Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की - Page 27 - SexBaba
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Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की

मैं उनकी चूत को फिर से चाटने लगा | दीदी बार बार मख्खन लगाती रही और मैं उसे बारी-बारी से चाटता रहता था , दीदी बीच बीच में एक दो बार कांपी भी जबदस्त |
उस कांपने का रहस्य मुझे बाद में पता चला | ये सब करते थे काफी देर हो गई थी और मेरा लंड फिर से पूरी तरह से खड़ा हो गया था दीदी अब बिस्तर पर लुढ़क गई थी और उन्होंने अपने पास में मुझे बुलाकर तेजी से अपने हाथ से मेरे लंड को मसलना और मुठियाना शुरू कर दिया था और वह एक हाथ से मेरे लंड को मुखिया रही थी और दूसरे हाथ से वह अपने बड़े-बड़े दूधों को मसल रही थी उसके बाद दीदी ने मेरे लंड को छोड़ा और बोली - चल तू मेरी चूत को देख करके मुठ मार |
मैं दीदी के जांघो के बीच में उनके चेहरे के सामने आ करके बैठ गया | दीदी ने पूरी तरह से जागे फैला दी थी उनकी गुलाबी चूत के दोनों गुलाबी फाके भी अलग हो गए थे और मुझे उनकी कसी हुई गुलाबी मखमली चूत की सुरंग की गुलाबी लालिमा के दर्शन होने लगे थे | क्या चूत थी बिलकुल गोरी चिकनी सफाचट | कही कोई दाग नहीं, कही कोई बाल नहीं | गोरेपन और गुलाबी लालिमा लिए दीदी की चूत खूबसूरती की एक मिसाल थी | जिसे बस महसूस किया जा सकता था | चूत के अंदरूनी ओंठ भी होते है ये मुझे तब पता चला जब मैंने दीदी से पुछा - दीदी ये आपके चूत के ओंठो के अन्दर गुलाबी पंखुडियां कैसी है | क्या यही गुलाबी चूत होती है |
दीदी - नहीं पगले ये तो मेरी चूत के अंदरूनी ओंठ है | जब ये ओंठ खुलते है तब चूत का छेद दीखता है | अभी जितना कहाँ है उतना कर, आगे सब बताउंगी |

दीदी अपने दोनों हाथों से अपने दोनों दूधो को मसलने लगी थी | और उन्होंने मुझे अपने दोनों हाथों से अपने लंड को कस के मुठीयाने को कहा था | मैं दीदी के चूत के बिल्कुल सामने बैठकर तेजी से अपने लंड को मुठिया रहा था, लेकिन मेरी नजर दीदी की गुलाबी करिश्माई हसींन चूत से हट ही नहीं रही थी | मेरा हाथ मेरे लंड को बुरी तरह मसले जा रहा था, दीदी बड़े ही कामुक अंदाज में मुझे देख रही थी | मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन दीदी के पूरे बदन को देख कर पूरी तरह से पागल हो गया था | मैं तेजी से अपने लंड को हिला रहा था |
मै हांफता हुआ - दीदी अपनी चूत के बारे में और बताओ न |
दीदी अपने दूध को मसलना छोड़ कर अपनी चूत को सहलाने लगी | दीदी ने अपनी चूत के उपरी सिरे को उंगली से रगड़ने लगी |
दीदी - पहले ये बता तुझे क्या क्या पता चल गया है |
मै अपनी तेज सांसो को संभालता हुआ तेजी से लंड पर अपनई हथेली की मुट्ठी को फिसलाता हुआ बोला - दीदी आपकी चूत देख ली, चूत के ओंठो को पहचान गया हूँ | चूत का चीरा भी आपने बता दिया | अब आगे भी बताइए |
दीदी ने आपनी उंगलियों से अपनी गुलाबी चिकनी चूत को फैलाया, दीदी की आपस में चिपकी हुई चूत की पंखुड़िया खुल गयी | उनके दोनों फांके अलग हो गए | दीदी ने चूत के उपरी हिस्से को कसकर पीछे को खीचा तो एक लहसुन के इतना लाल लाल दाना उनकी खाल से बाहर आ गया | दीदी उस पर उंगली लगाती हुई बोली - इसे चूत दाना कहते है | और ये नीचे की तरफ जा रही पंखुडियो की चूत के अंदरूनी ओंठ कहते है |
मै हैरानी से दीदी की खुली चूत की गुलाबी चमत्कारिक रंगत देखने लगा | इससे मेरा लंड पर फिसल रहा हाथ रुक गया |
दीदी तेज आवाज में - अगर लंड को मसलना रोका तो कुछ नहीं बताउंगी | मुझे मेरी गलती का अहसास हुआ |
मेरे हाथ ने लंड पर फिर से स्पीड पकड़ ली |
दीदी - स्पीड कम नहीं होनी चाहिए |
मै दीदी की गुलाबी चूत देखकर उत्तेजना से नहा गया | मैंने लंड को और तेज मुठियाना शुरू कर दिया |
दीदी - तो बोल इस गुलाबी दाने को क्या कहते है |

मै हांफते हुए - चूत दाना दीदी |
दीदी - ये औरत की वासना का बटन होता है | अगर तुम्हे कोई लड़की चोदनी है और उसका मन नहीं है तो बस जाकर हलके हलके इस दाने को मसलने लगाना | लड़की अपने आप ही गरम हो जाएगी और ख़ुशी ख़ुशी चुदने को राजी हो जाएगी |
मै - दीदी इसीलिए आप इसे रगड़ते हो |
दीदी - हाँ जिन औरतो को चुदवाने के लिए लंड नसीब नहीं होता वो इसी चूत दाने को रगड़कर अपनी प्यास बुझाती है |
मै - दीदी आपने भी इसे रगड़कर अपनी प्यास बुझाई है |
दीदी - हाँ पगले यही तो कर रही हूँ अब तक |
दीदी - जब लंड चूत में जाता है ये चूत के पतले ओंठ लंड को सहलाते है |
 
मेरी उत्तेजना का ज्वार अब चरम पर पंहुचने लगा था | फिर दीदी ने नीचे की तरफ उंगली ले जा करके बताया, जहाँ पर ये चूत के अंदरूनी ओंठ ख़त्म होते है वहां से चूत की मखमली गुलाबी सुरंग का मुहाना शुरू होता है |
मै गौर से दीदी की चूत की गुलाबी मखमली सुरंग का छेद देखने लगा | लेकिन मुझे तो छेद कही दिखा नहीं |
मै - दीदी आप बोल रही थी चूत में छेद होता है लेकिन मुझे तो कही नहीं दिख रहा |
दीदी - अरे पगले छेद होता है लेकिन अभी मेरी चूत के दीवारों ने उसे कसकर बंद कर रखा है | इसलिए वो बंद है |
मै - दीदी - आपकी चूत में से पानी निकल रहा है क्या |
दीदी - हाँ जब लड़की को चुदास चढती है और वो चूत दाने को रगडती है तो चूत से पानी रिसता है जिससे चूत गीली हो जाती है |
मै - दीदी अपनी चूत की दीवारे फैलावो न मुझे आपकी चूत का छेद देखना है |
दीदी - चूत की दीवारे मै नहीं फैला सकती, उन्हें सिर्फ लंड फैला सकता है, जब मेरी चूत में लंड घुसेड़ोगे तब खुद ब खुद चूत की दीवारे फ़ैल जाएगी तब देख लेना मेरी चूत का छेद |
मै अपनी उत्तेजना के आखिर पड़ाव की पार करने लगा था | दीदी की चूत को देखकर तो जैसे मेरी उत्तेजना समय से पहले बह निकली |

