Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की - Page 28 - SexBaba
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Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की

मेरा लंड दीदी की मखमली गरम चूत में घुसा हुआ उनकी चूत की चूत की झिल्ली को चीर के अन्उदर तक धंसा था | मैं अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन दीदी ने अपनी जांघों पर कसाव बढ़ाते हुए बोली लंड को बाहर मत निकालना और चुपचाप मेरी चूत में ही अंदर ही लंड डाल कर मुझे चोदते रहो |
मै - दीदी आपकी चूत में लंड तो घुस गया, लेकिन आपकी चूत को चोदु कैसे |
दीदी - लंड को चूत में पेलने को ही चोदना कहते है गधे |
मैं बस हलके से कमर हिला हिला करके ही लंड को अंदर बाहर करने की कोशिश करने लगा लेकिन दीदी को इसमें मजा नहीं आ रहा था | उनको पता था उनकी सील टूट चुकी है इसलिए वो अब जमकर चुदना चाहती थी | मुझे तो बस जो दीदी बता रही थी वो कर रहा था | अपनी कच्ची उम्र के हिसाब से बहुत कुछ देख लिया था | कर भी रहा था लेकिन समझ नहीं थी |
दीदी - चोदना नहीं आता है देखा नहीं था मूवी में कैसे वो उस लड़की की चूत में लंड पेल रहा था | उस तरह से जोर-जोर झटके मारो |

मैं जोर-जोर से कमर हिलाने लगा था और दीदी की चूत में मेरा लंड का आगे पीछे लगा था | अभी भी दीदी की चूत बहुत टाइट थी और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड को छीलकर रख देगी | दीदी ने मुझे कसकर अपनी बाहों के ऊपर जो कर रखा था |
उसके बाद में दीदी ने मुझे चूमते हुए बोली - अच्छा अब एक काम करो नीचे लेट जावो मै तुमको चोदती हूँ | ऐसा लग रहा है जैसे कि तुमने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया है|

दीदी ने मुझे अपनी बाहों और जांघों की गिरफ्त से आजाद कर दिया मैं तुरंत ही पीछे उठ कर बैठ गया और जैसे ही मैंने दीदी की चूत से लंड को बाहर निकाला मैंने देखा मेरे लंड का पूरा सुपारा खून से भीगा हुआ है मैं खून देखते ही मुझे चक्कर आने लगे लेकिन तब तक दीदी ने मुझे थाम दिया और बोली - अरे पगले ये खून तो एक वरदान की तरह है, तुझे नहीं पता है आज तूने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया है और पता है एक लड़की की जिंदगी में यह पल कितना खास होता है आज तूने मुझे पूरी की पूरी औरत बना दिया है अब मैं कुंवारी नहीं रही यह खून उसकी निशानी है कि अब मैं एक जवान औरत हूं | अगर ये नहीं निकलता तो मै कभी औरत नहीं बन पाती | तुझे नहीं पता है आज तूने मुझे क्या दिया है | ये बस एक लड़की ही समझ सकती है |
अब चुपचाप मेरी चूत में लंड को जमकर पेल और मेरी चूत का बचा हुआ कुंवारापन भी लूट ले | मुझे चोदकर पूरी की पूरी औरत बना दे जब तक तेरे लंड की पिचकारी मेरी चूत की सुरंग में फुहारे नहीं छोडती तब तक मैं पूरी औरत नहीं बनूंगी |

इतना कहते ही दीदी ने फिर से मुझे अपने ऊपर चिपका लिया और कमर हिलाने को कहने लगी लेकिन खून देखकर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी तो दीदी ने मुझे पलट दिया और मेरे ऊपर आ गई और लंड को अपनी चूत में घुसा कर खुद की कमर हिलाने लगी | अब मैं बिस्तर पर नीचे लेटा हुआ था और दीदी मुझे ऊपर बैठकर चोद रही थी लेकिन दीदी को अभी भी चूत में दर्द हो रहा था उनकी आंखें बता रही थी दीदी अपनी चूत फटने के दर्द से अभी उभरी नहीं है | ऊपर से दीदी को चोदना आसन नहीं था एक तो उन्हें ही धक्के लगाने थे और हर धक्के का दर्द भी उन्हें ही बर्दास्त करना था | इसलिए दीदी फिर से नीचे बिस्तर पर लेट गई और किनारे आ करके उन्होंने मुझे फिर से चोदने को कह दिया | दीदी ने इसके साथ ही अपनी दोनों जाने सटा के ऊपर की तरफ उठा दी मैंने दीदी की जांघो को पकड़कर उनकी चूत में लंड को घुसेड़ दिया और अपनी कमर को हिलाने लगा था |
 
दीदी ने पिक्चर की याद दिला दी और उसकी याद आते ही मैंने दीदी के चूत में लंड खेलने की स्पीड बढ़ा दी और दीदी को मज़ा आने लगा था हालांकि दीदी को दर्द भी बराबर हो रहा था मेरा लंड पूरी तरह से खून से सना हुआ था |

मैं उसे पोछना चाहता था लेकिन दीदी ने रोक दिया उसने कहा अरे पगले यह तो सुहागरात की निशानी होती है जब तक पूरा लंड और चूत खून और तेरी मलाई से सन नहीं जाएगी तब तक यह सुहागरात खत्म नहीं होगी | ऐसा समझ ले तू बस मेरे साथ सुहागरात मना रहा है | यह सब बातों से मेरा जोश बढ़ गया था और मैं दीदी को और जोर से धक्के मारने लगा था | मैंने अपनी जिंदगी की पहली चूत मारी थी वो भी कोरी कुंवारी | दीदी की चूत बहुत कसी हुई थी इसलिए लंड पेलने में पूरा जोर लगाना पड़ रहा था | इसलिए मैं जल्दी ही हांफने लगा था | इसी ताकन के कारन मै दीदी के ऊपर लेट गया था | दीदी समझ गई थी आखिर में कच्ची उम्र का लड़का था | दीदी नीचे से कमर में झटके देने लगी और मै ऊपर से | दीदी की नयी कोरी कसी चूत में मेरा लंड ज्यादा देर तक खुद रोक नहीं पाया और मेरा शरीर अकड़ने लगा था जल्द ही मेरे लंड से पिचकारिया छूटने लगी और दीदी की चूत की गहराई में अपने लंड की पर पिचकारियो से अपनी मलाई से भरने लगा था | दीदी चुपचाप मेरे लंड की मलाई को अपनी चूत में समाती रही और उसके बाद में मुझे बाहों में लेकर उसी तरह से लेट गई | मै और दीदी दोनों अपनी सांसे काबू करने लगे | हम दोनों की गरम सांसे एक दुसरे में घुल रही थी | दीदी मेरे बाल सहलाने लगी | मै उनके सीने में सर छिपाकर आराम करने लगा | मेरा लंड दीदी की कसी चूत में ही मुरझाने लगा | कुछ देर बाद जब हम दोनोई की सांसे काबू मे आई तो मैंने दीदी की चूत से लंड बाहर निकाला तो मेरा पूरा लंड लाल खून से सना हुआ था उसके साथ साथ में मेरे लंड से निकली मलाई का रस भी लगा हुआ था जैसे ही मैंने दीदी की चूत से लंड बाहर निकाला दीदी की चूत के चारों तरफ खून ही खून नजर आ रहा था | वह कर इधर-उधर जांघों पर चूतड़ों पर लग गया था थोड़ा खून मेरी जान ऊपर भी लग गया था |

इसी के साथ जितेश के लंड ने भी जवाब दे दिया | उसकी पिचकारियाँ निकलने लगी | हालाकि उसने मुहँ से निकलने वाली आह दबाने की बहुत कोशिश की लेकिन दबा नहीं पाया | रीमा समझ गयी वो निपट गया है | लेकिन रीमा को शक न हो इसलिए जितेश ने कहानी सुनानी नहीं रोकी| वो बस उठा और तय जगह पर रखे गिलास से अपनी पिया और अपनी जगह पर आकर लेट गया | उसकी तौलिया उसके बदन पर नहीं थी और उसका झूलता लंड का बस अनुमान ही रीमा लगा पाई | जितेश फिर से बिस्तर में घुस गया और अपनी आगे की कहानी सुनाने लगा | अब उसकी आवाज में ठहराव था |

दीदी ने उसे दिखा कर कहा - यह हमारे प्यार की निशानी है आज तूने मुझे औरत बना दिया है और इस से ज्यादा कोई खास पल मेरी जिंदगी में नहीं हो सकता है |
मै - दीदी आपने अपनी कुंवारी चूत देकर मुझे भी बहुत खाद बना दिया | मेरी जिंदगी की पहली चूत वो भी कुंवारी | बहुत मजा आया आपकी चूत को चोदकर |
दीदी - मजा आया |
मै - बहुत, बिलकुल मक्खन मलाई की तरह रसीली है आपकी चूत | शुरू में लगा जैसे मेरा लंड ही छील देगी लेकिन उसके बाद बहुत मजा आया | अब पता चला आप क्यों कहती थी चूत चोदने में मजा आता है |
दीदी - सच कहती थी न |
मै - हाँ दीदी इसके आगे कोई जन्नत भी दे तो ठुकरा दू |
दीदी ने मुझे बांहों में भरकर कसके चूम लिया - तू बाते बहुत प्यारी प्यारी करता है | इसके बाद दीदी काफी देर तक मुझे चूमती रही |
मुझे भी दीदी की कसी हुई कुंवारी चूत चोद कर बहुत मजा आया था मेरा मन कर रहा था दीदी को मैं एक बार और चोदू |

