desiaks
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दो मुसल लंड और दोनों गहराई तक रीमा के जिस्म में............ सच में यही था रीमा के दोनों अंतर पूरी तरह से भरे हुए थे | फनफनाता फूलता लंड आखिर किधर जाये | उसके उसी गहरी संकरी सुरंग को चीर कर अपना सफ़र तय करना था | ये सफ़र गिरधारी के लिए भी आसन नहीं था | लेकिन रीमाँ के लिये बेहद तकलीफदेह था | वो तड़प रही थी बिलख रही थी हाथ पैर पटक रही थी लेकिन रीमा ये तकलीफ सह भी रही थी, इतना सब होने के बावजूद उसे पता था न तो वो दोनों उसकी संकरी सुरंगों से लंड निकालने वाले है और न ही वो इसके लिए कहने वाली है | इसी दर्द तड़प से अपनी अनंत वासनाओं के ख्वाबो को पूरा कर रही थी | भले ही उसकी कीमत कुछ भी क्यों न हो | गिरधारी ने रीमा ही गांड में जड़ तक् लंड धंसाने के बाद ऊपर तक खीच लिया और फिर से उसके चुताड़ो पर भीषण ठोकर मारी | रीमा की आँखों में पानी की धार निकल आई | गिरधारी दे दनादन रीमा के पिछले छेद की संकरी गुलाबी सुरंग को चीर कर अपने लंड को सटासट उसमे पेलने लगा |
वो पूरा लंड बाहर खीच रहा था उअर पूरा लंड फिर से गांड में पेल रहा था | उसकी जोरदार ठोकरों से रीमा के मांसल चूतड़ और जांघे थलर थलर कर उछाल रहे थे | रीमा दर्द की घनघोर पीड़ा में अपनो मुठियाँ भीचे किसी तरह से उस भीषण गांड ठुकाई का दर्द बर्दाश्त कर रही थी | स्थिर होने के बावजूद गिरधारी की ठोकरों से जितेश का लंड अपने आप ही रीमा की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था |
गिरधारी की कमर रीमा की उठे हुए भरी भरकम मांसल चुताड़ो पर बार बार कसकर ठोकरे मार रही थी | उसका लंड सटासट रीमा की पिछवाड़े में गायब हो जा रहा था | रीमा की गांड का छल्ला अपनी पूरी सख्ती से लंड के चारो तरफ घेरा बनाये हुए था | रीमा जमकर चुद रही थी घनघोर तरीके से चुद रही थी उसने तो सोचा भी नहीं था ऐसे चुद रही थी | दो दो लंडो की जबरदस्त ठोकरों उसके पुरे बदन को हिलाए पड़ी थी | उसके अंतरों को चीर के रखे दे रही थी रीमा दर्द से छटपटा रही थी, बिलबिला रही थी कराह रही आंखे मूंदे मुठ्ठियाँ भींचे दर्द को बर्दाश्त कर रही थी | वो दर्द जो शायद उसकी वासना की आग पर कुछ पानी डाल सके | दो मर्द, एक औरत | दो मोटे मुसल लंड और एक कमसिन कोमल नाजुक चूत | आखिर कार दुसरे लंड ने अपना रास्ता ढूंढ ही लिया |
