Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र - Page 9 - SexBaba
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Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र

मैंने अपने बिखरे कपडे उठाये और वो मुझे दूसरे कमरे में ले आया जहा, मैंने सुबह कपडे चेंज किये थे। आते वक़्त उसने उन लोगो को बैडरूम में बाहर से बंद कर दिया था।

अपने भाई के साथ करने का बहुत दुःख था मगर ग्रुप सेक्स का मजा लेने की ख़ुशी भी थी। मैंने जल्दी जल्दी अपने कपडे पहने और पहले जिस तरह आयी थी वैसे तैयार हो गयी।

तैयार होते होते मैं संजू को बहुत भला बुरा सुनाये जा रही थी, कि उसकी वजह से मुझे अपने भाई के साथ सोना पड़ा।

मेरे तैयार होते ही संजू हँसते हुए बोला “चिंता मत कर वो तेरा भाई अमित नहीं, ये बस डील डोल में तुम्हारे भाई जैसा दीखता हैं। इसका नाम कुछ ओर हैं, और इस घर का मालिक हैं। इसकी बीवी कुछ दिन के लिए बाहर गयी हुई हैं इसलिए हम यहाँ हैं, वरना हम किसी होटल में जाते।”

मैं संजू की तरफ आश्चर्य से देख रही थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था। अमित के कपडे वो नहीं थे जो सुबह भाई पहन कर गया था और आवाज में भी थोड़ा अंतर था।

जब मुझे अहसास हुआ उसने क्या बोला हैं, तो मैं ख़ुशी के मारे कूद कर उसकी गोद में उछल बैठ गयी और उसने भी मुझे लपक लिया।

मैंने उसको टाइट हग किया और फिर उसके होठों को अपने होठों में दबा एक थैंक यू किस भी किया।

उसने कहाँ “कभी कभी मजा दुगुना करने के लिए और उत्तेजना बढ़ाने के लिए झूठ भी बोलना पड़ता हैं। अब देखो तुम्हारी भाभी क्या इतने ज्यादा मजे ले पाती। कल रात को ही वो बोल रही थी कि उसको अपने पति के सामने कभी चुदवाने का बहुत मन हैं, तो मैंने नकली में ही सही उसकी इच्छा पूरी कर दी”।

उसने कहना जारी रखा “इस सब चक्कर में तुम पीस गयी पर उन दोनों आदमियों को तुम्हारे नखरो की वजह से मजा आ गया” ।

मैं उसकी गोद से उतरी, मेरे ऊपर से गुनाह का बोझ उतर गया था। मैंने उसको शिकायत की कि तुमने किसी भी ऐरे गेरे आदमी के साथ मुझे सुला दिया।

उसने कहा “मैंने तो तुम्हे बहुत बचाने की कोशिश की पर तुम हो ही इतनी सेक्सी कोई कण्ट्रोल कैसे करे। तुम्हारे लिए अपने भाई के साथ सोना बेटर था ये इस ऐरे गेरे के साथ? वैसे भी ये अच्छे घर का हैं, पहली बार अपनी बीवी के अलावा किसी ओर के साथ कर रहा था”।

उसने मुझको बोला “ग्रुप सेक्स में ऐसा होता हैं कि अनजान लोगो के साथ भी करना पड़ता हैं। तुम अब यहाँ से बिंदास निकलो तुमको अभी तक किसी ने पहचाना नहीं हैं।”

हम दोनों कमरे से बाहर निकले, बैडरूम के सामने से निकलते हुए अंदर से भाभी के चीखने चिल्लाने की आवाजे आ रही थी। हम दोनों एक दूसरे की तरफ देख कर हँसे।

संजू बोला “आज तुम्हारी भाभी की हम लोग मिलकर अच्छे से लेंगे।”

मैं घर से बाहर आ कर रिक्शा पकड़ अपने घर की तरफ निकल पड़ी। पुरे रास्ते मैं ये ही सोचती रही कि संजू ने जो पहले बोला था वो सच था या वो जो उसने आखिर में बोला।

घर पहुंचने के एक घंटे बाद भाभी भी थकी हारी लुकी पीटी घर पहुंची। उसके आधे घंटे बाद पति भी घर पहुंचे, उनमे थकान कम और संतुष्टि ज्यादा नजर आ रही थी।

शाम को भैया घर आये, हम तीनो ही चोरो की तरह उनसे अपना मुंह छुपाये फिर रहे थे। भैया हमेशा की तरह एक दम नार्मल बीहेव कर रहे थे। मुझे बिलकुल नहीं लगा कि दोपहर वाला अमित ये ही था।

हालांकि संजू चाहता तो मुझे और भाभी को एक्सपोज़ कर सकता था, पर जिस तरह मैं एक बुरी स्तिथि फंसी थी मैंने सोच लिया था कि मुझे संजू और इस तरह की परिस्थितियों से हमेशा दूर ही रहना हैं।

मैं ये आपके विवेक पर छोड़ती हूँ कि आपको क्या लगता हैं, संजू ने जो पहले कहा वो सच था या वो जो उसने बाद में कहा। मैंने उसके बाद वाले कथन को ही सच माना हैं।

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दोनों पति एक दूसरे की पत्नियों को पीठ पर मसाज करने के साथ साथ कपड़ों में ही उनकी गांड चोद रहे थे. मेरी सिसकियों और पायल की चीखो से कमरे का माहौल गरम हो चूका था.

बहुत देर तक ऐसे ही गरमा गरम मसाज चलती रही फिर वो दोनों मर्द रुक गए. हम दोनों बीविया लेटी रही क्योंकि हमारे कपड़े हमसे दूर थे. उन दोनों ने हमारे कपडे उठा के हमारे पास रखे.

डीपू : “हम लोग तेल के चिकने हाथ धोने बाथरूम में जा रहे हैं. तुम दोनों कपडे पहन लो तो आवाज लगा देना हम बाहर आ जायेंगे.”

उनके बाथरूम में जाते ही हम दोनों उठी और अपने कपडे पहनने लगी.

पायल : “देखो, तुम्हारी चुचीयां कैसे तनी हुई हैं. लगता हैं तुमको बहुत मजा आया हैं. आज तो तुम अशोक को छोड़ोगी नहीं.”

मैं: “कैसी गन्दी गन्दी बातें करती हो तुम. थोड़े बहुत तो संस्कार रखों. वो लोग अंदर से सुन लेंगे तो.”

पायल: “अरे हम सब शादी शुदा हैं, समझदार हैं. ऐसी बातें हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा?”

तभी बाथरूम से आवाज आयी कि क्या बाहर आ सकते हैं. हम लोग कपडे पहन चुके थे तो हां बोल दिया.

पायल: “तुम क्या संस्कारो की पीपड़ी बजा रही हो. संस्कार सिर्फ किताबों और टी वी पर दिखाते हैं. असल ज़िन्दगी में ऐसी परिस्थितियां आती हैं कि सारे संस्कार धरे रह जाते हैं.”

अशोक: “क्या सीरियस डिस्कशन चल रहा हैं? संस्कारो की क्या बातें हो रही हैं भाई?”

पायल: “मैं प्रतिमा को समझाने की कोशिश कर रही थी कि आजकल संस्कार सिर्फ बोलने की चीज़ हैं, असल ज़िन्दगी में लोग निभा नहीं पाते हैं”.

डीपू: “ये तो पर्सन तो पर्सन डिपेंड करता हैं और किस तरह की परिस्थितियां हैं. सब इच्छाशक्ति पर निर्भर हैं.”

अशोक: “बात तो सही हैं.”

मैं: “इंसान चाहे तो, कैसी भी परिस्थितियां हो, संस्कार निभा सकता हैं.”

पायल: “मैं नहीं मानती. मैं किसी को भी चेलेंज कर सकती हूँ.”

अशोक : “क्या बात हैं, माहौल गरम हैं. चेलेंज की बात हो रही हैं.”

पायल: “बोलो, संस्कार टेस्ट चेलेंज मंजूर हो तो”

मैं: “मुझे चेलेंज मंजूर हैं पर करना क्या हैं?”

पायल: “बहुत कठिन हैं, तुमसे नहीं हो पायेगा.”

मैं: “चेलेंज कभी आसान थोड़े ही होता हैं, तुम बताओ.”

