desiaks
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तब तक रीमा उस फौजी की बलिष्ट बांहों बांहों में उसी के भरोसे झूलती रहेगी | वो रीमा को हचक हचक के छोड़ेगा, ठोकरे मरेगा, मसलेगा, कुचलेगा, उसकी कमर पर झटके मार मार कर उसे बेहाल कर देगा | उसकी गिरफ्त में वो तड़पती मछली की तरफ फडफडाती रहेगी | आखिर क्यों वो एक अनजान मर्द के हाथो अपना सबकुछ लुटाने को तैयार है | आखिर उसकी गुलाबी चूत सुरंग के अंतर की गहराई में उतरने के बाद उसके मन का कौन सा कोना बचेगा जिसे वो अनछुआ कह सकेगी | जब उसका लंड उसकी सुरंग के अंतर के अंतिम छोर तक का सफ़र तय कर लेगा, फिर उसका अपना क्या रह जायेगा, किस बात पर वो गर्व कर पायेगी | किस बात को लेकर वो शीशे में अपनी आँखों में आंखे मिला पायेगी | उसका वजूद ही क्या रह जायेगा | क्या उसका वजूद बस एक गुलाबी चूत सुरंग भर का है, क्या उसका वजूद बस मर्द की जांघ के नीचे लेती औरत भर का है | क्या इस तरह से चुदना ही उसकी नियति है, क्या औरत की बस यही नियति है | जितेश का लंड घोटने के बाद रोहित को क्या मुहँ दिखाउंगी, आखिर क्यों प्रियम के गिडगिडाने के बाद भी उसे अपनी चूत नहीं चोदने दी | आखिर फिर जग्गू को क्यों मना किया | प्रियम जग्गू या बाकि मर्दों से जितेश में क्या अलग है | सबके पास लंड है और सभी मुझे चोदना चाहते थे | जैसे जितेश का लंड अभी मेरी चूत में जायेगा वैसे ही बाकि सबका लंड भी तो मेरी चूत जाता फिर मैंने उन्हें क्यों मना किया | आखिर ये दोगलापन नहीं है तो क्या है | जितेश में ऐसा क्या है जो प्रियम राजू या जग्गू में नहीं था | उसका बाप भी मुझे चोदना चाहता था आखिर जितेश जैसे ही पराये तो थे | फिर जितेश को अपने जिस्म की सबसे अनमोल धरोहर क्यों लूटने दे रही हूँ | नहीं मेरी चूत बहुत खास है इस पर रोहित जैसे मेरे अपने का ही हक़ है |
जितेश ने अपने तने लंड को पकड़ कर उस पर हाथ दो-चार बार आगे पीछे किया और उसकी खाल को खींचकर पीछे कर दिया था | जितेश ने अपने लंड से रीमा की चूत की दरार और दाने पर दो चार बार रगडा, जिससे रीमा की चूत के ओंठ दोनों तरफ को फ़ैल गए | फिर जितेश ने अपने लंड के फूले लाल सुपाडे को रीमा की चूत के गुलाबी ओंठो के बीच सटा दिया | रीमा सिसक उठी | एक अनजान मर्द का मोटा लंड उसके जिस्म के सबसे नाजुक हिस्से को चीरने जा रहा था | नहीं ये कैसे हो सकता है |
जितेश के तने लंड के सुपाडे का अगला सिरा रीमा की गुलाबी गरम चूत की नरम ओंठो को बस छुआ ही था कि तब तक रीमा प्रतिरोध करके जितेश को पीछे ठेलने लगी | जितेश को कुछ समझ नहीं आया, कहाँ वो रीमा की चूत पर लंड सटाकर उसे चोदने का अरमान पूरा करने जा रहा था यहाँ रीमा ने पूरा जोर लगाकर उसे पीछे धकेल दिया - नहीं ये नहीं हो सकता |
रीमा के इस बर्ताव से हैरान सा जितेश - क्या नहीं हो सकता |
रीमा वासना के नशे में उलझन से भरी हुई - मै तुम्हे ये नहीं करने दे सकती |
जितेश झुन्झुलाता हुआ - क्या नहीं करने दे सकती क्या नहीं हो सकता ?