कुछ देर तक मैं वही दीदी के पास ही पड़ा रहा, मेरा खून से सना हुआ लंड दीदी की खून से सनी आपस में एक दुसरे को रंगते रहे | उसके बाद मै और दीदी उठे और उन्होंने एक साफ तौलिए से मेरे पहले लंड को पूछा और फिर अपनी चूत और उसके आसपास लगे खून को पूछा और फिर मुझे पकड़कर बाथरूम की तरफ चल दी | वहां जाकर उन्होंने पहले अपनी चूत को अच्छे से धोया और फिर मेरे लंड और मेरी जान हो पर लगे खून को अच्छे से धोया जब सबकुछ पूरी तरह साफ हो गया | उसके बाद हम कमरे में फिर वापस आ गए | उसके बाद दीदी ने अपनी चूत की अंदरूनी ओंठो में उंगलियां फंसा कर के अपनी चूत को फैलाकर मुझे अपनी चूत दिखाते हुए कहा - देख यह क्या किया, तूने मेरा कुंवारापन लूट लिया,मेरी कुंवारी चूत को चोदकर मुझे औरत बना दिया | देख इसे कहते हैं असली चूतजो एक औरत की चूत ऐसी होती है | मैंने कुछ देर पहले ही दीदी की चूत देखि थी अब तो वो पूरी तरह से बदल गयी थी |मैं देखकर हैरान रह गया दीदी की चूत की झिल्ली पूरी तरह से गायब हो चुकी थी वहां पर एक बड़ा सा छेद बन गया था और उसके अंदर से दीदी की पूरी गुलाबी मखमली चूत सुरंग नजर आ रही थी | अब मुझे समझ आया दीदी किस चूत के छेद की बात कर रही थी | मैं हैरान था आखिर मैंने दीदी का कुंवारापन लूट लिया अब दीदी कुमारी नहीं रही थी और वह एक औरत बन गई थी और दीदी ने मुझे भी एक मर्द बना दिया था | अब मुझे पता चल गया था एक औरत को कैसे चोदते हैं | अब मैं अगली बार दीदी को मर्द बंनकर चोदुंगा और दीदी एक औरत बनकर मुझसे चुदेगी | मैं बहुत ही फक्र महसूस कर रहा था इतनी कम उम्र में चूत चुदाई की बातों को सिखाने के लिए दीदी को कैसे थैंक्यू कहूं |

दीदी बेड पर बैठी मुझे अपनी चूत दिखा रही थी और मैं उनकी उसको देख रहा था | जिस चूत का कुंवारापन अभी-अभी मैंने लूटा था मैंने खुद अपने हाथों से उस दीदी की चूत को फैलाकर और करीब से देखा और दीदी से बोला - दीदी अभी अभी मैंने आपका कुंवारा पर लुटा है अब आप औरत बन गई हो |
दीदी बोली - हां मैं अब औरत बन गई हूं और तू भी पूरा का पूरा मर्द बन गया है
मैं - दीदी अगली बार हम औरत और मर्द बंन कर चुदाई करेंगे ना |
दीदी बोली - हां रे अब तो तेरी जैसे मर्जी हो जब मर्जी हो तब तुम्हें चोदना अब तो तूने मेरी चूत के बंद दरवाजे को खोल ही दिया है अब क्या है जब मर्जी हो तब चोदो |
 
मैंने दीदी से कहा - दीदी अब औरत बनकर आप चुदोगी और मैं मर्द बन कर आपको चोदुंगा है | दीदी आपने इतनी छोटी सी उम्र में यह सब सिखा दिया है औरत मर्द चूत चुदाई की बातें | मैं आपका एहसान कैसे उतार पाऊंगा |
दीदी झट से बोली - अरे पहले इसमें एहसान कैसा है तू भी तो मुझे चोद रहा है ना इतनी इतने प्यार से | कौन लंड है जो किसी औरत को उसके इशारे पर चोदता है जब तक तू मेरी बात मानकर मुझे ऐसे चोदता रहेगा तब तक कोई एहसान नहीं | हम दोनों एक दूसरे पर एहसान नहीं कर रहे हैं हम दोनों एक दूसरे की जरूरतें पूरी कर रहे हैं | मैं तेरी टीचर हूं और तू मेरा स्टूडेंट है | टीचर और स्टूडेंट के बीच में कभी कोई एहसान नहीं होता है जो मैं तुझे सिखा दूं तो अच्छे से सीख लेना स्टूडेंट बनकर |
मै - अच्छा स्टूडेंट बनकर सीखूंगा आप जो भी सिखाओगी दीदी |
दीदी - अपनी टीचर का कहना मानेगा और ये बात किसी को बताएगा तो नहीं मेरा स्टूडेंट |
मै - जी कभी नहीं |

इतना सुनते ही दीदी ने मेरा हाथ पकड़ कर चूम लिया और वहां पर हम दोनों बिस्तर पर ढेर हो गए| इसके बाद में मैं दीदी की बाहों में समा गया और काफी देर तक हम एक दूसरे को आंखों में आंखें डाल देखते रहे थे मैं सीधा पीठ के बल लेटा था दीदी उल्टी लेती हुई थी दीदी अपना कुंवारापन खो चुकी थी और वह मुस्कुराते हुए मेरी आंखों में आंखें डाल लेती थी | मैं भी बहुत खुश था कि दीदी ने अपनी चूत में चोदने को दी और दीदी को एक औरत बनाया है हम सो गए हमें पता ही नहीं चला जब मेरी आंख खुली तब सुबह के 6:00 बज रहे थे मैंने देखा दीदी अभी भी सो रही हैं हालांकि जब मैंने नीचे की तरफ देखा तो मेरा लंड पूरी तरह से तना हुआ था अब मैं इसका क्या करूं अभी मुझे उठा घर भी जाना है क्योंकि स्कूल जाना है इधर दीदी अभी भी सो रही थी मैं अपने लंड को थाम के बाथरूम की तरफ चला गया वापस आकर मैंने कपड़े पहने और चुपचाप अपने घर की तरफ ले कर के चला गया जब दीदी की आंखें खुली तब मैं वहां नहीं था इसलिए दीदी यह पता करने आई कि मैं घर पहुंचा हूं या नहीं पहुंचा |

दीदी माँ से बाते कर रही थी उसके बाद वह बोली- वहां से उसके मां-बाप का फोन आया है और वह आज भी नहीं आएंगे इसलिए क्या वह आज रात भी मेरे पास रुक सकता है हालांकि यह मुझे सुनाई नहीं पड़ा था कि मैं अपने कमरे में स्कूल जाने की तैयारी कर रहा था | इतना कह कर दीदी वापस चली गई शाम को जब मैं ट्यूशन के लिए दीदी के यहां जाने लगा तो माँ ने मुझसे कहा कि अभी से क्यों जा रहा है |

मै - ट्यूशन पढ़ने जा रहा हूँ |
माँ - अरे मै तुझे बताना भूल गयी थी कि आज रात भी तुम ही रुकोगे कि वह अकेली है और उसके मां-बाप आज भी लौट के नहीं आ रहे हैं मैं समझ गया मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था लेकिन मैं अपनी खुशी छिपाते हुए ठीक है सुबह सुबह ही तो आई थी यह बताने के लिए | मुझे वापस बैग कमरे में रख आया उसके बाद खेलने चला गया | आया दीदी आज खेलने नहीं आई थी इसलिए मुझे थोड़ा सा निराशा लगी थी लेकिन 2 घंटे बाद जब मैं बैग दीदी के पास पंहुचा तो मैंने दीदी से पूछा - दीदी आज आप खेलने क्यों नहीं आई थी |
दीदी बोली - उसके यहां पे दर्द हो रहा था कल उसकी चूत की झिल्ली फटी थी उसका कुंवारे पन लूटा गया था इसलिए आज उसे हल्का हल्का दर्द हो रहा था और वह थोड़ा थकावट महसूस कर रही थी इसलिए आज नीचे नहीं आई |
जाते ही जाते मैंने दीदी को बाहों में भर लिया और दीदी के चूतड़ मसलने लगा तो दीदी भी मेरे चूतड़ों पर हाथ जमा कर मसलने लगी और मुझे कसके चूमने लगी थी मैं समझ गया था आग दोनों तरफ से बराबर लगी हुई है कुछ दिन पहले तक मुझे इस जवानी की आग का एहसास ही नहीं था लेकिन अब तो हर पल मैं चाहता था कि दीदी मेरे पास ही रहे और मै उन्हें चोदता रहू | दीदी का भी है बुरा हाल था वह भी अब चुदने के लिए तैयार ही बैठी रहती थी | मेरे जाते ही दीदी ने फटाक से बाहर का दरवाजा बंद किया और सोफे पर आकर बैठी थी और टीवी चला दी थी हालांकि मेरे से सब्र नहीं हो रहा था मैंने दीदी का पजामा नीचे की तरफ खींच दिया और मेरा लंड दीदी को देखते ही तन गया था मैंने अपने लंड को एंड से निकालकर दीदी के चूतड़ों और उसकी चूत पर मसलने लगा था |
दीदी - क्या हो गया इतना उतावला क्यों हो रहा है सब तेरा ही तो है, सब कुछ तुझे ही तो लूटना है आराम से जो मर्जी हो वह लूट , ये सारा हुस्न ये जवानी सब तेरे लिए तो है जैसे मर्जी हो वैसे लूट लेकिन मैं कहां दीदी की सुनने वाला था जब तक दीदी कुछ कहती सुनती समझती तब तक मैंने दीदी की पैंटी भी उतार दी थी |
 
दीदी - क्या हो गया इतना उतावला क्यों हो रहा है सब तेरा ही तो है, सब कुछ तुझे ही तो लूटना है आराम से जो मर्जी हो वह लूट , ये सारा हुस्न ये जवानी सब तेरे लिए तो है जैसे मर्जी हो वैसे लूट लेकिन मैं कहां दीदी की सुनने वाला था जब तक दीदी कुछ कहती सुनती समझती तब तक मैंने दीदी की पैंटी भी उतार दी थी |

