hotaks444
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वो दोनों बारी-बारी अमन के लण्ड को मुँह में लेकर चूस रही थीं। अमन को यकीन करना मुश्किल था कि ये दोनों औरतें जिनकी सोसाइटी में एक पहचान, एक इज़्ज़त है, वो ऐसे रंडियों की तरह उसका लण्ड अपने मुँह में खींच-खींचकर चूस रही थीं। ये चूत की आग ही थी, वो इन्हें ये करने पे मजबूर कर रही थी। अमन बुरी तरह सिसक उठता है। वो दोनों उसके लण्ड को और आंडे को मरोड़-मरोड़ के चूस रहे थे।
अमन-“अह्म्मह… बहन की लौड़ी खा जाएगी क्या? आह्म्मह… धीरे-धीरे चूस हरामज़ादी अह्म्मह…”
महक-“हाँ अह्म्मह… आज तेरा लौड़ा रहेगा या हमारी चूत… बहुत जान है ना तेरे लण्ड में… बता साले हम दोनों को गलप्प्प-गलप्प्प…”
सानिया-“महक, इसके लण्ड में बहुत ताकत है। इसके लण्ड का पानी हम अपनी बच्चेदानी में गिराकर उसका बीज अपनी चूत में बोएंगे अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प…”
अमन महक के बाल पकड़कर उसे बेड से टिका देता है। और उसके दोनों पैर चौड़े करके एक झटके में अपना लण्ड अंदर डालने लगता है-“अह्म्मह… छिनाल… मेरा बच्चा जनेगी? अह्म्मह… अह्म्मह… ले तेरी चूत को चीर ना दूं तो मेरा नाम भी अमन ख़ान नहीं…” वो किसी हथौड़े की तरह चूत पे जोर-जोर से जार करने लगा था।
महक के चिल्लाने की कोई इंतेहा नहीं थी, न जाने वो कितने दिनों बाद चुद रही थी। उसकी चूत लगभग पैक हो चुकी थी-“अह्म्मह… हराम के लौड़े आराम से चोद… मेरी चूत है, पत्थर नहीं वो तू हथौड़े से कूट रहा है। अह्म्मह… आराम से रे… अमन धीरे-धीरे चोद ना… अह्म्मह अम्मी… सानिया इससे बोल ना आराम से चोदे अह्म्मह…”
सानिया उसे आँखें फाड़े देख रही थी। उसने इससे पहले ये नज़ारा नहीं देखा था। कोई भला किसी को इतनी बेहरहमी से भी चोद सकता है? ये देख-देखकर उसकी चूत में पानी आने लगता है।
अमन-“छिनाल तू क्या देख रही है? इसके मुँह पे तेरी चूत लगा तो थोड़ा कम चिल्लाएगी ये हरामज़ादी…"
सानिया महक के मुँह के पास आकर बैठ जाती है। और अमन के धक्कों से महक के होंठ सानिया की चूत के पास पहुँच जाते हैं।
महक-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” करके किसी कुततया की तरह सानिया की चूत पे टूट पड़ती है। वो इतने जोर से इसलिये चूस चाट रही थी। अमन का लण्ड उसकी चूत में कोहराम मचा रहा था। उसके संभालने के पहले ही अमन उसे बिखेर देता है। महक एक जोर की चीख के साथ झड़ जाती है।
पर अमन नहीं झड़ा था, वो सानिया के बाल पकड़कर उसे बेड पे सुला देता है, और उसके पैर मोड़कर उसकी चुचियों से भिड़ा देता है, जिससे सानिया की चूत बुरी तरह फैल जाती है। अमन अपने लण्ड पे थूक लगाकर सानिया की नाज़ुक सी चूत में लण्ड पेलने लगता है-अह्म्मह… बच्चा चाहिए ना तुझे… मैं देता हूँ तुझे भी अह्म्मह… वो उसी तरह सानिया को चोदने लगता है, जैसे महक को चुद रहा था।
महक अमन के स्टैमिना और चोदने के अंदाज से इतने इंप्रेस हुई थी कि वो अमन के लण्ड की दीजानी हो चुकी थी। वो अपनी चूत को घिसते हुए टायलेट में घुस जाती है।
