Antervasna मुझे लगी लगन लंड की - Page 6 - SexBaba
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Antervasna मुझे लगी लगन लंड की

तभी अमित ने मेरी तरफ देखा और मैंने अमित को आँख मारी, अमित मेरे इशारे को समझ चुका था, वो मुझे कुछ कह नहीं सकता था।

मैं रितेश को लेते हुए नमिता के पास गई और नमिता के जिस्म पर पड़े हुए चादर को एक झटके से हटाते

हुए बोली- तीन नंगे हैं और तुम चादर ओढ़े हुई हो? वैसे भी कल से दो तीन दिन तक किसी को कुछ मिलने वाला नहीं है। तो आज पूरी रात एन्जॉय करें।

जैसे ही नमिता के ऊपर से चादर हटी उसने अपने दोनों पैरो को सिकोड़ लिया और दोनों हाथों से अपनी चूचियों को ढक लिया। आखिर रितेश था एक मर्द ही, सामने नंगी लड़की देखी तो उसकी भी शर्म चली गई, अमित की तरफ देखते हुए बोला- अमित, तुमने आज तक नमिता को ठीक से देखा नहीं, नहीं तो आकांक्षा की तारीफ नहीं करते।

कहते हुए रितेश नमिता के पास बैठ गया और उसके चेहरे से बालों को हटाते हुए बोला- इसका भी पूरा जिस्म किसी काम देवी से कम नहीं है। अच्छा सा अच्छा मर्द इसके सामने नहीं टिक सकता।

जब रितेश नमिता की तारीफ कर रहा था तो मेरी नजर अमित पर पड़ी, जो थोड़ा बहुत असहज सा लग रहा था।

मैं अमित की तरफ गई और उसके जिस्म से चिपकते हुए बोली- कैसा लगा मेरा सरप्राईज?

अमित बोला- भाभी मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा था।

मैं - 'अब बताओ कि मैं कैसी लग रही हूँ?'

अमित थोड़ा सहज होने की कोशिश में उसने अपनी बांहों को मेरी कमर में डाल दिया,

और बोला- हो तो भाभी तुम मादरचोद, लेकिन तुम्हारे जैसा कोई दूसरा नहीं। तुम इस खेल को बहुत खुल कर खेलती हो। तुम्हारी यही अदा मुझे पसंद है। कहते हुए उसने मेरी गर्दन पर अपने चुम्बन की झड़ी लगा दी, जबकि उसका लंड मेरे गांड में रह रह कर चुभ रहा था।

उधर रितेश अभी भी बड़े ही प्यार से नमिता के गालों को सहला रहा था और नमिता से खुलने का प्रयास कर रहा था। गालों को सहलाते हुए रितेश ने धीरे से नमिता के दोनों कैद चूचियों को उसके बेदर्द हाथों से आजाद कराया और फिर उसकी चूचियों को सहलाने लगा।

अमित की तरफ देखते हुए बोला- तुम सही कह रहे थे, इसकी जैसी चूची तो मेरी आकांक्षा की भी नहीं है।

यह रितेश का स्टाइल था कि कैसे किसी लड़की या औरत की तारीफ की जाती है।

इधर अमित के दोनों हाथों की दो-दो उंगलियाँ मेरे चूचुकों को मसल रही थी।

उधर रितेश नमिता की चूचियों को सहलाते सहलाते उसके टांगों को सीधा कर चुका था और नीचे जमीन पर बैठते हुए रितेश का अंगूठा नमिता की चूत की सैर करने लगा। रितेश अपने अंगूठे से नमिता की चूत से खेल रहा था, वो बार-बार अपने अंगूठे को नमिता की चूत के अन्दर डालता और फिर बाहर निकालता और फिर उसको सहलाता।

इधर अपनी बीवी के साथ ये सब होता देखकर अमित को भी जोश चढ़ गया तो वह भी मेरी चूत की सेवा करने लगा। कमरे में शान्ति थी, लेकिन खेल मस्त चल रहा था। मेरा हाथ अमित के लंड के सुपारे के साथ खेल रहा था।

उधर रितेश कभी नमिता की चूत में अपनी जीभ चलाता तो कभी अंगूठे से उसकी चूत का निरीक्षण करता। नमिता को भी सरूर चढ़ने लगा था, वो अपने हाथ से अपनी चूची मसल रही थी, अपने गले को ऐसे सहला रही थी कि वो बहुत प्यासी हो और पानी पीने की बहुत इच्छा हो.. उसकी कमर अपने आप उठ रही थी, ऐसा लग रहा था कि जब रितेश की उंगली उसकी चूत के मुहाने पर जाती तो वो कमर उचका कर उसकी पूरे अंगूठे को अपनी चूत में लेने की कोशिश करती।

मैं ये सब देख कर मस्त हो रही थी कि मुझे लगा कि मेरे हाथ से लंड छिटक गया है, लगा कि अमित को हाथ मेरी गांड की फांकों को फैला कर उसको चाट रहा था। मैं भी हल्की झुक गई ताकि अमित को मेरी गांड और चूत दोनों छेद का मजा आसानी से और भरपूर मिल सके।
 
उधर नमिता की हालत बहुत ही खराब थी क्योंकि मेरा प्यारा रितेश उसको बड़े प्यार से मजे दे रहा था। अचानक नमिता अपनी चूचियों को बहुत तेजी से मसलने लगी और अपनी कमर को उठाने लगी, फिर वो ढीली पड़ गई। रितेश ने उसकी चूत का पानी निकाल दिया। नमिता की चूत का पानी रितेश के अंगूठे पर था, रितेश ने उस अंगूठे को अपने मुंह के अन्दर लिया और चूसने लगा, फिर नमिता की दोनों टांगों को फैलाते हुए अपना मुंह उसकी चूत पर रख दिया और उसे सूंघने लगा। चूत को सूंघने के बाद रितेश ने एक लम्बी सी सांस छोड़ी,

और बोला- मुझे पता नहीं था कि नमिता की चूत की सुंगध इतनी सेक्सी होगी। मन कर रहा है कि इसकी चूत को मैं चबा जाऊँ, कहते हुए रितेश ने नमिता की चूत को चाटना शुरू कर दिया।

इधर अमित को अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो उठा और अपने लंड को मेरी चूत पर सेट कर दिया और धक्के लगाने लगा। इतनी देर के बाद नमिता की आंखें खुली और वो अमित को मेरी चुदाई करते हुए देखने लगी, उसने रितेश को भी अपनी चूत खुजला कर उसका लंड उसकी चूत के अन्दर डालने के लिये इशारा किया। रितेश इशारा समझ कर बिस्तर पर आ गया और अपने लंड को नमिता की चूत में डालकर धक्के लगाने लगा। अब उस कमरे का नजारा बदल गया था, दोनों औरतें कुतिया की पोजिशन में थी और दोनों मर्द कुत्ते की तरह चोद रहे थे। कभी चूत के अन्दर तो कभी गांड के अन्दर उनका लंड होता। मैंने भी अमित को मेरी गांड चोदने से नहीं रोका। अब हम सब बदल बदल कर चुदने और चुदवाने का मजा ले रहे थे। अन्त में मेरे कहने पर अमित ने मेरे मुंह को अपने रस से भर दिया और रितेश ने नमिता के मुंह को अपने रस से भर दिया। हम दोनों ही उस रस की एक एक बूंद को गटक गई और उसके बाद दोनों मर्दों ने हमारी चूत से बहते हुए पानी को अपनी जुबान से साफ किया। रात दो बजे तक चुदाई का प्रोग्राम चलता रहा और उसके बाद हम सभी नमिता के रूम में सो गये।

