Antarvasna Story दिव्या का सफ़र - Page 17 - SexBaba
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Antarvasna Story दिव्या का सफ़र

दिव्या: तो तुम अब रश्मि के साथ सेक्स करने लगे.

मनीष: मैम मैं भी आपकी ही तरह हूँ. ज्यादा दिन सेक्स के बिना नहीं रह सकता.

दिव्या: व्हाट रबिश. मुझसे अपने को कॉम्पेयर मत करो.

मनीष: अरे मैम उस दिन जब मैं आपको स्कूल के बाहर मिला था तो मैंने आपको सलमान के साथ क्लासरूम में देख लिया था. मैंने सोचा की आपको बोलूँगा तो आपके लिए औकवार्ड हो जायेगा इसीलिए चुप था. लेकिन आपने मजबूर कर दिया. आप एक चौकीदार के साथ लगी हुई थीं और मेरे को बोलती हैं की स्टूडेंट होकर टीचर के बारे में मत सोचो. उसके साथ आपको देख कर मेरा खून खौल गया था लेकिन फिर मैंने सोचा की जब आपने उससे रिश्ता बनाने का तय कर लिया है तो मैं कर ही क्या सकता हूँ.

ये मेसेज पढ़ कर दिव्या के पांव तले जमीन खिसक जाती है. उसको जिसका डर था वही हो गया. वो रोज प्रार्थना करती थी की रश्मि के बाद उसके और सलमान के बारे में किसी को पता न चले लेकिन आज मनीष को पता चल चूका था. उसको बहुत देर तो समझ ही नहीं आया की क्या बोले फिर उसने अपने को संभाल कर मनीष को मेसेज किया.

दिव्या: तुमको क्या पता की सलमान ने मेरे साथ जबरदस्ती की थी.

मनीष: वाह मैम वाह. अभी भी नाटक कर रही हो. मैंने सब देखा था की आप उसके ऊपर बैठ कर उसके लंड पर ऐसे कूद रही थीं.

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मनीष की भेजी तस्वीर देख कर दिव्या शर्मसार हो जाती है लेकिन फिर अपने को संभाल कर मेसेज लिखती है

दिव्या: मैं सच कह रही हूँ मनीष की ये सब उसने जबरदस्ती शुरू किया था लेकिन फिर...

मनीष: लेकिन क्या मैम...

दिव्या: लेकिन फिर मैं बहक गयी थी.

मनीष: फिर एक नया झूठ. अगर वो आपसे जबरदस्ती करता तो आप उसको अपनी पेंटी और ब्रा क्यों देती हैं.

दिव्या को हैरानी होती है की मनीष को ये कैसे पता.

दिव्या: मानती हूँ की ये मेरी गलती है की मैंने उसको तरस खा कर वो दे दी थी जिसका उसने फायदा उठाया.

मनीष: तरस खा कर मतलब...

दिव्या: उसकी वाइफ को मरे कई साल हो गए हैं इसीलिए...

मनीष: फिर झूठ. अरे उसकी बीवी तो गाँव में हैं और उसके चौथे बच्चे की माँ बनने वाली है.

दिव्या ये सुनकर शॉक रह जाती है की सलमान ने किस हद तक उसको बेवकूफ बनाया है. वो मनीष को बिना कुछ बोले लॉगआउट हो जाती है.
 
वो पूरी रात रोती रहती है की उसकी क्या इमेज हो गयी है हालाँकि उसको उम्मीद है की मनीष ने फ़िलहाल ये किसी को नहीं बताया होगा लेकिन वो ये भी समझती है की मनीष को मुंह बंद करने के एवज में उसे क्या चाहिए. पर वो सोचती है की मनीष को वो फ़िलहाल एक्साम्स तक टाल देगी और फिर स्कूल छोड़ देगी लेकिन पहले सलमान से पीछा छुड़ाना जरूरी है वरना वो अपनी हरकतों से उसकी बदनामी जरूर करवाएगा. वो तय कर लेती है को वो सलमान को किसी भी तरह एग्जाम के पेपर दे देगी.

