Maa Chudai Story सौतेली माँ से बदला - Page 3 - SexBaba
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Maa Chudai Story सौतेली माँ से बदला

कुछ दूर जाने के बाद, एक ढाबे पर हमने खाना खाया।
वहीं वसीम ने अकेले में, गुलबदन को मेरी और गुलनार की चुदाई वाली बात बताई।
फिर, उसने कहा के अभी गाड़ी में तुम आगे की सीट पर बैठ जाना।
विनय पीछे गुलनार के साथ बैठ जाएगा तो उन दोनों में थोड़ी बातचीत हो जाएगी!!
गुलबदन मान गई।
मैं पीछे गुलनार के साथ बैठ गया!!
फिर, हम लोग चल पड़े।
वसीम का फार्म हाउस, उसके घर से 50 किलोमीटर की दूरी पर था।
वहां वसीम का बहुत ही बड़ा एक आम का बगीचा था और भी तरहा तरहा के पेड़ थे।
मैं पीछे गुलनार के साथ, बात करने लगा।
हम दोनों को मालूम था के ये पिक्निक हमारे मिलन के लिए ही थी!!
मगर वो फिर भी, मुझ से थोड़ी डर रही थी।
बात करते करते, मैंने आहिस्ते से अपना एक हाथ उसकी पीठ पर रख दिया।
हमारी बातचीत चालू थी…
सामने आकाँशा भी वसीम के लण्ड को पकड़ के बैठी थी।
फिर मैंने धीरे से गुलनार की पीठ को सहलाना शुरू किया तो मुझे देख कर मुस्कुराने लगी।
मुझे तो बस, सिग्नल का इंतज़ार था।
उसका सिग्नल मिलते ही, मैं उसकी चुचियों को दबाने लगा।
उसने अपनी आँखें बंद कर लीं…
गुलनार ने, स्कर्ट और टी-शर्ट पहनी थी।
फिर मैंने उसके टी-शर्ट के अंदर हाथ डाला और ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को मसलने लगा।
गुलनार मस्त होने लगी।
मैंने उसके हाथ को मेरे लण्ड के ऊपर रख दिया तो पैंट के ऊपर से, वो मेरे लण्ड को दबाने लगी।
फिर, मैंने उसके टी-शर्ट को उठा के ब्रा को थोड़ा ऊपर कर दिया तो उसकी दोनों चुचियाँ मेरे सामने निकल आईं!!
उफ्फ!! वसीम सही था!!
सलमा के कुनवे की लड़कियों को हुस्न विरासत में मिला था…
एकदम संतरे के आकार की बेहद गोरी और मुलायम चुचियाँ, मेरे सामने थी…
गोल गोल, गोरी गोरी चुचियों पर भूरे रंग के बेहद छोटे निप्पल, ऐसे दिख रहे थे जैसे चित्रकार ने अपना सबसे सुंदर चित्र बनाया हो…
मेरे दबाने से उसके दोनों निप्पल, तुरंत कड़क हो गये थे।
ये देख कर, अब मुझ से रहा नहीं गया और फाटक से मैं उसकी एक चुची को मुँह में लेके चूसने लगा तो गुलनार अपने दाँतों से अपने होठों को काटने लगी।
ये देख कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्यूंकि गुलनार बहुत ही सुंदर, सेक्सी, जवान और कामुक लड़की थी।
उफ्फ!! क्या पल था, वो…
गुलबदन और गुलनार, दिखने में बिल्कुल एक जैसी थीं!!
मगर, गुलबदन की लंबाई गुलनार से थोड़ी कम थी!! लेकिन, दोनों ही बहनें बहुत ही खूबसूरत थीं!!
गोरा रंग, दोनों की प्यारी सी संतरे के आकार की चुचियाँ, स्लिम बॉडी, तराशी हुई गाण्ड और बेहद तीखे नयन नकश…
कसम से, साला कोई भी इनको देखे तो पागल ही हो जाएगा और खड़े खड़े उसका पानी निकल जाए!!
खैर, इधर मैंने गुलनार की दोनों चुचियों को चूस चूस कर लाल कर दिया था!!
फिर, मै एक हाथ उसके स्कर्ट के अंदर घुसा कर, पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा।
अब तक उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था!! जिससे, उसकी पैंटी गीली हो गई थी और मेरे हाथ क्या मस्त फिसल रहे थे!!
फिर, मैं पैंटी के अंदर हाथ डाल कर उसके चूत के दाने को रगड़ने लगा तो गुलनार मुझ से लिपटने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी।
मैंने धीरे से उसकी चूत के होंठों को खोल के, एक उंगली अंदर घुसेड दी!!
कुछ देर, मैंने उसकी चूत के अंदर उंगली चला के तूफान मचा दिया।
वो, मदहोश होने लगी…
उसके मुँह से क्या मस्त मस्त आवाज़ें निकल रही थीं – उन्ह: इस्स: फूह: आह: अमह: म्मम्मह: अँह: अन्ह: इयह ओह माँ…
उसकी साँसे तेज़ हो गई थीं और मुँह से निकल रही गरम गरम साँसे, मेरे कान में महसूस हो रही थीं!!
अब तक, वो भी मेरे पैंट के ज़िप खोल के लण्ड की चमड़ी को ऊपर नीचे कर रही थी।
इन सब हरकतों से, मुझ से भी रहा नहीं जा रहा था।
मगर क्या करें, चुदाई करने के लिए ये जगह ठीक नहीं थी।
सामने, गुलबदन ये सब देख के गरम होने लगी तो वो वसीम से कार रोक के उसे चोदने के लिए कह रही थी!!
मगर, हम लोग फार्महाउस पहुँचने ही वाले थे!! इसीलिए, वसीम ने गुलबदन से थोड़ा सब्र रखने को कहा।
पीछे, हम दोनों का कार्यक्रम चालू था।
मैंने गुलनार की चूत में उंगली से चोदना शुरू कर दिया तो उसकी चूत में हलचल मच गई।
वो, इतनी मदहोश हो गई की आँखें खोल ही नहीं पा रही थी।
फिर, मैंने उसके कान को काट लिया तो उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं!!
उसने मुझे ज़ोर से अपनी बाहों में, जकड लिया था।
 