सुबह नींद खुलने पर देखा कि अमित और रितेश के लंड बिल्कुल खूंटे की तरह सीधे तने हुए थे, नमिता की एक टांग अमित पर और एक टांग रितेश पर चढ़ी हुई थी, रितेश और अमित दोनों के हाथ नमिता की चूत को सहला रहे थे। मैं उठ कर बैठ गई और सब को जगा दिया। अमित ने मेरी तरफ देखकर आँख मारी। उसके बाद सभी लोग चादर ओढ़ कर बैठ गये।

अमित ही बोला- रात को मजा आ गया! चलो कहीं ऐसा प्रोग्राम बनाते है जहाँ पर हम चारों आसानी से एक दो दिन खुलकर मजा लें। नमिता बोली- लो भाभी, अब इससे ज्यादा क्या खुला चाहिये कि एक बहन अपने भाई से चुद गई और भाई बहनचोद बन गया।

तभी मोबाईल की घण्टी बजी, पता चला कि पापा का बुलावा आया है। सब जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहने और सब नीचे पहुँच गये।

पापा जी ने बताया कि मेहमान एक-दो घण्टे में कभी भी आ सकते हैं और मेरी तरफ देखते हुए बोले- बहू तुम्हें अगर छुट्टी मिल जाये तो ले लो।

पापा जी की बात को रखते हुए मैंने अपने बॉस से बात की, अब बॉस को मुझे छुट्टी देने में कोई ऐतराज नहीं था, बस एक ही शर्त थी कि जब छुट्टी से वापस ऑफिस जाऊँ तो मैं उनकी सेवा कर दूं। मुझे भला क्या ऐतराज हो सकता था। फिर सभी अपने काम में व्यस्त हो गये। रितेश, अमित, सूरज और रोहन अपने अपने गन्तव्य पर चल दिये, घर में मैं, नमिता, सासू मां और ससुर ही रह गये। मेहमानों के स्वागत की तैयारी चल रही थी।

थोड़ी ही देर में काफी लोग आ गये, नाश्ता पानी का दौर चला, उसके बाद सभी मुझसे मिले और कुछ न कुछ गिफ्ट दिया। सभी कुछ तो सामान्य था पर एक लड़की जिसका नाम स्नेहा था वो काफी सेक्सी लग रही थी, मतलब उसके पहनावे से लग रहा था कि वो कपड़े पहनने के लिये नहीं पहनती है, बल्कि दिखाने के लिये ज्यादा पहनती है। पापा जी स्नेहा के ठीक सामने बैठे थे और वो काफी बेचैन लग रहे थे। बार बार उनकी नजर स्नेहा के पैरों की ही तरफ जा रही थी और उनके माथे पर पसीना भी बहने लगा तो थोड़ी देर के बाद वो खुद ही उठ कर चल दिये जबकि स्नेहा बेफिक्री से वहीं बैठी रही। पापाजी के वहाँ से हटने के बाद मैं उस जगह बैठ गई, देखा तो स्नेहा वैसे भी स्कर्ट और टॉप पहने हुए थी और बैठने के कारण उसकी स्कर्ट ऊपर की ओर चढ़ गई थी और उसकी पैन्टी साफ-साफ दिखाई पड़ रही थी। वह 18 या 19 साल की होगी, फिगर कोई 32-30-34 का रहा होगा। स्टाईल तो बहुत ही मार रही थी और वो जानबूझ कर इस तरह से बैठी थी कि उसकी पैन्टी सामने वाले को दिखे।
 
हम लोग सब बातें ही कर रहे थे कि तभी रोहन आ गया, सब को नमस्ते करने के उपरान्त मेरे पास ही खड़ा हो गया। मैं तुरन्त ही उठी और उसको उस जगह बैठा दिया, मैं देखना चाहती थी कि स्नेहा का अगला रिऐक्शन क्या होगा। मेरी सोच के मुताबिक ही हुआ, रोहन के बैठने के कुछ देर बाद ही मैंने नोटिस किया कि स्नेहा ने अपने पैरों को थोड़ा सा और फैला दिया और अपने मोबाईल से सेल्फी लेने लगी। मैंने सोचा कि अपने प्यारा देवर के लिये इंतजाम कर दूँ, दोनों लोग अपनी क्षुधा को शान्त कर लें।

मैंने स्नेहा से कहा- चलो, मैं तुमको पूरा घर दिखा दूं।

वो तुरन्त तैयार हो गई, मैं और स्नेहा दोनों वहां से चल दिये, इशारों ही इशारों में मैंने रोहन को भी बुला लिया। मैं स्नेहा को लेकर अपने कमरे में ले आई और उसके साथ बैठ कर बातें करने लगी। थोड़ी देर बाद रोहन ऊपर आया और

मुझसे कहा- भाभी, आपको नीचे बुलाया है।

मैंने दोनों को वहीं रहकर आपस में बाते करने के लिये कहा और मैं चल दी। मुझे पता था कि रोहन और स्नेहा के बीच जो होगा वो मुझे रोहन खुद ही बतायेगा। काम निपटाते निपटाते कब रात के सोने का समय आ गया, पता ही नहीं चला। मैं, नमिता, सासू माँ के अलावा मेहमान में से एक दो और लोगों ने हम लोगों की मदद की। सबके बिस्तर लग गये थे, सभी लोग सोने भी चले गये थे।

मैं और नमिता सासू मां के कमरे में सोने के लिये आ गये। मैं और नमिता नाईटी पहन कर लेटे ही थे कि रोहन कमरे में आ गया और बोलने लगा कि उसको सोने के लिये कही जगह नहीं मिल रही थी, वो भी उसी कमरे में सोने की जिद करने लगा। चूंकि सास का बेड इतना ही बड़ा था कि उस पर मुश्किल से कोई एक और लेट सकता था। तो नमिता अपनी मां के पास लेट गई और वहीं नीचे जो दो गद्दे मेरे और नमिता के लिये बिछे थे उसमें से एक पर मैं लेट गई और दूसरी पर पर रोहन लेट गया। इस समय उसने लोअर और बन्डी पहना हुआ था और उसके लोअर को देखकर लग रहा था कि वो काफी उत्तेजित है। मैं करवट लेकर सो गई लेकिन कुछ देर बाद मुझे लगा कि कोई मेरे ऊपर लदा हुआ है। थोड़ा मैं चेतन हुई तो समझ में आया कि रोहन का एक पैर मेरे ऊपर था।

यह क्या... मेरी नाईटी मेरी कमर के ऊपर तक थी, इसका मतलब मैं आधी नंगी थी और रोहन अपने लंड को मेरी गांड से रगड़ रहा है और कोशिश कर रहा है कि गांड के अन्दर उसका लंड चला जाये।

मैं इतना जान गई थी कि मेरे लिये लंड का हर समय जुगाड़ है, चाहे घर में कितने ही मेहमान क्यों न आ जायें। मैं आँखें बन्द किये लेटी रही और रोहन का लंड और हाथ दोनों ही मेरी गांड से खेलते रहे। कुछ देर तक तो उसका लंड मेरी गांड में चलता रहा और फिर मुझे मेरी गांड में गीला सा लगा, स्पष्ट था कि रोहन डिस्चार्ज हो चुका था, लेकिन उसकी उंगलियां चलती रही। उसके बाद रोहन का पैर मेरे ऊपर से हट गया और रोहन धीरे से नीचे की तरफ सरकने लगा। रोहन बेफिक्र था कि उसे कोई देख नहीं रहा है इसलिये बेफिक्र होकर वो अपनी जीभ मेरी गांड में चला रहा था। मैं रोहन का लंड तो चूत में नहीं ले सकती थी, लेकिन मजा भरपूर ले सकती थी तो मैं पलट गई और अब मैंने अपनी एक टांग रोहन के ऊपर चढ़ा दी, उसका मुंह ठीक मेरी चूत के सामने था। मैं इतनी देर में उत्तेजित हो चुकी थी तो मैं भी मदहोशी में अपनी कमर हिला हिला कर उससे अपनी चूत चटवा रही थी और यहीं पर रोहन ने मुझे पकड़ लिया वो समझ गया कि मैं जगी हुई हूँ और मजा ले रही हूँ, उसने तुरन्त अपनी दिशा बदल ली और अपने पैर वाला हिस्सा मेरे चेहरे तरफ घुमा लिया। अब उसका लंड मेरे मुंह की तरफ था। उसने अपना हाथ मेरी गांड पर रखते हुए मुझे अपने मुँह की तरफ खींच लिया और अपने लंड को मेरे होंठों से लगाते हुए मेरे मुंहके अन्दर डाल दिया। हम दोनों ही 69 की पोजिशन में थे। थोड़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा, मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मुझे रोहन का लंड अपनी चूत में चाहिये था इसलिये मैंने इशारे से उसको अपनी तरफ बुलाया और उसके कान में धीरे से बोली- रोहन, मेरी चूत में खुजली बहुत हो रही है।

