desiaks
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दोस्तो, उस सर्दी की शाम में भी हम दोनों इस तूफानी चुदाई से पसीने से तरबतर थे। उसका मुझे पता नहीं, लेकिन मुझे चुदते वक़्त किसी और चीज़ की होश नहीं थी, शायद इसे ही जन्नत कहते हैं।
खैर मुझे चोदते चोदते एकदम ढिल्लों रुका और चलता हुआ वाइब्रेटर एकदम मेरी गांड से बाहर खींच लिया। जब उसने ऐसा किया तो मेरी गांड का मुंह हैरानी से खुला का खुला ही रह गया और लगभग 15-20 सेकंड तक खुला रहा।मैंने फौरन ही बिलबिला कर ढिल्लों से कहा- डाले रखो इसे प्लीज, अच्छा लग रहा था बहुत!लेकिन ढिल्लों ने कोई जवाब न दिया और झट से अपना लौड़ा मेरी फुद्दी में डाल कर फिर उसी गति से चुदाई करने लगा।
मुझे मज़ा तो अब भी आ रहा था लेकिन कुछ कुछ कमी सी लग रही थी। मैं ढिल्लों की इस चाल को समझ गई थी। उसने पिछले दो घंटों ने लगातार वाइब्रेटर मेरी गांड में रख कर और उसी तरह उसे बगैर बाहर निकाले मुझे चोद कर मुझे एक और हवस भरी आदत लगा दी थी। क्योंकि मुझे अब पहले जैसा ही स्वाद चाहिए था, इसीलिए मैंने ढिल्लों से उसकी मन की बात कह ही दी जो वो मेरे मुंह से सुनना चाहता था- ढिल्लों, किसी तरह काले को भी तैयार कर।
ढिल्लों यह सुनकर बहुत खुश हुआ और धीरे धीरे मुझे चोदते हुए कहने लगा- बस यही मुराद थी मेरी कि तेरे जैसी घोड़ी पर दो-दो सांड चढ़ें, मैंने ये तजुर्बा और औरतों पर भी किया है लेकिन तू पहली और जो मानी है, देखना रूपिन्द्र … अब तुझे वो जन्नतें दिखाऊंगा कि याद रखेगी। लेकिन इसी तरह मोर्चे पे डटी रहना, चीखें तो निकलेंगी तेरी, साले का मेरे से भी बड़ा है।
यह सुनकर मेरे होश उड़ गए। मैं सोच रही थी कि मैंने हवस और दारू के नशे में ये बात कहकर कहीं गलती तो नहीं कर ली थी। लेकिन अब तीर कमान से निकल चुका था। ये सोचकर मैंने दूर की न सोचते हुए ढिल्लों के नीचे से पूरा जोर लगा कर हिली और वाइब्रेटर जो पास ही पड़ा हुआ था, उठाकर जलदी से जैसे तैसे अपनी गांड में ठूंस लिया।
ढिल्लों ने यह देखकर उसका स्विच फिर चालू कर दिया और उसी तरह तेज़ी से चोदने लगा मुझे। अगली 15-20 मिनट की जबरदस्त चुदाई में मैं दो बार झड़ गयी थी और दोस्तो … झड़ती तो आपको पता ही है कि मैं कैसे हूँ। दोनों बार जबरदस्त पानी निकला था और मैं बुरी तरह काँपी भी। कोई और आवाज़ें नहीं, अब मेरे मुंह से बहुत ऊंची ‘हूम्म… हूँ … हम्म … हूँ …’ ही निकल रहा था।
अगले पांच मिनट के बाद एक बार फिर मुझे झड़ने के लिए तैयार होते देख ढिल्लों ने बहुत तेज़ चुदाई शुरू कर दी और इस बार हम दोनों ऊंची ऊंची ‘हो … हह … हो …’ करते हुए झड़े। सारा माल एक बार ढिल्लों ने मेरी गहरी फुद्दी में इतना अंदर तक भर दिया कि एक बून्द भी बाहर नहीं निकली।यह कमाल की बात थी क्योंकि अब तक मैं जितने भी 13-14 मर्दों से चुदी हूँ, सभी का लगभग सारा वीरज बाहर आ जाता था लेकिन ढिल्लों के बारे में मजाल कि एक तुपका^^ भी बाहर आ जाए।खैर एक और लबालब चुदाई के बाद अब मुझमें ऊपर चढ़ने की हिम्मत नहीं थी और दूसरा वाइब्रेटर भी ढिल्लों ने बाहर नहीं निकालने दिया था। ढिल्लों ने मेरी हालत देख कर मुझे एक लोई में लपेटा और और अपने कन्धे पर उठा कर मुझे गाड़ी में लाकर बैठा दिया। अपने लहँगा चोली मैंने चलती गाड़ी में ही पहने और अपना बैग उठा कर अपना मेकअप भी कर लिया।
जंगल में सेक्स की कहानी आपको कैसी लगी?