दिव्या ये सब सोच रही थी और उधर मनीष खुश हो रहा था की अब दिव्या की चूत ज्यादा दूर नहीं है. अगर वो चाहती है की वो उसके और सलमान के रिश्तो पर अपना मुंह बंद रखे तो दिव्या को मनीष को वही देना होगा जो वो सलमान को देती है. वो सोचता है की अब पीछे हटने से काम नहीं चलेगा.

अगले दिन हिम्मत करके दिव्या रोज की तरह स्कूल जाती है. लंच टाइम तक वो काफी नार्मल हो जाती है. लंच करने वो स्टाफ रूम में जाती है और बाकी टीचर्स को उनके सब्जेक्ट के सैंपल पेपर्स तैयार करने को कह देती है और फिर अपना पेपर भी बनाने लगती है. काफी टीचर्स छुट्टी के बाद रुक कर पेपर्स बना रहे होते हैं तो दिव्या भी स्टाफ रूम में रुक जाती है ताकि उसे आज मनीष का सामना न करना पड़े.

मनीष भी स्कूल के बहर काफी देर दिव्या का इंतज़ार करता है लेकिन जब वो नहीं आती तो वो मन मार कर घर चला जाता है. दिव्या शाम को देर से घर पहुँचती है और कपडे बदलने जाती है की तभी डोर बेल बजती है. दरवाजे पर रेणुका को देख कर उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो रेणुका को अन्दर बुलाती है.

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दिव्या: अरे ये फूल वूल किसलिए?

रेणुका: पहली बार तुम्हारे यहाँ आई थी तो सोचा...

दिव्या: अगर ऐसी फॉर्मेलिटी करोगी तो मेरे यहाँ मत आना.

रेणुका: अच्छा बाबा आगे से खयाल रखूंगी.

दिव्या: और कल कर्नल अंकल से कैसी रही मीटिंग.

रेणुका: अरे वहां तो मैं काम करने जाती हूँ.

दिव्या: लेकिन काम के साथ साथ और बातें भी तो होती होंगी. कही कल भी तो अंकल मास्टरबेट नहीं कर रहे थे. हाहाहा...

रेणुका: तुम भी न दिव्या. तुमको बता कर तो मुसीबत ही मोल ले ली मैंने और वैसे भी अभी उनकी हालत ठीक नहीं है.

दिव्या: क्यों क्या हुआ?

रेणुका: पता नहीं शायद पैर में चोट है. ज्यादा चल फिर नहीं रहे हैं. मैंने पुछा तो कुछ बोले नहीं.

दिव्या: तो तुम मसाज कर देती न. छूने को भी मिल जाता इसी बहाने.

रेणुका: कुछ बोलते तो कर भी देती लेकिन जब बोले ही नहीं तो फिर. वो तो वो लंगड़ा कर चल रहे है तो मुझे पता है.

दिव्या समझ जाती है की जो उस दिन कर्नल की जांघ में खिचाव आया था उसी वजह से दिक्कत हो रही होगी. कहीं मसल न फट गयी हो. उसको थोड़ी चिंता होती है.

रेणुका: अच्छा अभी तो मैं चलती हूँ लेकिन अगली बार आउंगी तो तुमको मुझे पोर्न दिखाना होगा.

दिव्या: आज ही देख लो अगर इतना मन है तो. हाहाहा...

रेणुका: मन तो है लेकिन आज जरूरी काम है. चलो एक दो दिन में आउंगी तब दिखा देना.
 
रेणुका के जाने के बाद दिव्या कर्नल के घर जाती है. डोर बेल बजने पर कर्नल दरवाजा खोलने आ जाता है. जानबूझ कर वो अपनी टीशर्ट उतार कर आता है. दिव्या उसको अधनंगा देख कर असहज हो जाती है और इधर उधर देखने लगती है.