रोहन अपने हाथ को मेरी चूत में ले गया और खुजलाने लगा। मुझे उसकी इस प्यारी हरकत पर बहुत अच्छा लगा लेकिन फिर भी मैं बोली इस तरह खुजली नहीं मिटेगी तुम्हारा लंड मेरी चूत में जायेगा तो मिटेगी, जाओ बाहर देखो अगर कोई न हो तो बाथरूम में मेरा इंतजार करो मैं वही पर मिलूँगी। रोहन चुपचाप उठा और बाहर चला गया और वहीं से उसने मुझे इशारा किया। रोहन के पीछे-पीछे मैं भी वहां चली गई और जैसे ही मैं बाथरूम में घुसी, रोहन बाथरूम का दरवाजा बन्द करके मुझसे चिपक गया और तुरन्त ही मेरी नाईटी को उतार कर फेंक दी, नीचे बैठते हुए मेरी चूत की फांकों को फैला कर देखने लगा। मैंने पूछना चाहा तो उसने मुझे इशारे से चुप रहने के लिये कहा और फिर मेरे पीछे आकर मेरी गांड को फैलाकर गांड की छेद में अपनी उंगली डालकर अन्दर बाहर करने लगा, फिर खड़ा होकर मुझसे

बोला- भाभी, मुझे आपको मूतते हुए देखना और हगते हुए देखना है। उस साली मादरचोद स्नेहा से बोला तो बोली ये सब नहीं करूंगी अगर चोदना हो तो चोदो।

मैं रोहन को रोकते हुये बोली- आखिर मुझे मूतते हुए क्यों देखना है?

रोहन- 'मुझे औरत को मूतते हुए देखने में बड़ा मजा आता है।'

मैं- 'चल मुझे तू मूतते हुए देख ले, पर मैं हगूंगी नहीं क्योंकि इस समय टट्टी नहीं आ रही है। कभी मौका लगा तो तुम मुझे हगते हुये भी देख लेना।'

कहकर मैं मूतने बैठ गई और मूतने लगी। रोहन भी ठीक मेरे सामने बैठ गया और मुझे देखने लगा। जब मैं मूत चूकी तो

बोला- भाभी मजा आ गया!

कहते हुए एक बार उसने फिर मेरी चूत में अपनी जीभ लगा दी और चाटने लगा। काफी देर हो रही थी, मुझे डर लग रहा था कि कोई बाथरूम में ना आ जाये,
 
मैंने रोहन से कहा- अब जब कभी मौका मिले तो चाहे जितनी देर तक चाहे मेरी चूत चाट लेना लेकिन अभी अपना लंड मेरी चूत में डालकर मेरी खुजली मिटाओ।

रोहन खड़ा हुआ और मैं झुक गई, रोहन ने मेरे पीछे आकर मेरी चूत में अपना लंड डाला और धीरे-धीरे मेरी चुदाई शुरू कर दी। चुदाई करते करते उसकी स्पीड तेज होती गई और फिर एक समय ऐसा आया कि मैं समझ गई कि वो झड़ने वाला है।

मैं रोहन से बोली- रोहन, अगर तुम झड़ने वाले हो तो मेरे अन्दर मत झड़ना, अपना वीर्य मेरे मुंह में निकालना।

रोहन ने मेरी बात मानते हुए मेरे सामने आ गया, मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया, दो चार बार उसके लंड को पकड़ कर मैंने हिलाया कि रोहन का वीर्य बाहर आना शुरू हो गया।

मैंने उसके वीर्य रस चाट चाट कर साफ किया और फिर रोहन से मेरी चूत चाट कर साफ करने को कहा। मैंने रोहन से पूछा कि स्नेहा के साथ क्या हुआ तो बोला कल आपको सब बता दूंगा।

उसके बाद मैं बाथरूम से बाहर निकलकर कमरे में आ गई और पीछे पीछे रोहन भी कमरे में आ गया, वो मुझसे काफ़ी दूरी पर लेटकर सो गया और जबकि मुझे पता नहीं कब यह सोचते सोचते नींद आ गई कि अब घर में कौन है जो मुझे चोदेगा क्योंकि रितेश मेरा पति है और उसका पूरा अधिकार मेरी चूत पर था, अमित, सूरज और रोहन ने जिसे जब मौका लगा मुझे चोद दिया। मेरी ससुराल में ही इतने लंड हो चुके थे कि। मुझे अपनी चूत की चिन्ता नहीं थी क्योंकि मुझे अपनी चूत की खुजली मिटाने के लिये मेरी ससुराल में ही कोई भी लंड मिल सकता था। सुबह हुई और फिर सबकी सेवा की तैयारी में लग गई लेकिन जो सेवा मेरी हो रही थी, उसका कोई जवाब नहीं था।

मौका मिलने पर मैंने रितेश को बता दिया कि उसके घर के तीन मर्द निपट चुके हैं।

मुझे गले लगाते हुए रितेश बोला- अब मुझे विश्वास हो गया है कि तुम इस घर को अच्छे से संभाल लोगी, अगर किसी ने कुछ इधर से उधर करने की कोशिश की तो वो तुम्हारी चूत के आगे हार मान लेगा।

एक बार फिर नमिता, मैंने और मेहमानों में 2-3 लोगों ने मिल कर नाश्ता वगैरह तैयार किया, सबने नाश्ता किया। रोहन आज घर पर ही था, बाकी सब अपने-अपने काम पर जा चुके थे। रितेश के ऑफिस जाने से पहले मैंने उससे कहा- छुट्टी की पूरी-पूरी कोशिश करना क्योंकि कम्पनी मुझे ट्रेन में केबिन दे रही है, अगर तुम होंगे तो केबिन में भी मजा लेंगे।

रितेश बोला- जान, मैं पूरी कोशिश करूँगा कि मेरी सेक्सी बीवी के साथ ट्रेन की केबिन में चुदाई का मजा लूँ।

उसने मुझे चूमा। (हाँ, जब से हम दोनों की शादी हुई थी तो ऑफिस जाने से पहले हम दोनों चुदाई का खेल जरूर खेलते थे।)

सभी मेहमान एक जगह बैठ कर हंसी मजाक कर रहे थे लेकिन मुझे रोहन और स्नेहा कही नहीं दिखाई पड़ रहे थे, मेरी नजर उनको ढूंढ रही थी। मैं उन दोनों को देखने ऊपर चली आई तो मेरे कानों में रोहन की आवाज पड़ी- चल, मैं तेरे साथ कुछ नहीं करूंगा।

स्नेहा बोली- क्यूं? कल तो तूने मेरे साथ अच्छे से मजा लिया आज क्यों मना कर रहा है? चल एक बार मुझसे खेल! शाम तक चली जाऊंगी।

रोहन बोला- तो मैं क्या करूँ? तू मेरी बात नहीं मानती... तुमसे तो अच्छी मेरी भाभी है, कल मैंने उससे बोला कि मुझे उसको मूतते हुए देखना है तो वो तुरन्त मेरे सामने पेशाब करने लगी।

स्नेहा- तेरी भाभी ने तुझे मूत कर दिखाया?