उसके बाद में दीदी की कि वह गुलाबी कसी हुई चूत मेरे सामने नुमाया हो गई थी, मै देखना चाहता था की क्या चूत का छेद बिलकुल वैसा ही है | मैंने दीदी की चूत के ओंठो को फैला दिया | दीदी की चूत खुली हुई थी लेकिन चूत की दीवारों ने आपस में चिपककर सुरंग का रास्ता रोक रखा था | मै दीदी की चूत देखकर पागल सा हो गया था | दीदी टीवी पर कोई प्रोग्राम देख रही थी | उनका धयान मेरी तरफ बिलकुल नहीं था | जबकि मै बस दीदी की चूत के लिए पगलाया हुआ था |

मैंने आव देखा ना ताव और अपने खड़े हो रहे लंड पर लार उड़ेली और सीधे दीदी की चूत के मुहाने पर सटा के पेल दिया |

दीदी के मुहँ से एक मादक कराह निकल कर रह गयी | मैंने फिर से दीदी की चूत में लंड पेल दिया | दीदी फिर कराह उठी | उनकी चूत में जब मैंने ;लंड घुसेड़ा था तब उनकी चूत सुखी थी लेकिन दो धक्को में ही दीदी की चूत की दीवारों से पानी रिसनेलगा | इससे पता चल रहा था दीदी की चूत कितनी जोर से लंड की भूखी थी | उसके बाद में दीदी समझ गई थी कि मैं रुकने वाला नहीं हूं इसलिए मुझे कुछ कहने की बजाय दीदी उसी तरह से लेटी रही, और फिर से टीवी देखने लगी | उन्हें पता था आज मै उनके कहने से रुकने वाला नहीं हूँ | दूसरा वो भी चुदना चाहती थी इसलिए उन्होंने कोई प्रतिरोध नहीं किया | साथ ही साथ वो ये भी देखना चाहती थी की मै कितना सीखा हूँ | क्या मुझे ठीक से चूत चोदना आ गया है | दीदी सोफे पर पसरी हुई थी, उनका सर टीवी की तरफ था | जब मुझे चूत में लंड घुसेड़ते देखा | तो अपने अपने बड़े बड़े चुताड़ो को मेरी तरफ थोड़ा और खिसका दिया | मैं खड़े-खड़े जमीन से सोफे पर लेटी दीदी के चूतड़ों को थाम के उनकी चूत में लंड को पेलने लगा | आज दीदी की चूत में आराम से लंड जा रहा था | दीदी काफी देर तक टीवी देखती रही और मैं सटासट दीदी की चूत में लंड चलता रहा था, दीदी को भी वासना की तरंगे महसूस हो रही थी, वो भी सिसकारियो के साथ कराहने लगी थी | लेकिन आज दीदी मेरे मन का मुझे कर लेने देना चाहती थी | आज वो कोई टोका टोकी नहीं करना चाहती थी |
आज सच में लग रहा था चूत चोदने को जन्नत क्यों कहते है | जैसे जैसे मेरा लंड दीदी की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था मै भी एक एक करके स्वर्ग की सीढियाँ चढ़ रहा था | मै तेजी से दीदी की चूत में लंड पेल रहा था इसलिए जल्दी ही हफाने लगा | उधर दीदी की सांसे भी चढने लगी थी | लगातार चूत में जाते सटासट लंड से दीदी का बदन भी गरम हो गया था | उनकी सांसे भी भाप छोड़ने लगी थी | लेकिन दीदी इसके बाद भी टीवी की तरफ ही देखती रही | मै कमर हिलाकर दीदी को चोदता रहा | आह क्या चूत थी दीदी की बिकुल मख्खन मलाई की तरह नरम चिकनी और कसी हुई | सच में आज अहसास हो रहा था की दीदी ने मुझे अपनी कितनी अनमोल चीज दिखा दी है और अब चोदने को भी दे रही है | क्या कसी दीदी की चूत थी कल तो मेरी जान ही निकल गई थी दीदी की कुंवारी चूत को खोलने में लेकिन आज दीदी की चूत पहले से नरम थी और मेरे लंड को अपनी गर्माहट से, अपने गीलेपन से बहुत मजा दे रही थी |
मै बहुत तेज दीदी के चुताड़ो पर ठोकरे मार रहा था इसलिए बहुत तेज हांफ भी रहा था | मेरी साँस ऊपर तक चढ़ गयी थी | दीदी की चूत को चोदते चोदते में मदहोश हुआ जा रहा था हालांकि कल भी और आज भी दीदी की कसी चूत के कारण मेरी पिचकारी जल्दी ही छूटने को आई थी | मेरा बदन अकड़ने लगा था और पांव कापने लगे थे और मै अपने पर काबू नहीं रख पाया | मेरी पिच्मैंज्कारी दीदी की चूत की गहराई में फुवारे छोड़ने लगी थी | पांच छ झटको के साथ मेरी सारी मलाई दीदी की चूत में निचुड़ गयी |
मुझे कसकर हांफता देखा दीदी ने पीछे घूम कर देखा और बोली - बस इसीलिए कहती हूं ज्यादा जोश दिखाने की जरूरत नहीं है ज्यादा जोश दिखाओगे तो बस जल्दी ही निपट जाओगे |
मैं समझ गया दीदी का कहने का क्या मतलब है लेकिन मैंने दीदी की चूत से लंड नहीं निकाला था क्योंकि मेरा नही मन भरा था और मुझे लग रहा था दीदी भी शायद अभी इतनी कम चुदाई से खुश नहीं थी इसीलिए उन्होंने ताना मारा था - कल से समझा रही हूँ, आराम से चोदो, हट्टे कट्टे मर्द तो हो नहीं | ऊपर में मेरी नयी नवेली कसी चूत, मिनटों ने लंड का जूस निचोड़ लेती है | कितनी बार कहा आराम से चोदो, मुझे भी मजा आएगा और तुम्हे भी मजा आएगा | लेकिन तुम सुनते कहां हो, तुम्हे तो पता नहीं कहाँ की जल्दी पड़ी है |
दीदी की नाराजगी को सुनता हुआ मै उसी तरह खड़ा रहा | मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में घुसा हुआ था |
दीदी - तुमने तो अपनी पिचकारी छोड़ दी मेरी चूत में मेरी चूत में जो आग लगी है उसका क्या होगा |
मैं कुछ समझ नहीं पाया मैंने कहा - मतलब दीदी |
दीदी - मतलब जैसे तुम्हारे लंड से पिचकारी छूटती है और तुम्हे मजा आता है ऐसे ही मेरी चूत का पानी भी तो छुटता है तो मुझे मजा आता है लेकिन जब तुम जल्दी झड़ गए तो मेरी चूत तो प्यासी रह गयी |
दीदी ने क्मैंया कहा मुझे कुछ समझ नहीं आया |
मैंने कहा दीदी - अब मुझे क्या करना है |
दीदी बोली - अब क्या करोगे अब तो तुम झड़ चुके हो |
मै - नहीं दीदी आप जो बोलोगी मैं वह करने के लिए तैयार हूं |
दीदी बोली - कोई फायदा नहीं है इतनी जल्दी तुमारा लंड फिर से खड़ा नहीं होगा |
मै - मतलब दीदी ,
दीदी - अरे इतनी जल्दी तुम्हारा लंडदुबारा कहाँ से खड़ा होगा अच्छे-अच्छे लंड नहीं खड़े हो पाते तुम्हारा कहां से खड़ा होगा |
मै - लेकिन दीदी मेरा लंड तो अभी तक आपकी चूत में ही है |
दीदी - अच्छा ये बात है तो चोदो न दुबारा, आराम से चोदो, मुझे भी संस्तुष्टि चाहिए होती है | मेरी चूत भी पानी छोडती है लेकिन जब तक उसे देर तक नहीं चोदोगे तब तक वो पानी नहीं छोड़ेगी |

अभी कुछ देर पहले पिचकारी छुटते ही मेरी कमर हिलनी बंद हो गयी थी लेकिन मैंने फिर से दीदी की चुत में धक्के लगाने शुरू कर दिए | मेरा लंड पूरी तरह से नहीं मुरझाया था इसकी मुझे हैरानी थी शायद दीदी की चूत चोदने की चाहत में नहीं मुरझाया होगा | दीदी की चूत पूरी तरह से मेरे रस से भरी हुई थी इसलिए उनकी चूत में मेरा लंड आसानी से फिसलने लगा | मेरा लंड हल्का सा नरम हो गया था फिर भी दीदी की चूत पहले से खुली हुई थी और मेरी सफ़ेद मलाई से भरी थी इसलिए आराम से जाने लगा था | मैं फिर से धक्के लगाने लगा था | दीदी हैरान थी |
 