मै अपने चरम के कुछ आखिरी पल में बेतहाशा लंड मुठीयाने लगा | कुछ ही देर में मेरी पिचकारी छूटने वाली थी, मेरे हाथ की स्पीड और कांपती टांगो को देखकर दीदी समझ गई थी मेरी पिचकारी छूटने वाली है मेरे शरीर की अकड़न से ही उन्हें अंदाजा हो गया था | उन्होंने कहा था मै पानी मलाई उनकी चूत के मुहाने पर निकाल दू | मै दीदी की चूत के पास लंड ले गया और तब तक मेरी वासना का बांध टूट चूका था | मै बस तेजी से कराहने लगा | मैंने दीदी चूत के जस्ट ऊपर अपनी पूरी पिचकारी निकाल दी | उनकी पेट के नाभि के नीचे और चूत के ऊपरी हिस्से पर मैंने सारी मलाई निकाल दी | यह देखकर वह बहुत खुश हुई | मै तेजी से हांफता हुआ निढाल सा वही बैठ गया | दीदी एक उंगली से उस मलाई को उसी इलाके में धीरे-धीरे से घुमाने लगी थी | मैं पूरी तरह से पस्त गया था | दीदी की चूत भी बहने लगी थी | दीदी तो जैसे जन्नत में पहुंच गई थी | एक ही घंटे के अंदर उन्होंने मेरी दो बार मलाई निकाल दी थी और मेरे अंदर हिम्मत नहीं थी कि मैं ठीक से खड़ा हो सकूं मैं वहीं बैठे बैठे बिस्तर निढाल होकर लुढ़क गया |

जितेश को लग रहा था रीमा नीचे उसकी तरफ नहीं देख रही है और सिर्फ उसकी कहानी सुन रही है इसलिए वो तेजी से अपनी चादर के अन्दर अपने लंड को मसल रहा था | रीमा भी चूत में दो उंगलियाँ करके खुद की चूत में मची सनसनाहट मिटाने की असफल कोशिश कर रही थी | जितेश की हिलती चादर देख रीमा समझ गयी की अन्दर क्या चल रहा है | इधर मोमबत्ती अपनी आखिरी सांसे ले रही थी | कुछ ही देर में भभक कर बुझ गयी | अब कमरे में घनघोर अँधेरा था |
रीमा - छुप क्यों हो गए जितेश, आगे बतावो फिर क्या हुआ |
रीमा की आवाज खुद वासना में लड़खड़ा रही थी, उसकी सांसे तेज हो चली थी | इधर जितेश का तो और भी बुरा हाल था | उसकी तेज सांसे और हांफता सीना अभी इस हालत में नहीं था की वो आगे की कहानी सुना सके | उसने एक लम्बी साँस ही और हल्की आवाज में आगे की कहानी सुनानी शुरू कर दी | रीमा उसकी तेज सांसे सुन सकती थी लेकिन रीमा खुद अपनी लगायी आग में घिरी थी वो कहाँ से जितेश के बदन में लगी आग की फिक्र करती | दोनों को साधने वाला बस एक कहानी ही थी | जितेश ने आगे कहानी सुनानी शुरू कर दी | इसी के साथ जितेश का हाथ लंड पर फिसलने लगा और रीमा की उंगलियाँ उसकी चूत में अन्दर बाहर होने लगी |
 
इसके बाद कई दिन बीत गए थे दीदी को मेरे मुझे दीदी और मुझे अकेले कभी मौका ही नहीं मिला था असल में दीदी की बहन बीमार हो गई थी जिसकी उसे दीदी को उसका ख्याल रखना था इसलिए मुझे सिर्फ चुपचाप की पढ़ कर वापस लौट आता पड़ता था | इधर दीदी को भी लग रहा था कहीं ऐसा ना हो कि रोज रोज मिलने के चक्कर में किसी दिन पकड़े जाएं इसलिए दीदी भी सावधान हो गई थी और शायद उनके मां-बाप को थोड़ा सा शक भी हो गया था | छोटे शहरो में गॉसिप वाली औरते कुछ भी अफवाह उड़ा देती है | मेरे केस में भी मोहल्ले की किसी औंटी ने दीदी की माँ के कान भर दिए | हालाँकि वो लाख कोशिशो के बाद कुछ भी नहीं जान पाए लेकिन उनके मन में संखा जरूर पैदा हो गई थी इसीलिए आजकल ऑफिस से जल्दी आने लगे थे | हालांकि कुछ दिनों बाद जैसे सब नॉर्मल हो गया और उनके मां-बाप भी चर्च से देर में वापस आने लगे थे और छुटकी भी बाहर खेलने जाने लगी थी |

1 दिन की बात है बाहर बहुत गर्मी थी और दीदी के बरामदे में कूलर भी नहीं था इसलिए मैं और बाकी बच्चे दीदी के कमरे में बैठकर ट्यूशन पढ़ रहे थे मुझे नहीं पता था कि आज दीदी के मां-बाप घर वापस आएंगे ही नहीं क्योंकि आज दीदी के मां-बाप किसी की शादी करवाने के लिए दूसरे शहर गए हैं | वहां पर उनकी एक रिश्तेदारी है तो वह छुटकी को भी ले गए थे | दीदी के एग्जाम चल रहे थे इसलिए उन्होंने जाने से मना कर दिया | अब तो रोज मन होता था दीदी को नंगा देखने के लिए लेकिन क्या करें मजबूरी थी कम से कम 10 दिन हो गए थे तब से और आज तक मैंने दीदी की एक झलक भी ठीक से नहीं देखी थी | रोज रात में लंड पकड़ कर दीदी के नाम पर मुथियाता था लेकिन दीदी का जिस्म देखने को तरस रहा था |
दीदी ने हालांकि बताया नहीं कि उनके मां-बाप किसी की शादी करवाने के लिए दूसरे शहर गए हुए हैं लेकिन जब ट्यूशन खत्म हुई और उसके बाद दीदी बोली - अच्छा एक काम करो आज तुम्हारी एक एक्स्ट्रा क्लास लगा देते हैं तब मेरी बुझी हुई उम्मीदों पर एक नई रोशनी पड़ी | मैं अंदर उत्साह से भर गया मैं समझ गया कि आज फिर से दीदी के साथ मुझे जवानी के नए गुर सीखने को मिलेंगे |

दीदी बोली - अच्छा ठीक है चलो मैं तुम्हें कुछ और सवाल बताती हूं उसके बाद में तुम जा सकते हो |
मुझे समझ में नहीं आया कि दीदी अभी तो एक्स्ट्रा क्लास की बात भी कर रही है उसके बाद जाने को भी कह रही हैं |
दीदी ने मुझे एक सवाल बताया और बोली - अब ऐसा करो तुम घर जाओ | अभी मुझे कुछ काम है इसलिए तुम्हें मैं थोड़ी देर बाद बुलाती हूं | उसके बाद मै किताब लेकर मायूस सा दीदी के घर से अपने घर की तरफ चल दिया था | शाम के आठ बजे थे मै अपना होमवर्क बस ख़त्म ही कर पाया था | बाहर झांक कर देखा तो मेरी माँ किसी से बाते कर रही थी | मैंने देखा कि दीदी मेरे घर आ गई है और मेरी मम्मी से बातें कर रही हैं |
 
