desiaks
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पायल: “मुझे धोखे में रख तुमने मेरी मदद ही की थी, अब मैं जान चुकी हूँ तो मेरी मदद नहीं करोगी? मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती नहीं करुँगी, अगर तुम्हारा मन करे तो बाद मुझे इशारा कर देना और मैं अशोक को संभाल लुंगी. मैं चाहती हूँ कि तुम मेरे पति को रिचार्ज कर दो ताकि कुछ समय तक इसकी चार्ज बैटरी का मैं उपयोग कर सकू.”
तभी सामने से अशोक की गाड़ी आते हुए दिखाई दी. वो भी हमारे साथ आकर बैठ गया. हम लोग पानी में जाना चाहते थे पर अपने साथ कोई कपड़े नहीं लाया था. सब सुबह ही बेग में पैक कर दिए थे. हम नदी के किनारे पड़े पत्थरो पर बैठ गए.
अशोक: “बचपन में मैं तालाब में खूब नहाया हुआ हूँ, सारे कपडे खोल कर.”
डीपू: “तो अभी कौन रोक रहा हैं?”
अशोक: “अब बड़े हो गए हैं तो शरम आती हैं.”
डीपू: “हम चारो के अलावा कौन देख रहा हैं? कोई भी नहीं हैं यहाँ.”
अशोक: “अपनी बीवी और दोस्त के सामने तो नंगा हो सकता हूँ पर पायल के सामने!”
डीपू: “अभी थोड़ी देर पहले ही तो ना सिर्फ नंगे हुए बल्कि पायल को तुमने चो… समझे.”
पायल: “अशोक तुम्हारी इच्छा हैं तो जाओ पानी में मुझे कोई ऐतराज नहीं, अब कैसी शर्म.”
अशोक: “अकेले शर्म आएगी, डीपू तुम भी चलो. इसी बहाने अपना पाप भी धो लेंगे.”
डीपू: “ठीक हैं, वैसे भी पानी में भीगने में मजा आता हैं”.
अशोक और डीपू अपने सारे कपड़े किनारे पर उतार कर पानी में चले गए. घुटनो के ऊपर तक पानी था. वो वहा बैठ गए और पानी उछाल मजे लेने लगे. वो हम दोनों पत्नियों को भी बुला रहे थे पर हमारे पास भी अतिरिक्त कपड़े नहीं थे तो मना कर दिया.
अशोक: “अरे आ जाओ, पानी में मजा आ रहा हैं. जीन्स टीशर्ट निकाल कर, अंदर के कपड़ो में आ जाओ, कपड़े तो सुख जायेंगे.”
पायल: “नहीं, मेरी इच्छा नहीं हैं.”
मैं: “मेरे तो अभी तक थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा हैं, मैं नहीं आ सकती.”
डीपू: “फिर तो तुम्हे जरूर आना चाहिए. पानी के बहाव से एक मसाज जैसा फील होगा और तुम्हारा दर्द चला जायेगा. पानी के बहाव के विरुद्ध पाँव खोल कर बैठ जाना.”
मैं: “नहीं मेरे कपडे इतनी जल्दी नहीं सूखेंगे. मैं बाद में गीले कपडे नहीं पहन सकती.”
पायल: “अरे तो उतार कर आ जाओ ना, वो दोनों भी तो बैठे हैं ऐसे ही.”
मैं: “कैसी बातें कर रही हैं, वो लड़के हैं.”
डीपू: “कर दिया ना लड़को और लड़की में भेद.”
अशोक: “अरे अब छुपाने को क्या रखा हैं, कल से ही तो हम सब देख रहे हैं.”
मैं: “पायल तुम भी चलो, मुझे अकेले शरम आएगी.”
पायल: “अरे यहाँ ओर कौन हैं, वो दोनों भी तो नंगे हैं. तुम जाओ, मैं बाद में आ जाउंगी.”
इस दर्द के साथ शाम को लम्बा सफर करना मुश्किल होगा, ये सोच मैंने अंदर जाने का मन बना लिया. मैंने अपनी जीन्स और टीशर्ट उतार दिया. फिर एक एक करके अपना ब्रा और पैंटी भी निकाल कर दूसरे कपड़ो के साथ रख दिया.
