vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी - Page 9 - SexBaba
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vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी

समधि जी - तो कौन करता है बेटी? तुम्हारे ससुर जी? (समधी जी ने फिर से बहु को ट्रेस करते हुये कहा )

सरोज - पापा प्लीज फिर से आप????

एक जवान बहु के अपने ससुर और अपने पापा के साथ इस तरह की गन्दी बातें करते देख मेरा और समधी जी दोनों का लंड खड़ा हो गया था। जो बहु दूर से ही देख पा रही थी।

समधि जी - बेटी ये फोटो मुझे चहिये।। 

सरोज - क्यों पापा? 

समधि जी - क्योंकि इस फोटो में तुम्हारी जाँघे बहुत मोटी और अच्छी लग रही है। और तुम्हारे बूब्स आआअह्ह्ह्ह कितने सॉफ्ट दिख रहे है।। (समधी जी ने अपने लंड को पेंट के ऊपर से दबाते हुए कहा)

सरोज - क्या हुवा पापा, आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं?

समधि जी - आहः।। बेटी।।।(इस बार समधी जी ने अपने खड़े लंड को साफ़ अपनी बेटी के सामने पकड़ते हुए उसका नाम लिया)

सरोज - पापा क्या हुआ आपको?

समधि जी - बेटी काश तुम इस फोटो में पेंटी नहीं पहनी होती।।।। आह।।।।यह बेटी।। तुम्हारी।। ओ।।। उमं

सरोज - क्या पापा? आप मुझे बिना पेंटी के देखना चाहते हैं?

समधि जी - हाँ बेटी मैंने तुम्हारी जैसी जवान खूबसूरत और गदराई स्त्री नहीं देखी। आह।।दमाद जी कितने लकी है।

सरोज - ओह पापा।। मुझे शर्म आ रही है।। अगर मैं इस फोटो में पैंटी नहीं पहनी होती तो आप क्या करते?

समधि जी - मत पूछो बेटी मैं नहीं बोल सकता

सरोज - बोलिये न पापा।। प्लीज मुझे जानना है।।। 

समधि जी - नहीं बेटी।। मैं नहीं बोल सकता मुझे माफ़ करो।।

सरोज - बोलिये पापा नहीं तो मैं आपको रियल में अपनी पेंटी उतार के दिखा दूंगी और फिर खुद देख लूँगी की आप क्या करते है।। 

समधि जी - नहीं बेटी।।

सरोज - ठीक है मुझे ही कुछ करना पडेगा। (कहते हुये बहु ने एक झटके में अपनी कुर्ती और सलवार का नाडा खोल दिया। नाडा खुलते ही बहु अपने पापा के सामने सिर्फ एक ग्रीन कलर की पेंटी और ब्रा में खड़ी थी। बहु की मांसल जाँघे और बड़े मादक कुल्हे देख कर समधी जी की हालत ख़राब हो रही थी)
 
सरोज - अब बोलिये न पापा। 

समधि जी - नहीं बेटी ये तुम क्या कर रही हो। तुम मेरी बेटी हो

सरोज - आप जबतक मेरे सवाल का जवाब नहीं देते मैं आपकी कोई बात नहीं मानुंगी। (ये कहते हुए बहु ने अपनी ब्रा उतार कर फेंक दी। दूसरे ही पल अपनी गदराई जाँघो से खिसकते हुये उसने अपनी पेंटी खोल दी)

सरोज - ये लिजीये पापा खोल दी मैंने अपनी पैंटी। क्या आप अब भी नहीं बताएँगे?

