hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
अनुम अमन का चेहरा देखने लगती है। अब अनुम की आँखों में आँसू नहीं थे-जलन मुझे किस चीज़ की?
अमन-“हाँ जलन… ये जलन है। अनुम प्यार की जलन… अपनी चीज़ किसी दूसरे के पास देखने की जलन। अगर तुझे ये सब गंदा घिनौना लगता है, तो तू क्या कर रही है? तुझे जब मैंने किस किया, तब तूने मुझे थप्पड़ मारना चाहिए था। जब मैंने तुझे रिंग पहनाया, तब तुझे वो फेंक देना चाहिए था। आखिर तू भी तो मेरी होना चाहती है ना… तू भी तो मेरी सगी बहन है? क्या ये गंदा नहीं होगा? मैंने तुझे रिंग पहनाया फिर उसके बाद क्या?
बोल मुझे… है कोई जवाब तेरे पास? उसके बाद क्या करेगी मुझसे-शादी। दुनियाँ वाले मानेंगे इस चीज़ को? तेरा बाप इजाजत देगा हमें? नहीं, कभी नहीं? मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहता हूँ कि मैं ऐसे ही रहूँगा, और ऐसे ही रजिया की चोदूंगा। अगर तुझे मेरी बात गलत लगे तो तेरे बाप को आने के बाद बोल देना और अगर तू मेरी बनकर रहना चाहती है तो?
हाँ, मैं जादा करता हूँ कि तुझसे शादी करूंगा चाहे कोई माने या ना माने। मगर उससे पहले मैं रजिया से शादी करूंगा। बोल तुझे कुछ कहना है?
रजिया और अनुम दोनों अमन को ही देख रही थीं। रजिया ने तो सोचा भी नहीं था कि अमन वो सोच चुका था। उसे अपनी मोहब्बत पे फख्र महसूस हो रहा था। वो उठकर अमन के पास आ जाती है, और अमन के होंठों पे अपने होंठ रखकर उसके होंठों को चूसने लगती है। अब उसे किसी चीज़ की परवाह नहीं थी, ना अनुम की, ना ख़ान की। अब तो वो पूरी तरह अमन की बीवी हो चुकी थी।
अनुम ये सब देख नहीं पाती और अपने कमरे में चली जाती है, और दरवाजा बंद कर लेती है। वो रोना नहीं चाहती थी, क्योंकी उसका दिल नहीं चाहता था। अनुम अपने रूम में बैठी अमन की कही गई बातें सोच रही थी।
और इधर रजिया के रूम में रजिया अमन के कंधे पे सर रखकर-“सुनिए मुझे डर लग रहा है। अनुम कुछ उल्टा सीधा ना कर दे…”
अमन रजिया का चेहरा अपने हाथों में लेते हुए-“अब तुझे डरने की ज़रूरत नहीं है। मेरे जान, अब मैंने फैसला कर लिया है…”
रजिया-क्या जी?
अमन-“तू आज से प्रेग्गनेन्सी के गोलियाँ खाना बंद कर दे, क्योंकी मैं तुझसे मेरा बच्चा चाहता हूँ और हाँ कल हम शिमला जा रहे हैं। यहाँ से 300 कि॰मी॰ दूर, हमारे पहले हनीमून पे…”
रजिया अमन की बातें सुनकर बुरी तरह शरमा जाती है, और बेड पे लेट जाती है। अमन अपने पैंट को उतारते हुए रजिया की तरफ देखता है। रजिया अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लेती है। आज उसे किसी नई नवेली दुल्हन की तरह शरम आ रही थी। अमन का उसे प्रेगनेंट करना और हनीमून पे ले जाने की बात उसकी चूत में करेंट दौड़ा रही थी।
अमन पूरे तरह नंगा हो चुका था। वो रजिया की भी नाइटी खींच देता है।
रजिया-“अह्म्मह… सुनिए जी, हम शिमला जा रहे हैं तो अनुम कहाँ रहेगी?”
अमन-वो भी हमारे साथ जाएगी।
रजिया-क्या? वो नहीं आना चाहे तो?