स्नेहा सोच की मुद्रा में थी। फिर स्नेहा अपने हाथ को रोहन के लंड के ऊपर फेरते हुए बोली- मतलब तेरी भाभी तुझसे चुदवाती भी है?

रोहन ने जवाब दिया- कल रात पहली बार भाभी ने मुझसे चूत चुदवाई थी।

फिर स्नेहा पर झल्लाते हुए बोला- मूत के दिखाती है या मैं जाऊँ?

स्नेहा बोली- ठीक है बाबा, मैं भी तुझको मूत कर दिखाऊंगी तब तो मेरे साथ मजा करेगा?
 
रोहन बोला- हाँ, अगर तू मुझे मूत कर दिखायेगी तो मैं तुझे मजा दूंगा।

स्नेहा - 'तो ठीक है!'

कहकर स्नेहा छत पर चारों ओर देखने लगी, मैं तब तक अपने कमरे में आ चुकी थी और एक ओट लेकर खड़ी होकर उन दोनों की हरकतों पर नजर भी रख रही थी और उनकी बातों को भी सुन पा रही थी क्योंकि वो दोनों मेरे कमरे से थोड़ी ही दूरी पर ही खड़े होकर बात कर रहे थे। फिर अचानक स्नेहा को कुछ याद आया और

रोहन से बोली- तुम बिल्कुल बकलौल के लौड़े ही हो! सीढ़ी का दरवाजा खुला है, कोई आ गया तो दोनों की गांड खूब कुट जायेगी।

स्नेहा की बात सुनने के बाद राहुल झट से सीढ़ी के पास गया और उसने अन्दर से दरवाजा बन्द कर दिया। यह तो अच्छा था कि मैं मौका देखकर अपने कमरे में घुस गई थी।

रोहन दरवाजा बन्द करने के बाद स्नेहा के पास आया, स्नेहा ने अपनी पैन्टी उतारी और मूतने के लिये बैठने ही वाली थी कि रोहन ने उसे रोका।

स्नेहा बोली- अब क्या हो गया, तू इतनी नाटक क्यो पेल रहा है?

रोहन बोला- 'कुछ नहीं!' कल तूने अपनी मर्जी से मुझसे मजा लिया था और आज मैं जो कहूंगा वो तू करेगी!

स्नेहा- 'ठीक है, बोल बाबा!' स्नेहा थोड़ा झुंझलाने लगी थी।

रोहन- 'चल अन्दर तो आ!' कहते हुए रोहन ने स्नेहा का हाथ पकड़ा और कमरे के अन्दर आ गया।

मुझे तुरन्त ही अपने को छुपाना पड़ा पर्दे के पीछे... मैं छुप कर दोनों पर नजर रख रही थी।

अन्दर आते ही रोहन ने अपने कपड़े उतारे और स्नेहा के भी उसने कपड़े उतार दिए।

रोहन- 'चल नीचे बैठ और अपना मुंह खोल...' रोहन ने स्नेहा से कहा।

स्नेहा रोहन के कहे अनुसार नीचे बैठ गई और अपना मुंह खोल दिया। रोहन ने अपना लंड को उसके मुंह के पास ले गया और... जो रोहन ने हरकत की उससे मेरी आंखें खुली रह गई! रोहन ने अपने पेशाब की धार स्नेहा के मुंह में छोड़ दी।

स्नेहा- 'मादरचोद... यह क्या कर रहा है?' स्नेहा थोड़ा जोर से बोली, मेरे मुंह में पेशाब क्यों कर रहा है?

थोड़ा सा मुंह बनाते हुये बोली- अभी भोसड़ी के मुझे मूतता हुआ देखना चाहता था और अब लौड़े की मेरे मुंह में ही मूत रहा है।

जितनी गन्दी गाली एक लड़का बकता है उससे कहीं ज्यादा गंदी-गंदी गाली स्नेहा के मुंह से निकल रही थी। रोहन को पता नहीं क्या हुआ कि एक तमाचा खींचकर स्नेहा के गाल पर दिया और

रोहन बोला- बहन की लौड़ी, चुदवाने तू मेरे पास आई थी, मैं नहीं गया था तेरे पास... और मादरचोद इतनी शरीफ बन रही थी तो बुर चोदी अपनी बुर मेरे लंड पर कल क्यों रखी थी।
 
मैं समझ गई कि रोहन एक साईको है और कल रात जो मुझसे गलती हुई है वो मुझे आगे भारी पड़ने वाली है। जितनी गाली स्नेहा के मुंह में निकली थी, उससे कही ज्यादा रोहन के मुंह से निकल रही थी। स्नेहा की आँखों में आँसू आ गए थे, स्नेहा के आंसू देखकर रोहन को अपने गलती का अहसास हुआ और

उसने स्नेहा के गालों को चूमते हुए कहा- मेरी जान... मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे मुंह में मूतो और मैं तुम्हारे मुंह में मूतूँ!

स्नेहा चुदासी ज्यादा थी, शायद मार खाने के बाद भी उसने रोहन का कोई विरोध नहीं किया। रोहन नीचे बैठकर अपने मुंह को खोलते हुए

बोला- चलो, तुम पहले मूत लो।

रोहन उसकी चूत को सहालते हुए

बोला- चलो मूतो ना।

दो तीन बार ऐसा कहने के बाद एक हल्की सी धार स्नेहा के चूत से निकली और रोहन के होंठ को गीला कर गई। रोहन अपनी जीभ होंठों पर फिराते हुए

बोला- तेरी गांड मारू जान, तेरी मूत का स्वाद तो बहुत ही प्यारा है, चल और धार गिरा! स्नेहा की गांड, चूतड़ों को पकड़कर अपनी ओर खींचता हुआ

बोला- शाबास! चल शुरू हो जा।

रोहन स्नेहा के पुट्ठे को भींचता हुआ और उसके हौसले बढ़ाता हुआ बोल चल शर्म नहीं कर!

वह उसकी बुर में अपनी जीभ चलाते हुए उसका हौसला बढ़ा रहा था। स्नेहा ने अपने थप्पड़ को भूलते हुए एक बार फिर धीरे धीरे धार छोड़ी, इस बार वो रुक रुक कर रोहन के मुंह में मूत रही थी, स्नेहा रोहन को मूत को गटकने का पूरा मौका दे रही थी। रोहन भी उसके मूत को गटक रहा था। जब स्नेहा पेशाब कर चुकी तो रोहन ने उसको पीछे की तरफ घुमा दिया। स्नेहा की गांड अब मेरी आँखों के सामने थी, दोनों पुट्ठों को पकड़ कर रोहन ने फैलाया और फिर एक धार अपने मुंह से स्नेहा की गांड के ऊपर छोड़ी। मतलब रोहन ने मूत को थोड़ा सा अपने मुंह में भर लिया था। फिर रोहन उसकी गांड को चाटने लगा। स्नेहा जो कुछ देर पहले गुस्से में थी अब उसके मुख से आओह... आह... ओह... की आवाज आ रही थी। गांड चाटने के बाद रोहन खड़ा हो गया, स्नेहा समझ चुकी थी कि अब उसे भी वही सब करना है। वो चुपचाप नीचे बैठ गई और अपने मुंह को खोल दिया। इस बार रोहन धीरे-धीरे और बड़े ही प्यार के साथ स्नेहा को अपनी मूत पिला रहा था। स्नेहा ने भी रोहन के साथ वही किया, उसने भी रोहन के गांड में कुल्ला किया और उसकी गांड चाटने लगी। रोहन का लंड देखने से मुझे ज्यादा खुशी हो रही थी कि ससुराल में सबके लंड काफी बड़े थे।

स्नेहा एक कुतिया के माफिक झुक गई और रोहन उसकी चुदाई कर रहा था। मेरा कमरा दोनों की उत्तेजनात्मक आवाज से गूंज रहा था।

दोनों की चुदाई की मधुर आवाजें मेरे कानों में गूंज रही थी। काफी देर से स्नेहा कुतिया वाले पोजिशन में खड़ी थी, रोहन कभी उसकी चूत को चोदता तो कभी उसकी गांड मारता। स्नेहा पहले से खूब खेली खाई हुई थी। कुछ देर तक इसी तरह चलता रहा,

तब रोहन बोला- मेरी जान, मेरा माल निकलने वाला है।

स्नेहा बोली- अन्दर मत निकाल, पहले मेरे मुंह को भी चोद... और वहीं अपना माल निकालना!

