desiaks
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मैं उनकी चूत को फिर से चाटने लगा | दीदी बार बार मख्खन लगाती रही और मैं उसे बारी-बारी से चाटता रहता था , दीदी बीच बीच में एक दो बार कांपी भी जबदस्त |
उस कांपने का रहस्य मुझे बाद में पता चला | ये सब करते थे काफी देर हो गई थी और मेरा लंड फिर से पूरी तरह से खड़ा हो गया था दीदी अब बिस्तर पर लुढ़क गई थी और उन्होंने अपने पास में मुझे बुलाकर तेजी से अपने हाथ से मेरे लंड को मसलना और मुठियाना शुरू कर दिया था और वह एक हाथ से मेरे लंड को मुखिया रही थी और दूसरे हाथ से वह अपने बड़े-बड़े दूधों को मसल रही थी उसके बाद दीदी ने मेरे लंड को छोड़ा और बोली - चल तू मेरी चूत को देख करके मुठ मार |
मैं दीदी के जांघो के बीच में उनके चेहरे के सामने आ करके बैठ गया | दीदी ने पूरी तरह से जागे फैला दी थी उनकी गुलाबी चूत के दोनों गुलाबी फाके भी अलग हो गए थे और मुझे उनकी कसी हुई गुलाबी मखमली चूत की सुरंग की गुलाबी लालिमा के दर्शन होने लगे थे | क्या चूत थी बिलकुल गोरी चिकनी सफाचट | कही कोई दाग नहीं, कही कोई बाल नहीं | गोरेपन और गुलाबी लालिमा लिए दीदी की चूत खूबसूरती की एक मिसाल थी | जिसे बस महसूस किया जा सकता था | चूत के अंदरूनी ओंठ भी होते है ये मुझे तब पता चला जब मैंने दीदी से पुछा - दीदी ये आपके चूत के ओंठो के अन्दर गुलाबी पंखुडियां कैसी है | क्या यही गुलाबी चूत होती है |
दीदी - नहीं पगले ये तो मेरी चूत के अंदरूनी ओंठ है | जब ये ओंठ खुलते है तब चूत का छेद दीखता है | अभी जितना कहाँ है उतना कर, आगे सब बताउंगी |
दीदी अपने दोनों हाथों से अपने दोनों दूधो को मसलने लगी थी | और उन्होंने मुझे अपने दोनों हाथों से अपने लंड को कस के मुठीयाने को कहा था | मैं दीदी के चूत के बिल्कुल सामने बैठकर तेजी से अपने लंड को मुठिया रहा था, लेकिन मेरी नजर दीदी की गुलाबी करिश्माई हसींन चूत से हट ही नहीं रही थी | मेरा हाथ मेरे लंड को बुरी तरह मसले जा रहा था, दीदी बड़े ही कामुक अंदाज में मुझे देख रही थी | मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन दीदी के पूरे बदन को देख कर पूरी तरह से पागल हो गया था | मैं तेजी से अपने लंड को हिला रहा था |
मै हांफता हुआ - दीदी अपनी चूत के बारे में और बताओ न |
दीदी अपने दूध को मसलना छोड़ कर अपनी चूत को सहलाने लगी | दीदी ने अपनी चूत के उपरी सिरे को उंगली से रगड़ने लगी |
दीदी - पहले ये बता तुझे क्या क्या पता चल गया है |
मै अपनी तेज सांसो को संभालता हुआ तेजी से लंड पर अपनई हथेली की मुट्ठी को फिसलाता हुआ बोला - दीदी आपकी चूत देख ली, चूत के ओंठो को पहचान गया हूँ | चूत का चीरा भी आपने बता दिया | अब आगे भी बताइए |
