desiaks
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मैं: “तुम्हे कुछ अजीब नहीं लगा होटल रूम में?”
राहुल: “तुम जोसफ की बात कर रही हो।”
मैं: “वो भी पर और भी बहुत कुछ, जैसे जैक और सैंड्रा को देख लगा नहीं कि वो माँ बेटे हैं। ”
राहुल: “जैक दरअसल बॉब की पहली बीवी का बच्चा हैं। बॉब ने उसको तलाक देकर अपने से बीस पच्चीस साल छोटी सैंड्रा से शादी कर ली।”
मैं: “ओह, अब समझ में आया। पर ये जोसफ इनके कमरे में इस हालत में ! ”
राहुल: “मैंने सुना हैं कि जोसफ भी बॉब की एक नाजायज औलाद हैं। अपनी शादी के पहले ही उसने अपने यहाँ काम करने वाली एक लड़की को माँ बना दिया, तब से जोसफ इनके साथ में ही फॅमिली की तरह हैं। सैंड्रा का दूसरा सौतेला बेटा कह सकते हैं। ”
मैं: “मुझे नहीं पता तुमने नोट किया या नहीं पर मुझे लगा वो तीनो एक ही बिस्तर पर सोये थे। ”
राहुल : “नो कमेंट, ये उनकी निजी ज़िन्दगी हैं। उनके बैडरूम में झाँकने से हमे क्या।”
भले ही राहुल ने इतना ध्यान नहीं दिया पर मुझे पूरा यकीन था उन माँ और सौतेले बेटो के बीच बहुत कुछ चल रहा था। सैंड्रा ने इतनी देर से दरवाजा खोला, मतलब उस वक्त भी वो लोग कुछ कर रहे थे और सैंड्रा को गाउन डाल कर आने में थोड़ा वक्त लगा होगा।
इन लोगो के रिश्ते भी कितने उलझे हुए थे। पता नहीं बॉब को अपने बेटो के बारे में पता हैं कि नहीं कि वो उसकी बीवी का इस्तेमाल कर रहे हैं। शायद बूढ़े हो चुके बॉब में वो शक्ति नहीं रही कि सैंड्रा की शारीरिक जरूरते पूरी कर सके इसलिए वो काम उसके दोनों बेटे कर रहे थे।
हम लोग ऑफिस पहुंच कल की बड़ी मीटिंग की तैयारियों में लग गए। रह रह कर मुझे जोसफ की विशालकाय काया और सैंड्रा के नाजुक बदन के बारे में सोच चिंता हो रही थी कि वो कैसे करते होंगे। फिर जैक के बारे में सोच मन प्यार से भर जाता, कितना आकर्षक लड़का था और किस मासूमियत से मुझे देख रहा था वो।
अगले दिन हम ऑफिस से चार लोग मीटिंग के लिए सैंड्रा के ऑफिस पहुंचे। मीटिंग अच्छे से संपन्न हुई, हमें भरोसा था कि जल्द ही हमारी डील साइन हो जाएगी। मीटिंग के बाद राहुल और मैं वही रुक गए और हमारे बाकी के दोनों कर्मचरियो को वापिस ऑफिस भेज दिया। कमरे में हम दोनों के अलावा सिर्फ सैंड्रा और उसका मैनेजर था।
उसका मैनेजर उठा और मेरी तरफ मुखातिब हो बोलने लगा : “अपनी कल की गुस्ताखी के लिए मुझे माफ़ कर देना। ”
मुझे उसकी तरफ देखते रह गयी वो मुझसे कब मिला और माफ़ी किस बात की मांग रहा हैं। गौर से देखने पर पता चला वो जोसफ ही था, आज सूट पहने एक दम सभ्य इंसान की तरह बैठा था तो मैं उसको पहचान ही नहीं पायी। मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी। सिर्फ कपड़ो से आदमी में कितना फर्क पड़ जाता हैं। कल जिसे देख मैं डर रही थी आज वो हानिरहित लग रहा था।
मैं: “कोई बात नहीं। एक बार तो मैं तुम्हे पहचान ही नहीं पायी।”
अचानक मुझे जैक का ख्याल आया, उसकी वो नीली नीली आँखें मैं भूल नहीं पायी थी।
मैं: “जैक कहा हैं ? वो नहीं आया ?”
