hotaks444
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उड़ते उड़ते अचानक से ही रोहित के सामने से एक लड़की चीखती हुई नीचे गिरी. रोहित को पता नही क्या सूझी, उसने भी डाइव मार दी. उसकी स्विम्मिंग की ट्रैनिंग थोड़ी बहुत काम आ रही थी. थोड़ी ही देर में उसने उस लड़की को पक्कड़ लिया. वो लड़की बहुत डरी हुई थी और थोड़ी ही देर में बेहोश हो गयी. रोहित को लगा कि उसको ज़्यादा देर संभालना थोड़ा मुश्किल होगा और वो किसी तरह से हाथ पैर मारता हुआ नीचे आने की कोशिश करने लगा.
उधर प्लेन में बिट्टू की भी हालत खराब हो रही थी. इतना धुआँ हो गया था अंदर के उसको आगे का द्वार, मध्य द्वार वगेरह कुछ याद नही आ रहा था कि कहाँ है. रह रह के हरिद्वार दिमाग़ में आता था... उसको यकीन था कि उसने अपने पाप धो लिए हैं और आज नही मरेगा. तभी एक ज़ोर से धमाका हुआ और बिट्टू मियाँ भी प्लेन के बाहर हो गये. अब उसको अपनी मौत बहुत करीब से दिख रही थी और दुख हो रहा था कि उसने वो आलू के पराठे नही खाए मरने से पहले. अब बस उसने आँखें बंद कर ली और अपने भगवान को याद करने लगा.
तान्या को भी समझ नही आ रहा था कि क्या करे.. उसे डर था कि उसका पैसों से भरा बॅग ना गिर जाए या खुल जाए, उसको यकीन नही था कि वो बच जाएगी, लेकिन अगर बचती है तो उसको अपने साथ वो बॅग ज़रूरी चाहिए था. इतना पैसा वो ऐसे नही छोड़ सकती थी. नीचे गिरते हुए उसने देखा कि उसके साथ बैठा इरिटेटिंग लड़का भी कलाबाज़ियाँ खाते हुए नीचे गिर रहा है. नीचे थोड़ी सी दूर एक नदी बह रही थी. तान्या ने सोच लिया कि यह बाग उस लड़के को पकड़ा के, वो अपनी सारी पवर्स से उस नदी की तरफ होने की कोशिश करेगी. उसने अपनी दिमागी शक्ति से बिट्टू को अपने पास खीचा और उस से चिपट गयी.
"भगवान तुमने मेरी सुन ली. बचा लिया मुझे" बिट्टू ने आँखें बंद में ही मॅन ही मॅन बोला
"अबे सुन. कोई भगवान नही है यह. यह बॅग पक्कड़. और चुप चाप मुझ से लिपटा रह"
"अर्रे खिड़की वाली मेडम आप... आप मेरे मॅन की आवाज़ कैसे सुन रही है.. कहीं आप ही भगवान तो नहीं"
'शट अप और जैसा मैं कहती हूँ वैसा ही कर" कहकर उसने वो बॅग उसके हाथों में थमा दिया. बिट्टू बॅग पकड़ के पूरी तरह से उस लड़की से चिपट गया. पता नहीं क्यूँ, इस हालत में भी उसका एरेक्षन हो गया. ज़िंदगी तो पता नही अब मिलेगी या नहीं, जो पल हैं, उसी में खुश रहो सोच के वो उस लड़की की मदहोश ज़ुल्फो में खो गया.
तान्या कितनी भी कोशिश कर ले, अपनी डाइरेक्षन चेंज नही कर पा रही थी. उपर से बिट्टू की गरम साँसें उसका कॉन्सेंट्रेशन और बिगाड़ रही तही. तभी उसकी कॉन्सेंट्रेशन बिगड़ी और बिट्टू का भी हाथ फिसल गया. बिट्टू नीचे खिचने लगा तो उसने बॅग को और ज़ोर से पक्कड़ लिया. जब तान्या ने देखा कि बिट्टू गिर रहा है तो उसने भी एक तरफ से बॅग को पकड़ लिया. अब बिट्टू और तान्या सिर्फ़ उस बॅग के ज़रिए ही आपस में उलझे हुए थे.