दीदी ने मम्मी से बोला कि आज रात को अकेली हैं और उनके मां-बाप दूसरे शहर में शादी करवाने गए हुए हैं वह छुटकी भी उनके साथ घूमने के चक्कर में गई हुई है इसलिए क्या मैं आज रात उनके यहां रात में सो सकता हूं मेरे कानों में जैसे ही शब्द बड़े मेरी तो बांछें खिल गई थी | ना कि मैं अपना उत्साह छिपाए हुए चुपचाप अपनी किताबों को बैग में रखकर और तैयार हो गया |
मेरी मां बोली - ठीक है खाना खिलाने के बाद इसको आपके यहां भेज दूंगी खाना |
दीदी बोली - मेरे यहाँ खाना कुछ ज्यादा हो गया है तो कोई दिक्कत नहीं आज मेरे यहां खाना खा लेगा |
माँ को थोडा अचरज हुआ - ठीक है अगर तुम्हें लगता है तो चले जाओ इसी बहाने कुछ वहां पढाई भी कर लेगा |
दीदी ने बोला - वैसे मैथ में काफी अच्छा हो गया है लेकिन मैं चाहती हूं यह मैथ में डिस्टिंक्शन लाए |
यह सुनते ही मां खुश हो गई |
मै - हाँ बेटा तेरी टूशन से इसकी मैच बहुत अच्छी हो गई है मुझे बड़ी खुशी है |
इसके बाद दीदी ने मुझे पुकारा और मुझे अपनी मैथ और साइंस की सारी बुक्स बैंग में भर कर लाने को कहा |
दीदी - चलो आज रात मै ढेर सारा मैथ पढ़ाती हूं साइंस भी पढ़ाती हूं |
मै तो पहले से ही तैयार था, मैंने बैग में किताबे रखने का नाटक किया दीदी के साथ चल दिया था | दीदी ने घर में आते ही अपना मैंन गेट बंद कर दिया और लाइट बुझा दी | मेरे अंदर से खुशी का ठिकाना नहीं था मैं इतना खुश था कि10 फुट उछालना चाह रहा था आज फिर से दीदी के साथ में जवानी का मजा लूटूँगा | लेकिन वहां पहुंचते ही मेरा सारा जोश तब काफूर हो गया जब दीदी बोली अच्छा काम करो अपनी मैंथ और साइंस की किताब खोलो और पढ़ाई शुरू कर दो | तब तक मैं खाना गरम करके लाती हूँ | फिर साथ में खाना खाएंगे | मैं निराश होकर के अपनी किताबें खोल कर बैठ गया | दीदी उधर खाना गर्म करती रही और उसके बाद कुछ देर बाद वह खाना लेकर आ गयी | हम दोनों ने खाना खाया | उसके बाद ने दीदी मुझे फिर से कुछ सवाल समझाने लगी थी हालांकि मेरा मन बिल्कुल नहीं लग रहा था लेकिन मैं उन्हें नाराज नहीं कर सकता था | मेरी नजर बार-बार उनके चेहरे और सीने पर जा रही थी | कुछ देर बाद दीदी ने खुद ही किताबे हटाकर अलग रख दें और पता नहीं कौन सी एक सीडी लेकर आए और उसे लगा दिया और टीवी पर मूवी देखने लगी थी |
मैं भी धीरे-धीरे उनके पास चल गया था | वह कोई रोमांटिक मूवी चाहिए मेरा उस मूवी में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था | दीदी के जब मैं पास गया तो दीदी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मैं अपने हाथ खिसकाते हुए दीदी के स्तनों पर ले गया | उनके बड़े-बड़े उठे हुए ठोस सुडौल उरोंजो को ऊपर से ही मसलने लगा था | दीदी ने मना नहीं किया | धीरे धीरे मै मै हाथ फिसलाते हुए दीदी के नीचे सलवार में घुसेड़ने लगा तो दीदी ने रोक दिया और बोली अभी नहीं |
मैंने कहा - क्यों क्या हुआ दीदी |
दीदी बोली - पिछले १० दिन में वहां बहुत जंगल हो गया है |
मैं कुछ समझा नहीं | मेरे बने मेरे कन्फ्यूज्ड चेहरे को देखकर बोली - झांटे बड़ी हो गई हैं उन्हें बनाना होगा |
मैं समझ गया कि वहां पर बाल उग आए हैं |
मैं - तो अब आगे क्या करना |
दीदी बोली नहीं - धीरज रखो, जंगल साफ़ करने में टाइम लगेगा तब तक सब्र करो | लेकिन मुझे सब्र नहीं था |
दीदी चाहती थी पहले मूवी खत्म करें उसके बाद आगे कुछ करे | लेकिन मुझे सब्र नहीं था मैंने अपना हाथ वहां घुसेड़ दिया और दीदी की चूत के जंगलों के बीच से जाकर के दीदी के चूत के दाने को सहलाने लगा था दीदी भी धीरे-धीरे उत्तेजित होने लगी थी | जैसे ही मूवी खत्म हुई दीदी ने तुरंत मेरे सारे शर्ट के बटन खोल दिए और मेरी पेंट उतार के अलग फेंक दी | अब मैं दीदी की तरह नीचे चड्डी नहीं पहनता था जैसे ही मेरी पेंट नीचे खिसकी मेरा तना हुआ मोटा तगड़ा लंड दीदी की आंखों के सामने था |

दीदी ने बिना देर किए मेरा लंड सीधे अपने मुंह में रख लियाऔर सुपाडे को कस के ऑटो से चूसने लगी थी| मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ था मैं सिसकारियां भरता रह गया था | दीदी कसके लंड को चूसने लगी और मसलने लगी | मैं आनंद के सागर में गोते लगाने लगा था लेकिन कुछ देर बाद दीदी ने मेरे लंड को चूसना छोड़ दिया और मेरी गोलियों से खेलने लगी थी | मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन इस तरह से दीदी के लंड छोड़ने का कारन मुझे समझ में नहीं आया था मेरा बहुत मन कर रहा था दीदी मेरा लंड चुसे|
मैंने दीदी का हाथ फिर से अपने लंड पर लगाने की कोशिश की लेकिन दीदी ने मुझे झटक दिया |
मैंने दीदी से पूछा - दीदी क्या हुआ, मेरा लंड चूसो न बहुत मन कर रहा है |
दीदी बोली - आज तुझे कुछ नया सीखना होगा | अब हर पुरानी चीज नहीं चलेगी | ठीक है तेरा मन जरूर कर रहा है लेकिन तुझे एक चीज याद रखनी चाहिए मेरा मन क्या कर रहा है, ये ज्यादा जरुरी है | मेरा मन तेरा लंड चूसने का नहीं है | तेरा लंड खड़ा था इसलिए मैंने चूस दिया था कि तुझे थोड़ा सा राहत मिल जाए हालाँकि तब भी मेरा मन तेरा लंड चूसने का नहीं है |
मै - ठीक है दीदी फिर आपका क्या मन है |
 
दीदी - मै आज बहुत थक गई हूं आज दिन भर बहुत सुबह से काम था क्योंकि मम्मी पापा सुबह ही निकल गए थे इसलिए मुझे सोना है |
इतना कहकर दीदी उठकर के बाथरूम की तरफ चली गई और जब वहां से वापस लौटी तो उनके बदन पर सिर्फ एक सफेद झीनी सी पैंटी थी |

मैंने देखा दीदी ऊपर से नीचे तक पूरी तरह से नंगी है सिर्फ एक सफेद झीनी चड्डी में घूम रही हैं | दीदी जिस तरह रूम में आई और वापस भी उसी तरह चली गई चूतड़ हिलाते हुए | देर तक मैं दीदी को देखता रहा और उनके बारे में सोचता था लेकिन ना तो इतनी समझती ना ही अकल | कुछ देर बाद उठकर करके सीधे बाथरूम की तरफ चला गया था बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं था मैंने देखा दीदी नहा रही है इतनी रात में कौन नहाता है लेकिन दीदी नहा रही थी | जैसे ही दीदी ने मुझे वहां दरवाजे के पास देखा उन्होंने इशारे से अंदर आने को कहा मैं अंदर चला गया मैं पूरी तरह से नंगा था इसलिए अंदर जाते ही दीदी ने मुझे शावर के नीचे खड़ा कर दिया और साबुन लगा कर के मुझे भी मलने लगी थी | दीदी की सफेद झीनी पैंटी पानी से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और बाहर से ही दीदी की चूत की दरार और उनके ओंठ साफ साफ दिख रहे थे | उसके ऊपर हलके हलके काले काले बालो का एक बड़ा सा इलाका भी दिख रहा था | साबुन लगाने के बाद दीदी ने मुझे फिर से शावर के नीचे खड़ा कर दिया और दूसरी तरफ से एक क्रीम उठाते हुए मुझसे बोली - पता है इसे क्या कहते हैं |
मैंने उसे देखते ही पहचान लिया और मै बोला - हां पापा लोग से दाढ़ी बनाते हैं |
दीदी - हां बिल्कुल तूने सही पहचाना इसलिए सिर्फ दाढ़ी ही नहीं बनती है इसे झांटे भी बनाई जाती हैं अब मैं इसे अपनी झांटो पर लगा रही हूं और आज तुझे मैं चूत की सेव करना सिखाओगी समझ गया | जब भी किसी औरत की चूत पर ढेर सारी बाल हो और तुझे उसकी चिकनी चूत देखनी है तो तुझे उसके बालो की शेविंग करनी पड़ेगी | इसलिए झांटे कैसे बनाई जाती हैं यह तुझे आज मैं सिखाती हूं |

