Antarvasna Story दिव्या का सफ़र - Page 22 - SexBaba
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Antarvasna Story दिव्या का सफ़र

लाला: अरे बस भी करो. दिव्या की कसर इस पर ही निकालोगे क्या?

राजेश: अरे नहीं कर्नल साहब मैं तो बस ऐसे ही...

लाला: अरे घबरा क्यों रहे हो. माना रेणुका दिव्या जितनी खूबसूरत नहीं है लेकिन सेक्सी बहुत है.

राजेश: नहीं कर्नल साहब आप गलत समझ रहे हैं.

लाला: अरे इसमें गलत क्या है. रेणुका का फिगर सेक्सी नहीं है क्या?

राजेश: ये मैंने कब कहा. उसका फिगर तो काफी मेंटेन है.

लाला: तभी तुम उसके मम्मो को आँखों से चूस रहे थे. हाहाहा...

राजेश: सॉरी! गलती से नज़र वहां चली गयी थी.

लाला: यार तो इसमें सॉरी की क्या बात है. खूबसूरत चीज को देखने में क्या बुराई है. क्या मैंने तुम्हारी बीवी को देखने के लिए सॉरी बोला है. हाहाहा...

राजेश: मुझे लगा शायद आप बुरा न मान जाये.

लाला: तुम मेरे दोस्त हो राजेश और रेणुका चीज ही ऐसी है की कोई भी उसको देखे बिना नहीं रह सकता. मुझे तो आदत है. तुम्हे भी तो आदत होगी की सब लोग दिव्या को घूरते होंगे.

राजेश: हाँ लोग उसे देखते तो है पर आप भी उसे देखते है मैं नहीं जानता था.

अब तक राजेश काफी पी चूका था तो कर्नल समझ गया की अभी दिव्या का टॉपिक छेड़ने में कोई खतरा नहीं है.

लाला: वो चीज ही ऐसी है लेकिन ऐसी बीवी का क्या फायदा की जो पति का लंड भी नहीं चूसती.

राजेश: कोई बात नहीं कर्नल साहब. मैं उसके साथ खुश हूँ और फिर मैं भी तो उसके वहां नहीं चाटता.

लाला: यार तुम कुछ भी कहो लेकिन अगर मैं तुम्हारी जगह होता तो उसको एकदम रेणुका की तरह ट्रेन कर दिया होता.

राजेश: दिव्या वैसी नहीं कर्नल साहब. वो एक शरीफ औरत है.

लाला: हर शरीफ औरत में एक रांड छुपी होती है राजेश बस उसे बाहर निकालना होता है. और जो औरत जितना शराफत का नाटक करती है वो उतनी ही अच्छी रंडी बनती है. तजुर्बे से बता रहा हूँ.

कर्नल की बात सुन कर राजेश को बुरा लगने की जगह उसके लंड में तनाव आ जाता है. वो कमरे से बाहर रेणुका को देखने लगता है.

लाला: किसे ढूंढ रहे हो राजेश. रेणुका को? वो दुसरे कमरे में मेरा इंतज़ार कर रही है.

राजेश: किसलिए?

कर्नल खड़ा होकर अपने लंड की पेंट के ऊपर से ही मसल कर राजेश को दिखाता है. राजेश कर्नल का हलब्बी लंड देख कर घबरा जाता है.
 
लाला: इसके लिए. तुम पांच मिनट बाद वहां आ जाना.

ये बोला कर कर्नल दुसरे कमरे में चला जाता है. राजेश को कुछ समझ नहीं आता लेकिन वो पांच मिनट बाद दुसरे कमरे में चला जाता है. रूम का दरवाजा खुला हुआ है. अन्दर का नजारा देख कर राजेश चौंक जाता है. रेणुका बिस्तर में सिर्फ ब्रा में लेटी हुई थी और उसकी आँखों पर पट्टी बंधी हुई थी. कर्नल राजेश की तरफ देखते हुए रेणुका की टांग उठा कर उसकी चूत की तरफ बढ़ जाता है.

