hotaks444
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मै - सबकुछ बहु।। तुम्हारी पसंद के कलर, तुम्हारी साड़ी पहनने का स्टाईल।। तुम्हारी साड़ी में बॉडी सबकुछ अच्छा लगता है
सरोज - साड़ी पहनने के स्टाइल? कौन सी स्टाइल?
मै - वही बहु जो तुम साड़ी को नवेल के नीचे बाँधती हो और टाइट भी
सरोज - हाँ बाबू जी मुझे साड़ी नवेल के नीचे पहनना अच्छा लगता है।। मनीष भी मुझे हमेशा नवेल दिखाने को कहते है
मै - बहु तुम्हारी नवेल बहुत ही अच्छी दिखती है।। ऐसे नवेल तो किसी एक्ट्रेस की भी नहीं है बहु।
सरोज - (अपनी साड़ी को नवेल के और नीचे करते हुये।। ) बाबूजी।। ऐसा क्या है मेरी नवेल में ?
मै - (बहु के पास जा कर अपने दोनों हाथों से उसकी नंगी कमर को पकड़ते हुए।।) बहु तुम्हारी नवेल कितने डीप और बड़ी है।। मुझे हमेशा से ऐसी नवेल पसंद थे।। बहु जब तुम कॉलेज में होगी तब तुम्हारी नवेल के तो बहुत सारे दिवाने होंगे न?
सरोज - (हँसते हुए।। ) होंगे बाबूजी मुझे नहीं मालूम।। अभी तो मुझे इतना पता है की मेरी नवेल को मेरे पति और ससुर दोनों बहुत पसंद करते है
बहु अब अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार चुकी थी, वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी।
सरोज - बाबूजी मैं कपडे बदल लेती हूं।। आप भी चेंज कर लिजीये ( बहु ने अपने पेटीकोट की डोर खीचते हुए कहा।)
सरोज - ओह बाबूजी।। ये पेटीकोट खुल नहीं रहि।। लगता है गाँठ पड़ गई है।।
मै - (बेड पे बैठे हुए।।।) इधर आओ बहु मैं तुम्हारी पेटीकोट खोल देता हूँ।
सरोज - जी बाबूजी (मेरे क़रीब आ जाती है)
मैने कुछ देर कोशिश की।।
मै - अरे बहु लगता है गाँठ पड़ गई है ये नहीं खुलेगी। तुम ऐसे ही सो जाओ।। सुबह खोल दूँगा
सरोज - नहीं बाबूजी मैं गर्मी से मर जाऊँगी।। आप प्लीज खोल दिजिये ना
मै - ठीक है बहु।। मैं अपने दांतो से कोशिश करता हू
बहु को अपने और पास खीच कर मैं बहु के पेटीकोट को अपने होठ और दाँत से खोलने लगा। ऐसा करते वक़्त मैं कई बार बहु के नाभि भी चाट लिया।
मै- खुल गई बहु।। ( मैंने बहु के पेटीकोट को मैंने नीचे गिरा दिया)
मै बहु के नंगी जाँघो को छूने लगा।।
सरोज - साड़ी पहनने के स्टाइल? कौन सी स्टाइल?
मै - वही बहु जो तुम साड़ी को नवेल के नीचे बाँधती हो और टाइट भी
सरोज - हाँ बाबू जी मुझे साड़ी नवेल के नीचे पहनना अच्छा लगता है।। मनीष भी मुझे हमेशा नवेल दिखाने को कहते है
मै - बहु तुम्हारी नवेल बहुत ही अच्छी दिखती है।। ऐसे नवेल तो किसी एक्ट्रेस की भी नहीं है बहु।
सरोज - (अपनी साड़ी को नवेल के और नीचे करते हुये।। ) बाबूजी।। ऐसा क्या है मेरी नवेल में ?
मै - (बहु के पास जा कर अपने दोनों हाथों से उसकी नंगी कमर को पकड़ते हुए।।) बहु तुम्हारी नवेल कितने डीप और बड़ी है।। मुझे हमेशा से ऐसी नवेल पसंद थे।। बहु जब तुम कॉलेज में होगी तब तुम्हारी नवेल के तो बहुत सारे दिवाने होंगे न?
सरोज - (हँसते हुए।। ) होंगे बाबूजी मुझे नहीं मालूम।। अभी तो मुझे इतना पता है की मेरी नवेल को मेरे पति और ससुर दोनों बहुत पसंद करते है
बहु अब अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार चुकी थी, वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी।
सरोज - बाबूजी मैं कपडे बदल लेती हूं।। आप भी चेंज कर लिजीये ( बहु ने अपने पेटीकोट की डोर खीचते हुए कहा।)
सरोज - ओह बाबूजी।। ये पेटीकोट खुल नहीं रहि।। लगता है गाँठ पड़ गई है।।
मै - (बेड पे बैठे हुए।।।) इधर आओ बहु मैं तुम्हारी पेटीकोट खोल देता हूँ।
सरोज - जी बाबूजी (मेरे क़रीब आ जाती है)
मैने कुछ देर कोशिश की।।
मै - अरे बहु लगता है गाँठ पड़ गई है ये नहीं खुलेगी। तुम ऐसे ही सो जाओ।। सुबह खोल दूँगा
सरोज - नहीं बाबूजी मैं गर्मी से मर जाऊँगी।। आप प्लीज खोल दिजिये ना
मै - ठीक है बहु।। मैं अपने दांतो से कोशिश करता हू
बहु को अपने और पास खीच कर मैं बहु के पेटीकोट को अपने होठ और दाँत से खोलने लगा। ऐसा करते वक़्त मैं कई बार बहु के नाभि भी चाट लिया।
मै- खुल गई बहु।। ( मैंने बहु के पेटीकोट को मैंने नीचे गिरा दिया)
मै बहु के नंगी जाँघो को छूने लगा।।