desiaks
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67 त्रिकोणीय शृंखला
जब मिस्टर शर्मा ने बेडरूम में पुनः पदार्पण किया और गतिविधियों का मुआयना किया, तो उनका लिंग तपाक से सावधान मुद्रा में आ गया। उन्होंने सर्वदा कल्पना की थी कि टीना जी को किसी अन्य महिला की योनि से मुखमैथुन करते देखें , और आज तो वही कल्पना यथार्थ बनकर उनके समक्ष दृष्टिगोचर हो रही थी। दरसल उनका लिंग इसलिये फड़क - धड़क उठा था क्योंकि उन्हीं की कामुक नवयौवना पुत्री की योनि में उनकी पत्नी अपना मुख चिपटाकर भूखी कुतिया जैसी चाट-चुपड़ कर रही थीं।
मिस्टर शर्मा बिस्तर के समीप पहुंचे और उन्होंने अपने पुत्र को उनकी पत्नी के साथ ठोक-ठोक कर सम्भोग करते हुए देखा। जैसे वह अपने लम्बे, कठोर लिंग को उनकी उचकी मांद में जोतता जा रहा था, किशोर जय के अण्डकोष ‘फत्थ - फच्चाक' की जोरदार ध्वनि के साथ माँ के पेट पर टक्कर कर रहे थे।
“आओ डैडी, देखो बेशरम कुतिया कैसे चूत चाटती है !”, जय ने पिता का स्वागत किया। उसके ठेलों के बल के प्रभाववश हर ठेले के साथ उसकी माँ का मुख सोनिया की रिसती योनि में अन्दर दब जाता था, जिससे उसकी वासना से बेसुध जवान बहन के मुख से रह रह कर लैंगिक आनन्द की अभिव्यक्ति करती किलकारियाँ फूट पड़ती थीं।
“मादरचोद, रुक नहीं सकता था मेरे लिये ?”, मिस्टर शर्मा मुस्काते हुए बिस्तर पर चढ़ बैठे और अपने लिंग को पुत्री के कामुक मुख में उडेलते हुए बोले।
सोनिया अपने पूरे सामर्थ्य से मिस्टर शर्मा के लिंग को चूसने लगी। अपनी योनि पर माँ के होंठों और जिह्वा का अनुभव उसे मारे मस्ती के पागल किये देता था, और अब मुंह में पिता का लिंग उसकी मादक मस्ती के अनुभव को परिपूर्ण कर रहा था। जैसे मिस्टर शर्मा ने अपने लिंग को उसके मुख में चलाना प्रारम्भ किया, सोनिया ने फिर एक बार ऑरगैस्म का अनुभव किया। भूखी माँ उसकी योनि के अति - संवेदनशील चोंचले को चूसती जा रही थी। प्रतिक्रिया में वह केवल पिता के लिंग पर मुँह कसे हुए मदमस्त होकर कराहती जा रही थी।
“साली, डैडी का वीर्य पियेगी ? बोल ?”, मिस्टर शर्मा ने पूछा।
“बेटीचोद, तू सोनिया से चुसवा रहा है ?”, अब तक उनकी गतिविधियों से अनभिज्ञ टीना जी ने हैरानी प्रकट की।
“अबे हरामजादी, तू चुपचाप जय से चुदवा! तेरी बेटी मेरे लन्ड की सेवा कर रही है !” पिल्ले जनेगी! मेरी माँ मेरे पिल्ले जनेगी!”
जय भी अब वीर्य स्खलन के निकट आ चुका था। उसकी माँ की तंग, भींचती योनि की चिपचिपाहट उसके सारे बाँध तोड़े देती थी। उसपर अपनी बहन को पिता के लिंग को चूसते देख, और साथ में माँ द्वारा योनि चुसवाता देख, जय की उत्तेजना और अधिक बढ़ गयी थी। लड़के को अपने वीर्य-कोष में खिंचाव का आभास हुआ। अब किसी भी सैकेण्ड उसकी माँ को उसके वीर्य की हर बूंद प्राप्त होने वाली थी!
“ऊ ऊहहह! कुतिया! अब मेरा लन्ड भी झड़ने वाला है, मम्मी !”, जय गुर्राया, और अपने फड़कते लिंग को माँ की चुपड़ी योनि की गहनता में पागलों जैसा पीटने लगा।
टीना जी पुत्री की योनि के भीतर कराहीं और अपने नितम्बों को संकेतात्मक लहजे में हिलाती हुई उससे अपनी योनि के भीतर वीर्य स्खलन का आग्रह करने लगीं। इस निर्लज्जता भरे आह्वाहन ने जय के संयम के बाँध को तोड़ दिया। माँ की जकड़ती तपन के भीतर उसका लिंग फड़ाका। उसके अण्डकोष उबल पड़े और एक लबालब बौछार के साथ अपने भीतर संग्रहित वीर्य को टीना जी की मचलती योनि की गहनता में उडेल दिया।
“ले कुतिया, मेरा बीज !”, वो चीखा, “उँहह अँ आ ... आह ऊहह ! ले अपनी कुतिया चूत में मेरा वीर्य ! ओहहह, मादरचोद! माँ की चूत ! चोद मेरा लन्ड !”