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रेणुका अपनी चूत उठा कर कर्नल के मुँह की और लाने की कोशिश करती है पर कर्नल पीछे हट जाता है और उसकी ब्रा भी खींच लेता है। रेणुका को इस तरह पूरा नंगा देख राजेश से रहा नहीं जाता और वह पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को बार-बार मसलने लगता है। उसे यकीन नहीं होता कि कैसे कर्नल इतना बेशर्म हो सकता है।

साथ ही रश्मि को अपनी चूत चाटने के लिए तड़पता देख उसके हार्मोन्स भी जोर मारने लगते हैं।

थोड़ी देर रेणुका को तरसाने के बाद कर्नल उसकी चूत को चाटना शुरू कर देता है। रेणुका भी अपनी टांग उठा कर कर्नल को जकड़ लेती है।

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अचानक कर्नल रेणुका को छोड़ के खड़ा हो जाता है और उसे इंतज़ार करने को कहता है। राजेश अब भी वही देखे जा रहा था। उसे भी समझ नहीं आया कि कर्नल अचानक रुक क्यों गया। कर्नल धीरे-धीरे राजेश की ओर बढ़ता है।

लाला: अपनी हालत तो देखो राजेश। लगता है मुझसे ज्यादा तुम्हें मजा आ रहा है।

राजेश भी नशे में चूर था। वो कर्नल से कुछ छुपाने के मूंड में नहीं था।

राजेश: मुझे यकीन नहीं होता सर कि आप इस तरह कैसे चाट सकते हो। आपको बुरा नहीं लगता।

लाला: किसी भी औरत के अन्दर छुपी रांड को बाहर निकालने का ये सबसे आसान तरीका है. मुझे लगता है की तुमको भी ये अपनी बीवी पर ट्राई करना चाहिए फिर देखना कैसे मस्त होकर तुम्हारा लंड चूसेगी दिव्या.

राजेश: मुझे नहीं लगता मैं ये सब कर पाऊंगा।

लाला: चाहो तो अभी ट्राई कर के देख लो।

राजेश: अभी कैसे?

कर्नल रेणुका की तरफ इशारा करता है।

राजेश को यकीन नहीं आता पर मन में उसके भी आ जाता है। वो बस ऊपरी मन से मना करता है।

लाला: सोच क्या रहे हो, ये बात सिर्फ तुम्हारे और मेरे बीच ही रहेगी और वैसे भी रेणुका की आँखें तो बंद हैं। कुछ बोलना मत बस।

कर्नल के कहने के बाद राजेश डरते हुए रेणुका की और बढ़ जाता है और उसकी चूत के पास अपना मुंह ले जाता है। राजेश रेणुका के इतना नजदीक था कि रेणुका भी अपनी चूत को थोड़ा उठा कर उसके मुंह से मिलाने की कोशिश करती है। राजेश को रेणुका की चूत की स्मेल आने से वो हिचकिचाता है और कर्नल को और देखता है जो अपना लंड अब पैंट से बाहर निकाल कर हिलाने लगा था। कर्नल उसे फिर से इशारा करता है चाटने के लिए। इस बार राजेश हिम्मत कर के रेणुका की चूत पर मुंह लगा ही देता है।

रेणुका भी सिसकियाँ लेने लगती है और अपने हाथों से अपनी जांघ को सहलाते हुए राजेश को अपनी चूत चाटने लगती है। कुछ ही देर में राजेश को चूत चाटना इतना भी बुरा नहीं लगता और वह अपनी जीभ को रेणुका की चूत के बीच में डाल कर चूसने लगता है।

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कुछ ही देर में रेणुका की आहें गूंजने लगती हैं।
 
कर्नल राजेश को फिर से इशारा करता है तो राजेश अब खड़ा हो जाता है और अपने कपड़े खोल रेणुका को बैठा देता है। राजेश अभी भी डर रहा था कि कहीं रेणुका को पता न चल जाए पर रेणुका उसे ज्यादा समय नहीं देती और उसके लंड को साइड से चाटना शुरू कर देती है।

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राजेश की तो टांगे ही कांप जाती हैं। ये अहसास उसके लिए एकदम नया था जैसे उसका कोई सपना पूरा हो गया हो। उसके लंड से प्रीकम निकलने लगता है। वह ये सब पहले ही बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था और रेणुका अचानक उसका लंड अब अपने मुंह में ले लेती है। राजेश से अब रुका नहीं जाता और वह भी रेणुका का मुंह चोदने लगता है।

