desiaks
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अब पायल का मुँह छोटा सा हो गया. अब डरने की बारी उसकी थी. पर फिर कुछ सोच उसने स्वीकार कर लिया.
मैं अब बिस्तर के बीच जाकर लेट गयी और वो सफ़ेद कपड़ा ले कमर से जांघो तक ढक दिया. अशोक मेरे सिरहाने बैठ गए और डीपू मेरे पावो के पास.
पायल अपने बेग से दो फीते ले आयी और डीपू को बोली इसके दोनों पैर चौड़े कर टांगो को एक दूजे से दूर बिस्तर से बाँध देना ताकि हिल ना पाए.
अशोक: “टांग बांधने की क्या जरुरत हैं, वो तो वैसे भी तैयार हैं.”
पायल: “ये सब ज्यादा उकसाने के तरीके हैं और रूल के अंदर हैं.” पायल ने अब वो ढका कपड़ा मेरे ऊपर से हटा दिया.
पायल: “तुम तो बोल रही थी ना कि तुम बिना कपड़े से ढके करवाओगी. ये कपड़ा नहीं मिलेगा अब तुम्हे.”
फिर पायल ने मेरा एक हाथ सिरहाने लाकर बिस्तर पर दबा दिया और दूसरा हाथ अशोक से कह के बिस्तर पर दबवा लिया. पायल ने अब मेरे स्लीप शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिया.
मैं: “मसाज नीचे की हैं तो ऊपर के कपड़े क्यों खोलना?”
पायल: “ये तुम्हे तब याद नहीं आया जब मेरा टॉप खोला था.”
उसने मेरे सारे बटन खोल कर शर्ट को सीने और पेट से पूरा हटा कर साइड में कर दिया. थोड़ी देर पहले लेवल वन वाली ही स्तिथि हो गयी थी मेरी.
डीपू: “प्रतिमा अब मैं तुम्हारा शार्ट निकाल रहा हूँ.”
उसने कल रात की तरह एक बार फिर मेरे शार्ट में अपनी ऊँगली घुसाई और धीरे धीरे प्यार से शार्ट को नीचे खिसकाने लगा. फर्क सिर्फ इतना था कि आज मेरे पति और खुद की पत्नी की मौजूदगी में उतार रहा था. मैंने पैंटी अभी भी पहनी हुई थी.
डीपू: “अरे तुम्हारी भी पैंटी गीली हो गयी थी क्या?”
पायल और अशोक भी मेरा हाथ छोड़े बिना, थोड़ी देर के लिए झुक कर देखने लगे. मैं शरमा गयी, उसने सबके सामने बोल दिया, चुप भी तो रह सकता था.
डीपू ने अब अपनी उंगलिया मेरी पैंटी में फँसायी और मजे लेते हुए धीरे धीरे नीचे खिसकाने लगा. मेरे पति के सामने उनकी बीवी को उनका दोस्त नंगी कर रहा था. जैसे जैसे मेरी पैंटी नीचे खिसकी मेरी गोरी गोरी चिकनी सफाचट चूत नजर आती गयी.
मैंने पायल का चेहरा देखा, मेरी सफाई देख उसका चेहरा देखने लायक था. मुझे बहुत ख़ुशी मिली. फिर अगले ही क्षण सोचने लगी मेरे पति क्या सोच रहे होंगे. मैंने ही लेवल टू के लिए हामी भरी थी. अब अगर मैं उनके सामने डीपू के हाथों झड़ गयी तो?
डीपू ने अब मेरी पैंटी टांगो से पूरी निकाल दी थी. डीपू ने अब वो फीते उठाये जो पायल ने उसे मेरी टांग बाँधने को दिए थे और एक एक फीता दोनों एड़ियों के वहा बाँधने लगा.
अशोक: “तुम सही में टाँगे बाँधने वाले हो?”
डीपू: “हां, मैडम की फरमाइश हैं, पूरी करनी पड़ेगी.”
उसने अब मेरी एक टांग पकड़ी और थोड़ा साइड में ले जाकर फैला दिया और उस फीते को पलंग के कोने से बांध दिया. मैं अपनी दूसरी टांग को भी पहले वाली के साथ रखे रही ताकि टाँगे ना खुले.
अब उसने मेरी दूसरी टांग पकड़ी और दूसरी तरफ ले जाकर टांगो को फैला दिया और उसको भी बाँध दिया. मेरी दोनों टांगो के एक दूसरे से दूर फैलते ही मेरी चूत की दरार खुल गयी.
डीपू: “ठीक हैं ना पायल?”
पायल: “देखो छेद खुला कि नहीं, वरना ओर चौड़े करो इसके पाँव.”
डीपू: “आकर देख लो, खुल गया हैं छेद.”
उनकी बातें सुन मैं शरमा रही थी. मैं किसी से नजरे नहीं मिला पा रही थी और छत की तरफ देखने लगी. पता नहीं कैसे मैं इस मुसीबत फंस गयी. किस घडी में मैंने हां बोल दिया और मुझे पता ही नहीं चला था. डीपू मेरी कमर की बगल में आकर बैठ गया.