दीदी बोली - जबरदस्ती करने की कोई जरूरत नहीं है, जब दुबारा लंड खड़ा हो तब चोद देना | इस तरह से खुद से जबरदस्ती न करो | चूत की प्यास है कुछ देर और प्यासी रह लेगी |
दीदी ने जो भी कहा मेरे कानी तक शायद पंहुचा ही नहीं | मैंने कुछ नहीं सुना था | मैंने दीदी चुताड़ो को पकड़कर फिर उसे को चोदने लगा था | दीदी को लगा मै उनकी सुनने वाला नहीं हूं तो अपने हाथ से चूत दाने को मसलते हुए फिर से टीवी देखने मस्त हो गई थी| असल में दीदी टीवी नहीं देख रही थी मेरी चुदाई का आनंद ले रही थी | इस बार मैंने उन्हें लंबे लंबे और धीरे धीरे धक्के लगा रहा था | जैसा कि दीदी ने खुद बताया था कि आराम से पूरा लंड चूत के आखिर छोर तक घुसेड़ो और फिर पूरा लंड बाहर निकालो | मैं उसी तरह से धीरे धीरे दीदी को चोद रहा था |
धीरे धीरे मेरा लंड फिर से पत्थर की तरह सीधा हो गया | दीदी की चूत की गरमी और उसके चुताड़ो की नरम मांसल अहसास ने मेरे जिस्सम में फिर से उत्तेजना भर दी | बार चोदते चोदते काफी देर तक मेरा लंड दीदी की चूत में ही अंदर बाहर होता रहा लेकिन इस बार पिचकारी नहीं छूटी थी मैं भी हैरान था दीदी की बातों में तो जादू था | जैसा दीदी कह रही थी मैं बिल्कुल वैसा ही करता रहा | इसी बीच में मैंने नोटिस किया दीदी का जिस्म दो बार कांपा | दीदी अभी भी टीवी ही देख रही थी लेकिन साथ में चूत दाने को भी मसल रही थी इधर उनकी चूत में सटासट मेरा लंड आ जा रहा था | अब मै दीदी को जोर जोर से पेल रहा था | मै बुरी तरह हांफने लगा था } और मै बुरी तरह से थक भी गया था | वो तो भला तो मेरी सफ़ेद मलाई का जो दीदी की चूत की सुरंग इतनी चिकनी हो गयी नहीं तो अब तक दीदी की नयी नवेली कसी चूत मुझे अब तक निचोड़ चुकी होती | दीदी खुश हो गई थी काफी देर तक चुदाई के बाद दीदी बोली - मुझे अब कसकर चोदो जितेश , जोर जोर से चोदो | जीतनी तेज मेरी चूत में लंड ठेल सकते हो ठेल दो |
दीदी के कहने से मै तेजी से धक्के लगाने लगा | सटासट मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में आ जा रहा था | मै दीदी की कसी चूत को लगातार दुबारा चोद रहा था | मै दीदी की चूत के हर प्यास बुझाने में दिल जान से लगा हुआ था | मेरे जिस्म में जीतनी ताकत थी उससे दे धक्के पे धक्के लगाकर मै दीदी को चोद रहा था | ऐसा लगा रहा था शायद इसके बाद कभी दीदी को चोदने को ना मिले | मेरा लंड और दीदी की चूत में भीषण घर्षण हो रहा था | दीदी की चूत तो जैसी आग की भट्ठी बन गयी ठिया और उसमे मै अपनी आग की मीनार को दनादन पेल रहा था |
मै - दीदी आपकी चूत ने तो मुझे पागल कर दिया है आःह्ह | इतना मजा तो मुझे पूरी जिंदगी में कभी नहीं मिला |
दीदी - चोदो जितेश, मुझे जी भर के चोदो, मेरी चूत की सारी प्यास बुझा दो | मेरे जिस्म की सारी आग बुझा दो | जमकर चोदो मुझे | जैसे मन हो वैसे चोदो मुझे | जीतनी तेज चोद सकते हो उतनी तेज चोदो मुझे |
मै - हाँ दीदी मैंने अपनी पूरी जान लगा दी है आपको चोदने में |
दीदी में अपने चूत दाने को बुरी तरह मसल रही थी | अभी उनका सर सोफे में घुसा हुआ था | वो भी अपने आखिरी चरम पर थी |
इधर मै दनादन दीदी की चूत में लंड पेले पड़ा था |
दीदी - यस जितेश बस ऐसे ही जोरदार तरीके से मसल डालो इस चूत को ........आआह्ह्ह्ह ऐसे तो मूवी में भी कोई नहीं चोदता है | चोदो मुझे |
न जाने मेरे अन्दर इतनी ताकत कहाँ से आ गयी थी | मै बिना रुके थके दीदी की चूत में लगातार दनादन धक्के मार रहा था | दीदी का जिस्म कसकर हिलने लगा | मैंने कसकर उनके चूतड़ थाम के उन्हें लुढ़कने से रोका और अपना पूरा जोर लगाकर तेजी से लंड को पूरा का पूरा दीदी की चूत में घुसेड लिया | मेरा लंड दीदी की चूत की गहराई में जाकर दुसरे छोर पर टकराया और मेरे अन्दर उबल रहे दावानल का बांध टूट गया | मेरा बदन हिलने लगा | मेरे पाँव जोर जोर से कांपने लगे | मेरे लंड से दीदी की चूत की सुरंग के आखिर छोर पर मेरी सफ़ेद मलाई छुटने लगी | काफी देर तक मेरी पिचकारी निकलती रही | मै पूरी तरह से थक कर पस्त हो चूका था | मुझे नहीं पता कब तक मेरा लंड अपनी मलाई दीदी को चूत में भरता रहा | मै दीदी के चुताड़ो पर ही टिकाकर खड़ा रहा | मेरी पिचकारियो से दीदी की चूत पूरी भर गयी थी | दीदी बोली - जितेश तुमने अपनी दीदी की चूत की प्यास बुझा दी | तुमने मेरी चूत को अपनी मलाई से लबालब भर दिया | असल में इसको चुदाई कहते है | इस उम्र में ही तुम किसी सच्चे मर्द से बढ़कर एक औरत को चोद सकते हो |
मेरा लंड मुरझाने लगा | मै अपने उखड़े प्राण लेकर दीदी की चूत से लंड निकाल कर वही फर्श पर बैठ गया |
 
मैंने देखा एक मोटी सफेद मलाई की धारा दीदी की चूत से फूट पड़ी थी और उनकी मोटी मोटी जांघो पर से बहती हुई नीचे सोफे पर जाकर के गिरने लगी थी | मै हैरान था हे भगवान इतना इतनी मलाई मैंने दीदी की चूत में भर दी है | मेरा लंड इतनी मलाई छोड़ने लगा है मुझे ऐसा लग रहा था जैसे 10 दिनों के अंदर ही मै पूरी तरह से जवान हो गया हूं | पहले मेरे लंड से इतनी मलाई नहीं निकलती थी लेकिन आज इतनी मलाई निकली है उसको देखकर मैं खुद हैरान रह गया था क्या यह दीदी की चूत का कमाल है या मैं दीदी चोदने की वजह से मिलाई ज्यादा निकलने लगी है मुझे कुछ नहीं पता था लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था |
मैंने दीदी से पूछा दीदी - अब ठीक है |
दीदी बेपरवाह लेती अभी भी टीवी ही देख रही थी | वो उसी में मस्त रही या शायद चुदाई से मस्त हो गयी थी | पता नहीं लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया |
मै - दीदी आपकी चूत की प्यास बुझ गई न |
दीदी - आज का सबक क्या है औरत को चोदने में कभी बहुत जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए औरत को आराम से चोदना चाहिए प्यार से चोदना चोदना चाहिए, जब औरत खुद चोदने को काहे तब उसे चोदना चाहिए |
मैं भी वहीं सोफे की किनारे पर सर रखकर लुढ़क गया और दीदी की चूत की दाल से चूत की से बहती हुई मलाई की धार को गौर से देखने लगा दीदी बोली अच्छा एक काम कर मैं तो टीवी देख रही हूं | अभी मेरी चूत के अंदर से मलाई को पूरी तरह से से इकट्ठा कर और एक कटोरी भर के रख दे |
मैंने वैसा ही किया |
दीदी - जरा चाट के तो देख कितनी टेस्टी है |
मैंने मुहँ बनाया |
दीदी बोली - खाना है तो खा नहीं तो इधर ला | इतना कहकर मेरे हाथ से कटोरी लेकर सारी मलाई गटक गयी |

उसके बाद हम दोनों खाना खाया | इसके बाद में दीदी पूरी तरह से नंगी हो गई और बिस्तर पर जाकर लेट गई मैं भी दीदी के साथ बिस्तर पर जाकर लेट गया दीदी अब मेरे ऊपर आ गई थी और मेरी बाहों में समा गई और दोनों गहरी नींद में सो गए कि 2 बार लगातार दीदी को चोदने के बाद में मैं बहुत थक गया था |

हम दोनों सुबह तक अच्छे खासे सोते रहे दीदी बीच में एक दो बार उठी बाथरूम गई उसने मुझे देखा मेरा लंड पूरी तरह से तना हुआ था दीदी हैरान थी कि 2 बार चोदने के बाद भी मेरा लंड मुरझाया नहीं था | उसके बाद दीदी आ करके फिर से सो गई थी मेरा लंड दीदी की चूत के आसपास रगड़ खा रहा था इस बार दीदी ने अपने आप को मेरे से चिपका के सो गई थी मैं दीदी के पीछे लेटा हुआ था |
जैसे ही मुझे एहसास हुआ दीदी आगे लेती है और मेरे तने लंड के ऊपर अपने चूतड़ रगड़ रही है | मैंने दीदी को बाहों में भर लिया अब मेरा लंड दीदी के चूतड़ों पर रगड़ खा रहा था और इसी तरह से हम दोनों एक दूसरे को सहलाते चुमते और चाटते फिर से सो गए |
उसके बाद में सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा मुझे बहुत तेज पेशाब लगी है और मेरा लंड भी पूरी तरह से अकड़ा हुआ है जय जल्दी से भाग कर गया और मैंने बाथरूम में पेशाब करी लेकिन जब वहां से वापस आया तब भी मेरा लंड नहीं मुरझाया था |
मैं हैरान था अब मैं इसका क्या करूं मैंने देखा दीदी बिस्तर पर उल्टा उल्टा लेती हुई है उनके बड़े-बड़े चूतड़ ऊपर की तरफ उठे हुए हैं और उनकी नंगी पीठ भी और साफ-साफ दिख रही है | दीदी ने मुझे एक पिक्चर दिखाई थी जिसमें एक आदमी एक सोती हुई लड़की को चोदता है | मेरे दिमाग में आईडिया आया क्यों ना दीदी को सोते हुए चोदा चोदा जाए और एक सरप्राइज दिया जाए |
मैं दीदी के को एक तरफ खिसकाकर उठाया और उनके पेट के नीचे एक तकिया लगा दी | इससे दीदी के चूतड़ थोड़ा और उठ गए थे जिससे कि उनकी चूत औत गांड और खुलकर बाहर आ गई | उसके बाद मै दीदी के पीछे गया मैं दीदी के चूतड़ों को सहलाते हुए उनकी जांघों को थोड़ा फैला दिया और अपने लंड पर खूब सारी लार लगा करके उसको चिकना किया |
 
