hotaks444
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"अर्रे रुक जा मेरी बॅनडिट क्वीन. बताता हूँ बताता हूँ.. गुस्से में तुम बहुत क्यूट लगती हो" उसका इतना कहना ही था कि दिया ने वो फोर्क उठा कर उसकी हथेली में घुसा दिया.." आआहह.. अबे ठीक हो जाता है लेकिन दर्द होता है" उसने दर्द से चीखते हुए कहा
"इससे पहले में यह दूसरा फोर्क तुम्हारी आँख में घुसा दूं, बता दो मुझे" दिया ने दूसरा फोर्क उठाते हुए कहा
"मुझे मम्मी दादी से मिलने का दिल कर रहा था बहुत दिनों से... उनकी कोई खबर नही है ... तुम्हें ठीक लगता है तो उनसे मिलने चल सकते हैं, नहीं तो कोई प्राब्लम नही है.. मैं यहीं पड़ा रहूँगा.. चल पड़ते एक बार तो ठीक था लेकिन मुझे पता है कि इसमें सिर्फ़ हमारी जान को ही नहीं, दुनिया को भी ख़तरा है.. इसलिए अगर तुम ना कह दो तो भी कोई प्राब्लम नही है" किसी तरह से बिट्टू ने एक ही साँस में सब कुछ बोल दिया.
उसकी शकल देख कर दिया की हसी नही रुकी और वो खिलखिला कर हँसने लगी. "बस इतनी सी बात थी बिट्टू.. तुमने पहले क्यूँ नही बताया..."
"तो हम जा सकते हैं मतलब.. मैं टिकेट्स करता हूँ" वो खुशी में उठने को हुआ
"ऐसा तो नहीं कहा मैने बिट्टू" हताश हो कर वो वापस चेयर में धँस गया. "लेकिन प्लान बुरा नही है. इसी बहाने मैं भी उन से मिल लूँगी. हो सके तो मेरे घरवालों से मिलने का भी प्लान बनाते हैं" थोड़ी एग्ज़ाइट्मेंट में दिया ने बोला
"हां हां ज़रूर.. मुझे नही लगता कि अब कोई जीव-वीव आने वाला है.. शायद वो डर के भाग गया पहली मुलाक़ात से ही."
"चलो मैं रणवीर को मैल भेजती हूँ अपने प्लॅन्स के बारे में.. शायद वो मेरे पेरेंट्स का अड्रेस भी बता दे..."
"रूको..." बिट्टू ने तेज़ी से कंप्यूटर की तरफ जाती हुई दिया को टोकते हुए कहा "रणवीर को क्यूँ बताना है? वो बुढ्ढा हमे इंडिया भी नही जाने देगा..."
"बिट्टू लेकिन वो ही तो है जो मुझे मम्मी पापा का पता बता सकते हैं."
"प्ल्ज़ दिया प्ल्ज़.. वैसे भी जहाँ हम जा रहे हैं, वहाँ पे इंटरनेट होगा. वहाँ से कर लेंगे रणवीर को ईमेल"
"ठीक है बिट्टू जैसा तुम समझो. लेकिन मुझे लगता है कि हमे यह बात रणवीर को बता देनी चाहिए.. कुछ प्राब्लम हो गयी तो..."
"अर्रे कोई प्रॉब्लम हो गयी तो देख लेंगे.. वो घंटा कुछ कर सकता है"
"अच्छा अच्छा ठीक है.. नही बता रही" बिट्टू को गुस्से में आते देख दिया ने फटाफट बोल दिया. पर उसने मन ही मन यह प्लान कर लिया था कि घर से निकलने से पहले वो रणवीर को मैल ज़रूर डाल देगी.
*-*
उसी समय तान्या के गुस्से की कोई सीमा नही थी. रणवीर ने उससे बिट्टू के घर का अड्रेस नही भेजा था. अड्रेस भेजना तो दूर, उसने उनकी एक भी मैल का रिप्लाइ भी नही किया था. तान्या के 2-3 मैल में समझाने के बावजूद के उसके सपने सच हो रहे हैं, रणवीर ने कोई रिप्लाइ नही दिया. उनके प्रति उसका ऐसा व्यवहार तान्या को अच्छा नही लग रहा था.