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रेणुका जिस तरह से राजेश का लंड चूस रही थी वो कुछ ही पलों में झड़ने के नजदीक पहुंच जाता है पर उसे रेणुका के मुंह में झड़ना अच्छा नहीं लगता तो वह अपना लंड बाहर खींच लेता है और वहीं फर्श पर झड़ जाता है।

रेणुका अभी भी तरस रही थी, राजेश को झड़ता देख कर्नल उसे स्माइल देता है और उसकी जगह खुद आ जाता है। कर्नल वहीं रेणुका को लेटा कर उसकी जबरदस्त चुदाई करने लगता है। कर्नल को रेणुका की चूत इस तरह मारते देख राजेश भी यकीन नहीं कर पाता। कर्नल रेणुका की चुदाई तब तक करता है जब तक वो झड नहीं जाता.

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उसके झड़ने के बाद वो अपना लंड रेणुका की चूत से निकाल कर नंगा ही कमरे से बाहर आ जाता है। तब तक राजेश अपने कपड़े पहन चुका था। कर्नल की ऐसी बेशर्मी देख राजेश उसे नजर नहीं मिला पा रहा...

कर्नल टेबल पर बैठते ही फौरन एक और जाम बना देता है और एक ग्लास राजेश की और भी बढ़ा देता है।

लाला: कहो राजेश कैसा लगा तुम्हें आज।

राजेश नज़रे झुकाए ही कर्नल की बात का जवाब देता है।

राजेश: ये तो मैं बता भी नहीं सकता। मैं तो ज्यादा देर अपने आप को रोक भी नहीं सका इतना ज्यादा हॉर्नी हो गया था। लेकिन अंकल आपको बुरा नहीं लगा। आप तो रेणुका से प्यार करते हो ना।

लाला: हाँ करता हूँ और उसकी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूँ। तुम इस प्यार को समझ नहीं पाओगे। वैसे भी तुम भी तो मेरे अपने हो। जब मुझे पता चला कि दिव्या ने आज तक तुम्हारा लंड नहीं चूसा तो मुझे लगा कि तुम्हें ये सुख में ही दिला दूँ।

कर्नल और एक जाम राजेश को देता है।
 
राजेश: नहीं अंकल अब बस। अब घर भी जाना है। दिव्या पहले ही गुस्सा है आज।

लाला: घर जा कर तो तुम्हें आज उससे डांट खानी ही है। नशे में रहोगे तो कम बुरा लगेगा।

ये कह कर कर्नल ठहाके मार के हसने लगता है।

राजेश: आप भी मेरा मजाक बना लो अंकल।

राजेश मुँह बना लेता है।

लाला: तुम कहो तो मैं एक बार दिव्या को समझाने की कोशिश करू।

राजेश: वो नहीं मानेगी, वो तो बस यहाँ से घर शिफ्ट करना चाहती है। आप ही बताओ अभी ये सब पॉसिबल है क्या।

लाला: तुम बैठो मैं एक बार उसे समझाता हूँ। शायद मेरे समझाने से वो मान जाए।

कर्नल कपड़े पहनकर राजेश के फ्लैट की और चल देता है और उसकी डोर बेल बजाता है।

दिव्या का गुस्सा काफ़ी हद तक अब कम हो चुका था, वो भी ये बात समझती है कि उन्होंने ये घर अभी कुछ समय पहले ही लिया है इसलिए राजेश भी ऐसे घर शिफ्ट करने के लिए रेडी नहीं हो सकता। वो सोचती है कि उसने बेकार ही राजेश को नाराज कर दिया, इतने दिनों बाद तो आया था। वो एक खूबसूरत सी ड्रेस पहने राजेश का वेट कर रही थी कि तभी बेल की आवाज सुन वो दरवाजे की तरफ दौड़ पड़ती है।