पायल: “रहने दो, मुझे खुद को बताते हुए थोड़ी शर्म आ रही हैं.”

डीपू: “तुम लड़किया डरपोक होती हो.”

मैं: “एक्सक्यूज़ मी, क्या कहा तुमने?”

डीपू :”दिल पर मत लो, मैं तो बस ये कह रहा था कि लड़किया कुछ भी बोलने या कोई भी स्टेप लेने से पहले बहुत ज्यादा ही सोचती हैं”.

पायल : “अच्छा ठीक हैं, मैं थोड़ा अलग तरह से बताती हूँ. दो लेवल होंगे इस चेलेंज के. पहला थोड़ा कम कठिन, और दूसरा ज्यादा कठिन. दोनों लेवल में मसाज होगी और लड़की को कोशिश करनी हैं कि वो अपनी इच्छाशक्ति से अपनी शरीर की भूख या जरुरत को मन के नियंत्रण में रखें.”

अशोक: “साउंडस इंट्रेस्टिंग.”

मैं: “मसाज !! पर ये तो हम करवा ही चुके हैं, अब क्या बचा हैं.”

पायल: “सुनो ये वो वाली मसाज नहीं. पहले लेवल पर छाती की मसाज होगी. और दूसरे में योनी की.”

चारो चुप हो गए और थोड़ी देर के लिए एक सन्नाटा सा छा गया.

पायल: “हम दोनों ये चेलेंज लेंगे. देखते हैं कौन पूरा कर पाता हैं.”

मैं: “कैसा बेशर्म चेलेंज हैं.”

पायल: “मैंने पहले ही बोला था, चेलेंज कठिन होगा. हवाइयाँ उड़ गयी ना?”

मैं: “ठीक हैं, दोनों मर्दो को बाहर भेज दो, फिर तुम्हे जो मसाज देनी हो दे दो मुझे , मैं तैयार हूँ.”

पायल: “फिर चेलेंज कहा रहा. अपने पति के सामने ही मसाज लेना हैं और वो भी दूसरे किसी मर्द से. जैसा अभी थोड़ी देर पहले हो रहा था”

डीपू: “पायल, ये अब ज्यादा हो रहा हैं.”

अशोक: “सही कहा, नार्मल मसाज के लिए ही वो मना बोल रही थी तो ये तो बहुत मुश्किल हैं.”

पायल: “जिसको चेलेंज लेना हैं, उसको बोलने दो. बोलो प्रतिमा, चेलेंज मंजूर हैं?”
 
मेरे मुँह पे तो ताला लग गया था. ये सब लोग कही मिलकर मुझे फंसा तो नहीं रहे थे. जरूर इसमें इन तीनो की साजिश हैं. मैं अपने पति की मौजूदगी में कैसे अपने नाजुक अंग किसी अजनबी के सामने खोल दूँ. मैं तो शर्म से पानी में ही डूब मरू.

मैं: “कुछ ओर चेलेंज होता तो मैं ले लेती, पर ये नंगी होकर अपने अंग ओरो को दिखाना और दबवाना कैसा चेलेंज हैं.”

पायल: “चेलेंज मुश्किल हैं तो क्या हुआ, संस्कारो को संभालना भी कौनसा आसान हैं. तुम मना बोल रही हो तो इसका मतलब मैं ये समझू कि तुम फ़ैल रही.”

मैं: “तुम्हे जो मानना हैं वो मान लो, पर मैं ये टेस्ट नही दे सकती हैं.”

पायल: “मैंने ये चेलेंज दिया हैं तो शायद मुझे पहले ये टेस्ट देना होगा. कम से कम टेस्ट के लेवल वन की तो कोशिश मैं कर ही सकती हूँ.”

अशोक: “पायल ये तुम्हारे अकेले का फैसला नहीं हो सकता. तुम्हारे खुद के बाद तुम्हे अपने पति से पूछना होगा कि उसे कोई आपत्ति तो नहीं. फिर मुझे, और मेरे इसमें शामिल होने के लिए मुझे मेरी पत्नी की इजाजत लेनी होगी.”

डीपू: “अगर पायल ने फैसला कर लिया हैं तो मैं उसको रोकूंगा नहीं. मैं ही पहले कह रहा था कि लड़कियों में हिम्मत नहीं होती. अब इसने हिम्मत की हैं तो मैं रोड़ा नहीं बनूँगा. मेरी तरफ से हां हैं.”

अशोक: “अगर पायल के पति को कोई आपत्ति नहीं तो मैं भी तैयार हूँ, अगर प्रतिमा को कोई ऐतराज ना हो तो.”

मैंने तो दोपहर में ही उनको इससे काफी ज्यादा करते हुए देख लिया था, तो मेरे लिए तो उनकी ये मसाज कुछ भी नहीं थी. वैसे भी मेरी वजह से उनका ये मजा क्यों छूटे.

दोपहर में तो मैं अपने पति को डीपू के कहर से बचा रही थी, पर अब वो खुद ही तैयार था अपनी पत्नी को सौपने के लिए. इसलिए मैंने भी इजाजत दे दी. हम सब लोग बिस्तर पर आकर बैठ गए.

पायल: “एक टाइम निर्धारित कर लेते हैं. अगर इस समय अवधि तक मैं अपने आप पर नियंत्रण रख पायी तो इसका मतलब ये लेवल पार कर लिया.”

हम सब ने मिलकर 10 मिनट का समय निर्धारित किया.

पायल लेट गयी, और अशोक उसकी बगल में बैठ गए. मैं और डीपू पास में बैठे देखने लगे. अशोक ने आगे बढ़ कर पायल का टैंक टॉप ऊपर उठाना शुरू किया.

सीने से टॉप हटते ही उसके बड़े गोल मम्मे और उन पर गहरी गुलाबी लम्बी मोटी निप्पल थी. वहा का मौसम एकदम बदल गया.

किसी ने सोचा भी नहीं था कि हम यहाँ पहुंच जायेंगे कि दुसरो के सामने कोई नंगा हो अपने बदन का ये हिस्सा दिखायेगा.

डीपू को टाइमर की जिम्मेदारी दी गयी. जैसे ही अशोक ने पायल के मम्मो को छुआ टाइमर शुरू कर दिया गया. अशोक ने अपने हाथों से पायल के दोनों मम्मो को दबोचा और पायल की एक आह निकली.

अशोक: “तुम्हे दर्द तो नहीं हो रहा ना? इतना जोर से ठीक हैं ना?”

पायल: “दर्द नहीं हो रहा. दर्द होगा तभी तो चेलेंज पूरा होगा.”

अशोक अब उसके मम्मो को दबा कर थोड़ा खींचता और फिर छोड़ता. धीर धीरे वो अपना बल बढ़ा रहा था और ओर भी ज्यादा जोर से दबा कर छोड़ रहा था. जिससे पायल की उह आउच चालू हो गयी.

पांच मिनट तक ऐसे ही चलता रहा और अब वो ओर भी तड़पने लगी. वो अब आह्ह्ह्हह आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह की लंबी रट लगा रही थी.

पायल के मम्मे काफी बड़े थे और अशोक के हाथों में नहीं समा रहे थे. अशोक ने अपने दोनों हाथों से एक साथ उसके एक मम्मे को घेरा और दबा दिया. उसका निप्पल फुल कर ऊपर आ गया और निप्पल का ऊपरी हिस्सा और भी चौड़ा हो गया.

उसने पायल के मम्मे को ऊपर की तरफ उठा खींचना शुरू किया जिससे दर्द के मारे पायल चीख पड़ी. जैसे ही उसने मम्मे को छोड़ा वो नीचे जाकर पूरा फेल गया और दो बार ऊपर नीचे उछला. अशोक ने उसके दूसरे मम्मे के साथ भी यही किया.

मैने दोनों मर्दो को देखा, उनका लंड कपड़ो में ही खड़ा हो चूका था. आखिर के दो मिनटों में वो ऐसे तड़प रही थी जैसे मसाज ऊपर की नहीं, नीचे की करवा रही हो.

एक वक्त ऐसा लगने लगा जैसे वो अब झड़ ही जायेगी कि तभी डीपू का लगाया टाइमर बोल गया और अशोक ने पायल को छोड़ दिया.