समधि जी - ओह बेटी तुम्हारी चूत देख मैं मुट्ठ मार लेता।

सरोज - क्या? तो लिजीये मैं आपके सामने अपनी चूत खोले खड़ी हूँ लेकिन आप तो कुछ नहीं कर रहे।

समधि जी - (अपने पेंट के ओर इशारा करते हुए, ये देखो बेटी मेरा मुट्ठ अंदर पेंट में ही लीक हो गया है।। तुम्हे ये गिला-गिला नहीं दिखाई देता)

सरोज - ओह पापा, आप का मुट्ठ मुझे देख के ही निकल गया।। ओह पापा।। क्या मैं देख सकती हूँ (ऐसा कहते हुए बहु अपने घूटने पे बैठ गई और समधी जी का पेंट खोल दी। बाहर निकलते ही समधी जी का लंड खड़ा होकर बहु के होठ के पास तना था। और उसमे से समधी जी का वीर्य टपक रहा था)

सरोज ने बिना देरी किये अपने पापा का खड़ा लंड हाथ में लेकर सहलाने लगी।। 

सरोज - ओह पापा क्या ये मुझे देख कर खड़ा है?

समधि जी - हाँ बेटी तुम्हे नंगा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया है।। 

बहु ने अपने पापा के लंड की स्किन नीचे कर खोल दी उनके लंड से महक आ रही थी, बहु अपनी नाक लंड पे रगडने लगी।।

सरोज - ओह पापा आपका लंड कितना अच्छा महक रहा है।।मैं इसे चुसना चाहती हूँ पापा।। (और फिर बहु ने अपने पापा का लण्ड अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी)।
 
मै वहां थोड़ी दूर पे खड़ा ये सब देख रहा था बेटी को अपने पापा का लंड चुसता देख भला कैसे खुद को रोक पाता मैं अपना लंड बाहर निकाल कर मसलने लगा। समधी जी ने मुझे लंड मसलते हुए देख लिया।

समधि जी - वो देखो बहु तुम्हारी बड़ी गांड देख के समधी जी अपना लंड सहलाने लगे ।

सरोज - (बहु अपने पापा का लंड मुह से बाहर निकालते हुये बोली) पापा तो फिर मैं ऐसा करती हूँ ससुर जी का लंड चूस कर माल निकाल देती हूँ फिर आपका लण्ड चूसुंगी।

समधि जी - ठीक है बेटी तबतक तुम मुझे अपनी चूत का पानी ही पीला दो।

सरोज - (अपने पापा का बाल पकड़ कर अपनी चूत की तरफ का रास्ता दिखाया) आईए पापा पी लिजीये अपनी बेटी का बुर। बुर चाट कर अपनी बेटी का सारा पानी निकाल दिजिये पापा। आआअह्ह्ह्हह मुझे बहुत मज़ा आ रहा है पापा।। आपकी जीभ को अपनी चूत में लेने में।। आआह्ह्।।। 

समधि जी बहु का बुर चाटने लगे और मैं बहु के मुह में अपना लंड चुसवाने लगा। उसके बाद समधी जी अपना लंड पकड़ के बहु के ऊपर चड्ढ गये।।

समधि जी - सरोज बेटी मुझसे रहा नहीं जाता अब, मैं तुम्हे चोदना चाहता हू।

सरोज - हाँ पापा चोदीए आज आप अपनी बेटी को चोदीये। मैं बहुत प्यासी हूँ पापा चोदीये मुझे (बहु बिस्तर पे लेटी अपनी टाँग फैला दी।। और अपनी गिली चूत की तरफ इशारा किया) 

समधि जी - बेटी तुम्हारी बड़ी गांड देख कर सबसे पहले मेरा लंड खड़ा हुआ तो मैं पहले तुम्हारी गांड मारूँगा।। उसके बाद चूत।

ये कहते हुये समधी जी अपना लंड बहु की गांड में डाल दिया बहु दर्द से काँप गई लेकिन समधीजी अपनी बेटी को गांड में पेलने लगे।। मैं बहु की बड़ी-बड़ी चूचियां मसलते हुये अपना लंड चुसवा रहा था।
 