“आह ऐंह पी जा अपनी चूत में मेरे टट्टों का वीर्य! देख बेटीचोद, जिस चूत को चोदकर तूने मुझे पैदा किया था, उसी चूत को चोदकर आज मैं हराम के पिल्ले पैदा करूंगा!” पिता को सम्बोधित करता हुआ बड़े गर्व से बोला था जय।
“मादरचोद, चोद माँ की चूत! मेरे शेर, दे साली को अपना वीर्य !” मिस्टर शर्मा ने पुत्र का उत्साह वर्धन किया।
टीना जी ने भी अपने पुत्र के गरम, गाढ़े वीर्य को अपनी योनि में प्रवाहित होता महसूस कर लिया था। जय के लिंग का तना उनके चोंचले पर खूबसूरती से रगड़े जा रहा था, परन्तु वे अपने ऑरगैस्म के तनिक भी करीब नहीं थीं।
जय के लिंग ने तो उनके भीतर ज्वलन्त कामाग्नि को हलका सा भड़काया भर था। मैं पहले भी कह चुका हूँ किन कारणों से यह स्वाभाविक था। टीना जी ने अपनी निस्वार्थ ममता का प्रेम अपने पुत्र के लिंग से वीर्य स्खलित कर अभिव्यक्त किया था। करुणा की सागर उनकी योनि में पुत्र-वीर्य को ग्रहण कर उन्होंने अपने असीम और निश्छल प्रेम का एक और उदाहरण दिया था।
उनके चूसते मुख ने तले, सोनिया अपने तीसरे ऑरगैस्म के प्रभाव में ऐंठ रही थी। उनकी नन्हीं बिटिया की कामक्षुधा तो बुझाये नहीं बुझती थी, पर टीना जी की देह तो तृप्ति के लिये अधीर हो रही थी। वे अपनी पुत्री से क्षुधा पूर्ति की अपेक्षा कर रही थीं। | जब जय ने अपना लिंग उनकी योनि से बाहर खींच निकाला, तो टीना जी ने पीठ के बल लोटकर सोनिया को अपने संग खींचते हुए, उसके सर को अपनी दुखती योनि पर नीचे दबा दिया। मिस्टर शर्मा के लिंग ने ‘सुड़प्प' के गूंजते स्वर के साथ पुत्री के मुख का त्याग किया। उन्होंने सोनिया को अपने हाथों और घुटनों के बल बैठकर माँ की जाँघों के बीच सर घुसाते हुए देखा।
“चूस मुझे, सोनिया !”, टीना जी कराहीं, “आ बिटिया, तेरी कुतिया माँ तुझे रन्डी बनने की ट्रेनिंग देगी !”
सोनिया ने इससे पहले कभी योनि को चाटा नहीं था, पर मैथुन की इस नवीन शैली को सीखने का इससे अच्छा अवसर भला और कौनसा हो सकता था ? आखिरकार माँ ने अभी-अभी तो उसकी योनि के संग मुख मैथुन किया था। उसकी नन्हीं योनि अब भी माँ द्वारा प्रदान किये अति-तीक्षण ऑरगैस्मों के प्रभाववश में गुदगुदा रही थी। उसे तनिक भी ग्लानि अथवा शर्म का आभास नहीं हुआ। जानती थी तो बस इतना की पूरी रात उसे चूसना और चुदना है! एक पाश्विक कराह के साथ किशोरी सोनिया ने अपना मुँह टीना जी की पटी योनि पर दबा डाला और आतुरता से अपनी कामुक माता की टपकती योनि पर ऊपर-नीचे चाटने-चुपड़ने लगी। | मिस्टर शर्मा पुत्री के उचके हुए नितम्बों के पीछे आ पहुंचे और घुटनों के बल बैठ गये। फिर उन्होंने अपनी जिह्वा को पीछे की दिशा से उसकी आकर्षक योनि के भीतर घुसेड़ना प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने सोनिया की रसीली योनि-कोपलों को चाटा और चूसा। सोनिया भी इसी क्रिया को माता पर दोहरा रही थी। फिर खड़े होकर मिस्टर शर्मा ने, उस स्थान पर, जहाँ कुछ देर पहले उनकी जिह्वा थी, अपने विशालकाय लिंग के सिरे को टिका दिया।
