desiaks
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मेरा लंड दीदी की मखमली गरम चूत में घुसा हुआ उनकी चूत की चूत की झिल्ली को चीर के अन्उदर तक धंसा था | मैं अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन दीदी ने अपनी जांघों पर कसाव बढ़ाते हुए बोली लंड को बाहर मत निकालना और चुपचाप मेरी चूत में ही अंदर ही लंड डाल कर मुझे चोदते रहो |
मै - दीदी आपकी चूत में लंड तो घुस गया, लेकिन आपकी चूत को चोदु कैसे |
दीदी - लंड को चूत में पेलने को ही चोदना कहते है गधे |
मैं बस हलके से कमर हिला हिला करके ही लंड को अंदर बाहर करने की कोशिश करने लगा लेकिन दीदी को इसमें मजा नहीं आ रहा था | उनको पता था उनकी सील टूट चुकी है इसलिए वो अब जमकर चुदना चाहती थी | मुझे तो बस जो दीदी बता रही थी वो कर रहा था | अपनी कच्ची उम्र के हिसाब से बहुत कुछ देख लिया था | कर भी रहा था लेकिन समझ नहीं थी |
दीदी - चोदना नहीं आता है देखा नहीं था मूवी में कैसे वो उस लड़की की चूत में लंड पेल रहा था | उस तरह से जोर-जोर झटके मारो |
मैं जोर-जोर से कमर हिलाने लगा था और दीदी की चूत में मेरा लंड का आगे पीछे लगा था | अभी भी दीदी की चूत बहुत टाइट थी और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड को छीलकर रख देगी | दीदी ने मुझे कसकर अपनी बाहों के ऊपर जो कर रखा था |
उसके बाद में दीदी ने मुझे चूमते हुए बोली - अच्छा अब एक काम करो नीचे लेट जावो मै तुमको चोदती हूँ | ऐसा लग रहा है जैसे कि तुमने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया है|
दीदी ने मुझे अपनी बाहों और जांघों की गिरफ्त से आजाद कर दिया मैं तुरंत ही पीछे उठ कर बैठ गया और जैसे ही मैंने दीदी की चूत से लंड को बाहर निकाला मैंने देखा मेरे लंड का पूरा सुपारा खून से भीगा हुआ है मैं खून देखते ही मुझे चक्कर आने लगे लेकिन तब तक दीदी ने मुझे थाम दिया और बोली - अरे पगले ये खून तो एक वरदान की तरह है, तुझे नहीं पता है आज तूने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया है और पता है एक लड़की की जिंदगी में यह पल कितना खास होता है आज तूने मुझे पूरी की पूरी औरत बना दिया है अब मैं कुंवारी नहीं रही यह खून उसकी निशानी है कि अब मैं एक जवान औरत हूं | अगर ये नहीं निकलता तो मै कभी औरत नहीं बन पाती | तुझे नहीं पता है आज तूने मुझे क्या दिया है | ये बस एक लड़की ही समझ सकती है |
अब चुपचाप मेरी चूत में लंड को जमकर पेल और मेरी चूत का बचा हुआ कुंवारापन भी लूट ले | मुझे चोदकर पूरी की पूरी औरत बना दे जब तक तेरे लंड की पिचकारी मेरी चूत की सुरंग में फुहारे नहीं छोडती तब तक मैं पूरी औरत नहीं बनूंगी |
इतना कहते ही दीदी ने फिर से मुझे अपने ऊपर चिपका लिया और कमर हिलाने को कहने लगी लेकिन खून देखकर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी तो दीदी ने मुझे पलट दिया और मेरे ऊपर आ गई और लंड को अपनी चूत में घुसा कर खुद की कमर हिलाने लगी | अब मैं बिस्तर पर नीचे लेटा हुआ था और दीदी मुझे ऊपर बैठकर चोद रही थी लेकिन दीदी को अभी भी चूत में दर्द हो रहा था उनकी आंखें बता रही थी दीदी अपनी चूत फटने के दर्द से अभी उभरी नहीं है | ऊपर से दीदी को चोदना आसन नहीं था एक तो उन्हें ही धक्के लगाने थे और हर धक्के का दर्द भी उन्हें ही बर्दास्त करना था | इसलिए दीदी फिर से नीचे बिस्तर पर लेट गई और किनारे आ करके उन्होंने मुझे फिर से चोदने को कह दिया | दीदी ने इसके साथ ही अपनी दोनों जाने सटा के ऊपर की तरफ उठा दी मैंने दीदी की जांघो को पकड़कर उनकी चूत में लंड को घुसेड़ दिया और अपनी कमर को हिलाने लगा था |
