Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ - Page 7 - SexBaba
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Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ

नाजायज़-ये एक शब्द उस इंसान को अंदर तक झींझोड़ के रख देता है। आज अमन खुद को वो नाली का कीड़ा समझ रहा था, जिसके बाप का तो पता था पर उसे अपनी माँ पे भरोसा नहीं था कि इसने सिर्फ़ एक के साथ सोकर उसे पैदा किया है, या कइयों के साथ? क्योंकी जो बात रजिया को बतानी चाहिए थी, वो उसे किसी तीसरे के मुँह से सुनने को मिली थी। 

रजिया और रेहाना अमन के पास पैरों में बैठ जाती हैं। रजिया कहती है-“अमन, मैं जानती हूँ कि तुम इस वक्त किस दौर से गुजर रहे हो। हाँ… मैंने बहुत बड़ी गलती की वो तुमसे ये राज छुपाया कि तुम ख़ान की औलाद नहीं… बल्की अपने नाना की औलाद हो? 

अमन-“चुप कर और निकल जा मेरे रूम से…” 

रेहाना-“अमन, एक बार… बस एक बार बाजी की बात सुन लो। उसके बाद तुम वो कहोगे हम वो मानेगी। तुम हमें घर से जाने के लिये कहोगे तो हम चली जाएंगी। बस एक बार हमारी बात सुन लो…” 

अमन-“बोल… क्या कहना है तुम्हें अपनी सफाई में?” 

रजिया वो अपन चेहरा नीचे झुकाये बैठी थी वो अमन के चेहरे को देखने लगती है। और अपनी बात शुरू करती है-“अमन, आज मैं वो तुमसे कहने जा रही हूँ, वो राज सिर्फ़ मैं जानती हूँ…” 

तुम्हारे नाना और नानी कश्मीर के रहने वाले हैं। उनका बचपन वहीं गुज़रा। तुम्हारी नानी तुम्हारे नाना से 3 साल छोटी हैं। जब वो दोनों अपनी जवानी के उस पड़ाव पे थे। वहाँ इंसान को खाना नहीं बल्की कुछ और चाहिए होता है। 

तुम्हारे नाना से तुम्हारी नानी बेपनाह प्यार करती थी। वो शादी करना चाहती थी पर उनके घर वाले इस चीज़ के लिये कभी राजी नहीं होते, बल्की अगर उनको इन दोनों के प्यार के बारें में पता चलता तो वो इन दोनों को जान से मार देते।

अमन-क्यूँ? `

रजिया-क्योंकी तुम्हारे नाना और नानी दोनों सगे भाई-बहन हैं। 

अमन-क्याअ? 

रजिया-हाँ अमन, वो दोनों सगे भाई-बहन है। उन दोनों ने अपने प्यार को अंजाम तक पहुँचाने के लिये कश्मीर छोड़ दिया और भागकर यहाँ आ गये। यहाँ उन्होंने शादी की और शादी के एक साल बाद मैं पैदा हुई-इनके प्यार की निशानी। 

ये राज मुझे जिंदगी भर पता नहीं चलता। एक दिन मेरी तबीयत बहुत खराब थी, इसीलिये मैं तुम्हारे नाना और नानी के रूम में ही सो गई। उस वक्त मेरी उमर **** साल थी। पर मुझे सेक्स के बारें में काफी पता था। उस रात अचानक मेरी आँख खुल गई। मैंने वो सुना और देखा, वो देखकर मेरा जिस्म मानो जैसे पत्थर सा हो गया। 

मेरी अम्मी अब्बू के नीचे पूरी नंगी सोई हुई थी और तुम्हारे नाना जान उनकी ले रहे थे। मैं अपनी आँखें बंद करके सोना चाहती थी। पर एक शब्द ने मेरी आँखों से नींद उड़ा दी। तुम्हारे नाना अम्मी को पेलते वक्त नाम से पुकार रहे थे और मेरी अम्मी अब्बू को भाईजान कहकर चिल्ला रही थीं। 

वो जोर से चिल्ला रही थीं-“भाईजान, मेरे भाईजान मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ मुझे ऐसे ही प्यार करते रहो भाईजान…” ये वो शब्द थे वो मियां-बीवी के बीच नहीं होते। 

कुछ महीने के बाद जब मैं उनके रूम के सामने से पानी पीने के लिये गुजरी, तब भी मैंने यही शब्द सुने। जब मैं 18 साल की हुई तो मेरा जिस्म बहुत भर सा गया था, कश्मीरी खून जो था। मैंने एक दिन हिम्मत करके अम्मी से पूछ लिया की अब्बू आपके भाई हैं न? 

उन्होंने पहले मना किया पर मेरे दबाओ डालने पे उन्होंने सब कुछ बता दिया। 

मैं कभी अपने अब्बू के साथ सोने का सोच भी नहीं सकती थी, पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। मुझे बुखार आ गया था और पूरा जिस्म बर्फ की तरह ठंडा पड़ गया था। मैं ठंड से काँप रही थी। अब्बू ने डाक्टर को बुलाया तो उसने कहा कि मुझे गर्म रखो, वरना मैं नहीं बच पाऊँगी। 

अम्मी ने डाक्टर के जाने के बाद रूम का दरवाजा बंद किए और अब्बू और अम्मी ने अपने सारे कपड़े उतारकर और फिर मेरे कपड़े उतारकर मुझे आगे पीछे से जकड लिया। 
 
आख़िरकार मैं भी इंसान हूँ। अब्बू मेरे आगे थे और अम्मी पीछे। अम्मी की चूची मेरे पेट में चुभ रही थी और अब्बू का वो हिस्सा मेरी जाँघ में धँस गया था। वो दोनों लगातार मुझे गरम रखने के लिये अपना जिस्म मेरे जिस्म पे रगड़ रहे थे। 

मेरे पूरे जिस्म में एक अजीब सी सनसनाहट पैदा होने लगी थी। फिर अचानक अम्मी ने अब्बू के कानों में कुछ कहा और अब्बू ने मेरी एक टांग उठाकर उनके कंधे पे चढ़ा दिया, जिससे मेरी कुँवारी नाज़ुक सी चूत उनके मजबूत जवान लण्ड के सामने आ गई। जिस्म में ऐसा कुछ हो रहा था की मुझे होश ही नहीं रहा कि कब क्या हुआ? पर अचानक एक तेज धारदार चीज़ मेरी जांघों को चीरती हुई मेरी कुँवारी चूत में घुस गई और मैं उस दिन एक लड़की से औरत बन गई।
मैं चिल्लाई कि मुझे छोड़ दो। 

पर अम्मी और अब्बू ने मुझे इतनी मजबूती से पकड़ा हुआ था की मैं कुछ ना कर पाई और उस रात अब्बू ने मुझे रात भर सोने नहीं दिया। मैं कितनी बार अब्बू से चुदती रही, मुझे याद नहीं। बस इतना याद है की अम्मी ने अब्बू से कहा था कि रात भर बाहर मत निकलना। और अब्बू मेरे अंदर ही रखे रहे और हर थोड़ी देर के बाद वो मुझे या तो अपने ऊपर चढ़ा लेती, या नीचे कर लेती। पर मैं बुखार के आलम में वो सब करती गयी वो वो करना चाहते थे। 

तुम्हारे अब्बू, वो मेरे अब्बू की ही फैक्टरी में काम करते थे। एक दिन मुझे अम्मी ने ये खबर सुनाई की मेरी कुछ दिन बाद शादी होने वाली है। क्योंकी मैं प्रेग्गनेंट हो गई थी। मेरी शादी कुछ दिनों में कर दी गये और शादी के 7 महीने के बाद तुम इस दुनियाँ में आ गए। सब लोगों ने ये समझा कि तुम 7 महीने में ही पैदा हो गये। बस मैं जानती थी कि तुम 9 महीने का बाद पैदा हुए हो। 

ख़ान साहब, तुम्हारे अब्बू और चाचू सऊदी काम के सिलसिले में जाते रहते थे और तुम्हारे नाना-नानी यहाँ मेरे साथ रुकते थे और इस दौरान तुम्हारे नाना ने कई बार मुझे अपने नीचे सुलाया। मैं भी अपने जिस्म के हाथों मजबूर हो गई थी। अमन तुम्हारे अब्बू में कोई ताकत नहीं थी बच्चा पैदा करने की। 

एक दिन जब तुम्हारे नाना मेरी ले रहे थे, तभी अचानक रेहाना मेरे रूम में आ गई और उसने हम दोनों बाप बेटी को ऐसी हालत में देख लिया। पर मेरे कुछ समझने से पहले ही तुम्हारे नाना ने रेहाना का हाथ पकड़कर बेड पे खींच लिया और उसके सारे कपड़े उतारने लग गए। रेहाना भी उसी नाव में सवार थी जिसमें मैं बैठी थी। उसे भी औलाद की खुशी चाहिए थी, इसीलिये वो भी कुछ देर के बाद राजी हो गई। 

तुम्हारे नाना कई बार आते थे और जब तुम्हारे अब्बू और चाचू आते तो वो नहीं आते थे। ऐसे ही कई दिन गुजरते चले गये और फिर मुझे और रेहाना को एक साथ अच्छी खबर मिली कि हम दोनों प्रेगनेंट हो गई हैं। तुम्हारे अब्बू और चाचू अपनी मर्दानगी पे बहुत खुश थे। पर हमें पता था कि कौन असल मर्द है, और कौन नहीं?” 