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दिव्या दरवाजा खोलती है तो सामने कर्नल को मुस्कुराता देख उसे समझ नहीं आता कि राजेश क्यों नहीं आया। दिव्या वापस दरवाजा बंद करने लगती है तो कर्नल दरवाजे पर पैर अड़ा लेता है और अंदर आने लगता है। दिव्या पीछे की और हटते हुए कहती है।

दिव्या: ये क्या बदतमीजी है।

लाला: क्या बात है इतना अकड़ क्यों रही हो।

दिव्या: आप प्लीज बाहर चले जाइए। और राजेश कहाँ है।

लाला: उसी ने तो मुझे भेजा है तुम्हे मनाने के लिए।

कर्नल दिव्या के कंधे पर हाथ रखने की कोशिश करता है तो वह हाथ झटक के पीछे की ओर चलती रहती है पर अचानक वह किसी चीज से टकरा के रुक जाती है।
 
दिव्या को पता नहीं चलता कि कब वह पीछे जाते हुए अपने बेडरूम में आ गई।

लाला: दौड़ कर कहाँ जा रही हो दिव्या?

दिव्या: अंकल आप प्लीज चले जाइए नहीं तो मैं राजेश को सब बता दूँगी।

लाला: क्या बताओगी दिव्या। यही कि किस तरह तुम सलमान के साथ गुलछर्रे उड़ा रही हो, या फिर रेणुका से अपने जिस्मानी रिश्ते के बारे में बताओगी।

दिव्या: आप अखिर चाहते क्या हो मुझसे।

लाला: वही जो तुमने उस दिन सोने का नाटक करते हुए किया था।

दिव्या: मुझे नहीं पता आप क्या बात कर रहे हो।

ये कह दिव्या कर्नल को धक्का देकर जाने की कोशिश करती है पर कर्नल उसे पीछे धकेल देता है जिससे दिव्या वही बेड के पास गिर जाती है।

कर्नल अपना पेंट नीचे कर अपना लंड बाहर निकालने लगता है, दिव्या उसे बार बार मना करती है पर कर्नल उसके बालों में हाथ डाल कर खींचता है और जैसे ही दिव्या चिल्लाती है कर्नल अपना लंड उसके मुंह में डाल कर उसका मुंह चोदने लगता है।

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दिव्या कुछ देर काफी कोशिश करती है अपना मुँह पीछे करने की पर कर्नल की मजबूत पकड़ के आगे वह कुछ कर नहीं पाती।
कर्नल दिव्या के मुँह को पूरी तरह अपने लंड पर प्रेस कर अपना पूरा लंड उसके मुँह में अंदर बाहर करने लगता है।

दिव्या उसे मना तो करना चाहती है पर अब उसकी आवाज़ उसके मुँह में ही घुट कर रह जाती है।

लाला: अब दिव्या और कुछ पल, और उसके बाद तुम अभी के लिए फ्री हो। बस अब कुछ भी बाहर मत निकलने देना।

दिव्या ये सुन पीछे हटने की लाख कोशिश करती है पर कर्नल उसके मुँह से लंड बाहर आने नहीं देता।

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दिव्या सारा माल अंदर नहीं रख पाती और काफी कुछ उसके मुंह से बाहर आ गिरता है।

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कर्नल लंड निकालकर उसे दिव्या के होठों पर फेरता हुआ हँसता है।

लाला: तुम जल्दी सीख जाओगी दिव्या। लेकिन आज के बाद यहाँ से जाने की बात की तो सोच लेना, मैं राजेश को सब बता दूंगा।

कर्नल दिव्या को उसी हालत में छोड़ अपना लंड पेंट के अंदर डाल कर वहां से चला जाता है। दिव्या भी अपना बदन साफ करती है पर उसके आंसू थमने का नाम नहीं लेते क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस सिचुएशन से कैसे निपटें।
 
कर्नल भी कुछ देर में राजेश को भेज देता है पर जब वह आता है तो अब दिव्या नींद आने का नाटक कर लेती रहती है। दरअसल वो नाराज थी कि राजेश ऐसा कैसे कर सकता है कि छोटी सी बात पर उसे अकेला छोड़ गया, वो भी तब, जब वो इतने दिनों बाद आया था।

