vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी - Page 3 - SexBaba
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vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी

मै - सबकुछ बहु।। तुम्हारी पसंद के कलर, तुम्हारी साड़ी पहनने का स्टाईल।। तुम्हारी साड़ी में बॉडी सबकुछ अच्छा लगता है

सरोज - साड़ी पहनने के स्टाइल? कौन सी स्टाइल?

मै - वही बहु जो तुम साड़ी को नवेल के नीचे बाँधती हो और टाइट भी

सरोज - हाँ बाबू जी मुझे साड़ी नवेल के नीचे पहनना अच्छा लगता है।। मनीष भी मुझे हमेशा नवेल दिखाने को कहते है

मै - बहु तुम्हारी नवेल बहुत ही अच्छी दिखती है।। ऐसे नवेल तो किसी एक्ट्रेस की भी नहीं है बहु।

सरोज - (अपनी साड़ी को नवेल के और नीचे करते हुये।। ) बाबूजी।। ऐसा क्या है मेरी नवेल में ?

मै - (बहु के पास जा कर अपने दोनों हाथों से उसकी नंगी कमर को पकड़ते हुए।।) बहु तुम्हारी नवेल कितने डीप और बड़ी है।। मुझे हमेशा से ऐसी नवेल पसंद थे।। बहु जब तुम कॉलेज में होगी तब तुम्हारी नवेल के तो बहुत सारे दिवाने होंगे न?




सरोज - (हँसते हुए।। ) होंगे बाबूजी मुझे नहीं मालूम।। अभी तो मुझे इतना पता है की मेरी नवेल को मेरे पति और ससुर दोनों बहुत पसंद करते है
बहु अब अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार चुकी थी, वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी।

सरोज - बाबूजी मैं कपडे बदल लेती हूं।। आप भी चेंज कर लिजीये ( बहु ने अपने पेटीकोट की डोर खीचते हुए कहा।)

सरोज - ओह बाबूजी।। ये पेटीकोट खुल नहीं रहि।। लगता है गाँठ पड़ गई है।।

मै - (बेड पे बैठे हुए।।।) इधर आओ बहु मैं तुम्हारी पेटीकोट खोल देता हूँ।

सरोज - जी बाबूजी (मेरे क़रीब आ जाती है)
मैने कुछ देर कोशिश की।। 

मै - अरे बहु लगता है गाँठ पड़ गई है ये नहीं खुलेगी। तुम ऐसे ही सो जाओ।। सुबह खोल दूँगा

सरोज - नहीं बाबूजी मैं गर्मी से मर जाऊँगी।। आप प्लीज खोल दिजिये ना

मै - ठीक है बहु।। मैं अपने दांतो से कोशिश करता हू
बहु को अपने और पास खीच कर मैं बहु के पेटीकोट को अपने होठ और दाँत से खोलने लगा। ऐसा करते वक़्त मैं कई बार बहु के नाभि भी चाट लिया।

मै- खुल गई बहु।। ( मैंने बहु के पेटीकोट को मैंने नीचे गिरा दिया)

मै बहु के नंगी जाँघो को छूने लगा।।
 
मै - बहु तुम सच ही कहती थी तुम्हारी जाँघो पे बिलकुल बाल नहीं है। (मैं बहु के थाइस पे हाथ फिराते हुए कहा) 

सरोज - हाँ बाबुजी।।। (बहु के आवाज़ थोड़ी बदली सी थी।। जैसे उसे कुछ हो रहा हो)

मै बहु के इनर थाइस को सहलाते हुए उसकी बुर(चूत) के काफी करीब ऊँगली लगा दिया।। मुझे वहां पे बहुत गिला सा लगा।। बहु शायद गरम थी।

मै - अरे बहु तुम्हे तो पसीना (स्वेटिंग) हो रहा है।।

सरोज - आआआहहह नहीं बाबूजी ये स्वेटिंग नहीं है।।

मै - फिर क्या है बहु?

सरोज - बाबूजी वो बस ऐसे ही, कुछ नहीं छोड़िये न।। (बहु मेरा हाथ हटा कर बिस्तर पे एक पतले चादर के अंदर लेट गई)
मुझे महसूस हुआ की शायद बहु गरम हो गई है और वो पसीना नहीं बहु के बुर का पानी था। मैं बहु के बगल में उसी चादर में केवल लोअर पहने लेट गया।

मै - बहु क्या तुम ऐसे भीगी पैन्टी पहन कर सोओगी ?? ऐसे तो तुम्हारे थाइस के बीच रशेस आ जाएंगे

सरोज - ओह।।। बाबूजी क्या भीगी पैन्टी पहनने से रशेस हो जाती है।।? 

