desiaks
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मालविका मस्ती से भर गयी थी उसे लड़की का चूत चुसना बहुत अच्छा लग रहा था तभी लड़की झट से अगल हुई और तेजी से अपने साथ लाये स्ट्रैप और रबर के लंड को थाम लिया | इससे पहले मालविका अपनी मादकता की वासना के भंवर से बाहर आ पाती, लड़की ने फिर मालविका के पास पंहुचकर उसके सुडौल उरोजो को मसलना शुरू कर दिया | एक हाथ से एक उरोज के निप्पल को मसल रही थी, दुसरे हाथ की हथेली में पूरा का पूरा उरोज ही भर लिया और दबाने लगी | लड़की के नरम हाथो से रुई की तरह नरम उरोज को मसलने की अनुभूति ही कुछ और थी | मालविका के मुहँ से मादक भरी आह ही बस निकल रही थी | मालविका की सांसे तेज थी और बदन में गर्मी बढ़ गयी थी, वही हाल लड़की का भी हो चला था लेकिन लड़की एन्जॉय करने नहीं एन्जॉय कराने आई थी इसलिए, न तो उसके हाथ रुक रहे थे और न ही उसके ओंठ | दोनों ही बखूबी मालविका के जिस्म के सवेंदनशील अंगो को छेड़ रहे थे, मसल रहे थे, चिकोट रहे थे और मालविका को जन्नत की सैर करा रहे थे | कमरे में ख़ामोशी छाई थी बस दोनों की गरम सांसो और कराहों की ही आवाजे आ रही थी | कमरे का म्यूजिक कब का बंद हो चूका था | लड़की अपनी मालकिन को वासना के सागर में आनंद के गोते लगवाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही थी | मालविका के ओंठ हो, गर्दन हो,कान हो ठोड़ी हो, स्तन हो निप्पल हो या उसकी नाभि हो, सबको बखूबी चाट और चूम रही थी | उसकी जीभ का गीला खुरदुरा स्पर्श मालविका के गरम बदन पर किसी तपते रेगिस्तान में ठंडी फुहार जैसा था | मालविका उसकी इस काबिलियत की फैन हो गयी |
लड़की ने अपने मुहँ में मालविका के निप्पल लेकर किसी छोटे बच्चे की तरह चुसना शुरू कर दिया | दुसरे हाथ से फिर से मालविका की गुलाबी चूत जो गीली होने लगी थी उसके खूबसूरत ओंठो को मसलने लगी | मालविका तो आनंद के सागर में गोते लगाते हुए बस लड़की के हर एक स्पर्श को समेटने में लगी थी | वासना की लहरे उसके शरीर में बार बार उठ गिर रही थी और उन तरंगो के कारन शरीर में बनने वाली लय के कारन मुहँ से निकलने वाली मादक कराहे कमरे में गूँज रही थी | मालविका का जिस्म वासना की आग में तपने लगा था | उसे अब और कुछ ज्यादा की जरुरत महसूस होने लगी | उसने बस इशारा किए और लड़की ने वो रबर का लंड अपनी कमर में बांधकर, उसको सीधा करते हुए, उसका चिकना बेजान सुपाडा मालविका के मुहँ के सामने कर दिया | मालविका ने भी देर नहीं की, उसने झट से उसे अपने मुहँ में ले लिया और असली लंड की तरह सर आगे पीछे हिलाकर उसे चूसने लगी, मुहँ के अन्दर लेने लगी |
लड़की अपने नरम ठोस उरोजो को मसलने लगी | उसके बदन की गर्मी भी पसीने के रूप में बाहर निकलने लगी, उसके ओंठ भी हवस की प्यास में सूखने लगे | उसके ओंठो की लालिमा सुर्ख हो चली और अपने ओंठो की सुर्खी मिटाने को बार बार वो अपनी गीली गुलाबी जुबान अपने सूखे ओंठो पर फिराती | इधर मालविका ने बड़ी शिद्धत से रबर के लंड का कोना कोना नाप डाला, लंड की जड़ हो या सुपाडा, उसकी गीली खुरदुरी जीभ से कुछ नहीं बचा था | दोनों के बदन की गर्मी अब चरम पर पंहुच गयी थी, मालविक के लिए अब रुक पाना नामुनकिन था | वो बिस्तर पर लेटकर अपनी जांघे फ़ैलाने वाली ही थी ताकि लड़की अपने रबर लंड से उसको जमकर चोद सके, लेकिन लड़की की कमर में बंधे उसके रबर लंड के नीचे उसकी चूत की गुलाबी फांके देखकर मालविका के ओंठो की प्यास जाग उठी | उसकी गुलाबी चूत को चूसने की लालसा में उसके ओंठ सुर्ख होने लगे | उसकी कमर में बंधा वो रबर का ठोस लंड और उसके नीचे किसी नयी गुलाबी कली की तरह चमकती उसकी चूत, जिसके दोनों गुलाबी फांके एक दुसरे से अलग हो चुके थे |