राजेश की भी अब कुछ करने की हिम्मत नहीं थी, वैसे भी जो सुख उसे आज रेणुका से मिला था वो तो बस उसी के ख्वाब देखने में लगा था। कहीं ना कहीं वो मन ही मन कर्नल से जल भी रहा था कि वो कितना लकी है जो इस उम्र में भी उसे ये सब करने को मिल रहा है।

राजेश नशे में कब बिस्तर पर बेसुध सो गया, ये उसे पता ही नहीं चलता पर दिव्या पूरी रात अपनी किस्मत को कोसती रही कि अखिर उसमें क्या कमी है जो उसका पति उसे ज्यादा तवज्जो नहीं देता। अगली सुबह दिव्या राजेश को सोता ही छोड़ स्कूल चली जाती है।

स्कूल में जाते ही उसकी पहली मुलाकात वहाँ मनीष से होती है जो उसे बार बार थोड़ा गुस्से में घूर रहा था। दिव्या मनीष का चेहरा देखते ही समझ जाती है कि वो क्यों ऐसे देख रहा है। आखिर उसने रात में ऑनलाइन आने का प्रॉमिस किया था। लेकिन उसे क्या पता था कि घर पर राजेश आ चुका होगा।

क्लास में दिव्या पढ़ने लगती है। मनीष उसे अपनी और आने का इशारा करता है जो पहले से ही सबसे पीछे की टेबल पर बैठा हुआ है। दिव्या जानती है कि मनीष ने ज़रूर उसके लिए अपनी कॉपी पर कुछ लिखा होगा, उसकी धड़कनें बढ़ जाती हैं पर उसके पैर मनीष की और बढ़ जाते हैं। वहाँ पहुँच वो तिरछी नज़रों से देखती है तो मनीष ने लिखा था कि आपको अपना प्रॉमिस आज पूरा करना ही होगा। दिव्या को समझ नहीं आता कि किस तरह से वो उसे अपनी ब्रा दे सकती है। वो मनीष को इशारा करके मना करती है पर मनीष नहीं मानता और उसे ऊपर टॉयलेट में मिलने की लिए कहता है।

दिव्या क्लास खत्म होने के बाद ऊपर चली तो जाती है पर उसके दिल को धड़कनें काफी तेज थीं कि कहीं कोई और उसे यहाँ मनीष के साथ देख न ले। कुछ ही पलों में उसे किसी के आने की आहट सुनाई देती है। जैसे-जैसे कदमों की आवाज़ तेज होती है, दिव्या के बदन पर पसीना और बढ़ जाता है। मनीष दरवाजा खोलते हुए अंदर आता है और दरवाजे की कुंडी लगा देता है।
 
दिव्या: ये क्या कर रहे हो, कोई आ जाएगा। तुम जाओ अभी।

मनीष: जाने को क्यों कह रही हो मैडम। आप भी तो मेरे लिए आई हो ना।

मनीष दिव्या की और बढ़ने लगता है।

मनीष: तो मैम आप अपनी ब्रा उतारोगी या मैं उतारूँ।

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दिव्या: तुम पागल हो क्या, मैं कैसे कर सकती हूँ ऐसा। ब्रा तुम्हें दी तो मैं क्या पहनूंगी।

मनीष: आपको एक्स्ट्रा लानी थी मैम। आपको पहले से पता था कि पनिशमेंट में आपको क्या देना होगा मुझे।

दिव्या: मेरे हस्बैंड कल अचानक घर आ गए जिसकी वजह से मैं भूल ही गई थी।

मनीष: अब आपको मुझे तो ब्रा देनी ही होगी।

मनीष दिव्या के कंधे पर हाथ रख देता है। दिव्या मनीष को इग्नोर करने के लिए दूसरी ओर घूम जाती है पर अब मनीष भी चांस लेने से पीछे नहीं हटना चाहता है। मनीष दिव्या को उसी पोजिशन में दीवार से लगा देता है और उसके बदन को अपनी बाहों में जकड़ लेता है और उसके बदन को चूमना शुरू कर देता है। रह रह कर वो कभी दिव्या की गांड तो कभी उसके मम्मो को मसलने लगता है।