पायल के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी. उसने चेलेंज पार कर लिया था. वह उठ कर बैठ गयी और टैंक टॉप नीचे कर अपने मम्मे ढक दिए. दोनों मर्द ताली बजा उसकी विजय का जश्न मना रहे थे तो मुझे भी ताली बजानी पड़ी.

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डीपू: “माय गॉड, बहुत हॉट मसाज थी. देख कर मेरी हालत ख़राब हो गयी तो तुम्हारा क्या हुआ होगा. हैट्स ऑफ पायल.”

अशोक: “वाकई इसके लिए बहुत हिम्मत चाहिए. बधाई हो पायल.”

पायल: “थैंक यू, मेरे से ज्यादा सहनशक्ति प्रतिमा के पास हैं. क्या बोलती हो प्रतिमा, तुम लोगी ये चेलेंज?”
 
मैं: “तुमने अच्छे से हैंडल किया पर मुझमे इतनी हिम्मत नहीं कि सबके सामने अपने कपडे खोल सकू.”

पायल: “तुम्हे एक छूट देते हैं, तुम अपने सीने पे एक कपडा ढक कर रखना.”

मैं: “उससे क्या होगा? मेरे सीने को तो कोई छुएगा ही ना?”

पायल: “छूट दे दी फिर भी मंजूर नहीं. तुम दरअसल डरती हो कि तुम चेलेंज हार जाओगी.”

मैं: “नहीं ऐसी बात नहीं हैं. मैं अंदर से बहुत मजबूत हूँ. मुझे एक बार बस अशोक से पूछना हैं.”

पायल: “चलो एक बार फिर से सभी की हामी पूछ लेते हैं. सबसे पहले प्रतिमा, तुम्हे चेलेंज लेना हैं तो सबसे पहले तुम बताओ. अशोक से हम बाद में पूछ लेंगे. अगर उसने ना बोला तो वैसे भी अपने आप पूरा ना हो ही जायेगा.”

मैं अब एक संकट में फंस गयी. मैं ये निर्णय पति पर छोड़ना चाहती थी ताकि मुझ पर दोष ना आये.

मैं: “मैं कभी हार नहीं मानती, सिर्फ इस कारण से मेरी तरफ से हां हैं”

पायल: “अशोक तुम बताओ, हां या ना?”

अशोक: “मैंने अभी अभी तुम्हारे साथ किया हैं तो अब अपने पर आयी हैं तो कैसे मना बोल दूँ. मेरी तरफ से प्रतिमा को इजाजत हैं ”

डीपू: “मैं मसाज देने को तैयार हूँ.”

पायल: “मैं तो पहले से तैयार हूँ. चलो शुरू करते हैं. अशोक तुम टाइमर सम्भालो.”

मैं अब बिस्तर पर लेट गयी और डीपू मेरी कमर के पास बैठा था. मेरे सर के दोनों तरफ पायल और अशोक थे.

पायल को मैंने कपडा लाने को कहा जिससे मैं अपना सीना ढक सकू. वो एक पतली सफ़ेद पारदर्शी चुनरी ले आयी. मुझे उसकी नीयत समझ आ गयी पर डूबते को तिनके का सहारा.

पायल ने वो चुनरी मेरे सीने पर ओढ़ा दी. उसमें से मेरा गुलाबी स्लीप शर्ट आसानी से दिख रहा था. वो चुनरी ज्यादा कुछ छिपा नहीं पाएगी ये मुझे पता था.

मेरे हाथ पैर कांप रहे थे. मैंने अपने दोनों हाथ अपने पेट पर रख अपने शर्ट को दबा रखा था, ताकि डीपू शर्ट को सिर्फ ऊपर से ही खोले, पुरा न खोले.

पायल ने मेरा हाथ पकड़ लिया, दुसरा हाथ अशोक को पकड़ने को कहा. उन दोनों ने मेरे हाथ को मेरे कान के नजदीक ला बिस्तर पर दबा दिया. डीपू का हाथ मेरी शर्ट की तरफ बढ़ा और नीचे से एक बटन खोला.

पहले बटन के बाद दूसरे बटन के लिए उसको चुनरी में हाथ डालना पड़ा. आगे क्या होने वाला था ये सोच डर के मारे मेरा पेट धक् धक् करने लगा. चौथा बटन खुलते ही मेरे मम्मे बीच से थोड़े दिखने लगे.

डीपू ने अब मेरे शर्ट के खुले दोनों हिस्सों को दूर करते हुए साइड में कर दिया. मेरी सांस तो जैसे रुक ही गयी. उन दोनों ने मेरा हाथ अब छोड़ दिया क्यों कि शर्ट खुल चूका था.

डीपू ने अपने हाथों पर तेल लगाया. पति टाइमर के साथ तैयार थे और तीन.. दो.. एक.. गो के साथ टाइमर चला दिया.

अब डीपू ने अपने दोनों हाथ सीधे रखते हुए चुनरी में घुसा कर हलके से मेरे मम्मो पर रख दबा दिया और हाथ ऊपर नीचे मज़ाक करने लगा.

उसको पता था कितना जोर लगाना हैं और कितना रगड़ना हैं. मेरी थोड़ी देर में ही सिसकियाँ छूटने लगी.

इतनी उत्तेजना के मारे तो मेरे सीने और पेट पर रोंगटे खड़े हो गए थे और चूंचीया खड़ी हो गयी थी. मम्मे फूल कर बड़े हो गए थे जो कि डीपू के हाथ में पुरे नहीं आ पा रहे थे. वो अब ऊपर नीचे, दाए बाए से हाथ लाते हुए मम्मो को दबोच रहा था.

इस हलचल से चुनरी भी थोड़ी हिल चुकी थी. मैं जितना हो सके अपने मुँह को बंद रखे आवाज दबा रही थी. फिर भी रह रह कर मेरे संघर्ष की आहें निकल रही थी.

पांच मिनट तक वो ऐसे ही मेरे मम्मो का मान मर्दन करता रहा. मैं जैसे तैसे सब सहन कर रही थी, पर रह रह कर मेरी सिसकिया जरूर निकल रही थी.

शायद पति के साथ होने से मैं डर के मारे उतना आनंद नहीं उठा पा रही थी. ये मेरे लिए अच्छा भी था. ज्यादा मजे लेती तो पति मेरे बारे में क्या सोचते.

पायल : “डीपू क्या कर रहे हो, मर्द बनो. कम से कम अशोक ने किया उतना अच्छा तो करो.”

डीपू की मर्दानगी को चोट पहुंची और उसने मेरे मम्मे ओर भी ताकत से दबोच लिए जैसे आम को निचोड़ कर जूस निकाल रहा हो.

उसके आघात को कम करने के लिए मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी कलाइयां पकड़ ली. पायल ने अशोक को बोला और दोनों ने फिर से मेरा हाथ पकड़ कर कान के पास ला दबा दिया.

मैं अब तड़पने लगी और तड़प कर चीखने लगी. पायल को मेरी चीखें सुन मजा आने लगा और वो डीपू को उत्साहित करने लगी.

पायल ने अब एक ओर बदमाशी की और अपने दूसरे हाथ से मेरे सीने पर रखी चुनरी निकाल फेंकी.

अब वो लोग मेरे मम्मो को निचुड़ते हुए साफ़ साफ़ देख पा रहे थे.

डीपू अब मेरी जांघो पर आकर बैठ गया. उसका कड़क लंड मेरी चूत को चुभ रहा था.

वो जानबूझ कर आगे पीछे हो, कपड़ो सहित मेरी चूत को ज्यादा चोद रहा था, जब कि उसको सिर्फ मेरे मम्मे दबाने थे. उससे बचने के लिए मैंने नाटक किया.

मैं: “डीपू धीरे करो, आउच मुझे बहुत दर्द हो रहा हैं. तुम बहुत जोर से दबा रहे हो. आई, उफ्फ माँ ”

डर के मारे डीपू ने अपनी पकड़ ढीली कर दी नीचे से लंड रगड़ना भी भूल गया.

पति ने बताया कि अब सिर्फ दो मिनट बचे हैं.
 
डीपू ने अब नई चाल चली. उसने अपना पुराना अनुभव इस्तेमाल किया और मेरे मम्मे छोड़ दिए और अपने दोनों हाथों की एक एक ऊँगली से मेरे तने हुए निप्पलों को दाए से बाए और बाए से दाए ठोकर मारने लगा, जैसे बिजली का स्विच बंद चालू कर रहा हो.