इसके बाद दीदी ने ढेर सारी सेविंग क्रीम अपने चूत और आसपास के इलाकों में लगा दी और उसके बाद में एक रेजर लेकर धीरे-धीरे उसे बनाने लगी थी | जैसे-जैसे दीदी अपने हाथों से रेजर घुमती जाती वहां के बाल साफ होते जाते | मैं उन्हें गौर से देख रहा था | दीदी धीरे-धीरे अपनी चूत के सारे बाल बनाती हुई चली गई और कुछ ही देर में उनकी चूत के ऊपर का इलाका पूरी तरह से साफ हो गए था | दीदी की गुलाबी चूत का इलाका फिर से चमकने लगा था |

दीदी ने फिर से एक बार क्रीम लगाई और दोबारा से सेव करने लगी थी | कुछ ही देर में दीदी ने अपनी रेजर मेरी तरह बढ़ाते हुए चलो एक दो बार मेरी चूत के ऊपर रेजर घुमावो |

तुम्हे भी तो पता चला जिस चिकनी चूत के तुम इतने दीवाने हो उसे इतना सफाचट और चिकना रखने में कितनी मेहनत लगती है | मै भी दीदी की चूत के इलाके में रेजर घुमाने लगा | जैसे जैसे दीदी बताती गयी मै बिलकुल वैसे वैसे ही करता गया | कुछ ही देर बाद दीदी की चूत पर बालों का नामोनिशान तक नहीं था ऐसा लग रहा था जैसे वहां कभी बाल थे ही नहीं | दो बार बाल सेव करने के बाद में दीदी की चूत एकदम से चिकनी और सफाचट हो गई थी और उनकी गुलाबी उस वाली चूत फिर से चमकने लगी थी उसके बाद दीदी ने मेरे लंड के आसपास के इलाकों में भी साबुन लगाई और अच्छे से धोया | इसके बाद दीदी मेरा हाथ पकड़ के चल दी मै भी उनके पीछे पीछे चल दिया | कमरे में आकर के दीदी ने मुझे अच्छी तरह से तौलिये से पोंछा और फिर खुद को भी अच्छी तरह से पोंछा | उसके बाद में दीदी बिस्तर पर लुढ़क गयी और चद्दर ओढ़ ली | मुझे भी एक चद्दर उढ़ा दी लेकिन कुछ ही देर बाद दीदी ने अपनी चद्दर फेंक दी और मुझे अपने सीने से चिपका दिया | आज दीदी का बर्ताव कुछ अलग लग रहा था वो आज बहुत कम बोल रही थी | कुछ देर तक मैं दीदी से चिपका रहा | दीदी के बदन की गर्माहट करके मेरा लंड से सीधा होने लगा लेकिन दीदी ने मुझे बाहों में भर कर खुद से चिपकाये रखा और कुछ देर बाद सो गई | उनकी सांसों की गर्माहट और आवाज से मैं समझ गया था कि वह पूरी तरह से सो चुकी है अब मैं इस खड़े लंड का क्या करूं मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता था जो दीदी को नागवार गुजरे | मै भी दीदी की नरम नरम बांहों में उनके साथ चिपके चिपके सोने की कोशिश करने लगा | दीदी के बारे में सोचते सोचते और उनके बदन से चिपके चिपके उनकी बदन की गरमाहट को महसूस करते करते कब मुझे खुद मेरी आंखें बंद हो गई मुझे पता ही नहीं चला |

दीदी के बिस्तर पर हम कितने घंटे गहरी नींद में सोए रहे मुझे भी अंदाजा नहीं था लेकिन नींद मुझे बहुत अच्छी आई और जब मेरी आंख खुली थी दीदी तब भी सो रही थी मैंने देखा नीचे दीदी की जांघों के पास मेरा लंड अभी भी पूरी तरह से बना हुआ है तो क्या मेरा लंड इतनी देर तक तना ही रहा कितने घंटे पूरी तरह से खड़ा रहा मैं हैरान था | क्या चीज है ये लंड | क्या इतनी देर तक किसी का लंड का खड़ा रह सकता है लेकिन मेरा लंड खड़ा हुआ था दीदी अभी भी गहरी नींद में सो रही थी अब आगे क्या करना है मुझे कुछ पता ही नहीं था आखिर मै करता भी तो क्या करता मैं चुपचाप वैसे ही लेटा रहा और दीदी के स्तनों को मसलता हालांकि मैंने टीवी में मूवी में देख लिया था कि एक आदमी कैसे एक औरत को चोद रहा था लेकिन यहां मुझे कुछ पता नहीं था इसीलिए जब तक दीदी कुछ बताएंगे नहीं मैं कुछ कर नहीं सकता था
 
मेरा लंड दीदी की जांघो के बीचो बीच उनके चूत के चिकने इलाके में झटके खा रह था | मैंने दीदी के बड़े बड़े दूध मसलने शुरू कर दिए | मेरी कमर भी दीदी के नरम बदन के खिलाफ अपने आप ही झटके मार रही थी | आखिर कार दीदी की गहरी नीद टूट ही गयी | उन्हें थोड़ा समय लगा माहौल को समझने में | मैंने उनके दूध को दबाना बंद नहीं किया | दीदी के जागते ही मेरा एक हाथ मेरे लंड पर चला गया और मै उसे मसलने लगा | दीदी ने मेरे लंड की तरफ देखा और पुछा - कितना बज गया |

मै - रात के दो बजे है |
दीदी - तुम अभी तक जग रहे हो, सोये नहीं |
मै - दीदी मै तो सो गया था लेकिन मेरा लंड शाम से अब तक नहीं सोया | दीदी अब बतावो न आगे मै क्या करू |
दीदी कुछ देर तक सोचती रही, कुछ बोली नहीं | फिर मेरे लंड से मेरा हाथ लेकर खुद मसलने लगी |
दीदी की ख़ामोशी मुझे अखर रही थी - दीदी आप कुछ बोल क्यों नहीं रही |
मैंने हिम्मत करके अपना हाथ दीदी की चूत की तरफ बढ़ा दिया | दीदी ने कोई प्रतिरोध नहीं किया |
मै - दीदी कुछ तो बोलो | उस दिन तो आप सब कुछ बता रही थी आज क्या हो गया |
दीदी मुझे खुद से अलग करती हुई बिस्तर से उठ गयी और बाथरूम तरफ चली गयी | वहां से मुहँ धोकर आई तो तारो तारो तारो ताजा लग रही थी |
फिर मेरे को मुखातिब होती हुई बोली - अब बता क्या पूछना है |
मै - दीदी आपने कहा था इस बार कुछ नया सिखाउंगी |
दीदी - क्या नया सीखना है | मेरे दूध देख चुके हो चूत देख चुके हो | अब बचा क्या है बताने को |
मै - चोदना तो आपने सिखाया ही नहीं और न ही चूत का छेद दिखाया | मै दीदी के चूत दाने को दूंढ कर मसलने लगा | ऐसा लगा जैसे दीदी को हल्का सा करंट लगा हो | दीदी के मुहँ से सिसकारी निकल गयी |
दीदी - तुझे पता है मै अभी तक कुंवारी हूँ |
मै - मतलब दीदी |
दीदी - जब तक किसी चूत में कोई लंड नहीं जाता है उसे कुंवारी चूत कहते है |
मै - दीदी इसका मतलब आपने कभी चुदाई नहीं करी है |
दीदी ने मेरा लंड थम लिया - हाँ अब तक मेरी चूत को किसी ने नहीं चोदा है | मै अपनी चूत किसी बहुत ही खास से चुदवाकर अपना कुंवारापन खोना चाहती थी | आज शाम को जब तुम मेरे पास करीब थे तो एक अनजाना सा डर लगने लगा | इतने दिनों की आस पूरी होने की खुशी से ज्यादा डर था की आज के बाद मै कुंवारी नहीं रह जाउंगी | इसलिए नर्वस थी | लेकिन अब अन्दर का डर निकल गया है, मै तुमसे चुदना चाहती हूँ | तुमारे इस बड़े से लंड से, जब से इसे देखा है तब से इसकी दीवानी हो गयी हूँ | तुमारी उम्र में इतना बड़ा लंड शायद ही किसी का हो | असल में इतना बड़ा लंड अच्छे खासे मर्दों का भी नहीं होता | ऊपर से तुम भी कुंवारे |
मै - दीदी जब आपने ने चुदाई नहीं करी तो आप मुझे कैसे बताओगे |
दीदी - मै तेरी तरह भोंदू नहीं हूँ | सब पता है मुझे | अब मेरी बात ध्यान से सुन |
मै दीदी के चूत दाने की छोड़कर दीदी की तरफ मुड़ गया | दीदी ने मुझे अपने पास खीचकर कसके चूम लिया |
दीदी - तुझे पता है तुझे मेरी चूत का छेद क्यों नहीं दिखा था |
मै -क्यों दीदी |
दीदी - क्योंकि मेरी चूत का छेद बंद है |
मै - मतलब |
दीदी - कुंवारी लड़की की चूत का छेद बंद होता है और उसके मुहँ पर एक पतली सी झिल्ली होती है | उस झिल्ली को कुंवारे पण की निशानी माना जाता | जिन लडकियों के वो झिल्ली नहीं होती समझ लो वो चूत में लंड ले चुकी है | कई बार झिल्ली यू ही फट जाती है लेकिन ज्यादातर लडकियों की झिल्ली पहली बात चुदने पर ही फटती है | जब पहली बार लंड चूत में जाता है तो झिल्ली को फाड़ता है और फिर बंद चूत के छेद को खोलता है | इसलिए जब पहली बार चूत चुदती है तो खून भी निकलता है क्योंकि झिल्ली फटने से खून निकलता है |
 
