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- Dec 5, 2013
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[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]बारहवीं कक्षा पास करने के बाद जब मैंने कॉलेज में दाखिला लिया तो वहां नई सहेलियाँ बनीं। दो चार दिन में ही उनकी बातें सुन सुनकर मुझे यह एहसास हो गया कि मैं कितने पिछड़े क़िस्म के स्कूल से पढ़ कर आई हूँ। उनकी बातें और अनुभव सुनकर मेरे अन्दर भी किसी से प्यार करने की इच्छा जागृत हो गई, सीधे शब्दों में कहूँ कि मैं चुदवाने के लिए बेताब होने लगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कॉलेज में ज्यादातर लड़कियाँ अपनी स्कूटर या कार से आती जाती थीं, मैं और तीन चार अन्य लड़कियाँ ही सिटी बस से कॉलेज आती जाती थीं।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक दिन कॉलेज से निकलने के बाद मैं बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार कर रही थी कि एक हॉण्डा सिटी कार मेरे पास आकर रुकी, कार अमित अंकल चला रहे थे, अमित अंकल पापा के दोस्त थे और हमारे घर के सामने ही रहते थे।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उन्होंने मुझसे पूछा- घर चलना है?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मेरे हाँ कहते ही उन्होंने कार का दरवाजा खोला, मैं उनके बगल की सीट पर बैठी और थोड़ी ही देर में घर पहुँच गई।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]घर पहुँचने के काफी देर बाद तक मेरे जहन से बस और कार के सफ़र का फर्क निकल नहीं पा रहा था, मैं सोच रही थी कि कितना सुखी रहता है कार में सफ़र करने वाला ! ना धूल मिटटी, ना गर्मी, ठाठ से ए.सी. में बैठकर सफ़र कीजिए।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अब अक्सर यह संयोग होने लगा कि मेरे कॉलेज से निकलने के समय अमित अंकल उधर से गुजरते और मुझे साथ ले लेते। मेरे पापा भी खुश हो जाते कि आज भी वापसी का बस का किराया बच गया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक दिन मेरे कार में बैठते ही अमित अंकल ने पूछा- दस पन्द्रह मिनट देर हो जाए तो कोई परेशानी तो नहीं है ना?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- नहीं अंकल, कोई परेशानी नहीं है ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अमित अंकल ने कार एक रेस्तरां के बाहर रोकते हुए कहा- इसका डोसा बहुत टेस्टी है ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पापा के साथ इस रेस्तरां में आने के बारे तो मैं सोच भी नहीं सकती थी, वो एक नंबर के कंजूस आदमी हैं। खैर, हमने डोसा खाया और घर आ गए।अब हर दूसरे चौथे दिन हमारा इसी तरह कहीं खाने पीने का प्रोग्राम होने लगा। एक दिन रेस्तरां में कॉफ़ी पीते पीते अमित अंकल बोले बहुत दिनों से पिक्चर देखने का मन हो रहा है, अगर कहो तो कल चलें, रानी मुखर्जी की नई फिल्म लगी है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- कल कब ?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अंकल ने कहा- कॉलेज बंक करके, तुम्हारे घर किसी को पता भी नहीं चलेगा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कुछ अंकल के अहसान, कुछ नई उमंग और कुछ अनजानी सी चाहत ने मेरे मुँह से हाँ निकलवा दी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अगले दिन तय कार्यक्रम के हिसाब से हम मिले और पिक्चर देखने सिनेमा हॉल में पहुँच गए। इंटरवल तक आराम से पिक्चर देखी और बातचीत करते रहे। इंटरवल में अमित अंकल पॉप कॉर्न और कोका कोला ले आये। पिक्चर चलती रही और हम पॉप कॉर्न खाते रहे, पॉप कॉर्न लेने के दौरान कई बार एक दूसरे से हाथ छू हो गया तो अमित अंकल ने कहा- मनमीत जब तुम्हारा हाथ छूता है तो मेरे शरीर में कर्रेंट सा दौड़ जाता है, तुम्हें कुछ नहीं होता क्या?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं कुछ नहीं बोली तो अमित अंकल ने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर पूछा- मेरे छूने से तुम्हे कुछ नहीं होता क्या?