सानिया-“उंन्ह… अमन तेरे लण्ड ने मेरी चूत को चीर दिया रे अह्म्मह… कुत्ते क्या लण्ड है तेरा अह्म्मह… उंन्ह… मेरी चूत का भुर्ता बना दिया रे हरामी अह्म्मह…” वो दोनों ऐसे गालियाँ दे रही थीं, जैसे कोई कालगर्ल हों। ये औरतों का तरीका होता है। ख़ूँखार मदों से जमकर चुदाई कराने का, चुदते हुए उन्हें गालियाँ दो तो वो तुम्हारी चूत को चोद-चोदकर भोसड़ा बना देते हैं। और यही इस वक्त सानिया कर रही थी।
अमन तो जैसे पसीने में बेहाल था, पर सानिया को चोदने में उसे अजीब सा नशा छा रहा था। उसकी चिकनी चूत और भरी हुए चुचियाँ उसे रजिया की याद दिला रही थीं। उसे लगने लगा था कि वो रजिया को चोद रहा है। जब वो जवान हुआ करती थी तो बिल्कुल सानिया जैसी लगती होगी। यही बात उसके लण्ड को झड़ने से रोक रही थी।
सानिया चिल्ला-चिल्लाकर महक को पुकार रही थी-“अह्म्मह… महक इस हरामी से मेरी चूत को बचा… ये मुझे मार देगा उंन्ह…” और वो झड़ जाती है।
साथ ही अमन भी उसकी चूत में झड़ने लगता है।
महक ये सब देख-देखकर अपनी चूत मसले जाती है।
अमन ने सानिया और महक को दो बार और चोदा। ये चुदाई पूरे 3 घंटे चली। रात के 12:00 बज चुके थे और अमन का लण्ड ढीला पड़ चुका था, पर उसके दिल की मुराद पूरी हो चुकी थी।
महक अपनी चूत के साथ-साथ अपनी गाण्ड भी अमन को सौंप चुकी थी, इन 3 घंटों में।
वहीं सानिया दो बार चुदकर ही एक तरफ हो गई थी। उसे इतनी चुदाई की आदत नहीं थी।
अमन महक और सानिया को चूमते हुए अपने घर की तरफ निकल जाता है। उसे रजिया की फिकर हो रही थी। बैटरी डिस्चार्ज होने की वजह से वो परेशान हो गई होगी, क्योंकी अमन को काल लग नहीं रही थी। जब वो घर पहुँचा तो रात के 1:00 बज रहे थे।
रजिया गेट के पास उसका इंतजार कर रही थी । वो अमन को देखकर अंदर आ जाती है, और अमन के अंदर आने के बाद उससे कई सवाल करने लगती है।
पर अमन बुरी तरह थका हुआ था। वो रजिया के कुछ सवालों का जवाब देकर अपने रूम का रुख कर लेता है। आज रजिया को बिना लण्ड के ही सोना पड़ेगा।
सुबह अमन की आँख खुली तो उसने रजिया को उसके बेड पे लेटा हुआ पाया। वो जाग चुकी थी और अमन के बालों में प्यार से हाथ फेर रही थी।
अमन उसके गले में बाहें डालकर गुड मॉर्निंग कहता है। रजिया मुस्कुराते हुए जवाब देती है। पर उसके चेहरे पे एक किश्म की उदासी या चिंता के भाव साफ नज़र आ रहे थे, जिसे अमन पढ़ लेता है।
अमन-“क्या हुआ जानेमन परेशान लग रही हो?”
रजिया-“हाँ… कल ख़ान साहब का फोन आया था उन्होंने आपके अकाउंट में 5 करोड़ रूपये जमा करवाए हैं, और उनकी फ्लाइट सबेरे 11:00 बजे तक इंडिया पहुँच जाएगी…”
अमन-“ओह्म्मह… तो ये बात है। इसमें परेशान होने की क्या बात है। आने दे, मैं हूँ ना…” और अमन रजिया की नाइटी का बटन खोलकर उसकी चुचियाँ बाहर निकाल लेता है। इस वक्त सबेरे के 8:00 बज रहे थे। मतलब उनके पास 3 घंटे थे। अमन इस मौके को गँवाना नहीं चाहता था क्योंकी ख़ान साहब के आने के बाद उन्हें दिन रात चुदाई का मौका नहीं मिलने वाला था।
रजिया तो रात से तड़प रही थी। उसे ठीक से नींद भी कहाँ आई थी। वो अमन की मदद करती है, और दोनों कुछ ही पलों में नंगे एक दूसरे की बाहों में चिपक जाते हैं।
अमन-“आ जा मेरी रानी, अपने शौहर के नीचे आ जा…”
रजिया-“कल आपने मुझे चोदा भी नहीं। पता है, मैं ठीक से सो भी नहीं पाई…”
अमन-क्यूँ?
