desiaks
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- Aug 28, 2015
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कुछ दूर जाने के बाद, एक ढाबे पर हमने खाना खाया।
वहीं वसीम ने अकेले में, गुलबदन को मेरी और गुलनार की चुदाई वाली बात बताई।
फिर, उसने कहा के अभी गाड़ी में तुम आगे की सीट पर बैठ जाना।
विनय पीछे गुलनार के साथ बैठ जाएगा तो उन दोनों में थोड़ी बातचीत हो जाएगी!!
गुलबदन मान गई।
मैं पीछे गुलनार के साथ बैठ गया!!
फिर, हम लोग चल पड़े।
वसीम का फार्म हाउस, उसके घर से 50 किलोमीटर की दूरी पर था।
वहां वसीम का बहुत ही बड़ा एक आम का बगीचा था और भी तरहा तरहा के पेड़ थे।
मैं पीछे गुलनार के साथ, बात करने लगा।
हम दोनों को मालूम था के ये पिक्निक हमारे मिलन के लिए ही थी!!
मगर वो फिर भी, मुझ से थोड़ी डर रही थी।
बात करते करते, मैंने आहिस्ते से अपना एक हाथ उसकी पीठ पर रख दिया।
हमारी बातचीत चालू थी…
सामने आकाँशा भी वसीम के लण्ड को पकड़ के बैठी थी।
फिर मैंने धीरे से गुलनार की पीठ को सहलाना शुरू किया तो मुझे देख कर मुस्कुराने लगी।
मुझे तो बस, सिग्नल का इंतज़ार था।
उसका सिग्नल मिलते ही, मैं उसकी चुचियों को दबाने लगा।
उसने अपनी आँखें बंद कर लीं…
गुलनार ने, स्कर्ट और टी-शर्ट पहनी थी।
फिर मैंने उसके टी-शर्ट के अंदर हाथ डाला और ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को मसलने लगा।
गुलनार मस्त होने लगी।
मैंने उसके हाथ को मेरे लण्ड के ऊपर रख दिया तो पैंट के ऊपर से, वो मेरे लण्ड को दबाने लगी।
फिर, मैंने उसके टी-शर्ट को उठा के ब्रा को थोड़ा ऊपर कर दिया तो उसकी दोनों चुचियाँ मेरे सामने निकल आईं!!
उफ्फ!! वसीम सही था!!
सलमा के कुनवे की लड़कियों को हुस्न विरासत में मिला था…
एकदम संतरे के आकार की बेहद गोरी और मुलायम चुचियाँ, मेरे सामने थी…
गोल गोल, गोरी गोरी चुचियों पर भूरे रंग के बेहद छोटे निप्पल, ऐसे दिख रहे थे जैसे चित्रकार ने अपना सबसे सुंदर चित्र बनाया हो…
मेरे दबाने से उसके दोनों निप्पल, तुरंत कड़क हो गये थे।
ये देख कर, अब मुझ से रहा नहीं गया और फाटक से मैं उसकी एक चुची को मुँह में लेके चूसने लगा तो गुलनार अपने दाँतों से अपने होठों को काटने लगी।
ये देख कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्यूंकि गुलनार बहुत ही सुंदर, सेक्सी, जवान और कामुक लड़की थी।
उफ्फ!! क्या पल था, वो…
गुलबदन और गुलनार, दिखने में बिल्कुल एक जैसी थीं!!
मगर, गुलबदन की लंबाई गुलनार से थोड़ी कम थी!! लेकिन, दोनों ही बहनें बहुत ही खूबसूरत थीं!!
गोरा रंग, दोनों की प्यारी सी संतरे के आकार की चुचियाँ, स्लिम बॉडी, तराशी हुई गाण्ड और बेहद तीखे नयन नकश…
कसम से, साला कोई भी इनको देखे तो पागल ही हो जाएगा और खड़े खड़े उसका पानी निकल जाए!!
खैर, इधर मैंने गुलनार की दोनों चुचियों को चूस चूस कर लाल कर दिया था!!