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने धीरे से कहा- होता है ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो उन्होंने मेरा हाथ चूम लिया, अपने दोनों हाथों में मेरा हाथ छुपा लिया और बोले- यह हाथ मैं कभी नहीं छोडूंगा ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इसके बाद लगभग रोज ही मैं उनके साथ आने जाने लगी और हम लोगों में छूने और चूमने का काम शुरू हो गया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक रात को एक बजे मेरे मोबाइल पर अमित अंकल का कॉल आया- क्या कर रही हो?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- सो रही थी ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो बोले- मनमीत, हमारी नींद उड़ाकर तुम सो रही हो?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इसके बाद रोज़ रात को हम लोगों की बातचीत शुरू हो गई। बातचीत का विषय चलते चलते यहाँ तक आ पहुँचा कि अमित ( अमित अंकल कहना मैं छोड़ चुकी थी ) बोले- जिस दिन तुम्हारी चूत के गुलाबी होठों को खोलकर अपना लंड उस पर रखूँगा, तुम जन्नत में पहुँच जाओगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वास्तविकता यह थी कि अमित मुझे चोदने के लिए जितना बेताब थे मैं चुदवाने के लिए उससे ज्यादा बेताब थी। अमित की कल्पना करके ना जाने कितनी बार ऊँगली से काम कर चुकी थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]खैर, जहाँ चाह वहाँ राह ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वीना आंटी ( अमित की पत्नी ) कुछ दिनों के लिए अपने मायके गई। रात को अमित का फ़ोन आया- कल का क्या प्रोग्राम है?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- कुछ नहीं ! आप बताएँ ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो बोले- कल कॉलेज बंक करो, मैं भी ऑफिस नहीं जाता ! मेरे घर आ जाना, दोनों मिलकर अच्छा सा खाना पकायेंगे, खायेंगे।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- ठीक है, आप अपने घर का पिछला दरवाज़ा खुला रखना, मैं पीछे से आऊंगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इतना सुनकर अमित ने फ़ोन काट दिया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने अपना दाहिना हाथ अपनी चूत पर फेरते हुए कहा- मुनिया रानी ( चूत का यह नाम कॉलेज की लड़कियों ने रखा था) कल तुझे लंड की प्राप्ति होने वाली है ! तैयार हो जा ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं सुबह थोड़ा जल्दी उठी, अपनी चूत के आस पास के अनचाहे बालों (झांटों) को साफ़ किया, अच्छे से नहा धोकर तैयार हुई, सुन्दर सा सूट पहना और मम्मी से "कॉलेज जा रही हूँ" कहकर घर से निकल पड़ी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]चुदवाने के ख्याल से दिल बल्लियों उछल रहा था, मन में हल्का सा डर भी था लेकिन डर पर चाहत भारी थी। अमित के घर पिछले दरवाज़े पर हाथ रखा तो खुल गया। अन्दर घुसकर दरवाजा बंद किया तो तौलिया लपेटे अमित मेरे सामने आ गए, शायद नहाने जा रहे थे।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पहली बार उन्हें इस रूप में देखकर मैं रोमांचित हो गई। अमित करीब पचास साल के 5 फुट 10 इंच लम्बे हृष्ट-पुष्ट व्यक्ति थे, बालों से भरा उनका सीना उनसे लिपट जाने की दावत दे रहा था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक कदम मैं आगे बढ़ी और दो कदम अमित। मैं उनके सीने से लग गई, उन्होंने मेरे माथे पर चूमा, मेरे चूतड़ों को हल्के-हल्के हाथों से दबाने लगे, मैं बेहाल होती जा रही थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अमित ने एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए, संतरे के आकार के मेरे मम्मे देखकर उनकी आँखों में चमक आ गई और मेरी चूत के दर्शन करते ही वो पागल से हो गए और अपने होंठ मेरी चूत पर रखकर चूमने-चाटने लगे। उनके चाटने से मेरी चूत भयंकर रूप से गीली हो गई और चुदने के लिए बेताब हो गई। अमित चूत को चाटते ही जा रहे थे, मैंने उनका तौलिया खींच कर अलग कर दिया। तौलिया हटते ही उनका लंड मुझे दिख गया, अमित का लंड देखते ही मेरी तो गांड ही फट गई और चुदवाने का नशा हिरण होने लगा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कारण यह कि अमित का लंड करीब 8 इंच लम्बा और काफी मोटा था, मुझे मालूम था कि यह मेरी चूत का भुरता बना देगा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने अपने जीवन में इससे पहले सिर्फ एक बार लंड देखा था, वो भी अपने पापा का। एक बार रात को मैं बाथरूम जाने के लिए उठी तो देखा मम्मी पापा के कमरे की लाईट जल जल रही थी, उत्सुकता से खिड़की की झिर्री से देखा कि मम्मी नंगी लेटी हुई हैं और पापा अपने लंड पर कंडोम चढ़ा रहे थे। पापा का लंड करीब 4-5 इंच लम्बा रहा होगा। आप ही सोचिये कोई बीस साल की कुंवारी लड़की जो 4-5 इंच का लंड अपनी बुर में लेने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो, उसे आठ इंच लम्बा अच्छा खासा मोटा लंड दिख जाए तो वो घबरायेगी या नहीं ?