अब मैं जलपरी की तरह धीरे धीरे पानी में उतरने लगी. दोनों मर्द मुझे मुँह फाड़ कर देख रहे थे और तरस रहे थे.
तभी सामने से अशोक की गाड़ी आते हुए दिखाई दी. वो भी हमारे साथ आकर बैठ गया. हम लोग पानी में जाना चाहते थे पर अपने साथ कोई कपड़े नहीं लाया था. सब सुबह ही बेग में पैक कर दिए थे. हम नदी के किनारे पड़े पत्थरो पर बैठ गए.
अशोक: “बचपन में मैं तालाब में खूब नहाया हुआ हूँ, सारे कपडे खोल कर.”
डीपू: “तो अभी कौन रोक रहा हैं?”
अशोक: “अब बड़े हो गए हैं तो शरम आती हैं.”
डीपू: “हम चारो के अलावा कौन देख रहा हैं? कोई भी नहीं हैं यहाँ.”
अशोक: “अपनी बीवी और दोस्त के सामने तो नंगा हो सकता हूँ पर पायल के सामने!”
डीपू: “अभी थोड़ी देर पहले ही तो ना सिर्फ नंगे हुए बल्कि पायल को तुमने चो… समझे.”
पायल: “अशोक तुम्हारी इच्छा हैं तो जाओ पानी में मुझे कोई ऐतराज नहीं, अब कैसी शर्म.”
अशोक: “अकेले शर्म आएगी, डीपू तुम भी चलो. इसी बहाने अपना पाप भी धो लेंगे.”
डीपू: “ठीक हैं, वैसे भी पानी में भीगने में मजा आता हैं”.
अशोक और डीपू अपने सारे कपड़े किनारे पर उतार कर पानी में चले गए. घुटनो के ऊपर तक पानी था. वो वहा बैठ गए और पानी उछाल मजे लेने लगे. वो हम दोनों पत्नियों को भी बुला रहे थे पर हमारे पास भी अतिरिक्त कपड़े नहीं थे तो मना कर दिया.
अशोक: “अरे आ जाओ, पानी में मजा आ रहा हैं. जीन्स टीशर्ट निकाल कर, अंदर के कपड़ो में आ जाओ, कपड़े तो सुख जायेंगे.”
पायल: “नहीं, मेरी इच्छा नहीं हैं.”
मैं: “मेरे तो अभी तक थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा हैं, मैं नहीं आ सकती.”
डीपू: “फिर तो तुम्हे जरूर आना चाहिए. पानी के बहाव से एक मसाज जैसा फील होगा और तुम्हारा दर्द चला जायेगा. पानी के बहाव के विरुद्ध पाँव खोल कर बैठ जाना.”
मैं: “नहीं मेरे कपडे इतनी जल्दी नहीं सूखेंगे. मैं बाद में गीले कपडे नहीं पहन सकती.”
पायल: “अरे तो उतार कर आ जाओ ना, वो दोनों भी तो बैठे हैं ऐसे ही.”
मैं: “कैसी बातें कर रही हैं, वो लड़के हैं.”
डीपू: “कर दिया ना लड़को और लड़की में भेद.”
अशोक: “अरे अब छुपाने को क्या रखा हैं, कल से ही तो हम सब देख रहे हैं.”
मैं: “पायल तुम भी चलो, मुझे अकेले शरम आएगी.”
पायल: “अरे यहाँ ओर कौन हैं, वो दोनों भी तो नंगे हैं. तुम जाओ, मैं बाद में आ जाउंगी.”
इस दर्द के साथ शाम को लम्बा सफर करना मुश्किल होगा, ये सोच मैंने अंदर जाने का मन बना लिया. मैंने अपनी जीन्स और टीशर्ट उतार दिया. फिर एक एक करके अपना ब्रा और पैंटी भी निकाल कर दूसरे कपड़ो के साथ रख दिया.
अब मैं जलपरी की तरह धीरे धीरे पानी में उतरने लगी. दोनों मर्द मुझे मुँह फाड़ कर देख रहे थे और तरस रहे थे.