"क्या हुआ तान्या.. छोड़ो ना अब इस बात को.. नही तो नही.. शायद किस्मत में यही लिखा है"
"किस्मत में कुछ नही होता रोहित. मैं अपनी किस्मत खुद लिखने में विश्वास करती हूँ. और मैं इस बात की जड़ तक पहुँच के रहूंगी.. कोई ना कोई कारण तो है ना कि मुझे यह ही सपना आता है.. और भी तो दुनिया में लाखों लोग मरते हैं, उनका तो सपना नही आता... इसका ही क्यूँ.. क्यूंकी मैं इसको चेंज कर सकती हूँ.. और मैं चेंज कर के रहूंगी"
"जो करना है तुमने करो.. रणवीर ने मदद करी नही है.. कहाँ से लाओगी अब अड्रेस... सपने में ही आएगा क्या वो भी..."
"अर्रे सही आइडिया दिया... आज रात को मुझे वो स्टेशन और बिट्टू के कॉलेज के नाम की तरफ अच्छी तरह से ध्यान देना होगा... शायद कुछ बात बन जाए"
"तान्या तुम सच में थोड़ा सनकी जैसे बात कर रही हो..."
"कोई और यह कहे तो फिर भी ठीक लगता है रोहित.. लेकिन जब एक उड़ने वाला इंसान ऐसी बात कहे, तो हँसने का दिल करता है... अच्छा गुड नाइट.. कल सुबह मिलते हैं" कहते हुए तान्या अपने कमरे में चली गयी
"तान्या तुम्हें ऐसा क्यूँ लगता है कि दुनिया को बचाने का ठेका सिर्फ़ तुमने ही लिया हुआ है. क्यूँ हर किसी के काम में अपनी टाँग अड़ाती हो"
"रोहित तुम बात को समझते क्यूँ नही"
"क्या है समझने लायक इस बात में.. बस एक ख्वाब के ज़रिए तुम किसी के घर पहुँच के क्या बोलोगि उनको?? तुम समझने की कोशिश करो. वो सिर्फ़ एक सपना था. सिर्फ़ एक सपना"
"रोहित अगर वो सिर्फ़ सपना होता तो मुझे कैसे पता चलता कि उस नाम का कॉलेज उस शहर में है ..."
"तान्या हो सकता है तुमने वो कॉलेज का नाम कहीं पे पढ़ा हो. इसलिए वो तुम्हारे सपने में आया" रोहित ने सपने शब्द पर ज़्यादा स्ट्रेस देते हुए कहा. "और तुम साबित क्या करना चाहती हो?? तुम अब फ्यूचर देख सकती हो?? सिर्फ़ शराब के नशे में तुमने एक आदमी का आक्सिडेंट होते देख लिया और उस हालत में सोच लिया कि तुमने यह हादसा होते हुए सपने में पहले भी देखा है, तो यह शराब का असर है - किसी पवर का नही" आपा खोते हुए रोहित तान्या पर बरस पड़ा. उसका सच में तान्या की इन बातों से बहुत दिमाग़ खराब हो रहा था.