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दिव्या जिस भावना को अपने दिल में दबाए बैठी थी, मनीष के अचानक ऐसे हमले करने से उसके सब्र का बंध भी टूटने लगता है। मनीष दिव्या का मुंह अपनी ओर करने की कोशिश करता है तो दिव्या खुद बिना किसी विरोध के अपने होंठों को उसे सौंप देती है।
दिव्या को इस तरह से साथ देता देख मनीष और आगे बढ़ जाता है और उसके टॉप को नीचे को और खिसका देता है जिससे उसे ब्रा में छुपे दिव्या के मम्मों के दर्शन हो जाते हैं।

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टॉप इस तरह अचानक उतरने से दिव्या को खतरे का अभास होता है और वह मनीष को रुकने के लिए कहती है और मनीष को पीछे धकेलने लगती है।

दिव्या: समझो ना। बस बहुत हुआ कोई आ जाएगा अब।

मनीष: कोई कैसे आएगा मैम। दरवाजा तो बंद है ना।

दिव्या - हम्म, इस तरह कोई आया तो क्या सोचेगा कि दरवाजा क्यों बंद है। बस अब मुझे जाने दो।

मनीष: तो आप कहो तो मैं दरवाजा खोल देता हूं। पर आज इतनी आसानी से तो नहीं जाने दूंगा।

दिव्या - दरवाजा खोलोगे तब भी तो कोई आ ही सकता है। मुझे इस वक़्त जाने दो।
 
मनीष गेट तो खोल देता है पर दिव्या को बाहर नहीं जाने देता। वह दिव्या को धकेल कर टॉयलेट में ले जाता है और दिव्या के कपडे उतार देता है।

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दिव्या थोड़ा रोकने की कोशिश करती है पर मनीष उसे नंगा करके अंदर खींच कर दरवाजा बंद कर ही देता है। उसे अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं होता की आज दिव्या ने ज्यादा विरोध नहीं किया और पहली बार उसके सामने पूरी नंगी खड़ी थी।

मनीष: अब यहाँ किसी को पता नहीं चलेगा। बस आप शांत रहना।

दिव्या को नंगा होकर काफी शर्म आने लगती है तो वो अपना चेहरा अपने हाथो से छुपा लेती है पर मनीष दिव्या का चेहरा अपने हाथों में लेकर उसके काफी नजदीक आ जाता है।

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दिव्या भी अपने होठों को खोल देती है और मनीष को जी भर के खुद को चूमने देती है।

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मनीष भी लगातार उसके मुंह में अपनी जीभ डाल-डाल कर चूसता है। कुछ देर बाद दिव्या पीछे हटने लगती है।

दिव्या- बस अब बहुत पुनिशमेंट हो गई। अब छोड़ो मुझे और मेरे कपडे वापस करो।

मनीष- अभी कहाँ कुछ किया है मैम और वैसे भी आपकी ब्रा तो वापस नहीं दूंगा।

दिव्या- कल दूसरी ले आउंगी तो दे दूंगी।
 
मनीष- कल तो स्कूल की छुट्टी है। आपने पागल समझा है मुझे।

दिव्या- तो जिस दिन स्कूल खुलेगा उस दिन दे दूंगी।

मनीष- रात में ऑनलाइन आओगी।

दिव्या- कैसे आ सकती हूँ। बताया तो हसबैंड आ गए हैं।

मनीष- फिर तो आपको ऐसे नहीं जाने दे सकता मैं। एक बार डालने दो न।

दिव्या- वो नहीं हो सकता और मेरे सारे कपडे उतार कर इतना कुछ तो कर लिया है तुमने।

मनीष दिव्या का हाथ अपने लंड पर ले जाने लगता है और उसे उसको मसलने को कहता है। दिव्या मना करती है पर मनीष की जिद के आगे झुक ही जाती है। वह मनीष के लंड को उसकी पैंट के ऊपर से सहलाने लगती है।

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मनीष को यकीन नहीं होता कि आज दिव्या मैम खुद उसका लंड सहला रही हूँ। मनीष का लंड पैंट में एकदम तन जाता है जिससे उसे भी परेशानी होने लगती है, वह अपने लंड को बाहर निकालने के लिए अपनी चेन खोलने लगता है पर तभी दिव्या उसे रोक देती है।