मालविका की चूत में तड़प बढ़ती जा रही थी, वो अपने अन्दर एक लंड की फरमाइश कर रही थी लेकिन सामने लड़की की चूत देख उससे रहा न गया, उसने चूत को कुछ देर और इन्तजार कराने की ठानी और लपक कर लड़की को थाम लिया | उसे बेड पर गिरा दिया, उसकी जांघे दोनों ओर को फैलाकर चौड़ी कर दी और उसकी जांघो के बीच में अपना सर घुसा दिया | उसने रबर के लंड को हाथ से पकड़ा थोड़ा ऊपर खिसका दिया ताकि उस मखमली गुलाबी चूत को चूसने में कोई दिक्कत न हो | इसके बाद उसने अपने सुर्ख गुलाबी ओठ, उसकी चूत रस से पनियाई गीली चूत पर सटा दिए | लड़की मादक कराह भर कर रह गयी | मालविका जीभ निकाल उसकी चूत चटाने लगी, अपने ओंठो से उसके लाल चूत दाने को चूमने चटाने लगी | लड़की भी मालविका की इस हरकत से वासना से नहा गयी | उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका क्लाइंट ऐसा कुछ करेगी, लेकिन इस काम में उसको कुछ भी अप्रत्याशित का सामना करना पड़ सकता था, फिलहाल जो हो रहा था वो अप्रत्याशित था लेकिन सुखद भी था | मालविका अपने ओंठो की प्यास बुझाती रही और लड़की अपने ओरोजो को मसलती रही | लड़की के मुहँ से मादक सिसकारियां फूटती रही | मालविका उसकी जांघो के बीच झुकी उसकी चूत को चूसती रही | कुछ देर बाद मालविका के ओंठो की प्यास कुछ कम हुई तो वो बिस्तर पर आ गयी और उसने अपनी गोरी जांघे फैला दी | लड़की को एक पल लगा अपनी सांसे काबू करने में फिर उसने भी पोजीशन ले ली | उसने अपने मुहँ की लार निकाली और मालविका की चूत के मुहाने पर मल दी | फिर रबर के लंड का सुपाडा उसकी मखमली चूत के गरम मुहाने पर लगाया, उसे लगा की रबर का लंड थोड़ा ढीला बंधा है उसकी कमर में, तो उसने अपनी कमर की बेल्ट थोड़ी टाइट करी | अब रबर के लंड की जड़ उसके चूत त्रिकोण के चिकने जंगली इलाके से सट कर चिपक गयी थी | लंड उसके शरीर ने 90 डिग्री का कोण बनाने लगा था | लड़की ने अपनी कमर को हल्का सा झटका दिया और रबर का लंड मालविका की गीली गरम गुलाबी चूत में धंसने लगा |
लंड का सुपाडा मालविका की चूत में घुस गया | मालविका की मखमली चूत की चिपकी गुलाबी दीवारे फैलने लगी और मालविका हलके दर्द से कराह उठी | मालविका की चूत में अभी भी गीलेपन की थोड़ी कमी थी शायद इसलिए लंड उसकी दीवारों को सुखा ही चीर रहा था | लड़की एक पल को थम गयी वो मालविका की चूत दाने को जोर जोर से रगड़ने लगी | लड़की अपने क्लाइंट को किसी तरह का कोई बुरा अनुभव देकर नहीं जाना चाहती थी | वो नहीं चाहती थी जो दर्द मर्द के लंड की चुदाई से औरत अनुभव करती है वो यहाँ हो, वहां पुरुष का आकर्षण, उसकी गंध और भी बहुत कुछ होता है जो यहाँ नहीं था इसलिए यहाँ मालविका के जिस्म के अन्दर के वासना की उत्तेजना का लेवल कभी कम न हो और उसका रिमोट मालविका का चूत दाना था | चूत दान रगड़ने से औरत उत्तेजित रहती है और बड़े से बड़ा लंड भी आसनी से चूत में घुस जाता है | मालविका वासना से भरी हुई थी, लड़की के चूत दाना रगड़ते ही वो भी रियेक्ट करने लगी उसकी आंखे मस्ती में बंद थी लेकिन बाकि बदन पूरी तरह से चुदाई को समर्पित था | उसकी लय में घूमती कमर से लंड का सुपाडा उसकी चूत की दीवारों की अपने आप ही मालिश किये दे रहा था | आह आह आह आह बस यही मुहँ से निकल रहा था | मालविका के जिस्म की प्रतिक्रिया बता रही थी वो लंड लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है | उसकी चूत भी अच्छे से चूत रस छोड़ने लगी थी |