उसने अब ठोकर मारने की गति बढ़ा दी. मेरे निप्पल अब लगातार दाए बाए हो कर मुझे गुदगुदी कर रहे थे.

इससे मेरी हालत ओर ख़राब हो गयी. मेरे निप्पल फूल कर ओर मोटे हो गये. उसकी बाकी की मुड़ी हुई उंगलिया जब भी मेरे मम्मो के उभार को छूती मुझे अहसास होता कि मेरे मम्मो के उभार कुछ ज्यादा ही कठोर हो गए थे.

इतना कठोर कि वहां से स्किन खींचने लगी थी. मेरे मम्मे छाती फाड़ कर बाहर आने को उतारू थे.

मेरी पैंटी काफी गीली हो चुकी थी. मुझे लगा अब तो मुझे झड़ने से कोई नहीं रोक सकता, और पायल के सामने मैं चेलेंज हार जाउंगी.

मेरे हाथ उन दोनों ने दबा रखे थे और पाँव पर डीपू बैठा था. मैं बाकी बचे शरीर को दाए बाये हिलाते हुए तड़प रही थी.

मेरे मुँह से लगातार शब्द झरने की तरह बह रहे थे. “ह ह ह, आ ह, आ अ ह, हम्म , हा हा, मत करो, प्लीजजज, उप्स, अहा , माय गॉड”.

अचानक पति के मोबाइल का स्टॉप टाइमर बज उठा, और डीपू को मुझे छोड़ना पड़ा. उन दोनों ने मेरा हाथ भी छोड़ दिया.

पायल: “क्या यार, इसका होने ही वाला था. बस दस पंद्रह सेकण्ड्स ओर मिल जाते तो मैं जीत जाती. पर तुमने बहुत अच्छा नियंत्रण किया, क्यों कि डीपू ये काम बहुत अच्छे से करता हैं.”

वो तीनो तारीफ़ करते हुए मेरे लिए भी ताली बजाने लगे. अपनी हालत मैं ही जानती थी. मुझे उनकी तालिया सुनाई दे रही थी पर मैं कुछ सेकण्ड्स तक वही पड़ी रही.

उन लोगो ने भी मेरी हालत देखते हुए मुझे थोड़ा समय दिया. पति ने नीचे पड़ा मेरा स्लीप शर्ट लाकर मेरे सीने पर रख दिया.

मैं अब उठी और अपना शर्ट अपने सीने से दबाये रखे मम्मे छुपा दिए. मैं अपना सर अविश्वास में हिलाने लगी.

मैं: “ये क्या था यार. तुम तीनो मिलकर तो मेरे पीछे ही पड़ गए. मुझे बाँध कर रख दिया. हिलने भी नहीं दिया. और इस बदमाश पायल ने तो वो कपडा ही हटा दिया.”

मैंने अब शर्ट पहन कर बटन बंद कर दिए.

पायल: “कैसा लगा ये बता. मजा आया कि नहीं?”

मैं: “बहुत खतरनाक था, पूछो मत.”

डीपू: “सही में माहौल बहुत गरम हो गया था.”

अशोक: “बधाई हो, तुम दोनों ही पास हो गए. दोनों संस्कारी हो और इच्छाशक्ति काफी मजबुत हैं”

पायल : “यार, लेवल वन की छाती की मसाज से ये हालत हैं, तो सोचो अगर हमने लेवल टू की योनी मसाज भी प्लान किया होता तो पता नहीं तुम्हारा क्या हाल होता. तुमने अपनी हालत देखी थी, मैंने तो सोचा था कि तुम मुझसे भी ज्यादा कंट्रोल कर पाओगी.”

मैं: “नाम भी मत लो लेवल टू का.”

पायल “क्या हुआ फट गयी तुम्हारी लेवल वन से ही.”

डीपू : “अरे, इस तरह की बात मत करो. शब्दों का ध्यान रखो.”

पायल : “देखो, हमारा प्रश्न अभी भी वही का वही हैं. संस्कार की क्षमता कितनी हैं. अभी हमने सिर्फ एक तिहाई क्षमता पायी हैं.”

अशोक: “एक तिहाई कैसे? दो में से एक लेवल पार किया तो पचास प्रतिशत हुआ न.”

पायल: “असल में तीन लेवल हैं. मैंने सिर्फ दो ही बताये थे क्यों कि दोनों मसाज से जुड़े थे.”

अशोक: “तो तीसरा लेवल क्या हैं? दूसरे से भी खतरनाक हैं क्या?”

पायल: “जब हम दूसरा लेवल ही नहीं कर रहे तो तीसरे के बारे में बोलने से भी क्या फायदा.”

डीपू: “तुम्हे ट्राय करना हैं क्या दूसरा लेवल?”

पायल: “पहले के बाद मुझे डाउट हैं कि मैं दूसरा कर भी पाउंगी. क्या बोलती हो प्रतिमा?”

मैं: “मुझे अपनी इच्छाशक्ति पर यकीन हैं कि मैं कोई भी चेलेंज पूरा कर सकती हूँ. मैं ये कर सकती हूँ पर करुँगी नहीं. मुझे ये ठीक नहीं लगता.”

पायल : “कर सकती हूँ और कर लिया में बहुत फर्क होता हैं. या तो आप बोलो मत या फिर करके दिखाओ.”

अशोक: “प्लीज पायल, इसकी इच्छा नहीं हैं तो फाॅर्स मत करो.”

पायल: “मैं कहा फाॅर्स कर रही हूँ. मैं तो बस इतना कह रही हूँ कि या तो बोलो मत या फिर करो.”

डीपू “हम मर्दो को चेलेंज दिया होता तो अब तक हम लेटे हुए होते. हा हा हा, क्या बोलते हो अशोक”.

अशोक: “मगर इनकी तरह इतना टिक नहीं पाते.”

डीपू: “बात ये नहीं हैं कि आप मुकाबला जीतते हो या नहीं, बात हैं मुकाबले में उतरने की हिम्मत. मैंने थोड़ी देर पहले ही कहा था कि लड़किया थोड़ी डरपोक होती हैं.”

मैं: “मैंने तब भी कहा था मैं तुम्हारी राय से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखती.”

पायल: “ठीक हैं, मैं रेडी हूँ लेवल दो के लिए. मगर मेरे नीचे वहां पर कपड़ा ढक कर रखना होगा. और प्रतिमा मुझसे बदला लेने के लिए कपडा हटा मत देना.”

मैं: “मैं तुम्हारी तरह नहीं हूँ. वैसे भी अगर मैंने कपडा हटाया तो मेरा नंबर आएगा तब तुम भी मुझे थोड़े ही छोड़ोगी.”

पायल “तुम्हारा नंबर ! मतलब तुम भी रेडी हो लेवल दो के लिए? क्या बात हैं.”

मैं: “नहीं ऐसा नहीं हैं. मेरे मुँह से निकल गया था.”

पायल: “हां , दिल की बात जुबान पर आ ही गयी.”

अशोक: “चलो पिछली बार की तरह सबकी वोटिंग कर लेते हैं लेवल टू के लिए.”

पायल: “मैं रेडी हूँ पर कपड़ा ढकना पड़ेगा.”

डीपू: “औरतो की हिम्मत की दाद देने के लिए, पायल के लिए मेरी हां.”

अशोक: “मुझे नहीं पता मैं कर पाऊंगा या नहीं. पर कोशिश कर सकता हूँ.”

मैं: “मैं सिर्फ पायल को हारते देखना चाहूंगी इसलिए हां.”

पायल: “अब प्रतिमा के लिए वोटिंग करते हैं”

मैं: “पहले तुम्हारा हो जाने दो फिर देखते हैं.”

पायल: “नहीं, अब ये नहीं चलेगा. मेरा हो जायेगा और फिर तुम मना कर दोगी, तो मैं ना इधर की रहूंगी ना उधर की.”

डीपू : “फेयर पॉइंट हैं. या तो दोनों ही मत करो या करो तो दोनों करो”.

अशोक: “सही हैं, एक लड़की को हम अकेला नहीं छोड़ सकते. अब ओर कोई वोटिंग नहीं होगी. प्रतिमा का हां मतलब दोनों लड़कियों की हां और ना मतलब दोनों की ना.”