मैं अब बिस्तर के बीच जाकर लेट गयी और वो सफ़ेद कपड़ा ले कमर से जांघो तक ढक दिया. अशोक मेरे सिरहाने बैठ गए और डीपू मेरे पावो के पास.
पायल अपने बेग से दो फीते ले आयी और डीपू को बोली इसके दोनों पैर चौड़े कर टांगो को एक दूजे से दूर बिस्तर से बाँध देना ताकि हिल ना पाए.
अशोक: “टांग बांधने की क्या जरुरत हैं, वो तो वैसे भी तैयार हैं.”
पायल: “ये सब ज्यादा उकसाने के तरीके हैं और रूल के अंदर हैं.” पायल ने अब वो ढका कपड़ा मेरे ऊपर से हटा दिया.
पायल: “तुम तो बोल रही थी ना कि तुम बिना कपड़े से ढके करवाओगी. ये कपड़ा नहीं मिलेगा अब तुम्हे.”
फिर पायल ने मेरा एक हाथ सिरहाने लाकर बिस्तर पर दबा दिया और दूसरा हाथ अशोक से कह के बिस्तर पर दबवा लिया. पायल ने अब मेरे स्लीप शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिया.
मैं: “मसाज नीचे की हैं तो ऊपर के कपड़े क्यों खोलना?”
पायल: “ये तुम्हे तब याद नहीं आया जब मेरा टॉप खोला था.”
उसने मेरे सारे बटन खोल कर शर्ट को सीने और पेट से पूरा हटा कर साइड में कर दिया. थोड़ी देर पहले लेवल वन वाली ही स्तिथि हो गयी थी मेरी.
डीपू: “प्रतिमा अब मैं तुम्हारा शार्ट निकाल रहा हूँ.”
उसने कल रात की तरह एक बार फिर मेरे शार्ट में अपनी ऊँगली घुसाई और धीरे धीरे प्यार से शार्ट को नीचे खिसकाने लगा. फर्क सिर्फ इतना था कि आज मेरे पति और खुद की पत्नी की मौजूदगी में उतार रहा था. मैंने पैंटी अभी भी पहनी हुई थी.
डीपू: “अरे तुम्हारी भी पैंटी गीली हो गयी थी क्या?”
पायल और अशोक भी मेरा हाथ छोड़े बिना, थोड़ी देर के लिए झुक कर देखने लगे. मैं शरमा गयी, उसने सबके सामने बोल दिया, चुप भी तो रह सकता था.
डीपू ने अब अपनी उंगलिया मेरी पैंटी में फँसायी और मजे लेते हुए धीरे धीरे नीचे खिसकाने लगा. मेरे पति के सामने उनकी बीवी को उनका दोस्त नंगी कर रहा था. जैसे जैसे मेरी पैंटी नीचे खिसकी मेरी गोरी गोरी चिकनी सफाचट चूत नजर आती गयी.
मैंने पायल का चेहरा देखा, मेरी सफाई देख उसका चेहरा देखने लायक था. मुझे बहुत ख़ुशी मिली. फिर अगले ही क्षण सोचने लगी मेरे पति क्या सोच रहे होंगे. मैंने ही लेवल टू के लिए हामी भरी थी. अब अगर मैं उनके सामने डीपू के हाथों झड़ गयी तो?
डीपू ने अब मेरी पैंटी टांगो से पूरी निकाल दी थी. डीपू ने अब वो फीते उठाये जो पायल ने उसे मेरी टांग बाँधने को दिए थे और एक एक फीता दोनों एड़ियों के वहा बाँधने लगा.
अशोक: “तुम सही में टाँगे बाँधने वाले हो?”
डीपू: “हां, मैडम की फरमाइश हैं, पूरी करनी पड़ेगी.”
उसने अब मेरी एक टांग पकड़ी और थोड़ा साइड में ले जाकर फैला दिया और उस फीते को पलंग के कोने से बांध दिया. मैं अपनी दूसरी टांग को भी पहले वाली के साथ रखे रही ताकि टाँगे ना खुले.
अब उसने मेरी दूसरी टांग पकड़ी और दूसरी तरफ ले जाकर टांगो को फैला दिया और उसको भी बाँध दिया. मेरी दोनों टांगो के एक दूसरे से दूर फैलते ही मेरी चूत की दरार खुल गयी.
डीपू: “ठीक हैं ना पायल?”
पायल: “देखो छेद खुला कि नहीं, वरना ओर चौड़े करो इसके पाँव.”
डीपू: “आकर देख लो, खुल गया हैं छेद.”
उनकी बातें सुन मैं शरमा रही थी. मैं किसी से नजरे नहीं मिला पा रही थी और छत की तरफ देखने लगी. पता नहीं कैसे मैं इस मुसीबत फंस गयी. किस घडी में मैंने हां बोल दिया और मुझे पता ही नहीं चला था. डीपू मेरी कमर की बगल में आकर बैठ गया.