ऐसा नहीं था की रीमा के छेद फैले नहीं थे | सामान्य लंड होते तो शायद रीमा आराम से घोंट लेती | आखिर वो एक जवान भरी पूरी औरत थी | लेकिन उसकी गुलाबी मखमली सुरंगों के संकरे छेद थे ही इतने बड़े, वो जितना फ़ैल सकते थे वो फ़ैल चुके थे | आराम से कोई साधारण लंड उसमे सफ़र कर सकता था | जितेश और गिरधारी के मुसल मोटे लंडो के आगे रीमा के संकरे छेद अपने पूरी खिचाव में खुलने के बाद भी तंग ही रह जा रहे थे | उसके जांघो के बीच की चूत और चूतड़ घाटी की जगह कम पड़ गयी थी, इसीलिए उन लंड को अतिरिक्त दबाव लगाकर रीमा के मखमली छेदों को चीरना पड़ रहा था और यही रीमा की तकलीफ और तड़पने का कारन था | रीमा के गुलाबी छेदों के हिसाब से लंड ज्यादा हो बड़े और मोटे थे | एक कोमल सी औरत के जिस्म के दो संकरी सुरंगे | उन संकरी सुरंगों को फैलाकर उनकी गुलाबी मखमली कोमल दीवारों को चीरकर उनमे सरपर दौड़ते दो मर्दों के मोटे सख्त मुसल लंड |
रीमा का कराहना बिलखना जितेश से देखा नहीं जा रहा था | एक तरफ तो वो गिरधारी को भड़का कर रीमा को ज्यादा से ज्यादा तकलीफ देना चाहता था लेकिन रीमा के खूबसूरत मासूम दर्द भरे चेहरे को देखकर उसका अन्दर का दिल पसीज रहा था | वो रीमा की कराहों को अपने मुहँ में लेने लगा | उसने रीमा के ओंठो को खुद से कसकर सटा लिया और उसे चूमने लगा |
रीमा के जीवन का सबसे मुश्किल, सबसे कठिन सबसे तकलीफदेह लेकिन सबसे रोमाचक क्षण | उसके जिस्म के दो छेदों के संकरे मुहानों को चीर कर उनकी गुलाबी दीवारों को फैलाकर, उसके जिस्म में अन्दर तक धंसे हुए दो हाहाकारी लंड | ऐसा लग रहा था जैसे उसकी गांड और चूत के बीच का सारा पर्दा मिटाने को आतुर हो | हर धक्के के साथ न केवल दोनों उसके जिस्म के बाहर आपस में रगड़ खा रहे थे बल्कि अन्दर भी बस एक पतली गुलाबी परत के परदे से एक दुसरे को मसल रहे थे | अब तक जितेश बस रीमा की गुलाबी चूत के दोनों ओंठो को फैलाये हुए उसके मखमली सुरंग में अपना लंड घुसाए लेटा था | रीमा उसको बेतहाशा चूम रही थी | उसके हाथ रीमा की उन्नत नुकीली तनी हुए छातियो पर घूम रहे थे | गिरधारी रीमा के चुताड़ो को थाम उसके पिछवाड़े को कस कर बजाने में लगा था | गिरधारी के मुसल लंड से लगातार रगड़ खाकर रीमा की गांड की तीखी दर्द भरी जलन अब भीषण गर्माहट में बदल गयी थी, रीमा को अहसास हो रहा था एक मोटी मांस की गरम मीनार उसको चीर कर अन्दर जा रही है | इस दर्द का भी अपना मजा था, अपनी जवानी लुटाकर, रीमा उस दर्द को महसूस कर रही थी जिसे सिर्फ वही औरत महसूस कर सकती है जिसने ऐसा किया हो |
रीमा दर्द से कराहती हुई अब अपने होशो हवास में लौटने लगी थी | गिरधारी भी बुरी तरह से रीमा की गांड पेल के हांफने लगा था | वो अपनी उखड़ी सांसे काबू करने लगा | हालाकि उसका लंड अभी भी रीमा की संकरी गुलाबी गांड में सटासट आगे पीछे फिसल रह था | उसके लंड का सुपाडा अभी भी रीमा की गाड़ की गहराइयो में था और हफाने के कारन वो हलके हलके बस अपनी कमर हिला रहा था | रीमा को भी इसीलिए दम लेने का मौका मिल गया था