मैं थोड़ा सोच में पड़ गयी. सारा दारमदार अब मेरे निर्णय पर था. मैंने अपने पति से नजरे मिलाते हुए आँखों से सवाल पूछा.

अशोक: “मैं अपना निर्णय तुम पर थोपना नहीं चाहता. हम घूमने आये हैं. बस कोई किसी से नाराज होकर न जाये. ख़ुशी ख़ुशी जाए. इसलिए सिर्फ तुम्हारा निर्णय होगा.”

मैं: “ठीक हैं, मैं भी रेडी हूँ. पर रूल पहले से बना लो, वरना पायल पहले की तरह चीटिंग करेगी.”

पायल “मोहब्बत और जंग में सब कुछ जायज हैं. पर क्यों कि चेलेंज मसाज का हैं तो सेक्स छोड़ कर कुछ भी कर सकते हैं उकसाने के लिए. वो ढकने के लिए दुपट्टा याद रखना.”

डीपू: “ठीक हैं मैडम, तो आप ही लेवल टू की शुरुआत करो.”

पायल: “प्रतिमा का लेवल वन देख कर मेरी गीली हो गयी हैं. पहले मैं साफ़ करके आती हूँ.”

पायल अब बाथरूम में चली गयी और थोड़ी देर बाद वापिस आयी. उसके चेहरे पर लेवल टू का तनाव स्पष्ट दिखाई दे रहा था.

डीपू: “बेस्ट ऑफ़ लक, किला फतह कर आना.”

पायल: “थैंक यू. अगर मेरे बाद प्रतिमा ने चेलेंज करने से मना कर दिया तो? मना करने के लिए कोई सजा भी तो होनी चाहिए.”

अशोक: “सभी लोग अपनी मर्जी से कर रहे हैं. ना करने पर सजा का क्या मतलब.”

मैं: “अरे बोला ना, मैं कर लुंगी. पर फिर भी यकीन नहीं तो जो तुम बोलो वो सजा.”

अशोक: “सजा पहले ही लिख लो वरना बाद में कोई बढ़ा चढ़ा सकता हैं.”

पायल ने नोट पैड लिया और छुपा के एक सजा लिख दी. फिर वो कागज़ फोल्ड कर अपने पर्स में डाल दिया.

फिर पायल आकर अब बिस्तर के बीच बैठ गयी. उसके एक तरफ डीपू था तो दुरी तरफ मैं थी. अशोक उसके पांवो की तरफ बैठे थे.

पायल: “अरे मैं कपडा लाना भूल गयी नीचे से ढकने के लिए.”

मैंने उसी का पहले वाला पारदर्शी सफ़ेद कपड़ा संभाल कर रखा था.

मैं: “ये रहा कपड़ा, अब लेट जाओ मैं लगा देती हूँ.”

पायल अब लेट गयी. डीपू अपने मोबाइल के स्टॉप टाइमर के साथ तैयार था. मैंने पायल के कमर से जांघो तक के हिस्से को उस कपड़े से ढक दिया.

अशोक: “पायल रेडी?”

पायल: “उम्म, हां रेडी.”
 
अशोक: “ठीक हैं मैं अब तुम्हारा पाजामा निकाल रहा हूँ साथ में अंदर के कपड़े भी.”

अशोक ने उस ढके हुए कपड़े में हाथ डाला और पायल का पाजामा उसकी पैंटी सहित नीचे की तरफ खींचने लगा.

मैंने वो ऊपर का कपड़ा पकडे रखा ताकि पाजामा के साथ वो भी नीचे ना खिसक जाए. अशोक ने अब पायल के नीचे के कपड़े उसकी टांगो से पुरे बाहर निकाल दिए.

उस पारदर्शी कपडे से पायल का कमर से नीचे का पूरा जिस्म दिखाई दे रहा था. मैंने देखा कि पायल की चूत के ऊपर की तरफ काफी घने बाल थे.

वो इतनी आलसी होगी कि अपने नीचे के बाल भी साफ़ नहीं कर पाती, ये नहीं पता था मुझे. फिर सोचा शायद इसी वजह से उसने कपड़े से ढकने की मांग रखी थी. ताकि उसकी ये गन्दगी और आलसीपन बाहर ना आ जाये.

डीपू: “अशोक और पायल दोनों रेडी हो?”

पायल और अशोक: “हां रेडी.”

डीपू: “तुम्हारे दस मिनट शुरू होते हैं, थ्री, टू वन एन्ड गो.”

अशोक ने ढके हुए कपड़े में हाथ डाला और पायल के चूत के ऊपर के बालो में अपनी एक ऊँगली घुमाने लगा. पायल अपनी सांस रोके बैठी थी.

अब अशोक अपनी ऊँगली फिराते हुए धीरे धीरे नीचे लाने लगा. उसकी ऊँगली अब चूत की दरार के ऊपर थी और फिर दरार में प्रवेश करते बाहरी दीवारों पर ऊपर नीचे रगड़ खाने लगी.

पायल की हलकी हलकी सिसकिया निकलने लगी. अशोक अब उसी दरार में ऊँगली ऊपर नीचे करता रहा और पायल उसी गति से सिसकिया निकाल रही थी. अशोक को अब कुछ ओर ज्यादा कोशिश करनी थी. शुरू के दो तीन मिनट बर्बाद हो चुके थे.

अशोक ने अब अपनी ऊँगली पायल की चूत के छेद पर रख दी और ऊँगली का थोड़ा ही हिस्सा अंदर बाहर कर रहा था. छेद में थोड़ी ऊँगली जाने से पायल की सिसकियाँ थोड़ी बढ़ गयी थी. अशोक ने उत्साहित होकर अब पूरी ऊँगली अंदर घुसा दी.

इससे पायल के मुँह से एक जोर की आह निकली. फिर तो अशोक नहीं रुका और अपनी ऊँगली धीमे गति से अंदर बाहर करने लगा.

पायल : “आह , नहीं अशोक अह्ह्हह्ह्ह्ह अम्म्मम्म अशोक क्या कर रहे हो. उम्म ओ माँ ना हम्म हम्म ऐसे मत करो अशोक अह्ह्ह्हह्ह.”

आधा समय बीत चूका था. मुझे पायल से बदला लेना था उसने लेवल वन में, मेरा ढका कपडा निकाल फेंका था. अगर मैं अभी उसका ढका कपड़ा निकालती हूँ तो उसकी वो बालों वाली चूत सबको दिख जाएगी और वो बहुत शर्मिंदा होगी.

वैसे भी मैं निकालू या ना, वो तो मेरा निकाल ही देगी. मुझे कोई दिक्कत नहीं थी, मेरी चूत तो एकदम सफाचट थी. अच्छा ही हैं हम दोनों की सफाई की तुलना हो जाएगी.

अगर मैं एकदम से कपडा निकालती तो दोनों मर्दो को ये लगता कि मैं लम्पट हूँ. इसलिए मुझे कुछ चालाकी से ये काम करना था.

मेरे पास प्लान था. मैंने कपडे को सही से ढकने के लिए अपना हाथ पायल के दूसरी तरफ ले गयी और कपडा उसकी जांघो पर से सही करने लगी. वापस हाथ खींचते वक्त मैंने जानबूझ कर थोड़ा कपडा अपनी उंगलियो के बीच फंसा लिया.

जैसे ही मैंने अपना हाथ वापिस खिंचा, शरीर से पूरा हट गया. पायल की बालों भरी चूत सबके सामने खुल गयी.

शर्म के मारे पायल का पूरा चेहरा लाल हो गया. पायल चिल्लाने लगी और अशोक भी रुक गया.

पायल: “मुझे पता हैं तुमने ये जानबूझ कर किया हैं.”

मैं: “अरे गलती से हुआ, अच्छा ले ले, मैं वापिस ढक देती हूँ कपड़ा.”

पायल: “अब क्या फायदा कपडे का, सब तो दिख गया, नहीं चाहिए मुझे. अब तुम देखो, मैं तो तुम्हे कपडा लगाने ही नहीं दूंगी.”

मैं: “मैं तो वैसे भी कपड़ा लगाने ही नहीं वाली थी.”

पायल: “बहुत चालु हैं प्रतिमा. अपनी भौसड़ी साफ़ करके आयी होगी इस लिए उछल रही हो.”