मै - हाँ बहु।। और फिर स्किन डिजीज भी हो जाते है।। 

सरोज - क्या सच में बाबूजी।। एक बात कहूं पापा मुझे वहां २ दिन से इचिंग हो रही है।। मुझे लगा की मैंने हेयर रिमूव किया इसलिए हो रही है।

मै - नहीं बहु रशेस भी हो सकती है क्या तुम्हे २ दिन से लगातार ईचिंग हो रही है?

सरोज - हाँ बाबूजी.
 
मै - बहु जब तुम्हे रशेस हो तो रात को सोते वक़्त सब उतार दिया करो। लड़कियों का बदन बहुत नाज़ुक होता है इसलिए रशेस होना बहुत कॉमन हो जाता है।

सरोज - मैं तो कपडे उतार के सोती हूं।। देखिये अभी भी मैंने बस ब्रा और पैन्टी ही पहनी है

मै - बहु मैं इनको भी उतारने को कह रहा हूं।। तुम्हे पूरी तरह से नंगी सोना चाहिए कुछ दिन। आज तो लाइट भी नहीं है, गर्मी भी बहुत है और तुमने भीगी पैन्टी पहनी है।। तुम उतार दो बहु

बहु मेरी बात सुन अपनी ब्रा उतार दी।। और अपनी पैन्टी हाथ में लेकर मुझे दीखाते हुए बोली।।



सरोज - ये लिजीये बाबू जी मैंने अपनी पैन्टी उतार दिया।।

बहु के पैन्टी हाथ में देख मैं पूरी तरह से एक्साइटेड हो गया। मैं अपनी लोअर और अंडरवियर खोल बिस्तर के नीचे गिरा दिया और एक हाथ से लंड को पकड़ सहलाने लगा।

मैने बहु के हाथ से पैन्टी ले ली और उसके गिली पैन्टी को सूँघने (स्मेल) लगा।

सरोज - ये क्या कर रहे हैं बाबूजी?

मै - बहु तुम्हारी पैन्टी से कुछ अजीब सी स्मेल आ रही है।। 

सरोज - ओह बाबूजी फेंकिये न ।।। (बहु ने अपनी पैन्टी मेरे हाथ से लेकर नीचे फेंक दिया और शीट के अंदर अपना चेहरा ढक लीया)

सरोज - बाबू जी।।। ये शीट के अंदर कैसी स्मेल है?

मुझे रिलीज़ हुआ की मैंने लंड सहलाते-सहलाते अपने लंड का स्किन नीचे खोल दिया था और मेरे लंड की स्मेल फैल् गई थी।

मै - बहु वो मुझे गर्मी लग रही थी तो मैंने अपनी लोअर और अंडरवियर उतार दी है।।

सरोज - ओह्ह बाबूजी आपको भी ज्यादा गर्मी लग रही है? ठीक किया आपने न जाने कबतक लाइट आएगी।। लेकिन ये स्मेल क्यों है?

मै- वो बहु।।।।। जैसे तुम्हारे पैन्टी से स्मेल आ रही थी न। वैसे ही जब मैंने अपनी अंडरवियर उतार दी तो आ रही है।। ये देखो ठीक वैसी ही स्मेल मेरे हाथ से भी आ रही होगी (मैंने अपना हाथ लंड से हटा कर बहु के तरफ बढ़ाया)

सरोज - (बहु मेरे हाथ को स्मेल करते हुए। ) हाँ बाबूजी।। ये तो वैसे ही स्मेल है।। लेकिन ये आपके हाथ से क्यों? इसका मतलब आप अपने हाथ से क्या कर रहे थे।।

मै - अरे बहु वो मैंने जो अंडरवियर उतारा तो साथ में वूऊ।।।आआ।।। मेरा मतलब।।। ओ।।।। स्किन खुल गया और फिर हाथ लगाने से स्मेल मेरे हाथ में भी आ गई।

सरोज - ओह बाबूजी।। आपको दर्द तो नहीं हुआ।।??

मै - नहीं बहु।।

मै - बहु एक बात पूछूँ?