खून से ही मुझे बचपन से ही डर लगता था हालांकि अब फौज में जाने के बाद अब तो सब कुछ खत्म हो गया है अब मेरे अंदर कोई डर नहीं है लेकिन उस समय मेरा ऐसा नहीं था तब मुझे मुझे बहुत डर लगता है जब मैंने दीदी के मुंह से सुना कि उनके चुदाई करने पर उनके अंदर से खून निकलेगा तो मैं डर गया |
मै - नहीं दीदी मुझे ऐसी चुदाई नहीं करनी है जिसमें की खून निकलता हो |
दीदी - पहली चुदाई में खून तो हर लड़की के निकलता है |
मै - नहीं दीदी मै आपके अन्दर से खून बहाकर चुदाई नहीं करूंगा | आपको तकलीफ होगी |
दीदी - जब तू लंड चुसवा रहा था तकलीफ तो तब भी हुई थी थोड़ी सी | समझ ले बस उतनी ही तकलीफ होगी |
मै - जब दीदी चुदाई में तकलीफ होती है तो लंड चूत में घुसेड़ते ही क्यों है |
दीदी - क्योंकि कोई भी लड़की कुवारी नहीं मारना चाहती है | हर लड़की को कभी न कंभी चुदना ही है और जब भी चुदेगी तो खून तो निकलेगा ही | मै चाहती हूँ तू मेरे झिल्ली फाड़े, तू मेरा कुंवारापन लुटे | तू मुझे लड़की से औरत बनाये | मै चाहती हूँ तेरा लंड मेरे कुंवारेपन का खून बहाए |
दीदी थोडा भावुक हो गयी थी और मै भी खून सुनकर दुखी हो गया था |
इसी बीच में दीदी ने मुझे बाहों में भर लिया और कसके भींच लिया और दीदी ने एक बाह में मुझे भर लिया और दुसरे से मेरे लंड को सहलाने लगी | मै दीदी के नंगे बदन से यू ही उदास सा चिपका रहा |
दीदी - तू उदास मत हो, खून सिर्फ पहली बार चोदने पर निकलेगा | तुझे शायद पता नहीं लेकिन औरत को हर महीने खून निकलता है हालाँकि वो अलग वजह से निकालता हैऊ | इसलिए तू खून और दर्द की चिंता तो बिलकुल ही मत कर | हम सब लडकियो की किस्मत में ये दर्द पैदा होने के साथ ही किस्मत में लिख जाता है |
मै दीदी को देखने लगा | दीदी - अरे ये सब बर्दाश्त करने के लिए हमारा शरीर बना है तू मर्द है इसलिए नहीं समझ पायेगा | इसलिए मेरी चिंता छोड़, और सोच तुझे चूत चोदने में कितना मजा आने वाला है |
मै - दीदी क्या लडकियों को भी चूत चुदवाने में मजा आता है |
दीदी - हाँ आता है अगर कोई उन्हें ढंग से उनका ख्याल रखकर उनके हिसाब से चोदे तो उन्हें भी बहुत मजा आता है |
मै - दीदी तो मै आपको आपके हिस्साब से चोदुंगा | जैसा आप कहोगी मै बिलकुल वैसा ही करूंगा |
दीदी ने मेरा लंड छोड़ दिया | दीदी अपने को आगे आने वाले उनकी जिंदगी के सबसे खास पल के लिए तैयार करने लगी |

दीदी ने ढेर सारी लाल अपनी चूत पर रखें और अपनी उस गुलाबी चूत को कस के उसी लार से लगा लगा कर सहलाने लगी और मसलने लगी थी मैं दीदी को बस देखता रहा था | उसके बाद दीदी ने ढेर सारी लार मेरे लंड पर उड़ेल दी और अपने हाथों से मुझे लंड सहलाने को कहा | मैं अपने हाथ से अपने लंड को सहलाने लगा था और दीदी अपनी चूत को लगातार मसलने लगी |
दीदी बोली - अगर मैं इस चूत दाने को रगड़कर अपने बदन को गरम नहीं करूंगी तो मुझे बहुत तकलीफ होगी | इसीलिए मै अपनी चूत और चूत दाने को रगड़ रही हूँ | इससे मेरी चूत गरम हो जाएगी और लंड के घुसने में आसानी होगी | कुंवारी चूत बहुत टाइट होती है इसलिए तू भी अपने लंड को मसलता रह | अगर तेरा लंड पत्कथर की तरह ठोस कड़ा नहीं हुआ तो मेरी कुंवारी चूत को चीर नहीं पायेगा | अगर तू इसे मसलना छोड़ देगा तो यह धीरे-धीरे नरम होने लगेगा और मेरी फिर चूत में घुसेगा नहीं | कुंवारी चूत में लंड घुसाने में बहुत ताकत लगती है इसलिए पूरी तरह से तैयार हो जा लंड को पत्औथर की तरह सख्त कर ले | |
दीदी जो भी कह रही थी मैं वैसा ही कर रहा था मैं अपने लंड को मसलने लगा था दीदी भी अपनी चूत को कस के मसलने लगी थी | उसके बाद में दीदी ने अपने दोनों हाथो की उंगलियों को फंसाकरके अपनी चूत के अंदरूनी गुलाबी पंखुडियां पूरी तरह से खोल दिए और मुझसे करीब आने को कहा | मै लंड को मसलता हुआ दीदी के करीब गया |
दीदी - देख यह जो इतना छोटा छेद है और आसपास है जो झिल्ली दिख रही है | यही मेरी कुंवारी चूत का छेद है जो अभी पूरी तरह से बंद है | जब तू यहाँ लंड घुसेड़ेगा तो ये झिल्ली फट जाएगी और मेरी चूत का छेद खुल जायेगा |