देखो अमन, हाँ मुझसे गलती हुई है। पर मेरे साथ पहली बार वो हुआ उसमें मेरी कोई गलती नहीं है। और दूसरी बार मैं जिस्म के हाथों मजबूर हो गई थी। प्लीज़… अमन हमें माफ कर दो प्लीज़्ज़ज्ज्ज… वो रोए जा रही थी, पर अमन पता नहीं किन ख्यालों में गुम था। 

अमन उन दोनों को अपने रूम से बाहर निकाल देता है, और बेड पे लेट जाता है। उसका दिमाग़ सोचने समझने की ताकत खो चुका था पर उसकी आँखों से नींद गायब थी। 
इधर रजिया और रेहाना का भी यही हाल था। उन दोनों ने अपनी बात बता तो दी थी पर अमन इस सबके बाद क्या करने वाला है? ये उन दोनों को पता नहीं था। 

आज की रात रजियाम रेहाना और अमन के लिये किसी कयामत से कम नहीं थी। 

आधी रात के 3:00 बज रहे थे, पर रजिया और रेहाना की आँखों से नींद गायब थी। वो दोनों अपनी गुजरी हुई जिंदगी के पन्ने पलट रही थीं और वो उनसे जाने-अंजाने में हादसे हुए उसे याद कर-करके आँसू बहा रहीं थीं। जब रात का मंज़र ये था तो सुबह का आलम क्या होगा? 

सुबह 8:00 बजे-

रजिया और रेहाना नाश्ता बना रही थी और अनुम और फ़िज़ा अपने रूम में बैठीं बातें कर रहे थीं। रजिया ने कहा-“रेहाना, जा जाकर अमन को उठा दे…” 

रेहाना-“बाजी वो मैं…” वो हिचक रही थी। शायद अमन का सामना करने की उसकी हिम्मत नहीं थी। 

रजिया भी इसी डर में जी रही थी। आख़िरकार वो खुद अमन के रूम की तरफ कदम बढ़ा देती है। जब रजिया अमन के रूम में पहुँची तो अमन सो रहा था। उसके चेहरे पे सुकून था जैसे किसी बड़े तूफान के गुजर जाने के बाद सब कुछ कैसे शांत हो जाता है। 

रजिया वहाँ बेड पे अमन के पास बैठ जाती है। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। पर उसने हिम्मत करके अमन की पेशानी पे हाथ रख दिया तो उसे एक झटका सा लगा। अमन की पेशानी किसी भट्टी की तरह तप रही थी, उसे तेज बुखार आ गया था। 

रजिया अमन के गले और छाती पे भी हाथ लगाकर देखती है। तब उसे एहसास होता है कि अमन को बहुत तेज बुखार है। वो रेहाना को चीखकर आवाज़ देती है। जिससे रेहाना के साथ-साथ अनुम और फ़िज़ा भी भागती हुई अमन के रूम में पहुँच जाती हैं। 

अनुम-“क्या हुआ अम्मी?” वो सबसे पहले पहुँची थी। 

रजिया घबराते हुए-“बेटा जल्दी से डाक्टर को फोन लगा, अमन को बहुत तेज बुखार है…” 

रेहाना के साथ-साथ फ़िज़ा भी इस बात से जैसे ख़ौफजदा सी हो जाती है। और सभी औरतें अमन को घेरकर बैठ जाती हैं। अनुम डाक्टर को फोन लगाकर किचिन से आते-आते पानी के एक जग में कुछ गीले कपड़े भिगा लाती है, और अमन के सर पे रखने लगती है। 

उन सभी से चेहरे से साफ जाहिर हो रहा था की उन्हें अमन की तबीयत की कितनी फिकर हो रही है। वहाँ रजिया की आँखों से आँसू टपक रहे थे, वहीं रेहाना अमन के तलवों को गीले कपड़े से पोंछ रही थी। फ़िज़ा के तो पसीने छूट गये थे। वो बेचारी जब किसी को बीमार देखती थी तो उसका यही हाल होता था। 

अनुम-“अम्मी प्लीज़… आप रोना बंद करो ना। कुछ नहीं होगा इन्हें। डाक्टर अभी आते ही होंगे…” 

इन सबके बीच अमन बुखार में कराह रहा था। उसे सर दर्द भी था, जिससे वो बीच-बीच में बड़बड़ा भी रहा था। एक हट्टा-कट्टा जवान इंसान जब बेड पे इतना बेबस पड़ जाता है। तो वो उसकी सांसों के नज़दीक होते हैं, उनका हाल बहुत बुरा हो जाता है। उनकी हालत मरीज से भी ज्यादा खराब नज़र आती है। 

तकरीबन दस मिनट बाद डोरबेल बजती है, और अनुम के दरवाजा खोलने के बाद डाक्टर सानिया अंदर आती है। हालांके वो प्रेगनेंट थी। पर जब उसे अमन की बीमारी की खबर अनुम ने सुनाई तो वो सब कुछ छोड़-छाड़कर भागती हुए अमन के पास जैसे उड़ती हुए चली आई। 

सानिया के शौहर अमन के घर के परिवारिक डाक्टरों में से एक थे। पर उनकी गैर मौजूदगी में सानिया ही मरीजों को चेक करती थी। सानिया अमन को चेक करके कहती है-“आंटी, अमन को वायरल फीवर हो गया है। मुझे कुछ ख़ून के नमूने लेने होंगे, उसके बाद ट्रीटमेंट शुरू होगी। मैं तब तक के लिये इंजेक्शन और कुछ टेबलेट दे देती हूँ। आप अमन को दे दीजिएगा और गीले कपड़े से पूरा जिस्म पोंछते रहें…” 

रजिया-ओके बेटा। 
 
सानिया कुछ देर बाद चली जाती है। उसे अमन की बहुत फिकर हो रही थी। वो सबसे पहले ख़ून के नमूने लैब में भिजाती है। 

रजिया और रेहाना अमन के जिस्म को पोंछते रहते हैं। 

दोपहर में सानिया उन्हें फोन करके बताती है की रिपोर्ट एकदम नॉर्मल है। घबराने की कोई बात नहीं है। मैं रात को एक बार और अमन को देखने आ जाऊँगी। 

सुबह के 8:00 बजे से रात के 8:00 बजे तक उन चारों औरतों ने ना कुछ खाया, ना पिया। भला जब उनका शौहर इस हालत में था तो किसी के गले से निवाला उतर सकता था। 
जब रात में सानिया की दवाओं ने और इन चारों की दुआओं ने अपना असर दिखाया तो उनकी जान में जान आई। अमन अब कुछ ठीक महसूस कर रहा था, और उसने हल्का-फुल्का नाश्ता भी किया था। उसके खाना खाने के बाद चारों औरतों ने भी खाना खाया। 

रात 11:00 बजे-

सुबह से ठंडे पानी से जिस्म पोंछने से अमन को एक नई मुसीबत ने घेर लिया था। उसका बुखार जा चुका था पर जिस्म एकदम ठंडा पड़ चुका था। उसे कंपकंपाहट होने लगी थी। जिस्म पे दो चार ब्लंकेट डालने के बाद भी उसकी कंपकंपाहट खतम नहीं हो रही थी। 

रजिया बहुत बेचैन सी हो गई थी। वो अमन के पैर के पंजों को घिस-घिसकर अमन को गरम रखने की कोशिश कर रही थी। 

अनुम डाक्टर सानिया को फोन लगाती है, और उसे अमन की हालत बताती है। सानिया उस वक्त घर नहीं आ सकती थी। इसीलिये वो अनुम को सलाह देती है की अमन को गरम रखने की कोशिश करो, उसे गर्मी मिलेगी तो वो नॉर्मल हो जाएगा। 

जब अनुम अमन के कमरे में आई तो रजिया ने उससे पूछा कि डाक्टर ने क्या कहा? 