कहानी जारी रहेगी
खैर मुझे चोदते चोदते एकदम ढिल्लों रुका और चलता हुआ वाइब्रेटर एकदम मेरी गांड से बाहर खींच लिया। जब उसने ऐसा किया तो मेरी गांड का मुंह हैरानी से खुला का खुला ही रह गया और लगभग 15-20 सेकंड तक खुला रहा।मैंने फौरन ही बिलबिला कर ढिल्लों से कहा- डाले रखो इसे प्लीज, अच्छा लग रहा था बहुत!लेकिन ढिल्लों ने कोई जवाब न दिया और झट से अपना लौड़ा मेरी फुद्दी में डाल कर फिर उसी गति से चुदाई करने लगा।
मुझे मज़ा तो अब भी आ रहा था लेकिन कुछ कुछ कमी सी लग रही थी। मैं ढिल्लों की इस चाल को समझ गई थी। उसने पिछले दो घंटों ने लगातार वाइब्रेटर मेरी गांड में रख कर और उसी तरह उसे बगैर बाहर निकाले मुझे चोद कर मुझे एक और हवस भरी आदत लगा दी थी। क्योंकि मुझे अब पहले जैसा ही स्वाद चाहिए था, इसीलिए मैंने ढिल्लों से उसकी मन की बात कह ही दी जो वो मेरे मुंह से सुनना चाहता था- ढिल्लों, किसी तरह काले को भी तैयार कर।
ढिल्लों यह सुनकर बहुत खुश हुआ और धीरे धीरे मुझे चोदते हुए कहने लगा- बस यही मुराद थी मेरी कि तेरे जैसी घोड़ी पर दो-दो सांड चढ़ें, मैंने ये तजुर्बा और औरतों पर भी किया है लेकिन तू पहली और जो मानी है, देखना रूपिन्द्र … अब तुझे वो जन्नतें दिखाऊंगा कि याद रखेगी। लेकिन इसी तरह मोर्चे पे डटी रहना, चीखें तो निकलेंगी तेरी, साले का मेरे से भी बड़ा है।
यह सुनकर मेरे होश उड़ गए। मैं सोच रही थी कि मैंने हवस और दारू के नशे में ये बात कहकर कहीं गलती तो नहीं कर ली थी। लेकिन अब तीर कमान से निकल चुका था। ये सोचकर मैंने दूर की न सोचते हुए ढिल्लों के नीचे से पूरा जोर लगा कर हिली और वाइब्रेटर जो पास ही पड़ा हुआ था, उठाकर जलदी से जैसे तैसे अपनी गांड में ठूंस लिया।
ढिल्लों ने यह देखकर उसका स्विच फिर चालू कर दिया और उसी तरह तेज़ी से चोदने लगा मुझे। अगली 15-20 मिनट की जबरदस्त चुदाई में मैं दो बार झड़ गयी थी और दोस्तो … झड़ती तो आपको पता ही है कि मैं कैसे हूँ। दोनों बार जबरदस्त पानी निकला था और मैं बुरी तरह काँपी भी। कोई और आवाज़ें नहीं, अब मेरे मुंह से बहुत ऊंची ‘हूम्म… हूँ … हम्म … हूँ …’ ही निकल रहा था।
अगले पांच मिनट के बाद एक बार फिर मुझे झड़ने के लिए तैयार होते देख ढिल्लों ने बहुत तेज़ चुदाई शुरू कर दी और इस बार हम दोनों ऊंची ऊंची ‘हो … हह … हो …’ करते हुए झड़े। सारा माल एक बार ढिल्लों ने मेरी गहरी फुद्दी में इतना अंदर तक भर दिया कि एक बून्द भी बाहर नहीं निकली।यह कमाल की बात थी क्योंकि अब तक मैं जितने भी 13-14 मर्दों से चुदी हूँ, सभी का लगभग सारा वीरज बाहर आ जाता था लेकिन ढिल्लों के बारे में मजाल कि एक तुपका^^ भी बाहर आ जाए।खैर एक और लबालब चुदाई के बाद अब मुझमें ऊपर चढ़ने की हिम्मत नहीं थी और दूसरा वाइब्रेटर भी ढिल्लों ने बाहर नहीं निकालने दिया था। ढिल्लों ने मेरी हालत देख कर मुझे एक लोई में लपेटा और और अपने कन्धे पर उठा कर मुझे गाड़ी में लाकर बैठा दिया। अपने लहँगा चोली मैंने चलती गाड़ी में ही पहने और अपना बैग उठा कर अपना मेकअप भी कर लिया।
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