दीदी सो रही थी, मै अपने लंड को सहला रहा था फिर मैंने दीदी की चूत पर भी ढेर सारी लार लगा दी | मै बार बार देख रहा था कही दीदी जाग तो नहीं गई लेकिन दीदी गहरी नींद में थी | उसके बाद मैं दीदी के पीछे आ कर के मैंने उनकी गरम गुलाबी चिकनी चूत पर अपना लंड सटा दिया |

जब मैंने लंड को उनकी चूत पर लगाया तो दीदी थोड़ा कसमसाई उसके बाद मै सावधान हो गया लेकिन जब मुझे लगा दीदी फिर से गहरी नींद में चली गई है तो मैंने उनकी चूत में लंड को धीरे धीरे ठेलने लगा | मै बहुत आराम से लंड पर जोर डाल कर दीदी की चूत में घुसेड रहा था और बार बार दीदी की चेहरे को देख रहा था कही दीदी जाग तो नहीं गयी | जब मेरा सुपाडा दीदी की चूत में गायब हो गया तो मैंने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी | मै दीदी को हलके हलके चोदने लगा था | मै दीदी को सोते सोते चोद रहा था यही सोचकर मेरी उत्दितेजना बहुत बढ़ गयिया और जोश में आकर मैंने एक तेज धक्याका मार दिया | मेरा आधा लंड दीदी की चूत में घुस गया | दीदी कसमसा कर रह गयी | मुझे लगा दीदी जाग गयी है इसलिए मै बिलकुल बुत बनकर बैठ गया | यहाँ तक की अपनी सांसे की आवाज भी दीदी तक नहीं पहुचने दी | दीदी एक एक हाथ उठाया और अपने चुताड़ो पर कुछ टटोलने आ गयी | मैंने झट से दीदी की चूत से लंड निकाला और साइड में लेट गया | दीदी ने अपने चुताड़ो की टोह ली फिर अपने गाड़ के छेद पर उंगली फिराई | उसके बाद अपनी चूत का जायजा लेने लगी | उन्होंने अपनी चूत में भी एक उंगली घुसेड़ी | जा इत्मिनान हो गया की कही कुछ नहीं है तो हाथ वापस सर के नीचे रख लिया | कुछ देर तक मै लंड और अपनी सांसे थामे वैसे ही लेता रहा | जब लगा दीदी फिर से गहरी नीद में चली गयी है तो मै फिर से दीदी के पीछे आ गया | मैंने दीदी की चूत पर अपना लंड लगाया और धीरे से उनकी नरम गीली चूत में घुसेड दिया | कुछ देर तक बहुत हलके हलके धक्के लगाने के बाद मैंने दीदी की चूत में गहराइ तक लंड घुसेड दिया | इस बार दीदी की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई | कुछ देर तक मै दीदी की चूत में लंड डाले पड़ा रहा | फिर दीदी की चूत में धक्के लगाने लगा | कुछ देर तक तो लगा सब ठीक है लेकिन उसके बाद जब दीदी के मुहँ से हूँ हूँ की आवाजे निकलने लगी तो मुझे कुछ शक हुआ | पता नहीं दीदी ऐसा सपना आया था या दीदी जान गई थी कि मैं उनको चोद रहा हूं | हालांकि जब मैंने दीदी को आवाज देकर बुलाया तो दीदी जगी नहीं थी | दीदी सो रही थी मैं दीदी को इसी तरह से चोदता रहा और दीदी ऐसे ही हु आं करती रही उसके बाद में मैंने दीदी को एकदम करवट लिटा दिया और फिर चोदना शुरु कर दिया था

दीदी की नींद अभी भी नहीं टूटती थी मैं हैरान था दीदी तो की नींद तो बहुत जल्दी खुल जाती थी अभी क्या हो गया अभी दीदी बिल्कुल सो रही है या सोने का नाटक कर रही है मुझे डर भी लग रहा था लेकिन मेरा लंड दीदी की चूत में सटासट आ जा रहा था | इसलिए मुझे बहुत मजा आ रहा था | दीदी की कसी गुलाबी गरम चूत चोदने का अहसास ही कुछ और था | मुझे नहीं पता था दीदी सो रही है या सोने का नाटक कर रही है लेकिन मुझे लगता था कि नॉर्मल के समय में इतना कुछ होने के बाद जरूर जाग जाती थी लेकिन अभी शायद सोने का नाटक कर रही है लेकिन जब मैंने दीदी को जगाने की कोशिश करी तो ऐसा लगा कि दीदी सचमुच में सो रही है | फिर मैं दीदी को वैसे ही लिटा कर चोदता रहा और चोदते चोदते काफी देर तक मैं दीदी के स्तनों को मुसल्ला रहा उनके चूतड़ों को सहला रहा और उनके उनके पेट को सहलाता रहा | उनकी चूत दाने को रगड़ता दीदी भी सपनों में ही सही हल्की सिसकारियां भर्ती रही | उसके बाद चोदते चोदते आखिरकार मैं उनकी चूत में ही झड़ गया था | शाम से लेकर अब तक दीदी को मैं 3 बार चोद चुका था अभी हिम्मत नहीं थी हालांकि मैं पूरी जैसे जवान था और जोश में भरा हुआ था लेकिन फिर भी मैं थक गया था और मैं उसी तरह से लंड को पूरा का पूरा दीदी की चूत में घुसा के सो गया था | सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा मैं अभी भी सो रहा हूं और दीदी भी सो रही है मेरा लंड दीदी की चूत के पास सिकुड़ा हुआ पड़ा हुआ है और उनकी चूत से निकला हुआ ढेर सारा लंड का रस भी बिस्तर पर पड़ा हुआ है मैंने उठने की कोशिश करी लेकिन मुझे बहुत थकान महसूस हो रही थी इसीलिए लेटा रहा | दीदी की चूत मेरे लंड रस से सनी हुई थी |

तभी दीदी घूम के पलटी और उन्होंने कहा - मजा आया मुझे रात में चोद के मैंने कहा दीदी आप जाग रही थी |
दीदी बोली नहीं जाग तो नहीं रही थी लेकिन मुझे एहसास हो गया था तुम मुझे चोद रहे थे इसका अहसास मुझे हो गया था | मैं अपनी नींद खराब नहीं करना चाहती थी इसलिए मैंने तुम्हें रोका नहीं हो | तुम मुझे चोदते रहे लेकिन मुझे पता चल गया था तुम मुझे चोद रहे हो |
मै - क्या करूं दीदी रात में मन नहीं मान रहा था लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था|
दीदी - कोई बात नहीं इस उमर में ऐसा होता है तुमने भी पहली बार चूत को चोदा है | अभी तो दिन में चार पांच बार भी चुदाई करोगे तो मन नहीं भरेगा | मुझे खुशी है तुमने मुझे एक बार नहीं दो बार नहीं 3 बार चोद दिया है | मै भी कई बार चुदना चाहती थी मेरा भी मन था लेकिन मैं डर रही थी मैं नहीं चाहती थी कि तुम थक जाओ इसीलिए मैंने तुमसे कहा नहीं लेकिन अच्छा हुआ तुमने रात में मुझे चोद दिया | अब मै दिन भर खुस रहूंगी | उसके बाद सुबह में अपनी उस खुशनुमा यादों के साथ में वापस घर चला आया | दीदी के मां-बाप वापस लौट आए थे इसके बाद हमें कम से कम अगले 15 दिन तक बिल्कुल भी टाइम नहीं मिला जब हम और दीदी एक दूसरे को चोद सकें | उधर दीदी के मां-बाप को कुछ न कुछ शक हो गया था इसलिए वह बहुत सख्त निगरानी रख रहे थे हालांकि एक दिन मुझे मौका मिल गया जब मेरे मां-बाप शादी के लिए किसी रिश्तेदार के यहां गए थे मुझे पता था अब रात के 1 बजे से पहले से पहले मां-बाप नहीं आएंगे तो इसलिए मैं अकेला था मैं मासूम समूह बनाकर के रात के 8:00 बजे दीदी के घर गया और उनके मां-बाप से बोला अंकल जी मैं बिल्कुल अकेला हूं मुझे वहां डर लग रहा है क्या मैं आपके यहां रुक जाऊं तो अंकल जी बोले यहाँ तो इतनी जगह नहीं | दीदी बोली यहां रुकने जगह नहीं है तो क्या हुआ चल मैं तेरा साथ तेरे घर चलती हूं | दीदी के माँ बाप जानबूझकर भी मना नहीं कर पाए हालांकि उन्होंने दीदी के साथ छुटकी को भी साथ भेज दिया | अब हमारे लिए मुसीबतें थी कि छुटकी और दीदी साथ में आए थे अब मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था हालांकि मैंने उसका भी इंतजाम ढूंढ दिया मैंने टीवी पर एक कार्टून मूवी लगा दी | छुटकी उस कार्टून मूवी को देखने में पूरी तरह बिजी हो गई | मै दीदी के साथ दुसरे कमरे में आ गया | उसके बाद पहले दीदी ने मेरा लंड चूसा और उसके बाद मैंने दीदी के 2 बार लगातार चोदा | दीदी भी पूरी तरह से मस्त हो गई थी उसके बाद ही अपने घर चली गई | जाने से पहले सुबह दीदी ने मुझसे कहा - देखो अब हम दोनों जवान है,तुम मुझे चोदते हो | मै तुमारी टीचर हूं और तुम मेरे स्सेटूडेंट | इसलिए अब तुम मुझे दीदी मत कहा करो | जब भी हम अकेले होंगे तो मुझे क्रिस्टीना कहोगे और मैं तुम्हारे जितेश कहा करूंगी मैं समझ गया था | दीदी अब नहीं चाहती कि हमारे बीच में यह सामाजिक रिश्तो का नाम नाम हो इसलिए दीदी चाहती थी कि मैं उनको उनके नाम से बुलाऊं मैंने ठीक है आज से आपको मैं क्रिस्टीना कहा करूंगा | उसके बाद सब कुछ करने के बावजूद मै दीदी को घर में नहीं चोद पा रहा था | किसी तरह से एक बार एक पुराने खँडहर में दीदी को चोद रहा था तभी वहां बिच्छू निकल आया और दीदी बहुत डर गयी | फिर एक दिन मै दीदी को उनके घर में हो चोद रहा था तो छुटकी ने मुझे देख लिया था और उसके बाद में छुटकी थोड़ा डर भी गई थी | बड़ी मुश्उकिल से दीदी ने उसे मनाया | उसे प्यार से समझाया | उसके बाद दीदी ने उसकी पेंट में उंगली करके उसकी चूत को रगड़ने लगी थी जिससे छुटकी को मजा आने लगा था | छुटकी को पटाने में दीदी को बहुत मेहनत लगी थी लेकिन आखिरकार चुटकी मान गई थी अब कि वह यह बात किसी को नहीं बताएगी बदले में छुटकी ने दीदी से ₹2000 लिए और इधर मैंने भी छुटकी की चूत को कस करके चूस दिया था जिसे छुटकी मस्त हो गई थी |
 