तब अनुम डाक्टर की कही बात रजिया को बताती है। रजिया रेहाना की तरफ देखती है। और रेहाना समझ जाती है की क्या करना है। 

किस्मत-

जिस चीज़ ने रजिया की जिंदगी हमेशा के लिये बदलकर रख दी थी, आज वहीं चीज़ फिर से रजिया के सामने आ गई थी। ऐसी ही एक रात जब रजिया ठंड से कांप रही थी। उसके अब्बू ने उसे ऐसा गरम किया था की वो उसके बाद कभी ठंडी नहीं हुई। 

रजिया दरवाजा बंद कर देती है, और रेहाना की तरफ देखती है। 

रेहाना फ़िज़ा और अनुम को बताती है की उन्हें क्या करना है? 

रजिया और रेहाना अमन के सारे कपड़े उतार देती हैं। वो बेड पे एकदम नंगा हो जाता है। उसे होश था पर सर्दी के मारे वो कुछ बोल नहीं पा रहा था। उसका जिस्म बर्फ की तरह ठंडा हो चुका था। रजिया को वो भी करना था जल्दी करना था। 

चारों औरतें भी पूरी तरह नंगी हो जाती हैं। ये पहला मौका था जब वो एक दूसरे के सामने ऐसी हालत में एक साथ खड़ी थीं। 

रजिया अनुम को बोलती है-“बेटा, तू अमन का लौड़ा मुँह में लेकर चूसती रह, और फ़िज़ा बेटा तुम अमन के पैरों के पंजों को चाटो। रेहाना तुम मेरे साथ अमन की छाती से चिपक जाओ, उसे चारों तरफ से गरम रखना है…” सभी अपने-अपने काम में जुट जाती हैं। 

पहले अनुम को अमन के लण्ड को चूसने में परेशानी हो रही थी, क्योंकी उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई बरफ का टुकड़ा उसके मुँह में किसी ने रख दिया हो। फिर धीरे-धीरे अमन के ठंडे लण्ड में जान आने लगी। 

छाती से चिपकी रजिया और रेहाना अपनी चूची लगातार अमन से घिस रही थीं, और फ़िज़ा अमन के पैरों की उंगलियों को मुँह में डालकर गरम कर रही थी। 

तकरीबन आधे घंटे बाद अमन का खून गरम हो जाता है, और साथ ही साथ वो सब भी गरम हो जातीं हैं। अमन का खड़ा लण्ड अब अनुम के गले के अंदर तक जा रहा था और ये सब देख-देखकर फ़िज़ा भी उसके पास आकर अमन के लण्ड को मुँह में डालकर चूसना शुरू कर देती है। 

रजिया अनुम को देखते हुए-“बेटा अनुम, अपनी चूत में ले ले…” 

अनुम रजिया की तरफ देखते हुए अमन के लण्ड को थामकर अपने दोनों पैर उसके इद़-गिद़ डाल देती है। फ़िज़ा अमन के खड़े लण्ड को अनुम की चूत पे लगा देती है। 
फ़िज़ा-“अब नीचे बैठो बाजी…” 

अनुम रजिया को देखती है। वो रेहाना के साथ अमन का मुँह खोलकर उसकी ठंडी जीभ को अपने मुँह में लेकर गरम कर रही थी। एक नज़र रजिया अनुम को देखती है और इशारा करती है। 

और अनुम अमन के लण्ड पे बैठती चली जाती है। उसकी चूत इससे पहले कई बार अमन का लण्ड ले चुकी थी पर आज फ़िज़ा और रेहाना के सामने इस हालत में चुदना उसे एक नया सा अनुभव, एक दिलकश पुरसुकून खुशी दे रही थी। वो अमन के लण्ड पे अपनी कमर नीचे-ऊपर करने लगती है। उसे पता था की अमन इस वक्त थका हुआ है। इसलिये वो अमन का मेहनत भरा काम आज खुद कर रही थी। उसकी चूत से लगातार पानी रिस रहा था, वो नीचे अमन की आंड पे गिरने लगा था। जब फ़िज़ा इस पानी को देखती है तो उसकी जीभ अपने आप उस मीठे पानी को चाटने बढ़ जाती है। 

फ़िज़ा-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” वो पीछे से अनुम की गाण्ड और अमन के आंड को भी चाटने लगती है। उसका एक हाथ अपनी चूत को मसल रहा था और उसमें से किसी भी वक्त ज्जालामुखी फट सकता था। एक लंबी चीख के साथ वो झड़ने लगती है-“अह्म्मह…” 

रेहाना और रजिया अमन के होंठों को चूसने के साथ-साथ एक दूसरे के होंठों को भी एक दो बार चूम लेती हैं। उन दोनों की आँखें अनुम की चूत पे थी, वो किसी घुड़सवार की तरह अमन के लण्ड पे नीचे-ऊपर उछल-उछलकर सवारी कर रही थी। 

अमन होश में तो था। वो जानता था क्या हो रहा है। पर आज उसका दिल कुछ मेहनत करने को नहीं कर रहा था। वो तो बस चारों औरतों के बीच पड़ा एक नये एहसास को महसूस करता जा रहा था। 

कुछ देर बाद अनुम अपनी चूत की फुहार छोड़ने लगती है। 

साथ ही साथ रेहाना और रजिया भी ठंडी पड़ जाती हैं। रात के 2:00 बज रहे थे। सभी वहीं उसी हालत में एक दूसरे से चिपके सो जाते हैं। 
 
सुबह 8:00 बजे- 

पूरे दिन के आराम के बाद अमन की आँख खुल जाती है। उसके आजू-बाजू चारों औरतें नंगी पड़ी हुई थीं। उसे अपनी किस्मत पे बहुत फख्र हो रहा था। वो रजिया के बाल को सहलाता हुआ उसे जगा देता है, वो उसकी छाती पे सर रखे हुए सोई थी। 

रजिया-“गुड मॉर्निंग जानू मुआह्म्मह…” उसके रसीले होंठ अमन के होंठों से मिल जाते हैं। 

अमन गुज़रे हुए हालात और बातों को दोहराना नहीं चाहता था। वो हुआ वो पास्ट था और अमन प्रेजेंट में आकर फ्यूचर बनाना चाहता था। वो रजिया के होंठों को चूसता चला जाता है। जिससे रजिया को ये एहसास हो जाता है कि अमन अब उसका है। हमेशा-हमेशा के लिये दिल से अमन को खो देने वाला डर रात के अंधेरे की तरह चला गया था, और आने वाली सुबह एक नई उम्मीद की किरण लेकर इन सभी की जिंदगी में आई थी। 

रजिया अपने महबूब की बाहों में मर जाना चाहती थी। उसका दिल वो कह रहा था वो उसे करना चाहती है। और अमन के लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर देती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” ये चुसाई रोज की तरह की नहीं थी, इसमें वो खुशी भी थी वो रजिया के पेट में पल रही थी। अपने बेटे को बाप बनने की अद्भुत खुशी। 

अमन आज रजिया को रोकने वाला नहीं था। वो आज बहुत खुश था और रजिया के बालों को सहलाता हुआ अपना लण्ड बड़े प्यार से रजिया के गले तक डाल रहा था-“अह्म्मह… आराम से सोना बेटा… आराम से कर मेरी जान, मेरा बच्चा है…” 

अमन के मोहब्बत भरे शब्द वहाँ रजिया का दिल पिघला रहे थे। वहीं रेहाना और अनुम के साथ-साथ फ़िज़ा भी जाग चुकी थी, और वो सब भी अमन को चूमे जा रही थीं। 

अमन रजिया को अपने नीचे ले लेता है, और उसकी आँखों में देखते हुए बड़े प्यार से कहता है-“नयी जिंदगी मुबारक हो मेरी जान… आज से मैं तुझसे वादा करता हूँ कि इन आँखों में कभी आँसू नहीं आएंगे, बस प्यार प्यार और सिर्फ़ प्यार होगा अह्म्मह… अह्म्मह…” और उसका मजबूत लण्ड रजिया की चूत की दीवारों में धंसता चला जाता है। 

रजिया-“हाँ उंह्म्मह… जानू… मेरे जानू… चोदो अपनी जान को… मुझमें आपकी जान पनप रही है… चोदो रजिया को जान उंन्ह… मेरे बादशाह अह्म्मह… जम के चोदो अपनी रजिया को अह्म्मह…” वो चिल्लाती जा रही थी। 