जब मिस्टर शर्मा ने बेडरूम में पुनः पदार्पण किया और गतिविधियों का मुआयना किया, तो उनका लिंग तपाक से सावधान मुद्रा में आ गया। उन्होंने सर्वदा कल्पना की थी कि टीना जी को किसी अन्य महिला की योनि से मुखमैथुन करते देखें , और आज तो वही कल्पना यथार्थ बनकर उनके समक्ष दृष्टिगोचर हो रही थी। दरसल उनका लिंग इसलिये फड़क - धड़क उठा था क्योंकि उन्हीं की कामुक नवयौवना पुत्री की योनि में उनकी पत्नी अपना मुख चिपटाकर भूखी कुतिया जैसी चाट-चुपड़ कर रही थीं।
मिस्टर शर्मा बिस्तर के समीप पहुंचे और उन्होंने अपने पुत्र को उनकी पत्नी के साथ ठोक-ठोक कर सम्भोग करते हुए देखा। जैसे वह अपने लम्बे, कठोर लिंग को उनकी उचकी मांद में जोतता जा रहा था, किशोर जय के अण्डकोष ‘फत्थ - फच्चाक' की जोरदार ध्वनि के साथ माँ के पेट पर टक्कर कर रहे थे।
“आओ डैडी, देखो बेशरम कुतिया कैसे चूत चाटती है !”, जय ने पिता का स्वागत किया। उसके ठेलों के बल के प्रभाववश हर ठेले के साथ उसकी माँ का मुख सोनिया की रिसती योनि में अन्दर दब जाता था, जिससे उसकी वासना से बेसुध जवान बहन के मुख से रह रह कर लैंगिक आनन्द की अभिव्यक्ति करती किलकारियाँ फूट पड़ती थीं।
“मादरचोद, रुक नहीं सकता था मेरे लिये ?”, मिस्टर शर्मा मुस्काते हुए बिस्तर पर चढ़ बैठे और अपने लिंग को पुत्री के कामुक मुख में उडेलते हुए बोले।
सोनिया अपने पूरे सामर्थ्य से मिस्टर शर्मा के लिंग को चूसने लगी। अपनी योनि पर माँ के होंठों और जिह्वा का अनुभव उसे मारे मस्ती के पागल किये देता था, और अब मुंह में पिता का लिंग उसकी मादक मस्ती के अनुभव को परिपूर्ण कर रहा था। जैसे मिस्टर शर्मा ने अपने लिंग को उसके मुख में चलाना प्रारम्भ किया, सोनिया ने फिर एक बार ऑरगैस्म का अनुभव किया। भूखी माँ उसकी योनि के अति - संवेदनशील चोंचले को चूसती जा रही थी। प्रतिक्रिया में वह केवल पिता के लिंग पर मुँह कसे हुए मदमस्त होकर कराहती जा रही थी।
“साली, डैडी का वीर्य पियेगी ? बोल ?”, मिस्टर शर्मा ने पूछा।
“बेटीचोद, तू सोनिया से चुसवा रहा है ?”, अब तक उनकी गतिविधियों से अनभिज्ञ टीना जी ने हैरानी प्रकट की।
“अबे हरामजादी, तू चुपचाप जय से चुदवा! तेरी बेटी मेरे लन्ड की सेवा कर रही है !” पिल्ले जनेगी! मेरी माँ मेरे पिल्ले जनेगी!”
जय भी अब वीर्य स्खलन के निकट आ चुका था। उसकी माँ की तंग, भींचती योनि की चिपचिपाहट उसके सारे बाँध तोड़े देती थी। उसपर अपनी बहन को पिता के लिंग को चूसते देख, और साथ में माँ द्वारा योनि चुसवाता देख, जय की उत्तेजना और अधिक बढ़ गयी थी। लड़के को अपने वीर्य-कोष में खिंचाव का आभास हुआ। अब किसी भी सैकेण्ड उसकी माँ को उसके वीर्य की हर बूंद प्राप्त होने वाली थी!
“ऊ ऊहहह! कुतिया! अब मेरा लन्ड भी झड़ने वाला है, मम्मी !”, जय गुर्राया, और अपने फड़कते लिंग को माँ की चुपड़ी योनि की गहनता में पागलों जैसा पीटने लगा।
टीना जी पुत्री की योनि के भीतर कराहीं और अपने नितम्बों को संकेतात्मक लहजे में हिलाती हुई उससे अपनी योनि के भीतर वीर्य स्खलन का आग्रह करने लगीं। इस निर्लज्जता भरे आह्वाहन ने जय के संयम के बाँध को तोड़ दिया। माँ की जकड़ती तपन के भीतर उसका लिंग फड़ाका। उसके अण्डकोष उबल पड़े और एक लबालब बौछार के साथ अपने भीतर संग्रहित वीर्य को टीना जी की मचलती योनि की गहनता में उडेल दिया।
“ले कुतिया, मेरा बीज !”, वो चीखा, “उँहह अँ आ ... आह ऊहह ! ले अपनी कुतिया चूत में मेरा वीर्य ! ओहहह, मादरचोद! माँ की चूत ! चोद मेरा लन्ड !”