वर्ना जब से गिरधारी ने लंड घुसेड़ा था उसका दर्द से बुरा हाल था | दो लंड की भीषण पेलाई से उसकी धड़कने वैसे भी अपने चरम को छु रही थी | इसीलिए जब गिरधारी थमा तो रीमा ने भी राहत की साँस ली | चूमा चाटी, सहलाना, मसलना चिकोटी काटना अब बस इसी सब का दौर चल रहा था | गिरधारी रीमा के मांसल नरम नरम गद्देदार चुताड़ो को मसल रहा था तो जितेश उसके स्तनों को मसल रहा था |
गिरधारी - आआआअह्हह्हह्हह्ह आपकी गाड़ बहुत कसी है मैडम और आपके चुताड़ो के क्या कहने, कितने नरम और चिकने है |
जितेश - साले जिस काम के लिए मैडम ने बोला है सिर्फ वो कर, उनकी गांड मार, चुताड़ो को हाथ भी मत लगाना |
गिरधारी रीमा के बड़े बड़े चुताड़ो को मसलता हुआ - बॉस तो मुझसे जलते है आआआह्ह क्या गद्देदार नरम चिकने चूतड़ है, मन कर रहा है इनकी तकिया बनाकर सो जाऊ | मैडम इतने चिकने गोरे नरम नरम चूतड़ कैसे रखती है, कौन सी क्रीम लगाती है |
रीमा - तुम्हे अच्छे लगे मेरे चिकने चूतड़ |
गिरधारी उन पर चपत लगता हुआ - तड़ाड़ाड़ाड़ाड़ाक |
रीमा - आआआआऊऊऊऊउचचचचचचचचचचचचचच ऐसा मत करो प्लीज|
गिरधारी - मजा आया |
रीमा - नहीं प्लीज ऐसा मत करो, चोट लगती है |
इससे पहले रीमा के चूतड़ पर फिर से गिरधारी स्लैप करता ..................... जितेश उसे लेकर दायी करवट लुढ़क गया | गिरधारी रीमा के पीछे आया और उसकी कसी संकरी गुलाबी गांड में अपना लंड घुसेड़ अपनी कमर हिलाने लगा | रीमा दो मर्दाने जिस्मो के बीच पिसने लगी | आगे से जितेश और पीछे से गिरधारी एक साथ रीमा की चूत और गांड में लंड पेलने लगे | कुछ पल की राहत फुर्र हो गयी रीमा फिर से अपनी गाड़ की जलन और दर्द से बेहाल होने लगी थी |
रीमा दर्द और कराहों से फिर सिसकने लगी | दोनों तरफ से मुसल लंडो का रीमा के गुलाबी गोरे जिस्म में घुसना बदस्तूर जारी था | रीमा दर्द से सिसक रही थी, दो तरफ़ा ठोकरों से कांप रही थी और पूरी तरह अपने नियंत्रण से बाहर थी |
जितेश ने उसका ध्यान बटाने के लिए उसके कड़े तने हुए निप्पलो को कसकर मसलने लगा | रीमा इस मसलन से चिंहुक उठी | पहले ही क्या कम तकलीफ से गुजर रही जो जितेश और ज्यादा दर्द देने लगा | वो इस नए दर्द से और तेजी से कराहने लगी |
रीमा - आआआआआआआआआआआअऊऊऊऊऊऊऊचचचचचचचचच सिसिसिसिसीईईईईईईईईईईईईईईइ |
जितेश - क्या हुआ |
रीमा - मुझे तकलीफ देने में बड़ा मजा आता है |
जितेश - ये सवाल खुद से पूछो तो बेहतर है |
रीमा - तुम सब मर्द एक जैसे होते हो | औरत को नोचना खसोटना और दर्द देना जानते हो बस .... कुछ नहीं जानते तो वो है प्यार करना |
जितेश - अच्छा अब इसमें भी हमारी गलती है |
रीमा - और नहीं तो क्या, तुमारे इशारे पर ही तो उसने मेरा कचूमर निकाल दिया |