डीपू: “शीईईईइ गंदे शब्दों का इस्तेमाल मत करो प्लीज.”

मैं: “चलो शुरू करते हैं फिर, टाइमर थोड़ा पीछे करो अगर रोका ना हो तो.”

डीपू: “नहीं, मैंने रोक दिया था. अशोक रेडी गो.”

पायल के चिल्लाने से अशोक भी थोड़ा डर गया तो वो धीरे धीरे पायल की चूत के बाहर हाथ फेरता रहा.

मैं: “अशोक क्या कर रहे हो, अच्छे से करो ना. जल्दी जल्दी करो.”

पायल: “कुछ भी कर लो मैं जीत के ही रहूंगी.”

मैं: “अच्छा ये देखो.”

मैंने आगे बढ़कर उसका टैंक टॉप उसके कमर से ऊपर कर उसके मम्मो से उठाते हुए सर से पूरा बाहर निकाल कर उसको पूरी नंगी कर दिया.

पायल को पूरा नंगी देख अशोक की भी आँखें खुल गयी. उसने पायल के पाँव चौड़े किये और उसकी कमर के पास आकर बैठ गया. उसने अपना हाथ पायल की चूत पर रखा और तीव्र गति से ऊपर नीचे ऊपर नीचे रगड़ने लगा.

सिर्फ दो मिनट बचे थे, तो उसके हाथ एकदम मशीन की भांति चलने लगे. इतने जोर के झटके लग रहे थे कि पायल के मोटे मम्मे बुरी तरह से हिल ढुल रहे थे जैसे भूकंप आ गया हो.

पायल: “आह आह आह आह आह ना ना ना अशोक, ओह्ह्ह मेरी भौसड़ी जल रही हैं अशोक छोडो ओह माँ मेरा हो रहा हैं, हो रहा हैं, अशोक मेरी चूत, हाह हाह उम्म उम्म उम्म उम्म, आह आ अह्ह्हह्ह्ह्ह हो गया मेरा.”

अशोक ने उसको छोड़ दिया. पायल हांफ रही थी जैसे अभी अभी मैराथन दौड़ कर आयी थी.

डीपू: “सिर्फ दस सेकंड ही बचे थे, हार जीत का अंतर. मगर फिर से काफी अच्छे से खिंचा तुमने. मेरी अंडरवियर गीली कर दी तुमने तो.”

अशोक: “मेरे तो हाथ पैर अभी तक कांप रहे थे. मैं हाथ धो कर आता हूँ, पुरे गंदे हो गए.”

पायल अभी भी बिना कपड़ो के बेसुध लेटी हुई थी.

मैंने और डीपू ने उसको उसके कपडे और कुछ पेपर नैपकिन दिए सफाई के लिए. उसने सफाई करके के बाद अपने कपडे पहन लिया. तब तक अशोक भी हाथ धोकर आ गये.

पायल: “देखो मेरे हाथ पैर अभी तक कांप रहे हैं. और प्रतिमा तुमने मुझे लाइफ में पहली बार सबके सामने नंगी कर दिया. तुमसे तो मैं अपना बदला लेकर रहूंगी.”

सच पूछो तो मैं बुरी तरह से डर गयी थी. पता नहीं वो क्या हरकत करेगी. पायल अब डीपू के कान में कुछ फुसफुसाने लगी. डीपू ने अपना सर ना में हिलाया.

डीपू :”पागल हो क्या, ये बहुत ज्यादा हो जाएगा.”

पायल: “ये भी मसाज में ही आता हैं, रूल के हिसाब से चलेगा.”

अशोक: “मेरी बीवी के खिलाफ क्या प्लान बना रहे हो तुम. कुछ उलटा सीधा तो नहीं कर रहे?”

पायल: “सब कुछ रूल्स के अंतर्गत ही होगा, चिंता मत करो.”

मैं: “मुझे पायल पे भरोसा नहीं. मुझे नहीं करना अब.”

पायल: “मुझे पता था ये धोखा देगी. सोच लो, अगर नहीं किया तो सजा मिलेगी.”

मैं: “तुम जो करने वाली हो उससे तो वो सजा ही ठीक होगी. लाओ क्या सजा हैं.”

पायल ने अपना पर्स खोला और चिठ्ठी मुझे देते हुई बोली “सिर्फ तुम पढ़ना और फिर निर्णय लो कि लेवल टू करना हैं या सजा भुगतनी हैं.”
पायल के बाद मैं भी चेलेंज के पहले लेवल के तहत अपने मम्मो की मसाज करवा चुकी थी और झड़ते झड़ते बची.

विराट ने कैसे अपनी सगी सगी भाभी की चुदाई करी और उनको अपने लंड को महोताज बनाया, यह जानिए उसकी देसी चुदाई कहानी में उसी की जुबानी.
 
वो तीनो तारीफ़ करते हुए मेरे लिए भी ताली बजाने लगे. अपनी हालत मैं ही जानती थी. मुझे उनकी तालिया सुनाई दे रही थी पर मैं कुछ सेकण्ड्स तक वही पड़ी रही.

उन लोगो ने भी मेरी हालत देखते हुए मुझे थोड़ा समय दिया. पति ने नीचे पड़ा मेरा स्लीप शर्ट लाकर मेरे सीने पर रख दिया.

मैं अब उठी और अपना शर्ट अपने सीने से दबाये रखे मम्मे छुपा दिए. मैं अपना सर अविश्वास में हिलाने लगी.

मैं: “ये क्या था यार. तुम तीनो मिलकर तो मेरे पीछे ही पड़ गए. मुझे बाँध कर रख दिया. हिलने भी नहीं दिया. और इस बदमाश पायल ने तो वो कपडा ही हटा दिया.”

मैंने अब शर्ट पहन कर बटन बंद कर दिए.

पायल: “कैसा लगा ये बता. मजा आया कि नहीं?”

मैं: “बहुत खतरनाक था, पूछो मत.”

डीपू: “सही में माहौल बहुत गरम हो गया था.”

अशोक: “बधाई हो, तुम दोनों ही पास हो गए. दोनों संस्कारी हो और इच्छाशक्ति काफी मजबुत हैं”

पायल : “यार, लेवल वन की छाती की मसाज से ये हालत हैं, तो सोचो अगर हमने लेवल टू की योनी मसाज भी प्लान किया होता तो पता नहीं तुम्हारा क्या हाल होता. तुमने अपनी हालत देखी थी, मैंने तो सोचा था कि तुम मुझसे भी ज्यादा कंट्रोल कर पाओगी.”

मैं: “नाम भी मत लो लेवल टू का.”

पायल “क्या हुआ फट गयी तुम्हारी लेवल वन से ही.”

डीपू : “अरे, इस तरह की बात मत करो. शब्दों का ध्यान रखो.”

पायल : “देखो, हमारा प्रश्न अभी भी वही का वही हैं. संस्कार की क्षमता कितनी हैं. अभी हमने सिर्फ एक तिहाई क्षमता पायी हैं.”

अशोक: “एक तिहाई कैसे? दो में से एक लेवल पार किया तो पचास प्रतिशत हुआ न.”

पायल: “असल में तीन लेवल हैं. मैंने सिर्फ दो ही बताये थे क्यों कि दोनों मसाज से जुड़े थे.”

अशोक: “तो तीसरा लेवल क्या हैं? दूसरे से भी खतरनाक हैं क्या?”

पायल: “जब हम दूसरा लेवल ही नहीं कर रहे तो तीसरे के बारे में बोलने से भी क्या फायदा.”

डीपू: “तुम्हे ट्राय करना हैं क्या दूसरा लेवल?”

पायल: “पहले के बाद मुझे डाउट हैं कि मैं दूसरा कर भी पाउंगी. क्या बोलती हो प्रतिमा?”

मैं: “मुझे अपनी इच्छाशक्ति पर यकीन हैं कि मैं कोई भी चेलेंज पूरा कर सकती हूँ. मैं ये कर सकती हूँ पर करुँगी नहीं. मुझे ये ठीक नहीं लगता.”

पायल : “कर सकती हूँ और कर लिया में बहुत फर्क होता हैं. या तो आप बोलो मत या फिर करके दिखाओ.”

अशोक: “प्लीज पायल, इसकी इच्छा नहीं हैं तो फाॅर्स मत करो.”

