hotaks444
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मै - बहु।। एक बात कहूं बुरा तो नहीं मनोगी।।?
सरोज - नहीं मानूँगी बोलिये।।
मै - बहु अगर तुम ये जीन्स पहन के अपने पापा के सामने गई और पापा ने तुम्हारी ऐसे खुली नाभि देख ली, तो सच बोलता हूं।। तुम्हारी नाभि देख कर उनका मुट्ठ उनके पैंट में ही निकल जाएगा।।
सरोज - छि: बाबूजी।। आप कैसे गन्दी बातें कर रहे है। वो मेरे पापा हैं प्लीज।
मै - ओके बहु सॉरी।।नही कहूँगा कुछ।।
सरोज - ठीक है मैं ये जीन्स टॉप नहीं पहनती मैं कोई और ट्राई करती हूँ।
फिर बहु ने एक ब्लू जीन्स और ग्रे टीशर्ट डाल लिया और अपने पापा का वेट करती रही।।वेट करते करते न जाने कब उसकी आँख लग गई और वो वहीँ बिस्तर पे सो गई।। मैं भी बहु के पापा का हॉल में इंतज़ार करता रहा, तभी डोर बेल्ल बजी मैंने दरवाजा खोला तो मेरे समधी जी थे। मैंने उनका स्वागत किया।। उन्होंने पूछा की मेरी बेटी कहाँ है तो मैं कहा की वो आपकी राह देखते सो गई अपने कमरे में है। फिर मैं और समधी जी बहु के कमरे के तरफ हो लिये।
बहु के कमरे का दरवाज़ा खोला तो अंदर का नज़ारा देख मेरा लंड तमतमा गया। सोते वक़्त बहु का टॉप ऊपर चढ़ गया था जिससे उसकी चिकनी कमर नज़र आ रही थी और उसकी बड़ी सी गांड मेरे आँखों के सामने थी।
बहु की गांड देख ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे और अपने पापा को चोदने के लिए आमंत्रित कर रही हो। समधी जी भी अपनी बेटी की गांड शायद पहली बार देख रहे थे तभी उनके मुह से कुछ नहीं निकला और वो अपनी बेटी के भारी भरकम कुल्हे को निहारते रहे।
मैने धीरे से बहु को आवाज लगाया।। बहु देखो कौन आया है।। बहु की नींद खुली तो वो बिस्तर पर थोड़ा उचक कर हमारी तरफ देखि, बहु ने उठने से पहले अपनी गांड को हवा में लहराया।। उस वक़्त उसकी गांड पहले से ज्यादा बड़ी और मादक लग रही थी।
सरोज - नहीं मानूँगी बोलिये।।
मै - बहु अगर तुम ये जीन्स पहन के अपने पापा के सामने गई और पापा ने तुम्हारी ऐसे खुली नाभि देख ली, तो सच बोलता हूं।। तुम्हारी नाभि देख कर उनका मुट्ठ उनके पैंट में ही निकल जाएगा।।
सरोज - छि: बाबूजी।। आप कैसे गन्दी बातें कर रहे है। वो मेरे पापा हैं प्लीज।
मै - ओके बहु सॉरी।।नही कहूँगा कुछ।।
सरोज - ठीक है मैं ये जीन्स टॉप नहीं पहनती मैं कोई और ट्राई करती हूँ।
फिर बहु ने एक ब्लू जीन्स और ग्रे टीशर्ट डाल लिया और अपने पापा का वेट करती रही।।वेट करते करते न जाने कब उसकी आँख लग गई और वो वहीँ बिस्तर पे सो गई।। मैं भी बहु के पापा का हॉल में इंतज़ार करता रहा, तभी डोर बेल्ल बजी मैंने दरवाजा खोला तो मेरे समधी जी थे। मैंने उनका स्वागत किया।। उन्होंने पूछा की मेरी बेटी कहाँ है तो मैं कहा की वो आपकी राह देखते सो गई अपने कमरे में है। फिर मैं और समधी जी बहु के कमरे के तरफ हो लिये।
बहु के कमरे का दरवाज़ा खोला तो अंदर का नज़ारा देख मेरा लंड तमतमा गया। सोते वक़्त बहु का टॉप ऊपर चढ़ गया था जिससे उसकी चिकनी कमर नज़र आ रही थी और उसकी बड़ी सी गांड मेरे आँखों के सामने थी।
बहु की गांड देख ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे और अपने पापा को चोदने के लिए आमंत्रित कर रही हो। समधी जी भी अपनी बेटी की गांड शायद पहली बार देख रहे थे तभी उनके मुह से कुछ नहीं निकला और वो अपनी बेटी के भारी भरकम कुल्हे को निहारते रहे।
मैने धीरे से बहु को आवाज लगाया।। बहु देखो कौन आया है।। बहु की नींद खुली तो वो बिस्तर पर थोड़ा उचक कर हमारी तरफ देखि, बहु ने उठने से पहले अपनी गांड को हवा में लहराया।। उस वक़्त उसकी गांड पहले से ज्यादा बड़ी और मादक लग रही थी।