सरोज - हाँ बाबूजी पूछिये

मै - तुम्हारी पैंटी गिली क्यों थी।। ? और तुम्हारी पेंटी में स्मेल कैसी थी? 

सरोज - (शर्माते हुए।) ओह प प।। वो ऐसा ही होता है।। वहां नीचे स्मेल तो होती है न जैसे आपकी है।। तो पेंटी में भी वही स्मेल थी।।

मै - (बहु का जवाब सुनकर मैं तेज़ी से लंड हिलाने लगा, और भारी सां लेते हुए फिर से पूछा) क्या तुम नीचे अभी भी गिली हो।।??

सरोज - (शर्माते हुए ) जी बाबूजी।। 

मै - क्या तुम्हारे नीचे ज्यादा पानी आ रहा है या कम?

सरोज - जी बाबूजी ज्यादा आ रहा है।।

मै - ओह्ह्ह बहु।। अपना एक हाथ नीचे ले जाओ और अंदर से पानी पोंछ लो

सरोज - क्यों बाबूजी?

मै - बहुउउउउउउउउ जैसा मैं कह रहा हूँ करो।। 

सरोज - ठीक है बाबूजी।। (बहु ने अपना हाथ अपने बुर पे ले गई और २ उँगलियों से पानी को साफ़ कर अपना हाथ बाहर ले आयी) 

मैने पहले बहु का हाथ पकड़ क़रीब से स्मेल किया और फिर उसकी बुर के पानी से चिपचिपे ऊँगली को मुह में ले चाटने लगा।।
 
सरोज - आआह बाबूजी ये क्या कर रहे हैं??

मै- बहु।। मैं सोच रहा था की जब इसकि स्मेल इतनी अच्छी है तो इसे चाटने में कितना मजा आयेगा।।

सरोज - बाबूजी।। ये आप क्या कह रहे है।। आपने मेरे वहां के पानी को चाटा।। ओहः

मै - हाँ बहु तुम्हारे बुर का पानी चाटने में बहुत मजा आ रहा है बहु।।

(मैंने बेशरमी से बहु के बुर की बात कह डाली।।। बहु मेरे मुह से बुर वर्ड सुन कर शॉक हो गई।। और मेरा मुह बंद करने के लिए उसने अपना हाथ मेरे मुह पे रख दिया लेकिन ये वही हाथ था जिससे बहु ने अपनी चुत में ऊँगली की थी। मैं पागलों की तरह बहु के हाथ चाटने लगा। बहु शर्मा गई।।)

सरोज - बाबूजी।। हुमे साथ नहीं सोना चहिये।। ये आपको क्या हो रहा है।। ? प्लीज रुक जाइये।

मै - मैं रुक जाऊंगा बहु बस एक बार मुझे अपनी गरम बुर (चुत) छूने दो।

सरोज - नहीं बाबूजी।। 

मै - प्लीज बहु मैं जानता हूँ ये गलत है लेकिन मुझे बस एक बार अपनी गरम जवान बहु का बुर छूना है

सरोज - नहीं बाबूजी।। मैं नहीं कर सकती अगर आपको मेरे बुर का पानी पीना है तो मैं अपनी ऊँगली डाल के आपके मुह में देती हूँ बस।ये ठीक है?

बहु के मुह से बुर वर्ड सुन मैं पागलों की तरह लंड हिलाने लगा।। और बोला।मैं बहु को खुलता देख और गन्दी बातें करने लगा

मै - ठीक है बहु मैं नहीं छुऊँगा लेकिन फिर तुम्हे मेरे लंड से पानी निकालना होगा।।

सरोज - मैं कैसे कर सकती हूँ बाबूजी।।?

मै - देखो बहु झूट मत बोलो मुझे पता है तुम्हे भी मेरे लंड का स्मेल पसंद है, और शाम को तो रूम साफ़ करते वक़्त मेरे लंड का पानी तुम्हारे चेहरे पे गिर गया था। 

सरोज - वो सब अचानक हुआ था बाबूजी।। प्लीज मैं आपका लंड नहीं छूवूँगी।। प्लीज आप मेरे ससुर है।

मै - ठीक है बहु फिर मैं तुम्हारे सामने मास्टरबैट करुँगा और शाम की तरह तुम्हारे चेहरे पे अपने लंड का पानी निकालूंगा। बोलो बहु।।

सरोज - ठीक है बाबूजी।। लेकिन जल्दी कीजिये शमशेर अंकल क्या सोचेंगे?