रीमा - नहीं जितेश ये सही नहीं है |
जितेश - क्या हुआ कुछ बोलोगी भी, अभी तो ख़ुशी खुसी जांघे फैलाकर लेट गयी थी |
रीमा - मै आवेश में बह गयी थी लेकिन ये गलत है |
जितेश - क्या गलत है कुछ खुलकर बताओगी |
रीमा - तुम मुझे नहीं चोद सकते |
जितेश झुंझलाता हुआ - ठीक है नहीं चोदुंगा तुम्हे लेकिन हुआ क्या ये तो बता दो , आखिर मेरी गलती क्या है ?
रीमा - तुम्हे अहसास है चूत औरत के जिंदगी का कितना अहम् हिस्सा होती है | चूत की औरत की जिंदगी के क्या कीमत है | उसकी चूत से उसका पूरा अस्तित्व इज्जत भविष्य पूरी जिंदगी जुडी होती है |
जितेश - हाँ इतना जानता हूँ मै |
रीमा - तो तुम्हे ये भी मालूम होगा, जब औरत अपना जिस्म किसी को सौपती है तो कितना भरोसा करती होगी |
जितेश - आगे बोलो |
रीमा - मेरी जिंदगी की सबसे खास चीज मै तुम्हे नहीं लुटने दे सकती | ये चूत ही तो है जिसके कारन सर उठाकर सम्मान से जीती हूँ | वो तुम लूट लोगे फिर मेरे पास क्या रह जायेगा गर्व करने के लिए |
जितेश - मतलब ?
रीमा - हर औरत का गहना होती है ये चूत | इस गहने को औरत तभी उतारती है जब कोई उसकी जिंदगी का गहना बनने को तैयार हो जाये | जब औरत चुदती है तो उसका चाहने वाला या उसका पति उसका गहना बन जाता है | जिस पर वह गर्व करती है फूली नहीं समाती | कम से कम मन में संतोष तो रहता है उसकी चूत न सही उसको लूटने वाला तो उस पर जान छिडकता है | जिसको उसने अपना जिस्म सौपा है वो हर पल उसका साया बनकर उसके साथ रहेगा | उसकी अपनी से ज्यादा चाहेगा और उसके सुख के लिए खुद सारे दुःख उठाएगा |
जितेश चूत रहा और रीमा की बात को समझने की कोशिश करने लगा |
रीमा - खामोश क्यों हो, न तो तुम मेरे आशिक हो , न चाहने वाले हो, मुझे चोदकर मेरा सब कुछ लूट लोगे बदले में मुझे क्या मिलेगा, तुमारे महाशय की पिचकारी का जूस |
जितेश को अभी भी समझ नहीं आय लेकिन ख़ामोशी गलत दिशा में जा सकटी थी - क्या चाहती हो ये भी बता दो |
रीमा - मै कोई रंडी नहीं हूँ, न मै छिनार हूँ जो हर जगह मुहँ काला करवाती फिरू | मै माडर्न हूँ लेकिन इतनी भी नहीं की कही भी किसी से चुदवाती फिरू |
जितेश - फिर वो गार्ड के साथ वाला किस्सा |
रीमा - क्या करती मै, सड़ती रहती सूर्यदेव के चंगुल में | वैसे भी उसने पीछे लंड घुसेड़ा था |
जितेश - वो तो अब समझ में आया पीछे करवाने में प्रॉब्लम नहीं है, चूत चुदवाने में ईगो हर्ट हो रहा है, तुमारी ऐसी की तैसी |