पायल: “मैं कहा फाॅर्स कर रही हूँ. मैं तो बस इतना कह रही हूँ कि या तो बोलो मत या फिर करो.”

डीपू “हम मर्दो को चेलेंज दिया होता तो अब तक हम लेटे हुए होते. हा हा हा, क्या बोलते हो अशोक”.

अशोक: “मगर इनकी तरह इतना टिक नहीं पाते.”

डीपू: “बात ये नहीं हैं कि आप मुकाबला जीतते हो या नहीं, बात हैं मुकाबले में उतरने की हिम्मत. मैंने थोड़ी देर पहले ही कहा था कि लड़किया थोड़ी डरपोक होती हैं.”

मैं: “मैंने तब भी कहा था मैं तुम्हारी राय से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखती.”

पायल: “ठीक हैं, मैं रेडी हूँ लेवल दो के लिए. मगर मेरे नीचे वहां पर कपड़ा ढक कर रखना होगा. और प्रतिमा मुझसे बदला लेने के लिए कपडा हटा मत देना.”

मैं: “मैं तुम्हारी तरह नहीं हूँ. वैसे भी अगर मैंने कपडा हटाया तो मेरा नंबर आएगा तब तुम भी मुझे थोड़े ही छोड़ोगी.”

पायल “तुम्हारा नंबर ! मतलब तुम भी रेडी हो लेवल दो के लिए? क्या बात हैं.”

मैं: “नहीं ऐसा नहीं हैं. मेरे मुँह से निकल गया था.”

पायल: “हां , दिल की बात जुबान पर आ ही गयी.”

अशोक: “चलो पिछली बार की तरह सबकी वोटिंग कर लेते हैं लेवल टू के लिए.”

पायल: “मैं रेडी हूँ पर कपड़ा ढकना पड़ेगा.”

डीपू: “औरतो की हिम्मत की दाद देने के लिए, पायल के लिए मेरी हां.”

अशोक: “मुझे नहीं पता मैं कर पाऊंगा या नहीं. पर कोशिश कर सकता हूँ.”

मैं: “मैं सिर्फ पायल को हारते देखना चाहूंगी इसलिए हां.”

पायल: “अब प्रतिमा के लिए वोटिंग करते हैं”

मैं: “पहले तुम्हारा हो जाने दो फिर देखते हैं.”

पायल: “नहीं, अब ये नहीं चलेगा. मेरा हो जायेगा और फिर तुम मना कर दोगी, तो मैं ना इधर की रहूंगी ना उधर की.”

डीपू : “फेयर पॉइंट हैं. या तो दोनों ही मत करो या करो तो दोनों करो”.
 
अशोक: “सही हैं, एक लड़की को हम अकेला नहीं छोड़ सकते. अब ओर कोई वोटिंग नहीं होगी. प्रतिमा का हां मतलब दोनों लड़कियों की हां और ना मतलब दोनों की ना.”

मैं थोड़ा सोच में पड़ गयी. सारा दारमदार अब मेरे निर्णय पर था. मैंने अपने पति से नजरे मिलाते हुए आँखों से सवाल पूछा.

अशोक: “मैं अपना निर्णय तुम पर थोपना नहीं चाहता. हम घूमने आये हैं. बस कोई किसी से नाराज होकर न जाये. ख़ुशी ख़ुशी जाए. इसलिए सिर्फ तुम्हारा निर्णय होगा.”

मैं: “ठीक हैं, मैं भी रेडी हूँ. पर रूल पहले से बना लो, वरना पायल पहले की तरह चीटिंग करेगी.”

पायल “मोहब्बत और जंग में सब कुछ जायज हैं. पर क्यों कि चेलेंज मसाज का हैं तो सेक्स छोड़ कर कुछ भी कर सकते हैं उकसाने के लिए. वो ढकने के लिए दुपट्टा याद रखना.”

डीपू: “ठीक हैं मैडम, तो आप ही लेवल टू की शुरुआत करो.”

पायल: “प्रतिमा का लेवल वन देख कर मेरी गीली हो गयी हैं. पहले मैं साफ़ करके आती हूँ.”

पायल अब बाथरूम में चली गयी और थोड़ी देर बाद वापिस आयी. उसके चेहरे पर लेवल टू का तनाव स्पष्ट दिखाई दे रहा था.

डीपू: “बेस्ट ऑफ़ लक, किला फतह कर आना.”

पायल: “थैंक यू. अगर मेरे बाद प्रतिमा ने चेलेंज करने से मना कर दिया तो? मना करने के लिए कोई सजा भी तो होनी चाहिए.”

अशोक: “सभी लोग अपनी मर्जी से कर रहे हैं. ना करने पर सजा का क्या मतलब.”

मैं: “अरे बोला ना, मैं कर लुंगी. पर फिर भी यकीन नहीं तो जो तुम बोलो वो सजा.”

अशोक: “सजा पहले ही लिख लो वरना बाद में कोई बढ़ा चढ़ा सकता हैं.”

पायल ने नोट पैड लिया और छुपा के एक सजा लिख दी. फिर वो कागज़ फोल्ड कर अपने पर्स में डाल दिया.

फिर पायल आकर अब बिस्तर के बीच बैठ गयी. उसके एक तरफ डीपू था तो दुरी तरफ मैं थी. अशोक उसके पांवो की तरफ बैठे थे.

पायल: “अरे मैं कपडा लाना भूल गयी नीचे से ढकने के लिए.”

मैंने उसी का पहले वाला पारदर्शी सफ़ेद कपड़ा संभाल कर रखा था.

मैं: “ये रहा कपड़ा, अब लेट जाओ मैं लगा देती हूँ.”

पायल अब लेट गयी. डीपू अपने मोबाइल के स्टॉप टाइमर के साथ तैयार था. मैंने पायल के कमर से जांघो तक के हिस्से को उस कपड़े से ढक दिया.

अशोक: “पायल रेडी?”

पायल: “उम्म, हां रेडी.”

अशोक: “ठीक हैं मैं अब तुम्हारा पाजामा निकाल रहा हूँ साथ में अंदर के कपड़े भी.”

अशोक ने उस ढके हुए कपड़े में हाथ डाला और पायल का पाजामा उसकी पैंटी सहित नीचे की तरफ खींचने लगा.

मैंने वो ऊपर का कपड़ा पकडे रखा ताकि पाजामा के साथ वो भी नीचे ना खिसक जाए. अशोक ने अब पायल के नीचे के कपड़े उसकी टांगो से पुरे बाहर निकाल दिए.

उस पारदर्शी कपडे से पायल का कमर से नीचे का पूरा जिस्म दिखाई दे रहा था. मैंने देखा कि पायल की चूत के ऊपर की तरफ काफी घने बाल थे.

वो इतनी आलसी होगी कि अपने नीचे के बाल भी साफ़ नहीं कर पाती, ये नहीं पता था मुझे. फिर सोचा शायद इसी वजह से उसने कपड़े से ढकने की मांग रखी थी. ताकि उसकी ये गन्दगी और आलसीपन बाहर ना आ जाये.
 
डीपू: “अशोक और पायल दोनों रेडी हो?”

पायल और अशोक: “हां रेडी.”

डीपू: “तुम्हारे दस मिनट शुरू होते हैं, थ्री, टू वन एन्ड गो.”

अशोक ने ढके हुए कपड़े में हाथ डाला और पायल के चूत के ऊपर के बालो में अपनी एक ऊँगली घुमाने लगा. पायल अपनी सांस रोके बैठी थी.

अब अशोक अपनी ऊँगली फिराते हुए धीरे धीरे नीचे लाने लगा. उसकी ऊँगली अब चूत की दरार के ऊपर थी और फिर दरार में प्रवेश करते बाहरी दीवारों पर ऊपर नीचे रगड़ खाने लगी.

पायल की हलकी हलकी सिसकिया निकलने लगी. अशोक अब उसी दरार में ऊँगली ऊपर नीचे करता रहा और पायल उसी गति से सिसकिया निकाल रही थी. अशोक को अब कुछ ओर ज्यादा कोशिश करनी थी. शुरू के दो तीन मिनट बर्बाद हो चुके थे.