जब भी मैं गुलनार की चूत से बाहर निकाल के, अपनी उंगली फिर से अंदर डालता। वो, पागलों की तरह अपने दाँतों से अपने होंठों को काट लेती।
हम दोनों “सेक्स के नशे” में, इतने मदहोश हो गये थे के कब हम फार्म हाउस पहुँच गये, पता ही नहीं चला।
जैसे ही, गाड़ी गेट के अंदर घुसी तो वसीम ने मुझे हिला के कहा के हम लोग फार्म हाउस पहुँच गये हैं… बाकी की कसर, अंदर पूरी कर लेना…
अब हम दोनों, अपने कपड़े ठीक करने लगे!!
एक दूसरे को छोड़ने का मन तो नहीं था!! मगर क्या करें, मजबूरी में हमे अलग होना पड़ा।
वैसे तो मुझे “ग्रूप सेक्स” या किसी और के सामने चोदने में, बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था।
मैंने जब भी किसी लड़की या औरत को चोदा है तो बस अकेले में, आराम से चोदा है।
मुझे चोदने के लिए प्राइवेसी चाहिए!! क्यूंकि दोस्तो, आप जब भी किसी को चोदते हैं तो आराम से मज़े लेते हुए और लड़की को मज़े देते हुए चोदना चाहिए!!
मैंने अपने गाँव में देखा है के अक्सर लोग चोदने को एक काम की तरहा करते हैं।
मैंने कई बार देखा है के आदमी जब अपनी पत्नी को चोदने जाता है तो वो उसके पास जा के पहले तो उसकी साड़ी को ऊपर कर लेता है, जिससे की उसकी चूत दिखाई दे!!
मगर, वो चूत की तरफ देखे या चूत को बिना हाथ लगाए अपना लण्ड निकाल के औरत की चूत में घुसेड देता है…
ये भी नहीं सोचता है की उसकी पत्नी जाग रही है या सो रही है और पत्नी भी वैसे ही बिना आँखें खोले, अपने मर्द का लण्ड चूत में ले लेती है।
फिर, वो आदमी लण्ड को चूत में घुसेड़ने लगता है और बहुत ही जल्द झड़ जाता है।
उसके लण्ड का सारा पानी चूत में पूरी तरहा गिरता भी नहीं और वो अपना लण्ड बाहर निकल के चला जाता है और सो जाता है!!
फिर पत्नी वैसे ही नींद में, अपनी साड़ी को नीचे कर के सो जाती है।
बहुत से लोग, चाहें अपनी पत्नी को चोदें या किसी बाहर की औरत को चोदें, हर किसी के साथ यही करते हैं!!
अब आप लोग मुझे बताइए, इसमे सेक्स का क्या मज़ा मिलता होगा।
दोस्तो मज़ा तो छोड़िए, उन दोनों को महसूस भी नहीं होता है की उन्होने सेक्स किया है।
मेरा मानना है की लड़की चाहे कितनी भी बेकार क्यूँ ना हो, जब वो किसी के साथ सेक्स करती है तो उस वक़्त वो सिर्फ़ एक वासना में भरी औरत या लड़की होती है…
जिसको सिर्फ़ और सिर्फ़ चुदवा के, अपनी चूत में लण्ड का आनंद लेना होता है…
आजकल, बहुत सारे “एम एम एस स्कैंडल” हो रहे हैं!! जिसमें, मैंने देखा है की कोई भी लड़का हो, अगर किसी लड़की को वो चोदना चाहता है तो कहीं भी चोद देता है!! जैसे की, बाथरूम में या फिर साइबर केफे में खड़े खड़े!! चाहे लण्ड पूरा अंदर घुसा हो या नहीं, कोई फ़र्क नहीं पड़ता!! लड़की सामने हो, फिर भी वो उस लड़की के हाथ से ही मूठ मरवा लेता है!! क्यूंकि, उसे तो बस अपना पानी निकालना है!!
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ… …
वसीम के फार्म हाउस की रखबाली करने के लिए, उसके पिता ने दो आदमियों को रखा था।
एक का नाम – ललन और दूसरा – बिरजू था…
वो दोनों, हमेशा बंदूक ले के चलते थे। क्यूंकि, पास ही जंगल है और ये जगह भी शहर से दूर बिल्कुल सुनसान है।
ललन और बिरजू, अपने अपने परिवार के साथ यहाँ रहते थे।
ललन के घर में, उसकी पत्नी और एक बेटी जो 10 साल की थी रहते थे!!
बिरजू के घर में उसकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी थी!!
उन लोगों को रहने के लिए, उसी कंपाउंड में दो घर दिए हुए था।
हम, जैसे ही गाड़ी से उतरे तो ललन हमें देखते ही, भागा चला आया।
वो साथ में, बिरजू को भी बुला लाया।
उन दोनों ने, हम सब को नमस्ते किया!!
फिर, वसीम ने उसको गाड़ी से समान उतार के अंदर रूम में रखने को कहा।
वसीम का फार्महाउस, बहुत ही बड़ा था।
उसमें, एक बड़ा सा हॉल, 1 किचन, 4 बेड रूम और सभी रूम के साथ अटैच बाथरूम था…
हम चारों सेक्स के नशे में थे तो मैंने वसीम से कहा के यार ललन और बिरजू से कह दे के हमे परेशान ना करें!!
वसीम ने उनसे कहा के जब तक मैं ना बोलूं, कोई अंदर नहीं आना और किसी को मत भेजना!!
फिर हम लोग, तुरंत अंदर चले गये।
अंदर जाते ही, दोनों बहनें हम दोनों पर टूट पड़ीं तो मैंने कहा के पहले हम सब थोड़ा फ्रेश हो जाते हैं, फिर ये सब करेंगे…
लेकिन, सबसे ज़्यादा गुलबदन उत्तावली थी चुदवाने के लिए!! क्यूंकि, जब कोई लड़की अपनी चूत में लण्ड का मज़ा ले लेती है तो फिर, बार बार लेने का मन करता है!!
गुलबदन ने कहा के जल्दी से एक राउंड, यहाँ हॉल में मार लेते हैं… फिर, फ्रेश हो के आराम से सेक्स करेंगे…
वसीम ने हाँ कहा… लेकिन, मुझे ऐसे सेक्स करने में मज़ा नहीं आता तो मैंने कहा के तुम दोनों अपना काम कर लो… मैं फ्रेश होने के बाद, बेड रूम में अकेले में करूँगा…
गुलनार नहीं मान रही थी तो मैंने उसे कहा के तुम फ्रेश हो जाओ… फिर, देखना के चुदवाने में कितना मज़ा आता है…
गुलबदन और वसीम, वहीं चालू हो गये।
मैं और गुलनार, बेड रूम में जाके फ्रेश होने लगे।
उसके बाद हम दोनों फ्रेश हो के बेड पर लेट गये।
मैं बहुत सारे ब्लू फिल्म लेकर आया था ताकि चोदते टाइम, उसे चला कर चुदाई का पूरा आनंद लिया जाए।
मैंने बेग में से सारी ब्लू फिल्म की सीडी निकली और एक अच्छी सी फिल्म लगा के, हम लेटे लेटे देखने लगे।
गुलनार, मेरे कंधे में सर रख के देख रही थी।
मैंने सिर्फ़ एक हाफ पैंट पहनी थी।
गुलनार, अपने ऊपर तौलिया लपेट के लेटी थी।
देखते ही देखते, हम दोनों को सेक्स का नशा चढ़ने लगा…
मैंने गुलनार के गाल को सहलाना शुरू किया।
वो भी मेरी छाती में हाथ फेर रही थी।
फिर, मैंने अपने होठों को गुलनार के होठों से लगा दिया और उसको चूसने लगा।
गुलनार भी बराबर, मेरा साथ दे रही थी…
वो अपनी जीभ मेरे मुँह के अंदर डाल के, मेरी जीभ को चाटने लगी।
मैंने गुलनार के तौलिया को खोल दिया और उसकी प्यारी सी नारंगी जैसी चुचियों को दबाने लगा।
इस हरकत से हम दोनों, एकदम मदहोश हो गये…
उस वक़्त हम दोनों, एक दूसरी ही दुनिया में थे!! !!!
हमारे कानो में, उस ब्लू फिल्म की चुदाई की आवाज़ें पड़ रही थीं जिससे और भी नशा चड़ने लगा!! !!
कुछ देर बाद, मैं गुलनार के पीछे बैठ गया!! लेकिन, हमारी चुम्मा चाटी जारी थी!!
फिर, मैं पीछे से एक हाथ से उसकी चुचियों को मसल रहा था और मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा…
जैसे ही, मैंने उसकी टाँगों के बीच हाथ रखा तो उसकी दोनों टांगें, अपने आप फैल गईं!! जिससे, मेरा हाथ सीधा जा के उसकी चूत को सहलाने लगा!!
उस वक़्त, गुलनार की चूत ने पानी छोड़ना आरंभ कर दिया था…
इसी कारण, उसकी चूत गीली होने लगी थी!!
गीली चूत में, उंगलियाँ ऐसे चल रहीं थीं जैसे की मक्खन में चाकू।
उसके मुँह से वासना से भरी आवाज़ें निकल रही थीं – उन्हु… आनह… अइया…
फिर वो बोली – विनय, आज ऐसा लग रहा है की मैं दुनिया की सबसे किस्मत वाली लड़की हूँ… जिसको तुम आज जैसे मर्ज़ी चाहे, चोद सकते हो… आज से, मैं तुम्हारी और सिर्फ़ तुम्हारी हूँ…
ये सुन कर, मुझे भी नशा छाने लगा।
मैं कभी कभी, उसके कान को काट लेता था!!
हम दोनों ही, पागल हुए जा रहे थे…
फिर, गुलनार ने मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरे पैंट को खोल के फेंक दिया!!
अब हम दोनों, बिल्कुल नंगे थे।
वो, मेरे ऊपर चढ़ गई और पागलों की तरहा मुझे किस करने लगी।
उसने मेरे चेस्ट के निप्पल को, जैसे ही चूसा तो मैंने उसे ज़ोर से अपने बाहों में दबोच लिया…
 