और अमन लगातार पिस्टन की तरह अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ाता चला जा रहा था-“अह्म्मह… हाँ रजिया हाँ… आज से तुम सब यहीं मेरे पास सोओगी… ऐसे ही चोदूंगा मैं तुम सबको… और सबसे ज्यादा मेरी रजिया को अह्म्मह…” 


डोरबेल बजती है-टटंग-टोंग टटंग-टोंग 

अनुम जानती थी कि इस वक्त दूध वाली लड़की आई होगी। वो अपने नाइटी पहनकर वहाँ से उठकर दूध लेने चली जाती है। 

रेहाना और फ़िज़ा एक दूसरे से चिपकी रजिया और अमन की चुदाई देख रही थीं उनकी चूत में भी चीटियाँ रेंगने लगी थीं। रेहाना अपना मुँह फ़िज़ा की चूत पे लगा देती है, और फ़िज़ा रेहाना की चूत पे। दोनों माँ-बेटी अमन और रजिया की बाजू में 69 की पोजीशन में एक दूसरे की चूत चाटने लगती हैं। 

ये देखकर अमन और जोर-जोर से अपना लण्ड रजिया की चूत में पेलने लगता है। 

जब अनुम दरवाजा खोलती है तो उसे झटका सा लगता है। सामने हीना और शीबा खड़ी थीं। 

हीना-“अमन कहाँ है। कल रात बाजी का फोन आया की उसकी तबीयत खराब है…” और वो ये कहती हुई अमन के रूम की तरफ बढ़ जाती है। 

अनुम बुरी तरह घबरा जाती है-“खाला आप यहाँ बैठो ना हाल में। मैं अभी अम्मी को बुलाकर लाती हूँ…” 

पर हीना वो अमन की बीमारी की खबर सुनकर बेचैन हो गई थी, भागते हुए अमन के रूम में पहुँच जाती है। उसके पीछे शीबा भी आ जाती है। सामने का मंज़र उन दोनों का दिल दहलाने के लिये काफी था। 

अमन के नीचे रजिया अपने दोनों पैर खोले अपने चूत में सटासट लण्ड ले रही थी। अमन की रफ़्तार काबिल-ए-तारीफ थी। इस जोश और जुनून से तो उसने हीना को भी नहीं चोदा था। 

पर शीबा, वो अब तक कुँवारी थी और हर एक राज से अंजान थी। उसके लिये ये सब एक हारर फिल्म से कम नहीं था। उसकी होने वाली सास अपने सगे बेटे के नीचे चिल्ला-चिल्लाकर लण्ड का मज़ा ले रही थी, और बगल में चाची सास अपनी बेटी की चूत के दाने को काट-काटकर उसका पानी निकाल रही थी, उन दोनों की आँखें फटी की फटी रह गईं। 

पीछे से अनुम रजिया को आवाज़ देती है-“अम्मी…” 

अमन और रजिया उसे देखते हैं, और उन्हें यकीन नहीं होता की हीना और शीबा उनके सामने खड़ी हैं। पर उस वक्त अमन और रजिया चरम पे थे, दोनों उस चरम पोजीशन में थे कि अगर मौत का फरिश्ता भी उन्हें लेने आता तो वो जा नहीं सकते थे। एक चीख के बाद अमन अपना गाढ़ा-गाढ़ा पानी रजिया की चूत में उड़ेल देता है अह्म्मह… अह्म्मह। 

उसके साथ-साथ रजिया भी चीखती हुई-“उंन्ह… उंह्म्मह… उंन्ह…” कहकर झड़ने लगती है। 

शीबा के लिये ये सब और देखना मुमकिन नहीं था। वो भागती हुई अनुम के रूम में घुस जाती है, और जोर-जोर से रोने लगती है। 

हीना अमन के पास आती है-“ह्म्मम्म्म्म… मुझे तो लगा था कि बाजी से कभी बात नहीं करोगे, पर यहाँ का मंज़र तो खूब है। भाई वाह… एक बेड पे चाची भी और अम्मी भी…” वो जैसे अमन को ताना दे रही थी। 

अमन हीना का हाथ पकड़कर बेड पे लेटा देता है-“क्यूँ तेरी चूत में जलन हो रही है क्या?” 

रजिया-“हाँ अमन, लगता है कि तुम्हारी खाला को भी कुछ चाहिए…” 

हीना डर के मारे वहाँ से भागना चाहती है। पर अमन के कहने पर रेहाना, फ़िज़ा और रजिया, हीना को कसकर पकड़ लेती हैं। और अनुम अपनी खाला की शलवार उतारने लगती है। 

हीना-“बेशमों छोड़ो मुझे… ये क्या बदतमीजी है अमन? रजिया बाजी, छुड़ाओ ना मुझे, आप भी इन सबका साथ दे रही हो उंह्म्मह…” वो पल भर में पूरी नंगी हो गई थी। 

अमन अपना मुरझाया हुआ लण्ड हीना के मुँह में डालने लगता है-“अह्म्मह… लो चूसो सासू माँ…” 

हीना-“नहीं, मुझे जाने दो प्लीज़्ज़ज्ज्ज… छोड़ो मुझे…” 
 
अमन फटाक्क से एक थप्पड़ हीना के मुँह पे जड़ देता है-“चुपचाप चूस हरामज़ादी, वरना तेरी बेटी को बुलाकर सब बता दूँगा कि तू अपने बाप से चुदकर उसे पैदा की है। चल मुँह खोल…” 

हीना मजबूर थी। वो अपना मुँह खोलकर अमन का लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” 

रेहाना और रजिया हीना की चूची चूस रही थीं और अनुम अपनी खाला की चूत में मुँह डाले जाने क्या तलाश कर रही थी। 

हीना मस्त माल थी और हर तरफ से उसकी चुसाई हो रही थी। वो कुछ पलों में ही पनिया जाती है, और अब बिना किसी डर के अमन के मूसल लण्ड को हथौड़ा बनाने के पीछे पड़ जाती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” 

अमन-“देख रजिया, तेरी बहन भी कितनी चुदक्कड़ है। छिनाल कैसे मुँह में घुसा रही है। अह्म्मह… धीरे कर मादरचोद… अपने बाप से चुदी थी ना तू… अब अपने दामाद से चुदेगी अह्म्मह… अह्म्मह…” 

हीना अपने गले में से लण्ड बाहर निकालकर चिल्लाते हुए-“हाँ हरामी, मेरे बाप ने कई बार मुझे चोदा है, जैसे तेरी माँ को चोदा था। तभी तो तेरी माँ ने तुझे और मैंने शीबा को जना था गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” 

रजिया-“सुनो जी, इसे ज़रा चुप कराओ, ये तो बहुत चिल्ला रही है…” 

अमन-“हाँ साली, बहुत चिल्लाती है…” और अमन हीना के मुँह से लण्ड बाहर खींचकर उसे डोगी स्टाइल में कर देता है। हीना की चूची नीचे लटकने लगती है। जिसे रजिया और रेहाना अपने मुँह में भरकर पूरी ताकत से चूसने लगती है। 

हीना की चीख सी निकलने लगते है-“अह्म्मह… दामाद जी चोदो ना अपनी सास को… डाल दो ना जी अह्म्मह…” 

अमन हीना की कमर पे तड़ा-तड़ दो-चार थप्पड़ मारकर उसे लाल-पीली कर देता है। और फिर एक झटके में अपना लण्ड उसकी चूत में पेलता चला जाता है-“अह्म्मह… लो सासू जी अह्म्मह…” 

हीना तिलमिलाने लगती है। एक तरफ रजिया और रेहाना उसकी चूची बहुत जोर से खींच रही थी, दूसरी तरफ अमन के धक्कों की रफ़्तार अपने चरम पे थी। पूरे रूम में अह्म्मह… ऊऔउच… उंह्म्मह… और बीच-बीच में अमन की थप्पड़ों की गूँज के साथ हीना की गालियों की आवाज़ें गूँज रही थीं। 

करीब 20 मिनट ये सिलसिला चलता रहा और इस 20 मिनट में हीना दो बार झड़कर ठंडी पड़ गई। और अमन का सारा पानी अपनी चूत में भरकर वहीं लेट गई। 

अमन अपने मकसद में कामयाब हो गया था। उसे रजिया की बात याद थी कि अगर किसी कुँवारी चूत को चोदना है, तो पहले उसकी माँ को उस लड़की के सामने जमकर चोदो। वो लड़की जल्दी तैयार हो जाएगी। 

अमन और रजिया ने हीना को सब कुछ समझा दिया कि वो घर जाकर शीबा को क्या-क्या कहे और ये भी कहा की अगले महीने की 20 तारीख को वो शीबा से शादी करेंगा। और उसके बाद वो सब शिमला चले जाएंगे और अपने नये घर में सभी मिलकर रहेंगे। 