सैंड्रा : “उसकी बिज़नेस मीटिंग में कोई रूचि नहीं। वो मेरे ऑफिस में बैठा बोर हो रहा हैं। चलो मिलवाती हु तुम्हे।”
हम लोग मीटिंग रूम से निकल सैंड्रा के ऑफिस में आ गए। वहा जैक बैठा अपने टेबलेट पर कुछ कर रहा था। हमारे पहुंचते ही वो पीछे मुड़ा और हमें देखा। उसकी वो नीली नीली आँखें मुझे ही देख रही थी।
उसने राहुल से हाथ मिलाया और फिर मेरी तरफ देख कुछ सोचा और दोनों हाथ जोड़ नमस्ते करने ही वाला था कि मैंने तुरंत अपना हाथ मिलाने के लिए आगे कर दिया। उसने मुस्कुराते हुए मुझसे हाथ मिलाया। उसके गौरे गौरे मक्खन से मुलायम हाथ थे। छोड़ने की इच्छा नहीं थी पर छोड़ने पड़े।
कल सिर्फ चेहरा दिखा था, आज उसको पूरा देखा। पतले दुबले शरीर वाला एक गौरा चिट्टा लड़का था। उसकी आँखों में एक अजीब सी कशिश थी जो अपनी तरफ खिंच रही थी। उसने मेरी तरफ देखा और पूछने लगा।
जैक: “क्या तुम मुझे अपना शहर घुमाने ले जाओगी।”
सैंड्रा : “वाह , सुबह से मैं इसे ऑफिस के कई और लोगो के साथ घूमने भेजना चाहती थी पर इसने मना कर दिया और प्रतिमा को देखते ही आगे बढ़कर खुद पूछ रहा हैं।”
मैं तो हां बोलने वाली थी पर ऑफिस का समय था तो राहुल की तरफ देखने लगी।
राहुल: “ये तुम्हारी चॉइस हैं, कोई जबरदस्ती नहीं। अगर तुम्हे ठीक लगे तो ले जाओ वरना कोई बात नहीं। ऑफिस की चिंता मत करो, ख़ास मीटिंग हो गयी हैं। आज की तुम्हारी छुट्टी, घूमने के बाद सीधा घर चले जाना। ”
सैंड्रा ने फ़ोन कर बाहर कार और ड्राइवर का इंतजाम कर लिया था।
राहुल: “तुम जोसफ की बात कर रही हो।”
मैं: “वो भी पर और भी बहुत कुछ, जैसे जैक और सैंड्रा को देख लगा नहीं कि वो माँ बेटे हैं। ”
राहुल: “जैक दरअसल बॉब की पहली बीवी का बच्चा हैं। बॉब ने उसको तलाक देकर अपने से बीस पच्चीस साल छोटी सैंड्रा से शादी कर ली।”
मैं: “ओह, अब समझ में आया। पर ये जोसफ इनके कमरे में इस हालत में ! ”
राहुल: “मैंने सुना हैं कि जोसफ भी बॉब की एक नाजायज औलाद हैं। अपनी शादी के पहले ही उसने अपने यहाँ काम करने वाली एक लड़की को माँ बना दिया, तब से जोसफ इनके साथ में ही फॅमिली की तरह हैं। सैंड्रा का दूसरा सौतेला बेटा कह सकते हैं। ”
मैं: “मुझे नहीं पता तुमने नोट किया या नहीं पर मुझे लगा वो तीनो एक ही बिस्तर पर सोये थे। ”
राहुल : “नो कमेंट, ये उनकी निजी ज़िन्दगी हैं। उनके बैडरूम में झाँकने से हमे क्या।”
भले ही राहुल ने इतना ध्यान नहीं दिया पर मुझे पूरा यकीन था उन माँ और सौतेले बेटो के बीच बहुत कुछ चल रहा था। सैंड्रा ने इतनी देर से दरवाजा खोला, मतलब उस वक्त भी वो लोग कुछ कर रहे थे और सैंड्रा को गाउन डाल कर आने में थोड़ा वक्त लगा होगा।
इन लोगो के रिश्ते भी कितने उलझे हुए थे। पता नहीं बॉब को अपने बेटो के बारे में पता हैं कि नहीं कि वो उसकी बीवी का इस्तेमाल कर रहे हैं। शायद बूढ़े हो चुके बॉब में वो शक्ति नहीं रही कि सैंड्रा की शारीरिक जरूरते पूरी कर सके इसलिए वो काम उसके दोनों बेटे कर रहे थे।
