hotaks444
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जीशान उसे अपने ऊपर खींच लेता है और नग़मा जीशान के लण्ड पर अपनी चूत को चिपका लेती है। दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमते हुये जिस्म से जिस्म मसलते हुये मोहब्बत भर बातें करने लगते हैं।
तभी जीशान का सेल फोन बजता है। जीशान काल रिसीव करता है और हुम्म… हाँ करने के बाद काल डिसकनेक्ट कर देता है।
नग़मा-क्या हुआ? कौन था?
जीशान-अम्मी का काल था, मुझे शॉपिंग माल में बुलाया है, उनकी कार में कुछ प्राब्लम आ गई है।
नग़मा-अच्छा।
जीशान नग़मा को अपनी गोद में उठा लेता है-“अभी तुम आराम करो, रात में…”
नग़मा-“रात तक मुझसे अब सबर कैसे होगा?”
जीशान-“अह्ह… बड़ी बेसबर होती जा रही हो नग़मा इतने जल्दी ?”
नग़मा-भाई जान 20 साल से सबर ही करती आ रही हूँ , अब नहीं होता जल्दी आइएगा।
जीशान-“ओके…” वो नग़मा को चूमकर फ्रेश होने चला जाता है, और फ्रेश होकर शॉपिंग माल निकल जाता है।
शॉपिंग माल के बाहर सभी जीशान का ही इंतजार कर रहे थे। रज़िया ने कहा-बहुत देर लगा दी कहाँ थे?
जीशान-आँख लग गई थी मेरी ।
अनुम कार में बैठ जाती है और बाकी लोगों भी बैकसीट पर बैठ जाते हैं।
जीशान-क्या-क्या शॉपिंग हुई? बड़े जल्दी निपटारा हो गया, क्या बात है? कपड़े पसंद नहीं आए क्या?
लुबना-“और नहीं तो क्या? बड़े ही बोरिंग कलेक्सन रखते हैं ये लोग…”
जीशान-“ तू फिकर मत कर लुब , हम मुंबई से शॉपिंग कर लेंगे…”
लुबना-सच्ची?
जीशान-“हुम्म…”
अनुम-अब चलें कि यहीं से मुंबई जाने का इरादा है?
जीशान अनुम को देखकर मुश्कुरा देता है और कार अमन विला की तरफ मोड़ देता है। घर पहुँचकर सभी अपने-अपने ड्रेस पहनकर देखने लगते हैं, मगर सोफिया सीधा नग़मा के रूम में चली जाती है और जब वो नग़मा को देखती है तो उसका शक यकीन में बदल जाता है।
नग़मा एकदम गुलाब की कल केी तरह खिली हुई नजर आ रही थी। फ्रेश होने के बाद उसने पिंक कलर की ड्रेस पहनी थी और उसके चेहरे पर हँसी टिक नहीं रही थी ।
नग़मा-ऐसे क्या देख रह हो आपी?
सोफिया उसके करीब आते हुये-क्या बात है बड़ी चहक रह हो?
नग़मा-हाँ बात तो है।
सोफिया-क्या बात है?
नग़मा कुछ नहीं बोलती बस हँसती हुई किचेन में घुस जाती है। सोफिया का शक और पुख़्ता होता जाता है। वो उसके पीछे जाने लगती है। मगर उसके सामने जीशान आ जाता है और सोफिया का हाथ पकड़कर बेड पर बैठ जाता है।
जीशान-क्या हुआ, इतनी परेशान क्यों लग रह हो?
सोफिया क्या किया तुमने नग़मा के साथ?
जीशान-क्या?
सोफिया-क्या किया तुमने नग़मा के साथ?
जीशान-कुछ नहीं ।
सोफिया-मेरी कसम खाकर बोलो जीशान।
जीशान-वही जो बहुत पहले कर लेना चाहिए था।
सोफिया खड़ी हो जाती है।
जीशान-क्या हुआ, तुम इतना ओवर-रिएक्ट क्यों कर रह हो?
सोफिया-“कुछ नहीं …” और वो बाहर जाने लगती है।
मगर जीशान उसका हाथ पकड़कर उसे वापस अपने पास बैठा देता है-“इधर देखो मेरी तरफ…”
सोफिया जब जीशान की तरफ देखती है तो जीशान को उसकी आँखों में आँसू नजर आते हैं।
जीशान-“अरे पागल कहीं की? क्या हुआ, क्यों रो रही हो? इसलिए कि मैं नग़मा के साथ था?”
सोफिया-“हाँ। इसीलिए मुझे ये बिल्कुल भी पसंद नहीं है कि तुम किसी के भी साथ कहीं भी शुरू हो जाओ?”
जीशान-“अच्छा जी तो ये बात है? मतलब मेडम को जलन हो रही है? और शादी के बाद तुम जो खालिद के साथ करोगी उसका क्या? देखो आपी, मुझे रिश्तों में बाँधकर मत रखो। मैं आजाद पक्षी की तरह हूँ , आज इस डाल पर तो कल उस डाल पर…”
सोफिया-“तो क्या तुम मुझसे मोहब्बत नहीं करते?”
जीशान-“करता हूँ , मगर वैसे नहीं कि मैं तुम्हारे लिए दुनियाँ छोड़ दूं। हमें एक दूसरे की ज़रूरत है। मैं तुम्हारा भाई हूँ , शौहर नहीं । मैं तुम्हारे भले के लिए हर मुमकिन चीज करूँगा, मगर मोहब्बत नहीं । वो मैं सिर्फ़ एक इंसान से करता हूँ और हैरत की बात तो ये है कि वो शख्स मुझसे उतनी ही ज्यादा नफरत भी करता है…”
सोफिया-तुम ये कैसी बातें कर रहे हो जीशान ?