अमन-“वो ज़रूर आएगी। मेरा दिल कहता है। मैंने उसकी आँखें पढ़ ली हैं…”
रजिया अपने पैर खोल देती है। जैसे कह रही हो कि आओ जानू चोदो अपनी रजिया को।
अमन रजिया के मुँह में अपना लौड़ा डाल देता है-“अह्म्मह… पहले थोड़ा गीला तो कर ले मेरी रानी अह्म्मह…”
रजिया-“हाँ गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” रजिया अब इसमें एक्सपर्ट हो चुकी थी। वो अमन के आंडों को मरोड़ते हुए अपने मुँह में लण्ड लेने लगती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंन्ह… मुझे चोदो जान उंन्ह… मैं लेना चाहती हूँ प्लीज़्ज़ज्ज्ज…”
अमन भी जान चुका था कि अब देर नहीं कर सकता। वो अपना लण्ड रजिया के मुँह से निकालकर उसकी चूत में रगड़ने लगता है।
रजिया-डालिये ना जी।
अमन रजिया की एक चूची मुँह में भरकर अपना लण्ड रजिया की गीली चूत में पेल देता है।
रजिया-“अह्म्मह… आगगाग उंह्म्मह… मेरे राजा… चोदो अपने बीवी को… उंह्म्मह… मैं दूगी आपको बेटा… आपका खून उंन्ह… अह्म्मह…” अब रजिया भी नीचे से अपनी कमर ऊपर तक उठा-उठाकर अमन का पूरा लण्ड अपनी चूत की जड़ तक लेने लगती है।
अमन-“हाँ रजिया उंन्ह… अह्म्मह… मुझे तुम दोनों से चाहिए मेरा बच्चा… अनुम से भी अह्म्मह…”
रजिया-हाँ मेरे सरताज हम आपके हैं… दोनों ही उंह्म्मह… अह्म्मह…”
दोनों एक नई दुनियाँ की सैर कर रहे थे। अपनी ही दुनियाँ बसाने चले थे। अमन अपने पूरी ताकत से रजिया को चोद रहा था। वो एक बार पानी निकाल चुका था। वो इतने जल्दी झड़ने वाला नहीं था।
रजिया से ये बर्दाश्त करना मुश्किल था। वो एक जोरदार चीख के साथ अपनी चूत का पानी छोड़ने लगती है-“उंह्म्मह… अमन… जानू…”
अमन-“क्या हुआ? तेरे माँ की… वो रजिया की चूत पेले जा रहा था अह्म्मह…”
रजिया खामोश हो गई थी और दरवाजे की तरफ देख रही थी, वहाँ अनुम खड़ी थी।
अनुम की आँखें लाल देखाई दे रही थीं। वो तो उसे वक्त से दरवाजे में खड़ी थी, जब अमन ने रजिया को शिमला जाने की बात कहा था।
अमन पीछे मुड़कर देखता है तो अनुम अपने रूम में चली जाती है। रजिया मुस्कुराकर अमन को देखती है। अमन उसे आँख मार देता है, और ताबड़तोड़ अपने झटकों की स्पीड बढ़ा देता है। वो 10 मिनट लगातार चोदने के बाद झड़ जाता है। वो दोनों एक दूसरे की बाँहों में पड़े थे।
अमन-“मैं बाहर जा रहा हूँ थोड़ी देर में आ जाऊँगा। तू खाना बना ले और हाँ वो तेरी ट्रांसपेरेंट नाइटी पहन ले, बिना ब्रा बिना पैंटी…”
रजिया-ह्म्मम्म्म्म।
फिर अमन अपने कपड़े पहनकर घर से निकल जाता है। उसे अपने दोस्त इमरान से कुछ काम था। दरअसल इमरान एक शिमला के होटेल वाले को जानता था। अमन उससे एक होटेल में रूम बुक करवाने की बात करने जा रहा था।
अनुम अपने रूम में आईने के सामने खड़ी थी। उसका ब्रेन-वॉश हो चुका था। उसे अमन से गिला नहीं बस आने वाले वक्त का ख्याल कि अब क्या होगा? क्या मैं अमन और अम्मी के साथ शिमला जाऊँ या इनकार कर दूं? मैं नहीं जाऊँगी। नहीं जाऊँगी मैं। वो ठान लेती है।
रजिया खाना बनाने लग जाती है। जैसा उसे अमन ने कहा था वो जैसे ही कपड़े पहने हुए थी।
अमन-“हाँ जलन… ये जलन है। अनुम प्यार की जलन… अपनी चीज़ किसी दूसरे के पास देखने की जलन। अगर तुझे ये सब गंदा घिनौना लगता है, तो तू क्या कर रही है? तुझे जब मैंने किस किया, तब तूने मुझे थप्पड़ मारना चाहिए था। जब मैंने तुझे रिंग पहनाया, तब तुझे वो फेंक देना चाहिए था। आखिर तू भी तो मेरी होना चाहती है ना… तू भी तो मेरी सगी बहन है? क्या ये गंदा नहीं होगा? मैंने तुझे रिंग पहनाया फिर उसके बाद क्या?