दीदी ने आपनी उंगलियों से अपनी गुलाबी चिकनी चूत को फैलाया, दीदी की आपस में चिपकी हुई चूत की पंखुड़िया खुल गयी | उनके दोनों फांके अलग हो गए | दीदी ने चूत के उपरी हिस्से को कसकर पीछे को खीचा तो एक लहसुन के इतना लाल लाल दाना उनकी खाल से बाहर आ गया | दीदी उस पर उंगली लगाती हुई बोली - इसे चूत दाना कहते है | और ये नीचे की तरफ जा रही पंखुडियो की चूत के अंदरूनी ओंठ कहते है |
मै हैरानी से दीदी की खुली चूत की गुलाबी चमत्कारिक रंगत देखने लगा | इससे मेरा लंड पर फिसल रहा हाथ रुक गया |
दीदी तेज आवाज में - अगर लंड को मसलना रोका तो कुछ नहीं बताउंगी | मुझे मेरी गलती का अहसास हुआ |
मेरे हाथ ने लंड पर फिर से स्पीड पकड़ ली |
दीदी - स्पीड कम नहीं होनी चाहिए |
मै दीदी की गुलाबी चूत देखकर उत्तेजना से नहा गया | मैंने लंड को और तेज मुठियाना शुरू कर दिया |
दीदी - तो बोल इस गुलाबी दाने को क्या कहते है |
मै हांफते हुए - चूत दाना दीदी |
दीदी - ये औरत की वासना का बटन होता है | अगर तुम्हे कोई लड़की चोदनी है और उसका मन नहीं है तो बस जाकर हलके हलके इस दाने को मसलने लगाना | लड़की अपने आप ही गरम हो जाएगी और ख़ुशी ख़ुशी चुदने को राजी हो जाएगी |
मै - दीदी इसीलिए आप इसे रगड़ते हो |
दीदी - हाँ जिन औरतो को चुदवाने के लिए लंड नसीब नहीं होता वो इसी चूत दाने को रगड़कर अपनी प्यास बुझाती है |
मै - दीदी आपने भी इसे रगड़कर अपनी प्यास बुझाई है |
दीदी - हाँ पगले यही तो कर रही हूँ अब तक |
दीदी - जब लंड चूत में जाता है ये चूत के पतले ओंठ लंड को सहलाते है |
उस कांपने का रहस्य मुझे बाद में पता चला | ये सब करते थे काफी देर हो गई थी और मेरा लंड फिर से पूरी तरह से खड़ा हो गया था दीदी अब बिस्तर पर लुढ़क गई थी और उन्होंने अपने पास में मुझे बुलाकर तेजी से अपने हाथ से मेरे लंड को मसलना और मुठियाना शुरू कर दिया था और वह एक हाथ से मेरे लंड को मुखिया रही थी और दूसरे हाथ से वह अपने बड़े-बड़े दूधों को मसल रही थी उसके बाद दीदी ने मेरे लंड को छोड़ा और बोली - चल तू मेरी चूत को देख करके मुठ मार |
मैं दीदी के जांघो के बीच में उनके चेहरे के सामने आ करके बैठ गया | दीदी ने पूरी तरह से जागे फैला दी थी उनकी गुलाबी चूत के दोनों गुलाबी फाके भी अलग हो गए थे और मुझे उनकी कसी हुई गुलाबी मखमली चूत की सुरंग की गुलाबी लालिमा के दर्शन होने लगे थे | क्या चूत थी बिलकुल गोरी चिकनी सफाचट | कही कोई दाग नहीं, कही कोई बाल नहीं | गोरेपन और गुलाबी लालिमा लिए दीदी की चूत खूबसूरती की एक मिसाल थी | जिसे बस महसूस किया जा सकता था | चूत के अंदरूनी ओंठ भी होते है ये मुझे तब पता चला जब मैंने दीदी से पुछा - दीदी ये आपके चूत के ओंठो के अन्दर गुलाबी पंखुडियां कैसी है | क्या यही गुलाबी चूत होती है |
