desiaks
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रीमा - चोदो न और कसकर चोद अपनी बेबी को |
जितेश अब अपनी वासना के चरम पर था | इस समय उसके दिमाग में सिर्फ रीमा की चूत और चुदाई ही भरी थी |
जितेश - चोद तो रहा हूँ बहन की लौड़ी |
रीमा ने जो सुना वो उसके लिए हैरान करने वाला था लेकिन उसे हैरानी इस बात की ज्यादा थी की उसे बिलकुल भी बुला नहीं लगा | वो भी तो चुदाई की उसी रौ में थी | उसके मुहँ से भी गालियां निकलने लगी |
रीमा - क्या चोद रहा, कूट न मेरी इस मुई गुलाबी चूत को अपने मुसल लंड से बहन के लौड़े |
जितेश - साली छिनार, कितनी चुदास भरी है तेरे अन्दर | ये ले | इतना कहकर उसने पूरा लंड रीमा की चूत पर दे मारा | रीमा सिसक कर रह गयी |
रीमा - आआआआआआआआह्हाँहीईईईईईईईईईइ माआआआ हाँ हाँ मादरचोद ऐसे चोद न, चूत खोर साले, चुदाई से जब तक बच्चेदानी न दुखने लगे, चुदाई कैसी भोसड़ी के |
जितेश - ये ले साली छिनार लंड खोर कुतिया, आज तेरी चूत फाड़ कर ही दम लूँगा |
जितेश भी पुरे जोश में था और रीमा भी | दोनों ही अपने अन्दर जल रही आग का लावा बाहर निकालने में रमे हुए थे | रीमा की चूत लगातार झर रही थी वो इतनी भीषण ठोकरों के बीच कितनी बार कांपी अब तो उसे याद भी नहीं |
रीमा - तो फाड़ न मेरी चूत रंडीबाज, बुरचोद, चीर दे फाड़ दे और अपनी मलाई से भर दे मेरी चूत को |
जितेश - ये ले तू भी क्या या रखेगी बुरचोदी किस लंड से पाला पड़ा था |
रीमा - मुहँ से ही सारी मर्दानगी दिखायेगा या कुछ लंड से भी करेगा |
जितेश - तू सच में एक नंबर की लंड खोर चूत है ऐसे नहीं मानेगी |
जितेश के बेतहाशा ठोकरों से रीमा का जिस्म थरथराने लगा | रीमा जितेश के बाहों में बस हिलती मांस के जिस्म की तरह रह गयी | जितेश के चरम की ठोकरे न केवल भीषण थी बल्कि दर्दनाक भी |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ मामममाआआआआअ रीईईईईई चोचोचोचोचोचोचोदददददददददददददददद रंडी की औलाद और जोर से चोद चीचीचीचीचीरररर डाल फाड़ डाल मेरी चूत |
जितेश - हूऊह्ह्हहं ये ले घोट मेरा लंड, तेरी चूत फाड़ दूंगा साली चुद्दकड़ लंड खोर कुतिया |
जितेश की दनादन ठोकरों ने रीमा की तो जैसे जान निकाल दी | रीमा को हर ठोकर के साथ जितेश की अथाह ताकत का अहसास हो रहा था | अब ये सोचने का वक्त नहीं था | बस अपने चरम पर पहुचने का पागलपन था, हवस की जलती आग को मिटाने की सनक थी |
रीमा - हाँ मोरे राजा हाँ मोरे राजा और जोर से और जोर से आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ रेरेरेरेर्रे हाँ हाँ हाँ और आआअह्ह ऊऊऊह्ह्ह यस यस यस यस बेबी यस बेबी हाँ हाँ यस बेबी हाँ हाँ आआअह्ह यस बेबी हाँ हाँ आआअह्ह आआअह्ह आआअह्ह यस बेबी हाँ हाँ |