एक लड़की दूसरी औरत को चोद रही थी, ये सामान्य चुदाई का नियम तो नहीं लेकिन जिनका अनुभव् असली लंड से अच्छा नहीं रहता वो अपनी प्यास बुझाने का नया रास्ता दूंढ ही लेती है | मालविका ने भी वो नया रास्ता दूंढ लिया था, लड़की बेतहाशा धक्के लगा रही थी और मालविका भी उतनी ही शिद्दत से लंड घोट रही थी | एक के मुहँ से आआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह की सिसकारी बंद नहीं हो रही थो तो दूसरी सीईईईईईईईईईईईस्सस्सस का सीत्कार भर रही थी | वासना की महफ़िल में हवस से भरे दो जिस्म अपने अन्दर की आग बुझाने में पूरी तरह से रमे हुई थे | उनके उत्तेजित शरीर इस आग को बुझाने को कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे | आखिर हवस में डूबे तपते बदन कभी तो ठन्डे पड़ेगें | आखिर कभी तो ये जिस्म को दहकाने वाली आग बुझेगी | दोनों ही अपने जिस्मो की आग को बुझाने में कसकर रमी हुई थी, मालविका ने अपनी उंगलिया स्तनों को मसलने से हटाकर चूत पर ले आई | उसकी उंगलियाँ चूत दाने पर रपटने लगी | मालविका अब जोर जोर से आआअह्हह्हह सस्स्स्स आआअह्हह्हह सस्स्स्स आआअह्हह्हह सस्स्स्स की आवाजे निकाल रही थी | लड़की ने भी इस इशारे को समझकर अपने झटके तेज कर दिए, जीतनी तेज वो लंड मालविका की चूत में ठेल सकती थी ठेल रही थी | उसकी कराहे भी चरम पर पंहुच गयी थी | उसकी कमर में जीतनी ताकत थी उतनी ताकत से वो मालविका को चरम सुख की ओर ले जा रही थी | मालविका को भी अपने बदन की हरकतों का अहसास होने लगा | वासना की भट्ठी में तपता उसका बदन अब अकड़ने लगा | उसके शरीर में मादक तरंगो के ज्वार उठने गिरने लगे | उसकी जांघो में कम्पन बढ़ गया | उसके भरी भरकम चुतड थर थराने लगे, उसकी चूत की दीवारे फड़कने लगी | उसके पसीने से लथपथ ठोस उरोज पत्थर की तरह अकड़ गए | उसके मन मस्तिष्क में एक उत्तेजना का एक तूफ़ान सा गया, उसकी चूत झरने लगी, उसकी चूत का फौव्वारा फुट पड़ा और उसके जिस्म में जल रही हवस की आग को बुझाने लगा | उसके तपते जिस्म में एक तूफ़ान आया और सब कुछ बहाने लगा | उस तूफ़ान में मालविका सब कुछ छोड़कर पानी की तरह बहने लगी | उसका अकड़ता शरीर अनचाहे कम्पन से हिलकर शांत हो गया | वो एक लम्बी मादक कराह आआआआआआआह्हह्हह्हह ईईईईईईईईईइ के साथ ढेर हो गयी | उसका तपता बदन का कांपना थमने लगा, शरीर की अकडन नरम हो गयी और कठोर हो गए उरोज नरम होने लगे | वो पसीने से लथपथ हो गयी, सांसे बेकाबू सी हो रही थी, दिल जोरो से धड़क रहा था और हर गुजरते पल के साथ सब कुछ थमता नजर आ रहा था | उसने खुद को ढीला छोड़ दिया, शिथिल होकर सांसे काबू में करने लगी | लगातर धकापेल लंड पेलने की कारन लड़की की सांसे भी धौकनी की तरह तेज थी वो भी बुरी तरह हांफ रही थी | लड़की भी अपनी सांसे काबू करती हुई पड़ोस में लुढ़क गयी, मालविका ने उसे अपनी बांहों में भर लिया | दोनों के पसीने से लथपथ शरीर का पसीना के दुसरे में मिलने लगा | एक दुसरे की बांहों में कैद दोनों अपनी सांसे काबू में करने लगी |
लड़की भीषण चुदाई करके थक गयी थी, मालविका की जब सांसे काबू में आई, उसने लड़की को अपने नीचे दबोच लिया, उसी की चूत रस से नहाया हुआ रबर लंड फिर से अपनी गीली चूत में घुसेड़ दिया | अब मालविका लड़की के ऊपर थी, रबर का लंड उसकी चूत में पूरी तरह से धंसा हुआ था |
मालविका बस इतना ही बोली - नाउ माय टर्न |
उसके नीचे लेटी बस मुस्कुरा भर दी, दोनो एक दुसरे को चूमने लगे | दोनों के गुलाबी ओंठ एक दुसरे से चिपक गए | दोनों एक दुसरे को बेतहाशा चूमने लगी | मालविका ने लड़की को चुमते चुमते अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी | वो मोटा सा रबर का लंड मालविका की चूत में पैबस्त होने लगा | मालविका घुटनों के बल पर अपने भारी भरकम चुताड़ो को हिला हिलाकर रबर का लंड अपनी सूखी गुलाबी चूत में ले रही थी | गुलाबी चूत की दीवारे सूखी होने के कारन लंड से बहुत अच्छे से चिपक कर रगड़ खा रही थी | इसीलिए मालविका को लंड अपनी चूत में घुसेड़ने में अच्छा खासा जोर लगाना पड़ रहा था | मालविका की