हीना बहुत खुश थी। उसे एक प्यार करना वाला दामाद और बेटी को अच्छा शौहर वो मिलने वाला था। 
 
शीबा जो अनुम के रूम में बैठी सब सुन रही थी। उसे पता चल चुका था की वो अपने नाना का बीज है। और अमन उसकी अम्मी को भी चोद चुका है। वो अमन से नाराज तो थी और गुस्सा भी। पर अब एक तरह से वो कुछ हद तक शांत हो गई थी। 

जब शीबा हीना के साथ अपने घर गयी तो हीना ने उसे हर एक बात बता दी, हर वो राज वो वो जानती थी, अमन के तालुक से और इस खानदान के बारें में भी सब कुछ। 

शीबा सब कुछ बड़े गौर से सुनती रही और फिर उसे हीना ने सुला दिया, ये कहते हुए की अमन अगले महीने तुमसे शादी करना चाहता है। 

शीबा का दिल रखने के लिये रजिया और रेहाना ने भी उसे अच्छे से समझाया और आखिर कुछ दिन बाद शीबा ने ये बात दिल से मान ली कि भले ही उसकी ओफिशियली शादी अमन से होने वाली है। पर अमन पहले ही अपने माँ, बहन, खाला और चाची से शादी कर चुका है। अपने लण्ड की मोहर उन सबकी चूत पे लगाकर। उसे ये भी बताया गया की रजिया के पेट में वो बच्चा पल रहा है, वो ख़ान साहब का नहीं बल्की अमन का है। और आगे चलकर शीबा को ही उसकी देख-भाल करनी होगी। और अगर अनुम या रेहाना को भी बच्चे होते हैं तो उनकी माँ शीबा ही कहलाएगी। 

शीबा पहले-पहले इन सब चीजों से बहुत दूर भागती थी। पर अमन ने कई बार हीना के घर जाकर शीबा के सामने हीना को जमकर चोदा, जैसे अनुम के सामने उसने रजिया को चोदा था। इस नजारे को देख-देखकर शीबा की आँखों का पानी भी मर गया और उसकी चूत भी जल्द से जल्द अमन से चुदने को बेचैन होने लगी। 

इस एक महीने के दौरान एक और अच्छी बात हुई। अमन के दोस्त इमरान को फ़िज़ा पसंद आ गई। इमरान अमन का खास दोस्त था और अमन ने शादी की कई तैयारियों की जिम्मेदारी इमरान को सौंप दिया था, जिसकी वजह से इमरान का दो-चार बार अमन के घर आना जाना हुआ। इसी बीच इमरान और फ़िज़ा की नज़रों से नज़रें मिलीं और प्यार हो गया। 

रेहाना ने इमरान का रिश्ता कुबूल कर लिया और उनकी एक छोटी सी इंगेज़मेंट सेरेमनी करवा दी गई। इमरान भी अमन के साथ एक ही मंडप में शादी करना चाहता था। कम वक्त में बहुत तैयारियाँ करनी थी। पर सब कुछ वक्त रहते हो गया। 


***** *****अमन वेड्स शीबा 

आज वो दिन आ ही गया था जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार था। हर कोई खुश था और सबसे ज्यादा खुश था अमन। पर कोई थी वो शायद इस शादी से खुश नहीं थी-वो थी अनुम। 
अनुम-जिसने अमन को दिल से प्यार किया था। जिससे अमन की शादी हुई थी। पर आज जैसे अमन उसे भूल सा गया था। वो अपने दोस्तों के साथ बातें कर रहा था। उसके चेहरे से साफ जाहिर हो रहा था की उसे आने वाले वक्त का बेसब्री से इंतजार है। अनुम भी सजी सँवरी बाल्कनी में खड़ी अमन को देख रही थी। उसकी आँखों में बेशुमार सवाल थे वो वो अमन से पूछना चाहती थी। 

अमन-अपने दोस्तों से बातें करते हुए ऊपर बाल्कनी की तरफ देखता है तो उसे अनुम वहाँ गुमसुम सी खड़ी नज़र आती है। अमन अपने दोस्तों से एक्सक्यूस लेकर अनुम के पास चला जाता है। जब वो उस जगह पहुँचता है, वहाँ अनुम खड़ी थी तो उसे वहाँ अनुम दिखाई नहीं देती। वो उसे ढूँढ़ता हुआ उसके रूम में चला जाता है। 

अनुम अपने रूम में बेड पे बैठी हुई थी। उसने अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा रखा था। अमन उसके पास जाकर बैठ जाता है-“क्या हुआ स्वीटहार्ट यहाँ क्यूँ बैठी हो? बारात निकलने वाली है, मैरिज हाल के लिये…” 

अनुम जब अपनी पलकें उठाकर अमन को देखती है तो अमन समझ जाता है कि माज़रा क्या है। अमन बिना कुछ बोले अनुम के दिल की बात जान गया था। ये वो मोहब्बत थी अनुम की वो हर लड़की महसूस करती है। हर वो लड़की जिसने कभी ना कभी सच्ची मोहब्बत की होगी और जब वो अपनेी उस मोहब्बत को किसी दूसरे का होते हुए देखती है, तो वो हाल उस लड़की का होता है, वहीं हाल इस वक्त अनुम का था। उसने अमन को रजिया से तो शेयर कर लिया था। पर शीबा के साथ अमन को देखना उसे मंजूर नहीं था। 

अमन इस चीज़ से अच्छी तरह जाकिफ था। वो अनुम को अपने सीने से लगा लेता है। 

और अनुम सिसक उठती है-“अमन, ‘आई लव यू सो मच’ अमन प्लीज़ तुम शीबा से शादी मत करो। मैं तुम्हें किसी और का होता देख नहीं सकती। तुम्हारी शादी मेरे साथ हुई थी ना। अमन तुम ऐसा कैसे कर सकते हो? अमन प्लीज़ तुम…” वो बोलत-बोलते जोर-जोर से रोने लगती है। 
 
अमन अनुम को कुछ देर रोने देने के बाद अपनी छाती से चिपका लेता है, और उसके चेहरे को अपने हाथों में थामते हुए उसे अपने दिल की बात कहता है-“इधर देख मेरी जान मेरी आँखों में। क्या तुझे तेरा और रजिया के चेहरे के अलावा कोई और चेहरा नज़र आता है? नहीं ना। अरे पगली तूने ये सोच भी कैसे लिया कि मैं शीबा से शादी करने से उसका हो जाऊँगा। मैं सिर्फ़ तुमसे और रजिया से सच्ची मोहब्बत करता हूँ। ये तू भी अच्छी तरह जानती है, और रजिया भी। फिर क्यूँ ऐसा सोचती है? शीबा से मैं सिर्फ़ इसलिये शादी कर रहा हूँ, क्योंकी ख़ान साहब और नाना यही चाहते थे। तू मेरी है, और हमेशा मेरी रहेगी। तू मुझे प्यारे-प्यारे बच्चे देगी और हाँ रजिया और तेरी जगह कोई नहीं ले सकता समझी। अब चल हमें फंक्सन हाल में चलना है। 

अनुम का दिल तो संभल गया था, पर एक कसक दिल की दिल में दबी रह गई। वो क्या थी ये बस अनुम जानती थी। जब अमन अनुम रूम में से बाहर निकल रहा था तो उसे रजिया सामने खड़ी हुई मिली। वो उनकी बातें सुनकर वहीं रुक गई थी। 

रजिया अमन को गले से लगाते हुए चूम लेती है-“मुझे अपने जानू पे पूरा भरोसा है। वो हमेशा मेरा और मेरी बेटी का साथ देंगे…” 

अमन भी दोनों को चूम लेता है, और वो शादी के फंक्सन हाल की तरफ बढ़ जाता है। अमन की शादी के साथ-साथ इमरान और फ़िज़ा की भी शादी उसी मंडप में थी। सभी मेहमान आ गये थे। दिलावर ख़ान भी एक चेयर पे बैठे हुए थे।

काजी साहब ने पहले इमरान से फ़िज़ा को कुबूल करवाया और फिर अमन से शीबा को। सभी ने दोनों दुल्हनों दूल्हों को मुबारक बाद दी और अमन और शीबा की ओफिशियली शादी हो गई। इमरान अपनी दुल्हन फ़िज़ा को अपने साथ ले गया और रह गए अमन और उसका खानदान। 