लाला: अरे दिव्या तुम?

दिव्या: अंकल रेणुका ने बताया की आपको चलने में तकलीफ हो रही है.

लाला: अरे मैं ठीक हूँ दिव्या.

कर्नल लंगड़ा कर अपने बेडरूम में चला जाता है. दिव्या भी पीछे पीछे जाती है.

दिव्या: दिख ही रहा है की आप कितने ठीक है. आपने बताया क्यों नहीं की आपका पैर ठीक नहीं हुआ है. अगर मसल फ्रैक्चर हुआ तो?

लाला: अरे अब किसी को क्या परेशान करता. फ्रैक्चर तो नहीं है बस मसल खिंच गयी है.

दिव्या: अरे बताना तो चाहिए. इसमें परेशानी की क्या बात है और वैसे भी न मैं आपसे एल्बम उतरवाती और न आप गिरते.

लाला: अरे जो होना होता है वो तो होता ही है. वैसे ऐसे ही मौको पर लगता है की जीवनसाथी न हो तो कितनी दिक्कत होती है. अगर आज मेरी वाइफ होती तो...

दिव्या: अरे कोई हेल्प चाहिए तो बताइए न अंकल.

लाला: अरे नहीं नहीं. तुम कैसे करोगी. हम बस पड़ोसी ही तो हैं.

दिव्या: अरे बताइए तो. अब पड़ोसी काम नहीं आएंगे तो कौन काम आयेगा. अब आपका खाना मैं अपने घर से ले आउंगी.

लाला: खाना तो रेणुका बना जाती है लेकिन अगर मेरी वाइफ होती तो वो मेरी मसाज कर देती. मैं खुद करने की कोशिश कर रहा था लेकिन दर्द की वजह से वहां हाथ भी नहीं रख पा रहा.

दिव्या: अरे अंकल मैं कर देती हूँ. आप भी न.

लाला: अच्छा तो एक काम करो. बाहर से तेल की शीशी ले आओ और मैं ये लाइट्स बंद कर देता हूँ ताकि तुमको ज्यादा प्रॉब्लम न हो.

दिव्या बाहर से तेल लाती है तब तक कर्नल लाइट बंद कर देता है लेकिन फिर भी रूम में काफी रौशनी है और दिव्या देखती है की कर्नल ने पेंट भी उतार कर अपनी कमर से नीचे के हिस्से हो टॉवल से ढक लिया है. दिव्या को समझ आता है उससे गलती हो गयी है लेकिन अब वो क्या करे. कर्नल उसकी झिझक समझ जाता है.

लाला: दिव्या अगर तुमको ख़राब लग रहा है तो रहने दो. कुछ दिनों में खुद ही ठीक हो जायेगा.

दिव्या: नहीं अंकल मैं कर देती हूँ.

दिव्या तेल की शीशी ले कर कर्नल के पास आ जाती है और कर्नल के घुटने पर तेल गिरा कर मालिश करने लगती है. कर्नल उससे थोडा ऊपर मसाज करने को बोलता है. दिव्या हाथ थोडा ऊपर ले जाती है.

दिव्या: यहाँ करू अंकल?

लाला: नहीं दिव्या थोडा और ऊपर.

जैसे जैसे दिव्या अपने हाथ ऊपर ले जाती है उसका हाथ कापने लगता है. कर्नल की सख्त जांघ किसी पत्थर की तरह ठोस लग रही थी. एसी में भी दिव्या को पसीना आने लगता है.

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लाला: हाँ दिव्या बस जरा सा और ऊपर. तुम्हारे हाथ कितने सॉफ्ट हैं.

दिव्या का हाथ अचानक कर्नल के अंडरवियर से छू जाता है तो वो रुक जाती है.

दिव्या: और ऊपर किया तो आपका अंडरवियर तेल से भीग जायेगा.