चूत को रौंदता लंड उसके शरीर में फिर से वासना का बुखार भरने लगा | मालविका झड चुकी थी लेकिन उसके जिस्म में हवस की आग अभी बराबर जल रही थी | आदमियों और औरतो में बस यही एक फर्क है औरते झड़ती रहती है फिर भी उनकी चुदास ख़त्म नहीं होती | मालविका भी यही हाल था, अपनी सूखी चूत को रबर के लंड से चोद चोद कर फिर से अपनी गुलाबी मखमली चूत को चुदाई की प्यासी सुरंग बना देना चाहती थी | मालविका के शरीर में फिर से उत्तेजना बढ़ने लगी थी | उसका बदन फिर गरम होने लगा, उसके कोमल बदन , गोरे जिस्म में फिर से खून का दौरान बढ़ गया था | मालविका इन सबसे बेपरवाह अपनी सूखी चूत की मखमली दीवारों को खुद ही रबर के लंड से कुचलने में बेतहाशा जुटी हुई थी | इसके बावजूद मालविका को कुछ और भी चाहिए था शायद, जो वो झड़ने के इतनी देर बाद अपनी सूखी चूत में लंड घोटते घोटते समझ पाई थी | हर झटके के साथ लंड की जड़ लड़की के चिकने चूत त्रिकोण पर जबदस्त ठोकर खा रही थी और इससे लड़की का पूरा चूत का इलाका हिल जाता था |
वो चूत में लंड लेकर अपनी चूत की खुजली मिटा चुकी थी अब उसका मन अपने गांड के छेद की खुजली मिटाने का था | तभी उसके जवान जिस्म की हवस की भूख मिटेगी और वो दिलो दिमाग मन मस्तिष्क सबसे पूरी तरह से तृप्त होगी | गांड की चुदाई की जिस्म में अलग ही सनसनाहट होती है, जिस औरत को उसकी लत हो वही गांड मरवाती है, नहीं तो ये काफी दर्द भरा अनुभव होता है और ज्यादातर गाड़ में लंड जाने से जो दर्द भरी सीत्कार करती तरंगे पुरे शरीर में दौड़ती है वो चूत की चुदाई से बिलकुल ही अलग अनुभव होता है | सामान्य औरते इसे पसंद नहीं करती | जो औरते अकेले रहती है जो सामान्य चुदाई से मरहूम है जिन्हें आमतौर पर मर्दों के लंड से चुदने का मौका नहीं मिलाता है या फिर जिनका चूत चुदाई का अनुभव अच्छा न रहा हो या कुछ औरते सेक्स में और ज्यादा तड़के के लिए भी अपनी गांड का छेद खोल देती है | मालविका का भी कुछ ऐसा ही हाल था | उसे असली लंड से नफरत सी हो गयी थी, लेकिन अपनी सेक्स कामनाओं को ढूढ़ते ढूढ़ते वो चूत से पिछले छेद तक जा पंहुची | पहली बार गांड के छेद में उसने मोमबत्ती घुसाई थी, फिर एक मार्कर | अब तक वो कई चीजो को गांड में डाल चुकी थी, इसलिए गांड चुदवाना या खुद ही चोदना उसके लिए नया अनुभव नहीं था | जब भी उसकी चूत में कुछ जाता, उसके गांड के छेद की खुजली भी बढ़ जाती | जो औरत दो चार बार गांड मरवा ले फिर उसको भी इस अप्राकृतिक तरीके में मजा आने लगता है फिर चाहे कितना भी दर्द हो | मालविका ने लड़की के कान में धीरे से कुछ कहा और लड़की ने ओके कहा | लड़की मालविका के पीछे आ गयी | मालविका ने भी अपनी जांघे सम्नेट कर इकट्ठी कर ली और अपने भरी भरकम चूतड़ पीछे की तरह को खोल दिए | लड़की ने एक लोशन निकाला और मालविका की गांड के कसे छेद पर मल दिया और अपना रबर लंड उसके छेद पर सटा दिया |
लड़की मालविका के सिग्नल का इन्तजार करने लगी | मालविका ने कसकर अपना चूत दाना रगड़ना शुरू कर दिया | लड़की मालविका की गांड पर जोर बढ़ाती चली गयी | मालविका ने अपने चुतड पर हाथ रखकर गांड के छेद को और ज्यादा फ़ैलाने की कोशिश की | लड़की ने मालविका की कमर को कसकर थम लिया और सारा जोर अपनी पतली कमर पर डाल दिया | मालविका के भारी भरकम नरम मांस के छोटे पहाड़ जैसे चुताड़ो की दरारों में छुपा बादाम के बराबर का संकरा छेद अपने ऊपर पड़ रहे लंड के भीषण दबाव के आगे घुटने टेक गया | मालविका के चेहरे पर दर्द भरी लकीरे तैरने लगी थी | उसका छेद फ़ैल चूका था और लड़की ने उसमे रबर का लंड घुसा दिया था | मालविका कराह उठी | लड़की वही की वही थम गयी, जैसे कोई स्टैचू बनता हो | वो मालविका की तरफ देखने लगी, जो गाड़ में मोटे बेजान लंड के