अमन के मामा ने भी खाना खाने के बाद रुखसती ले ली, साथ में दिलावर ख़ान भी चले गए। 

अब अमन की बारात जानी थी शिमला। वो 3 घंटे का सफर कैसे गुज़रा पता ही नहीं चला। शीबा की दिल की धड़कनें तेज होती जा रही थी जैसे-जैसे रास्ता कट रहा था। शिमला के अपने नये घर में पहुँचकर सभी ने सबसे पहले नई दुल्हन को उसके रूम में पहुँचाया। ये रूम बहुत खूबसूरती से सज़ाया गया था। अमन के कुछ दोस्तों ने ये काम अंजाम दिया था। 

रात 12:00 बजे-

रजिया अमन को अपने रूम में जाने के लिये कहती है। उसका दिल तो नहीं कह रहा था पर उसे मालूम था कि बस आज की रात। उसके बाद तो वो सब एक किंग साइज़ बेड पे नंगी सोएंगी। 

आज रात अमन और शीबा की सुहागरात थी। अमन रूम में जाने से पहले अनुम को आवाज़ देता है। 

अनुम जब उसके पास आती है। तो अमन सबको चौंकाते हुए अनुम का हाथ पकड़कर अपने रूम में ले जाता है। वहाँ शीबा बेड पे घूँघत डाले अमन का बेसब्री से इंतजार कर रही थी। 

अनुम अमन की तरफ देखती है। जो कसक उसके दिल में दबी रह गई थी वो शायद अमन ने सुन लिया था। वो दोनों उस रूम में पहुँचते हैं और अनुम रूम का दरवाजा बंद कर देती है। 
सामने शीबा धड़कते दिल और जज्बातों से पूरे जिस्म के साथ अमन का इंतजार करती बैठी थी। 

अमन के सामने हुश्न की मिलका शीबा बैठी हुई थी। वो शीबा का घूँघट उठाता है, और उसका चेहरा ऊपर उठता है। शीबा धड़कते दिल से अमन के चेहरे को देखती है। उसे बहुत शरम आ रही थी। 

सामने अनुम बेड के एक कॉर्नर में बैठी थी। 

अमन अपने होंठ शीबा के होंठ पे रख देता है। उफफ्र्फ इसी हसीन पल के लिये तो शीबा जैसे पैदा हुई थी। वो अपने महबूब की बाहों में सिमटती चली जाती है। 

अमन अनुम को जब अपनी तरफ खींचता है, तब शीबा को अनुम की मौजूदगी का एहसास होता है। पहले वो थोड़ी नर्वस हो जाती है। फिर अपने आपको संभाल लेती है। वो जानती थी कि इस घर में रहना है तो सबके साथ अमन को शेयर करना पड़ेगा और उसे इस बात से जरा भर भी परहेज नहीं था। 

अनुम शीबा की पीछे से चोली खोल देती है। अमन अभी भी शीबा के होंठों को चूसे जा रहा था शीबा वो अमन के किसिंग से मस्त हो गई थी, उसकी चूत तो सुबह से ही पानी छोड़ रही थी जबसे अमन को उसने कुबूल किया था। वो जल्द से जल्द नंगी होना चाहती थी। 

शीबा अमन को पहली बार कुछ कहती है-“सुनिये, लाइट बंद कर दीजिए ना…” 

अमन-“मेरी जान लाइट बंद कर दूंगा तो देखूँगा कैसे तेरी?” 

उधर अनुम अपना काम कर चुकी थी। वो खुद तो नंगी हो गई थी और साथ में उसने शीबा को भी पूरी तरह नंगी कर दिया था। अमन जब अपने कपड़े उतारकर शीबा की तरफ घुमा तो हैरान रह गया। 
 
शीबा उसके सामने बिल्कुल संगेमरमर की मूरत की तरह लेटी हुई थी। वो ब्लॉंड थी, उसके जिस्म पे एक भी बाल नहीं था। 

जब अनुम ने शीबा की टाँगें खोला तो अमन के मुँह में पानी आ जाता है, और वो शीबा की चूत का एक ही पल में दीवाना हो जाता है। गुलाबी होंठ वाली शीबा की चूत किसी कच्ची कली की तरह अपनी खुबसूरती चारों तरफ बिखेर रही थी। 

अमन जैसे तो चूत चाटने का शौकीन नहीं था। पर आज उसका दिल शीबा की चूत खा जाने को कर रहा था। वो शीबा की चूत पे किस करता है, और फिर अपने जीभ फेरता है-“शीबा तेरी चूत खा जाऊँगा आज मैं…” 

शीबा-“आह्म्मह खा जाओ, आप ही की तो है उंन्ह…” वो मस्त हो चुकी थी। 

अनुम हल्के-हल्के उसकी चूची मसल रही थी और अब अमन नीचे उसकी चूत चाटने में लगा हुआ था-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” 

शीबा का बुरा हाल था उसने सोचा भी नहीं था की उसकी सुहगरात इस तरह की होगी। 

अनुम अपनी जीभ शीबा के मुँह में डालकर उसे अपनी जीभ का रस पिलाने लगती है। और शीबा भी जोश में अपनी ननद का सलाइवा पीने लगती है-“गलप्प्प-गलप्प्प…” 

ऊपर से अनुम और नीचे से अमन दोनों बेचारी शीबा को सांस भी नहीं लेने दे रहे थे। अमन का लण्ड तन गया था पर अभी फाइनल टच बाकी था। अमन अपने लण्ड को शीबा के होंठों के पास लाता है, और अनुम के साथ-साथ शीबा भी पहली बार किसी मर्द का लण्ड अपने मुँह में महसूस करती है। दोनों लड़कियां बड़े प्यार से अमन के लण्ड को चाट रही थीं। लण्ड कभी शीबा के मुँह में तो कभी अनुम के मुँह में-“गलप्प्प गलप्प्प गलप्प्प-गलप्प्प…” 

अनुम अमन को देखकर इशारा करती है-“लोहा गरम है, मार दो हथौड़ा…” 

और अमन शीबा के पैर फैलाकर अपना लण्ड उसकी कुँवारी चूत पे घिसने लगता है। 

जिससे शीबा सिसक उठती है-“उंह्म्मह… अह्म्मह… धीरे करिएगा जी उंह्म्मह…” 

अमन को आराम से सुनने की आदत नहीं थी। वो अनुम को शीबा का मुँह अपने होंठ से बंद करने को कहता है, और एक जोरदार धक्का अंदर दे देता है-“आह्म्मह…” 

शीबा सकपका जाती है। उसके पूरे जिस्म में खून दुगुनी रफ़्तार से दौड़ने लगता है। उसकी चूत की सील टूट चुकी थी और खून नीचे बेडशीट भिगा रहा था-“अह्म्मह… नहीं, निकालो बाहर… अम्मी जी अह्म्मह…” 

बाहर खड़ी हीना और रजिया ये सब सुन रही थीं। वो अनुम को आवाज़ देकर दरवाजा खोलने को कहती हैं। तो शीबा बेसुध सी पड़ी थी अमन का झटका उसे अपने बच्चेदानी पे लगा था। 

हीना-“दामाद जी बच्ची है। आराम से लो ना…” 

अमन-“तू सो जा इसकी जगह छिनाल… ये मेरी प्रापटी है, कैसे भी उसे करूँ और अमन सटासट-सटासट अपने धक्के मारता चला जाता है। 

शीबा-“अह्म्मह… उंह्म्मह… नहीं प्लीज़्ज़ज्ज्ज आराम से ऊओह…” चिल्लाने लगती है। 

पर उसकी गुहार सुनने वाला कोई नहीं था। 

हीना शीबा के पास बैठकर समझाती है-“बस हो गया बेटा, कुछ देर बाद आराम मिल जाएगा…” 

शीबा-“अह्म्मह… मुझे नहीं लेना इनका… इन्हें बोलो ना बाहर निकालें… मेरी फट गई है। अह्म्मह…” 

हीना-“हाँ… ये बड़े जालिम हैं बेटा, किसी की नहीं सुनने वाले…” 

अमन-“शीबा मेरी जान… तेरी अम्मी भी ऐसे ही चीखी थी, जब मेरा ली थी अह्म्मह…” 

रजिया, अनुम, हीना और रेहाना भी ये सीन देखकर हैरान थीं। अमन ने इतनी धुंआंधार चुदाई उनकी भी नहीं किया था आज तक। 

शीबा तो जैसे बेहोश हो जाती और अगले ही पल अमन के धक्के से होश में आ जाती। उसकी चूत की आग कुछ हद तक कम हो गई थी। 