(मैं अपना लंड हाथ में लेकर बहु के पास बैठ गया, बहु के चुचि से चादर हटा दिया और बहु के बड़ी बड़ी चूचि और निप्पल देख मुट्ठ मारने लगा। मेरा लंड बहु के होठ के काफी क़रीब था और बहु बेशरमी से कभी मुझे तो कभी मेरे लंड को देख रही थे) थोड़ी देर बाद मेरे लंड से गाढ़ा सफ़ेद पानी बहु के होठ पे गिरा और फिर उसके पूरे चेहरे पर गिरने लगा।।
 
आज मुझे अपनी ही बहु के मुह पे मूठ मार कर बहुत सटिस्फैक्शन मिला। बहु ने अपना मुह पोंछा और बोली।। 

सरोज - बाबूजी।। आपने तो मेरा पूरा मुँह गन्दा कर दिए कितना सारा मूठ निकला है आपका?

मै - हाँ बहु।। तुम्हारी जैसी बहु हो तो किस ससुर का मुठ नहीं निकलेंगा।

सरोज - मुस्कराते हुवे बोली।। आपको बहु पसंद है न? लेकिन प्लीज वादा कीजिये आज के बाद आप ऐसा नहीं करेंगे।




मै - बहु को आँख मारते हुए।। ठीक है बहु।। लेकिन अगर बहु का मन करे तो?


सरोज - (हँसते हुए।। ) नहीं होगा बहु कंट्रोल कर लेगी।

[size=large]बहु के मुह पे अपना मूठ निकाल के मुझे काफी सटिस्फैक्शन हुआ, मैं रिलैक्स होने के बाद वहीँ बहु के बगल में सो गया। बहु भी अपना मुह पोंछ अपनी पेटीकोट पहन मेरे बगल में लेट गई। 
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सूबह जब मेरी नींद खुली तो बहु कमरे में नहीं थी, शायद वो किचन में काम कर रही थी। मैं हाथ मुह धोकर कमरे से बहार आया, हमेशा की तरह बहार हॉल में शमशेर न्यूज़पेपर पढने के बहाने मेरी बहु की जिस्म के नुमाईश का जायजा ले रहा था। 

मै - गुड मॉर्निंग शमशेर आज सुबह-सुबह उठ गया तु।।

शमशेर - गुड मॉर्निंग हाँ देसाई, कल रात जल्द ही सो गया था इसलिए जल्दी उठ गया।

मै - कैसी रही नींद?
शमशेर - अच्छी।।। तेरी बहु सरोज को याद कर थोड़ी देर जागा रहा रात में फिर अपनी पिचकारी से तेरी बहु के नाम की सफ़ेद पानी निकाल कर सो गया।

मै- साला तु नहीं सुधरेगा

शमशेर - क्या करूँ मेरी किस्मत तेरी तरह तो नहीं न की बहु के कमरे में सो सकूँ। लेकिन देसाई जी नुक़्सान भी है आप बहु के कमरे में सोते हो तो आप चाह के भी मुठ नहीं मार सकते है न? 

मै- चुपकर।। (मैं सोचता हुआ की शमशेर तुझे क्या मालूम मैंने कल रात सिर्फ मुठ ही नहीं मारी बल्कि बहु के मुह पे गिराया भी वो भी बहु के मर्ज़ी से।। )

मै - हाँ शमशेर, ये प्रॉब्लम तो है 

शमशेर - देसाई आज सुबह से मैं यहाँ बाहर बैठा हूँ लेकिन बहु पास नहीं आयी मेरे वहीँ किचेन में काम कर रही है, बड़ा मन हो रहा है उसकी डीप नाभि और मोटी मोटी गांड देखने का।

मै - चुप हो जा, बहु ने सुन लिया तो क्या सोचेगी।

मै - चलो अब हमलोग मॉर्निंग वाक के लिए चलते हैं मैं बहु को भी बुलाता हू।

मै - बहुउउउ।।।।। 

सरोज - जे बाबूजी आयी।।

सरोज पहले से ही एक पिंक कलर का मिड ड्रेस पहनी हुई थी, उसकी गोरी और मोटी जाँघें सुबह-सुबह हमे पागल बना रही थी।।