दिव्या को तुरंत पता चलता है की उसने कितनी बड़ी गलती कर दी है क्योंकि कर्नल उसे सोचने का मौका भी नहीं देता और फौरन अंडरवियर उतार देता है. दिव्या खुद को कोसने लगती है की आखिर वो यहाँ आई ही क्यों.
 
दिव्या अब मना नहीं कर पा रही थी जिसका फायदा उठा कर कर्नल दिव्या का हाथ पकड़ एकदम अपनी जांघ के उपरी हिस्से में रख देता है. कर्नल दर्द से कराहने की एक्टिंग करता है और दिव्या से कहता है की यही मालिश करो. जैसे ही दिव्या तेल डाल कर मालिश करना शुरू करती है कर्नल दर्द का नाटक करके अपना हाथ दिव्या की कमर पर रख देता है.

लाला: आह्ह्ह दिव्या थोडा अन्दर की तरफ करो. चोट वही है.

कर्नल बार बार दर्द का बहाना करके दिव्या को कमर को मसल देता है. कर्नल के हिलने से दिव्या का हाथ कई बार उसके लंड और अंडो को छू जाता है. हलकी रौशनी में दिव्या देखती है की कर्नल के टॉवल में एक टेंट बनने लगता है. अब दिव्या भी गरम होने लगती है. उसकी सांस तेज हो जाती है और वो बिना रुके कर्नल की जांघ को ऊपर तक रगड़ने लगती है.

लाला: आह दिव्या मैं बहुत लकी हूँ जो तुम जैसी पड़ोसन मिली है. नहीं तो अपने भी इतना नहीं करते और उस पर जबसे तुमने रेणुका वाले मामले में मेरी मदद करने को बोला है जैसे एक नयी उम्मीद मेरी जिंदगी में आ गयी है.

दिव्या चुपचाप मसाज करती रहती है तो कर्नल हल्का सा हिल कर अपना लंड उसके हाथ से छुआ देता है. अचानक कर्नल अपना आपा खो देता है और दिव्या का हाथ पकड़ कर अपने खड़े लंड पर रख देता है. दिव्या को इसकी बिलकुल उम्मीद नहीं थी और वो अपना हाथ वापस खींचती है लेकिन कर्नल उसे अपना लंड पकड़ा कर उसका हाथ दबा देता है जिससे वो कर्नल का लंड छोड़ नहीं पाती.

लाला: प्लीज दिव्या एक बार इसकी भी मसाज कर दो. तुम जानती हो की मैं कितना तड़प रहा हूँ.

दिव्या: छी, छोडिये मुझे. ये आप क्या कर रहे हैं.

लाला: दिव्या प्लीज थोडा सा तो सहला दो.

कर्नल अब अपना टॉवल भी हटा देता और पूरा नंगा होकर दिव्या के हाथो से अपने लंड को हिलाने लगता है. धीरे धीरे दिव्या कर्नल का लंड हिलाने लगती है और उसे पता भी नहीं चलता की कर्नल ने कब अपना हाथ हटा लिया.

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दिव्या के हाथ अब कर्नल के लंड पर बिना रुके ऊपर नीचे चलने लगते हैं. कर्नल भी दिव्या के हाथों से मुठ मरवाने के आनंद में अपनी ऑंखें बंद करके लेट जाता है. दिव्या के हाथ इस तरह से चल रहे थे जैसे वो ये कर्नल के लिए नहीं बल्कि अपनी संतुष्टि के लिए कर रही हो. कर्नल के सख्त लंड को हाथ में लेकर वो भी अचम्भे में थी की इस उम्र में कैसे किसी का लंड इतना तगड़ा हो सकता है.

जल्द ही कर्नल का शरीर अकड़ने लगता है जिससे दिव्या भी भांप जाती है और अपना हाथ और तेज़ चलने लगती है. कर्नल अचानक कराह उठता है और दिव्या के हाथ में ही झड जाता है.