तभी जीशान का सेल फोन बजता है। जीशान काल रिसीव करता है और हुम्म… हाँ करने के बाद काल डिसकनेक्ट कर देता है।
नग़मा-क्या हुआ? कौन था?
जीशान-अम्मी का काल था, मुझे शॉपिंग माल में बुलाया है, उनकी कार में कुछ प्राब्लम आ गई है।
नग़मा-अच्छा।
जीशान नग़मा को अपनी गोद में उठा लेता है-“अभी तुम आराम करो, रात में…”
नग़मा-“रात तक मुझसे अब सबर कैसे होगा?”
जीशान-“अह्ह… बड़ी बेसबर होती जा रही हो नग़मा इतने जल्दी ?”
नग़मा-भाई जान 20 साल से सबर ही करती आ रही हूँ , अब नहीं होता जल्दी आइएगा।
जीशान-“ओके…” वो नग़मा को चूमकर फ्रेश होने चला जाता है, और फ्रेश होकर शॉपिंग माल निकल जाता है।
शॉपिंग माल के बाहर सभी जीशान का ही इंतजार कर रहे थे। रज़िया ने कहा-बहुत देर लगा दी कहाँ थे?
जीशान-आँख लग गई थी मेरी ।
अनुम कार में बैठ जाती है और बाकी लोगों भी बैकसीट पर बैठ जाते हैं।
जीशान-क्या-क्या शॉपिंग हुई? बड़े जल्दी निपटारा हो गया, क्या बात है? कपड़े पसंद नहीं आए क्या?
लुबना-“और नहीं तो क्या? बड़े ही बोरिंग कलेक्सन रखते हैं ये लोग…”
जीशान-“ तू फिकर मत कर लुब , हम मुंबई से शॉपिंग कर लेंगे…”
लुबना-सच्ची?
जीशान-“हुम्म…”
अनुम-अब चलें कि यहीं से मुंबई जाने का इरादा है?
जीशान अनुम को देखकर मुश्कुरा देता है और कार अमन विला की तरफ मोड़ देता है। घर पहुँचकर सभी अपने-अपने ड्रेस पहनकर देखने लगते हैं, मगर सोफिया सीधा नग़मा के रूम में चली जाती है और जब वो नग़मा को देखती है तो उसका शक यकीन में बदल जाता है।
नग़मा एकदम गुलाब की कल केी तरह खिली हुई नजर आ रही थी। फ्रेश होने के बाद उसने पिंक कलर की ड्रेस पहनी थी और उसके चेहरे पर हँसी टिक नहीं रही थी ।
नग़मा-ऐसे क्या देख रह हो आपी?
सोफिया उसके करीब आते हुये-क्या बात है बड़ी चहक रह हो?
नग़मा-हाँ बात तो है।
सोफिया-क्या बात है?
नग़मा कुछ नहीं बोलती बस हँसती हुई किचेन में घुस जाती है। सोफिया का शक और पुख़्ता होता जाता है। वो उसके पीछे जाने लगती है। मगर उसके सामने जीशान आ जाता है और सोफिया का हाथ पकड़कर बेड पर बैठ जाता है।
जीशान-क्या हुआ, इतनी परेशान क्यों लग रह हो?
सोफिया क्या किया तुमने नग़मा के साथ?
जीशान-क्या?
सोफिया-क्या किया तुमने नग़मा के साथ?
जीशान-कुछ नहीं ।
सोफिया-मेरी कसम खाकर बोलो जीशान।
जीशान-वही जो बहुत पहले कर लेना चाहिए था।
सोफिया खड़ी हो जाती है।
जीशान-क्या हुआ, तुम इतना ओवर-रिएक्ट क्यों कर रह हो?
सोफिया-“कुछ नहीं …” और वो बाहर जाने लगती है।
मगर जीशान उसका हाथ पकड़कर उसे वापस अपने पास बैठा देता है-“इधर देखो मेरी तरफ…”
सोफिया जब जीशान की तरफ देखती है तो जीशान को उसकी आँखों में आँसू नजर आते हैं।
जीशान-“अरे पागल कहीं की? क्या हुआ, क्यों रो रही हो? इसलिए कि मैं नग़मा के साथ था?”
सोफिया-“हाँ। इसीलिए मुझे ये बिल्कुल भी पसंद नहीं है कि तुम किसी के भी साथ कहीं भी शुरू हो जाओ?”
जीशान-“अच्छा जी तो ये बात है? मतलब मेडम को जलन हो रही है? और शादी के बाद तुम जो खालिद के साथ करोगी उसका क्या? देखो आपी, मुझे रिश्तों में बाँधकर मत रखो। मैं आजाद पक्षी की तरह हूँ , आज इस डाल पर तो कल उस डाल पर…”
सोफिया-“तो क्या तुम मुझसे मोहब्बत नहीं करते?”
जीशान-“करता हूँ , मगर वैसे नहीं कि मैं तुम्हारे लिए दुनियाँ छोड़ दूं। हमें एक दूसरे की ज़रूरत है। मैं तुम्हारा भाई हूँ , शौहर नहीं । मैं तुम्हारे भले के लिए हर मुमकिन चीज करूँगा, मगर मोहब्बत नहीं । वो मैं सिर्फ़ एक इंसान से करता हूँ और हैरत की बात तो ये है कि वो शख्स मुझसे उतनी ही ज्यादा नफरत भी करता है…”
सोफिया-तुम ये कैसी बातें कर रहे हो जीशान ?