"रोहित एक बार सोच के देखो.. क्या जाएगा हमारा अगर एक बार चेक कर लिया हम ने तो.. कोई नुकसान तो नही होगा ना. मुझे यकीन है कि हम एक अनहोनी को टाल सकते हैं.. तुम्हारे पर्स्पेक्टिव से भी सोचा जाए तो अगर 1% भी चान्स है किसी को बचाने का तो क्यूँ ना लिया जाए वो?" तान्या ने ऐसा कहा तो रोहित सोच में पड़ गया. सच में नुकसान तो नही था कोई चेक करने में. "वैसे भी मैने 2 टिकेट बुक कर लिए हैं. 4 घंटे बाद की फ्लाइट है. जल्दी से थोड़ी पॅकिंग कर लो. थोड़ी देर में हमे निकलना है"
"ठीक है तान्या. चलते है हम. पर यह आख़िरी बार होगा जब तुम्हारे किसी सपने की वजह से मैं अपनी ज़िंदगी में खलल डाल रहा हूँ. ध्यान रखना इस बात का"
"ओह्ह थॅंक यू रोहित" कहते हुए तान्या उससे लिपट गयी " आइ प्रॉमिस आज के बाद कभी ऐसी किसी बात के लिए तंग नही करूँगी"
थोड़े समय बाद दोनो तय्यार थे. उनके हाथ में एक एक ओवरनाइट बॅग था. उनका प्लान वहाँ ज़्यादा दिन रुकने का नही था. प्लान बस इतना था कि एक बार बिट्टू के घर जाएँगे. वहाँ उसके पेरेंट्स से थोड़ा टाइम बात करेंगे और वापस निकल लेंगे. अगर रात ज़्यादा हो गयी होगी तो वहीं किसी होटेल में रुक के, नेक्स्ट डे की फ्लाइट पक्कड़ लेंगे.
"आइ रियली कॅंट बिलीव आइ म डूयिंग दिस तान्या"
"अब रोना बंद करो रोहित. दो दिन काम पे नही जाओगे तो कोई पहाड़ नही टूट पड़ेगा" टॅक्सी में बैठ ते हुए तान्या ने रोहित से कहा.
"बात काम की नही है तान्या. बात है पागलपन की. बिना किसी कारण के हमे ऐसे ही इतने पैसे बर्बाद कर के एक अंजान जगह पर जाना पड़ रहा है"
"तुम्हें पैसों की क्यूँ चिंता है रोहित.. टिकेट्स तो मैने अपने पैसों से लिए हैं... पैसों की चिंता मुझे करने दो"
"हां हां.. तुम ही करो पैसों की चिंता. ख़तम हो गये तो एक और डाका डाल लेना. मुझे क्या पड़ी है" रोहित ने दूसरी तरफ मूह घुमा कर कहा
"रोहित प्लीज़ डोंट स्टार्ट अगेन. इस टॉपिक को यहीं छोड़ दो" अभी तान्या के मूह से यह शब्द निकले ही थे कि एक ट्रक आ कर टॅक्सी से भिड़ गया.
"इससे पहले में यह दूसरा फोर्क तुम्हारी आँख में घुसा दूं, बता दो मुझे" दिया ने दूसरा फोर्क उठाते हुए कहा
"मुझे मम्मी दादी से मिलने का दिल कर रहा था बहुत दिनों से... उनकी कोई खबर नही है ... तुम्हें ठीक लगता है तो उनसे मिलने चल सकते हैं, नहीं तो कोई प्राब्लम नही है.. मैं यहीं पड़ा रहूँगा.. चल पड़ते एक बार तो ठीक था लेकिन मुझे पता है कि इसमें सिर्फ़ हमारी जान को ही नहीं, दुनिया को भी ख़तरा है.. इसलिए अगर तुम ना कह दो तो भी कोई प्राब्लम नही है" किसी तरह से बिट्टू ने एक ही साँस में सब कुछ बोल दिया.
उसकी शकल देख कर दिया की हसी नही रुकी और वो खिलखिला कर हँसने लगी. "बस इतनी सी बात थी बिट्टू.. तुमने पहले क्यूँ नही बताया..."
"तो हम जा सकते हैं मतलब.. मैं टिकेट्स करता हूँ" वो खुशी में उठने को हुआ
"ऐसा तो नहीं कहा मैने बिट्टू" हताश हो कर वो वापस चेयर में धँस गया. "लेकिन प्लान बुरा नही है. इसी बहाने मैं भी उन से मिल लूँगी. हो सके तो मेरे घरवालों से मिलने का भी प्लान बनाते हैं" थोड़ी एग्ज़ाइट्मेंट में दिया ने बोला
"हां हां ज़रूर.. मुझे नही लगता कि अब कोई जीव-वीव आने वाला है.. शायद वो डर के भाग गया पहली मुलाक़ात से ही."