अब वो धीरे धीरे, मेरे लण्ड की तरफ बढ़ने लगी।
फिर वो मेरे लण्ड को मुँह में लेकर, चूसने लगी।
गुलनार, इन सब कामों में माहिर थी!! क्यूंकि, वो हर रात को वसीम को उसकी माँ और मासी को चोदता देखती थी और फिर रूम में आ के गुलबदन के साथ “उंगली चुदाई” करती थी!!
उसने मेरे लण्ड को, ऐसे मुँह में दबा के रखा था के मानो जैसे कोई लोलीपोप हो।
इधर, मैं भी पागल हो रहा था…
फिर 5-10 मिनट बाद, मैं उसके मुँह में ही झड़ गया।
गुलनार ने मेरे सारे मूठ को पी लिया और मेरे लण्ड को तब तक चूसती रही, जब तक की मेरा सारा पानी निकल ना गया!! !!
उसने, एक भी बूँद नहीं छोड़ा…
फिर, मैं थोड़ा सा शांत हो गया।
अब मैं गुलनार को बेड पर लेटा कर, उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी दोनों चुचियों को एक एक कर के चूसने लगा।
अब तक वो, वो बहुत ही गरम हो गई थी…
फिर, मैंने उसके पेट की नाभि को भी चूसा।
मैं उसके जिस्म के सारे अंगो पर किस करते करते, उसकी टाँगों के बीच अपना मुँह ले गया!!
उस वक़्त, पहली बार मैंने गुलनार की चूत को देखा!!
चूत, बिल्कुल साफ थी…
एक भी बाल नहीं था!! क्यूंकि, जब से गुलबदन और गुलनार दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करने लगे थे तब से दोनों अपनी अपनी चूत के सारे बाल साफ करने लगी थीं!!
इस कारण, उसकी चूत बिल्कुल साफ थी!!
इससे पहले, गुलनार को किसी ने नहीं चोदा था तो उसकी चूत फूली हुई थी।
उसकी चूत से “अमृत की धारा” बह रही थी!! जिससे, चूत लाइट में एकदम चमक रही थी!!
फिर मैंने, धीरे से उसकी चूत के छेद को खोला तो वो सिसकारियाँ भरने लगी।
चूत अंदर से, गुलाबी दिख रही थी…
उसकी चूत ने, आज तक किसी का लण्ड नहीं लिया था!! इसलिए, उसका छेद छोटा था!!
जिस में उंगली भी मुश्किल से जा रही थी!!
ये देख के, मैं तो घायल हो गया।
अब मैं धीरे धीरे, उसकी चूत के छेद में उंगली ऊपर नीचे करने लगा।
इस हरकत से, उसके जिस्म में बिजली सी दौड़ गई!!
उसने झट से अपनी चूत को टाइट कर लिया, जिस से उसकी चूत का छेद छोटा हो गया!!
फिर मुझ से रहा नहीं गया, मैं तुरंत ही अपना मुँह उसकी चूत के पास ले जाकर चूत के दाने को चाटने लगा।
वो मुँह से सेक्सी आवाज़ें निकालने लगी!! जो सुनकर, मुझे और भी मस्ती चढ़ने लगी!!
अब मैं चूत के होठों की खोले के, अंदर जीभ को घुसा के चूसने लगा…
गुलनार ने मेरे सिर को पकड़ रखा था और अपनी चूत में ज़ोर ज़ोर से दबा रही थी।
अब, मेरा सोया हुआ लण्ड भी जागने लगा।
मैं गुलनार के चूत को चूसने में लगा था।
वो, अपनी मुँह से – इस्स ईया अहमा उफ्फ… की आवाज़ें निकाल रही थी।
कुछ देर बाद, उसकी चूत से पानी का फवारा फुट पड़ा और मेरे चेहरे को पूरा नहला दिया।
गुलनार ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं!!
मैं अब उसके ऊपर आ गया और उसके मुँह में जीभ घुसा के किस करने लगा।
उसने नीचे से मेरे लण्ड को पकड़ लिया और सहलाने लगी।
इधर, मैं उसकी चुचियों को मसलने में लगा था…
गुलनार के हाथ लगने से ही, मेरा लण्ड बिल्कुल लोहे की तरहा खड़ा हो गया।
अब उसने मुझसे पूछा – विनय, अब तो बहुत देर हो गई है… कब चोदना शुरू करोगे, मेरी चूत…
अब तो, मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था।
लेकिन, मैं उसे और भी गरम करना चाहता था!! क्यूंकि, मैं जनता था ये उसकी “पहली चुदाई” है तो मेरा लण्ड घुसते ही वो छटपटाने लगेगी और लड़की जितनी गरम हो, उसे चोदने में उतना मज़ा आता है!!
मैं उसके ऊपर से उठ के, टाँगों के बीच बैठ गया।
मैं उसकी चूत के छेद को खोल के, अपना लण्ड रगड़ने लगा।
उसकी चूत बहुत ही गरम थी…
उसमें से अभी तक, थोड़ा थोड़ा पानी रिस रहा था!!
मैंने पहले से ही बेड के साइड में टेबल पर, एक तेल की शीशी रखी थी।
उसे मैंने वहां से उठाया और गुलनार के चूत में ढेर सारा तेल डालने लगा ताकि चूत के अंदर तक तेल भर जाए और जब में अपने लण्ड को अंदर डालूं तो फिसलन से आराम से घुस जाये…
इससे गुलनार को भी, थोड़ा कम दर्द होगा।
मैं उंगली से, तेल उसकी चूत के अंदर घुसाने लगा!! जिससे, चूत में “फ़च फ़च” की आवाज़ आने लगी!!
फिर, मैंने थोड़ा सा तेल अपने लण्ड के ऊपर डाल दिया!! जिससे, गुलनार ने मेरे लण्ड की अच्छे से मालिश कर दी!!
अब वो, चुदने के लिए तैयार थी…
जितना हो सके, उसने अपनी टाँगों को फैला दिया और अपने दोनों हाथों से चूत का मुँह खोल दिया…
फिर, मैं धीरे से उसकी चूत में लण्ड घुसाने लगा।
लेकिन, ज़्यादा फिसलन के कारण “फुक” की आवाज़ के साथ, मेरा लण्ड एक ही बार में उसकी चूत के अंदर समा गया और खून निकलने लगा…
वो तड़पने लगी – उन्ह माँ… नहीं… आह आ ह आ ह आ ह…
लेकिन, इस सब के लिए वो पहले से ही तैयार थी!! इसलिए, उसने ज़्यादा नहीं चिल्लाया!!
उसकी आँखों से, आँसू निकलने लगे।
फिर भी उसने मुझे बिना रुके, चोदने के लिए कहा।
मैं धीरे धीरे, लण्ड को चूत में अंदर बाहर करने लगा।
वो सिर्फ़ – उम्म माआआआ य्आआआआ… रुउउउ को माआअत्त्त… बस चोदते रहो… आह मां… आहह… फूह ह ह ह ह… दर्द हो रहा है…
मैं उसकी चुचियों को चूसने लगा और एक हाथ से चूत के दाने को सहला रहा था।
कुछ देर बाद, वो भी चूतड़ उठा उठा के चुदवाने लगी।
अब, हम दोनों को मज़ा आने लगा।
लेकिन, उसकी आँखों से लगातार आँसू निकल रहे थे!! क्यूंकि, अभी भी उसे दर्द बहुत हो रहा था!!
मगर, फिर भी वो मज़े ले ले कर चुदवा रही थी…
उसकी चूत का छेद बहुत ही छोटा था!! जिससे मुझे लण्ड को बाहर भीतर करने में और भी मज़ा आ रहा था!! क्यूंकि, टाइट चूत में लण्ड पेलने में, बहुत मज़ा आता है!!
हम दोनों के ऊपर, सेक्स का भूत सवार था।
 