कहते हुए स्नेहा वापस घुटने के बल बैठ गई और रोहन ने उसके मुंह में अपना लंड पेल दिया, उसका लंड स्नेहा के हलक के अन्दर तक जा रहा था, स्नेहा के मुंह से खों खों की आवाज आ रही थी। चार-पांच धक्के के बाद रोहन ने अपना पूरा माल स्नेहा के मुंह में छोड़ दिया, वीर्य पीने के बाद स्नेहा ने रोहन के लंड को भी चाट कर साफ किया और उसके बाद रोहन स्नेहा की चूत को चाटने लगा। दोनों की चुदाई देखकर मेरी भी चूत में आग लग गई थी और मैं बहुत ही देर से अपनी चूत में उंगली कर रही थी, जिसके परिणामस्वरूप मैं भी झड़ चुकी थी और मेरी उंगली गीली हो चुकी थी। मैंने अब छिपना उचित नहीं समझा और पर्दे के पीछे से निकल आई। दोनों मेरी तरफ आंखें फाड़ फाड़ देख रहे थे।

मैंने स्नेहा को अनदेखा करते हुए रोहन से कहा- तुम दोनों की चुदाई देख कर मैंने भी पानी छोड़ दिया! कहते हुए मैंने उसको अपनी उंगली दिखाई जिसमें मेरी चूत का रस लगा हुआ था। रोहन ने तुरन्त ही मेरी उंगली पकड़ी और उसे चाटने लगा।

तभी मैंने रोहन से कहा- तुम दोनों मिल कर मेरी चूत से निकलते हुए रस को चाटकर साफ करो!

कहते हुए मैंने अपनी नाईटी को ऊपर उठाया और अब स्नेहा और रोहन दोनों ही बारी-बारी से मेरी चूत चाट कर साफ कर रहे थे। चूत चटाई होने के बाद

रोहन बोला- भाभी अब तुम भी हो तो चलो दोनों की एक बार और चुदाई कर देता हूं।

मैं- 'ठीक है, चोद लो... लेकिन पहले मैं नीचे देख आऊँ कि किसी का ध्यान हम तीनों पर है या नहीं... फिर मैं आती हूँ और तुम्हारे लंड का पानी मैं और स्नेहा मिलकर निकालेंगी।
 
मैं नीचे आई तो सभी बातचीत में लगे हुए थे, मतलब किसी का ध्यान नहीं गया था।

तभी नमिता मुझे रोकते हुए बोली- भाभी, कहाँ जा रही हो?

मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं नमिता को क्या कहूँ, तभी मेरे खुरापाती दिमाग ने नमिता को सही बात बताने के लिये कहा। बस दिमाग में बात आते ही,

मैं नमिता से बोली- तेरे भाई ने चोदने के लिये बुलाया है, आओ हम दोनों चलती हैं।

वो मेरी तरफ देखते हुये बोली- भाई तो ऑफिस में है?

मैं- 'नहीं, रितेश नहीं, रोहन ने!'

रोहन का नाम सुनकर चौंकी और

नमिता बोली- कब???

मैं- 'कल रात उसने पहली बार मुझे चोदा था और आज स्नेहा के साथ साथ मुझे भी चोदना चाहता है।'

'सच में?' नमिता बोली।

मैं- 'हाँ! अगर विश्वास नहीं होता तो तुम भी चलो, तुम भी मजा ले लो।'

नमिता बोली- 'नहीं बाबा, मैं नहीं जा रही हूं। तुम जाओ और मैं यहाँ पर रहकर सबको देख रही हूँ... और जल्दी से निबटकर आओ। खाना भी बनाना है। नहीं तो शाम तक चुदने-चुदवाने का प्रोग्राम करोगी तो सब को पता चल जायेगा।'

कहकर वो चली गई और मैं ऊपर आ गई।

मैं ऊपर आई, दरवाजा बंद करके कमरे में आई तो देखा कि स्नेहा और रोहन एक दूसरे से चिपके हुए हैं। वास्तव में उसके सामने मुझे हीनता महसूस हो रही थी क्योंकि स्नेहा की गांड तो मुझसे ज्यादा सेक्सी लग रही थी, बिल्कुल उठे हुए थे उसके चूतड़! मैं चुपचाप स्नेहा के पीछे आई और उसके कूल्हे पर अपने होंठ लगा दिया। मेरे होंठों के स्पर्श से,

स्नेहा पल्टी और मुझे देखते हुये बोली- भाभी आप आ गई, चलो आओ रोहन को मजा दें। रोहन बीच में एक तरफ मैं और एक तरफ स्नेहा थी, दोनों ने ही अपने गांड की दिशा रोहन के मुंह के तरफ कर दिया और बारी बारी से उसके लंड को चूसने लगी, रोहन भी बारी बारी से हमारी गांड और चूत को चूमता। एक बार हम तीनों के बीच होड़ मच गई, स्नेहा कभी रोहन के लंड को चूसती तो कभी मेरे होंठ चूमती। कुछ देर तो ऐसा ही चलता रहा, उसके बाद मैं रोहन के मुंह में बैठ गई और स्नेहा उसके लंड की सवारी करने लगी। रोहन भी चूत चाटने का एक्सपर्ट था, मेरी पुतियों को बार बार काटता और अपनी उंगली मेरी गांड के अन्दर डालता। थोड़ी देर बाद स्नेहा और मैंने अपनी अपनी जगह बदल ली। स्नेहा वैसे भी काफी खेली खाई थी, वो भी खुलकर रोहन से खेल रही थी, गालियाँ तो वो ऐसे बक रही थी कि कोई लड़का सुन ले तो शर्माने लगे,

स्नेहा- ले मादरचोद... खा जा मेरी चूत! मेरी बुर तेरे लंड की दीवानी हो चुकी। कितने लंडों से मैं चुद चुकी हूँ लेकिन मजा तेरे लौड़े में ही है। और चाट मेरी बुर को। तेरी भाभी से ज्यादा मजेदार मेरी बुर है। आह-आह करते हुए खूब अनाप शनाप बक रही थी।
 
रोहन दोनों को अपने ऊपर से हटाते हुए हम दोनों को बेड पर लेटा दिया। आज मैं अपने पति रितेश की भी तारीफ करूंगी कि उसने अपने बेड रूम के पलंग को ऐसा डिजाइन किया था कि लड़की आराम से अपने पैर लटका कर लेटे और लड़का जमीन पर खड़े होकर उसकी चूत का भर्ता बना दे। मतलब एक परफेक्ट उँचाई का बेड था हमारे बेड रूम का, जैसे ब्लू फ़िल्म में अकसर देखा जा सकता है। मैं और स्नेहा एक दूसरे के बगल में लेटी हुई थी और हमारी टांगें नीचे लटकी हुई थी, रोहन बारी-बारी से मेरी और स्नेहा की टांगों के बीच आता और हमारे चूत को चोदता। फिर वो समय भी आया कि,

रोहन जोर जोर से चिल्लाने लगा- मैं झड़ने वाला हूँ, मैं झड़ने वाला हूँ।

उसने मेरी चूत से अपना लंड निकाला और स्नेहा के मुंह में पेल दिया, अपना पूरा माल उसके मुंह में निकाल दिया। उसके लंड में बचा हुआ माल मैंने साफ किया। उसके बाद रोहन बारी बारी से दोनों की चूत के रस को चाट कर साफ करने लगा।

मैं अभी चुद कर फ्री ही हुई थी कि अचानक मेरा मोबाईल बजने लगा, मुझे लगा कि नमिता ने इशारा किया तो मैंने दोनों को जल्दी नीचे जाने को कहा। रोहन और स्नेहा ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और चले गये। जब मैंने मोबाईल उठाया तो रितेश की कॉल थी- हैलो मेरी जान, क्या हो रहा है?