मै - दीदी आपकी चूत में लंड तो घुस गया, लेकिन आपकी चूत को चोदु कैसे |
दीदी - लंड को चूत में पेलने को ही चोदना कहते है गधे |
मैं बस हलके से कमर हिला हिला करके ही लंड को अंदर बाहर करने की कोशिश करने लगा लेकिन दीदी को इसमें मजा नहीं आ रहा था | उनको पता था उनकी सील टूट चुकी है इसलिए वो अब जमकर चुदना चाहती थी | मुझे तो बस जो दीदी बता रही थी वो कर रहा था | अपनी कच्ची उम्र के हिसाब से बहुत कुछ देख लिया था | कर भी रहा था लेकिन समझ नहीं थी |
दीदी - चोदना नहीं आता है देखा नहीं था मूवी में कैसे वो उस लड़की की चूत में लंड पेल रहा था | उस तरह से जोर-जोर झटके मारो |
मैं जोर-जोर से कमर हिलाने लगा था और दीदी की चूत में मेरा लंड का आगे पीछे लगा था | अभी भी दीदी की चूत बहुत टाइट थी और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड को छीलकर रख देगी | दीदी ने मुझे कसकर अपनी बाहों के ऊपर जो कर रखा था |
उसके बाद में दीदी ने मुझे चूमते हुए बोली - अच्छा अब एक काम करो नीचे लेट जावो मै तुमको चोदती हूँ | ऐसा लग रहा है जैसे कि तुमने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया है|
दीदी ने मुझे अपनी बाहों और जांघों की गिरफ्त से आजाद कर दिया मैं तुरंत ही पीछे उठ कर बैठ गया और जैसे ही मैंने दीदी की चूत से लंड को बाहर निकाला मैंने देखा मेरे लंड का पूरा सुपारा खून से भीगा हुआ है मैं खून देखते ही मुझे चक्कर आने लगे लेकिन तब तक दीदी ने मुझे थाम दिया और बोली - अरे पगले ये खून तो एक वरदान की तरह है, तुझे नहीं पता है आज तूने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया है और पता है एक लड़की की जिंदगी में यह पल कितना खास होता है आज तूने मुझे पूरी की पूरी औरत बना दिया है अब मैं कुंवारी नहीं रही यह खून उसकी निशानी है कि अब मैं एक जवान औरत हूं | अगर ये नहीं निकलता तो मै कभी औरत नहीं बन पाती | तुझे नहीं पता है आज तूने मुझे क्या दिया है | ये बस एक लड़की ही समझ सकती है |
अब चुपचाप मेरी चूत में लंड को जमकर पेल और मेरी चूत का बचा हुआ कुंवारापन भी लूट ले | मुझे चोदकर पूरी की पूरी औरत बना दे जब तक तेरे लंड की पिचकारी मेरी चूत की सुरंग में फुहारे नहीं छोडती तब तक मैं पूरी औरत नहीं बनूंगी |
इतना कहते ही दीदी ने फिर से मुझे अपने ऊपर चिपका लिया और कमर हिलाने को कहने लगी लेकिन खून देखकर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी तो दीदी ने मुझे पलट दिया और मेरे ऊपर आ गई और लंड को अपनी चूत में घुसा कर खुद की कमर हिलाने लगी | अब मैं बिस्तर पर नीचे लेटा हुआ था और दीदी मुझे ऊपर बैठकर चोद रही थी लेकिन दीदी को अभी भी चूत में दर्द हो रहा था उनकी आंखें बता रही थी दीदी अपनी चूत फटने के दर्द से अभी उभरी नहीं है | ऊपर से दीदी को चोदना आसन नहीं था एक तो उन्हें ही धक्के लगाने थे और हर धक्के का दर्द भी उन्हें ही बर्दास्त करना था | इसलिए दीदी फिर से नीचे बिस्तर पर लेट गई और किनारे आ करके उन्होंने मुझे फिर से चोदने को कह दिया | दीदी ने इसके साथ ही अपनी दोनों जाने सटा के ऊपर की तरफ उठा दी मैंने दीदी की जांघो को पकड़कर उनकी चूत में लंड को घुसेड़ दिया और अपनी कमर को हिलाने लगा था |