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मुझे ख्यालों में खोया देखकर अमित बोले- क्या हुआ जान ?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं कुछ नहीं कह सकी, मैंने कहा कुछ नहीं। अमित मेरे करीब आ गए और मेरा एक मम्मा अपने मुँह में ले लिया तथा दूसरे पर उँगलियाँ फिराने लगे। इस सबसे मुझमें उत्तेजना भर गई। अमित ने अपना एक हाथ मेरी चूत पर रखा और अपनी ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगे।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं चुदासी हो चुकी थी। मैंने कहा- अमित अब मेरे अन्दर समा जाओ ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अमित उठे, मेरी टांगों के बीच आकर अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के होठों पर रखा, हल्के से दबाया और सुपारा चूत के अन्दर ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक झटके में आधा लंड और दूसरे झटके में हल्के दर्द के साथ पूरा लंड मेरी मेरी मुनिया रानी के अन्दर जा चुका था। मैं हैरान थी कि जिस लंड को मैं देखकर डर रही थी वो कितनी आसानी से मुझे चोद रहा था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]करीब आधे घंटे तक चोदने के बाद अमित उठे और अपने लंड पर कंडोम चढ़ाकर फिर जुट गए।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उस दिन अमित ने मुझे तीन बार चोदा और उसके बाद सैकड़ों बार ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]आज मैं छब्बीस साल की हो चुकी हूँ, अमित से चुदते-चुदते छः साल हो चुके हैं और शायद बाकी ज़िन्दगी भी अमित से ही चुदवाना पड़े क्योंकि कंजूस प्रवृति के मेरे पापा शायद मेरी शादी कभी नहीं कर पायेंगे। बिना दहेज़ के शादी होगी नहीं और दहेज़ मेरे पापा देंगे नहीं ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मुझे क्या ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अमित अंकल जिंदाबाद !![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]खाओ पियो चौड़े से, चूत चुदाओ लौड़े से ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कॉलेज में ज्यादातर लड़कियाँ अपनी स्कूटर या कार से आती जाती थीं, मैं और तीन चार अन्य लड़कियाँ ही सिटी बस से कॉलेज आती जाती थीं।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक दिन कॉलेज से निकलने के बाद मैं बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार कर रही थी कि एक हॉण्डा सिटी कार मेरे पास आकर रुकी, कार अमित अंकल चला रहे थे, अमित अंकल पापा के दोस्त थे और हमारे घर के सामने ही रहते थे।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उन्होंने मुझसे पूछा- घर चलना है?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मेरे हाँ कहते ही उन्होंने कार का दरवाजा खोला, मैं उनके बगल की सीट पर बैठी और थोड़ी ही देर में घर पहुँच गई।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]घर पहुँचने के काफी देर बाद तक मेरे जहन से बस और कार के सफ़र का फर्क निकल नहीं पा रहा था, मैं सोच रही थी कि कितना सुखी रहता है कार में सफ़र करने वाला ! ना धूल मिटटी, ना गर्मी, ठाठ से ए.सी. में बैठकर सफ़र कीजिए।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अब अक्सर यह संयोग होने लगा कि मेरे कॉलेज से निकलने के समय अमित अंकल उधर से गुजरते और मुझे साथ ले लेते। मेरे पापा भी खुश हो जाते कि आज भी वापसी का बस का किराया बच गया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक दिन मेरे कार में बैठते ही अमित अंकल ने पूछा- दस पन्द्रह मिनट देर हो जाए तो कोई परेशानी तो नहीं है ना?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- नहीं अंकल, कोई परेशानी नहीं है ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अमित अंकल ने कार एक रेस्तरां के बाहर रोकते हुए कहा- इसका डोसा बहुत टेस्टी है ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पापा के साथ इस रेस्तरां में आने के बारे तो मैं सोच भी नहीं सकती थी, वो एक नंबर के कंजूस आदमी हैं। खैर, हमने डोसा खाया और घर आ गए।