"बॅग छोड़ दे. तू गिर रहा है"
"अर्रे गिरना तो है ही अगर बॅग छोड़ू या पकडू, तो फिर बॅग पक्कड़ के ही रखता हूँ, साथ में मरेंगे तो अगले जनम में भी हमारा बंधन बना रहेगा" वो तपाक से बोला
अब तान्या के पास कोई चारा नही था, उसको ना सिर्फ़ खुद को बचना था, पर अपने बॅग की भी ठीक तरह से रखवाली करनी थी. उपर से ज़मीन उसकी तरफ तेज़ी से आ रही थी. गिरने वाली जगह को उसने ध्यान से देखा तो पाया कि वहाँ पे बहुत मोटे मोटे पेड़ हैं. अगर तान्या अपनी पवर का इस्तेमाल करके एक पेड़ से चिपक जाती है, तो लड़का तो नीचे गिरके मरेगा, लेकिन वो अपना बॅग छोड़ सकती है. जब उसकी स्पीड ब्रेक हो जाए, तो वो अपना बॅग नीचे से उठा सकती है. उसको यह प्लान बहुत अच्छा लगा और वो अपनी सारी कॉन्सेंट्रेशन एक पेड़ पे लगाने लगी. चन्द ही पलों में पेड़ बहुत करीब आ गये थे. लेकिन इससे पहले कि तान्या बॅग को छोड़ती, बिट्टू ने बॅग छोड़ दिया और वो धम्म से पेड़ की शाखाओ में उलझ गया और टकराते हुए नीचे गिरा और थोड़ा सा ज़मीन में धँस गया. वहीं तान्या पेड़ से छिपकली की तरह चिपक गयी लेकिन ज़्यादा देर तक नही चिपकी रह सकी. वो बहुत वीक हो गयी थी और धम्म से नीचे गिरी. लेकिन तब तक उसकी सारी वेलोसिटी निल हो चुकी थी और उसको गिरने से ज़्यादा चोट नही लगी, लेकिन उसमें हिलने की हिम्मत नही थी.
दूसरी तरफ रोहित को ज़्यादा परेशानी नही हुई. उसने पहले ही डिसाइड कर लिया था कि वो पानी में ही गिरेगा ताकि लॅंडिंग सेफ रहे. उस लड़की को ज़ोर से पकड़ कर वो छप्पक से पानी में गिरा और काफ़ी अंदर तक चला गया. तभी दिया की भी बेहोशी टूटी और अपने चारों ओर पानी देख के वो घबरा गयी और साँस ले लिया. साँस लेते ही सारा पानी उसके अंदर चला गया. यह चीज़ रोहित ने देख ली थी. फॉर्चुनेट्ली वो लोग किनारे के काफ़ी करीब थे. रोहित ने जल्दी से दिया को पानी की सतह से उपर किया और उसे ले कर, स्विम करता हुआ किनारे पर आ गया. किनारे पर आ कर उसने जल्दी से दिया को थोड़ा माउत टू माउत दिया और उसकी छाती दबाई जिससे सारा पानी बाहर आ गया. दिया थोड़ा खाँसी और फिर करवट ले कर लेट गयी. रोहित भी बहुत ठक गया था और वो भी वहीं पर लेट गया. अब चारों लोग एक दूसरे के आसपास थे और पस्त हुए पड़े थे. कोई बेहोश था तो कोई सो रहा था. किसी का भी दिमाग़ अभी कुछ सोचने की हालत में नही था.
उधर प्लेन में बिट्टू की भी हालत खराब हो रही थी. इतना धुआँ हो गया था अंदर के उसको आगे का द्वार, मध्य द्वार वगेरह कुछ याद नही आ रहा था कि कहाँ है. रह रह के हरिद्वार दिमाग़ में आता था... उसको यकीन था कि उसने अपने पाप धो लिए हैं और आज नही मरेगा. तभी एक ज़ोर से धमाका हुआ और बिट्टू मियाँ भी प्लेन के बाहर हो गये. अब उसको अपनी मौत बहुत करीब से दिख रही थी और दुख हो रहा था कि उसने वो आलू के पराठे नही खाए मरने से पहले. अब बस उसने आँखें बंद कर ली और अपने भगवान को याद करने लगा.
तान्या को भी समझ नही आ रहा था कि क्या करे.. उसे डर था कि उसका पैसों से भरा बॅग ना गिर जाए या खुल जाए, उसको यकीन नही था कि वो बच जाएगी, लेकिन अगर बचती है तो उसको अपने साथ वो बॅग ज़रूरी चाहिए था. इतना पैसा वो ऐसे नही छोड़ सकती थी. नीचे गिरते हुए उसने देखा कि उसके साथ बैठा इरिटेटिंग लड़का भी कलाबाज़ियाँ खाते हुए नीचे गिर रहा है. नीचे थोड़ी सी दूर एक नदी बह रही थी. तान्या ने सोच लिया कि यह बाग उस लड़के को पकड़ा के, वो अपनी सारी पवर्स से उस नदी की तरफ होने की कोशिश करेगी. उसने अपनी दिमागी शक्ति से बिट्टू को अपने पास खीचा और उस से चिपट गयी.