हम दोनों, एक दूसरी ही दुनिया में थे…
इसलिए इस वक़्त, हमको कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था!!
हम दोनों, एक दूसरे की आँखों में आँखे डाल के चुदाई कर रहे थे।
थोड़ी देर में, जब मैंने स्पीड बढ़ा दी तो उसकी मुँह से – अहह य आआ… ओह माँ… मैं जन्नत में हूँ… जैसी आवाज़ें निकालने लगी।
गुलनार ताल में ताल मिला कर, चुदवा रही थी और मेरा भरपूर साथ दे रही थी।
जिस से चुदाई का मज़ा, दोगुना हो गया…
मैं उसकी चुचियों को छोड़ के, उसकी जीभ को चाट रहा था।
मेरा लण्ड, अब पूरी तरहा उसकी चूत में घुस रहा था।
उसकी चूत से “फ़च फ़च” की आवाज़ आ रही थी!! जिससे पूरा कमरा उस आवाज़ से भर गया था!!
जब मुझे लगा के मैं झड़ने वाला हूँ तो मैं अपना लण्ड चूत से निकाल के, उसको किस करने लगा।
जब मुझे कुछ ठीक लगा तो मैंने फिर से एक ही झटके में खटाक से उसकी चूत में, लण्ड पेल दिया…
मैं फिर से, उसकी चूत में ज़ोर ज़ोर से लण्ड पेलने लगा।
इस बीच गुलनार 3 बार झड़ चुकी थी!! मगर, उसका जोश अभी भी वैसे का वैसा था!!
फिर, मुझे महसूस हुआ की मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने गुलनार को उल्टा लेटने को कहा!! क्यूंकि, मैं अपना मूठ उसकी चूत के अंदर और बाहर कहीं नहीं गिरना चाहता था!!
इसलिए, मैंने उसकी गाण्ड में झड़ने का सोचा।
मगर, उसकी गाण्ड भी चूत की तरहा कुँवारी थी तो मैंने उसके गाण्ड के छेद में भी बहुत सारा तेल घुसा दिया।
पहले उसकी गाण्ड के छेद को खोला और धीरे से उसके अंदर अपना लण्ड घुसाने लगा।
लेकिन, उसकी गाण्ड का छेद चूत से भी ज़्यादा टाइट था…
फिर, मैंने एक ज़ोर का धक्का मार के उसके गाण्ड में अपने लण्ड को पेल दिया!!
इस बार, गुलनार थोड़े हाथ पैर मारने लगी।
मगर, मैं रुका नहीं और उसकी गाण्ड चोदने लगा।
वो चिल्ला रही थी – नहीं विनय, प्लीज़ गाण्ड नहीं… प्लीज़, छोड़ दो… नहीं ह ह ह ह ह ह…
हम दोनों, बहुत गरम हो गये थे!!
फिर 10-15 धक्के मारने के बाद, मैं झड़ गया और अपना सारा पानी उसकी गाण्ड में ही भर दिया…
मेरे साथ साथ, गुलनार भी एक बार फिर से झड़ गई!!
मैंने उसकी गाण्ड से तब तक लण्ड नहीं निकाला, जब तक मेरे लण्ड से सारा पानी उसकी गाण्ड में नहीं गिर गया!!
हमारी, “बहुत लंबी चुदाई” के बाद, हम दोनों ही बुरी तरह थक गये थे और मैं ऐसे ही गाण्ड में अपने लण्ड को घुसाए हुए, उसके ऊपर पड़ा रहा।
ये मेरी जिंदगी की सब से अच्छी चुदाईयों में से एक है।
मैं इस चुदाई को, कभी भूल नहीं सकता।
मैंने गुलनार से पूछा – क्या तुम्हें दर्द नहीं हो रहा है… चलो, तुम कुछ खाना ख़ा के एक पैन किल्लर ले लो…
उसने कहा – दर्द तो हो रहा है… मगर, जो आनंद आज तुमने मुझे दिया उसके सामने में ऐसे कितने ही दर्द सह सकती हूँ… लेकिन, फिर भी गुलबदन ने मुझे पहले से ही बता दिया था के चुदवाने मे बहुत दर्द होता है… इसलिए, चुदाई से पहले मैंने पैन किल्लर ले लिया था… अभी दर्द हो रहा है, मगर ज़्यादा नहीं… आप चाहें तो मुझे अभी फिर से चोद सकते हैं…
मैंने बोला – बेबी, अभी तो हमारे पास पूरा दिन और रात है… आराम से, जी भर के चुदाई कर सकते हैं… अभी फ्रेश हो के बाहर चल के देखते हैं की वसीम और गुलबदन की कहानी कहाँ तक पहुँची है…
तो फिर, हम दोनों फ्रेश हो के बाहर आ गये।
गुलनार, थोड़ी लंगड़ा कर चल रही थी।
हमें देखते ही वसीम ने कहा – यार, बहुत देर लगा दी, तुम दोनों ने… अंदर सो गये थे, क्या… ?? तुम्हारे इंतज़ार में, हम दोनों ने दो बार चुदाई कर ली है…
मेरे बोलने से पहले ही, गुलनार ने कहा – भैया, हमारा खेल थोड़ा हट के था… आपके दोस्त का तो, जबाब नहीं… आप दोनों के दो के जगह, हमारा सिर्फ़ एक बार ही काफ़ी है…
ये सुनकर, गुलबदन ने कहा – क्या… ?? इतने देर से तुम दोनों अंदर थे, फिर भी बस एक बार ही चुदाई की है… ??
वसीम ने कहा – तुम विनय को नहीं जानती, वो इस खेल में माहिर है… जब तक चाहे, उतनी देर तक चुदाई कर सकता है…
फिर, हम चारों ने खाना खाया।
वसीम ने कहा – यार, यहीं पास में एक झील है… चल, हम दोनों वहां जाकर घूम कर आते हैं…
ये सुनकर, गुलबदन ने कहा – हम दोनों भी, आप के साथ जाएँगे और वहां नहाएँगे…
फिर हम चारों, झील की तरफ बढ़ने लगे।
वो झील जहाँ थी, उसके चारो तरफ जंगल ही जंगल था। इस कारण, दूर दूर तक किसी को कुछ नहीं दिखाई देता था की वहाँ क्या हो रहा है।
जैसे ही, हम झील में पहुंचे तो वसीम ने और मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। बस एक चड्डी पहन कर, नहाने के लिए निकले।
गुलबदन और गुलनार भी सारे कपड़े उतार के, बिकनी में हमारे साथ नहाने के लिए चलने लगीं।
दोनों बहनें बहुत गोरी थीं और उसके ऊपर दोनों ने काले रंग की बिकनी पहन रखी थी, जिस से वो दोनों काफ़ी सेक्सी दिख रही थीं।
गुलनार ने मेरा हाथ पकड़ लिया और हम दोनों, साथ साथ झील के अंदर घुस गये।
हम चारों में से सिर्फ़ वसीम को तैरना आता था, इस वजह से हम ज़्यादा अंदर तक नहीं गये।
गुलनार, मुझ से लिपट के नहा रही थी।
वसीम और गुलबदन भी एक दूसरे को बाहों में ले के, मज़े से नहा रहे थे।
हम चारों, फिर से गरम होने लगे.. !!
पानी के अंदर ही, मैंने गुलनार को किस करना स्टार्ट कर दिया.. !!
थोड़ी देर में, मैंने गुलनार की ब्रा को खोल दिया और पानी हमारे चेस्ट तक था.. !! जिससे, गुलनार के बूब्स पानी में तैर रहे थे.. !!
मैं गुलनार को लीप किस कर रहा था और उसकी चुचियों को दबा रहा था।
वो, मेरे लण्ड को पकड़ के हिला रही थी।
हमारे पीछे, वसीम और गुलबदन भी एक दूसरे को किस कर रहे थे।
मेरा लण्ड, कड़क होने लगा.. !!
मैं गुलनार की चूत को सहलाने लगा.. !!
उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।
ऐसी ही हालत, गुलबदन की भी थी।
 

फिर, वसीम ने मुझ से कहा के यार चल किनारे पर चल के, इन दोनों को चोदते हैं…
मैं गुलनार को बाहों मे उठा के किस करते हुए, बाहर ले आया।
आपको याद होगा मैंने आपको बताया था, मुझे सबके सामने चोदने में मज़ा नहीं आता।
मगर क्या करें, वहाँ कोई अच्छी जगह नहीं थी।
चारों तरफ, बस ख़तरनाक झाड़ियाँ थीं।
पहले तो, मैंने सोचा के उन झाड़ियों के पीछे जा के गुलनार को चोदूंगा.. !! लेकिन, जब मैं झाड़ियों के पास गया तो मुझे कुछ सापों की केंचुली मिली.. !!
मेरी गाण्ड फट गई और फिर मैं वहां से चला आया और वसीम ने मुझे एक तौलिया दिया, नीचे बिछाने के लिए।
उसने भी, एक चादर को नीचे बिछा दिया था।
गुलनार और गुलबदन नीचे लेट गये और हम दोनों ने उन दोनों को चूमना शुरू किया।
मैंने गुलनार को सिर से लेकर पावं तक चूमा और फिर उसके ऊपर लेट के उसकी चुचियों को चूसने लगा और एक हाथ से, उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा.. !!
रगड़ते रगड़ते, मैं एक उंगली उसकी चूत में डाल के चोदने लगा.. !!
उसकी चूत, अब तक गीली हो चुकी थी।
हमारे साइड में, वसीम और गुलबदन 69 की पोज़िशन में थे।
वसीम, गुलबदन की चूत को चाट रहा था और गुलबदन, वसीम के लण्ड को चूस रही थी…
कुछ देर बाद, मैं गुलनार को अपने ऊपर ले आया.. !!
वो, मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.. !!
फिर, मुझसे रहा नहीं गया और मैंने गुलनार को नीचे लेटा कर उसकी टाँगों को फैला कर, अपने लण्ड को उसकी चूत के छेद पर रख दिया और एक ही झटके में चूत के अंदर तक, लण्ड को पेल दिया…
इस कारण गुलनार ज़ोर से चिल्लाने लगी – आ आ आ आ आ ह ह ह ह ह ह माँ, धीरे विनय, ऐसा लग रहा है कोई गरमा गरम लोहे की रोड, मेरी चूत में घुस गई…
अब मैं, गुलनार को चोदने लगा… !!
वसीम और गुलबदन का चूसाई का काम, अभी भी जारी था.. !!
मैं गुलनार के ऊपर लेट के, कभी उसके होठों को चूसता तो कभी उसकी दोनों चुचियों को बारी बारी से चूसता.. !!
हम दोनों, मदहोश हो के चुदाई करने लगे… …
कुछ देर बाद, वसीम ने गुलबदन को अपने लण्ड के ऊपर बिठा लिया.. !!
जैसे ही, वसीम का लण्ड गुलबदन की चूत में घुसा वो चिल्लाने लगी और उठ के खड़ी हो गई.. !!
गुलबदन ने वसीम से कहा – जान, अभी मैं ऐसी चुदाई के लिए तैयार नहीं हूँ… तुम मुझे लेटा के चोद लो…
फिर वसीम, गुलबदन को नीचे लेटा कर उसकी दोनों टाँगों के बीच बैठ कर उसे चोदने लगा… …
गुलबदन चिल्ला रही थी – फाड़ डालो, मेरी चूत को… मिटा दो इस की प्यास… आह आह आ ह… चोदो चोदो और ज़ोर से चोदो… हाँ… आन्ह माँ, मर गई… फाड़ दो… आह हहह हह ह ह ह ह ह हह…
इस से वसीम और ज़ोर से उसे चोदने लगा और इस बार, वसीम बहुत जल्दी झड़ गया।
उसने अपने लण्ड को फाटक से निकाल कर, गुलबदन के मुँह में घुसेड दिया और चोदने लगा.. !!
5-10 धक्कों के बाद, उसने सारा पानी उसकी मुँह में छोड़ दिया।
गुलबदन ने भी वो सारा पानी, फटाफट गटक लिया।
अब वो दोनों एक दूसरे से चिपक के लेट गये और हमारी चुदाई देखने लगे.. !!
हम दोनों एक दूसरे की जीभ को, चूस चूस के चुदाई कर रहे थे.. !!
इस बार गुलनार की चूत में, मेरा लण्ड पूरी तरह अंदर तक जा रहा था…
दोनों के देखने से मेरे बदन में एक अजीब सी सरसराहट हो रही थी और मेरा लण्ड एकदम फूल के, कुप्पा हो गया था.. !!
बस एक दो मिनट की चुदाई के बाद ही, जब मुझे लगा के मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने गुलनार को उल्टा लिटा कर उसकी गाण्ड में अपना लण्ड पेल दिया और उसकी गाण्ड चोदने लगा.. !!
इस बीच, गुलनार भी एक दो बार झड़ चुकी थी.. !! शायद, अपनी चुदाई दिखाने में उसे भी मज़ा आ रहा था.. !!
वो, लगातार सिसकारियाँ भर रही थी और मुँह से – आँह… उंह… उम्मह… इसस्स… उफ़… फूह… म्म्मह… आ: आ आआ आआ… उफ़फ्फ़ माँ… जैसी आवाज़े, लगातार निकाल रहीं थीं।
उसकी चूत भी, लगातार पानी छोड़ रही थी.. !! जिसके कारण, वो जल्द ही थोडा थक सी गई थी.. !!
वसीम और गुलबदन, हमारी चुदाई लगातार देख रहे थे.. !! जिसके चलते, मैं बहुत ज़्यादा एक्साइटेड महसूस कर रहा था और 4-5 मिनट गुलनार की गाण्ड चोदने के बाद, मैं भी झड़ गया और सारा मूठ उसकी गाण्ड में ही भर दिया और उसके ऊपर लेट गया.. !!
कुछ देर बाद, जब मेरा सारा पानी उसकी गाण्ड में भर गया तब मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड से निकाला तो गुलनार ने उसको अपने मुँह में भर लिया और चाट चाट के बाकी बचा मूठ भी पी लिया.. !!
मैंने वसीम के तरफ देखा तो गुलबदन अभी भी हमें आँखे फाड़ फाड़ के, एकटक देख रही थी।