अशोक ने अब अपनी ऊँगली पायल की चूत के छेद पर रख दी और ऊँगली का थोड़ा ही हिस्सा अंदर बाहर कर रहा था. छेद में थोड़ी ऊँगली जाने से पायल की सिसकियाँ थोड़ी बढ़ गयी थी. अशोक ने उत्साहित होकर अब पूरी ऊँगली अंदर घुसा दी.

इससे पायल के मुँह से एक जोर की आह निकली. फिर तो अशोक नहीं रुका और अपनी ऊँगली धीमे गति से अंदर बाहर करने लगा.

पायल : “आह , नहीं अशोक अह्ह्हह्ह्ह्ह अम्म्मम्म अशोक क्या कर रहे हो. उम्म ओ माँ ना हम्म हम्म ऐसे मत करो अशोक अह्ह्ह्हह्ह.”

आधा समय बीत चूका था. मुझे पायल से बदला लेना था उसने लेवल वन में, मेरा ढका कपडा निकाल फेंका था. अगर मैं अभी उसका ढका कपड़ा निकालती हूँ तो उसकी वो बालों वाली चूत सबको दिख जाएगी और वो बहुत शर्मिंदा होगी.

वैसे भी मैं निकालू या ना, वो तो मेरा निकाल ही देगी. मुझे कोई दिक्कत नहीं थी, मेरी चूत तो एकदम सफाचट थी. अच्छा ही हैं हम दोनों की सफाई की तुलना हो जाएगी.

अगर मैं एकदम से कपडा निकालती तो दोनों मर्दो को ये लगता कि मैं लम्पट हूँ. इसलिए मुझे कुछ चालाकी से ये काम करना था.

मेरे पास प्लान था. मैंने कपडे को सही से ढकने के लिए अपना हाथ पायल के दूसरी तरफ ले गयी और कपडा उसकी जांघो पर से सही करने लगी. वापस हाथ खींचते वक्त मैंने जानबूझ कर थोड़ा कपडा अपनी उंगलियो के बीच फंसा लिया.

जैसे ही मैंने अपना हाथ वापिस खिंचा, शरीर से पूरा हट गया. पायल की बालों भरी चूत सबके सामने खुल गयी.

शर्म के मारे पायल का पूरा चेहरा लाल हो गया. पायल चिल्लाने लगी और अशोक भी रुक गया.

पायल: “मुझे पता हैं तुमने ये जानबूझ कर किया हैं.”

मैं: “अरे गलती से हुआ, अच्छा ले ले, मैं वापिस ढक देती हूँ कपड़ा.”

पायल: “अब क्या फायदा कपडे का, सब तो दिख गया, नहीं चाहिए मुझे. अब तुम देखो, मैं तो तुम्हे कपडा लगाने ही नहीं दूंगी.”

मैं: “मैं तो वैसे भी कपड़ा लगाने ही नहीं वाली थी.”

पायल: “बहुत चालु हैं प्रतिमा. अपनी भौसड़ी साफ़ करके आयी होगी इस लिए उछल रही हो.”

डीपू: “शीईईईइ गंदे शब्दों का इस्तेमाल मत करो प्लीज.”

मैं: “चलो शुरू करते हैं फिर, टाइमर थोड़ा पीछे करो अगर रोका ना हो तो.”

डीपू: “नहीं, मैंने रोक दिया था. अशोक रेडी गो.”
 
पायल के चिल्लाने से अशोक भी थोड़ा डर गया तो वो धीरे धीरे पायल की चूत के बाहर हाथ फेरता रहा.

मैं: “अशोक क्या कर रहे हो, अच्छे से करो ना. जल्दी जल्दी करो.”

पायल: “कुछ भी कर लो मैं जीत के ही रहूंगी.”

मैं: “अच्छा ये देखो.”

मैंने आगे बढ़कर उसका टैंक टॉप उसके कमर से ऊपर कर उसके मम्मो से उठाते हुए सर से पूरा बाहर निकाल कर उसको पूरी नंगी कर दिया.

पायल को पूरा नंगी देख अशोक की भी आँखें खुल गयी. उसने पायल के पाँव चौड़े किये और उसकी कमर के पास आकर बैठ गया. उसने अपना हाथ पायल की चूत पर रखा और तीव्र गति से ऊपर नीचे ऊपर नीचे रगड़ने लगा.

सिर्फ दो मिनट बचे थे, तो उसके हाथ एकदम मशीन की भांति चलने लगे. इतने जोर के झटके लग रहे थे कि पायल के मोटे मम्मे बुरी तरह से हिल ढुल रहे थे जैसे भूकंप आ गया हो.

पायल: “आह आह आह आह आह ना ना ना अशोक, ओह्ह्ह मेरी भौसड़ी जल रही हैं अशोक छोडो ओह माँ मेरा हो रहा हैं, हो रहा हैं, अशोक मेरी चूत, हाह हाह उम्म उम्म उम्म उम्म, आह आ अह्ह्हह्ह्ह्ह हो गया मेरा.”

अशोक ने उसको छोड़ दिया. पायल हांफ रही थी जैसे अभी अभी मैराथन दौड़ कर आयी थी.

डीपू: “सिर्फ दस सेकंड ही बचे थे, हार जीत का अंतर. मगर फिर से काफी अच्छे से खिंचा तुमने. मेरी अंडरवियर गीली कर दी तुमने तो.”

अशोक: “मेरे तो हाथ पैर अभी तक कांप रहे थे. मैं हाथ धो कर आता हूँ, पुरे गंदे हो गए.”

पायल अभी भी बिना कपड़ो के बेसुध लेटी हुई थी.

मैंने और डीपू ने उसको उसके कपडे और कुछ पेपर नैपकिन दिए सफाई के लिए. उसने सफाई करके के बाद अपने कपडे पहन लिया. तब तक अशोक भी हाथ धोकर आ गये.

पायल: “देखो मेरे हाथ पैर अभी तक कांप रहे हैं. और प्रतिमा तुमने मुझे लाइफ में पहली बार सबके सामने नंगी कर दिया. तुमसे तो मैं अपना बदला लेकर रहूंगी.”

सच पूछो तो मैं बुरी तरह से डर गयी थी. पता नहीं वो क्या हरकत करेगी. पायल अब डीपू के कान में कुछ फुसफुसाने लगी. डीपू ने अपना सर ना में हिलाया.

डीपू :”पागल हो क्या, ये बहुत ज्यादा हो जाएगा.”

पायल: “ये भी मसाज में ही आता हैं, रूल के हिसाब से चलेगा.”

अशोक: “मेरी बीवी के खिलाफ क्या प्लान बना रहे हो तुम. कुछ उलटा सीधा तो नहीं कर रहे?”

पायल: “सब कुछ रूल्स के अंतर्गत ही होगा, चिंता मत करो.”

मैं: “मुझे पायल पे भरोसा नहीं. मुझे नहीं करना अब.”

पायल: “मुझे पता था ये धोखा देगी. सोच लो, अगर नहीं किया तो सजा मिलेगी.”

मैं: “तुम जो करने वाली हो उससे तो वो सजा ही ठीक होगी. लाओ क्या सजा हैं.”

पायल ने अपना पर्स खोला और चिठ्ठी मुझे देते हुई बोली “सिर्फ तुम पढ़ना और फिर निर्णय लो कि लेवल टू करना हैं या सजा भुगतनी हैं.”

मैंने चिट्ठी में से सजा पढ़ी और मेरे पैरो तले जमीन खिसक गयी. सजा से मेरा फंसना तय था. कम से कम लेवल टू में कुछ रूल तो थे. मैंने अब गेम पलटने की सोची. मुझे लग रहा था कि मुझे हराने के लिए पायल कोई न कोई रूल जरूर तोड़ेगी तो मैं ये वाली सजा उस पर डाल सकती हूँ.

मैं: “मैं लेवल टू ही कर देती हूँ.”

अशोक: “ऐसा क्या लिखा हैं चिट्ठी में?”

डीपू: “कोई हमें भी तो बताओ?”

पायल ने मेरे हाथ से चिट्ठी ली और वापिस समेट कर अपने पर्स में बंद कर दी.

पायल : “सजा ली ही नहीं तो बताने से क्या फायदा.”

मैं: “मैं तैयार तो हूँ, पर अगर पायल ने कोई रूल तोड़ा तो उसको भी सजा मिलनी चाहिए. ये चिठ्ठी वाली सजा.”
 
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