सरोज - बाबूजी मैं तैयार हूँ चलिये

सरोज, शमशेर और मैं मॉर्निंग वाक के लिए निकल पडे। शमशेर और बहु मेरे आगे-आगे चल रहे थे और मैं पीछे बहु के गांड पे नज़र गड़ाए चल रहा था। मैं सोच रहा था की कल रात जो भी हआ, उसके बावजूद बहु कितने आराम से बातें कर रही है जैसे मानो कुछ हुआ ही न हो। क्या ये मेरी बहु है जिसके मुह पे कल रात मैं अपना लंड का पानी निकला था। क्या मेरे बेटे ने कभी भी मेरी बहु के मुह में अपना पानी छोड़ा होगा? मेरे अंदर काफी सारे सवाल आ रहे थे मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की मैं अपनी बहु के साथ इतना कुछ कर सकूँगा वो भी इतनी जल्दी। 

[size=large]बीते रात की बात सोच मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं जैसे तैसे वाक पूरा कर घर आ गया।
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दोपहर १ ओ कलॉक हम तीनो डाइनिंग टेबल पे बैठ कर लंच कर रहे थे। मेरे बगल में बहु वाइट कलर सलवार सूट पहन के बैठी थे और मेरे ठीक सामने दूसरी तरफ शमशेर। 

हम सब कुछ-कुछ बातें कर रहे थे, मैंने बातो ही बातों में अपना एक हाथ बहु के जाँघो पे रख दिया। बहु ने तुरंत मेरा हाथ हटा दिया मैं फिर से बहु के जाँघ पे हाथ रख दिया और सहलाने लगा। इस बार बहु चुपचाप थी और अपनी नज़र झुकाये लंच करती रही।

मै - बहु जरा रोटी देना एक और।। (ऐसा कहते हुये मैंने अपना हाथ बहु के बुर के पास ले गया और जोर से दबा दिया ) 

सरोज - ये लिजीये बाबू जी।। (बहु ने एक नज़र शमशेर को देखा)

मै - *डबल मीनिंग में* वह बहु।।। तुम्हारी रोटी कितनी गरम और फूली हुई है।। (मैं बहु की बुर वाइट सलवार के ऊपर से सहलाते हुये कहा।)

बहु मेरा इशारा समझ रही थी की मैं रोटी की नहीं उसकी फूलि हुई और गरम बुर की बात कर रहा हू।

सरोज - हाँ बाबूजी बहुत गरम है।। 

शमशेर - हाँ बहु तुम रोटी बहुत अच्छी बनाती हो। लेकिन बहु तुम इतना घी क्यों लगाती हो रोटी में।

मै - *डबल मीनिंग* शमशेर, बहु की रोटी का घी ही तो टेस्टी है। मुझे तो बहु की रोटी से निकलता हुआ घी बहुत पसंद है। बहु के रोटी में जितना घी उतना मजा।।

मै - (एक हाथ से रोटी को उठाते हुए।। ) देखो बहु कितना सारा घी निकल रहा है।। (ऐसा कहते हए मैंने बहु के बुर के बीच अपनी ऊँगली घुसा दी।।) क्यों बहु घी निकल रहा है ?? 

सरोज - हाँ बाबूजी, बहुत ज्यादा घी निकल रहा है मेरी रोटी से।। अब खा भी लीजिये।।देखिये न 

आपकी पूरी ऊँगली भींग गई मेरे घी से।

मै - (अपनी ऊँगली चाटते हुये।) बहु तुम तो जानती हो मुझे चाटना अच्छा लगता है। (इस बार मैंने अपना दूसरा हाथ बहु के बुर से हटा कर अपने जीभ से चाट लिया)

शमशेर - (हँसते हुए।।) देसाई, तुम्हारे इस हाथ में घी लगा है और तुम दुसरा हाथ चाट रहे हो ??

मै - अरे शमशेर, तुम नहीं जानते इस हाथ में भी बहु की रोटी का घी लगा है, इसकि स्मेल भी अच्छी है और चाटने में स्वाद भी।

इतना सब डबल मिनिंग बात कर मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चूका था, मैंने बेशरमी से टेबल के नीचे बहु के सामने ही अपना लंड बहार निकाल लिया और रब करने लगा।
 
बहु चोरी से अपनी तीरछी नज़र से मेरे लंड का स्किन ऊपर नीछे जाते देख रही थी। दूसरी तरफ बैठा शमशेर इन सब हरक़तों से अन्जान था।

मै - (मुठ मारते हुए। ) बहु क्या हुआ तुम ठीक से खा नहीं रही। ? 