अब हर दूसरे चौथे दिन हमारा इसी तरह कहीं खाने पीने का प्रोग्राम होने लगा। एक दिन रेस्तरां में कॉफ़ी पीते पीते अमित अंकल बोले बहुत दिनों से पिक्चर देखने का मन हो रहा है, अगर कहो तो कल चलें, रानी मुखर्जी की नई फिल्म लगी है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- कल कब ?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अंकल ने कहा- कॉलेज बंक करके, तुम्हारे घर किसी को पता भी नहीं चलेगा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कुछ अंकल के अहसान, कुछ नई उमंग और कुछ अनजानी सी चाहत ने मेरे मुँह से हाँ निकलवा दी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अगले दिन तय कार्यक्रम के हिसाब से हम मिले और पिक्चर देखने सिनेमा हॉल में पहुँच गए। इंटरवल तक आराम से पिक्चर देखी और बातचीत करते रहे। इंटरवल में अमित अंकल पॉप कॉर्न और कोका कोला ले आये। पिक्चर चलती रही और हम पॉप कॉर्न खाते रहे, पॉप कॉर्न लेने के दौरान कई बार एक दूसरे से हाथ छू हो गया तो अमित अंकल ने कहा- मनमीत जब तुम्हारा हाथ छूता है तो मेरे शरीर में कर्रेंट सा दौड़ जाता है, तुम्हें कुछ नहीं होता क्या?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं कुछ नहीं बोली तो अमित अंकल ने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर पूछा- मेरे छूने से तुम्हे कुछ नहीं होता क्या?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने धीरे से कहा- होता है ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो उन्होंने मेरा हाथ चूम लिया, अपने दोनों हाथों में मेरा हाथ छुपा लिया और बोले- यह हाथ मैं कभी नहीं छोडूंगा ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इसके बाद लगभग रोज ही मैं उनके साथ आने जाने लगी और हम लोगों में छूने और चूमने का काम शुरू हो गया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक रात को एक बजे मेरे मोबाइल पर अमित अंकल का कॉल आया- क्या कर रही हो?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- सो रही थी ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो बोले- मनमीत, हमारी नींद उड़ाकर तुम सो रही हो?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इसके बाद रोज़ रात को हम लोगों की बातचीत शुरू हो गई। बातचीत का विषय चलते चलते यहाँ तक आ पहुँचा कि अमित ( अमित अंकल कहना मैं छोड़ चुकी थी ) बोले- जिस दिन तुम्हारी चूत के गुलाबी होठों को खोलकर अपना लंड उस पर रखूँगा, तुम जन्नत में पहुँच जाओगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वास्तविकता यह थी कि अमित मुझे चोदने के लिए जितना बेताब थे मैं चुदवाने के लिए उससे ज्यादा बेताब थी। अमित की कल्पना करके ना जाने कितनी बार ऊँगली से काम कर चुकी थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]खैर, जहाँ चाह वहाँ राह ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वीना आंटी ( अमित की पत्नी ) कुछ दिनों के लिए अपने मायके गई। रात को अमित का फ़ोन आया- कल का क्या प्रोग्राम है?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- कुछ नहीं ! आप बताएँ ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो बोले- कल कॉलेज बंक करो, मैं भी ऑफिस नहीं जाता ! मेरे घर आ जाना, दोनों मिलकर अच्छा सा खाना पकायेंगे, खायेंगे।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- ठीक है, आप अपने घर का पिछला दरवाज़ा खुला रखना, मैं पीछे से आऊंगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इतना सुनकर अमित ने फ़ोन काट दिया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने अपना दाहिना हाथ अपनी चूत पर फेरते हुए कहा- मुनिया रानी ( चूत का यह नाम कॉलेज की लड़कियों ने रखा था) कल तुझे लंड की प्राप्ति होने वाली है ! तैयार हो जा ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं सुबह थोड़ा जल्दी उठी, अपनी चूत के आस पास के अनचाहे बालों (झांटों) को साफ़ किया, अच्छे से नहा धोकर तैयार हुई, सुन्दर सा सूट पहना और मम्मी से "कॉलेज जा रही हूँ" कहकर घर से निकल पड़ी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]चुदवाने के ख्याल से दिल बल्लियों उछल रहा था, मन में हल्का सा डर भी था लेकिन डर पर चाहत भारी थी। अमित के घर पिछले दरवाज़े पर हाथ रखा तो खुल गया। अन्दर घुसकर दरवाजा बंद किया तो तौलिया लपेटे अमित मेरे सामने आ गए, शायद नहाने जा रहे थे।