मैं करीब से दीदी की कुंवारी सील चूत देखने लगा लेकिन दीदी ने मेरे सर के बाल पकड़कर अपने ऊपर गिरा लिया और जांघों से कस लिया था अब मेरा लंड दीदी कि उस गुलाबी लार से सनी गीली चूत पर रगड़ खाने लगा था दीदी सिसकारियां भरने लगी थी | दीदी एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ रही थी और दूसरे मुझे दूसरा हाथ मेरी गर्दन फसाए मुझे कसके चूम रही थी | मेरा सीना दीदी के बड़े-बड़े उठे हुए स्तनों पर रगड़ खा रहा था | काफी देर तक दीदी मेरे लंड से अपने चूत दाने को रगडती रही | उसके बाद मुझे अपनी जांघो के बीच जाकर बैठने को कहा |
दीदी ने एक बार फिर अपनी उंगलियां फंसा करके अपनी चूत के अंदरूनी ओंठो को आखिरी तक फैला दिया | इसके बाद शायद उनकी चूत के ओंठ नहीं फ़ैल सकते थे | दीदी ने मुझसे करीब से अपनी कुंवारी चूत के दर्शन करने को कहा |
 
दीदी - अच्छे से देख लो इसके बाद तुमारी दीदी की ये कुंवारी चूत तुम्हे कभी देखने को नहीं मिलेगी | अपनी दीदी की कुंवारी चूत आखिरी बार देख लो | इसके बाद इसका कुंवारापन तुम ही लूट लोगे | मै बहुत ही करीब से दीदी की कुंवारी चूत को अपने दिलो दिमाग में उतारने लगा | पता है रीमा मैडम आज तक मुझे दीदी की कुंवारी चूत याद है | सब कुछ, वही गुलामी रंगत लिए उनकी पतली पंखुडियां | और जब दीदी ने उन्हें खीच कर फैला दिया था | तो अन्दर से एक बहुत ही संकरा पेन्सिल जितना छेद नजर आया जिसके चारो तरह सफ़ेद झिल्ली लगी हुई थी | मैंने कभी नहीं सोचा था किसी लड़की की कुंवारी चूत इतना करीब से देखने को मिलेगी | चारो तरह से गोल छल्ला बनाती हुई उनकी गुलाबी चूत बस एक सकरे छेद में खुल रही थी |
दीदी - अभी कुछ देर बाद तू इसे फाड़कर एक बड़ा सा छेद कर देगा यहाँ |
मै - दीदी क्या और कोई तरीका नहीं चोदने का, जिससे आपकी झिल्ली भी न फाटे और चूत की चुदाई भी हो जाये |
दीदी हंस पड़ी - पागल है क्या, चूत चुदेगी तो फिर कुंवारी थोड़े न रहेगी |
मै - दीदी आपका छेद तो बहुत छोटा है ये इतना मोटा लंड इसमें घुसेगा कैसे |
दीदी - जैसे मुहँ में घुस गया था | चूत में एक बार लंड घुसने तो दे |
मै - दीदी आप क्या कह रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है |
दीदी - लंड अपनी जगह खुय्द बना लेगा और चूत उसको खुद बखुद रास्ता दे देगी | पहली बार है इसलिए तुझे ज्यादा मेहनत करनी होगी और मुझे भी थोड़ा दर्द होगा लेकिन अब सवाल जवाब का टाइम नहीं है करके देख सब पता चल जायेगा |
अनायास ही मेरी जीभ मेरे मुहँ से निकल कर दीदी की चूत का रस पीने चल दी | मैंने अपनी जुबान दीदी की चूत में ठेल दी और दीदी की गुलाबी कुंवारी चूत चाटने लगा | दीदी तो जैसे वासना से नहा गयी | दीदी के एक लम्बी सिसकारी भरी, उनका बदन मेरी जीभ के उनकी कुंवारी कोरी चूत पर खुरदुरे स्पर्श से रोमाचित होकर काँप गया | उसके बाद दीदी ने मुझे अपना चूत दाना चूसने को बोला | मै मस्त होकर दीदी का चूत दाना चूसता रहा | दीदी की जांघो और उनकी चूत का मखमली नरम अहसास मेरे रोम रोम में उत्तेजना भरे दे रहा था | मै सर घुसाए बस दीदी के चूत दाने को चूसता रहा | दीदी की चूत पानी की धार बहाने लगी इससे दीदी की चूत और जांघो का इलाका गीला होने लगा | पहली बार मैंने भी दीदी की चूत का रस चखा | क्या स्वाद था मै तो दीदी की चूत का रस पीकर मस्त हो गया और जोश से दीदी का चूत दाना चूसने लगा |

दीदी की चूत लगतातर पानी छोड़ रही थी | कुछ देर तक मैं दीदी की चूत के दाने को ऐसे ही चूसता रहा फिर दीदी पीछे हट गई और उन्होंने अपनी फैले हुए चूत के होठों को भी समेत लिया | मैं बस दीदी की चूत की गुलाबी रंगत देख रहा था दीदी के चूत के बाहरी ओंठ पूरी तरह से अलग हुए थे और दीदी की चूत के अंदरूनी पतले ओंठ फिर से भी आपस में चिपक गए |
दीदी बोली - कैसी लगी मेरी कुंवारी चूत |
मै - दीदी ये तो जन्नत का द्वार है ये मिल जाये फिर कुछ जरुरत नहीं है |
दीदी बोली - तुझे पता है तूने जिस उम्र में तूने मेरी कुंवारी चूत का मुहाना देख लिया है इस उम्र में लड़के किसी लड़की को नंगी देखने को भी नहीं पाते हैं | रही बात इस चूत को देखने की बड़े बड़े अच्छे खासे मर्द तरसते है चूत के दर्शन को | तू बहुत लकी है क्योंकि तू मेरा बहुत खास है इसलिए मेरे सबसे वर्जित खास अंग को देखने को प् गया | तेरे लिए सब न्योछावर |
मै - हाँ दीदी मै सच में बहुत लकी हूँ | आपने मुझे अपना सबसे खास वर्जित अंग दिखा दिया | अपनी कुंवारी चूत दिखा दी |
दीदी - तुझे मैंने अपनी जिंदगी की सबसे खास चीज दिखा दी है |
मै - हाँ दीदी जब से आपकी कुंवारी गुलाबी चूत के दर्अशन किये है मै खुद को स्बपेशल समझने लगा हूँ |
दीदी - अभी तो कुछ भी नहीं है अब इसके बाद मै तुझे मेरी जिंदगी की सबसे खास चीज भी देने वाली हूं पता है वह क्या है|
मैंने पूछा - दीदी नहीं मुझे नहीं मालूम |
दीदी - पगले इतनी देर तो बोल रही हूँ वह मेरी कुंवारी चूत जो मैं तुझे देने वाली है | तू मेरी कुंवारी चूत चोदने वाला है|
मैं मासूम बना रहा - दीदी कुंवारी चूत इसी को कहते हैं जिसके ऊपर वो सफ़ेद झिल्ली होती है |
दीदी बोली - हाँ भोंदू अपनी इतनी देर से तुझे यही तो समझा रही हूं अगर किसी लड़की की चूत के छेद में यह झिल्ली है तो समझ लो वह कुंवारी है उसे किसी ने नहीं चोदा है | अब तू अपना लंड घुसेड़ कर जब इस कुंवारी चूत को देगा तो ये झिल्ली फट जाएगी |
और तू मुझे एक लड़की से औरत बना देगा |
मै - और दीदी मै क्या बन जाऊंगा |
दीदी - तू बच्चा से मर्द बन जायेगा | कुंवारी चूत चोदने वाला असली मर्द |
मै - मै मर्द बन जाऊंगा दीदी |
दीदी - हां रे अभी से तेरा लंड इतना मोटा लम्बा हो जाता है खड़ा होने के बाद, इसको कौन कहेगा यह लंड एक हाई स्कूल के लड़के का है तेरा लंड तो मर्दों से भी पार है | पता नहीं जब बड़ा हो करके पूरी तरह से तो जवान होगा तो न जाने कितनी औरतों की चूत को फाड़ देगा उनकी रात की नींद उड़ा देगा | जब तू उनकी चूत में अपने लंड को पेलेगा तो उनकी चीखें आस-पड़ोस के गली मोहल्ले तक सुनाई देंगी | इतना मोटा और बड़ा लंड इतनी कम उम्र के किसी लड़के के पास मैंने नहीं देखा है | इसीलिए तो मैं तेरी दीवानी हो गई मैं एक तगड़े लंड से अपना कुंवारा पन खोना चाहती थी और वह भी ऐसे इंसान से जो सबसे खास हो तूने आज तक हमारे बीच का राज हमारे बीच रहने दिया है इसीलिए तो मेरा बहुत खास है |