दीदी - नहीं पगले ये तो मेरी चूत के अंदरूनी ओंठ है | जब ये ओंठ खुलते है तब चूत का छेद दीखता है | अभी जितना कहाँ है उतना कर, आगे सब बताउंगी |
दीदी अपने दोनों हाथों से अपने दोनों दूधो को मसलने लगी थी | और उन्होंने मुझे अपने दोनों हाथों से अपने लंड को कस के मुठीयाने को कहा था | मैं दीदी के चूत के बिल्कुल सामने बैठकर तेजी से अपने लंड को मुठिया रहा था, लेकिन मेरी नजर दीदी की गुलाबी करिश्माई हसींन चूत से हट ही नहीं रही थी | मेरा हाथ मेरे लंड को बुरी तरह मसले जा रहा था, दीदी बड़े ही कामुक अंदाज में मुझे देख रही थी | मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन दीदी के पूरे बदन को देख कर पूरी तरह से पागल हो गया था | मैं तेजी से अपने लंड को हिला रहा था |
मै हांफता हुआ - दीदी अपनी चूत के बारे में और बताओ न |
दीदी अपने दूध को मसलना छोड़ कर अपनी चूत को सहलाने लगी | दीदी ने अपनी चूत के उपरी सिरे को उंगली से रगड़ने लगी |
दीदी - पहले ये बता तुझे क्या क्या पता चल गया है |
मै अपनी तेज सांसो को संभालता हुआ तेजी से लंड पर अपनई हथेली की मुट्ठी को फिसलाता हुआ बोला - दीदी आपकी चूत देख ली, चूत के ओंठो को पहचान गया हूँ | चूत का चीरा भी आपने बता दिया | अब आगे भी बताइए |
दीदी ने आपनी उंगलियों से अपनी गुलाबी चिकनी चूत को फैलाया, दीदी की आपस में चिपकी हुई चूत की पंखुड़िया खुल गयी | उनके दोनों फांके अलग हो गए | दीदी ने चूत के उपरी हिस्से को कसकर पीछे को खीचा तो एक लहसुन के इतना लाल लाल दाना उनकी खाल से बाहर आ गया | दीदी उस पर उंगली लगाती हुई बोली - इसे चूत दाना कहते है | और ये नीचे की तरफ जा रही पंखुडियो की चूत के अंदरूनी ओंठ कहते है |
मै हैरानी से दीदी की खुली चूत की गुलाबी चमत्कारिक रंगत देखने लगा | इससे मेरा लंड पर फिसल रहा हाथ रुक गया |
दीदी तेज आवाज में - अगर लंड को मसलना रोका तो कुछ नहीं बताउंगी | मुझे मेरी गलती का अहसास हुआ |
मेरे हाथ ने लंड पर फिर से स्पीड पकड़ ली |
दीदी - स्पीड कम नहीं होनी चाहिए |
मै दीदी की गुलाबी चूत देखकर उत्तेजना से नहा गया | मैंने लंड को और तेज मुठियाना शुरू कर दिया |
दीदी - तो बोल इस गुलाबी दाने को क्या कहते है |
मै हांफते हुए - चूत दाना दीदी |
दीदी - ये औरत की वासना का बटन होता है | अगर तुम्हे कोई लड़की चोदनी है और उसका मन नहीं है तो बस जाकर हलके हलके इस दाने को मसलने लगाना | लड़की अपने आप ही गरम हो जाएगी और ख़ुशी ख़ुशी चुदने को राजी हो जाएगी |
मै - दीदी इसीलिए आप इसे रगड़ते हो |
दीदी - हाँ जिन औरतो को चुदवाने के लिए लंड नसीब नहीं होता वो इसी चूत दाने को रगड़कर अपनी प्यास बुझाती है |
मै - दीदी आपने भी इसे रगड़कर अपनी प्यास बुझाई है |
दीदी - हाँ पगले यही तो कर रही हूँ अब तक |
दीदी - जब लंड चूत में जाता है ये चूत के पतले ओंठ लंड को सहलाते है |