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पहली बार उन्हें इस रूप में देखकर मैं रोमांचित हो गई। अमित करीब पचास साल के 5 फुट 10 इंच लम्बे हृष्ट-पुष्ट व्यक्ति थे, बालों से भरा उनका सीना उनसे लिपट जाने की दावत दे रहा था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक कदम मैं आगे बढ़ी और दो कदम अमित। मैं उनके सीने से लग गई, उन्होंने मेरे माथे पर चूमा, मेरे चूतड़ों को हल्के-हल्के हाथों से दबाने लगे, मैं बेहाल होती जा रही थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अमित ने एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए, संतरे के आकार के मेरे मम्मे देखकर उनकी आँखों में चमक आ गई और मेरी चूत के दर्शन करते ही वो पागल से हो गए और अपने होंठ मेरी चूत पर रखकर चूमने-चाटने लगे। उनके चाटने से मेरी चूत भयंकर रूप से गीली हो गई और चुदने के लिए बेताब हो गई। अमित चूत को चाटते ही जा रहे थे, मैंने उनका तौलिया खींच कर अलग कर दिया। तौलिया हटते ही उनका लंड मुझे दिख गया, अमित का लंड देखते ही मेरी तो गांड ही फट गई और चुदवाने का नशा हिरण होने लगा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कारण यह कि अमित का लंड करीब 8 इंच लम्बा और काफी मोटा था, मुझे मालूम था कि यह मेरी चूत का भुरता बना देगा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने अपने जीवन में इससे पहले सिर्फ एक बार लंड देखा था, वो भी अपने पापा का। एक बार रात को मैं बाथरूम जाने के लिए उठी तो देखा मम्मी पापा के कमरे की लाईट जल जल रही थी, उत्सुकता से खिड़की की झिर्री से देखा कि मम्मी नंगी लेटी हुई हैं और पापा अपने लंड पर कंडोम चढ़ा रहे थे। पापा का लंड करीब 4-5 इंच लम्बा रहा होगा। आप ही सोचिये कोई बीस साल की कुंवारी लड़की जो 4-5 इंच का लंड अपनी बुर में लेने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो, उसे आठ इंच लम्बा अच्छा खासा मोटा लंड दिख जाए तो वो घबरायेगी या नहीं ?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मुझे ख्यालों में खोया देखकर अमित बोले- क्या हुआ जान ?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं कुछ नहीं कह सकी, मैंने कहा कुछ नहीं। अमित मेरे करीब आ गए और मेरा एक मम्मा अपने मुँह में ले लिया तथा दूसरे पर उँगलियाँ फिराने लगे। इस सबसे मुझमें उत्तेजना भर गई। अमित ने अपना एक हाथ मेरी चूत पर रखा और अपनी ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगे।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं चुदासी हो चुकी थी। मैंने कहा- अमित अब मेरे अन्दर समा जाओ ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अमित उठे, मेरी टांगों के बीच आकर अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के होठों पर रखा, हल्के से दबाया और सुपारा चूत के अन्दर ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक झटके में आधा लंड और दूसरे झटके में हल्के दर्द के साथ पूरा लंड मेरी मेरी मुनिया रानी के अन्दर जा चुका था। मैं हैरान थी कि जिस लंड को मैं देखकर डर रही थी वो कितनी आसानी से मुझे चोद रहा था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]करीब आधे घंटे तक चोदने के बाद अमित उठे और अपने लंड पर कंडोम चढ़ाकर फिर जुट गए।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उस दिन अमित ने मुझे तीन बार चोदा और उसके बाद सैकड़ों बार ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]आज मैं छब्बीस साल की हो चुकी हूँ, अमित से चुदते-चुदते छः साल हो चुके हैं और शायद बाकी ज़िन्दगी भी अमित से ही चुदवाना पड़े क्योंकि कंजूस प्रवृति के मेरे पापा शायद मेरी शादी कभी नहीं कर पायेंगे। बिना दहेज़ के शादी होगी नहीं और दहेज़ मेरे पापा देंगे नहीं ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मुझे क्या ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अमित अंकल जिंदाबाद !![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]खाओ पियो चौड़े से, चूत चुदाओ लौड़े से ![/font]