बोल मुझे… है कोई जवाब तेरे पास? उसके बाद क्या करेगी मुझसे-शादी। दुनियाँ वाले मानेंगे इस चीज़ को? तेरा बाप इजाजत देगा हमें? नहीं, कभी नहीं? मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहता हूँ कि मैं ऐसे ही रहूँगा, और ऐसे ही रजिया की चोदूंगा। अगर तुझे मेरी बात गलत लगे तो तेरे बाप को आने के बाद बोल देना और अगर तू मेरी बनकर रहना चाहती है तो?
हाँ, मैं जादा करता हूँ कि तुझसे शादी करूंगा चाहे कोई माने या ना माने। मगर उससे पहले मैं रजिया से शादी करूंगा। बोल तुझे कुछ कहना है?
रजिया और अनुम दोनों अमन को ही देख रही थीं। रजिया ने तो सोचा भी नहीं था कि अमन वो सोच चुका था। उसे अपनी मोहब्बत पे फख्र महसूस हो रहा था। वो उठकर अमन के पास आ जाती है, और अमन के होंठों पे अपने होंठ रखकर उसके होंठों को चूसने लगती है। अब उसे किसी चीज़ की परवाह नहीं थी, ना अनुम की, ना ख़ान की। अब तो वो पूरी तरह अमन की बीवी हो चुकी थी।
अनुम ये सब देख नहीं पाती और अपने कमरे में चली जाती है, और दरवाजा बंद कर लेती है। वो रोना नहीं चाहती थी, क्योंकी उसका दिल नहीं चाहता था। अनुम अपने रूम में बैठी अमन की कही गई बातें सोच रही थी।
और इधर रजिया के रूम में रजिया अमन के कंधे पे सर रखकर-“सुनिए मुझे डर लग रहा है। अनुम कुछ उल्टा सीधा ना कर दे…”
अमन रजिया का चेहरा अपने हाथों में लेते हुए-“अब तुझे डरने की ज़रूरत नहीं है। मेरे जान, अब मैंने फैसला कर लिया है…”
रजिया-क्या जी?
अमन-“तू आज से प्रेग्गनेन्सी के गोलियाँ खाना बंद कर दे, क्योंकी मैं तुझसे मेरा बच्चा चाहता हूँ और हाँ कल हम शिमला जा रहे हैं। यहाँ से 300 कि॰मी॰ दूर, हमारे पहले हनीमून पे…”
रजिया अमन की बातें सुनकर बुरी तरह शरमा जाती है, और बेड पे लेट जाती है। अमन अपने पैंट को उतारते हुए रजिया की तरफ देखता है। रजिया अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लेती है। आज उसे किसी नई नवेली दुल्हन की तरह शरम आ रही थी। अमन का उसे प्रेगनेंट करना और हनीमून पे ले जाने की बात उसकी चूत में करेंट दौड़ा रही थी।
अमन पूरे तरह नंगा हो चुका था। वो रजिया की भी नाइटी खींच देता है।
रजिया-“अह्म्मह… सुनिए जी, हम शिमला जा रहे हैं तो अनुम कहाँ रहेगी?”
अमन-वो भी हमारे साथ जाएगी।
रजिया-क्या? वो नहीं आना चाहे तो?