आखिर हर चीज का अंत होता है इस चुदाई का भी होना था | जितेश अब काफी देर तक रीमा को चोदते चोदते अपने चरम पर पहुंचने वाला था | इसी बीच में रीमा तीन चार बार अपना पानी बहा चुकी थी | आखिरकार वो घड़ी आ गई जब जितेश की वासना का बांध भी टूट गया और जितेश ने अपने लंड से पिचकारी छोड़ने शुरू कर दी | रीमा ने उसे कस कर जकड़ लिया और उसकी चूतड़ों के ऊपर अपनी जांघो का कसा घेरा बना दिया था | रीमा की चूत की गहराइयों में जितेश की पिचकारिया छूटने लगी थी | जितेश के जिस्म से निकला सफ़ेद लावे का लंड रस फुहारे बनकर हवस की आग में जलती रीमा की गुलाबी चूत में बरसने लगा | रीमाँ को ऐसा लगा जैसे प्यासी धरती को पानी पिलाने खुद मेघ आ गए हो | वो जितेश के लंड से अपनी चूत की गहराई में निकल रही सफ़ेद फुहारे से अपने अंतर्मन को भिगोकर उसकी प्यास मिटाती रही | आखिर उसकी लालसाओ की ये परिणिति होगी उसने कभी नहीं सोचा था | बस कुछ दिनों में ही जितेश एक अजनबी से उसके जीवन का सबसे खास मर्द बन गया था | जिसके साथ उसने अपने जीवन का सबसे अन्तरंग पल जी लिया | एक मर्द और औरत के रिश्ते का सबसे निजी और अन्तरंग पल | जब मर्द अपने जिस्म में मथ रहे लावे की फुहारे औरत की चूत की गहराइयों में उतारता है तो मर्द और औरत दोनों उस पल एक एकाकी हो जाते है | उसके अस्तित्व का भेद मिट जाता है | ये संसर्ग का वो पल होता है जब सब बडो को मिटाकर मर्द और औरत एक सा अनुभव करते है | रीमा और जितेश भी इस पल से गुजर रहे थे |
जितेश भी चरम सुख के इस स्वर्गीय अनुभव में मादक रूप से कराह रहा था | उसके जिस्म में लगी आग का और उसे बुझाने के लिए किये गए वासना मंथन का रस निचुड़ कर रीमा की चूत में झर रहा था |
जितेश अब अपनी वासना के चरम पर था | इस समय उसके दिमाग में सिर्फ रीमा की चूत और चुदाई ही भरी थी |
जितेश - चोद तो रहा हूँ बहन की लौड़ी |
रीमा ने जो सुना वो उसके लिए हैरान करने वाला था लेकिन उसे हैरानी इस बात की ज्यादा थी की उसे बिलकुल भी बुला नहीं लगा | वो भी तो चुदाई की उसी रौ में थी | उसके मुहँ से भी गालियां निकलने लगी |
रीमा - क्या चोद रहा, कूट न मेरी इस मुई गुलाबी चूत को अपने मुसल लंड से बहन के लौड़े |
जितेश - साली छिनार, कितनी चुदास भरी है तेरे अन्दर | ये ले | इतना कहकर उसने पूरा लंड रीमा की चूत पर दे मारा | रीमा सिसक कर रह गयी |
रीमा - आआआआआआआआह्हाँहीईईईईईईईईईइ माआआआ हाँ हाँ मादरचोद ऐसे चोद न, चूत खोर साले, चुदाई से जब तक बच्चेदानी न दुखने लगे, चुदाई कैसी भोसड़ी के |
जितेश - ये ले साली छिनार लंड खोर कुतिया, आज तेरी चूत फाड़ कर ही दम लूँगा |
जितेश भी पुरे जोश में था और रीमा भी | दोनों ही अपने अन्दर जल रही आग का लावा बाहर निकालने में रमे हुए थे | रीमा की चूत लगातार झर रही थी वो इतनी भीषण ठोकरों के बीच कितनी बार कांपी अब तो उसे याद भी नहीं |
रीमा - तो फाड़ न मेरी चूत रंडीबाज, बुरचोद, चीर दे फाड़ दे और अपनी मलाई से भर दे मेरी चूत को |
जितेश - ये ले तू भी क्या या रखेगी बुरचोदी किस लंड से पाला पड़ा था |
रीमा - मुहँ से ही सारी मर्दानगी दिखायेगा या कुछ लंड से भी करेगा |