"चलो मैं रणवीर को मैल भेजती हूँ अपने प्लॅन्स के बारे में.. शायद वो मेरे पेरेंट्स का अड्रेस भी बता दे..."
"रूको..." बिट्टू ने तेज़ी से कंप्यूटर की तरफ जाती हुई दिया को टोकते हुए कहा "रणवीर को क्यूँ बताना है? वो बुढ्ढा हमे इंडिया भी नही जाने देगा..."
"बिट्टू लेकिन वो ही तो है जो मुझे मम्मी पापा का पता बता सकते हैं."
"प्ल्ज़ दिया प्ल्ज़.. वैसे भी जहाँ हम जा रहे हैं, वहाँ पे इंटरनेट होगा. वहाँ से कर लेंगे रणवीर को ईमेल"
"ठीक है बिट्टू जैसा तुम समझो. लेकिन मुझे लगता है कि हमे यह बात रणवीर को बता देनी चाहिए.. कुछ प्राब्लम हो गयी तो..."
"अर्रे कोई प्रॉब्लम हो गयी तो देख लेंगे.. वो घंटा कुछ कर सकता है"
"अच्छा अच्छा ठीक है.. नही बता रही" बिट्टू को गुस्से में आते देख दिया ने फटाफट बोल दिया. पर उसने मन ही मन यह प्लान कर लिया था कि घर से निकलने से पहले वो रणवीर को मैल ज़रूर डाल देगी.
*-*
उसी समय तान्या के गुस्से की कोई सीमा नही थी. रणवीर ने उससे बिट्टू के घर का अड्रेस नही भेजा था. अड्रेस भेजना तो दूर, उसने उनकी एक भी मैल का रिप्लाइ भी नही किया था. तान्या के 2-3 मैल में समझाने के बावजूद के उसके सपने सच हो रहे हैं, रणवीर ने कोई रिप्लाइ नही दिया. उनके प्रति उसका ऐसा व्यवहार तान्या को अच्छा नही लग रहा था.
"क्या हुआ तान्या.. छोड़ो ना अब इस बात को.. नही तो नही.. शायद किस्मत में यही लिखा है"
"किस्मत में कुछ नही होता रोहित. मैं अपनी किस्मत खुद लिखने में विश्वास करती हूँ. और मैं इस बात की जड़ तक पहुँच के रहूंगी.. कोई ना कोई कारण तो है ना कि मुझे यह ही सपना आता है.. और भी तो दुनिया में लाखों लोग मरते हैं, उनका तो सपना नही आता... इसका ही क्यूँ.. क्यूंकी मैं इसको चेंज कर सकती हूँ.. और मैं चेंज कर के रहूंगी"
"जो करना है तुमने करो.. रणवीर ने मदद करी नही है.. कहाँ से लाओगी अब अड्रेस... सपने में ही आएगा क्या वो भी..."
"अर्रे सही आइडिया दिया... आज रात को मुझे वो स्टेशन और बिट्टू के कॉलेज के नाम की तरफ अच्छी तरह से ध्यान देना होगा... शायद कुछ बात बन जाए"
"तान्या तुम सच में थोड़ा सनकी जैसे बात कर रही हो..."
"कोई और यह कहे तो फिर भी ठीक लगता है रोहित.. लेकिन जब एक उड़ने वाला इंसान ऐसी बात कहे, तो हँसने का दिल करता है... अच्छा गुड नाइट.. कल सुबह मिलते हैं" कहते हुए तान्या अपने कमरे में चली गयी
"तान्या तुम्हें ऐसा क्यूँ लगता है कि दुनिया को बचाने का ठेका सिर्फ़ तुमने ही लिया हुआ है. क्यूँ हर किसी के काम में अपनी टाँग अड़ाती हो"
"रोहित तुम बात को समझते क्यूँ नही"
"क्या है समझने लायक इस बात में.. बस एक ख्वाब के ज़रिए तुम किसी के घर पहुँच के क्या बोलोगि उनको?? तुम समझने की कोशिश करो. वो सिर्फ़ एक सपना था. सिर्फ़ एक सपना"
"रोहित अगर वो सिर्फ़ सपना होता तो मुझे कैसे पता चलता कि उस नाम का कॉलेज उस शहर में है ..."