इतना कहकर वो रीमा की तरफ लपका और झपट्टा मार कर रीमा को बाहों में जकड लिया |
रीमा उसकी सख्त मजबूत बांहों में कसमसाने लगी - छोड़ो मुझे |
जितेश - छोड़ो नहीं चोदो मुझे कहना चाहिए |
रीमा - नहीं जितेश तुम ऐसा नहीं कर सकते |
जितेश - इस समय तुम मेरे रहमोकरम पर हो और मै कुछ भी कर सकता हूँ |
रीमा उसके चंगुल से खुद को छुड़ाती हुई - तुम मेरा रेप करोगे |
जितेश भी उसे सख्ती से जकड़ते हुए - अगर नहीं मानी तो सख्ती तो करनी पड़ेगी न |
रीमा - तुम तो बेहद शरीफ इंसान हो तुम ऐसा कैसे कर सकते हो |
जितेश - जब शरीफ इंसानों का लंड खड़ा होता है तो उनकी शराफत भी लंड पर आ जाती है |
रीमा - नहीं प्लीज ऐसा मत करो |
जितेश ने रीमा को बेड पर पटक दिया और उस पर आकर छा गया | उसके इक हाथ से रीमा के दोनों हाथ पकड़कर ऊपर की तरफ कर दिए | फिर अपनी टांगे फंसा कर उसकी टांगे फ़ैलाने |
जितेश ने अपने तने लंड को पकड़ कर उस पर हाथ दो-चार बार आगे पीछे किया और उसकी खाल को खींचकर पीछे कर दिया था | जितेश ने अपने लंड से रीमा की चूत की दरार और दाने पर दो चार बार रगडा, जिससे रीमा की चूत के ओंठ दोनों तरफ को फ़ैल गए | फिर जितेश ने अपने लंड के फूले लाल सुपाडे को रीमा की चूत के गुलाबी ओंठो के बीच सटा दिया | रीमा सिसक उठी | एक अनजान मर्द का मोटा लंड उसके जिस्म के सबसे नाजुक हिस्से को चीरने जा रहा था | नहीं ये कैसे हो सकता है |
जितेश के तने लंड के सुपाडे का अगला सिरा रीमा की गुलाबी गरम चूत की नरम ओंठो को बस छुआ ही था कि तब तक रीमा प्रतिरोध करके जितेश को पीछे ठेलने लगी | जितेश को कुछ समझ नहीं आया, कहाँ वो रीमा की चूत पर लंड सटाकर उसे चोदने का अरमान पूरा करने जा रहा था यहाँ रीमा ने पूरा जोर लगाकर उसे पीछे धकेल दिया - नहीं ये नहीं हो सकता |
रीमा के इस बर्ताव से हैरान सा जितेश - क्या नहीं हो सकता |
रीमा वासना के नशे में उलझन से भरी हुई - मै तुम्हे ये नहीं करने दे सकती |
जितेश झुन्झुलाता हुआ - क्या नहीं करने दे सकती क्या नहीं हो सकता ?
रीमा - नहीं जितेश ये सही नहीं है |
जितेश - क्या हुआ कुछ बोलोगी भी, अभी तो ख़ुशी खुसी जांघे फैलाकर लेट गयी थी |
रीमा - मै आवेश में बह गयी थी लेकिन ये गलत है |
जितेश - क्या गलत है कुछ खुलकर बताओगी |
रीमा - तुम मुझे नहीं चोद सकते |
जितेश झुंझलाता हुआ - ठीक है नहीं चोदुंगा तुम्हे लेकिन हुआ क्या ये तो बता दो , आखिर मेरी गलती क्या है ?