सरोज - कुछ भी तो नहीं बाबूजी मैं खा तो रही हूँ।

मै - नहीं बहु लगता है तुमने सारी घी वाली रोटियां मुझे और शमशेर को दे दी और खुद सूखी रोटी खा रही हो।।

शमशेर - बहु ये गलत है, तुम मेरी ये घी वाली रोटी ले लो और मुझे सूखि वाली दे दो।।

मै चेयर पे बैठा मुठ मार रहा था, और ५-६ बार स्ट्रोक मारते ही मेरे लंड का पानी मेरी हथेली पे ही निकल गया। बहु ने मेरा मुठ निकलते हुए देख लिया लेकिन वहां शमशेर के होने के वजह से कुछ नहीं बोल पायी और चुपचाप खाना ख़ाति रही। 

मै - बहु।।।लाओ रोटी इधर दो।। मेरे हाथ में घी लगी है मैं लगा देता हू। (बहु ने कोई रेस्पोंस नहीं दिया )

मै - (अपना हाथ आगे बढाते हुए बहु की रोटी उठा ली और उसपे अपने हथेली का सारा मुठ फैला दिया) ये लो बहु।। थोड़ा मेरे भी घी का स्वाद चख लो।

सरोज - जी बाबूजी।। (सरोज ने मेरे सफ़ेद मुठ से भीगी रोटी को तोड़ अपने मुह में डाल लिया)

मै - कैसी लगी बहु।।?

सरोज - अच्छी बाबूजी।। बहुत अच्छी।।

बहु के इस हरकत को देख मैं काफी एक्साइटेड हो गया, मेरी रंडी बहु कितनी बेशरमी से मेरा मुट्ठ चाट रही थी। हमसब लंच ख़तम करने के बाद काफी देर तक वहीँ बैठे बातें करते रहे। 

शमशेर - बहु तुम्हारे हस्बैंड कब आएंगे? रोज बात होती है?

सरोज - हाँ अंकल बात तो होती है, कुछ महीनो में आ जाएंगे

शमशेर - तुम सारा दिन बोर नहीं हो जाती?

सरोज - हो जाती हूँ लेकिन फिर हस्बैंड से कभी फ़ोन पे तो कभी वेबकम पे बात कर लेती हू।

शमशेर - अच्छा तो तुम इंटरनेट भी यूज करती हो ?

सरोज - जे अंकल

शमशेर - अरे वाह।। ये तो अच्छी बात है। आज़कल तो सबलोग फेसबुक पे भी बातें और फोटो अपलोड करते हैं न। तुम्हारी फोटोज हैं फेसबुक पे।

सरोज - जी मैं फेसबुक यूज करती हूं, फोटो तो पुराने शादी के है। उसके बाद कोई नयी फोटो अपलोड नही की है।

शमशेर - क्यों बहु?? तुम और मनीष मिलते नहीं हो तो कम से कम उसे अपनी लेटेस्ट फोटो तो भेज दिया करो

सरोज - अंकल वक़्त ही कहाँ मिलता है और काफी दिनों से कहीं गई भी तो नहि।

शमशेर - तो क्या हुआ बहु हमारे घर के पीछे अच्छी जगह है तुम्हे कहीं जाना भी नहीं पडेगा। लाओ मैं तुम्हारी कुछ अच्छी फोटो निकाल देता हू।

मै - हाँ बहु मैं कैमरा लाता हूँ तुम ये सलवार सूट उतार कर साड़ी पहन लो, और २-३ ड्रेस और भी निकाल लेना ढेर सारी फोटो खीच लेते हैं तुम्हारी।

सरोज - जी बाबूजी।

मैं शमशेर और बहु घर के पीछे चले गए। शमशेर कैमरा पकडे खड़ा था और बहु उसके सामने खड़ी हो गई। मैंने नोटिस किया की शायद बहु ने अपनी साड़ी और नीचे कर दी है और अपना पूरा पेट् और नवेल हमे बेशरमी से दिखा रही है। शमशेर ने बहु के कई फोटो खीचे.
 