“आह ऐंह पी जा अपनी चूत में मेरे टट्टों का वीर्य! देख बेटीचोद, जिस चूत को चोदकर तूने मुझे पैदा किया था, उसी चूत को चोदकर आज मैं हराम के पिल्ले पैदा करूंगा!” पिता को सम्बोधित करता हुआ बड़े गर्व से बोला था जय।
“मादरचोद, चोद माँ की चूत! मेरे शेर, दे साली को अपना वीर्य !” मिस्टर शर्मा ने पुत्र का उत्साह वर्धन किया।
टीना जी ने भी अपने पुत्र के गरम, गाढ़े वीर्य को अपनी योनि में प्रवाहित होता महसूस कर लिया था। जय के लिंग का तना उनके चोंचले पर खूबसूरती से रगड़े जा रहा था, परन्तु वे अपने ऑरगैस्म के तनिक भी करीब नहीं थीं।
जय के लिंग ने तो उनके भीतर ज्वलन्त कामाग्नि को हलका सा भड़काया भर था। मैं पहले भी कह चुका हूँ किन कारणों से यह स्वाभाविक था। टीना जी ने अपनी निस्वार्थ ममता का प्रेम अपने पुत्र के लिंग से वीर्य स्खलित कर अभिव्यक्त किया था। करुणा की सागर उनकी योनि में पुत्र-वीर्य को ग्रहण कर उन्होंने अपने असीम और निश्छल प्रेम का एक और उदाहरण दिया था।
उनके चूसते मुख ने तले, सोनिया अपने तीसरे ऑरगैस्म के प्रभाव में ऐंठ रही थी। उनकी नन्हीं बिटिया की कामक्षुधा तो बुझाये नहीं बुझती थी, पर टीना जी की देह तो तृप्ति के लिये अधीर हो रही थी। वे अपनी पुत्री से क्षुधा पूर्ति की अपेक्षा कर रही थीं। | जब जय ने अपना लिंग उनकी योनि से बाहर खींच निकाला, तो टीना जी ने पीठ के बल लोटकर सोनिया को अपने संग खींचते हुए, उसके सर को अपनी दुखती योनि पर नीचे दबा दिया। मिस्टर शर्मा के लिंग ने ‘सुड़प्प' के गूंजते स्वर के साथ पुत्री के मुख का त्याग किया। उन्होंने सोनिया को अपने हाथों और घुटनों के बल बैठकर माँ की जाँघों के बीच सर घुसाते हुए देखा।
“चूस मुझे, सोनिया !”, टीना जी कराहीं, “आ बिटिया, तेरी कुतिया माँ तुझे रन्डी बनने की ट्रेनिंग देगी !”
सोनिया ने इससे पहले कभी योनि को चाटा नहीं था, पर मैथुन की इस नवीन शैली को सीखने का इससे अच्छा अवसर भला और कौनसा हो सकता था ? आखिरकार माँ ने अभी-अभी तो उसकी योनि के संग मुख मैथुन किया था। उसकी नन्हीं योनि अब भी माँ द्वारा प्रदान किये अति-तीक्षण ऑरगैस्मों के प्रभाववश में गुदगुदा रही थी। उसे तनिक भी ग्लानि अथवा शर्म का आभास नहीं हुआ। जानती थी तो बस इतना की पूरी रात उसे चूसना और चुदना है! एक पाश्विक कराह के साथ किशोरी सोनिया ने अपना मुँह टीना जी की पटी योनि पर दबा डाला और आतुरता से अपनी कामुक माता की टपकती योनि पर ऊपर-नीचे चाटने-चुपड़ने लगी। | मिस्टर शर्मा पुत्री के उचके हुए नितम्बों के पीछे आ पहुंचे और घुटनों के बल बैठ गये। फिर उन्होंने अपनी जिह्वा को पीछे की दिशा से उसकी आकर्षक योनि के भीतर घुसेड़ना प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने सोनिया की रसीली योनि-कोपलों को चाटा और चूसा। सोनिया भी इसी क्रिया को माता पर दोहरा रही थी। फिर खड़े होकर मिस्टर शर्मा ने, उस स्थान पर, जहाँ कुछ देर पहले उनकी जिह्वा थी, अपने विशालकाय लिंग के सिरे को टिका दिया।