जितेश - मै तो वही कर रहा था जो तुमने कहा था |
रीमा - क्या कहा था मैंने |
जितेश - कितना भी चीखू चिल्लाऊ हाथ पैर पटकू अपनी एक्सप्रेस गाड़ी मत रोकना |
रीमा - कितने जालिम होते हो तुम मर्द, औरत को दर्द देकर कितना खुश होते हो | जरा भी तरस नहीं आया मुझ पर कितना चीख चिल्ला रही थी | कितना दर्द हो रहा था मुझे और तुम गिरधारी को भड़काने में लगे थे |
जितेश - मैंने क्या किया है, तुमारी गाड़ का भुर्ता तो उसके लंड ने बनाया है |
रीमा - मुझे सब पता है तुम्ही उसे उकसा रहे थे |
वो पूरा लंड बाहर खीच रहा था उअर पूरा लंड फिर से गांड में पेल रहा था | उसकी जोरदार ठोकरों से रीमा के मांसल चूतड़ और जांघे थलर थलर कर उछाल रहे थे | रीमा दर्द की घनघोर पीड़ा में अपनो मुठियाँ भीचे किसी तरह से उस भीषण गांड ठुकाई का दर्द बर्दाश्त कर रही थी | स्थिर होने के बावजूद गिरधारी की ठोकरों से जितेश का लंड अपने आप ही रीमा की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था |
गिरधारी की कमर रीमा की उठे हुए भरी भरकम मांसल चुताड़ो पर बार बार कसकर ठोकरे मार रही थी | उसका लंड सटासट रीमा की पिछवाड़े में गायब हो जा रहा था | रीमा की गांड का छल्ला अपनी पूरी सख्ती से लंड के चारो तरफ घेरा बनाये हुए था | रीमा जमकर चुद रही थी घनघोर तरीके से चुद रही थी उसने तो सोचा भी नहीं था ऐसे चुद रही थी | दो दो लंडो की जबरदस्त ठोकरों उसके पुरे बदन को हिलाए पड़ी थी | उसके अंतरों को चीर के रखे दे रही थी रीमा दर्द से छटपटा रही थी, बिलबिला रही थी कराह रही आंखे मूंदे मुठ्ठियाँ भींचे दर्द को बर्दाश्त कर रही थी | वो दर्द जो शायद उसकी वासना की आग पर कुछ पानी डाल सके | दो मर्द, एक औरत | दो मोटे मुसल लंड और एक कमसिन कोमल नाजुक चूत | आखिर कार दुसरे लंड ने अपना रास्ता ढूंढ ही लिया |
ऐसा नहीं था की रीमा के छेद फैले नहीं थे | सामान्य लंड होते तो शायद रीमा आराम से घोंट लेती | आखिर वो एक जवान भरी पूरी औरत थी | लेकिन उसकी गुलाबी मखमली सुरंगों के संकरे छेद थे ही इतने बड़े, वो जितना फ़ैल सकते थे वो फ़ैल चुके थे | आराम से कोई साधारण लंड उसमे सफ़र कर सकता था | जितेश और गिरधारी के मुसल मोटे लंडो के आगे रीमा के संकरे छेद अपने पूरी खिचाव में खुलने के बाद भी तंग ही रह जा रहे थे | उसके जांघो के बीच की चूत और चूतड़ घाटी की जगह कम पड़ गयी थी, इसीलिए उन लंड को अतिरिक्त दबाव लगाकर रीमा के मखमली छेदों को चीरना पड़ रहा था और यही रीमा की तकलीफ और तड़पने का कारन था | रीमा के गुलाबी छेदों के हिसाब से लंड ज्यादा हो बड़े और मोटे थे | एक कोमल सी औरत के जिस्म के दो संकरी सुरंगे | उन संकरी सुरंगों को फैलाकर उनकी गुलाबी मखमली कोमल दीवारों को चीरकर उनमे सरपर दौड़ते दो मर्दों के मोटे सख्त मुसल लंड |