बहु भी शर्म छोड़ अपनी जिस्म की नुमाईश करती रही और कई पोज़ में तो वो मुझे बिलकुल रंडी नज़र आ रही थी। कुछ फोटो के बाद बहु ने २-३ साड़ी और चेंज की और हर फोटो में उसका नवेल पूरा खुला ही दिख रहा था। किसी भी फोटो में बहु ने अपनी नवेल छुपाने की जरुरत नहीं समझी। 




शाम को डिनर करने के बाद शमशेर अपने कमरे में चला गया। मैं और बहु एक कमरे में आ गये। बहु ने दरवाज़ा बंद किया और विंडो पे कर्टेन लगा दिया। मैं बिस्तर पे बैठ ब्लैंकेट में घुस गया और बहु को देखने लगा, बहु मेरे सामने कपडे चेंज करने लगी।। और मेरे सामने एक टीशर्ट और शर्ट में बिस्तर पे चढ़ गई। 



मै - बहु तुम इतनी चुप क्यों हो? मुझसे नाराज़ हो?

सरोज - हाँ बाबूजी, कल रात मैंने आपको बोला था की आप मेरे साथ ऐसी हरकत दूबारा नहीं करेंगे

मै - हाँ बहु बोला तो था।

सरोज - फिर क्यों? आपको दोपहर में लंच टेबल पे क्या हो गया था?? वो भी शमशेर अंकल के सामने?

मै - देखो बहु, मैं माफ़ी चाहता हूँ लेकिन उस वक़्त मैं अपने आप को रोक नहीं पाया तुम बहुत खूबसूरत लग रही थी।

सरोज - बाबूजी, अगर शमशेर अंकल को पता चल जाता तो? आप बिना किसी डर के मेरे सामने। ओ।। 

अपना।।।। पानी।।।। और मेरी रोटी पे घी कह के लगा दिया।। और मुझे मजबूरन खाना पडा।

मै - बहु मैं अपने होश खो बैठा था मुझे माफ़ कर दो। तुम्हे देख कर तो कोई भी अपना होश खो बैठे

सरोज - नहीं बाबूजी, केवल आप।। आपको प्रॉब्लम है आपको क्यों कण्ट्रोल नहीं होता।।?

मै - देखो बेटी मैं जानता हू। लेकिन तुम भी तो गरम हो गई थी है न।। ??

सरोज - (अपना सर झुकाते हुए।।) नहीं मैं गरम नहीं हुई थी

मैन - झूठ।। झुठ

सरोज - हाँ थोड़ा सा लेकिन वो आपकी वजह से।। प्लीज ऐसा मत करिये। 

मै- बहु मैं कण्ट्रोल नहीं कर पाता, मैं तो क्या कोई भी नहीं कर पायेगा तुम्हारी जैसे भरे बदन वाली बहु को देख कर।
 
सरोज - बाबू जी मैं आपकी बहु हूं, मत करिये मेरे साथ ऐसा। आप शमशेर के साथ कमरे में सो जाइये प्लीज

मै - बहु, शमशेर ने तो मेरा रूम गन्दा कर दिया है। और उसे प्राइवेसी चहिये। 

सरोज - मैं समझी नहि।। गन्दा कर दिया है? कैसी प्राइवेसी

मै- जाने दो बहु तुम नहीं जानति।।

सरोज - बताइये न प्लीज बाबूजी 

मै - देखो बहु शमशेर भी एक आदमी है और हर आदमी की एक जरूरत होती है उससे वो रात में पुरी करना चाहता है।। किस्सी के साथ या फिर अकेले। 

सरोज - कैसी जरुरत बाबूजी?

मै - मास्टरबैट करने की।

सरोज - ये क्या कह रहे हैं आप?

मै- हाँ बहु, हर कोई करता है ये तो नार्मल है। शमशेर भी वो भी तुम्हारे बारे में सोच कर

सरोज - मेरे बारे में ?? क्या?

मै - तुम्हारी मस्त मस्त चूचियां स्ट्रक्चर और ख़ास कर तुम्हारी गांड के बारे में सोच कर वो मास्टरबैट करता है

सरोज - लेकिन आपको कैसे पता?

मै - मैंने २ दिन पहले उसे अपने एक दोस्त के साथ फ़ोन पे बातें करते हुए सुना।। वो कह रहा था की देसाई जी की बहु बहुत सेक्सी है और वो तुम्हारे बारे में सोच कर मुट्ठ मारता है। (मैंने बहु से झूठ बोला।।) 

सरोज - ओह बाबूजी, मुझे तो यकीन नहीं होता की शमशेर अंकल ऐसे है।। 


मै - हाँ बहु कल दोपहर में मैंने उसे मास्टरबैट करते हुये देखा भी।।
 
सरोज - क्या कर रहे थे शमशेर अंकल?