रजिया-“आपको पता है ना… मुझे चुदे बिना नींद नहीं आती…”
अमन-“ओह्म्मह… आइंदा ऐसी गलती नहीं होगी…” और वो रजिया की टाँगें खोलकर अपना लण्ड उसकी चूत की गहराईयों में उतारता चला जाता है।
रजिया नीचे से गाण्ड ऊपर उछालकर लण्ड अपनी चूत में समाती जाती है। वो दोनों चुपचाप अपनी सुबह की चुदाई का मज़ा ले रहे थे। रजिया चुदते हुए-“अह्म्मह… ख़ान साहब के आने के बाद आप मुझे रोज कैसे चोदोगे जी? उंन्ह… अह्म्मह…”
अमन-“तू मेरी बीवी है रजिया, और बीवी को रोज चोदना मेरा फर्ज़ है… तू फिकर मत कर मेरी जान, ये लौड़ा तेरी चूत में रोज जाएगा ही…”
रजिया-“हाँ हाँ मुझे रोज-रोज ऐसे ही चाहिए आपके नीचे। हाँ, मेरे पेट में आपका बच्चा पल रहा है जानू… उसे आपकी ताकत रोज चाहिए अह्म्मह… उंन्ह…”
अमन-“हाँ रजिया ऐसे ही। रजिया मुझे दूध कब पिलाएगी?” और वो रजिया की एक चूची मुँह में लेकर चूसने लगता है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…”
रजिया-“बस… कुछ महीने बाद जानू… फिर आपको और आपके बच्चे को रोज दूध पिलाऊँगी नाआअ उंन्ह… अह्म्मह… आह्म्मह… आह्म्मह… इतनी जोर से अह्म्मह…
आह्म्मह… आह्म्मह…”
अमन-“अह्म्मह… बहन की लौड़ी खा जाएगी क्या? आह्म्मह… धीरे-धीरे चूस हरामज़ादी अह्म्मह…”
महक-“हाँ अह्म्मह… आज तेरा लौड़ा रहेगा या हमारी चूत… बहुत जान है ना तेरे लण्ड में… बता साले हम दोनों को गलप्प्प-गलप्प्प…”
सानिया-“महक, इसके लण्ड में बहुत ताकत है। इसके लण्ड का पानी हम अपनी बच्चेदानी में गिराकर उसका बीज अपनी चूत में बोएंगे अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प…”
अमन महक के बाल पकड़कर उसे बेड से टिका देता है। और उसके दोनों पैर चौड़े करके एक झटके में अपना लण्ड अंदर डालने लगता है-“अह्म्मह… छिनाल… मेरा बच्चा जनेगी? अह्म्मह… अह्म्मह… ले तेरी चूत को चीर ना दूं तो मेरा नाम भी अमन ख़ान नहीं…” वो किसी हथौड़े की तरह चूत पे जोर-जोर से जार करने लगा था।
महक के चिल्लाने की कोई इंतेहा नहीं थी, न जाने वो कितने दिनों बाद चुद रही थी। उसकी चूत लगभग पैक हो चुकी थी-“अह्म्मह… हराम के लौड़े आराम से चोद… मेरी चूत है, पत्थर नहीं वो तू हथौड़े से कूट रहा है। अह्म्मह… आराम से रे… अमन धीरे-धीरे चोद ना… अह्म्मह अम्मी… सानिया इससे बोल ना आराम से चोदे अह्म्मह…”
सानिया उसे आँखें फाड़े देख रही थी। उसने इससे पहले ये नज़ारा नहीं देखा था। कोई भला किसी को इतनी बेहरहमी से भी चोद सकता है? ये देख-देखकर उसकी चूत में पानी आने लगता है।
अमन-“छिनाल तू क्या देख रही है? इसके मुँह पे तेरी चूत लगा तो थोड़ा कम चिल्लाएगी ये हरामज़ादी…"
सानिया महक के मुँह के पास आकर बैठ जाती है। और अमन के धक्कों से महक के होंठ सानिया की चूत के पास पहुँच जाते हैं।
महक-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” करके किसी कुततया की तरह सानिया की चूत पे टूट पड़ती है। वो इतने जोर से इसलिये चूस चाट रही थी। अमन का लण्ड उसकी चूत में कोहराम मचा रहा था। उसके संभालने के पहले ही अमन उसे बिखेर देता है। महक एक जोर की चीख के साथ झड़ जाती है।