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कर्नल के झड़ते ही दिव्या को अचानक होश आता है की वो क्या कर रही थी. वो तुरंत वहां से भाग खड़ी होती है लेकिन अब तो जो होना था वो हो ही चुका था. दिव्या अंपने फ्लैट में जाकर डोर बंद करके रोने लगती है. दिव्या के गोरे गालों से आंसू मोतियों की तरह गिरने लगते हैं. उसको समझ नहीं आ रहा की अचानक उसके जीवन में इतने सारे जिस्म के भूखे एक साथ कैसे आ गए. एक तरफ सलमान है जिसकी उसने मदद करनी चाही लेकिन उसके दिव्या के साथ जबरदस्ती की और फिर झूठ बोल कर धोखा दिया. फिर मदन और मनीष जो उसके जिस्म से खेलना चाहते हैं और अब ये कर्नल भी.

वो तो उसकी मदद करने गयी थी लेकिन उसने आज दिव्या से क्या करवा दिया. उसने तय कर लिया की आज के बाद वो कर्नल से कोई वास्ता नहीं रखेगी. वो रोते रोते कब सो गयी उसको पता ही नहीं चला लेकिन रात में उसके ऐसा सपना देखा की उसकी हालत ख़राब हो गयी. वो बेड पर तड़पने लगी.

दिव्या सपने में देखती है की कर्नल उसे पूरा नंगा करके घोड़ी बना कर बेरहमी से चोद रहा है. वो बेड पर पड़े पड़े आंहे भरती रहती है और पूरा पसीने में भीग जाती है.

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दिव्या का जिस्म आग की भट्टी की तरह तप रहा था इसीलिए न जाने कब वो अपने सपने की इस चुदाई के भी मजे लेने लगी. दिव्या सपने में देखती है की कर्नल के झटकों से वो फर्श पर लेट गयी है और अपने हाथ पीछे ले जाकर वो दिखावे के लिए कर्नल को रोकने की कोशिश करती है.

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वो जिन हाथो से कर्नल को रोकने की कोशिश कर रही थी अब उन्ही से कर्नल की जांघों को नोचने लगती है. कर्नल भी अपने झटको की स्पीड बढ़ा देता है और दिव्या के कान में कहता है "जानेमन तुम्हारी कोख में मैं अपना बीज डालने जा रहा हूँ. तुम जो पहला बच्चा पैदा करोगी वो मेरा होगा."

ये सुन कर दिव्या का सपना टूट जाता है और उसकी नींद खुल जाती है. वो अपना पसीना पोछ कर वापस लेट जाती है और सोचने लगती है की उसको कर्नल का सपना क्यों आया. उसे फिर से पछतावा होता है की वो कर्नल के घर क्यों गयी. उसे काफी देर तक नींद नहीं आती और उसका मन मनीष से बात करने का होता है लेकिन वो किसी तरह खुद पर काबू पा लेती है. रात इसी सब में कट जाती है और अगले दिन जब वो स्कूल के लिए घर से निकलती है तो सामने कर्नल उसका इंतज़ार कर रहा होता है.

दिव्या कर्नल को देख कर अपना मुंह फेर लेती है और फ्लैट लॉक करने लगती है लेकिन कर्नल उसे रोकता है और जबरदस्ती उसे लेकर फ्लैट के अन्दर आ जाता है.
 
दिव्या: अरे अरे ये क्या बदतमीजी है. बाहर निकलिए.

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कर्नल: मैं जानता हूँ की तुम मुझसे नाराज हो दिव्या लेकिन प्लीज मेरी बात तो सुनो.

दिव्या: मुझे कुछ नहीं सुनना. मैं तो हैरान हूँ की ऐसी हरकत करने के बाद भी आप मेरे सामने कैसे आये.

कर्नल: मैं अपनी गलती पर बहुत शर्मिंदा हूँ दिव्या पर मैं बहक गया था. जब से तुमने मुझसे रेणुका के बारे में बोला है तो मेरे मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे है. रेणुका को देखते ही मेरा मन बहकने लगता है.

