hotaks444
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अंदर से घर बहुत आलीशान था. ऐसा हर बिट्टू ने अपने गाओं में कभी नही देखा था. वॉल टू वॉल कार्पेटिंग, सेंट्रली टेंपरेचर कंट्रोल्ड, महनगा फर्निचर.. यह पार्टी तो सच मुच मालदार लगती थी. वो अभी घर की खूबसूरती निहार ही रहा था कि उसकी नज़र एक बड़ी सी फोटू पे पड़ी. फॅमिली पोर्ट्रेट था. वो आदमी, उसकी बीवी और दिया. "वाह रे उपर वाले.. भला हो तेरा... टपकाया भी तो सीधा मेरी माशूका की गोद में" उसने सोचा और इधर उधर देखने लग गया कि शायद दिया कहीं दिख जाए.
"क्या देख रहे हो मियाँ.. कहीं सच में कोई चोरी का इरादा तो नहीं..."
"अर्रे नहीं जी... मैं देख रहा था कि मेज़ पे एक प्लेट पड़ी है खाने की और घर में आपके सिवा कोई भी नहीं है..."
"मेरी वाइफ सो गयी है. बेटी का मूड थोड़ा ठीक नही है, तो उसने खाया नहीं.. मुझे तो वैसे ही कम नींद आती है... कुछ पियोगे"
"जी संतरे का जूस है क्या..."
"यह क्या संतरा संतरा लगा रखा है.. संतरा ना हुआ हीरा हो गया... कुछ बियर वगेरह पीयोगे?"
"अर्रे नही सर.. इतनी ठंड में बियर पी के कहाँ जाउन्गा... चलो आप इन्सिस्ट करते हो तो... विस्की है क्या.."
"हां हां क्यूँ नही... रोज़ अकेला पीता हूँ.. आज तुम्हारा साथ मिल गया..." कहते हुए अंकल ग्लास और दारू लेने चले गये और बिट्टू फिर इधर उधर देखने लग गया
दिया का भी भूख के मारे बुरा हाल था. जोश में वो खाना छोड़ के तो आ गयी थी, पर अब उसको भूख लगी थी. वो बिस्तर से उठी और सीडीयों की तरफ चल पड़ी डाइनिंग एरिया में जाने के लिए. उसका रूम 1स्ट फ्लोर पे था. वो जैसे ही सीडीयों के पास पहुँची उसको किसी की आवाज़ आई नीचे से उसके पापा से बात करते हुए. वो सोचने लगी कि इतनी रात में कौन आ गया है. उसने थोड़ी सी बातें सुनी तो उसको वो आवाज़ जानी पहचानी सी लगी .. कहीं यह..... वो फटाफट से नीचे उतरी और सच में बिट्टू वहाँ खड़ा हुआ था... उसको देख के अजीब से हँसी हँस रहा था. दिया भी उस को देखती रह गयी.. कैसा लड़का है.. यहाँ तक पहुँच गया .. वो उसे देख कर बस सोचती रही
"तुम यहाँ कैसे आ गये"
"उड़ के आया हूँ. खीच लाई तुम"
"तुम्हें यहाँ का अड्रेस किसने दिया"
"भगवान की कृपा है मेडम"
"तुम अंदर कैसे घुस गये?"
"संतरे का कमाल मेडम संतरे का कमाल.. तुम क्या जानो कितनी महान चीज़ है संतरा... अर्रे अंकल आप रहने दो अब.. मेरा हो गया..."
"क्या हो गया बेटा.." अंकल हाथ में 2 ग्लास ले कर आ गये थे. "अर्रे आप भी यहाँ है.. गुस्सा हो गया ठंडा.. इनसे मिलो.. यह हैं... यह हैं..."
"बिट्टू जी.. बिट्टू नाम है मेरा. बताया था ना आपको.. शायद बंदूक के डर से ज़ोर से नही बोला था.. वैसे हम दोनो मिल चुके हैं"
"मिल चुके हो... कहाँ??"
"पापा मैने बताया था ना कि हेलिकॉप्टर में 4 लोग थे.. यह भी उनमें से एक है" दिया बोली.
"वेरी इंट्रेस्टिंग... बैठो बिट्टू... कौन कौन है तुम्हारे घर में"
"रहने दो पापा.. यह एक बार शुरू हो गया तो फिर इसका बंद होना मुश्किल है.. रात बहुत हो गयी है.. आप सो जाओ..."
"हा हा हा.. सीधा क्यूँ नही कहती बेटी कि तुम्हें अकेले वक़्त बिताना है इसके साथ.. तुम्हारा बाप हूँ.. बुढ्ढा हो गया हूँ लेकिन थोड़ी बहुत अकल है अभी भी मुझमें" कहते हुए अंकल उठे और अपने रूम में चले गये
"देखो भगा दिया पापा को.. कैसी बेटी हो तुम" बिट्टू ने एक ही सास में सारी विस्की हलक से उतारते हुए कहा
"रहने दो तुम इन बातों को.. और यह बताओ कि यहाँ तक पहुँचे कैसे."
"मैं और रोहित घूमते घूमते आ गये थे."
"उस खड़ूस को साथ लाए हो?"
"अर्रे अच्छा आदमी है वो भी... उस दिन थोड़ा रिज़र्व्ड था, बट दिल का बहुत अच्छा है... मेरी तरह"
"तुम्हारे से तो हर कोई अच्छा होगा... पीछा करते करते यहाँ तक आ गये"
"अर्रे यह तो उपर वाले की मेहेरबानी है... और वैसे भी अब तो हमारी कॉफी डेट पक्की है... कल चलें"
"अर्रे इतनी ठंड में कॉफी की याद मत दिलाओ... "
"ओ तेरी.. ठंड से याद आया.. रोहित तो बाहर ही रह गया..."