मै - दीदी कुंवारी चूत को चोदते कैसे हैं इसके बारे में बताओ ना |
दीदी - धीरज रख सब बताती हूँ | तुझे सब कुछ बताऊंगी एक एक चीज बताऊंगी छोटी सी छोटी चीज़ दिखाऊंगी और तुझे सब कुछ सिखा दूंगी | मैं सब कुछ तेरे ऊपर लुटा दूंगी, मेरे पास जो कुछ भी है वह सब तेरा है तू सब कुछ लूट ले मेरा | मेरा जिस्म मेरी जवानी मेरा कुंवारापन |
उसके दीदी थोड़ा इमोशनल सी हो गई थी तब मुझे यह नहीं समझ में आया था दीदी क्या कह रही है लेकिन अब मुझे समझ में आ रहा है दीदी मेरे प्यार में पड़ गई थी और वह पूरी तरह से खुद को मेरे को बस समर्पित कर देना चाहती थी दीदी ने मुझे अपनी जांघो से कैद कर लिया और खुद से सटा लिया मेरा लंड उनकी चूत के ओठो पर जाकर सट गया था | इसके बाद दीदी ने पीठ के बल लेट गई और उन्होंने अपनी जांघें पूरी फैला दी और मुझे अपनी जांघों के सामने चूत के मुहाने पर घुटनों के बल बैठने को कहा |
दीदी बोली - सुन आराम आराम से करना मुझे दर्द होगा इसीलिए जब जब भी मैं मना करूं तब रुक जाना |
मैं खुद उत्तेजना के चरम पर था इसीलिए यह तो समझ में आया था दीदी क्या कह रही है लेकिन मुझे खुद नहीं पता था कि मुझे क्या करना है क्या नहीं करना है | मेरे घुटनों के बल बैठते ही दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और उसे अपनी चूत के होठों पर लगाने लगी थी |
 
मैं खुद उत्तेजना के चरम पर था इसीलिए यह तो समझ में आया था दीदी क्या कह रही है लेकिन मुझे खुद नहीं पता था कि मुझे क्या करना है क्या नहीं करना है | मेरे घुटनों के बल बैठते ही दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और उसे अपनी चूत के होठों पर लगाने लगी थी |
उसके बाद दीदी ने मुझसे मेरे अपने लंड को कसकर जड़ से पकड़ने को कहा | मैंने अपने लंड को कसकर जड़ से पकड़ा |
उसके बाद दीदी ने मेरे लंड के सुपाडे को सहारा देकर अपनी चूत के निचले हिस्से पर लगाया और दीदी बोली - चलो अब धीरे-धीरे इसको अंदर की तरफ ठेलो |
मैंने लंड को अन्दर लंड ठेलने की कोशिश की | लंड को अन्दर घुसने की कोशिश की में पहली बार में लंड रपट करके नीचे की तरफ चला गया क्योंकि दीदी की चूत बहुत गीली,चिकनी और टाइट थी | मेरा लंड दीदी की गांड के छेद पर जा कर डाला गया था |
दीदी बोली - झटका मत मारो, चुदी हुई चूत नहीं है की एक बार में लंड घुस जायेगा | चुपचाप इसे चूत के मुहाने पर सटाओ और हल्के हल्के से अंदर की तरफ ठेलते रहो |

इसके बाद मैंने अपने फूले मोटे लंड को फिर से दीदी की चूत पर सटाया | इस बार दीदी ने ऊपर की तरफ उठ करके मेरे चूतड़ों पर अपने हाथ जमा दिए और धीरे-धीरे मेरे चूतड़ों को अपनी तरफ खींचने लगी थी | मेरा लंड दीदी की चूत के मुहाने पर कस के सट गया था और लंड का सुपाड़ा अंदर की तरफ घुसने लगा था | दीदी के चेहरे पर हल्की सी दर्द की रेखाए तैर गयी | लेकिन मैंने आगे की तरफ अपना जोर बनाए रखा और दीदी भी पीछे से मेरे चुताड़ो को अपनी तरफ ठेलने में लगी थी | दीदी आंखें बंद होने लगी थी | मैंने कमर का जोर लगाये रखा | मेरा सुपाडा दीदी की चूत में गायब होने लगा | दीदी अब कुछ नहीं बोल रही थी बस कसकर मेरे चूतड़ थामे मुझे अपने से चिपकाये हुए थी | कुछ देर तक मै उसी तरह से दीदी की कुंवारी चूत में लंड घुसाने की कोशिश करता रहा लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी | मेरा लंड भी नरम होने लगा था | दीदी ने मेरे चुताड़ो पर से हाथ हटा लिया और अपने चूत दाने को मसलने लगी | कुछ ही देर में उन्हें अहसास हो हया की मै उनकी चूत में लंड नहीं घुसा पा रहा हूँ | दीदी ने नीचे मेरे लंड को टटोला और तेजी से उठकर बैठ गयी | वो समझ गयी थी अब मेरे बस का कुछ नहीं है | दीदी ने मेरा लंड सीधे मुहँ में ले लिया और बेतहाशा चूसने लगी | कुछ ही देर में लंड की नरमी गायब हो गयी | ददीदी फिर से पीठ के बल लेट गयी और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत को सहलाने लगी | कुछ ही देर में दीदी की चूत फिर से पानी का झरना बन गयी तो दीदी ने मेरा ;लंड अपनी सील बंद चूत के मुहाने पर लगा दिया |
दीदी - चलो जोर लगाकर इसे अन्दर घुसेड़ो | डर डर कर धक्के मरोगे तो कभी चूत की सील नहीं तोड़ पावोगे |
मै - दीदी धक्के मारू |
दीदी - कुछ सोचकर - ठीक है तू कमर हिलाकर धक्के ही मार, जो होगा बर्दास्त कर लूंगी |

रीमा बेतहाशा अपनी चूत में दो उंगली अन्दर बाहर कर रही थी | इतनी देर की मेहनत आखिर रंग लायी | आखिर रीमा की चूत से पानी का झरना बह निकला | रीमा के बदन में बहती तरंगे अपने मुकाम पर पंहुच गयी | रीमा की हल्की सी सिसकारी से जितेश रुक सा गया | वो भी अब बेतहाशा लंड मसल रहा था | ये बात रीमा को भी पता थी | बस घनघोर अँधेरे में आवाज ही एक सहारा था इसलिए दोनों अपने अपने बिस्तर पर क्या कर रहे है इससे किसी कोई कोई मतलब नहीं था |
जितेश - मैडम क्या हुआ |
रीमा - कुछ नहीं हिचकी आई लग रहा है कोई अपना याद कर रहा है | तुम आगे कहानी सुनावो |
रीमा को अपने से रोहित, अनिल प्रियम और रोहिणी की याद आ गयी | रीमा भावुक हो गयी | जितेश ने आगे कहानी सुनानी जारी रखी |