समधि जी कुछ देर चोदने के बाद -
समधि जी - समधी जी अब आप मेरी बेटी को चोदीये 

मै - ठीक है समधी जी

सरोज - आईए पापा मैं आपका माल अपने मुह में चूस के निकाल देती हूँ।

सरोज अब अपने पापा का लंड चूसने लगी और मैं बहु को चोदे जा रहा था।। बहु की गिली बुर चोदने में बहुत ही मजा आ रहा था। बिस्तर पे बहु की बुर से काफी सारा पानी टपका था। मैं धीरे धीरे लीक होने लगा था और मेरा लंड और बहु का बुर आपस में चिप-चिप करने लगे थे। उधर समधी जी के लंड से कई लीक हुआ मुट्ठ बहु के गाल और होठ पे साफ़ नज़र आ रहे थे।

समधि जी - आह बेटी मेरा मुट्ठ निकलने वाला है।।।
मै - बहु मेरा भी मूठ निकलने वाला है

सरोज - पापा, ससुर जी मैं चाहती हूँ की आप दोनों अपनी रंडी बहु और अपनी रंडी बेटी के मुह पे अपना मूठ गिरायें।। मैं आप दोनों के मूठ से नहाना चाहती हूं।। प्लीज।

बहु के ऐसा बोलते ही मैं और समधी जी फ़व्वारे की तरह फुट पड़े और बहु के मुह बूब्स चेहरे सब पे मुट्ठ की गरम गरम बारिश कर दी। 



अपना मुट्ठ निकाल कर मुझे बहुत सन्तुष्टि मिली ।शायद समधी जी ने भी कभी नहीं सोचा था की वो अपनी बेटी को इस तरह चोद पाएंग़े। बहु उत्तेजित हो कर हम दोनों का मुट्ठ चाट रही थी।
 
कुछ देर बाद बहू बेड पर बीच मे थी और एक तरफ मैं और एक तरफ उसके पापा। उसने पापा ने सरोज को अपने लंड को फिर से चूसने का इशारा किया.सरोज अब एक बार समधीजी के लंड को चुस्ती और एक बार मेरे लंड को.करीब 05 मिनिट के बाद समधीजी ने उसको बिस्तर पर लिटा दिया एक बूब्स पर वो मूह मारने लगे और दूसरी पर मुझे लगने का इशारा किया.इस क्रिया से बहू के मूह से आवाज़ें निकलने लगी उसको अलग अलग बूब्स के चूसने से शायद काफ़ी मज़ा आ रहा था.मैने अपना एक हाथ उसकी चूत पर लगाया तो महसूस किया कि उसकी चूत काफ़ी पानी छोड़ रही है,यानी कि उसको खूब मज़ा आ रहा है.

उसके पापा थोड़ी देर बाद ही उसकी दोनो जांघों के बीच में पहुँच गये और उसकी चूत को चूसने लगे,अब मैं उसके बूब्स पर और समधीजी उसकी चूत पर चूस रहे थे.बहू अपने शरीर को बुरी तरह से नागिन की तरह बल खा रही थी,इससे लगता था कि उसको काफ़ी मज़ा आ रहा है.

उसके पापा भी ये समझ चुके थे.वो उठे और सरोज से बोले क्यूँ बेटी मज़ा आ रहा है.अकेले पापा से चुदने में मज़ा है या दोनो से.वो चुप ही रही और लंबी लंबी साँसे लेती रही.समधीजी फिर बोले एक बात बताओ तो सही अगर सही बता दोगि तो हम और प्रयास करके तुमको खूब मज़ा देंगे,मैं फिर बोला अच्छा लगा हां या ना कुछ तो बोलो.बहू धीरे से बोली हां.वो फिर बोले अच्छा या बहुत अच्छा.वो इस पर मुस्कुरा दी तो समधीजी बोले मैं समझ गया लेकिन तुम साथ दोगी तो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा.बोलो दोगी साथ.चाहिए खूब मज़ा,सरोज ने हां में सिर हिला दिया.
 