रजिया और हीना ने उसकी चूची की अच्छे से मालिश कर दी थी। 

अमन दनादन धक्कों की बारिश किए जा रहा था और इस दौरान शीबा एकदम शांत हो गई थी। अब वो अपनी गाण्ड ऊपर उछाल-उछालकर लण्ड अंदर लेने लगी थी। ये सिलसिला चलता ही रहा और तकरीबन 15 मिनट के बाद दोनों ने एक साथ अपना पानी निकाल दिया। 

शीबा थक चुकी थी। पर अमन के लिये ये रोज की बात थी। उसे दो औरतों की आदत थी। ये बात शीबा के अलावा सभी जानते थे। 

रजिया अमन के लण्ड को कपड़े से साफ कर देती है। और अनुम उसे अपने मुँह में लेकर टाइट कर देती है। अगली बारी अनुम की थी। 

जब अमन अनुम को चोदने लगता है तो वो अनुम को एक खुशखबरी बताता है कि आज से अनुम को प्रेगनेंसी रोकने वाली गोलियाँ खाने की कोई ज़रूरत नहीं है। ये सुनकर अनुम और जोश में अपनी कमर ऊपर उछाल-उछालकर अमन के लण्ड से चुदती चली जाती है। 

अमन अपनी लाइफ से काफी खुश था। उसकी सभी औरतें उसे बेपनाह मोहब्बत करती थीं, खास तौर पे रजिया और अनुम। मोहब्बत का ये कारवाँ ऐसे ही चलता रहा और देखते ही देखते बच्चों की किलकारियाँ अमन विला में गूंजने लगीं।
 
***** *****कुछ यादें पहले की-

जैसे की आप सब जानते हैं कि अमन ने अपनी अम्मी रज़िया से मोहब्बत किया और उसे अंजाम तक भी पहुँचाया। अमन और रज़िया की मोहब्बत की निशानी इस दुनियाँ में आज से 20 साल पहले आई थी, एक खूबसूरत परी के रूप में। उस परी का नाम रखा गया सोफिया। 

अमन की दूसरी बीवी और सगी बहन अनुम, जो अमन से बेपनाह प्यार करती थी। जिसने अपनी सार जिंदगी सिर्फ़ अमन के नाम कर दी । अमन से अनुम को दो बच्चे हुये, पहला बेटा जीशान जिसे प्यार से सभी ‘जी’ बुलाते थे। और दूसरी बेटी लुबना। दोनों बच्चे थे तो अनुम के, पर दुनियाँ की नजर में अमन और अनुम का रिश्ता भाई बहन का था। इसलिए उन दोनों बच्चों को शीबा ने अपना नाम दिया। वो कहने को तो जीशान और लुबना की अम्मी थी पर उसके दिल में इन दोनों बच्चों के लिए नफरत और जलन कभी कम नहीं हो पाई। `

अमन की तीसरी बीवी शीबा-शीबा अमन से प्यार करती थी, पर उतना नहीं जितना रज़िया और अनुम। शायद यह वजह थी की अमन उसे इतना प्यार कभी नहीं दे पाया, जितने की वो हकदार थी। यह बात उसे अंदर ही अंदर खाये जाती थी। अमन से शीबा को एक बेटी हुई जिसका नाम रखा गया नग़मा। तो चलिए मिलते हैं हमारे अमन विला के सुपर स्टार अमन ख़ान से। 

अमन ख़ान-पेशे से बिजनेसमैन है, उमर 40 साल के आस-पास है, फिट और सेक्सुअल एडिक्ट। इस बंदे ने अपनी जिंदगी में हर वो चीज हाँसिल किया जो उसे अच्छी लगती थी, चाहे वो फिर उसकी अपनी अम्मी रज़िया ही क्यूँ ना हो। 

रज़िया बेगम-उमर के इस पड़ाव में भी रज़िया की खूबसूरती में कोई कमी नहीं आई थी। जैसे-जैसे उसकी उमर बढ़ रह थी वैसे-वैसे उसके हश-ओ-जमाल अपने परवाज़ पे था। सोफिया की वो अम्मी थी पर दुनियाँ वाले और घर के जवान लोग इस बात से बिल्कुल अंजान थे। 

अनुम ख़ान-उमर 41 साल, रात भर अमन की बाहों में रहने से इसकी जवानी कभी ना ख़तम होने वाली बात लगती थी। दो बच्चो की माँ अनुम ने खुद को इस कदर मेंटेन किया था की कोई भी उसे एक बार देखे तो देखता ही रह जाए। 

शीबा-उमर 38 साल, जवान खूबसूरत मगर शातिर। इसके दिमाग़ में हर वक्त बस एक ही चीज घूमती थी की किस तरह अमन को रज़िया और अनुम से दूर किया जाए। पिछले 20 सालों से वो अपनी इस कोशिश में नाकाम रही है। 

जीशान ख़ान-इस परिवार का लम्बा, सांवला और खूबसूरत लड़का, एक खूबसूरत गबरू जवान, बिल्कुल अपने अब्बू अमन की कार्बन कापी। जिस तरह अमन को एक्सरसाइज का शौक था, उसी तरह जीशान को भी है। अपने सिक्स पैक की वजह से वो कालेज और फ्रेन्ड सर्कल में काफी मशहूर है। एक आकर्षक पर्सनाल्टी का मालिक जीशान बहुत ही खुशमिजाज और जिंदगी जीने वाला बंदा है। थोड़ा शरारती है पर हर किसी का ख्याल भी उतना ही रखता है। सभी बहनों का लाड़ला जीशान। 

सोफिया ख़ान-बला की खूबसूरत , बिल्कुल अपनी अम्मी रज़िया की तरह। जो भी इस हसीन दोषीजा को देखता उसकी तारीफ़ किए बिना नहीं रह पाता, कालेज स्टूडेंट सोफिया 20 साल की है, फैशन डिज़ाइनर का कोर्स कर रह है। थोड़ी चंचल, थोड़ी नटखट सी रहने वाली सोफिया बचपन से अपने दिल में एक शख्स की तस्वीर बना चुकी है। 

लुबना ख़ान-उमर 18 साल, बहुत भोली - भाली किसी की भी बात पे झट से भरोसा कर लेती है। अपने भाई जीशान से सबसे ज्यादा प्यार करने वाली लुबना को लाइफ में कोइ टेंशन नहीं है। जियो और जीने दो वाली पॉलिसी पे चलती है। थोड़ा गुस्सा जल्द आता है, पर दिल की बहुत साफ है। 

नग़मा ख़ान-उमर 18 साल, अपनी अम्मी शीबा की तरह शातिर। दिमाग़ तो है नहीं पर जाहिर ऐसे करती है जैसे दुनियाँ भर की अकल इसी को है। कालेज स्टूडेंट है। 
तो दोस्तों-ये था अमन और उसका परिवार। 

***** ***** 
 
ईद का चाँद नजर आ चुका था। सारी रौनक बाजारों में जमा हो गई थी। हर तरफ कल की तैयारी की धूम थी। हर कोई ईद के दिन खूबसूरत दिखना चाहता था और इसी वजह से अमन ख़ान का खानदान शॉपिंग के लिए घर से निकल चुका था। 


रज़िया अपनी बेटी अनुम और बहू शीबा के साथ कार में बैठी हुई थी और सोफिया की निगरानी में लुबना और नग़मा अपनी पसंद की चूड़ियाँ खरीद रही थीं। 

लुबना सोफिया को चुटकी लेती हुई धीमी आवाज़ में कहती है-“आपी, क्या आप भी बाबा आदम के जमाने की चूड़ियाँ देख रही हो। चलो ना… वहाँ सामने देखो ना कितनी प्यार चूड़ियाँ दिख रही है चलो ना…” 

नग़मा-हाँ आपी चलकर देखते हैं। 

सोफिया-“उफफ्फ़ हो अच्छा बाबा चलो…” और तीनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर उस भीड़-भाड़ वाले हिस्से की तरफ चल देती हैं, जहाँ पता नहीं किस वजह से इतनी भीड़ जमा थी। 

लुबना-“ये जेशु भाई को भी आज ही जाना था अपने दोस्त के साथ। क्या हो जाता अगर वो हमें शॉपिंग करवाने लाते…”

सोफिया-“हाँ यार, देख ना कितनी भीड़ जमा है यहाँ। पता नहीं ऐसी कौन सी चूड़ियाँ मिल रही हैं?” वो तीनों लोगों को धकेलते हुये उस दुकान के पास आ जाती हैं। तीनों की नजरें सामने पड़ी हुई चूड़ियों पे पड़ती है। रंग-बिरंगी हर कलर की खूबसूरत चूड़ियाँ । लुबना के साथ-साथ नग़मा और सोफिया की आँखें भी चमक जाती हैं। तीनों इतने खुश थे कि बस पूछो मत। 