पर अमन नहीं झड़ा था, वो सानिया के बाल पकड़कर उसे बेड पे सुला देता है, और उसके पैर मोड़कर उसकी चुचियों से भिड़ा देता है, जिससे सानिया की चूत बुरी तरह फैल जाती है। अमन अपने लण्ड पे थूक लगाकर सानिया की नाज़ुक सी चूत में लण्ड पेलने लगता है-अह्म्मह… बच्चा चाहिए ना तुझे… मैं देता हूँ तुझे भी अह्म्मह… वो उसी तरह सानिया को चोदने लगता है, जैसे महक को चुद रहा था।
महक अमन के स्टैमिना और चोदने के अंदाज से इतने इंप्रेस हुई थी कि वो अमन के लण्ड की दीजानी हो चुकी थी। वो अपनी चूत को घिसते हुए टायलेट में घुस जाती है।
सानिया-“उंन्ह… अमन तेरे लण्ड ने मेरी चूत को चीर दिया रे अह्म्मह… कुत्ते क्या लण्ड है तेरा अह्म्मह… उंन्ह… मेरी चूत का भुर्ता बना दिया रे हरामी अह्म्मह…” वो दोनों ऐसे गालियाँ दे रही थीं, जैसे कोई कालगर्ल हों। ये औरतों का तरीका होता है। ख़ूँखार मदों से जमकर चुदाई कराने का, चुदते हुए उन्हें गालियाँ दो तो वो तुम्हारी चूत को चोद-चोदकर भोसड़ा बना देते हैं। और यही इस वक्त सानिया कर रही थी।
अमन तो जैसे पसीने में बेहाल था, पर सानिया को चोदने में उसे अजीब सा नशा छा रहा था। उसकी चिकनी चूत और भरी हुए चुचियाँ उसे रजिया की याद दिला रही थीं। उसे लगने लगा था कि वो रजिया को चोद रहा है। जब वो जवान हुआ करती थी तो बिल्कुल सानिया जैसी लगती होगी। यही बात उसके लण्ड को झड़ने से रोक रही थी।
सानिया चिल्ला-चिल्लाकर महक को पुकार रही थी-“अह्म्मह… महक इस हरामी से मेरी चूत को बचा… ये मुझे मार देगा उंन्ह…” और वो झड़ जाती है।
साथ ही अमन भी उसकी चूत में झड़ने लगता है।
महक ये सब देख-देखकर अपनी चूत मसले जाती है।
अमन ने सानिया और महक को दो बार और चोदा। ये चुदाई पूरे 3 घंटे चली। रात के 12:00 बज चुके थे और अमन का लण्ड ढीला पड़ चुका था, पर उसके दिल की मुराद पूरी हो चुकी थी।
महक अपनी चूत के साथ-साथ अपनी गाण्ड भी अमन को सौंप चुकी थी, इन 3 घंटों में।
वहीं सानिया दो बार चुदकर ही एक तरफ हो गई थी। उसे इतनी चुदाई की आदत नहीं थी।
अमन महक और सानिया को चूमते हुए अपने घर की तरफ निकल जाता है। उसे रजिया की फिकर हो रही थी। बैटरी डिस्चार्ज होने की वजह से वो परेशान हो गई होगी, क्योंकी अमन को काल लग नहीं रही थी। जब वो घर पहुँचा तो रात के 1:00 बज रहे थे।
रजिया गेट के पास उसका इंतजार कर रही थी । वो अमन को देखकर अंदर आ जाती है, और अमन के अंदर आने के बाद उससे कई सवाल करने लगती है।
पर अमन बुरी तरह थका हुआ था। वो रजिया के कुछ सवालों का जवाब देकर अपने रूम का रुख कर लेता है। आज रजिया को बिना लण्ड के ही सोना पड़ेगा।
सुबह अमन की आँख खुली तो उसने रजिया को उसके बेड पे लेटा हुआ पाया। वो जाग चुकी थी और अमन के बालों में प्यार से हाथ फेर रही थी।
अमन उसके गले में बाहें डालकर गुड मॉर्निंग कहता है। रजिया मुस्कुराते हुए जवाब देती है। पर उसके चेहरे पे एक किश्म की उदासी या चिंता के भाव साफ नज़र आ रहे थे, जिसे अमन पढ़ लेता है।
अमन-“क्या हुआ जानेमन परेशान लग रही हो?”