फिर, मै एक हाथ उसके स्कर्ट के अंदर घुसा कर, पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा।
अब तक उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था!! जिससे, उसकी पैंटी गीली हो गई थी और मेरे हाथ क्या मस्त फिसल रहे थे!!
फिर, मैं पैंटी के अंदर हाथ डाल कर उसके चूत के दाने को रगड़ने लगा तो गुलनार मुझ से लिपटने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी।
मैंने धीरे से उसकी चूत के होंठों को खोल के, एक उंगली अंदर घुसेड दी!!
कुछ देर, मैंने उसकी चूत के अंदर उंगली चला के तूफान मचा दिया।
वो, मदहोश होने लगी…
उसके मुँह से क्या मस्त मस्त आवाज़ें निकल रही थीं – उन्ह: इस्स: फूह: आह: अमह: म्मम्मह: अँह: अन्ह: इयह ओह माँ…
उसकी साँसे तेज़ हो गई थीं और मुँह से निकल रही गरम गरम साँसे, मेरे कान में महसूस हो रही थीं!!
अब तक, वो भी मेरे पैंट के ज़िप खोल के लण्ड की चमड़ी को ऊपर नीचे कर रही थी।
इन सब हरकतों से, मुझ से भी रहा नहीं जा रहा था।
मगर क्या करें, चुदाई करने के लिए ये जगह ठीक नहीं थी।
सामने, गुलबदन ये सब देख के गरम होने लगी तो वो वसीम से कार रोक के उसे चोदने के लिए कह रही थी!!
मगर, हम लोग फार्महाउस पहुँचने ही वाले थे!! इसीलिए, वसीम ने गुलबदन से थोड़ा सब्र रखने को कहा।
पीछे, हम दोनों का कार्यक्रम चालू था।
मैंने गुलनार की चूत में उंगली से चोदना शुरू कर दिया तो उसकी चूत में हलचल मच गई।
वो, इतनी मदहोश हो गई की आँखें खोल ही नहीं पा रही थी।
फिर, मैंने उसके कान को काट लिया तो उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं!!
उसने मुझे ज़ोर से अपनी बाहों में, जकड लिया था।
वहीं वसीम ने अकेले में, गुलबदन को मेरी और गुलनार की चुदाई वाली बात बताई।
फिर, उसने कहा के अभी गाड़ी में तुम आगे की सीट पर बैठ जाना।
विनय पीछे गुलनार के साथ बैठ जाएगा तो उन दोनों में थोड़ी बातचीत हो जाएगी!!
गुलबदन मान गई।
मैं पीछे गुलनार के साथ बैठ गया!!
फिर, हम लोग चल पड़े।
वसीम का फार्म हाउस, उसके घर से 50 किलोमीटर की दूरी पर था।
वहां वसीम का बहुत ही बड़ा एक आम का बगीचा था और भी तरहा तरहा के पेड़ थे।
मैं पीछे गुलनार के साथ, बात करने लगा।
हम दोनों को मालूम था के ये पिक्निक हमारे मिलन के लिए ही थी!!
मगर वो फिर भी, मुझ से थोड़ी डर रही थी।
बात करते करते, मैंने आहिस्ते से अपना एक हाथ उसकी पीठ पर रख दिया।
हमारी बातचीत चालू थी…
सामने आकाँशा भी वसीम के लण्ड को पकड़ के बैठी थी।
फिर मैंने धीरे से गुलनार की पीठ को सहलाना शुरू किया तो मुझे देख कर मुस्कुराने लगी।
मुझे तो बस, सिग्नल का इंतज़ार था।
उसका सिग्नल मिलते ही, मैं उसकी चुचियों को दबाने लगा।
उसने अपनी आँखें बंद कर लीं…
गुलनार ने, स्कर्ट और टी-शर्ट पहनी थी।
फिर मैंने उसके टी-शर्ट के अंदर हाथ डाला और ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को मसलने लगा।
गुलनार मस्त होने लगी।
मैंने उसके हाथ को मेरे लण्ड के ऊपर रख दिया तो पैंट के ऊपर से, वो मेरे लण्ड को दबाने लगी।
फिर, मैंने उसके टी-शर्ट को उठा के ब्रा को थोड़ा ऊपर कर दिया तो उसकी दोनों चुचियाँ मेरे सामने निकल आईं!!