यह रितेश की आवाज थी।

मैं- 'बस अभी चुद कर फ्री हुई हूँ।' मैंने जब रितेश को बताया तो वो चौंकते हुए बोला- क्या कह रही हो, इतने मेहमानो के बीच में तुम्हें कौन मिल गया जो तुम्हारी चूत को ठण्डा कर रहा है?

मैं- 'कोई नहीं अपने ही घर का है।'

'मतलब?' रितेश ने पूछा।

मैं- 'तुम्हारा भाई रोहन... घर में वही बचा था मेरी चूत भेदन के लिये। उसने भी अपनी इच्छा पूरी कर ली!' कहते हुए मैंने अपने, स्नेहा और रोहन के बीच हुई घटना को रितेश को बता दिया।

कहानी सुनने के बाद रोहन बोला- यार मेरी बीवी की चूत ही इतनी गजब की है कि कोई इसे बिना चोदे रह नहीं सकता।

फिर उसने बताया कि उसे ऑफिस से छुट्टी नहीं मिल रही है और जिस डेट को हमे कलकत्ता जाना था, उसी डेट को उसे भी अपने एक टीम मेम्बर के साथ तमिलनाडू एक प्रोजेक्ट के लिये जाना है। बात मेरे भी प्रोजेक्ट की थी और उसी बेस पर मुझे प्रोमोशन भी मिलना था। मतलब यह था कि मुझे रितेश के बिना ही कोलकाता जाना होगा। हम दोनों ने डिसाईड किया कि मेहमान के चले जाने के बाद हम लोग घर पर डिसक्स करेंगे। बात ही बात में रितेश ने बताया कि सुहाना का फोन आया था, वो तैयार है स्वेपिंग के लिये। कह रही थी कि उसका हसबैण्ड तो बहुत ही उत्सुक है और चाहता है कि जल्दी प्लान बना लें। हम दोनों बात कर ही रहे थे कि तभी नीचे से बुलावा आ गया, रितेश और मैंने तय किया कि स्वेपिंग की प्लानिंग घर पर मौका देख कर करेंगे और इसमें नमिता और अमित को भी शामिल किया जायेगा।

उसके बाद मैं नीचे आकर बाकी का काम नमिता के साथ निपटाने लगी। नमिता ने काम करते करते मुझसे हमारे तीनों के सेक्स की पूरी कहानी सुनने लगी। मैं नमिता को कहानी सुना ही रही थी कि,

नमिता मुझसे बोली- भाभी, जब मैं तुमसे सुन रही हूं, मेरी चूत पानी छोड़ रही है तुम तीनों तो खूब मजे ले चुके हो।

मैंने उसे चिढ़ाते हुए कहा- तुम्हें तो मैंने बुलाया था, तुम आती तो तुम्हारा दूसरा भाई भी अपनी बहन की चूत का स्वाद चखता। हम दोनों बात कर ही रही थी कि

मैंने नमिता से पूछा- रितेश का लंड लेकर कैसा लगा?
 
मेरी बात सुनकर दीपा सहम गयी और कुछ देर तक सोचने लग गयी। फिर बोली, "आप की बात तो सही है, पर अगर मैंने उसे अपने गले लगाकर शांत करने की कोशिश की और जो आपने कहा वह सब मैंने उसे कहा तो तरुण को तो आप जानते ही हो। वह तो अपने आप को रोकने से रहा। फिर तो मेरा सारा काम तमाम ही हो जाएगा ना?"

मैंने कहा, "तो क्या होगा? याद करो, जब मैंने तुम्हें तरुण को उकसाने के लिए कहा था तब तुमने मुझसे यही सवाल किया था की कुछ ऊपर निचे हो गया तो? तब मैंने क्या कहा था? मेरा आज भी वही जवाब है। अगर कुछ भी हो जाये तो मैं तुम्हें दोष नहीं दूंगा। तरुण तुम्हें क्या कर लेगा जो आज तक उसने नहीं किया। सुबह और अभी कुछ देर पहले ही उसने तुम्हारे बॉल दबाये तो क्या हुआ? कौन सा आसमान टूट पड़ा? वह उन्हें दुबारा दबाएगा और मलेगा? शायद वह तुम्हें मुंह पर चुम्बन कर सकता है। पहले भी तो तुम्हें मुंह में चूमा तो है ही ना? तुम तो कह रही थी की उसने तुम्हारे मुंह में अपना पतलून में ढका हुआ लण्ड भी डाल दिया है? तुम्हारे कूल्हे उसने दबाये है, उसने सब कुछ तो किया है। और क्या करेगा? हाँ उसने तुम्हें चोदा नहीं है। ज्यादा से ज्यादा वह क्या करेगा? उसका लण्ड तुमने पकड़ा या चूसा नहीं है। तो शायद वह तुम्हारे हाथ में उसका लण्ड पकड़ा देगा? तुम्हें चोदने की कोशिश करेगा ना? मानलो की अगर आवेश में उसने तुम्हें चोदने की जिद की और तुम अगर उसे मना नहीं कर पायी तो मैं तुम्हें दोषी नहीं ठहराऊंगा। और तुम्हारा दिया हुआ वचन भी पूरा हो जाएगा।"

मेरी बात सुनकर दीपा चौंक कर मेरी और देख कर बोली, "राज, आप क्या कह रहे हो? आपको कुछ ख्याल भी है की आप क्या कह रहे हो?"

मैंने बिना रुके कहा, "हाँ मैं जानता हूँ की मैं क्या कह रहा हूँ। देखो, अब बनने की क्या जरुरत है। उसने तुम्हें चुदवाने के लिए राजी कर ही लिया है ना? तरुण ऐसा कुछ नहीं कर सकता जो तुम उसे करने नहीं दोगी। जो तुम्हें अच्छा ना लगे वह बिलकुल मत करना। मैं तो तुम्हारे साथ हूँ ना? तुम्हें जो मंजूर है वह तुम्हें करने से मैं नहीं रोकूंगा और जो तुम्हें नामंजूर है वह मैं तरुण को करने नहीं दूंगा। वह क्या करेगा, क्या नहीं करेगा, तुमसे अच्छा कौन जानता है? तुम तरुण को भली भाँती जानती हो। देखो डार्लिंग, अगर उसने तुम्हें चोद दिया तो क्या होगा? आखिर बात तो अपनों की है। अगर अपने हमें कुछ कष्ट भी देते हैं तो हम झेलते हैं की नहीं?"