घुसने से होने वाले दर्द से बेहाल थी | उसकी गांड के सकंरे छेद की सख्त मांसपेशिय फ़ैल रही थी और भीषण दर्द पैदा कर रही थी | ऐसा लग रहा था किसी ने मालविका की गांड में नश्तर घुसेड कर उसे चीर दिया हो | एक बार ये गांड का सख्त छल्ला खुल जाये फिर मालविका जमकर चुदेगी | चूतड़ उछाल उछाल कर गांड में लंड लेगी लेकिन इस समय सचमुच उसकी गांड फटी हुई थी | उसकी दोनों जांघे सटी हुई थी, उसकी चूत के ओठ किसी बीच से काटे गए बर्गर की तरह बंद थे | दोनों एक दुसरे पर नजरे टिकाये थी | मालविका ने मुट्ठी भींच कर अपनी कमर पीछे की ओर ठेली और थोडा सा लंड अपनी गांड में ले लिया | लड़की ने भी थोड़ा सा जोर लगाया और थोडा लंड और अन्दर पेल दिया | फिर आइस्ते से लंड को बाहर खीचा और फिर कमर हिलाकर मालविका की गांड में अन्दर डाल दिया |
लड़की ने अपने मुहँ में मालविका के निप्पल लेकर किसी छोटे बच्चे की तरह चुसना शुरू कर दिया | दुसरे हाथ से फिर से मालविका की गुलाबी चूत जो गीली होने लगी थी उसके खूबसूरत ओंठो को मसलने लगी | मालविका तो आनंद के सागर में गोते लगाते हुए बस लड़की के हर एक स्पर्श को समेटने में लगी थी | वासना की लहरे उसके शरीर में बार बार उठ गिर रही थी और उन तरंगो के कारन शरीर में बनने वाली लय के कारन मुहँ से निकलने वाली मादक कराहे कमरे में गूँज रही थी | मालविका का जिस्म वासना की आग में तपने लगा था | उसे अब और कुछ ज्यादा की जरुरत महसूस होने लगी | उसने बस इशारा किए और लड़की ने वो रबर का लंड अपनी कमर में बांधकर, उसको सीधा करते हुए, उसका चिकना बेजान सुपाडा मालविका के मुहँ के सामने कर दिया | मालविका ने भी देर नहीं की, उसने झट से उसे अपने मुहँ में ले लिया और असली लंड की तरह सर आगे पीछे हिलाकर उसे चूसने लगी, मुहँ के अन्दर लेने लगी |
लड़की अपने नरम ठोस उरोजो को मसलने लगी | उसके बदन की गर्मी भी पसीने के रूप में बाहर निकलने लगी, उसके ओंठ भी हवस की प्यास में सूखने लगे | उसके ओंठो की लालिमा सुर्ख हो चली और अपने ओंठो की सुर्खी मिटाने को बार बार वो अपनी गीली गुलाबी जुबान अपने सूखे ओंठो पर फिराती | इधर मालविका ने बड़ी शिद्धत से रबर के लंड का कोना कोना नाप डाला, लंड की जड़ हो या सुपाडा, उसकी गीली खुरदुरी जीभ से कुछ नहीं बचा था | दोनों के बदन की गर्मी अब चरम पर पंहुच गयी थी, मालविक के लिए अब रुक पाना नामुनकिन था | वो बिस्तर पर लेटकर अपनी जांघे फ़ैलाने वाली ही थी ताकि लड़की अपने रबर लंड से उसको जमकर चोद सके, लेकिन लड़की की कमर में बंधे उसके रबर लंड के नीचे उसकी चूत की गुलाबी फांके देखकर मालविका के ओंठो की प्यास जाग उठी | उसकी गुलाबी चूत को चूसने की लालसा में उसके ओंठ सुर्ख होने लगे | उसकी कमर में बंधा वो रबर का ठोस लंड और उसके नीचे किसी नयी गुलाबी कली की तरह चमकती उसकी चूत, जिसके दोनों गुलाबी फांके एक दुसरे से अलग हो चुके थे |
मालविका की चूत में तड़प बढ़ती जा रही थी, वो अपने अन्दर एक लंड की फरमाइश कर रही थी लेकिन सामने लड़की की चूत देख उससे रहा न गया, उसने चूत को कुछ देर और इन्तजार कराने की ठानी और लपक कर लड़की को थाम लिया | उसे बेड पर गिरा दिया, उसकी जांघे दोनों ओर को फैलाकर चौड़ी कर दी और उसकी जांघो के बीच में अपना सर घुसा दिया | उसने रबर के लंड को हाथ से पकड़ा थोड़ा ऊपर खिसका दिया ताकि उस मखमली गुलाबी चूत को चूसने में कोई दिक्कत न हो | इसके बाद उसने अपने सुर्ख गुलाबी ओठ, उसकी चूत रस से पनियाई गीली चूत पर सटा दिए | लड़की मादक कराह भर कर रह गयी | मालविका जीभ निकाल उसकी चूत चटाने लगी, अपने ओंठो से उसके लाल चूत दाने को चूमने चटाने लगी | लड़की भी मालविका की इस हरकत से वासना से नहा गयी | उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका क्लाइंट ऐसा कुछ करेगी, लेकिन इस काम में उसको कुछ भी अप्रत्याशित का सामना करना पड़ सकता था, फिलहाल जो हो रहा था वो अप्रत्याशित था लेकिन सुखद भी था | मालविका अपने ओंठो की प्यास बुझाती रही और लड़की अपने ओरोजो को मसलती रही | लड़की के मुहँ से मादक सिसकारियां फूटती रही | मालविका उसकी जांघो के बीच झुकी उसकी चूत को चूसती रही | कुछ देर बाद मालविका के ओंठो की प्यास कुछ कम हुई तो वो बिस्तर पर आ गयी और उसने अपनी गोरी जांघे फैला दी | लड़की को एक पल लगा अपनी सांसे काबू करने में फिर उसने भी पोजीशन ले ली | उसने अपने मुहँ की लार निकाली और मालविका की चूत के मुहाने पर मल दी | फिर रबर के लंड का सुपाडा उसकी मखमली चूत के गरम मुहाने पर लगाया, उसे लगा की रबर का लंड थोड़ा ढीला बंधा है उसकी कमर में, तो उसने अपनी कमर की बेल्ट थोड़ी टाइट करी | अब रबर के लंड की जड़ उसके चूत त्रिकोण के चिकने जंगली इलाके से सट कर चिपक गयी थी | लंड उसके शरीर ने 90 डिग्री का कोण बनाने लगा था | लड़की ने अपनी कमर को हल्का सा झटका दिया और रबर का लंड मालविका की गीली गरम गुलाबी चूत में धंसने लगा |
लंड का सुपाडा मालविका की चूत में घुस गया | मालविका की मखमली चूत की चिपकी गुलाबी दीवारे फैलने लगी और मालविका हलके दर्द से कराह उठी | मालविका की चूत में अभी भी गीलेपन की थोड़ी कमी थी शायद इसलिए लंड उसकी दीवारों को सुखा ही चीर रहा था | लड़की एक पल को थम गयी वो मालविका की चूत दाने को जोर जोर से रगड़ने लगी | लड़की अपने क्लाइंट को किसी तरह का कोई बुरा अनुभव देकर नहीं जाना चाहती थी | वो नहीं चाहती थी जो दर्द मर्द के लंड की चुदाई से औरत अनुभव करती है वो यहाँ हो, वहां पुरुष का आकर्षण, उसकी गंध और भी बहुत कुछ होता है जो यहाँ नहीं था इसलिए यहाँ मालविका के जिस्म के अन्दर के वासना की उत्तेजना का लेवल कभी कम न हो और उसका रिमोट मालविका का चूत दाना था | चूत दान रगड़ने से औरत उत्तेजित रहती है और बड़े से बड़ा लंड भी आसनी से चूत में घुस जाता है | मालविका वासना से भरी हुई थी, लड़की के चूत दाना रगड़ते ही वो भी रियेक्ट करने लगी उसकी आंखे मस्ती में बंद थी लेकिन बाकि बदन पूरी तरह से चुदाई को समर्पित था | उसकी लय में घूमती कमर से लंड का सुपाडा उसकी चूत की दीवारों की अपने आप ही मालिश किये दे रहा था | आह आह आह आह बस यही मुहँ से निकल रहा था | मालविका के जिस्म की प्रतिक्रिया बता रही थी वो लंड लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है | उसकी चूत भी अच्छे से चूत रस छोड़ने लगी थी |
एक लड़की दूसरी औरत को चोद रही थी, ये सामान्य चुदाई का नियम तो नहीं लेकिन जिनका अनुभव् असली लंड से अच्छा नहीं रहता वो अपनी प्यास बुझाने का नया रास्ता दूंढ ही लेती है | मालविका ने भी वो नया रास्ता दूंढ लिया था, लड़की बेतहाशा धक्के लगा रही थी और मालविका भी उतनी ही शिद्दत से लंड घोट रही थी | एक के मुहँ से आआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह की सिसकारी बंद नहीं हो रही थो तो दूसरी सीईईईईईईईईईईईस्सस्सस का सीत्कार भर रही थी | वासना की महफ़िल में हवस से भरे दो जिस्म अपने अन्दर की आग बुझाने में पूरी तरह से रमे हुई थे | उनके उत्तेजित शरीर इस आग को बुझाने को कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे | आखिर हवस में डूबे तपते बदन कभी तो ठन्डे पड़ेगें | आखिर कभी तो ये जिस्म को दहकाने वाली आग बुझेगी | दोनों ही अपने जिस्मो की आग को बुझाने में कसकर रमी हुई थी, मालविका ने अपनी उंगलिया स्तनों को मसलने से हटाकर चूत पर ले आई | उसकी उंगलियाँ चूत दाने पर रपटने लगी | मालविका अब जोर जोर से आआअह्हह्हह सस्स्स्स आआअह्हह्हह सस्स्स्स आआअह्हह्हह सस्स्स्स