छुटकी को पटाने के बाद तो हर दिन हम घर में ही चुदाई करते | एक साल तक लगभग हर रोज ही मै दीदी को चोदता था | मुझे भी बहुत मजा आता था और दीदी को भी चुदवाने की आदत पड़ गयी थी | ऐसा लगता तह जैसे खाना खाना रूटीन हो वैसे दीदी को चोदना रूटीन हो गया था | साल के ख़त्म होते ही दीदी आगे की पढाई के लिए बाहर चली गयी | मुझे चूत की लत लग चुकी थी, 15 दिन तक मैंने किसी तरह सब्र किया लेकिन फिर मेरी हिम्मत जवाब दे गयी | इसलिए मैंने छुटकी को पटाने की कोशिश की | शुराती ना नुकुर के बाद छुटकी मान भी गयी | अब असल मै मै छुटकी को टूशन देने लगा | इसलिए छुटकी मेरे घर पढ़ने आती थी | फिर मैंने छुटकी की सील भी तोड़ी | छुटकी की चूत भी दीदी की तरह कसी हुई थी | माँ हमेशा उपरी मजिल पर रहती थी इसलिए नीचे कमरा बंद करके मै छुटकी को दो दो घंटा टूशन पढ़ाता | छुटकी के नंबर जब अच्छे आने लगे तो किसी कोई कोई शक भी नहीं हुआ | हालाकि पहली चुदाई में छुटकी को उतना खून्न नहीं निकला |

लेकिन छुटकी भी अब जवान होने लगी थी | उसकी छातियाँ भी भर गयी थी |
कहना गलत नहीं होगा की छुटकी की चूत भी दीदी की तरह पूरी तरह से टाइट थी | छुटकी का बदन भी मस्त था | बस नजर की बात थी कभी उस नजर से उसे पहले देखा नहीं था | जब से छुटकी के नंगे बदन के दर्शन हुए | मै तो छुटकी का दीवाना हो गया | एक बार छुटकी की चूत की सील क्या टूटी फिर तो आये दिन चुदाई शुरू हो गयी | क्या मस्त कसा हुआ बदन था छुटकी | अब तो मै दीदी को भूल ही गया | छुटकी थी भी एक नंबर की चुद्द्कड़ | दीदी के मुकाबले ज्यादा बेशर्म और लंद्खोर | कई बार तो टूशन में आते ही दरवाजा बंद करती और कपड़े उतार कर मेरा लंड चूसने लगती | पुरे दो घन्टे बस चुदती ही रहती | जब मै उसको चोदने में ज्यादा थकने लगा तो उसी ने पता नहीं कहाँ से मुझे कुछ गोलियां लाकर दी | जिनको खाकर मेरा लंड बैठता ही नहीं था | 6 महीने तक ये सिलसिला चलता रहा | दीदी छुट्टियों में वापस आई | दीदी मुझे चुदना चाहती थी लेकिन छुटकी जब मौका दे न | दीदी को जब पता चला मै छुटकी को चोद रहा हूँ तो दीदी ने मुझे बहुत बुरा भला कहा, मुझसे खूब लडाई करी की, मार पीट करी , खूब रोई भी आखिर मैंने उनकी बहन को क्यों चोदा |
दीदी रोते हुए बोली - जितेश मैंने इतने लंड देखे हैं लेकिन तुम्हारा लंड सबसे अलग है इसीलिए मैं तुम्हारे लंड से चुदाई करी और मैं तुम्जिंहे चाहती थी तुमारे साथ न जाने कितने सपने देखे थे | ;लेकिन तुमने अपनी हवस की आग में सब बिखेर दिया | एक बार कहते तो सही मेरी याद आ रही है, ख़ुशी खुसी तुमसे चुदवाने चली आती | तुमने मेरा दिल दुखाया हिया अब मेरी हाय लगेगी तुमको जिदगी भर इसी चूत के लिए तरसोगे | दीदी गुस्सा होकर वापस चली गयी |
इधर मै फिर से छुटकी को रोज चोदने लगा हालाँकि मुझे दीदी का दुःख था लेकिन मुझे क्या पता था दीदी मुझे चाहने लगी है | इधर छुटकी तो जैसे हरदम चुदने के लिए तैयार बैठी रहती थी | उसके चक्कर में बिलकुल पढाई नहीं कर पाता | मेरे १२ के एग्जाम आ गए, मुझे पढ़ाई करनी थी लेकिन छुटकी को चुदाई का भूत सवार रहता | जब तक एक बार दिन में मेरा लंड घोट नहीं लेती अपनी चूत में उसका मन ही नहीं भरता था | मेरे आसपास ही मडराती रहती | मै भी उसकी चूत का आदी हो गया था | चोदने का मन न भी हो तो ललक जाग उठती थी | घर में आजकल बहुत भीड़ रहती थी क्योंकि मेहमान आये हुए थे इसलिए स्कूल के बाद मै छुटकी के साथ स्कूल के पीछे बने खेतो में चला जाता था | वही चुदाई करते थे | छुटकी की कसी कुंवारी चूत को मैंने सात महीने में ही बच्चा जनने वाली औरतो जैसी चूत की सुरंग बना दिया था | उसकी चूत का छेद दूर से ही नजर आ जाता था | छुटकी को भी ये बात पता थी इसलिए अक्सर कहती थी तुमारे इस मुसल लंड ने मेरी कमसिन कुवारी चूत का भोसड़ा बना दिया है | शादी के बाद अपने हुसबंद को क्या कहूँगी |
जब वो ये बात बोलती तो मै उसकी चूत की फाके फैलाकर उसकी चूत का खुला चौड़ा छेद देखने लग जाता | उसमे अपनी जीतनी उंगलियाँ हो सकती घुसाने लगता | ऐसा नहीं था की छुटकी ही चुदाई के लिए पागल थी, मेरा भी बहुत मन उसे चोदने का होता था | घर में अक्सर चुदाई संभव नहीं हो पाती थी तो मै उसे अलग अलग जगहों पर चोदता था | मैंने उसे खेतो में चोदा था, नाले के किनारे चोदा था, छुपम छुपाई खेलते हलका सा अँधेरा होने पर उसे एक कोने में ले जाकर चोदा था, छत की मुंडेर पर भरी दोपहरिया में, कड़ाके की सर्दी में उसकी बालकनी में बाहर से चढ़कर | बारिश में भीगते हुए, उफनते नाले के किनारे, पड़ोस गली के अंकल की कर की डिग्गी में | और तो और मंदिर के पिछवाड़े में, चर्च में पादरी की सीट के पीछे | ऐसी ही तोड़े ही न छुटकी की चूत का भोसड़ा बन गया था | लोग जीतनी चुदाई अपने शादी के 20 साल में नहीं करते है उतनी मैंने 7 महीने में कर ली थी |

हमारी चुदाई का ये आलम था कई बार तो मैंने उसे पीरियड्स में चोदा था | पता नहीं मेरे अन्दर हवस कहाँ से भरी थी | मुझे ये चीज बाद में पता चली की छुटकी मुझे के टॉफी खाने को देती थी असल में जो नशीली दवा थी और उत्तेजना बढ़ाती थी | जब मै छुटकी से दूरी बनाने की कोशिश करता तो छुटकी सबकी बताने की धमकी देती | बोर्ड के एग्जाम आ गये थे और छुटकी पढने का टाइम ही नहीं दे रही थी | मै एग्जाम दे रहा था | एक दिन मै अपना आखिरी पेपर देकर जब वापस आया तो मोहल्ले में हंगामा मचा हुआ था | बाद में पता चला छुटकी पेट से है | सबका निशाना मै था | माँ का तो शर्म से घर से बाहर निकालना ही बंद हो गया | बाप ने गाली देकर बाहर निकाल दिया | किसी तरह से कुछ पैसे जुगाड़ करके चाचा के यहाँ पंहुच गया | चाचा आर्मी में थे, वहाँ उन्होंने एक शर्त पर रखने को राजी हुए | वो शर्त थी उनकी बात मानना | अगले दिन से मेरी मिलटरी वाली ट्रेनिंग शुरू कर दी | सुरुआत के तीन महीने तो कमजोरी और नशीली दवाओं के असर को ख़त्म होने तक मेरी बहुत बुरी हालत हो गयी थी | कुत्तो की तरह हांफता रहता | तीन महीने के बाद सब ठीक होने लगा | मेरे अन्दर से चुदाई की जैसे इक्षा ही ख़त्म हो गयी | तब मुझे पता चला सब छुटकी की दी हुई उस टॉफी का असर था | मेरे पिता के यहाँ से न कोई खबर आई न मैंने जानने की कोशिश की | 9 महीने की टट्रेनिंग के बाद मुझे सेना की भर्ती के लिए चाचा बाहर ले गए | इससे पहले वो मेरे घर से सारे डॉक्यूमेंट ले आये | मै पहली बार में ही सेना में सेलेक्ट हो गया | पीछे आतीत का सब कुछ याद रहते हुए भी भूल गया | सेना में आने के बाद भी मेरे माँ बाप ने मुझे नहीं स्वीकारा हालाँकि मै उन्हें पैसे भेजता रहा | सेना में जब फिजा से मिला तो एक बार फिर से दीदी और छुटकी की यादे ताजा हो गयी | फिजा बिलकुल दीदी की तरह स्वाभाव की थी | अन्दर से चुदक्कड़ लेकिन ख्याल रखने वाली | लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था, पता नहीं माँ बाप का दिल दुखाने की सजा मिली या दीदी का दिल तोड़ने की लेकिन इतना तो तय किसी न किसी की हाय तो लगी ही है |
 