पाँच जवान लड़के मिलकर ये दुकान संभाले हुये थे। चार की शकलें देखाई दे रही थीं, पर वो पाँचवाँ बंदा उन तीनों की तरफ पीठ करके बैठा हुआ था और उसके पास सबसे ज्यादा भीड़ लगी हुई थी। जवान, कम उमर से लेकर मेच्योर उमर की हर ख़ातून (विमन) उस शख्स को घेरे हुई थीं। 

नग़मा आँखों के इशारे से सोफिया और लुबना को दिखाती है सामने का नजारा। 
बस एक पल के लिए वो शख्स अपना चेहरा घुमाकर देखता है। 

और लुबना के मुँह से एक खौफनाक चीख निकलती है– “जीश उउ भाईई…” वो इतने जोरों से चीखी थी कि पास में खड़े हुये हर इंसान पे खौफ तरी हो गया था। 

सोफिया और नग़मा बुरी तरह डर गई थी कि पता नहीं अचानक ये लुबना को हो क्या गया है? वो दोनों लुबना के चेहरे को देख रही थीं और लुबना सामने उस शख्स के चेहरे को। 

जब सोफिया और नग़मा-लुबना की आँखों का पीछा करती हुई अपनी गर्दन घुमाकर वहाँ देखती हैं, जहाँ लुबना देख रही थी तो मारे हैरत के उन दोनों के मुँह से भी बस यह निकलता है-

“जीशान भाई…” 

सामने बैठा वो पाँचवाँ शख्स और कोई नहीं बल्की अमन विला का एकलौता चश्मो चिराग और अमन ख़ान का बेटा जीशान ख़ान था जो अपने चारों दोस्तों के साथ सिर्फ़ और सिर्फ़ आज की रात ये मशहूर-ओ-मारूफ़ बिजनेस करने चाँदनी चौक में डेरा जमाए हुये था। 

नग़मा और सोफिया के चेहरे पे पहले खौफ और फिर हँसी के बादल छा गये थे। 

दोनों लड़कियाँ बुरी तरह हँसे जा रही थी उन्हें यकीन नहीं हो रहा था की जीशान ऐसा कोई काम भी कर सकता है। पर लुबना जीशान की सगी छोटी बहन… उसके दिल पे तो जैसे साँप रेंग रहे थे। वो आग का गोला हो चुकी थी, जिसे छूते ही कोई भी चीज बच ना पाए। 

लुबना की आँखों की चमक देखकर जीशान का दिल बुरी तरह धड़क रहा था। वो जानता था की अगर एक मर्तबा लुबना नाराज हो जाये तो उसे मनाना मतलब लोहे के चने चबाना। वो लुबना की तरफ बढ़ता है। पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लुबना पैर पटकती हुई अपनी कार की तरफ बढ़ जाती है, जहाँ रज़िया, अनुम और शीबा बैठी हुई थीं। 

जीशान लुबना का हाथ पकड़ लेता है-“अरे लुबु मेरी बात तो सुन… जरा देख कितनी प्यार चूड़ियाँ लाया हूँ तेरे लिए…” 

लुबना अपने हाथ में चूड़ियाँ लेकर फेंक देती है-“ये चूड़ियाँ उन तितलियों को पहनाओ जो तुम्हारे आस-पास मंडरा रही थीं। मुझे नहीं चाहिए छोड़ो मेरा हाथ…” 

जीशान-“इतना गुस्सा अच्छा नहीं बेबी…” 

लुबना उस वक्त किसी की बात नहीं सुनने वाली थी। वो जीशान की आँखों में देखती हुई कहती है-“छोड़ो मेरा हाथ वरना अच्छा नहीं होगा…” 

जीशान थोड़ा आगे बढ़ता है और लुबना की पेशानी से अपनी पेशानी टिका देता है और उसकी आँखों में देखने लगता है-“मेरी प्यार लुबु इधर देखो…” 

ना जाने क्या था उन आँखों में की उसकी तपिश लुबना बर्दाश्त नहीं कर पाती और जोर से अपना हाथ छुड़ा के वहाँ से चल देती है। 

सोफिया और नग़मा पीछे हल्के-हल्के कदम के साथ चल आ रही थी। 

जीशान फिर से लुबना के सामने आ जाता है-“अरे यार, बस भी करो लुबना… मैंने कहा ना, मैं अपनी मर्ज़ी से यहाँ नहीं आया था। वो मेरा दोस्त जावेद, मुझे जबरदस्ती मुझे साथ ले आया। 

लुबना इधर-उधर देखती है। उसे पास में एक पुलिस वाला खड़ा दिखाई देता है जो शायद काफी वक्त से इन दोनों की तरफ ही देख रहा था। 

लुबना उस पुलिस वाले को देखकर दिल में खुश हो जाती है और फिर जोर से चिल्लाती है-“बचाओऊ बचाओऊ…” 

डर के मारे जीशान फौरन लुबना का हाथ छोड़ देता है और उसे फटी-फटी नजरों से देखने लगता है-“अरे कमबख्त मारी चुप हो जा, क्या हुआ है तुझे?” 

लुबना की आवाज़ सुनकर वो पुलिस वाला दौड़ता हुआ उनके पास आ जाता है-
पुलिस-“क्या बात है मेडम कोई प्राब्लम है?” 

लुबना-“ये शख्स मुझे परेशान कर रहा है सर…” 

जीशान की पलकें झपकना बंद हो जाती हैं आँखों के सामने अंधेरा छा जाता है और मुँह खुला का खुला रह जाता है-“क्या?” 

पुलिसवाला जीशान का कलर पकड़ लेता है और उसे ऐसी नजरों से देखता है जैसे लुबना उस पुलिस वाले की बहन हो और जीशान कोई आवारा लोफर जो उसे छेड़ रहा था। 

जीशान पुलिस वाले को समझाता है-“देखिये सर, ये लड़की मेरी बहन है और ये मुझसे बदला लेने के लिए ये सब कह रही है। बोलो ना लुबना?” 

लुबना इधर-उधर देखते हुये-कौन लुबना? 

जीशान को दूसरा झटका लगता है। 

पुलिस वाला -“मैं अच्छी तरह जानता हूँ तुम जैसे रोड साइड रोमियो को। पहले लड़की को परेशान करते हो, उसके बाद कोई मामा दिख जाए तो उसे बहन बना लेते हो। चलो हवालात…” 

जीशान खुद को संभालता हुआ-“माइींड योर लैंग्वेज इनस्पेक्टर। डू यू नो हू आई एम?” 

इनस्पेक्टर-“ओह्ह… क्या बात है? इंग्लिश? तू चल मेरे साथ हवालात, तेरी सारी इंग्लिश विंग्लिश ऐसे बाहर निकाल दूँगा कि फिर कभी किसी लड़की की तरफ आँख उठाकर भी नहीं देखेगा…” 

जीशान लाख कोशिश करता है लुबना को समझाने की, पर लुबना के कानों पे तो जैसे जूँ तक नहीं रेंग रही थी। वो टस से मस नहीं हुई। और वो पुलिस वाला अपने दो और साथियों की मदद से जीशान को पास के पुलिस स्टेशन ले जाता है। 

सोफिया और नग़मा-लुबना के पास पहुँचती हैं और जब उन्हें पता चलता है कि इस बेवकूफ़ ने अपने गुस्से की वजह से जीशान को हवालात की सैर करवा दी तो वो फौरन अमन ख़ान को फोन करके सारा माजरा बताती हैं। 

अमन ख़ान की शिमला में काफी इज़्ज़त थी। अमन अपने दोस्त और उस इलाके के डी॰एस॰पी॰ को फोन करता है। तकरीबन 3 घंटे के बाद जीशान फटे कपड़ों के साथ पुलिस स्टेशन से बाहर निकलता है। अंदर उसकी कुछ पुलिस वालों के साथ हाथा-पाइ हो गई थी। वो तो शुकर रहा की अमन सही वक्त पे वहाँ पहुँच गया वरना फिर बात बिगड़ते देर ना लगती। 

अमन जीशान को कार में बैठने के लिए कहता है। दोनों बाप बेटे घर की तरफ रवाना हो जाते हैं। जबसे ये खबर घर की औरतों को पता चली थी उनकी बेचैनी का ठिकाना नहीं था। अनुम तो जैसे तड़प सी गई थी। उसने गुस्से में एक जोरदार थप्पड़ भी लुबना को रसीद कर दी थी। 
 
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