की आवाजे निकाल रही थी | लड़की ने भी इस इशारे को समझकर अपने झटके तेज कर दिए, जीतनी तेज वो लंड मालविका की चूत में ठेल सकती थी ठेल रही थी | उसकी कराहे भी चरम पर पंहुच गयी थी | उसकी कमर में जीतनी ताकत थी उतनी ताकत से वो मालविका को चरम सुख की ओर ले जा रही थी | मालविका को भी अपने बदन की हरकतों का अहसास होने लगा | वासना की भट्ठी में तपता उसका बदन अब अकड़ने लगा | उसके शरीर में मादक तरंगो के ज्वार उठने गिरने लगे | उसकी जांघो में कम्पन बढ़ गया | उसके भरी भरकम चुतड थर थराने लगे, उसकी चूत की दीवारे फड़कने लगी | उसके पसीने से लथपथ ठोस उरोज पत्थर की तरह अकड़ गए | उसके मन मस्तिष्क में एक उत्तेजना का एक तूफ़ान सा गया, उसकी चूत झरने लगी, उसकी चूत का फौव्वारा फुट पड़ा और उसके जिस्म में जल रही हवस की आग को बुझाने लगा | उसके तपते जिस्म में एक तूफ़ान आया और सब कुछ बहाने लगा | उस तूफ़ान में मालविका सब कुछ छोड़कर पानी की तरह बहने लगी | उसका अकड़ता शरीर अनचाहे कम्पन से हिलकर शांत हो गया | वो एक लम्बी मादक कराह आआआआआआआह्हह्हह्हह ईईईईईईईईईइ के साथ ढेर हो गयी | उसका तपता बदन का कांपना थमने लगा, शरीर की अकडन नरम हो गयी और कठोर हो गए उरोज नरम होने लगे | वो पसीने से लथपथ हो गयी, सांसे बेकाबू सी हो रही थी, दिल जोरो से धड़क रहा था और हर गुजरते पल के साथ सब कुछ थमता नजर आ रहा था | उसने खुद को ढीला छोड़ दिया, शिथिल होकर सांसे काबू में करने लगी | लगातर धकापेल लंड पेलने की कारन लड़की की सांसे भी धौकनी की तरह तेज थी वो भी बुरी तरह हांफ रही थी | लड़की भी अपनी सांसे काबू करती हुई पड़ोस में लुढ़क गयी, मालविका ने उसे अपनी बांहों में भर लिया | दोनों के पसीने से लथपथ शरीर का पसीना के दुसरे में मिलने लगा | एक दुसरे की बांहों में कैद दोनों अपनी सांसे काबू में करने लगी |
लड़की भीषण चुदाई करके थक गयी थी, मालविका की जब सांसे काबू में आई, उसने लड़की को अपने नीचे दबोच लिया, उसी की चूत रस से नहाया हुआ रबर लंड फिर से अपनी गीली चूत में घुसेड़ दिया | अब मालविका लड़की के ऊपर थी, रबर का लंड उसकी चूत में पूरी तरह से धंसा हुआ था |
मालविका बस इतना ही बोली - नाउ माय टर्न |
उसके नीचे लेटी बस मुस्कुरा भर दी, दोनो एक दुसरे को चूमने लगे | दोनों के गुलाबी ओंठ एक दुसरे से चिपक गए | दोनों एक दुसरे को बेतहाशा चूमने लगी | मालविका ने लड़की को चुमते चुमते अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी | वो मोटा सा रबर का लंड मालविका की चूत में पैबस्त होने लगा | मालविका घुटनों के बल पर अपने भारी भरकम चुताड़ो को हिला हिलाकर रबर का लंड अपनी सूखी गुलाबी चूत में ले रही थी | गुलाबी चूत की दीवारे सूखी होने के कारन लंड से बहुत अच्छे से चिपक कर रगड़ खा रही थी | इसीलिए मालविका को लंड अपनी चूत में घुसेड़ने में अच्छा खासा जोर लगाना पड़ रहा था | मालविका की चूत को रौंदता लंड उसके शरीर में फिर से वासना का बुखार भरने लगा | मालविका झड चुकी थी लेकिन उसके जिस्म में हवस की आग अभी बराबर जल रही थी | आदमियों और औरतो में बस यही एक फर्क है औरते झड़ती रहती है फिर भी उनकी चुदास ख़त्म नहीं होती | मालविका भी यही हाल था, अपनी सूखी चूत को रबर के लंड से चोद चोद कर फिर से अपनी गुलाबी मखमली चूत को चुदाई की प्यासी सुरंग बना देना चाहती थी | मालविका के शरीर में फिर से उत्तेजना बढ़ने लगी थी | उसका बदन फिर गरम होने लगा, उसके कोमल बदन , गोरे जिस्म में फिर से खून का दौरान बढ़ गया था | मालविका इन सबसे बेपरवाह अपनी सूखी चूत की मखमली दीवारों को खुद ही रबर के लंड से कुचलने में बेतहाशा जुटी हुई थी | इसके बावजूद मालविका को कुछ और भी चाहिए था शायद, जो वो झड़ने के इतनी देर बाद अपनी सूखी चूत में लंड घोटते घोटते समझ पाई थी | हर झटके के साथ लंड की जड़ लड़की के चिकने चूत त्रिकोण पर जबदस्त ठोकर खा रही थी और इससे लड़की का पूरा चूत का इलाका हिल जाता था |
