जी की योनि में भी ऑरगैस्म हो रहा था। उनके पुत्र का वज्र सा कठोर लिंग उनकी फड़कती, उत्तिष्ठ योनि में अथक गति से ठेलता जा रहा था। नौजवान जय का दैत्याकार अंग निर्ममता से माँ के धड़कते उदिक्त चोंचले पर लगातार घर्षण कर रहा था, और उनके अति संवेदनशील इन्द्रियों को सहन की सीमा तक उत्तेजित कर रहा था!
। “अँहाँहः 'अ'आँघ'अह अह! ओह भगवान, आह डैडी! चूसो! मुझे एक और बार झड़ा दो !” | टीना जी मन्त्रमुग्ध होकर अपने पतिदेव को निपुणता से उनकी पुत्री की टपकती योनि को चूसत -चाटते हुए देख रही थीं। देख कर उनसे रहा नहीं गया। तुरन्त चीख कर उन्होंने अपने पुत्र को अपनी देह के ऊपर खींचा, और उसके कठोर लिंग को अपने भीगे हुए योनि द्वार पर रगड़ने लगीं।
ओह ओहहह! चोद जय मुझे ! तुझे तेरे बाप की कसम, चोद मुझे! तेरी हरामजादी माँ को इसी वक़्त तेरा काला मोटा मादरचोद लन्ड अपनी चूत में चाहिये !”
बाप के सामने बेटे से चुदती है? ले रन्डी, ले!”, जय गुर्राया, और अपने लिंग को बलपूर्वक माँ की कोमल, लाल, खुली हुई प्रजनन -गुहा में दबा कर पेल दिया।
अब विस्मय करने की बारी सोनिया की थी, उसने बड़ी हैरानी से अपनी माँ और भाई को ऐसे गन्दे शब्दों का उपयोग करते सुने और भाई के दैत्याकार लिंग के बैंगनी सुपाड़े को माँ की रोम-सज्जित योनि की कोपलों को पाटते हुए एक जोरदार ‘सुड़प्प' के घोष के साथ प्रविष्ट होते देखा। जय का दस इन्ची अश्वलिंग माँ के फूले हुए योनि -द्वार में एक ही भीमकाय ठेले के साथ पूरा-का-पूरा विलीन हो गया। । “ओहहहह! ऊँह ऊंघह! मादरचोऽद! जय, मुझे फिर चोद तू! बेटा, अपने लम्बे-लम्बे, काले-काले लौड़े से माँ की जलती चूत को चोद! ऊह, बाप के सामने चोद !!!!”
टीना जी ने पुत्र के गहरे खोदते लिंग के स्वागत में अपने कूल्हे उचकाये। जय मातृ देह में ऊर्जात्मक रूप से ठेलने लगा, और पुत्र दायित्व निभाता हुआ माँ की फड़कती योनि को अपने किशोर लिंग की उत्तेजक कठोरता से भरता गया।
अब जय माँ को उत्तेजीत करने के हर गुर में उस्ताद हो गया था। अपने हृष्ट-पुष्ट नौजवान कूल्हों को घुमाता हुआ, वो अपने चुस्त तन्दुरुस्त लिंग को ताबड़तोड़ उनकी फैल कर खुली हुई योनि में डालकर बारबार ठोकरें दे रहा था। अपने पौरुष के प्रतीक, माँस और नाड़ियों से बने, लम्बाकार लौहस्तम्भ को वो टीना जी की तंग, सिमटती माँद की सुलगती गहराइयों में घोंपे जा रहा था।
62 एक फूल दो माली जय के शक्तिशाली नौजवान लिंग के ठेलों की दिल दहलाने वाली गति के प्रभाववश पूरा बिस्तर चरमरा रहा था। पुत्र के घोंपते लिंग को योनि के ममता भरे आलिंगन में समाविष्ट कराने के वास्ते टीना जी अपने वक्राकार नितम्ब बिस्तर से उचकाती जा रही थीं। उनकी गगनोन्मुख योनि जय के किशोर लिंग को चुपड़-चुपड़ की जोरदार लिसलिसी ध्वनि निकालती हुई निगले जा रही थी। दोनो के निकट, मिस्टर शर्मा सोनिया की तंग, रिसती योनि को चाटते और चूसते हुए इसी प्रक्रिया में आवाजें कर रहे थी। कुंवारी यौवना सोनिया मारे आनन्द के बेसुधी में झूम रही थी। उसके पिता उसके फूले हुए गुप्तांगों को किसी भेड़िये जैसे चाटे जा रहे थे।
“ऊउहह, ऊँह! बेटीचोद, अपनी मोटी जीभ मेरी चूत में घुसा दे !”, सोनिया ने भी माँ की देखा-देखी रन्डी भाषा में बोलना शुरू कर दिया। कराहती हुई वो अपनी कोमल योनि को पिता की गहरी घुसती जिह्वा पर टिका कर मसलने लगी। “ऊऊहहह! चीभ से चोद! उँह! बड़वे! आह! बेटीचोद! चूस डैडी! मेरी चूत को चूस! आहह !” ।
नवयौवना सोनिया अपने पिता के सुपुड़ते मुँह में ही चरम यौन आनन्द की प्राप्ति पा रही थी। मिस्टर शर्मा निपुणता से अपने मुख द्वारा पुत्री की योनि से मैथुन कर रहे थे। उनकी सनसनाती जिह्वा के तले सोनिया अपनी कमसिन कमर को नागिन जैसी बलखा रही थी। | टीना जी की योनि में भी ऑरगैस्म हो रहा था। उनके पुत्र का वज्र सा कठोर लिंग उनकी फड़कती, उत्तिष्ठ योनि में अथक गति से ठेलता जा रहा था। नौजवान जय का दैत्याकार अंग निर्ममता से माँ के धड़कते उदिक्त चोंचले पर लगातार घर्षण कर रहा था, और उनके अति संवेदनशील इन्द्रियों को सहन की सीमा तक उत्तेजित कर रहा था!