रीमा का कराहना बिलखना जितेश से देखा नहीं जा रहा था | एक तरफ तो वो गिरधारी को भड़का कर रीमा को ज्यादा से ज्यादा तकलीफ देना चाहता था लेकिन रीमा के खूबसूरत मासूम दर्द भरे चेहरे को देखकर उसका अन्दर का दिल पसीज रहा था | वो रीमा की कराहों को अपने मुहँ में लेने लगा | उसने रीमा के ओंठो को खुद से कसकर सटा लिया और उसे चूमने लगा |
रीमा के जीवन का सबसे मुश्किल, सबसे कठिन सबसे तकलीफदेह लेकिन सबसे रोमाचक क्षण | उसके जिस्म के दो छेदों के संकरे मुहानों को चीर कर उनकी गुलाबी दीवारों को फैलाकर, उसके जिस्म में अन्दर तक धंसे हुए दो हाहाकारी लंड | ऐसा लग रहा था जैसे उसकी गांड और चूत के बीच का सारा पर्दा मिटाने को आतुर हो | हर धक्के के साथ न केवल दोनों उसके जिस्म के बाहर आपस में रगड़ खा रहे थे बल्कि अन्दर भी बस एक पतली गुलाबी परत के परदे से एक दुसरे को मसल रहे थे | अब तक जितेश बस रीमा की गुलाबी चूत के दोनों ओंठो को फैलाये हुए उसके मखमली सुरंग में अपना लंड घुसाए लेटा था | रीमा उसको बेतहाशा चूम रही थी | उसके हाथ रीमा की उन्नत नुकीली तनी हुए छातियो पर घूम रहे थे | गिरधारी रीमा के चुताड़ो को थाम उसके पिछवाड़े को कस कर बजाने में लगा था | गिरधारी के मुसल लंड से लगातार रगड़ खाकर रीमा की गांड की तीखी दर्द भरी जलन अब भीषण गर्माहट में बदल गयी थी, रीमा को अहसास हो रहा था एक मोटी मांस की गरम मीनार उसको चीर कर अन्दर जा रही है | इस दर्द का भी अपना मजा था, अपनी जवानी लुटाकर, रीमा उस दर्द को महसूस कर रही थी जिसे सिर्फ वही औरत महसूस कर सकती है जिसने ऐसा किया हो |
रीमा दर्द से कराहती हुई अब अपने होशो हवास में लौटने लगी थी | गिरधारी भी बुरी तरह से रीमा की गांड पेल के हांफने लगा था | वो अपनी उखड़ी सांसे काबू करने लगा | हालाकि उसका लंड अभी भी रीमा की संकरी गुलाबी गांड में सटासट आगे पीछे फिसल रह था | उसके लंड का सुपाडा अभी भी रीमा की गाड़ की गहराइयो में था और हफाने के कारन वो हलके हलके बस अपनी कमर हिला रहा था | रीमा को भी इसीलिए दम लेने का मौका मिल गया था वर्ना जब से गिरधारी ने लंड घुसेड़ा था उसका दर्द से बुरा हाल था | दो लंड की भीषण पेलाई से उसकी धड़कने वैसे भी अपने चरम को छु रही थी | इसीलिए जब गिरधारी थमा तो रीमा ने भी राहत की साँस ली | चूमा चाटी, सहलाना, मसलना चिकोटी काटना अब बस इसी सब का दौर चल रहा था | गिरधारी रीमा के मांसल नरम नरम गद्देदार चुताड़ो को मसल रहा था तो जितेश उसके स्तनों को मसल रहा था |
गिरधारी - आआआअह्हह्हह्हह्ह आपकी गाड़ बहुत कसी है मैडम और आपके चुताड़ो के क्या कहने, कितने नरम और चिकने है |