दिव्या: लेकिन मैं रेणुका नहीं दिव्या हूँ, राजेश की बीवी.

कर्नल: जानता हूँ लेकिन कल दिन में रेणुका काम ख़तम करके मेरे बाथरूम में कपडे बदल रही थी तो उसको देख कर मैं अपना आपा खो बैठा और जब तुमने मेरी जांघों को छुआ तो मैं खुद पर काबू नहीं रख पाया.

दिव्या: रेणुका को आपने कैसे देखा जबकि वो बाथरूम में थी?

कर्नल: अब ये तो तुम भी जानती हो की मेरे बेडरूम के शीशे में बाथरूम का एक हिस्सा दिखता है. मेरा इरादा नहीं था ऐसा कुछ करने का लेकिन अब क्या बोलूं.

दिव्या अच्छे से जानती थी की कर्नल के बाथरूम के अन्दर का सब कुछ बेडरूम के शीशे में नज़र आता है क्योंकि दरवाजा ठीक से बंद नहीं होता. आज उसका शक यकीन में बदल गया की कर्नल ने जरूर उसे भी बाथरूम इस्तेमाल करते हुए देखा होगा. वो झेंप जाती है.

दिव्या: चाहे जो भी हो लेकिन कुछ भी आपकी हरकत को जस्टिफाई नहीं कर सकता.

कर्नल: मैं जस्टिफाई नहीं कर रहा हूँ बस तुमको ये बता रहा हूँ की ये कैसे हो गया और माफ़ी मांग रहा हूँ. तुम कहो तो तुम्हारे पैरों में पड़ जाऊ. तुम मेरी एकलौती दोस्त हो जिससे मैं अपनी सारी बातें कर लेता हूँ और मैं तुम्हे खोना नहीं चाहता. मुझे एक मौका तो और दो.
 
दिव्या: ठीक है लेकिन मुझे सोचने का वक़्त दीजिये.

कर्नल: ओह्ह दिव्या, यू आर सो नाइस. लेकिन कहीं मैं रेणुका के मामले में भी तो गलती नहीं कर रहा. कहीं ऐसा न हो की मैं कुछ सोच रहा हूँ और वो कुछ और.

दिव्या: वो आपकी काफी इज्जत करती है पर पता नहीं की वो आपसे शादी करेगी या नहीं. उसकी बातों से कुछ पता नहीं चला.

कर्नल: प्लीज पता करो न, तुम ये कर सकती हो.

दिव्या: आप तो उससे शादी के लिए तैयार है न?

कर्नल: हाँ हाँ बिलकुल. वो बेचारी मेरा कितना ख्याल रखती है.

दिव्या: ठीक है. मैं उससे बात करूंगी लेकिन आप उसको धोखा तो नहीं देंगे न?

कर्नल: अरे नहीं दिव्या. बिलकुल नहीं. तुम मुझे ऐसा आदमी समझती हो क्या?

दिव्या: समझती तो नहीं थी लेकिन कल आपने...

कर्नल: कल के लिए मैं फिर से तुमसे माफ़ी मांगता हूँ. सच में मेरा विश्वास करो की मैं बहुत शर्मिंदा हूँ.

दिव्या: अब मैं जा रही हूँ वरना स्कूल के लिए देर हो जाएगी. रेणुका से बात करके आपको बता दूँगी.

कर्नल: ठीक है. जाओ लेकिन प्लीज अपने मन में मेरे लिए कोई गलत बात न रखना.
 
दिव्या इस बात का कोई जवाब दिए बिना वहां से निकल जाती है. आज भी एक्साम्स के पेपर सेट करने में दिव्या को स्कूल में काफी देर हो जाती है. जब दिव्या घर के लिए निकल रही होती है तो उसे एक क्लास में मनीष बैठ कर पढ़ते दिखाई देता है. उसे देख कर दिव्या हैरान होती है और वो क्लास में चली जाती है.