रजिया-“हाँ… कल ख़ान साहब का फोन आया था उन्होंने आपके अकाउंट में 5 करोड़ रूपये जमा करवाए हैं, और उनकी फ्लाइट सबेरे 11:00 बजे तक इंडिया पहुँच जाएगी…”
अमन-“ओह्म्मह… तो ये बात है। इसमें परेशान होने की क्या बात है। आने दे, मैं हूँ ना…” और अमन रजिया की नाइटी का बटन खोलकर उसकी चुचियाँ बाहर निकाल लेता है। इस वक्त सबेरे के 8:00 बज रहे थे। मतलब उनके पास 3 घंटे थे। अमन इस मौके को गँवाना नहीं चाहता था क्योंकी ख़ान साहब के आने के बाद उन्हें दिन रात चुदाई का मौका नहीं मिलने वाला था।
रजिया तो रात से तड़प रही थी। उसे ठीक से नींद भी कहाँ आई थी। वो अमन की मदद करती है, और दोनों कुछ ही पलों में नंगे एक दूसरे की बाहों में चिपक जाते हैं।
अमन-“आ जा मेरी रानी, अपने शौहर के नीचे आ जा…”
रजिया-“कल आपने मुझे चोदा भी नहीं। पता है, मैं ठीक से सो भी नहीं पाई…”
अमन-क्यूँ?
रजिया-“आपको पता है ना… मुझे चुदे बिना नींद नहीं आती…”
अमन-“ओह्म्मह… आइंदा ऐसी गलती नहीं होगी…” और वो रजिया की टाँगें खोलकर अपना लण्ड उसकी चूत की गहराईयों में उतारता चला जाता है।
रजिया नीचे से गाण्ड ऊपर उछालकर लण्ड अपनी चूत में समाती जाती है। वो दोनों चुपचाप अपनी सुबह की चुदाई का मज़ा ले रहे थे। रजिया चुदते हुए-“अह्म्मह… ख़ान साहब के आने के बाद आप मुझे रोज कैसे चोदोगे जी? उंन्ह… अह्म्मह…”
अमन-“तू मेरी बीवी है रजिया, और बीवी को रोज चोदना मेरा फर्ज़ है… तू फिकर मत कर मेरी जान, ये लौड़ा तेरी चूत में रोज जाएगा ही…”
रजिया-“हाँ हाँ मुझे रोज-रोज ऐसे ही चाहिए आपके नीचे। हाँ, मेरे पेट में आपका बच्चा पल रहा है जानू… उसे आपकी ताकत रोज चाहिए अह्म्मह… उंन्ह…”
अमन-“हाँ रजिया ऐसे ही। रजिया मुझे दूध कब पिलाएगी?” और वो रजिया की एक चूची मुँह में लेकर चूसने लगता है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…”
रजिया-“बस… कुछ महीने बाद जानू… फिर आपको और आपके बच्चे को रोज दूध पिलाऊँगी नाआअ उंन्ह… अह्म्मह… आह्म्मह… आह्म्मह… इतनी जोर से अह्म्मह…
आह्म्मह… आह्म्मह…”