दिव्या: ये अब क्या कर रहे हो मनीष, मैंने इतना कुछ तो कर दिया है तुम्हारे कहने पर।

मनीष: बस एक बार इसे डालने दो न मैम या फिर थोड़ा हिला देना बस।

दिव्या- नहीं अब नहीं। काफी देर हो गई है वैसे भी यहाँ हमें। अब मुझे जाना है।

मनीष: रुको ना मैम थोड़ी देर। वैसे भी मुझे नहीं लगता कि छुट्टी के दिन आप आओगी ऑनलाइन।

दिव्या- तुम अभी जाने दो। मैं कोशिश करूँगी आने की।

मनीष: और नहीं आई तो।

दिव्या- मेरे पति के जाने के बाद तो आऊँगी ही ना। बाकी आज भी अगर हो सका तो आऊँगी।

मनीष: मेरा तो मन नहीं है आपको जाने देने का। एक बार हाथ में ले कर तो देखो।

दिव्या- नहीं प्लीज़। मेरी बात नहीं मानोगे तो मैं कभी बात नहीं करूँगी।

दिव्या गेट खोल कर जाने लगती है पर मनीष उसका हाथ पकड़ लेता है।

मनीष: अच्छा बस इतना बता जाओ कि क्या आपका मन नहीं कर रहा मेरा लंड बाहर निकलने का।

दिव्या कुछ जवाब नहीं दे पाती और कपडे पहन कर गेट से बाहर निकल जाती है।
 
दिव्या जिस समय वॉशरूम से बाहर आती है, घबराहट की वजह से पसीने में पूरी भीगी हुई थी। वह डरते हुए नीचे फ्लोर तक आ जाती है और इधर-उधर देखती है कि कहीं किसी ने उसे नोटिस तो नहीं किया। कुछ पलों में उसकी साँसें नॉर्मल हो जाती हैं पर वो अभी भी सोच में डूबी थी कि क्यों उसने मनीष को इस तरह किस करने दी। वो जानती है कि आज उसने भी मनीष का साथ दिया है जिससे उसकी हिम्मत अब और बढ़ सकती है।

इतने में पीछे से कोई दिव्या को आवाज लगाता है तो वो मुड़ कर देखती है। पीछे और कोई नहीं, सलमान था जो दिव्या की ओर बढ़ा चला आ रहा था। दिव्या डर सी जाती है कि ये क्यों उसकी तरफ आ रहा है।

सलमान दिव्या को कहता है कि प्रिंसिपल सर आपको बुला रहे हैं। दिव्या भी बिना देर करे प्रिंसिपल रूम में चलो जाती है जहाँ वो अपनी चेयर पर बैठा दिव्या का वेट कर रहा था

दिव्या: सर आपने बुलाया मुझे।

मदन: हां हां दिव्या जी आइये ना।

दिव्या: जी सर कहिए।

मदन: दिव्या जी, कल आप स्कूल आ जाइए प्लीज़। एग्जाम आ रहे हैं मुझे कुछ काम में आपकी मदद चाहिए।

दिव्या: लेकिन कल तो हॉलिडे है।

मदन: तभी तो आपसे रिक्वेस्ट कर रहा हूँ। आप आ सके तो मेरा काम आसान हो जाएगा।

दिव्या: सर मेरे पति आए हुए हैं इस हफ्ते।

प्रिंसिपल दिव्या की बात बीच में ही काट देता है।

मदन: लेकिन एग्जाम भी तो अब नजदीक ही हैं। और आप तो खुद इंचार्ज है एग्जाम्स में। बाकी आपकी मर्ज़ी वैसे कुछ देर तो आपके पति आपके बिना रह ही सकते हैं।

प्रिंसिपल ये कहते हुए दिव्या को देखकर मुस्कुराता है जिससे वो भी शर्म से नज़रे झुका लेती है। दिव्या कुछ देर सोचती है और फिर उसे आने के अलावा और कोई चारा नजर नहीं आता। दिव्या प्रिंसिपल को हाँ कहकर रूम से चली जाती है।
 
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