जितेश - साले जिस काम के लिए मैडम ने बोला है सिर्फ वो कर, उनकी गांड मार, चुताड़ो को हाथ भी मत लगाना |
गिरधारी रीमा के बड़े बड़े चुताड़ो को मसलता हुआ - बॉस तो मुझसे जलते है आआआह्ह क्या गद्देदार नरम चिकने चूतड़ है, मन कर रहा है इनकी तकिया बनाकर सो जाऊ | मैडम इतने चिकने गोरे नरम नरम चूतड़ कैसे रखती है, कौन सी क्रीम लगाती है |
रीमा - तुम्हे अच्छे लगे मेरे चिकने चूतड़ |
गिरधारी उन पर चपत लगता हुआ - तड़ाड़ाड़ाड़ाड़ाक |
रीमा - आआआआऊऊऊऊउचचचचचचचचचचचचचच ऐसा मत करो प्लीज|
गिरधारी - मजा आया |
रीमा - नहीं प्लीज ऐसा मत करो, चोट लगती है |
इससे पहले रीमा के चूतड़ पर फिर से गिरधारी स्लैप करता ..................... जितेश उसे लेकर दायी करवट लुढ़क गया | गिरधारी रीमा के पीछे आया और उसकी कसी संकरी गुलाबी गांड में अपना लंड घुसेड़ अपनी कमर हिलाने लगा | रीमा दो मर्दाने जिस्मो के बीच पिसने लगी | आगे से जितेश और पीछे से गिरधारी एक साथ रीमा की चूत और गांड में लंड पेलने लगे | कुछ पल की राहत फुर्र हो गयी रीमा फिर से अपनी गाड़ की जलन और दर्द से बेहाल होने लगी थी |
रीमा दर्द और कराहों से फिर सिसकने लगी | दोनों तरफ से मुसल लंडो का रीमा के गुलाबी गोरे जिस्म में घुसना बदस्तूर जारी था | रीमा दर्द से सिसक रही थी, दो तरफ़ा ठोकरों से कांप रही थी और पूरी तरह अपने नियंत्रण से बाहर थी |
जितेश ने उसका ध्यान बटाने के लिए उसके कड़े तने हुए निप्पलो को कसकर मसलने लगा | रीमा इस मसलन से चिंहुक उठी | पहले ही क्या कम तकलीफ से गुजर रही जो जितेश और ज्यादा दर्द देने लगा | वो इस नए दर्द से और तेजी से कराहने लगी |
रीमा - आआआआआआआआआआआअऊऊऊऊऊऊऊचचचचचचचचच सिसिसिसिसीईईईईईईईईईईईईईईइ |
जितेश - क्या हुआ |
रीमा - मुझे तकलीफ देने में बड़ा मजा आता है |
जितेश - ये सवाल खुद से पूछो तो बेहतर है |
रीमा - तुम सब मर्द एक जैसे होते हो | औरत को नोचना खसोटना और दर्द देना जानते हो बस .... कुछ नहीं जानते तो वो है प्यार करना |
जितेश - अच्छा अब इसमें भी हमारी गलती है |
रीमा - और नहीं तो क्या, तुमारे इशारे पर ही तो उसने मेरा कचूमर निकाल दिया |
जितेश - मै तो वही कर रहा था जो तुमने कहा था |
रीमा - क्या कहा था मैंने |
जितेश - कितना भी चीखू चिल्लाऊ हाथ पैर पटकू अपनी एक्सप्रेस गाड़ी मत रोकना |
रीमा - कितने जालिम होते हो तुम मर्द, औरत को दर्द देकर कितना खुश होते हो | जरा भी तरस नहीं आया मुझ पर कितना चीख चिल्ला रही थी | कितना दर्द हो रहा था मुझे और तुम गिरधारी को भड़काने में लगे थे |
जितेश - मैंने क्या किया है, तुमारी गाड़ का भुर्ता तो उसके लंड ने बनाया है |
रीमा - मुझे सब पता है तुम्ही उसे उकसा रहे थे |