"तान्या हो सकता है तुमने वो कॉलेज का नाम कहीं पे पढ़ा हो. इसलिए वो तुम्हारे सपने में आया" रोहित ने सपने शब्द पर ज़्यादा स्ट्रेस देते हुए कहा. "और तुम साबित क्या करना चाहती हो?? तुम अब फ्यूचर देख सकती हो?? सिर्फ़ शराब के नशे में तुमने एक आदमी का आक्सिडेंट होते देख लिया और उस हालत में सोच लिया कि तुमने यह हादसा होते हुए सपने में पहले भी देखा है, तो यह शराब का असर है - किसी पवर का नही" आपा खोते हुए रोहित तान्या पर बरस पड़ा. उसका सच में तान्या की इन बातों से बहुत दिमाग़ खराब हो रहा था.
"रोहित एक बार सोच के देखो.. क्या जाएगा हमारा अगर एक बार चेक कर लिया हम ने तो.. कोई नुकसान तो नही होगा ना. मुझे यकीन है कि हम एक अनहोनी को टाल सकते हैं.. तुम्हारे पर्स्पेक्टिव से भी सोचा जाए तो अगर 1% भी चान्स है किसी को बचाने का तो क्यूँ ना लिया जाए वो?" तान्या ने ऐसा कहा तो रोहित सोच में पड़ गया. सच में नुकसान तो नही था कोई चेक करने में. "वैसे भी मैने 2 टिकेट बुक कर लिए हैं. 4 घंटे बाद की फ्लाइट है. जल्दी से थोड़ी पॅकिंग कर लो. थोड़ी देर में हमे निकलना है"
"ठीक है तान्या. चलते है हम. पर यह आख़िरी बार होगा जब तुम्हारे किसी सपने की वजह से मैं अपनी ज़िंदगी में खलल डाल रहा हूँ. ध्यान रखना इस बात का"
"ओह्ह थॅंक यू रोहित" कहते हुए तान्या उससे लिपट गयी " आइ प्रॉमिस आज के बाद कभी ऐसी किसी बात के लिए तंग नही करूँगी"
थोड़े समय बाद दोनो तय्यार थे. उनके हाथ में एक एक ओवरनाइट बॅग था. उनका प्लान वहाँ ज़्यादा दिन रुकने का नही था. प्लान बस इतना था कि एक बार बिट्टू के घर जाएँगे. वहाँ उसके पेरेंट्स से थोड़ा टाइम बात करेंगे और वापस निकल लेंगे. अगर रात ज़्यादा हो गयी होगी तो वहीं किसी होटेल में रुक के, नेक्स्ट डे की फ्लाइट पक्कड़ लेंगे.
"आइ रियली कॅंट बिलीव आइ म डूयिंग दिस तान्या"
"अब रोना बंद करो रोहित. दो दिन काम पे नही जाओगे तो कोई पहाड़ नही टूट पड़ेगा" टॅक्सी में बैठ ते हुए तान्या ने रोहित से कहा.
"बात काम की नही है तान्या. बात है पागलपन की. बिना किसी कारण के हमे ऐसे ही इतने पैसे बर्बाद कर के एक अंजान जगह पर जाना पड़ रहा है"
"तुम्हें पैसों की क्यूँ चिंता है रोहित.. टिकेट्स तो मैने अपने पैसों से लिए हैं... पैसों की चिंता मुझे करने दो"
"हां हां.. तुम ही करो पैसों की चिंता. ख़तम हो गये तो एक और डाका डाल लेना. मुझे क्या पड़ी है" रोहित ने दूसरी तरफ मूह घुमा कर कहा
"रोहित प्लीज़ डोंट स्टार्ट अगेन. इस टॉपिक को यहीं छोड़ दो" अभी तान्या के मूह से यह शब्द निकले ही थे कि एक ट्रक आ कर टॅक्सी से भिड़ गया.