मै - दोपहर को शमशेर अपने कमरे में बैठा फोटो में तुम्हारी नवेल देख मुठ मार रहा था।

मै धीरे-धीरे बहु के पास आ गया और उसके काँधे पे हाथ रख उसे समझाने लगा। देखो बहु ये सभी आदमीयों के लिए नार्मल है। मास्टरबैट केवल सेक्सुअल सटिस्फैक्शन के लिए होता है 

सभी पुरुष करते है, क्या तुमने कभी नहीं देखा? कभी अपने मायका में? तुम्हारे भाई, चाचा या और किस्सी ने? तुम अपने घर में कभी भाई या पापा के बैडरूम में गई? कभी देखा बेडशीट पे कूछ गिला या दाग कुछ भी।

सरोज - हाँ घर में कई बार कुछ अजीब सी चीज़ें होती थी लेकिन मुझे ये सब कभी समझ में नही आया।

सरोज की बात सुनकर मेरे लंड में थोड़ी सी हलचल हुई और मैंने उससे और डिटेल में बताने को कहा।

मै - बहु।। क्या थी वो अजीब सी चीज़ें बताओ मुझे।

सरोज - वो शादी से कुछ दिन पहले के बात है, मेरी मम्मी और मेरा भाई गाँव में एक शादी के लिए गई थी। और घर में मैं और पापा अकेले थे।।

मै - फिर क्या हुआ।।?

सरोज - मैंने जब एक सुबह पापा का रूम साफ़ कर रही थी तो मुझे उनके पिलो के नीचे मेरी पैन्टी मिली। मैंने सोचा शायद मम्मी ने गलती से मेरी पेंटी रख दी हो। लेकिन फिर मुझे याद आया की ये पैन्टी १ दिन पहले की मेरी यूज की हुई पैन्टी है और मैं बाथरूम में इसे धुले बगैर छोड़ दिया था फिर यहाँ कैसे पहुची।।? और मम्मी तो गाँव में हैं तो क्या पापा मम्मी की पेंटी समझ कर मेरी पेंटी अपने कमरे में ले आये?

मै - उसके बाद?

सरोज - फिर मुझे कुछ समझ में नहीं आया, दूसरे दिन भी मेरी पेंटी पापा के पिलो के नीचे पड़ी थी और उसमे कुछ गिला गिला सा लगा था।।

सरोज - तो क्या मेरे पापा।।।।

मै - हाँ इसका मतलब तुम्हारे पापा तुम्हारी पैन्टी रात में लाते थे और तुम्हारी यूज की हुई पैन्टी का स्मेल लेते थे। और फिर तुम्हे उस पेंटी में इमेजिन कर मुट्ठ मारते थे। और फिर मुट्ठ तुम्हारी पेंटी में ही गिरा दिया करते थे।

सरोज - नहीं मैं नहीं मानती मेरे पापा मेरे बारे में सोच कर।। ये सब?

मै - हाँ बहु, इसमे गलत नहीं है ये तो हर पुरुष का नेचर है वो तो बस तुम्हारी बड़ी-बड़ी चूचि और फुली हुई बुर के बारे में इमेजिन कर अपने आप को सेक्सुअली सटिसफाइ करते होगे

मै- क्या तुमने कभी उनका खड़ा लंड देखा था?

सरोज - हाँ देखा था।

मै - कब?

सरोज - वो एक बार बाथरूम में मैंने उन्हें देखा था, वो अपनी अंडरवियर उतार अपना लंड हाथ में लिए खड़े थे सामने एक बड़ा सा मिरर था जिसके रेफ्लेक्शन में मैंने उनका बड़ा सा लंड साफ़ साफ़ देखा। वो अपने लंड के स्किन को नीचे किये हुये थे मैंने देखा तो मेरी धड़कन तेज़ हो गई और मैं भाग कर किचन में आ गई।
(बहु बिना शर्म अपने मुह से अपने पापा के लंड के बारे में बोल रही थी। मेरी रंडी बहु के मुह से ये सब सुन कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने अपना लोअर नीचे कर ब्लैंकेट के अंदर लंड निकाल सहलाने लगा) 

मै - तो इसका मतलब तुमने सबसे पहले लंड अपने पापा का देखा?

सरोज - (शर्माते हुए।।) हाँ।
 
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