फिर वसीम ने उस से कहा के जानू देखा, तुमने… मैंने कहा था ना की विनय जब तक चाहे, चोद सकता है… अभी यकीन हुआ के ये दोनों, सुबह इतने देर तक चुदाई कर रहे थे…
गुलबदन, गुलनार को देखते हुए बोली – क्या तुम्हें दर्द नहीं हो रहा है… अगर, मैं तुम्हारी जगह होती तो चिल्ला चिल्ला कर, मर जाती…
 
झील का पानी साफ नहीं था.. !! इसलिए, हमने फार्महाउस जाकर नहाने का सोचा.. !!
फिर, हम चारों ने कपड़े पहन लिए और वापस फार्म हाउस में आ गए।
फार्म हाउस पहुँचते ही, हम अपने अपने कमरों में चले गये।
कमरे में जाते ही, मैं नहाने के लिए बाथरूम में जाने लगा तो गुलनार भी मेरे साथ अंदर आ गई।
हम दोनों ने फ़ौरन एक दूसरे के कपड़े उतार दिए और गुलनार मुझसे लिपट कर शवर के नीचे खड़ी हो गई।
हम दोनों ने एक दूसरे को साबुन से नहलाया।
गुलनार तो फिर से गरम होने लगी थी.. !!
आख़िर, नया नया चस्का जो लगा था, लण्ड लेने का…
वो, मेरा लण्ड पकड़ के सहलाने लगी।
मगर, मैंने गुलनार को रोक लिया और बोला – डार्लिंग, अभी तो पूरी रात पड़ी है… थोड़ा सा इंतज़ार कर लो, नहीं तो तुम्हें वीकनेस आ जाएगी…
जैसे तैसे, मैंने गुलनार को मना लिया.. !!
चुदाई का चस्का, एक बार अगर जवान लड़की को लग जाए तो उसे समझाना, कितना मुश्किल होता है, मुझे यकीन है ये बहुत से पाठक जानते होंगे.. !! .. !!
खैर, फिर हम नहा कर वापस आ गये।
नहाने के बाद, हम चारों हॉल में बैठ के बातें करने लगे।
वसीम ने मुझ से अकेले में कहा के गुलबदन मुझ से चुदवाना चाहती है और आज रात उसे मैं जम कर चोद दूँ.. !! मगर, इधर मैंने तो पहले ही गुलनार से वादा किया था की आज पूरी रात मैं उसे ही चोदूंगा.. !!
मैंने वसीम से कहा – यार, ये तो मुश्किल हो गई… तू गुलबदन से कहना के उसकी ये तमन्ना, मैं किसी और दिन पूरी कर दूँगा… मगर, यार तू मुझ से वादा कर की गुलनार को मेरे इलावा, कोई और नहीं चोदेगा… तू तो जनता है की मुझे अपनी गर्लफ्रेंड, किसी के साथ शेयर करना अच्छा नहीं लगता…
वसीम ने मुझसे वादा किया के गुलनार को सिर्फ़ मैं ही चोदूंगा। मेरी इजाज़त के बगैर, वो गुलनार को हाथ भी नहीं लगाएगा और वैसे भी उसके पास, चूत की कहाँ कमी है। पहले ही, वो सलमा और नीलोफर को भी चोद रहा था। अब तो, गुलबदन भी उसके खेल में शामिल हो गई थी।
बातें करते करते, कब रात हो गई पता ही नहीं चला।
फिर ललन की बीवी, हमारे लिए खाना लेकर आ गई।
हम चारों ने, एक साथ खाना खाया।
खाते खाते, हम बैठकर बातें कर रहे थे।
मगर, मैंने नोटीस किया के गुलबदन बार बार मेरे पैंट के तरफ देख रही थी.. !! जब भी मैं गुलबदन को देखता तो वो, मुस्कुरा देती.. !!
मुझे उसकी आँखों में हवस दिखाई दे रही थी और वैसे भी वसीम ने मुझे पहले ही बता दिया था के गुलबदन मुझसे चुदवाना चाहती है।
खैर, हमारा खाना ख़तम हुआ और उसके बाद हम अपने अपने कमरे में चले गये।
कमरे में जाते ही, मैंने टीवी चालू किया।
मैंने गुलनार से पूछा – डार्लिंग, क्या देखना पसंद करोगी – हिन्दी फिल्म या चुदाई वाली फिल्म… ??
उसने कहा के जान, अभी तो बस मुझे तुम्हारे लण्ड को अपनी चूत में डाल कर पूरी रात चुदवाना है… क्यूंकि, कल सुबह होते ही हम लोग यहाँ से चले जाएँगे… तो इसलिए, मुझे आज की रात बस तुम्हारे लण्ड से चुदती हुई, अपनी चूत की फिल्म देखनी है… अब, मुझसे सब्र नहीं हो रहा… जल्दी से, मुझे चोदो… वरना, मैं नंगी ही सड़क पर निकल जाउंगी… उस वक़्त तो तुमने मुझे रोक दिया… मगर, अब मैं नहीं रुकने वाली… ये देखो, उस वक़्त से मेरी चूत से पानी टपक रहा है… अब तो, पैंटी के साथ साथ मेरी जीन्स भी चूत के पानी से पूरी तरह गीली हो चुकी है…
इतना कहते ही, गुलनार जानवरों की तरह मेरे होठों को चूमने लगी.. !!
मैंने महसूस किया के उसका बदन, पूरी तरहा गरम हो गया था।
उसके मुँह से गरम सिसकारियाँ निकल रही थीं…
ये देख कर, मुझे भी अपने आप पर कंट्रोल नहीं हुआ.. !!
मैंने उसे पूरी तरहा अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसकी जीभ को चूसने लगा।
मैं एक हाथ से उसके बूब्स दबा रहा था और दूसरे हाथ से उसकी गाण्ड के छेद में उंगली घुसा रहा था.. !!
इस हरकत से, गुलनार तो मानो मदहोश सी हो गई थी।
उसके अंदर, वासना की ऐसी ज्वाला जाग उठी थी के अब तो वो पूरी तरहा ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी।
मैंने उसे, बेड पर लेटा दिया।
उसकी आँखें, मदहोशी से बिल्कुल बंद थीं.. !!
गुलनार की ये हालत देख कर, अब मुझसे भी रहा नहीं गया।
मैंने उसके और मेरे सारे कपड़े उतार दिए…