अब मैने और समधीजी दोनो ने ही बहू को एक आदमी बूब्स पर और एक आदमी चूत पर अदला बदली करके लगे रहे चूस्ते और चाटते रहे.समधीजी बोले देसाइजी कोई क्रीम है तो ले आओ.मैने बोला लाता हूँ.मैं जैसे ही उठा तो बहू ने पहली बार अपने पापा से पूछा,क्रीम किस लिए,इस पर समधीजी बोले लाने तो दो तब बताउन्गा.मैं तो समझ गया था कि इनका प्लान आगे से चूत और पीछे से गान्ड मारने का है.

जैसे ही मैं वापिस आया मैने देखा समधीजी ने अपनी बेटी की दोनो टाँगें उपर की हुई हैं और अपना लंड डालने वाले है.उन्होंने जैसे ही अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखा सरोज बोली प्लीज़ धीरे से करना आपका काफ़ी बड़ा है.इस पर वो बोले तुम्हारे पति से भी बड़ा.तो वो फिर मुस्कुरा गयी. समधीजी बोले ओके बेटी धीरे ही करूँगा.और उसने वास्तव में आराम से ही किया और बहु से बीच बीच मे पूछते भी रहे कि कोई तकलीफ़ हो तो बता देना.सरोज फिर उसके पापा ने अपना लंड घुसाकर बहू को पेलना शुरू कर दिया।,थोड़ी देर बाद जब लगा वो झड़ने वाले थे तो उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और खुद बिस्तर पर पीठ के बल लेट गये और सरोज से अपने उपर आने को बोला.बहू उनके उपर सवार हो गयी.

सरोज अब अपने पापा के उपर घुड़ सवारी कर रही थी.समधीजी ने अपनी बेटी को पेलते हुए मेरी तरफ इशारा किया कि देसाइ जी गांड में थोड़ा क्रीम लगाओ आप तो आकर खड़े हो गये.ये सुनकर बहू रुक गयी और बोली नही पीछे से नही.इस पर समधीजी बोले अच्छा ये बताओ मैने तुम्हें दर्द होने दिया,बोलो.बहू बोली नही,फिर विश्वास करो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा ।तुम्हें तकलीफ़ ना हो इसलिए तो ये क्रीम मगाई है.
 
वो बोली प्लीज़ पीछे से रहने दो,बाबूजी का बहुत मोटा है,मुझे दर्द होगा ये पीछे से अंदर नही जाएगा आपलोगों का तो सुरू सुरू में आगे से भी हल्का हल्का दर्द कर रहा.समधीजी बोले,क्यूँ जब देसाइजी आगे से लेते हैं तो दर्द नही होता.सरोज बोली बाबूजी के उससे दर्द नही होता,उनका आपसे कम मोटा है.समधीजी ने उसे मनाने; के लिए तरीका अपनाया ओर बोला अच्छा अगर ऐसा है तो अपने ससूर से ही करा लो.वो बोली ठीक है.और समधीजी ने उसे अपने उपर बैठी हालत में ही लिटा लिया और अपने दोनो हाथों से उसके दोनो चुतड़ों को पकड़ कर उसकी गान्ड को खोल दिया.फिर मुझसे बोले लो देसाई जी लगाओ कीम और छेद को नरम करो मेरी बेटी को तो आपका ही लंड पसंद है.

मैं धीरे धीरे उसकी गान्ड पर राउंड राउंड करके क्रीम लगाने लगा.और करीब 15 मिनिट तक उसकी गान्ड में समधीजी के बताए अनुसार क्रीम लगाई। पहले एक उंगली और बाद में दो उंगलियों से भी क्रीम लगाई.जब उसकी गान्ड के छेद में दो उंगली जाने लगी तो मुझे विस्वास हो गया कि अब बहू थोड़ा बहुत दर्द झेलकर हमदोनो का लंड एकसाथ ले ही लेगी.