जितेश - मैडम आप सो गयी |

रीमा उंघते हुई बोली - नहीं तुमारी जिंदगी के बारे में सोच रही हूँ | ऐसा क्यों होता है जब सब ठीक चल रहा हो तो सब बिगड़ जाता है | या जो चाहो वो कभी जिदगी में मिलता ही नहीं | या हम जैसा बनना चाहते है वैसा ही बन जाते है |
जितेश ने एक लम्बी साँस ली - यही जिंदगी है |
रीमा - कभी क्रिस्टीना से मिलाने या पता लगाने की कोशिश नहीं की |
जितेश - नहीं, टूटी कांच दुबारा कब जुड़ती है | दीदी तो कच्ची कांच की थी पहले पता चल जाता तो पलकों पर बिठाकर रखता |
रीमा - कितना बज गया है |
जितेश हाथ वाली घड़ी देखता हुआ - 3 |
रीमा - हमें सोना चाहिए |
जितेश कुछ ही देर में गहरी नीद में सोने लगा लेकिन रीमा की आँखों से नीच कोसो दूर थी | उसे घर रोहित प्रियम रोहिणी सबकी याद आने लगी | कितने परेशान होंगे सब के सब, आखिर मै कहाँ आकर फंस गयी | पता नहीं कब इस जंजाल से निकल पाऊँगी | ये तो किस्मत अच्छी है जितेश भला इंसान है वरना कोई दरिंदा पता नहीं अब तक कितनी बार मेरा जिस्म नोच चूका होता | टैंक्स क्रिस्टीना इसे इतनी कम उम्र में औरत का पाठ पढ़ाने के लिए | यही सब सोचते सोचते रीमा की पलके भी मुंदने लगी |

सुबह जब रीमा की नींद खुली तो देखा जितेश पूरी तरह तैयार हो चुका है और वह तेजी से जमीन के नीचे बनी सुरंग से होता हुआ बाहर निकल गया बाहर जाने से पहले उसने भीमा को बोल दिया कि ड्राई फ्रूट और खाना कहां रखा है | अगर वह नहीं आया तो कम से कम खाना खा लेगी क्योंकि अगर वह दोपहर को ना लौटा तो उसका इंतजार ना करें और वह कोशिश करेगा शाम को लौटने की लेकिन अगर शाम तक भी नहीं लौटता है तो उसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है और चुपचाप फ्रूट खा करके आराम से लेटी रहे और बाहर जाने की बिल्कुल कोशिश न करें चारों तरफ बहुत खतरा है और कोई भी उसको पहचान करके उसकी खबर जो है वह विलास या सूर्यदेव को दे सकता है | रीमा जितेश की हिदायत का पूरी तरह से पालन किया लेकिन जितेश ना तो दोपहर को आया और ना ही शाम को आया रीमा ने खाना खाया और शाम को फल फ्रूट खा कर वह फिर से बिस्तर पर लेट गई लेकिन उसकी आंखों में नींद नहीं थी उसकी आंखों में पिछले चौबीस 48 घंटों में जो कुछ भी हुआ वह पूरी तरह से तैयार रहा था कहां से कहां पहुंच गई थी | रोहित कैसा होगा प्रियम कैसा होगा अनिल कैसे होंगे उसकी उसकी दीदी रोहिणी कैसी होगी यही सब सोचकर वह परेशान होने लगी थी जब काफी परेशान हो गई तो उसने अपने आपको वहां से हटा के जितेश के बारे में सोचना शुरू किया और जितेश और उसकी दीदी क्रिस्टीना की चुदाई के बारे में सोचने लगी | उसकी कहानी के बारे में सोचने लगी उसके उस फूले हुए मोटे तगड़े लंड को देख करके अपने अंदर जगे अरमानों के बारे में सोचने लगी | रीमा को एक एक पल बाद ही उसे यह सब गलत लगा और वह कुछ और ही सोचने लगी लेकिन इन्हीं सबके उल्टा सीधा सही गलत है ख्यालों के विचार खोते खोते रीमा बिस्तर पर आधी रात तक करवते बदलती रही आधी रात तक लुढ़कते रही हालांकि जितेश बोल कर गया था अगर वह शाम तक ना आए तो कोई चिंता ना करें लेकिन अगर कल तक नहीं आएगा तो उसे चिंता में होना चाहिए था | क्हयोंकि कल तक एक तो खाने को कुछ नहीं बचेगा | रीमा इसी उधेड़बुन में तड़पती फड़कती खुद के बारे में सोचती चिंता में डूबी निराशा से भरी हुई हताशा और उल्लास इन सबके बीच में ऊपर नीचे तैरती हुई किसी तरह से आधी रात को सो गई जब सुबह आंख खुली तो देखा कमरे में अभी भी कोई नहीं इसका मतलब जितेश अभी भी नहीं आया था इधर रात में एक आदमी आया और उसने दरवाजे के अंदर से एक चिट्ठी जो है नीचे सरका दी और तेजी से चला गया | रीमा ने चिट्ठी खोलकर पड़ी और वह हैरान रह गई उसके होश उड़ गए उसे नहीं पता था कि यह सच है या गलत है लेकिन चिट्ठी में लिखा था हो सकता है जितेश अब कभी न लौटे हालांकि वह लिखने वाला भी निश्नचिंत नही था कि कि जो वह लिख रहा है वह कितना श्यौर है उसने चिट्ठी ही में लिख दिया था जो मैं लिख रहा हूं वह मान भी सकते हो और नहीं भी | लेकिन अभी फिलहाल जितेश का कोई सुराग नहीं है वो कहां है किसके साथ है और क्या कर रहा है इसलिए आप कोई गलतफहमी को पाल के मत रखिए मुझसे आपको संदेश को पहुचाने के पहले ही जितेश ने कह दिया था इसलिए मैंने यह संदेश आप तक पहुंचा दिया सुबह जितेश का संदेश पढ़ते ही रीमा और ज्यादा चिंता में डूब गई अब वो क्या करें घर का कमरा बाहर से बंद था सुरंग के जरिए वह बाहर निकल सकती थी लेकिन जितेश ने साफ साफ मना कर रखा था अपनी ही चिंता दुख में से शक्ति रीमा बिस्तर पर ही इधर-उधर उड़ा उड़ा के रोती रही | इसी बीच में कुछ देर बाद वह वह कमरे में का अच्छे से जायजा लेने लगी और उसे एक कैसेट्स मिल गई | वह लगा कर उसे टीवी पर मूवी देखने लगी ताकि इन सब चिंताओं से उसका मन भटक करके कहीं दूर चला जाए लेकिन जो उसने मूवी लगाई थी वह किसी फिल्म की मूवी नहीं थी वह जितेश के खुद के बनाए हुए वीडियो थे जो वह जो जो कि उसका एक तरह से लाइफ एल्बम था वह जितेश के लाइफ एल्बम को पूरी तरह से देखने लगी आखरी में जितेश ने एक वीडियो बनाया था जिसमें उसने एक अच्छा सा मैसेज दिया हुआ था जिंदगी दो पल की है इसे पूरी तरह से जीना चाहिए पता नहीं अगले कल हम जिंदा रहे या ना रहे और यह वीडियो उसने में बाथरूम के अंदर बनाया था जब वह नहा रहा था और अपने लंड को सहला रहा था | रीमा ने उसे एक बार देखा दो बार देखा तीन बार देखा और उसे दोपहर तक देखती रही वह बार-बार जितेश के उस तो जिस्म को देख रही थी और उसके मोटे मुसल लंड को देखने में मस्त थी | रीमा की वासना अंदर से हिलोरे मार रही थी लेकिन उसका मन यह मानने को तैयार नहीं था आखिर रीमा ने भी स्वीकार कर लिया जितेश उसे अच्छा लगने लगा है | और रीमा चाहती थी कि जितेश वापस लौट आए तो वह अपने मन के अरमान पूरे कर ले और अपना सबकुछ जितेश पर लुटा करके जितेश को भी उसके किए का फल वापस लौटा दे | रीमा ने मन ही मन ठान लिया था कि जैसे ही जितेश आएगा सबसे पहले वह अपने आप को , इस खूबसूरत बदन को जितेश को सौंप देगी ताकि उसके एहसान का बदला हमेशा के लिए चुका दे और साथ में उसके अपने अरमानों को भी वह पूरा कर दें | वह जितेश को पसंद करने लगी थी पता नहीं जितेश को पसंद करने लगी थी या सिर्फ उसके मुसल लंड से चुदने की चाहत थी इधर 12:00 बज गए थे अब सिर्फ फल फ्रूट ही खाने को बचे थे रीमा ने काट के फल फ्रूट खाए और फिर बिस्तर पर आगे लेट गई | रीमा का इंतजार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था शाम हो गई अजितेश अभी तक नहीं लौटा था | इधर शाम का धुंधलका छाने लगा था और इधर धीमा को भी नींद आ गई |