जैसे ही मैंने कमर का एक झटका लगाया , लंड फिसल कर दीदी की चूत के ऊपर से उनके दाने को रगड़ता हुआ आगे की तरफ चला गया |
दीदी हलके गुस्से में - इस लंड को पकड़ने के लिए क्या तेरे बाप को बुलाऊ | पिक्चर में देखा नहीं था पहली बार लंड चूत में घुसेड़ते समय वो जड़ से लंड को कसकर पकड़ता है फिर चूत में घुसेड़ता है |
जैसा दीदी बोली मैंने बिलकुल वैसा किया | पहले लंड को दीदी चूत पर सटाया, फिर कसकर कमर को जोर लगा कर अन्दर ढेल दिया | लंड अपने सुपाडे सहित दीदी की चूत में गायब हो गया | लंड थोडा सा आगे खिसक करके करके फस गया | ऐसा लगा किसी ने दीदी की चूत के अन्दर मेरे सुपाडे को जकड लिया है | मैं थोड़ा सा डर गया था और मेरा सुपाड़ा पीछे बाहर निकालने की कोशिश करी लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे मेरा सुपाडा कही जाकर अटक गया है | मैं समझ नहीं पा रहा था यह क्या हो रहा है मेरा पूरा का पूरा लंड बाहर था | सिर्फ सुपाडा घुसा था और वो भी फंस गया | आखिर ये लंड दीदी की चूत में जायेगा कैसे | ये सब कुछ मेरी सोच से परे था | इधर दीदी को दर्द होने लगा था, शायद मेरा लंड उनकी चूत की झिल्ली में जाकर अटक गया था | मैंने जब जोर से दीदी की चूत में लंड घुसेड़ा था तो दीदी को हल्का सा दर्द हुआ था क्योंकि मेरे लंड की ठोकर से उनके झिल्ली फैलने लगी थी दीदी ने आंखें बंद कर ली थी और दर्द से सिसकारियां भरने लगी थी | यह देखकर मैं और डर गया एक तो मेरा लंड दीदी की चूत में फस गया था दीदी भी दर्द से सिसकारियां ले रही है |
 
मैं डर गया मैंने लंड को बाहर खींच लिया दीदी के अरमानों के पानी फिर गया था |
दीदी - क्या हुआ, लंड बाहर क्यों निकाल लिया |
मै - दीदी आप सी सी करके कराह क्यों रही हो | आपको दर्द हो रहा है |
दीदी - हाँ तो पहली बार में दर्द होता है तुझे बताया तो था | तुमने क्या इसी वजह से लंड के बाहर निकाल लिया |
मै - मेंरा लंड आपकी चूत में फस गया था और आगे नहीं जा रहा था | अगर आपकी चूत में मेरा लंड फंस गया तो मैं सुबह घर कैसे जाऊंगा |
दीदी को मेरी बात पर बहुत गुस्सा आ गया - कितना फट्टू लड़का हुई चूत मेरी फटने वाली है और गांड तेरी फट रही है | इतना तो दूध पीते बच्चे को नहीं समझाना पड़ेगा चोदने के लिए | चुपचाप आ करके चोद मुझे, वर्ना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा | कितनी देर तक तेरी फत्तुगिरी को झेलती रहूंगी |
मैंने कहा - दीदी आपको दर्द होगा |
दीदी - तो क्या हुआ, दर्द मुझे होगा तुझे नहीं, होने दे, नौटंकी छोड़कर तू बस ढंग से चूत चोद | इसमें नया क्या है दर्द सब को होता है दुनिया की हर औरत को होता है | दुनिया की हर औरत पहली बार जब चुदती है तो सबको दर्द होता है | तेरी मां को भी जब पहली बार किसी ने चोदा होगा तेरी मां भी को भी दर्द हुआ होगा | अब चुपचाप आकर भोसड़ीवाले मुझे चोद नहीं तो सुबह तेरी माँ को मै चोडूंगी |

मैं दीदी के मुंह से गालियां सुन कर हैरानी में था |
मै - आप गाली दे रही हो |
मै - अरे हां भोसड़ी के, अब आकर मुझे चोदना शुरू कर, नहीं तो तेरी बकचोदी सुनकर मै तेरा ,मर्आडर कर दूँगी |
इतना कहकर के दीदी ने मेरा हाथ पकड़ कर खुद अपने ऊपर खींच लिया और मुझे पलट दिया और मेरे को नीचे धकेल दिया और खुद ऊपर आ गई | इसके बाद उन्होंने खुद ही मेरे लंड को अपनी चूत पर सटाके लगा दिया और धीरे से नीचे की तरफ खुद को ठेलती चली गई | उसके बाद दीदी ने पलटकर मुझे ऊपर कर लिया और कहा चुपचाप मेरी चूत में पूरा का पूरा घुसेड़ दे | मै चीखू चिल्लाऊ हाथ पैरों पटकु, अपनी चूत से लंड निकालने बोलू | मत निकालना | कान खोलकर सुन ले , कुछ भी कंहू मत सुनना | जब तक तेरा लंड पिचकारी नहीं छोड़ देता मुझे चोदते रहना | समझ में आया | मैंने हाँ में सर हिला दिया |

दीदी - क्योंकि मुझे दर्द होगा इसलिए मै चीखूंगी चिल्लाऊनगी लेकिन तुझे लंड नहीं निकालना है समझ में आया या नहीं आया |
दीदी का इतना कहना था और मैंने पूरा जोर लगाने की सोची | मै दीदी की चूत में लंड घुसाने लगा लेकिन मैं बहुत डर रहा था इसलिए मेरी हिम्मत नहीं हुई मैंने बस हल्का सा ही जोर लगाया और इससे लंड फिर वही जाकर फस गया जहां पहले फंसा हुआ था |

अब दीदी को गुस्सा आ गया दीदी ने कसके मेरे चूतड़ों को पकड़ा और अपनी तरफ मुझे ठेल दिया और नीचे से भी अपनी कमर उठा दी | यह क्या हुआ मुझे लगा जैसे किसी ने मेरे लंड को अंदर से छील लिया हो और मेरा लंड घुसता हुआ दीदी की चूत में अन्चदर तक चला गया | दीदी एक लम्बी चीख से कराह गयी | दीदी के चेहरे पर दर्द की लकीरे तैर गई | दीदी दर्द से दोहरी हो गई ऐसा लग रहा था जैसे मैंने उनकी कसी हुई नरम सुरंग के अंदर मेरे लंड को चीर के रख दिया गया हो | मेरा लंड दीदी की गरम गुनगुनी चूत में अंदर तक घुसता हुआ चला गया था दीदी दर्द के कारण परेशान हो गई थी |
उन्होंने मेरे चुताड़ो को छोड़कर मुट्ठियाँ भीच कर चादर को कस के पकड़ लिया था और उनकी आंखें कसकर दर्द के मारे बंद थी और उनके किनारों से आंसू बहने लगे थे | मैं बस दीदी के चेहरे को देख रहा था, क्या इतना दर्द होता है पहली बार चुदवाने में | इसी बीच मुहे दीदी की बात याद आ गयी | मैंने ने अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से अन्दर तक पेलता चला गया | ऐसा लग रहा था जैसे कोई संकरी मखमली सुरंग मेरे लंड को छील कर रखे दे रही है | दीदी का दर्द और बढ़ गया था |
मै - दीदी |
मेरा इतना बोलना था दीदी बोली - चल चोदना शुरू कर |
मैंने फिर से अपने लंड को पीछे खींचा और फिर अंदर को पेल दिया था दीदी का दर्द और ज्यादा बढ़ गया था | मैंने चार पांच बार उसी तरह से दीदी की कसी चूत में लंड आगे पीछे किया | मुझे लगा दीदी को ज्यादा दर्द हो रहा है इसलिए मैंने अपने लंड को बाहर निकालने की कोशिश करी लेकिन दीदी ने पीछे से अपनी जांघो से मुझे कस कर जकड़ रखा था मेरा लंड दीदी की चूत में आधे से ज्यादा घुसा हुआ था और दीदी उस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी | मुझे लग रहा था दीदी उस दर्द को भी इंजॉय कर रही थी | मै बस हल्की हल्की कमर हिलाता रहा | मेरे सुपाडे भर का लंड दीदी की चूत में आगे पीछे होता रहा | दीदी अपना चूत दाना कसकर रगड़ने लगी | मै हलके हलके कमर हिलाता रहा | अब मुझे लग रहा था की दीदी की चूत में मेरा लंड आराम से फिसल रहा था | कुछ देर बाद दीदी थोड़ा नॉर्मल हुई मैं तब तक उसी तरह से पड़ा रहा और कमर हिलाता रहा |
 
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