"भगवान तुमने मेरी सुन ली. बचा लिया मुझे" बिट्टू ने आँखें बंद में ही मॅन ही मॅन बोला
"अबे सुन. कोई भगवान नही है यह. यह बॅग पक्कड़. और चुप चाप मुझ से लिपटा रह"
"अर्रे खिड़की वाली मेडम आप... आप मेरे मॅन की आवाज़ कैसे सुन रही है.. कहीं आप ही भगवान तो नहीं"
'शट अप और जैसा मैं कहती हूँ वैसा ही कर" कहकर उसने वो बॅग उसके हाथों में थमा दिया. बिट्टू बॅग पकड़ के पूरी तरह से उस लड़की से चिपट गया. पता नहीं क्यूँ, इस हालत में भी उसका एरेक्षन हो गया. ज़िंदगी तो पता नही अब मिलेगी या नहीं, जो पल हैं, उसी में खुश रहो सोच के वो उस लड़की की मदहोश ज़ुल्फो में खो गया.
तान्या कितनी भी कोशिश कर ले, अपनी डाइरेक्षन चेंज नही कर पा रही थी. उपर से बिट्टू की गरम साँसें उसका कॉन्सेंट्रेशन और बिगाड़ रही तही. तभी उसकी कॉन्सेंट्रेशन बिगड़ी और बिट्टू का भी हाथ फिसल गया. बिट्टू नीचे खिचने लगा तो उसने बॅग को और ज़ोर से पक्कड़ लिया. जब तान्या ने देखा कि बिट्टू गिर रहा है तो उसने भी एक तरफ से बॅग को पकड़ लिया. अब बिट्टू और तान्या सिर्फ़ उस बॅग के ज़रिए ही आपस में उलझे हुए थे.
"बॅग छोड़ दे. तू गिर रहा है"
"अर्रे गिरना तो है ही अगर बॅग छोड़ू या पकडू, तो फिर बॅग पक्कड़ के ही रखता हूँ, साथ में मरेंगे तो अगले जनम में भी हमारा बंधन बना रहेगा" वो तपाक से बोला
अब तान्या के पास कोई चारा नही था, उसको ना सिर्फ़ खुद को बचना था, पर अपने बॅग की भी ठीक तरह से रखवाली करनी थी. उपर से ज़मीन उसकी तरफ तेज़ी से आ रही थी. गिरने वाली जगह को उसने ध्यान से देखा तो पाया कि वहाँ पे बहुत मोटे मोटे पेड़ हैं. अगर तान्या अपनी पवर का इस्तेमाल करके एक पेड़ से चिपक जाती है, तो लड़का तो नीचे गिरके मरेगा, लेकिन वो अपना बॅग छोड़ सकती है. जब उसकी स्पीड ब्रेक हो जाए, तो वो अपना बॅग नीचे से उठा सकती है. उसको यह प्लान बहुत अच्छा लगा और वो अपनी सारी कॉन्सेंट्रेशन एक पेड़ पे लगाने लगी. चन्द ही पलों में पेड़ बहुत करीब आ गये थे. लेकिन इससे पहले कि तान्या बॅग को छोड़ती, बिट्टू ने बॅग छोड़ दिया और वो धम्म से पेड़ की शाखाओ में उलझ गया और टकराते हुए नीचे गिरा और थोड़ा सा ज़मीन में धँस गया. वहीं तान्या पेड़ से छिपकली की तरह चिपक गयी लेकिन ज़्यादा देर तक नही चिपकी रह सकी. वो बहुत वीक हो गयी थी और धम्म से नीचे गिरी. लेकिन तब तक उसकी सारी वेलोसिटी निल हो चुकी थी और उसको गिरने से ज़्यादा चोट नही लगी, लेकिन उसमें हिलने की हिम्मत नही थी.
दूसरी तरफ रोहित को ज़्यादा परेशानी नही हुई. उसने पहले ही डिसाइड कर लिया था कि वो पानी में ही गिरेगा ताकि लॅंडिंग सेफ रहे. उस लड़की को ज़ोर से पकड़ कर वो छप्पक से पानी में गिरा और काफ़ी अंदर तक चला गया. तभी दिया की भी बेहोशी टूटी और अपने चारों ओर पानी देख के वो घबरा गयी और साँस ले लिया. साँस लेते ही सारा पानी उसके अंदर चला गया. यह चीज़ रोहित ने देख ली थी. फॉर्चुनेट्ली वो लोग किनारे के काफ़ी करीब थे. रोहित ने जल्दी से दिया को पानी की सतह से उपर किया और उसे ले कर, स्विम करता हुआ किनारे पर आ गया. किनारे पर आ कर उसने जल्दी से दिया को थोड़ा माउत टू माउत दिया और उसकी छाती दबाई जिससे सारा पानी बाहर आ गया. दिया थोड़ा खाँसी और फिर करवट ले कर लेट गयी. रोहित भी बहुत ठक गया था और वो भी वहीं पर लेट गया. अब चारों लोग एक दूसरे के आसपास थे और पस्त हुए पड़े थे. कोई बेहोश था तो कोई सो रहा था. किसी का भी दिमाग़ अभी कुछ सोचने की हालत में नही था.