जितेश - तू सच में एक नंबर की लंड खोर चूत है ऐसे नहीं मानेगी |
जितेश के बेतहाशा ठोकरों से रीमा का जिस्म थरथराने लगा | रीमा जितेश के बाहों में बस हिलती मांस के जिस्म की तरह रह गयी | जितेश के चरम की ठोकरे न केवल भीषण थी बल्कि दर्दनाक भी |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ मामममाआआआआअ रीईईईईई चोचोचोचोचोचोचोदददददददददददददददद रंडी की औलाद और जोर से चोद चीचीचीचीचीरररर डाल फाड़ डाल मेरी चूत |
जितेश - हूऊह्ह्हहं ये ले घोट मेरा लंड, तेरी चूत फाड़ दूंगा साली चुद्दकड़ लंड खोर कुतिया |
जितेश की दनादन ठोकरों ने रीमा की तो जैसे जान निकाल दी | रीमा को हर ठोकर के साथ जितेश की अथाह ताकत का अहसास हो रहा था | अब ये सोचने का वक्त नहीं था | बस अपने चरम पर पहुचने का पागलपन था, हवस की जलती आग को मिटाने की सनक थी |
रीमा - हाँ मोरे राजा हाँ मोरे राजा और जोर से और जोर से आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ रेरेरेरेर्रे हाँ हाँ हाँ और आआअह्ह ऊऊऊह्ह्ह यस यस यस यस बेबी यस बेबी हाँ हाँ यस बेबी हाँ हाँ आआअह्ह यस बेबी हाँ हाँ आआअह्ह आआअह्ह आआअह्ह यस बेबी हाँ हाँ |
आखिर हर चीज का अंत होता है इस चुदाई का भी होना था | जितेश अब काफी देर तक रीमा को चोदते चोदते अपने चरम पर पहुंचने वाला था | इसी बीच में रीमा तीन चार बार अपना पानी बहा चुकी थी | आखिरकार वो घड़ी आ गई जब जितेश की वासना का बांध भी टूट गया और जितेश ने अपने लंड से पिचकारी छोड़ने शुरू कर दी | रीमा ने उसे कस कर जकड़ लिया और उसकी चूतड़ों के ऊपर अपनी जांघो का कसा घेरा बना दिया था | रीमा की चूत की गहराइयों में जितेश की पिचकारिया छूटने लगी थी | जितेश के जिस्म से निकला सफ़ेद लावे का लंड रस फुहारे बनकर हवस की आग में जलती रीमा की गुलाबी चूत में बरसने लगा | रीमाँ को ऐसा लगा जैसे प्यासी धरती को पानी पिलाने खुद मेघ आ गए हो | वो जितेश के लंड से अपनी चूत की गहराई में निकल रही सफ़ेद फुहारे से अपने अंतर्मन को भिगोकर उसकी प्यास मिटाती रही | आखिर उसकी लालसाओ की ये परिणिति होगी उसने कभी नहीं सोचा था | बस कुछ दिनों में ही जितेश एक अजनबी से उसके जीवन का सबसे खास मर्द बन गया था | जिसके साथ उसने अपने जीवन का सबसे अन्तरंग पल जी लिया | एक मर्द और औरत के रिश्ते का सबसे निजी और अन्तरंग पल | जब मर्द अपने जिस्म में मथ रहे लावे की फुहारे औरत की चूत की गहराइयों में उतारता है तो मर्द और औरत दोनों उस पल एक एकाकी हो जाते है | उसके अस्तित्व का भेद मिट जाता है | ये संसर्ग का वो पल होता है जब सब बडो को मिटाकर मर्द और औरत एक सा अनुभव करते है | रीमा और जितेश भी इस पल से गुजर रहे थे |
जितेश भी चरम सुख के इस स्वर्गीय अनुभव में मादक रूप से कराह रहा था | उसके जिस्म में लगी आग का और उसे बुझाने के लिए किये गए वासना मंथन का रस निचुड़ कर रीमा की चूत में झर रहा था |