मेरी प्यारी बीबी गहरे सोच में डूबी हुई मेरी बात बड़े ध्यान से सुन रही थी और बार बार अपना सर हिला अपनी सहमति जता रही थी। दीपा की सकारत्मक प्रक्रिया देख कर मैं रुकने वाला कहाँ था? मैंने कहा, "मैं तो यहां हूँ ना? फिर तुम्हें डर कैसा? तुम खुद ही तो कह रही थी की तरुण एक बड़ा ही सभ्य व्यक्ति है? वह तुम्हें इतना प्यार करता है, वह तुम्हारा इतना सम्मान जो करता है? तुम्हारे पीछे पागल है और एक देवी की तरह तुम्हें पूजता है। तो फिर अगर तुम नहीं चाहोगी तो वह तुम्हारे साथ असभ्य वर्तन क्यों करेगा? और अगर वह तुम्हें चोदेगा तो वह कभी भी तुम्हारी बदनामी नहीं करेगा। इसका तुम्हें पूरा भरोसा है या नहीं?"

दीपा ने कहा, "हाँ डार्लिंग, उसका तो मुझे पूरा भरोसा है, वरना मैं तरुण को क्या आगे बढ़ने देती? पर यह वक्त बहोत नाजुक है। तरुण बड़ी ही संवेदनशील अवस्था में है। मुझे उसे ढाढस देने के लिए उसके काफी करीब जाना पडेगा। उसको गले लगाना पडेगा। मैंने जो पहना है वह तो तुम देख ही रहे हो। ऐसे हालात में तरुण जैसे एक वीर्यवान मर्द को मैं कैसे रोक पाउंगी? वैसे ही वह मुझ पर पागल है और ऐसी हालत में और भी पगला जाएगा। खैर यह ठीक है की वह जबरदस्ती नहीं करेगा। मेरे साफ़ मना करने पर वह आगे नहीं बढ़ सकता। पर अगर उसने जिद की तो मैं इस हालात में उसको रोक भी कैसे सकती हूँ? मैं उसको और दुखी करना नहीं चाहती। और अगर बात कुछ आगे बढ़ी तो फिर उसके बाद हमारा कोई कण्ट्रोल नहीं रह जाएगा। यह तो बड़ी गड़बड़ बात हो गयी। काश टीना यहाँ होती।"

दीपा की बात सुनकर मैं तो मन ही मन दुखी हो गया। मेरे इतना कहने पर मेरी पत्नी इधर उधर की बात कर रही थी पर सीधी चुदवाने की बात पर आ नहीं रही थी। मुझे इतना तो यकीन हो गया था की मेरी बीबी अपने आप को तरुण से चुदवाने के लिए मानसिक रूप से तैयार कर रही थी। वह रात को ही शायद हमारा ध्येय सिद्ध होने वाला था। मेरा दिल तेजी से धड़क धड़क कर रहा था। जल्द ही मेरी बीबी तरुण से चुदने वाली थी उसकी मुझे काफी उम्मीद लग रही थी। बस अब मुझे आखिरी चाल चलनी थी।

मैंने मेरी स्वीटी को मेरी बाँहों में ले लिया और उसे कहा, "डार्लिंग, देखो, टीना होती तो क्या होता यह कौन जानता है? पर आज तुम तो टीना की जगह हो ना? इस समय जरुरी क्या है? जरुरी है अपने दोस्त को ढाढस देना। वह जैसा भी है, हमारा हमदर्द है। देखो तरुण ने तुमसे इतनी बदतमीजी या छेड़छाड़ की पर आखिर में जा कर तुमने क्यों माफ़ कर दिया? क्या कोई और होता तो तुम माफ़ करती? नहीं करती। तुमने माफ़ किया क्यूंकि तुम सच्चे दिल से उसे चाहती हो। हम दोनों तरुण को चाहते हैं। उसे प्यार करते हैं। यह हकीकत है की तुम भी तरुण को चाहती हो, उसे अपना मानती हो। सच सच बोलो तुम तरुण को चाहती हो की नहीं?" मैंने दीपा को जवाब देने पर मजबूर किया। यह एक कांटे की बात थी और मुझे दीपा से कबुल करवाना ही था।

दीपा कुछ देर तक मुझे अजीब सी नज़रों से देखती रही। फीर धीरे से उसने अपनी मुंडी हिलाकर "हाँ, हम दोनों तरुण को चाहते हैं। तुम मुझसे कहलवाना चाहते हो तो मैं कहती हूँ की मैं भी तरुण को चाहती हूँ तभी तो ऐसे यहां तक तुम दोनों के साथ आयी हूँ।"

मेरे लिए यह आखरी तीर था जो अब दीपा के जिगर के पार हो चुका था। अब तो बस फ़तेह करनी थी।

मैंने कहा, "तो फिर सोचती क्या हो? जिसे हम चाहते हैं उसे बचाने के लिए हम कुछ भी कर सकते हैं। मैं तुम्हारे साथ हूँ ना? और क्या तुम्हें तरुण पर भरोसा है या नहीं की वह तुम पर जबरदस्ती नहीं करेगा?"

दीपा ने बेझिझक कहा, "खैर तरुण जबरदस्ती तो नहीं करेगा। पर ऐसे हालात में तो मुझे अपने आप पर ही भरोसा नहीं है। अगर तरुण ने कुछ ऐसा वैसा किया और मैं उसे रोक नहीं पायी तो? फिर तो तुम्हें आकर मुझे उस झंझट में से निकालना पडेगा।"

मैंने आखिर वाला तीर मार कर कहा, "जब मैं हूँ तो फिर तुम्हें चिंता किस बात की? जाओ और आगे बढ़ो। सोचना क्या है? क्या होगा? जो होगा वह देखा जाएगा। ज्यादा से ज्यादा तुम यही सोच रही हो ना की कहीं वह तुम्हें चोदने के लिए जिद करेगा और तुम उसे मना नहीं कर पाओगी? जब मैं खुद तुम्हें आगे बढ़ने के लिए कह रहा हूँ की उसके लिए मैं जिम्मेवार होऊंगा, तुम नहीं। तरुण एक अच्छा इंसान है और तुम्हारी इज्जत करता है। ज्यादा सोचा मत करो। मैं तुम्हारा पति तुम्हे कह रहा हूँ। जो थ्रीसम एम.एम.एफ. मैं करना चाहता था वह अगर होगा हम तीनों की मर्जी से होगा। हम सब साथ हैं। अगर हम सब की मर्जी से कुछ भी होता है तो डार्लिंग तुम खुद ही कह रही थी ना की वह ठीक ही है? यह पीछे हटने का वक्त नहीं है। तुम मेरे साथ चलो और उसका सर अपने सीने से लगा कर वह तुम्हारे बूब्स को चूसता है तो चूसने दो पर उसे अपने आँचल में लेकर शांत करो। और साथ साथ अपना वचन भी पूरा करो।"

मैंने देखा की मेरी बात सुनने के बावजूद भी मेरी प्यारी बीबी वहीँ मंत्रमुग्ध सी बैठी रही। उसकी समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या करे। उसके दिल और दिमाग के बिच का यह बड़ा जंग चल रहा था। मैं परेशान हो गया। अगर यह मौक़ा चूक गए तो फिर गड़बड़ हो जायेगी।