समधीजी बोले देसाई जी अब शुरू भी करो और मैने जैसे ही अपनी रंडी बहू की गान्ड पर लंड रखा वो बोली बाबूजी आराम से करना.मेरे बोलने से पहले ही समधीजी बोले क्यूँ बेटी अपने बाबूजी पर भी भरोसा नही.तो वो बोली पापा ने पहले भी बहुत दर्द कराया था इसलिए बोल रही हूँ.इस पर समधीजी बोले तो मैं फिर से करूँ.बहू बोली नही मुझे तो बिल्कुल नही ।मुझे मरना है क्या मुझे।
आपका तो बहुत मोटा है.और तभी मैं बोला ठीक है बेटी मैं आराम से करूँगा.लेकिन मैने जैसे ही उसकी गान्ड के छेद पर लंड को रखकर जैसे ही थोड़ा अंदर किया वो चिल्लाई आआआआआआआअ और समधी जी की पकड़ से छुटकर उठने की कोशिस करने लगी.समधीजी बोले देसाई जी आराम से करो आपकी ही बहू है.

सरोज भी बोली बाबूजी आप बहुत ज़ोर से घुसाते हो धीरे से करो.मैने सोचा कि इससे आराम से कैसे होगा.मैं बोला ठीक है.मैने दुबारा से उसके छेद पर लंड रखा.इस बार समधीजी ने मेरी तरफ़ आँख मारकर इशारा किया.मैं समझ गया कि वो बोल रहा है कि झटके से डाल दो.मैने वैसा ही किया निशाना लगाया और एक दम सारा लंड अंदर.मेरी रंडी बहू काँप गयी और चिल्लाने लगी आआआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.मुझे छोड़ूऊऊऊऊऊऊ,संधिजि बोले देसाई जी थोड़ा धीरे करो इतनी ज़ोर से करोगे तो लगेगी ही.सरोज बोली बाबूजी आप बहुत बुरे हो,आप से तो मेरे पापा अच्छे है कम से कम इतनी ज़ोर से तो नही करते पहले भी आपने ऐसा ही किया था.इस पर मैं बोला बेटी गांड में थोड़ा दर्द होता ही है,अब आराम से करूँगा.
 
और धीरे धीरे शुरू हो गया.इस तरह से मैने बहू को पीछे से चोदा और समधीजी भी आगे से अपनी बेटी को पेलते रहे.इसके बाद मैं और समधीजी दोनो ही झड़ गये.और मेरी रंडी बहू से अलग होकर बेड पर पड़ गये.सरोज बीच में और हम दोनो उसके लेफ्ट राइट मे.समधीजी ने सरोज को फिर से अपनी तरफ घुमा लिया और अपने से चिपका लिया.सरोज को भी उनसे नंगी होकर चिपकने मे अब कोई संकोच नही हो रहा था.
समधिजि ने उसके कान में कुछ कहा.तो वो बोली नही पापा आपका फिर से गांड में नही झेल पाउन्गि.अब मुझमें ताक़त नही रही.मैं समझ गया कि वो बहू की गान्ड की बात कर रहे है.समधीजी ने सरोज से रिक्वेस्ट कर रहे थे,सरोज बोली कुछ देर बाद मैं दे दूँगी.प्लीज़ पापा अभी रहने दो मेरी गांड दर्द कर रही है।
अब हमदोनो ने बहू को चोद चोदकर पूरी बेशर्म बना दिया था।मेरी रंडी बहु को हमदोनो दिनभर और रातभर घर में नंगी ही रखते और कभी चूत तो कभी गांड मारते रहते।कभी कभी हमदोनो मेरी बहु को एकसाथ भी पेलते।बहु अब इतनी बेशर्म हो गई थी की घर में कही भी मेरा या अपने पापा का लंड चूसकर उसका मुठ पि जाती थी।
कुछ दिन बाद उसके पापा चले गए।अब तो बहु मेरी पर्सनल रंडी बन चुकी है।मैं जो बोलता हूँ वह करती है।रोज सुबह मेरा लण्ड चूसकर मुझे उठाती है और नास्ते में मेरे लण्ड से निकल जूस पि जाती है।
 
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