फिर, मैंने अपने लण्ड को उसके मुँह में डाल दिया तो वो उसे ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.. !!
मगर, मुझसे बर्दाशत नहीं हो रहा था.. !! इसलिए, मैंने जल्दी ही लण्ड को उसके मुँह से निकाल के उसकी दोनों टाँगों के बीच बैठ गया.. !!
मैं जैसे ही बैठा, गुलनार ने अपनी टांगें पूरी तरहा खोल दी और मैंने झट से उसकी चूत का मुँह खोल के एक ही झटके में, अपना लण्ड उसकी चूत के अंदर डाल दिया…
इस झटके से गुलनार बहुत ज़ोर से चीख पड़ी – आहहह हह हहह हह हहह हह हहह हह हहह हह अहहह हह हहह म्माआ… मैं मर गाइइ… मेरी चूत फट गईईई ईई ईईई ईई ईईई ईई ई ई ई ई ई ई ई ई… और उसकी चूत से भी खून बहने लगा।
मगर, हम दोनों के ऊपर हवस का नशा छाया हुआ था तो इस लिए हमें कोई भी दर्द का एहसास नहीं था।
फिर मैंने, ज़बरदस्त झटके लगाने शुरू कर दिए.. !!
हर झटके के साथ, जब मेरा लण्ड गुलनार की चूत में घुसता उसकी फ़ुद्दी से – फ़चक फ़चक… पच पच… की आवाज़ निकलती।
उसी के साथ उसके मुँह से भी – आआ आआआ आआ आआआहह हहह हह हहह हह ह ह ह हह हहह औररर र र रर र र ज़ोररर से… की आवाज़ निकल रही थी.. !! जिसे सुनते ही, मेरे अंदर फ़ुद्दी को और भी तेज़ी से चोदने की ताक़त आ जाती.. !!
उसकी फ़ुद्दी से, लगातार खून भी बह रहा था…
 
मगर, जैसे जैसे हमारा खेल आगे बढ़ता जा रहा था, उसी तरहा फ़ुद्दी से खून निकलना भी कम होता जा रहा था।
मैंने पहले भी अपनी भाभी, दोस्त की माँ, दोस्त की बहन, मेरी गर्लफ्रेंड और भाभी के परिवार में, जबरदस्त चुदाई की है। मगर, पता नहीं उस दिन ऐसा क्या था की गुलनार की फ़ुद्दी में, जो मुझे भी चूत मारते टाइम दर्द हो रहा था।
मुझे लगता था के आज गुलनार के चूत से मेरा लण्ड बाहर ही ना निकालूँ…
गुलनार की चूत, बहुत छोटी थी.. !! इस लिए, जब भी मेरा लण्ड उसकी फ़ुद्दी के अंदर घुसता मुझे एसा लगता जैसे की मानो मेरे लण्ड को कोई अंदर खींच रहा है और छोटे छेद के कारण, फ़ुद्दी के अंदर की दीवारें मेरे लण्ड को जकड रहीं थीं.. !!
इससे, मुझे काफ़ी तकलीफ़ भी हो रही थी.. !! पर उस वक़्त, मुझे कुछ याद ही नहीं था.. !!
जिस कारण, मैं गुलनार को पिछले 5-8 मिनट से एक ही पोज़ में चोदे जा रहा था।
चोदते वक़्त, तकलीफ़ के साथ साथ मज़ा भी बहुत आ रहा था.. !! क्यूंकि, गुलनार भी पूरी तरहा मेरी साथ दे रही थी.. !!
बीच बीच में, उसकी चुचियों को भी ज़ोर ज़ोर से चूसता और दबाता.. !! जिस से, उसके बूब्स फूल गये था और दोनों निप्पल भी लाल हो के सूज गये थे.. !!
मगर, मैं पागलों की तरहा चुचियों को चूस रहा था.. !! जिस से, गुलनार को दर्द भी हो रहा था.. !!
लेकिन, वासना के समंदर में डूबे होने के कारण, उसे कोई फरक नहीं पड़ रह था और जैसे ही मैं उसके बूब्स को चूसता, वो मेरे सिर को अपनी चुचियों में और ज़ोर से दबाती और मुँह से अजीब अजीब आवाज़ें निकलती थी.. !!
जैसा – उन्म्म अहह माँ… मर र रर र रर र र गईईई ई ईई ई ईई ई ईई ई… चूसस स सस ससस… औररर र रर ज़ोर रर रर से चूस सस स स सस… आ आ आ आ आ ह हह ह ह हह हहह:
पता नहीं, उसे दर्द हो रहा था या मज़ा आ रहा था…
कभी कभी, मैं उसके मुँह के अंदर अपनी जीभ घुसा देता तो वो उसे चूसती थी।
उस वक़्त, मानो हम इस दुनियाँ में नहीं थे किसी और लोक ही में थे।
हम दोनों को चुदाई के सिवा, ना कुछ सुनाई दे रहा था ना कुछ दिखाई दे रहा था.. !!
हम तो, अपनी ही धुन में मस्त थे।
इस बीच, गुलनार ने पता नहीं कितनी बार पानी छोड़ा.. !!
चुदाई के बीच बीच में, वो ज़ोर ज़ोर से आहें भरती और चिल्लती थी – मार डाला तूने आज, विनय… अहह आहहह हहह और शायद उसी टाइम उसकी फ़ुद्दी से, समंदर फुट पड़ता।

कुछ 15 मिनट के बाद, गुलनार बहुत थक गई तो उसने कहा – विनय, अब चूत में बहुत दर्द होने लगा है… मुझसे, अब संभाला नहीं जा रहा है… तुम, अब कुछ देर मेरी गाण्ड मार लो… उसमें बहुत खुजली हो रही है… तब तक, मेरी फ़ुद्दी भी थोड़ा आराम कर लेगी…
ये सुनते ही, मैं तुरंत उठा और उसकी फ़ुद्दी से लण्ड निकाला तो देखा के चूत बिल्कुल सूज के टमाटर की तरहा लाल हो गई है और उसका छेद खुला का खुला रह गया है।
ताजुब था की मेरा लण्ड भी सूज गया था और एसा लग रहा था के मानो ये मेरा लण्ड नहीं किसी और का है।
जब मैं ये देख रहा था तो गुलनार ने मुझे जल्दी से गाण्ड में लण्ड घुसाने के लिए कहा।
मैंने उसे घोड़ी बना दिया और लण्ड को गाण्ड के छेद में डालने लगा।
मगर, इतनी देर की चुदाई से और चूत बेहद छोटी होने से लण्ड सूज गया था.. !! जिससे, वो गाण्ड में घुस ही नहीं रहा था.. !!
फिर, मैंने एक क्रीम को लण्ड में लगा लिया और गुलनार के गाण्ड के छेद को पूरी तरहा क्रीम से भर दिया।
अब मैं लण्ड को, उसकी गाण्ड में घुसाने लगा.. !!
बहुत ज़्यादा फिसलन के कारण, एक ही झटके में लण्ड उसकी गाण्ड के अंदर तक चला गया…
जिस कारण, गुलनार थोड़ा तिलमिला उठी।
मगर, मैं बिना रुके उसकी गाण्ड चोदता गया।
मैंने दोनों हाथों से उसकी गाण्ड को पूरी तरहा फैला दिया और झटके मारता गया..
फिर कुछ 5 मिनट बाद, मुझे लगा के मेरा पानी निकलने वाला है तो मैंने गुलनार से कहा के जान मेरा पानी निकलने वाला है, क्या करूँ… ??
तो उसने कहा – रुक जाओ… अपने अमृत को, मेरी चूत में ही गिराना… ये अमृत का वो रस है, जिस के लिए बड़े दिनों से तरस गई हूँ और मैं इसे ऐसे ही बेकार नहीं जाने दूँगी…
ये कहते ही, गुलनार सीधा लेट गई.. !!
मैंने भी तुरंत ही लण्ड को, उसकी चूत में फिर से डाल दिया।
फिर 4-5 झटको के बाद, जैसे ही मैं झड़ने लगा तो हम दोनों ने एक दूसरे को ज़ोर से बाहों में दबोच लिया और मैं झटके मारते मारते सारा अमृत गुलनार की फ़ुद्दी में गिरा रहा था.. !! जिस से, उसकी फ़ुद्दी के अंदर हलचल मच गई थी और हर बूँद गिरने के साथ, उसके मुँह से ज़ोर से चीख निकल रही थी – इयाः आहह…
इस दौरान, मैं उसे पागलों की तरहा चूम रहा था।
जब मेरा सारा माल, उसकी चूत में गिर गया तब तक मैं बहुत थक गया था और मेरा लण्ड भी खड़ा था तो इसलिए मैंने उसे गुलनार की फ़ुद्दी में कुछ देर वैसे ही रहने दिया और उसकी जीभ को चूसने लगा।
किस करते करते, हम दोनों ऐसे ही कब एक दूसरे के बाहों में सो गये पता नहीं चला.. !!