अमन-“वो ज़रूर आएगी। मेरा दिल कहता है। मैंने उसकी आँखें पढ़ ली हैं…”
रजिया अपने पैर खोल देती है। जैसे कह रही हो कि आओ जानू चोदो अपनी रजिया को।
अमन रजिया के मुँह में अपना लौड़ा डाल देता है-“अह्म्मह… पहले थोड़ा गीला तो कर ले मेरी रानी अह्म्मह…”
रजिया-“हाँ गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” रजिया अब इसमें एक्सपर्ट हो चुकी थी। वो अमन के आंडों को मरोड़ते हुए अपने मुँह में लण्ड लेने लगती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंन्ह… मुझे चोदो जान उंन्ह… मैं लेना चाहती हूँ प्लीज़्ज़ज्ज्ज…”
अमन भी जान चुका था कि अब देर नहीं कर सकता। वो अपना लण्ड रजिया के मुँह से निकालकर उसकी चूत में रगड़ने लगता है।
रजिया-डालिये ना जी।
अमन रजिया की एक चूची मुँह में भरकर अपना लण्ड रजिया की गीली चूत में पेल देता है।
रजिया-“अह्म्मह… आगगाग उंह्म्मह… मेरे राजा… चोदो अपने बीवी को… उंह्म्मह… मैं दूगी आपको बेटा… आपका खून उंन्ह… अह्म्मह…” अब रजिया भी नीचे से अपनी कमर ऊपर तक उठा-उठाकर अमन का पूरा लण्ड अपनी चूत की जड़ तक लेने लगती है।
अमन-“हाँ रजिया उंन्ह… अह्म्मह… मुझे तुम दोनों से चाहिए मेरा बच्चा… अनुम से भी अह्म्मह…”
रजिया-हाँ मेरे सरताज हम आपके हैं… दोनों ही उंह्म्मह… अह्म्मह…”
दोनों एक नई दुनियाँ की सैर कर रहे थे। अपनी ही दुनियाँ बसाने चले थे। अमन अपने पूरी ताकत से रजिया को चोद रहा था। वो एक बार पानी निकाल चुका था। वो इतने जल्दी झड़ने वाला नहीं था।
रजिया से ये बर्दाश्त करना मुश्किल था। वो एक जोरदार चीख के साथ अपनी चूत का पानी छोड़ने लगती है-“उंह्म्मह… अमन… जानू…”
अमन-“क्या हुआ? तेरे माँ की… वो रजिया की चूत पेले जा रहा था अह्म्मह…”
रजिया खामोश हो गई थी और दरवाजे की तरफ देख रही थी, वहाँ अनुम खड़ी थी।
अनुम की आँखें लाल देखाई दे रही थीं। वो तो उसे वक्त से दरवाजे में खड़ी थी, जब अमन ने रजिया को शिमला जाने की बात कहा था।
अमन पीछे मुड़कर देखता है तो अनुम अपने रूम में चली जाती है। रजिया मुस्कुराकर अमन को देखती है। अमन उसे आँख मार देता है, और ताबड़तोड़ अपने झटकों की स्पीड बढ़ा देता है। वो 10 मिनट लगातार चोदने के बाद झड़ जाता है। वो दोनों एक दूसरे की बाँहों में पड़े थे।
अमन-“मैं बाहर जा रहा हूँ थोड़ी देर में आ जाऊँगा। तू खाना बना ले और हाँ वो तेरी ट्रांसपेरेंट नाइटी पहन ले, बिना ब्रा बिना पैंटी…”
रजिया-ह्म्मम्म्म्म।
फिर अमन अपने कपड़े पहनकर घर से निकल जाता है। उसे अपने दोस्त इमरान से कुछ काम था। दरअसल इमरान एक शिमला के होटेल वाले को जानता था। अमन उससे एक होटेल में रूम बुक करवाने की बात करने जा रहा था।
अनुम अपने रूम में आईने के सामने खड़ी थी। उसका ब्रेन-वॉश हो चुका था। उसे अमन से गिला नहीं बस आने वाले वक्त का ख्याल कि अब क्या होगा? क्या मैं अमन और अम्मी के साथ शिमला जाऊँ या इनकार कर दूं? मैं नहीं जाऊँगी। नहीं जाऊँगी मैं। वो ठान लेती है।
रजिया खाना बनाने लग जाती है। जैसा उसे अमन ने कहा था वो जैसे ही कपड़े पहने हुए थी।