इधर रोहित वापस लौट आया था उसने अनिल के साथ मिलकर रीमा के पोस्टर पूरे शहर में लगवा दिए थे टीवी पर अनाउंस भी करवा दिया था प्रियम और राजू को भी पता चल गया था कि रीमा खो गई है | प्रियम राजू ही क्यों पूरे शहर को पता चल गया था कि रीमा किडनैप हो गई है | पुलिस धड़ाधड़ हर जगह छापे मार रही थी जो भी उसके पास में था वह कर रही थी | वही रोहित अब कुछ ज्यादा ही चिंतित होने लगा था अनिल भी चिंतित होने लगे थे | यहां रीमा एक छोटे से बस्ती के एक छोटे से घर में बंद किसी अनजान आदमी का इंतजार कर रही थी | घर में टीवी था लेकिन सिर्फ कैसेट के लिए चलता था | इसलिए उसे दीं दुनिया की कोई खबर नहीं थी | अब इस कमरे का मालिक जितेश ही उसके दबे हुए अरमानों और ख्वाहिशों की नई मंजिल थी रीमा सो रही थी रात के 9:00 बजे के करीब जितेश वापस लौटा | उसके एक हाथ में पट्टी बंधी थी | दुसरे हाथ में खाने का सामान था | पीठ पर एक बैग भी था जो कि पैसों से भरा हुआ था जितेश के अंदर आते ही पहले बैग खोलकर पैसे गिनने लगा | कुछ देर बाद रीमा की आंखें खुल गई उसने देखा पैसों से भरा हुआ एक बैग है और जितेश उसमें के पैसे गिन रहा था | उसका जैकेट अलग पड़ा हुआ था जिसमे उसकी दो गन रखी हुई थी | और खाने का सामान भी अलग रखा हुआ था | रीमा को देखते ही जितेश बोला- मैडम आप तुम जाग गई | मैं कुछ खास काम से गया हुआ था, वहां जाकर एक गहरी मुसीबत में फंस गया मुझे लगा था कि अब शायद कभी वापस नहीं लूंगा लेकिन ईश्वर का शुक्र है मेरी जान बच गई और मैं वापस लौट आया तुम्हें जब वह चिट्ठी मिली होगी | तब तुम डरी तो नहीं थी |
 
मैं कुछ खास काम से गया हुआ था, वहां जाकर एक गहरी मुसीबत में फंस गया मुझे लगा था कि अब शायद कभी वापस नहीं लूंगा लेकिन ईश्वर का शुक्र है मेरी जान बच गई और मैं वापस लौट आया तुम्हें जब वह चिट्ठी मिली होगी | तब तुम डरी तो नहीं थी |
रीमा - नहीं मैं एक उम्मीद पर जिंदा थी और मेरी उम्मीद सही साबित हुई |
रीमा - तुम वापस आ गए मुझे खुशी है | इतना कहकर रीमा जितेश के पास आ गयी और अपने रसीले कांपते ओंठो को जितेश के सूखे ओंठो पर रख दिया और कस कर चूम लिया और चुमते ही चली गई | जितेश भी पैसा गिनना छोड़ कर रीमा को चूमने लगा | रीमा ने कसकर जितेश को बाहों में भर लिया था जितेश की बाहें रीमा के चुताड़ो के ऊपर चली गई और जितेश ने उन्हें अपनी ताकतवर हथेलियों में लेकर मसलने लगा | रीमा खुद के जिस्म को जितेश के बदन के खिलाफ रगड़ने लगी | दोनों एक दूसरे को पता नहीं कब तक चुमते रहे थे | जितेश समझ गया था रीमा क्या चाहती है लेकिन जितेश ने कहा - पहले खाना खा ले इसके लिए पूरी रात पड़ी है |
रीमा शर्म से झेप गयी | अब उनके बीच का झिझक का पर्दा हट चूका था च आफ गई थी |
जितेश बोला - इसमें शर्माने की क्या बात है कोई नहीं तुम जवान हो सबके मन में अरमान होते हैं मेरे मन में भी हैं मुझे खुशी है तुम भी वही सोच रही हो जो मैं सोच रहा था |
रीमा को ऐसा लगा जैसे जितेश ने उसके मन की बात कर ली है हालांकि को कुछ बोली नहीं |
इधर जितेश ने फटाफट पैसो वाला बैग पैक करके खाना गरम खाने चला गया और बहुत जल्दी खाना गर्म करके ले आया | उसके बाद दोनों बैठ कर खाना खाने लगे | खाना खाने के बाद जितेश बिस्तर पर आ गया और बैग में रखे बचे पैसे गिनने लगा था | बैग में पुरे 300000 थे जब पैसे की गिनती खत्म हो गई तो जितेश ने उन पैसों को एक जमीन में बने ही में एक अलमारी खोलकर रख दिया और ऊपर से फिर से दरी बिछा दी इमरान थी | जितेश आधे से ज्यादा काम तो जमीन के अंदर ही करता है | इसके बाद जितेश रीमा के पास आ गया और रीमा के हाथ अपने हाथों में लेकर उसे सहलाने लगा था | रीमा को अहसास था की अब क्या होने वाला है, कहाँ रीमा अपने ही नंगे बदन को देखने में शर्माती थी | आज एक अनजान मर्द के सामने अपनी अनंत वासनाओं की गुलाम बनकर जवानी का वो खेल खेलने को आतुर थी जो संभ्य समाज में बिलकुल सही नहीं कहा जाता | आभी भी रीमा को नहीं पता था वो जितेश की तरफ आकर्षित है या सिर्फ उसके लंड से चुदने की चाहत में पगलायी हुई है | कुछ भी हो रीमा को जितेश नंगा तो देख ही चूका है | रीमा भी जितेश का लंड देख चुकी है तो अब छिपाने को बचा क्या था | बस वासना का चूत चुदाई का खेल बचा था | रीमा ने इसके लिए पूरी तरह से मन बना लिया था | उसे पता था एक बार ये वक्त निकल गया तो हमेशा जितेश को हाशिल करने की कसक उसके मन में जिंदगी भर बनी रहेगी | भले ही चारो तरफ वह खतरों से घिरी थी लेकिन जो हालत थे और जो मन के दबे अरमान थे उनके हाथो वो बेबस थी या उन्हें पूरा करना चाहती थी | दोनों ने एक दुसरे की कहानी सुनी थी इसलिए हल्का सा भावनात्मक लगाव भी हो गया था | रीमा ने ऊपर जितेश की ही शर्त पहन रखी थी | नीचे वो जितेश का ही एक हाफ पेंट पहने थी | इधर जितेश ने अपने कपड़े उतार दिए | उसे देख रीमा ओ समझ में आ गया था कि अब किसी पर्दे का समय नहीं है | जो उसके दिल में है वही उसे करना चाहिए और खुल कर जीना चाहिए | रीवा ने भी अपनी शर्ट के बटन खोल दिए और जितेश के करीब आ गई और जितेश के ठोस जिस्म के सहलाने लगी थी | रीमा के नरम हाथों का स्पर्श पाते ही जितेश के अंदर के अरमान फिर से उठने लगे थे | उसे लगा जैसे उसकी टीचर दीदी वापस आ गई हो | ऐसा लगा जैसे वह फिजा का मांसल पेट सहला रहा हो | लेकिन ये न तो क्रिस्टीना थी न फिजा थी ये रीमा थी | रीमा का मादक बदन की गंध जब जितेश की नाक में घुसनी शुरू हुई तो जितेश को अहसास हुआ रीमा की मादकता उसकी दीदी से कई गुना ज्यादा है | रीमा एक सम्पूर्ण भरे पुरे बदन की मालकिन थी | इधर रीमा की शर्ट के बटन खुलते ही जितेश के हाथ बरबस ही रीमा के स्तनों पर पंहुच गए | जितेश रीमा के बड़े बड़े उठे उरोजो को मसलने लगा था | रीमा धीरे-धीरे जितेश के ऊपर झुकती चली गई और उसकी पेंटी की बेल्ट खोल दी और पेंट की ज़िप को खोल दिया और अपना हाथ अन्दर घुसेड दिया | अन्दर जाकर उसके मूसल लंड को टटोल कर उसका साइज़ का जायजा लेने लगी | उसके मुसल लंड के हाहाकारी साइज़ को देखकर के अचंभित होने लगी थी |

रीमा - तुमारा औजार तो बहुत बड़ा है, चीखे उबल पड़ती होगी जिसकी चूत पर ये औजार रख देते होगे |

जितेश रीमा की तारीफ सुनकर खुस हुआ लेकिन उसे टोकते हुए बोला - मैडम ये तो चीटिंग है | सब कुछ खुलकर होगा | ये औजार सौजार नहीं चलेगा | लंड बोलो सीधे |

रीमा उसे ताना देती हुई - ठीक है ठीक है और ये मैडम मैडम भी नहीं चलेगा | रीमा कहो मुझे |

जितेश - ठीक है मैडम अब से रीमा ही बोलूँगा |

रीमा जितेश की पेंट के अन्दर उसका फूलता हुआ लंड सहलाती हुई बोली हैरान होने लगी | आखिर उसे बड़े मोटे मुसल लंड ही क्यों पसंद आते हैं जैसे रोहित का जैसे अनिल का और अब जितेश का | हालांकि उसे अपनी चाहत पर अपनी ख्वाहिशों पर हैरानी के साथ गर्व भी था | आखिर उसे मोटे लंड ही पसंद है तो है | उसने धीरे से अपनी नरम उंगलियों से जितेश के गरम फूल रहे मोटे लंड को पकड़कर बाहर निकालने लगी | जितेश का लंड बड़ी मुश्किल से रीमा बाहर निकाल पाई |
 
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