बाद में, रात के 1:45 को वसीम ने आकर दरवाजा ठोका तो हम दोनों की नींद टूट गई.. !!
हमने आँखे खोल के देखा तो हम दोनों एक दूसरे को बाहों में जकड़े हुए थे और मेरा लण्ड गुलनार की चूत में ही घुसा हुआ था।
ये देख कर, हम दोनों को हँसी आ गई.. !!
फिर, मैंने गुलनार के लिप्स पर किस करके तौलिया पहना और दरवाजा खोलने के लिए उठ गया।
देखा तो बाहर वसीम था, वो भी तौलिया में था।
मैंने पूछा – यार, क्या हुआ… ?? इतनी रात को, मेरे कमरे में…
तो वसीम ने कहा के यार, मुझे नींद नहीं आ रही थी…
मैंने पूछा – इसका मतलब, तुम दोनों ही अब तक जागे हुए हो… क्या हुआ… ??
इस पर, वसीम बोला – क्या करूँ… ?? ये गुलबदन सोने दे, तब ना नींद आएगी… अभी तक, इसको मैं दो बार चोद चुका हूँ… मगर, ये कहती है एक बार और चोदने के लिए… इसका बस चले तो ये पूरी रात, मुझ से चुदवाती ही रहेगी… इसलिए, तेरे पास आ गया की चल बैठ के एक एक ड्रिंक्स लेते हैं…
 
मैंने वसीम से हंसते हुए कहा – यार, तुम तो जानते हो के मैं ड्रिंक नहीं करता… तू कहता है तो चल, तू ड्रिंक कर मैं तेरे साथ बैठता हूँ…
ये सब सुनकर, गुलनार भी हमारे साथ हॉल में बैठ गई।
मैं और गुलनार, एक साथ सोफे पर बैठे।
मैं गुलनार की गोद में सिर रख कर लेटा था और वसीम हमारे सामने बैठे कर ड्रिंक कर रहा था।
गुलनार, मेरे सिर को सहला रही थी और बात करते करते, बीच बीच में मेरे माथे को चूम रही थी।
वसीम – तुम लोगों का क्या हुआ… ?? अब तक, कितनी बार चुदाई हो चुकी है… ??
मैं – अरे नहीं यार, हमारा कुछ खास नहीं हुआ… अभी तक तो, बस एक बार ही चोदा है…
वसीम – क्या कह रहा है, भाई… अभी तक एक ही बार चोदा है और बाकी टाइम सो गये थे, क्या…
गुलनार – क्या बात कर रहे हो… ?? आपके, इस एक बार में ही हम दोनों की हवा टाइट हो गई है… भैया, आप सही कहते थे, ये तो चुदाई में एकदम एक्सपर्ट है… आप सोच भी नहीं सकते, इस एक बार में मेरी चूत और गाण्ड दोनों फाड़ दी आपके दोस्त ने… अभी तक दर्द कर रही है, मेरी चूत… इन्होने, इस एक बार में अभी मुझे 20-25 मिनट तक चोदा है…
वसीम – अरे वाह!! क्या बात है… मैंने तुझे कहा था, मेरा दोस्त चुदाई में कितना एक्सपर्ट है… तुझे, विनय से चुदवा के बहुत मज़ा आएगा…
हम तीनों ने इसी तरह, लगभग 1:30 घंटे बैठ कर बातें की।
फिर गुलबदन कमरे से आते हुए बोली – क्या हुआ… आज सोना नहीं है, क्या… ??
ये सुनते ही, वसीम ने हमसे गुड नाइट बोला और उसके साथ रूम में चला गया।

इधर, हम दोनों कुछ और देर तक वहां बैठे.. !!
कुछ देर बाद, हम दोनों रूम में आ गए।
गुलनार ने कहा – विनय, मुझे भी नींद नहीं आ रही है… चलो ना, बैठ कर फिल्म देखते हैं…
मैंने भी हामी भर दी।
फिर हम दोनों बैठ कर, एक अच्छी सी ब्लू फिल्म देखने लगे।
गुलनार, मेरी बाहों में सिर रख कर फिल्म देख रही थी।
कुछ देर बाद, हम दोनों फिर से गरम होने लगे.. !!
हमने, सारे कपड़े उतार दिए और नंगे फिल्म देखने लगे…
 
गुलनार, अब मेरे लण्ड को पकड़ के सहला रही थी.. !!
मैं उसके बूब्स को दबा रहा था.. !! लिप्स पर, उंगली फेर रहा था.. !!
फिर, कुछ 15-20 मिनट बाद, गुलनार नीचे जा के मेरे लण्ड को चूसने लगी।
कुछ ही देर में, हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए.. !!
मैं गुलनार की चूत में उंगली घुसा कर, उसके दाने को चूस रहा था।
15-20 मिनट के बाद, मैंने गुलनार को अपने लण्ड पर बैठा दिया.. !! फिर, धीरे धीरे गुलनार ऊपर नीचे होने लगी.. !!
फिर क्या था, एक बार और शुरू हो गया – हमारा चुदाई का प्रोग्राम…
इस बार, मैंने गुलनार की चूत और गाण्ड को हर स्टाइल में चोदा।
करीब, आधे घंटे से ज़्यादा देर तक मैंने गुलनार को चोदा और अपना सारा मूठ मैंने उसकी गाण्ड में भर दिया।
इस तरहा, हमने चुदाई करते करते रात बिताई और कब सो गये, पता नहीं चला।
सुबह के 10 बजे, हमारी नींद खुली.. !!
हम चारों, घर आने के लिए तैयार होने लगे तभी सलमा का फोन आया के वो भी नीलोफर के साथ, वहां आ रही है तो हम लोग घर के लिए ना निकलें।
ये सुनते ही, गुलबदन और गुलनार खुशी से उछल पड़ीं.. !!
मैंने बाहर आकर, ललन से कहा के हम लोग नहीं जा रहे हैं और सलमा और नीलोफर जी भी कुछ ही देर में, यहाँ पहुँच जाएँगीं तो तुम हम सब के खाने का इंतज़ाम कर देना…
कुछ देर बाद, ललन की बीवी हमारे लिए नाश्ता लेकर आ गई।
हमने नाश्ता किया और वसीम और मैं बाते करने बैठ गये।
गुलबदन और गुलनार, दोनों एक साथ मिलकर ललन के घर चले गये।

फिर कुछ देर बात, सलमा और नीलोफर आ गए.. !! वो दोनों आते ही, वसीम के गले लग गये.. !!
मैं – क्या हुआ… ?? तुम दोनों, ऐसे अचानक यहाँ… सब कुछ, ठीक है ना…
सलमा – कुछ नहीं, वो घर को पैंट करने वाले आ गये और मुझे पैंट से एलर्जी है… इस लिए, मैनेजर को घर का चाबी देकर, हम लोग यहाँ आ गए…
वसीम – तो ठीक है… वैसे, यहाँ भी मुझे कुछ काम था… जिसे, मैं बाद में करने की सोच रहा था… मगर, अब तो सब लोग आ गए हैं तो मैं वो काम भी करवा ही देता हूँ…
वसीम ने बाहर जाकर ललन से कुछ मज़दूर बुलाने को कहा और वो खुद सबके साथ काम में लग गया।
मैं भी, उसके साथ था.. !!
ऐसे ही पूरा दिन निकल गया…
शाम को, जब घर आए तो सलमा ने कहा – वसीम, मैनेजर का फोन आया था की वहां कुछ दिक्कत आ रही है…
वसीम ने कहा – ठीक है… मैं और विनय, चले जाते हैं… जब सब काम, ख़तम हो जाएगा तो आप लोग आ जाना…
लण्ड की प्यासी, गुलबदन और गुलनार भी हमारे साथ जाने के लिए ज़िद करने लगीं.. !! तो सलमा ने कहा की तुम दोनों को भी तो पैंट से प्राब्लम है… इसलिए, तुम दोनों नहीं जा सकते… चुपचाप, यहीं पर रहो…
नीलोफर बोली – दीदी, मुझे पैंट से प्राब्लम नहीं है… इस लिए, मैं इनके साथ जाती हूँ… वहां, इनका ख़याल रखने वाला भी कोई नहीं है… मैं इन दोनों को खाना बना दूँगी…
इस पर सलमा मान गयी।
फिर, सलमा ने वसीम को दूसरे कमरे में बुला कर उस से कहा के इतने दिन तक, मैं तुमसे बिना चुदवाए कैसे रहूंगी… जाने से पहले, एक बार तो चोद दो और अगर मौका लगे तो बीच बीच में आकर, मेरी चूत की आग बुझा जाया करना…
वसीम ने सलमा को जमकर चोदा…
मैं गुलनार और गुलबदन के साथ, दूसरे बेड रूम में बैठा बातें कर रहा था।
तभी, नीलोफर ने गुलनार को आवाज़ दी तो वो वहां से उठकर चली गई।