मैंने फिर मेरा ब्रह्मास्त्र छोड़ा। मैंने कहा, "देखो, तरुण बेचारा पागल हुआ जा रहा है। अगर इस वक्त उसे सम्हाला नहीं गया तो कहीं वह कुछ उलटा पुल्टा कर ना बैठे। एक तुम ही हो जिस के प्यार करने से और प्यार से कहने से वह फिर से अपने आप पर काबू पा सकता है। वह जब तुम्हारे करीब होता है तो अपना सारा गम भूल जाता है और तुम्हारा पागलपन उस पर सवार होजाता है। अगर तुम उसे अपनी बाँहों में ले कर प्यार करती हो तो वह तुम्हारे साथ पागलपन जरूर करेगा। वह उसका पागलपन नहीं, प्यार करने का एक तरिका है। अपना प्यार जताते हुए जरूर वह तुम्हें चोदने के लिए तैयार हो जाएगा। अगर इसमें तुम्हें और मुझे कोई आपत्ति नहीं है तो फिर उसमें क्या बुराई है? आज तक कभी कोई मर्द ने किसी और की बीबी को पहले कभी चोदा नहीं क्या? क्या तुम पहली बीबी हो जिसे किसी गैर मर्द ने चोदा होगा? अरे मैं समझता हूँ शायद ही कोई पत्नी ऐसी होगी जिसको किसी गैर मर्द ने चोदा ना हो। आज की तारीख में शायद तुम ही अकेली ऐसी औरत होगी जिसको उसके पति के अलावा किसी गैर मर्द ने चोदा ना हो।"

मैंने मेरी बीबी के होँठ पर हलकी सी चुम्मी करते हुए हँसते हुए मजाक में कहा, "मैं मेरी बीबी के माथे पर लगे हुए उस कलंक को मिटाना चाहता हूँ।"

मेरी बात सुन कर दीपा को भी हंसी आ गयी। मुझे नकली घूंसा मारते हुए वह बोली, "मेरा पति महान है जो अपनी बीबी को किसी गैर मर्द से चुदवाने के लिए इतना उकसा रहा है।"

मैंने उसकी बात पर ध्यान ना देते हुए कहा, "जैसा वक्त हो ऐसे चलना चाहिए। तुम उसे रोकोगी नहीं और उसे पूरा प्यार करने दोगी तो वह तुम्हारे प्यार करने से मुसीबतों के समंदर को पार कर सकता है। तुम उसे अपना प्यार देकर समझाओगी की जिंदगी की लड़ाई लड़ने के लिए है, भागने के लिए या हार मानने के लिए नहीं है; तो वह जरूर समझेगा।
 
नमिता बोली- भाई के सामने पहले शर्म आ रही थी, फिर जब भाई ने मेरी तारीफ करनी शुरू की तो जितनी शर्म हया थी, सब लौड़े लग गई।

मैंने हंसते हुए कहा- नमिता, लौड़ा मर्द के पास होता है, कहो कि सब शर्म बुर में घुस गई।

फिर हम दोनों हँसने लगी।

इसी तरह मेहमानों की आवभगत में शाम हो गई। विजय, अमित और रितेश भी घर आ चुके थे। सबसे पहले अमित ही था जो रसोई के अन्दर आया और नमिता को चूमने के बाद मुझे भी चूम कर

अमित बोला- आज तुम दोनों के हार्न बहुत ही बड़े-बड़े लग रहे हैं, क्या बात है?

नमिता बोल पड़ी- मेरा हार्न तुम्हारे बार-बार बजाने से बड़ा हुआ है और भाभी वाला हार्न रितेश भईया जम कर बजा चुके हैं।

नमिता का हाथ अमित के लंड को सहला रहा था कि रितेश भी रसोई में आ गया और मेरी गांड में चपत लगा दी। नमिता ने रितेश को देखा तो अमित के लंड से हाथ हटा लिया तो

रितेश बोला- मेरी प्यारी बहना, इसके लंड पर से हाथ मत हटाओ, नहीं तो बेचारे का खड़ा ही नहीं होगा तुम हाथ लगाती हो तो ही खड़ा होता है।

तभी अमित बोल पड़ा- भाभी के इस घर में आने के बाद ही पता चला कि चुदाई का खेल क्या होता है और जब खुल कर मजा लेने की बारी आई तो मेहमान बीच में आ गये।

मैं बोल पड़ी- बताओ रिस्क लेने का बूता किसकी गांड में है?

तीनों ही तैयार थे रिस्क लेने को...

मैं- 'ठीक है फिर... चलो तुम दोनों जल्दी से केवल लोअर पहन आओ और नमिता तुम भी अगर पैन्टी और ब्रा पहनी हो तो उतार आओ।'

नमिता तुरन्त बोली- मैं उतारने क्यों जाऊँ? यही उतार लेती हूँ, अमित मेरी पैन्टी और ब्रा रख कर आ भी जायेगा और साथ ही लोअर पहन कर चला आयेगा।

खैर नमिता ने वहीं पर अपनी कुर्ती उतार दी और अमित की तरफ देखते हुए बोली- लो, पीना है तो पी लो, नहीं तो रात में मौका नहीं मिलेगा।

इधर अमित नमिता की चूची चूसने लगा और उसकी देखादेखी रितेश ने झट से मेरे गाउन को खोल दिया और रसास्वादन करने लगा। फिर नमिता के कहने पर अमित हटा और नमिता ने उसे अपनी ब्रा देकर कुर्ती पहन ली और फिर अपने पजामा उतार कर पैन्टी उतार कर अमित को दे दी। जितना मैंने सोचा नहीं था उससे ज्यादा नमिता डेयरिंगबाज़ निकली। रितेश और अमित दोनों रसोई से चले गये और थोड़ी देर बाद दोनों बनियान और लोअर में वापस रसोई में आ गये। रसोई के अन्दर हमें दोनों को चोदने के ख्याल से ही दोनों के लंड तने हुए थे।

रितेश और अमित- 'अब क्या करना है?'

मैंने कहा- करना क्या है, बस रसोई में हो अपने लंड की मुठ मारो, हम दोनों तुम दोनों को मुठ मारते हुए देखेंगी।

अमित ने चिढ़ते हुए कहा- इसी को कहते हैं 'खड़े लंड पर धोखा...'

रितेश बोल पड़ा- देखो, तुमने जैसे कहा था, वैसे ही कर दिया है, अब तुम दोनों अपनी अपनी चूत में हमारे लंड ले लो और इसकी गर्मी को निकालो।

मौके की नजाकत को समझते हुए मैंने रसोई के दरवाजे को हल्का सा खुला रख छोड़ा ताकि जब कोई आये तो दूर से ही पता चल जाये।

अमित और रितेश को समझाते हुए

मैं बोली- देखो, ओरल सेक्स नहीं करेंगे, बस अपने लंड की प्यास हम दोनों की गांड और चूत से शांत कर लो!

कहते हुए मैंने अपने गाउन को ऊँचा कर लिया और रसोई के प्लेटफार्म पर झुक कर खड़ी हो गई। नमिता ने अपने पजामे को नीचे कर दिया और वो भी झुक कर खड़ी हो गई।

तभी नमिता बोली- अमित, बाहर भी ध्यान रखना कि कोई आ रहा हो तो हट जाना... ऐसा न हो कि कोई आकर यहां खड़ा है और तुम दोनों हम दोनों को पेल रहे हो।

अमित बोला- चोदने के साथ साथ बाहर का भी ध्यान रखेंगे।

इस समय हम लोग फॉरेन लोगों की तरह थे, हम लोगों का कल्चर यह तो है ही नहीं, लेकिन मजा खूब आ रहा था। पारी पारी से रितेश और अमित दोनों ही हम दोनों के चूत और गांड को चोद रहे थे और अपने लंड की प्यास बुझा रहे थे। हम चारों की किस्मत अच्छी थी कि अभी तक रसोई में कोई नहीं आया। अब सब झड़ने वाले थे,

अमित बोला- मैं झड़ने वाला हूँ, बताओ माल को कहाँ गिराऊँ?

मैंने सुझाव दिया- इस समय तुम नमिता की गांड या चूत में अपना माल गिराओ और रितेश तुम मेरी चूत या गांड कहीं भी निकाल सकते हो।

दोनों ने ऐसा ही किया, रितेश मेरी चूत के अन्दर अपने रस को गिरा रहा था और अमित नमिता की चूत के अन्दर! फिर हम सबने अपने अपने कपड़े ठीक किए।
 
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