उफ्फ!! वसीम सही था!!
सलमा के कुनवे की लड़कियों को हुस्न विरासत में मिला था…
एकदम संतरे के आकार की बेहद गोरी और मुलायम चुचियाँ, मेरे सामने थी…
गोल गोल, गोरी गोरी चुचियों पर भूरे रंग के बेहद छोटे निप्पल, ऐसे दिख रहे थे जैसे चित्रकार ने अपना सबसे सुंदर चित्र बनाया हो…
मेरे दबाने से उसके दोनों निप्पल, तुरंत कड़क हो गये थे।
ये देख कर, अब मुझ से रहा नहीं गया और फाटक से मैं उसकी एक चुची को मुँह में लेके चूसने लगा तो गुलनार अपने दाँतों से अपने होठों को काटने लगी।
ये देख कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्यूंकि गुलनार बहुत ही सुंदर, सेक्सी, जवान और कामुक लड़की थी।
उफ्फ!! क्या पल था, वो…
गुलबदन और गुलनार, दिखने में बिल्कुल एक जैसी थीं!!
मगर, गुलबदन की लंबाई गुलनार से थोड़ी कम थी!! लेकिन, दोनों ही बहनें बहुत ही खूबसूरत थीं!!
गोरा रंग, दोनों की प्यारी सी संतरे के आकार की चुचियाँ, स्लिम बॉडी, तराशी हुई गाण्ड और बेहद तीखे नयन नकश…
कसम से, साला कोई भी इनको देखे तो पागल ही हो जाएगा और खड़े खड़े उसका पानी निकल जाए!!
खैर, इधर मैंने गुलनार की दोनों चुचियों को चूस चूस कर लाल कर दिया था!!
फिर, मै एक हाथ उसके स्कर्ट के अंदर घुसा कर, पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा।
अब तक उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था!! जिससे, उसकी पैंटी गीली हो गई थी और मेरे हाथ क्या मस्त फिसल रहे थे!!
फिर, मैं पैंटी के अंदर हाथ डाल कर उसके चूत के दाने को रगड़ने लगा तो गुलनार मुझ से लिपटने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी।
मैंने धीरे से उसकी चूत के होंठों को खोल के, एक उंगली अंदर घुसेड दी!!
कुछ देर, मैंने उसकी चूत के अंदर उंगली चला के तूफान मचा दिया।
वो, मदहोश होने लगी…
उसके मुँह से क्या मस्त मस्त आवाज़ें निकल रही थीं – उन्ह: इस्स: फूह: आह: अमह: म्मम्मह: अँह: अन्ह: इयह ओह माँ…
उसकी साँसे तेज़ हो गई थीं और मुँह से निकल रही गरम गरम साँसे, मेरे कान में महसूस हो रही थीं!!
अब तक, वो भी मेरे पैंट के ज़िप खोल के लण्ड की चमड़ी को ऊपर नीचे कर रही थी।
इन सब हरकतों से, मुझ से भी रहा नहीं जा रहा था।
मगर क्या करें, चुदाई करने के लिए ये जगह ठीक नहीं थी।
सामने, गुलबदन ये सब देख के गरम होने लगी तो वो वसीम से कार रोक के उसे चोदने के लिए कह रही थी!!
मगर, हम लोग फार्महाउस पहुँचने ही वाले थे!! इसीलिए, वसीम ने गुलबदन से थोड़ा सब्र रखने को कहा।
पीछे, हम दोनों का कार्यक्रम चालू था।
मैंने गुलनार की चूत में उंगली से चोदना शुरू कर दिया तो उसकी चूत में हलचल मच गई।
वो, इतनी मदहोश हो गई की आँखें खोल ही नहीं पा रही थी।
फिर, मैंने उसके कान को काट लिया तो उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं!!
उसने मुझे ज़ोर से अपनी बाहों में, जकड लिया था।