गुलबदन, मुझे अकेले पाते ही मेरे ऊपर टूट पड़ी और मैं बेड पर गिर गया.. !!
गुलबदन मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे चेहरे पर, बेतहाशा किस करने लगी.. !!
मैंने उसे रोका तो उसने कहा – कब से तुमसे चुदवाने की सोच रही हूँ, विनय… मगर, तुम हो के मुझे घास नहीं डालते… आज, चान्स मिला है तो तुमको मुझे चोदना ही पड़ेगा…
मैंने गुलबदन को पकड़ के नीचे बेड पर पलट दिया और कहा – देखो, अभी सही टाइम नहीं है… कोई भी, कभी भी आ जाएगा… कुछ ही देर में, हम लोग यहाँ से निकलने भी वाले हैं… मुझे ऐसे टेंशन में और जल्दी जल्दी चोदने में, मज़ा नहीं आता… अगर, मैं ठीक सोच रहा हूँ तो तुम भी नहीं चाहोगी के मैं तुम्हें यूँही जल्दबाज़ी में चोद के, तुम्हारी हसरात पर पानी फेर दूँ… इसलिए, मौका लगने पर मैं तुम्हें जमकर चोदूंगा, जिस से हम दोनों को बहुत मज़ा आएगा… तो, अभी के लिए जानेमन, अपने आपको रोक लो और काबू रखो, अपनी जवानी पर…
मैंने कुछ देर उसकी चुचियों को दबाया और उसके होंठों को किस किया और फिर मैं वहां से चला गया।
जैसे ही घर की पैंटिंग का काम ख़तम हुआ सलमा, गुलबदन और गुलनार तीनों फार्म हाउस से आ गए।
 
आते ही, गुलबदन ने मुझे पकड़ा और कहा – अब तो मैं घर आ गई हूँ, चलो ना रूम में… मैंने इतने दिन से अपने आपको, तुम्हारे लिए रोक के रखा है… अब मुझ से बर्दाशत नहीं होता… जल्दी से मुझे चोद के, मेरी चूत की आग को बुझाओ…
मैंने उसे कहा – ठीक है, आज रात को, तुम्हारी ये तमन्ना पूरी कर दूँगा…
ऐसा कह के, मैं वसीम के पास गया और बोला – यार, बहुत दिन हो गये मैं घर नहीं गया… अब तो सब लोग आ गए हैं, इस लिए मैं घर जाना चाहता हूँ…
ये सुनते ही वसीम का चेहरा उतर गया.. !! क्यूंकि, वो नहीं चाहता था के मैं उस से दूर जाऊं.. !! वो मुझ से, अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करता था.. !!
वसीम मेरे लिए पूरी दुनियाँ को छोड़ सकता था.. !! मगर, इस बार वो मुझे कुछ नहीं कह पाया.. !!
मैं जैसे ही घर के लिए निकलने लगा तो एक एक करके सब लोग मेरे पास आए और मुझे रुकने के लिए कहने लगे।
सलमा मेरे पास आई और बोली – विनय, मुझे नीलोफर ने सब कुछ बता दिया है… तुम क्यूँ जा रहे हो, ये भी तो तुम्हारा ही घर है और वसीम तुमसे बहुत प्यार करता है इस लिए वो बहुत दुखी है…
मैं समझ गया के उसको मेरे पास, वसीम ने ही भेजा है।
मैंने कहा – देखो आंटी, अभी मेरा घर जाना ज़रूरी है… इतने दिन हो गये, एक ही शहर में रहते हुए मैं घर नहीं गया…
मेरे मुँह से आंटी सुनते ही, सलमा ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और कहा – आंटी नहीं, सलमा… तुम्हारा दोस्त, वसीम भी तो मुझे नाम से ही बुलाता है… इस लिए, तुम भी मुझे सलमा कह के बुलाना…
उन सब ने मिलकर मुझे बहुत रोकने की कोशिश की मगर मैं रुका नहीं तो वसीम खुद मुझे गाड़ी में घर तक छोड़ने के लिए आया।
मेरा घर, वसीम के घर से थोड़ा ही दूर था।

घर जाते ही, मुझे भैया ने कहा के पापा ने तुम्हें गाँव बुलाया है… तो, कल सुबह तुम्हें गाँव जाना होगा… एक काम करना, अपने साथ अपनी भाभी और ऋचा को भी ले जाना…
फिर अगले दिन सुबह मैं, भाभी और ऋचा गाँव के लिए निकल गये।
जैसे मैंने पहले बताया था के भाभी के प्रेग्नेंट होने के बाद, मैं ऋचा को चोदा करता था।
भाभी ने मुझे गाड़ी में कहा – देवर जी, इतने दिन तक कहाँ थे… ?? मेरी बहन को बहुत तरसया है, तुमने… अभी इसकी सारी ज़िद, तुम्हें पूरी करनी पड़ेगी… ये तुम्हारा सज़ा है…
मैं भी भाभी की कोई भी बात नहीं टालता हूँ, इस लिए मैंने कहा – भाभी, आपका हुक्म सर आखों पर…
फिर, मैं ऋचा के करीब जा के बैठ गया।
उसने मुझसे बात नहीं की तो मैंने उससे कहा – देखो, अब तुम्हें छोड़ के कभी नहीं जाऊंगा… अब तो मुस्कुरा दो, मेरी जान…
ऐसी ही बहुत सारी बातें करने के बाद, फाइनली ऋचा मान गई। उसने मेरी तरफ देखा और हँसी।
कुछ देर बाद, हम लोग गाँव पहुँच गये।
घर जाते ही, पापा ने ऑर्डर सुना दिया के अब हम लोग भी जा के शहर में रहेंगे… इस लिए, तुझे एक बड़ा सा घर देखना होगा…
पापा की बात सुनकर, मैं खुश हो गया और थोड़ा दुखी भी हुआ क्यूंकि अगर सब लोग वहां रहेंगे तो मे अपनो मनमानी नहीं कर पाउँगा.. !! मगर, क्या करें ये तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश था, मानना तो पड़ेगा.. !!
रात को, मैंने ऋचा को अकेले बुला कर अपने कमरे में जम कर चुदाई की.. !! इस काम में, भाभी ने भी हमारी मदद की.. !!
रात को, मैंने उसे 2 बार चोदा।
मेरा तो और भी चोदने का मन था.. !! मगर, ऋचा 2 बार में ही थक गई.. !! इसीलिए, मुझे अपने आप को रोक के चुप चाप सोना पड़ा.. !!
सुबह होते ही, वसीम का फोन आया और उसने मुझे तुरंत आने के लिए कहा।
मैंने उस से कहा के पापा, अभी जाने नहीं देंगे… तो उसने, बोला – मैं जानता था तू यही कहेगा… इसलिए, साले मैंने पहले से ही अंकल से बात कर ली है और उन्होने हाँ भी कह दिया है… इसीलिए, फटाफट तू वहां से आ जा और ये मत कहना के अभी आने के लिए कोई गाड़ी नहीं है क्यूंकि मैंने तेरे लिए गाड़ी भेज दी है… जल्दी से, तैयार हो ज़ा… गाड़ी, पहुँचती होगी…
मैं क्या कहता। बस, फटाफट रेडी हो गया।
मेरे जाने की बात सुनते ही, ऋचा मेरे कमरे में दौड़ के आई और मेरे बाहों मे चिपक गई और रोने लगी।
उसने मुझे, जाने से मना किया।
मैंने भी उस से कहा के कल रात को जब में तुम्हें और चोदना चाहता था तो तुमने मना कर दिया… अब, भुक्तो उसकी सज़ा…
ये सुनते ही उसने कहा – आज के बाद, कभी नहीं मना करूँगी… जब तक तुम चाहो और जैसे चाहो, मुझे चोद सकते हो… मैं नहीं रोकूंगी, तुम्हें… पर मत जाओ, प्लीज़…
फिर मैंने, उसे समझाया – पगली, मैं तो मज़ाक कर रहा था… क्या करूँ, मैं भी जाना नहीं चाहता… मगर, मेरे दोस्त ने बुलाया है और वैसे भी एक बड़ा घर ढूढ़ना है, मुझे… उसके लिए तो, टाइम लगेगा…
इतना कहकर, मैंने उसे किस किया और उसके बूब्स को दबाया।
फिर, गाड़ी आ गई तो मैं जल्दी से निकल गया, शहर के लिए।
 
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