वो चूत में लंड लेकर अपनी चूत की खुजली मिटा चुकी थी अब उसका मन अपने गांड के छेद की खुजली मिटाने का था | तभी उसके जवान जिस्म की हवस की भूख मिटेगी और वो दिलो दिमाग मन मस्तिष्क सबसे पूरी तरह से तृप्त होगी | गांड की चुदाई की जिस्म में अलग ही सनसनाहट होती है, जिस औरत को उसकी लत हो वही गांड मरवाती है, नहीं तो ये काफी दर्द भरा अनुभव होता है और ज्यादातर गाड़ में लंड जाने से जो दर्द भरी सीत्कार करती तरंगे पुरे शरीर में दौड़ती है वो चूत की चुदाई से बिलकुल ही अलग अनुभव होता है | सामान्य औरते इसे पसंद नहीं करती | जो औरते अकेले रहती है जो सामान्य चुदाई से मरहूम है जिन्हें आमतौर पर मर्दों के लंड से चुदने का मौका नहीं मिलाता है या फिर जिनका चूत चुदाई का अनुभव अच्छा न रहा हो या कुछ औरते सेक्स में और ज्यादा तड़के के लिए भी अपनी गांड का छेद खोल देती है | मालविका का भी कुछ ऐसा ही हाल था | उसे असली लंड से नफरत सी हो गयी थी, लेकिन अपनी सेक्स कामनाओं को ढूढ़ते ढूढ़ते वो चूत से पिछले छेद तक जा पंहुची | पहली बार गांड के छेद में उसने मोमबत्ती घुसाई थी, फिर एक मार्कर | अब तक वो कई चीजो को गांड में डाल चुकी थी, इसलिए गांड चुदवाना या खुद ही चोदना उसके लिए नया अनुभव नहीं था | जब भी उसकी चूत में कुछ जाता, उसके गांड के छेद की खुजली भी बढ़ जाती | जो औरत दो चार बार गांड मरवा ले फिर उसको भी इस अप्राकृतिक तरीके में मजा आने लगता है फिर चाहे कितना भी दर्द हो | मालविका ने लड़की के कान में धीरे से कुछ कहा और लड़की ने ओके कहा | लड़की मालविका के पीछे आ गयी | मालविका ने भी अपनी जांघे सम्नेट कर इकट्ठी कर ली और अपने भरी भरकम चूतड़ पीछे की तरह को खोल दिए | लड़की ने एक लोशन निकाला और मालविका की गांड के कसे छेद पर मल दिया और अपना रबर लंड उसके छेद पर सटा दिया |
लड़की मालविका के सिग्नल का इन्तजार करने लगी | मालविका ने कसकर अपना चूत दाना रगड़ना शुरू कर दिया | लड़की मालविका की गांड पर जोर बढ़ाती चली गयी | मालविका ने अपने चुतड पर हाथ रखकर गांड के छेद को और ज्यादा फ़ैलाने की कोशिश की | लड़की ने मालविका की कमर को कसकर थम लिया और सारा जोर अपनी पतली कमर पर डाल दिया | मालविका के भारी भरकम नरम मांस के छोटे पहाड़ जैसे चुताड़ो की दरारों में छुपा बादाम के बराबर का संकरा छेद अपने ऊपर पड़ रहे लंड के भीषण दबाव के आगे घुटने टेक गया | मालविका के चेहरे पर दर्द भरी लकीरे तैरने लगी थी | उसका छेद फ़ैल चूका था और लड़की ने उसमे रबर का लंड घुसा दिया था | मालविका कराह उठी | लड़की वही की वही थम गयी, जैसे कोई स्टैचू बनता हो | वो मालविका की तरफ देखने लगी, जो गाड़ में मोटे बेजान लंड के घुसने से होने वाले दर्द से बेहाल थी | उसकी गांड के सकंरे छेद की सख्त मांसपेशिय फ़ैल रही थी और भीषण दर्द पैदा कर रही थी | ऐसा लग रहा था किसी ने मालविका की गांड में नश्तर घुसेड कर उसे चीर दिया हो | एक बार ये गांड का सख्त छल्ला खुल जाये फिर मालविका जमकर चुदेगी | चूतड़ उछाल उछाल कर गांड में लंड लेगी लेकिन इस समय सचमुच उसकी गांड फटी हुई थी | उसकी दोनों जांघे सटी हुई थी, उसकी चूत के ओठ किसी बीच से काटे गए बर्गर की तरह बंद थे | दोनों एक दुसरे पर नजरे टिकाये थी | मालविका ने मुट्ठी भींच कर अपनी कमर पीछे की ओर ठेली और थोडा सा लंड अपनी गांड में ले लिया | लड़की ने भी थोड़ा सा जोर लगाया और थोडा लंड और अन्दर पेल दिया | फिर आइस्ते से लंड को बाहर खीचा और फिर कमर हिलाकर मालविका की गांड में अन्दर डाल दिया |