हम लोग ऑफिस पहुंच कल की बड़ी मीटिंग की तैयारियों में लग गए। रह रह कर मुझे जोसफ की विशालकाय काया और सैंड्रा के नाजुक बदन के बारे में सोच चिंता हो रही थी कि वो कैसे करते होंगे। फिर जैक के बारे में सोच मन प्यार से भर जाता, कितना आकर्षक लड़का था और किस मासूमियत से मुझे देख रहा था वो।
अगले दिन हम ऑफिस से चार लोग मीटिंग के लिए सैंड्रा के ऑफिस पहुंचे। मीटिंग अच्छे से संपन्न हुई, हमें भरोसा था कि जल्द ही हमारी डील साइन हो जाएगी। मीटिंग के बाद राहुल और मैं वही रुक गए और हमारे बाकी के दोनों कर्मचरियो को वापिस ऑफिस भेज दिया। कमरे में हम दोनों के अलावा सिर्फ सैंड्रा और उसका मैनेजर था।
उसका मैनेजर उठा और मेरी तरफ मुखातिब हो बोलने लगा : “अपनी कल की गुस्ताखी के लिए मुझे माफ़ कर देना। ”
मुझे उसकी तरफ देखते रह गयी वो मुझसे कब मिला और माफ़ी किस बात की मांग रहा हैं। गौर से देखने पर पता चला वो जोसफ ही था, आज सूट पहने एक दम सभ्य इंसान की तरह बैठा था तो मैं उसको पहचान ही नहीं पायी। मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी। सिर्फ कपड़ो से आदमी में कितना फर्क पड़ जाता हैं। कल जिसे देख मैं डर रही थी आज वो हानिरहित लग रहा था।
मैं: “कोई बात नहीं। एक बार तो मैं तुम्हे पहचान ही नहीं पायी।”
अचानक मुझे जैक का ख्याल आया, उसकी वो नीली नीली आँखें मैं भूल नहीं पायी थी।
मैं: “जैक कहा हैं ? वो नहीं आया ?”
सैंड्रा : “उसकी बिज़नेस मीटिंग में कोई रूचि नहीं। वो मेरे ऑफिस में बैठा बोर हो रहा हैं। चलो मिलवाती हु तुम्हे।”
हम लोग मीटिंग रूम से निकल सैंड्रा के ऑफिस में आ गए। वहा जैक बैठा अपने टेबलेट पर कुछ कर रहा था। हमारे पहुंचते ही वो पीछे मुड़ा और हमें देखा। उसकी वो नीली नीली आँखें मुझे ही देख रही थी।
उसने राहुल से हाथ मिलाया और फिर मेरी तरफ देख कुछ सोचा और दोनों हाथ जोड़ नमस्ते करने ही वाला था कि मैंने तुरंत अपना हाथ मिलाने के लिए आगे कर दिया। उसने मुस्कुराते हुए मुझसे हाथ मिलाया। उसके गौरे गौरे मक्खन से मुलायम हाथ थे। छोड़ने की इच्छा नहीं थी पर छोड़ने पड़े।
कल सिर्फ चेहरा दिखा था, आज उसको पूरा देखा। पतले दुबले शरीर वाला एक गौरा चिट्टा लड़का था। उसकी आँखों में एक अजीब सी कशिश थी जो अपनी तरफ खिंच रही थी। उसने मेरी तरफ देखा और पूछने लगा।
जैक: “क्या तुम मुझे अपना शहर घुमाने ले जाओगी।”
सैंड्रा : “वाह , सुबह से मैं इसे ऑफिस के कई और लोगो के साथ घूमने भेजना चाहती थी पर इसने मना कर दिया और प्रतिमा को देखते ही आगे बढ़कर खुद पूछ रहा हैं।”
मैं तो हां बोलने वाली थी पर ऑफिस का समय था तो राहुल की तरफ देखने लगी।
राहुल: “ये तुम्हारी चॉइस हैं, कोई जबरदस्ती नहीं। अगर तुम्हे ठीक लगे तो ले जाओ वरना कोई बात नहीं। ऑफिस की चिंता मत करो, ख़ास मीटिंग हो गयी हैं। आज की तुम्हारी छुट्टी, घूमने के बाद सीधा घर चले जाना। ”
सैंड्रा ने फ़ोन कर बाहर कार और ड्राइवर का इंतजाम कर लिया था।