"कितने बड़े गधे हो तुम, अंदर ले आओ उसे. कुलफी जाम गयी होगी उसकी तो" दिया ने हँसते हुए कहा
"क्या देख रहे हो मियाँ.. कहीं सच में कोई चोरी का इरादा तो नहीं..."
"अर्रे नहीं जी... मैं देख रहा था कि मेज़ पे एक प्लेट पड़ी है खाने की और घर में आपके सिवा कोई भी नहीं है..."
"मेरी वाइफ सो गयी है. बेटी का मूड थोड़ा ठीक नही है, तो उसने खाया नहीं.. मुझे तो वैसे ही कम नींद आती है... कुछ पियोगे"
"जी संतरे का जूस है क्या..."
"यह क्या संतरा संतरा लगा रखा है.. संतरा ना हुआ हीरा हो गया... कुछ बियर वगेरह पीयोगे?"
"अर्रे नही सर.. इतनी ठंड में बियर पी के कहाँ जाउन्गा... चलो आप इन्सिस्ट करते हो तो... विस्की है क्या.."
"हां हां क्यूँ नही... रोज़ अकेला पीता हूँ.. आज तुम्हारा साथ मिल गया..." कहते हुए अंकल ग्लास और दारू लेने चले गये और बिट्टू फिर इधर उधर देखने लग गया
दिया का भी भूख के मारे बुरा हाल था. जोश में वो खाना छोड़ के तो आ गयी थी, पर अब उसको भूख लगी थी. वो बिस्तर से उठी और सीडीयों की तरफ चल पड़ी डाइनिंग एरिया में जाने के लिए. उसका रूम 1स्ट फ्लोर पे था. वो जैसे ही सीडीयों के पास पहुँची उसको किसी की आवाज़ आई नीचे से उसके पापा से बात करते हुए. वो सोचने लगी कि इतनी रात में कौन आ गया है. उसने थोड़ी सी बातें सुनी तो उसको वो आवाज़ जानी पहचानी सी लगी .. कहीं यह..... वो फटाफट से नीचे उतरी और सच में बिट्टू वहाँ खड़ा हुआ था... उसको देख के अजीब से हँसी हँस रहा था. दिया भी उस को देखती रह गयी.. कैसा लड़का है.. यहाँ तक पहुँच गया .. वो उसे देख कर बस सोचती रही
"तुम यहाँ कैसे आ गये"
"उड़ के आया हूँ. खीच लाई तुम"
"तुम्हें यहाँ का अड्रेस किसने दिया"
"भगवान की कृपा है मेडम"
"तुम अंदर कैसे घुस गये?"
"संतरे का कमाल मेडम संतरे का कमाल.. तुम क्या जानो कितनी महान चीज़ है संतरा... अर्रे अंकल आप रहने दो अब.. मेरा हो गया..."
"क्या हो गया बेटा.." अंकल हाथ में 2 ग्लास ले कर आ गये थे. "अर्रे आप भी यहाँ है.. गुस्सा हो गया ठंडा.. इनसे मिलो.. यह हैं... यह हैं..."
"बिट्टू जी.. बिट्टू नाम है मेरा. बताया था ना आपको.. शायद बंदूक के डर से ज़ोर से नही बोला था.. वैसे हम दोनो मिल चुके हैं"
"मिल चुके हो... कहाँ??"
"पापा मैने बताया था ना कि हेलिकॉप्टर में 4 लोग थे.. यह भी उनमें से एक है" दिया बोली.
"वेरी इंट्रेस्टिंग... बैठो बिट्टू... कौन कौन है तुम्हारे घर में"
"रहने दो पापा.. यह एक बार शुरू हो गया तो फिर इसका बंद होना मुश्किल है.. रात बहुत हो गयी है.. आप सो जाओ..."
"हा हा हा.. सीधा क्यूँ नही कहती बेटी कि तुम्हें अकेले वक़्त बिताना है इसके साथ.. तुम्हारा बाप हूँ.. बुढ्ढा हो गया हूँ लेकिन थोड़ी बहुत अकल है अभी भी मुझमें" कहते हुए अंकल उठे और अपने रूम में चले गये
"देखो भगा दिया पापा को.. कैसी बेटी हो तुम" बिट्टू ने एक ही सास में सारी विस्की हलक से उतारते हुए कहा
"रहने दो तुम इन बातों को.. और यह बताओ कि यहाँ तक पहुँचे कैसे."
"मैं और रोहित घूमते घूमते आ गये थे."
"उस खड़ूस को साथ लाए हो?"
"अर्रे अच्छा आदमी है वो भी... उस दिन थोड़ा रिज़र्व्ड था, बट दिल का बहुत अच्छा है... मेरी तरह"
"तुम्हारे से तो हर कोई अच्छा होगा... पीछा करते करते यहाँ तक आ गये"
"अर्रे यह तो उपर वाले की मेहेरबानी है... और वैसे भी अब तो हमारी कॉफी डेट पक्की है... कल चलें"
"अर्रे इतनी ठंड में कॉफी की याद मत दिलाओ... "
"ओ तेरी.. ठंड से याद आया.. रोहित तो बाहर ही रह गया..."
"कितने बड़े गधे हो तुम, अंदर ले आओ उसे. कुलफी जाम गयी होगी उसकी तो" दिया ने हँसते हुए कहा