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मनीष: अरे मैम आप घर नहीं गयीं?

दिव्या: मैं तो कुछ काम कर रही थी लेकिन तुम क्यों नही गए?

मनीष: वो मैं तो फाइनल की तैयारी कर रहा था और इस वक़्त घर पर पढाई नहीं हो पाती. दोस्त वगेरह आ जाते है इसीलिए लेकिन कुछ समझ नहीं आ रहा.

दिव्या: फोकस ठीक जगह रखा करो तो सब समझ आयेगा. वैसे क्या नहीं समझ आ रहा?

मनीष: मैम वो रिप्रोडक्शन प्रोसेस नहीं समझ आ रहा.

दिव्या: हम्म ये तो रश्मि मैम तुमको ज्यादा ठीक से बता पाएंगी. उन्हें ही बुला लो.

मनीष: वो तो कब की घर चली गयी. आप तो साइंस टीचर है तो आप तो और भी अच्छे से समझा सकती हैं.

दिव्या: हाहाहा. चलो तुम पढ़ो. मैं चलती हूँ.

मनीष: अरे बैठो न मैम थोड़ी देर. अब तो आप ऑनलाइन भी नही आतीं. अच्छा ये तो समझा दीजिये.

दिव्या डेस्क पर बैठ कर किताब देखने लगती है की मनीष क्या पूछ रहा है और मनीष दिव्या का जिस्म निहारने लगता है.
 
दिव्या: अरे ये तो बहुत सिंपल है.

तभी दिव्या देखती है की मनीष उसकी चून्चियों को घूर रहा है.

दिव्या: मुझे घूरने के लिए रोका है तुमने या पढने के लिए?

मनीष: आप तो ऐसे कह रही है जैसे मैंने कभी इन्हें देखा न हो. आप चली ही जाइये वरना मेरी नज़र तो आपके बदन पर जाएगी ही.

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दिव्या: समझा करो मनीष. मैं तुम्हारी टीचर हूँ. मैं तुमसे काफी ओपन हो गयी थी लेकिन वो गलत था.

मनीष: अच्छा और सलमान के साथ सेक्स करना गलत नहीं था? आप जानती है की मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ और कभी सलमान की तरह आपसे जबरदस्ती नहीं करूंगा इसीलिए आप मुझे जब तब डांट देती हैं.

दिव्या: डांट नहीं रही समझा रही हूँ की ये तुम्हारे लिए भी सही नहीं है. तुम्हारे लिए पूजा ही ठीक है. मेरा या रश्मि का ख्याल अपने दिल से निकाल दो.

मनीष ये सुन कर क्लास से जाने लगता है.

दिव्या: अरे कहाँ जा रहे हो. नाराज़ हो गए क्या?

मनीष: नाराज़ नहीं हूँ लेकिन अब अगर यहाँ रुका तो आपको छुए बिना नहीं रह पाउँगा जो आपको पसंद नहीं आयेगा.

दिव्या चुप हो जाती है. उसे कुछ न कहता देख मनीष उसकी तरफ बढ़ता है. जल्द ही दिव्या को अपने कंधे पर मनीष का हाथ महसूस होता है. मनीष दिव्या के साडी के पल्लू को सरका कर नीचे गिरा देता है.

दिव्या: नहीं मनीष ये सब नहीं करो.

मनीष: मैम आप तो मेरी प्यास समझती हैं न. मना मत करो प्लीज.

इतना कह कर मनीष कंधो को चूमते हुए नीचे हाथो की तरफ बढ़ने लगता है.

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ऐसा करते हुए मनीष दिव्या की गांड में अपना लंड का दबाव बढ़ा देता है. दिव्या इसके लिए तैयार नहीं थी और वो मनीष को पीछे धकेल देती है.

दिव्या: मैं मना कर रही हूँ न मनीष.तुम कभी मेरी कोई बात नहीं मानते.
 
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