रीमा - तुम्हे अहसास है चूत औरत के जिंदगी का कितना अहम् हिस्सा होती है | चूत की औरत की जिंदगी के क्या कीमत है | उसकी चूत से उसका पूरा अस्तित्व इज्जत भविष्य पूरी जिंदगी जुडी होती है |
जितेश - हाँ इतना जानता हूँ मै |
रीमा - तो तुम्हे ये भी मालूम होगा, जब औरत अपना जिस्म किसी को सौपती है तो कितना भरोसा करती होगी |
जितेश - आगे बोलो |
रीमा - मेरी जिंदगी की सबसे खास चीज मै तुम्हे नहीं लुटने दे सकती | ये चूत ही तो है जिसके कारन सर उठाकर सम्मान से जीती हूँ | वो तुम लूट लोगे फिर मेरे पास क्या रह जायेगा गर्व करने के लिए |
जितेश - मतलब ?
रीमा - हर औरत का गहना होती है ये चूत | इस गहने को औरत तभी उतारती है जब कोई उसकी जिंदगी का गहना बनने को तैयार हो जाये | जब औरत चुदती है तो उसका चाहने वाला या उसका पति उसका गहना बन जाता है | जिस पर वह गर्व करती है फूली नहीं समाती | कम से कम मन में संतोष तो रहता है उसकी चूत न सही उसको लूटने वाला तो उस पर जान छिडकता है | जिसको उसने अपना जिस्म सौपा है वो हर पल उसका साया बनकर उसके साथ रहेगा | उसकी अपनी से ज्यादा चाहेगा और उसके सुख के लिए खुद सारे दुःख उठाएगा |
जितेश चूत रहा और रीमा की बात को समझने की कोशिश करने लगा |
रीमा - खामोश क्यों हो, न तो तुम मेरे आशिक हो , न चाहने वाले हो, मुझे चोदकर मेरा सब कुछ लूट लोगे बदले में मुझे क्या मिलेगा, तुमारे महाशय की पिचकारी का जूस |
जितेश को अभी भी समझ नहीं आय लेकिन ख़ामोशी गलत दिशा में जा सकटी थी - क्या चाहती हो ये भी बता दो |
रीमा - मै कोई रंडी नहीं हूँ, न मै छिनार हूँ जो हर जगह मुहँ काला करवाती फिरू | मै माडर्न हूँ लेकिन इतनी भी नहीं की कही भी किसी से चुदवाती फिरू |
जितेश - फिर वो गार्ड के साथ वाला किस्सा |
रीमा - क्या करती मै, सड़ती रहती सूर्यदेव के चंगुल में | वैसे भी उसने पीछे लंड घुसेड़ा था |
जितेश - वो तो अब समझ में आया पीछे करवाने में प्रॉब्लम नहीं है, चूत चुदवाने में ईगो हर्ट हो रहा है, तुमारी ऐसी की तैसी |
इतना कहकर वो रीमा की तरफ लपका और झपट्टा मार कर रीमा को बाहों में जकड लिया |
रीमा उसकी सख्त मजबूत बांहों में कसमसाने लगी - छोड़ो मुझे |
जितेश - छोड़ो नहीं चोदो मुझे कहना चाहिए |
रीमा - नहीं जितेश तुम ऐसा नहीं कर सकते |
जितेश - इस समय तुम मेरे रहमोकरम पर हो और मै कुछ भी कर सकता हूँ |
रीमा उसके चंगुल से खुद को छुड़ाती हुई - तुम मेरा रेप करोगे |
जितेश भी उसे सख्ती से जकड़ते हुए - अगर नहीं मानी तो सख्ती तो करनी पड़ेगी न |
रीमा - तुम तो बेहद शरीफ इंसान हो तुम ऐसा कैसे कर सकते हो |
जितेश - जब शरीफ इंसानों का लंड खड़ा होता है तो उनकी शराफत भी लंड पर आ जाती है |
रीमा - नहीं प्लीज ऐसा मत करो |
जितेश ने रीमा को बेड पर पटक दिया और उस पर आकर छा गया | उसके इक हाथ से रीमा के दोनों हाथ पकड़कर ऊपर की तरफ कर दिए | फिर अपनी टांगे फंसा कर उसकी टांगे फ़ैलाने |