hotaks444
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आरोही ने आगे जाकर फ्रिज खोला और नीचे झुककर कुछ निकालने लगी..अब अरुण का तो मुँह चलना ही रुक गया..आरोही ने फिर पैंटी नही पहनी थी और झुकने से उसकी चूत की लाइन्स सॉफ सॉफ दिखाई दे रही थी..जितना वो हिलती उतना ज़्यादा धीरे अरुण का मुँह चलता..
"गान्ड..देख...एक मार ना.." दिमाग़ ने अरुण की कहा
"ःऊह्ह्ह्ह...हुहह.कंट्रोल..." अरुण ने गहरी साँस लेकर दूसरी तरफ मुँह घुमा लिया.
तब तक सुप्रिया भी किचन मे आ गयी.
"हः...गेम हॅड आब्वियस्ली बिगन..तू तो गया.." दिमाग़ ने अरुण को चेताया
सुप्रिया ने सुबह के कपड़ो को बदल लिया था लेकिन ये कपड़े..शॉर्ट्स और एक वाइट शर्ट पहने थी जिसके 3 बटन खुले हुए थे और सॉफ पता चल रहा था कि उसने ब्रा नही पहनी है...ओह..गॉड..सुप्रिया अपनी गान्ड को मटकाती हुई अरुण के पास आई और उसके सामने झुककर उसका माथा चूमा और आँख मार दी..अरुण की नज़रें तो उन दो घाटियों पर ही अटकी थी जो शर्ट मे से झलक रही थी...
अरुण सोचने लगा ये निपल तो चूसने की भीख माँग रहे हैं...काश दी अकेले मे मिल जाए तो तुरंत ही इन पर टूट पडू..
"यू...माइ बॉय...सही जा रहे हो..मैं तो कहता हूँ यहीं पर शर्ट फाड़ के टूट पड़ कोई कुछ नही कहेगा..और अगर किस्मत अच्छी हुई तो शायद आज फोरसम भी हो जाए.." दिमाग़ ने कहा
"नो.." अरुण अपने ख़यालो से बाहर आते ही बोला.."आइ कॅन कंट्रोल.."और गहरी गहरी साँसें लेने लगा..
"ना..चोद दे..चोद दे.." दिमाग़ की आवाज़ चिल्लाने लगी
उसने सोचा अब तो यहाँ से जाना ही बेहतर होगा.
अरुण उठा और फ्रिज मे से पानी निकालकर पीने लगा...फिर बाहर आकर सोफे के पास ही जा रहा था कि दरवाजा खुलने की आवाज़ आई. तो उसने आवाज़ की दिशा की तरफ़ ध्यान दिया तो स्नेहा के रूम का दरवाजा खुला था..
"प्लीज़ ढंग के कपड़े हो प्लीज़ भगवान ढंग के कपड़े हों...प्लीज़" अरुण मन मे दुआ करते हुए सोचने लगा.
अरुण ने जब स्नेहा की ओर देखा तो गिरते गिरते बचा..स्नेहा ने टॅंक टॉप पहना था वो भी कुछ ज़्यादा ही डीप नेक का..निपल के इंप्रेशन तो सॉफ सॉफ देखे जा सकते थे..और उपर से बूब्स की जड़ पे वो काला तिल..और नीचे उसने सिर्फ़ पैंटी पहनी हुई थी...जैसे जैसे वो आगे बढ़ रही थी उसके दूध हिलते जा रहे थे..
अरुण को पता था कि स्नेहा ने ऐसे कपड़े उसे परेशान करने के लिए नही पहने हैं. ये तो बस स्नेहा थी. वो लगभग घर मे ऐसे ही कपड़े पहना करती थी.
स्नेहा थोड़ा तेज़ी से चलती हुई आई और अरुण के गाल पर किस किया तो उसके बूब्स अरुण की छाती मे चुभ गये अरुण ने अपनी आँखें बंद कर ली..
"मॉर्निंग, माइ डियर बेबी..उम्म्म" ये कहकर वो किचन मे चली गयी..
अरुण ने बिना सोचे पलटकर देखा और फिर पछताने लगा..पूरे किचन मे सेक्षुयल एनर्जी भरी पड़ी थी...4 4 कामदेवियाँ वहाँ बैठी बातें कर रही थी..
अरुण ने तुरंत ही अपने कमरे मे जाना ठीक समझा और दौड़ के चला गया...
"तू तो हारेगा..बेटे.." दिमाग़ ने अरुण को कहा
अरुण ने जाते टाइम सुप्रिया की आवाज़ सुनी लेकिन कोई रिक्षन नही दिया. आने वाले 14 दिन बहुत भारी होने वाले हैं.
आधा घंटा हुआ था कि आरोही आई उसके कमरे मे...
उसके चेहरे पर गुस्सा सॉफ दिख रहा था..
वो आई और बेड पर टाँगो को क्रॉस करके बैठ गयी.
"हाई." अरुण ने उसकी तरफ ना देखते हुए कहा.. थोड़ा डर भी लग रहा था..
"भाई, तुम आख़िर मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो..?" आरोही गुस्से मे बोली.
"हुआ क्या?" अरुण ने धीरे से पूछा..और वो डर भी रहा था..
"हुआ क्या बहुत कुछ हुआ है....हाउ कॅन यू डू दिस टू मी??" आरोही गुस्से मे थोड़ा तेज बोली..
अब अरुण को थोड़ा हर्ट भी हुआ क्यूकी वो अपनी किसी भी बहेन को तकलीफ़ मे देख नही सकता था और आरोही के लिए तो उसके दिल मे वैसे भी स्पेशल प्लेस था..
अरुण को कुछ समझ मे नही आया तो चुप रहा..
"अब कुछ कहने के लिए भी नही है तुम्हारे पास.." आरोही की शक्ल देख कर लग रहा था कि वो रोने वाली है..
"दी ने बताया, है ना.." अरुण ने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा लेकिन आरोही ने हाथ झटक दिया.
"क्या फ़र्क पड़ता है किसने बताया...मैं ये पूछ रही हूँ कि मेरे साथ ही ऐसी पार्षियालिटी क्यू..??" आरोही ने अपना आँख को रगड़ते हुए कहा.
"यार आरू प्लीज़ यार तुम तो मुझे समझो..मेरा इंटेन्षन तुम्हे या किसी को हर्ट करने का नही है..आइ आम जस्ट.."
"हां सही बात है, सब को प्यार बताते फ़िरो जब आरोही की बारी आती है तो वो ही सब समझे..क्यू क्यूकी मैं तुम्हारी फीलिंग्स समझती हूँ. लेकिन तुम ने अरुण, तुमने कभी मेरी फीलिंग्स समझी.." अब आरोही के हल्के से आसू निकलने लगे..
तो अरुण भी उसके पास बेड पर बैठ कर उसके आसू पोछ डाले..
"प्लीज़ आरू, रोना मत...मैं ये नही कह रहा कि आइ डोंट लव यू..और ये बात तुम अच्छे से जानती हो...मैं जानता हूँ तुम जाने कब्से उस टाइम का इंतजार कर रही हो. व्हेन वी विल बी टुगेदर....और मैं ये भी नही कह रहा कि वो नही होगा..बस अभी 2 वीक्स तक नही.."
"क्यू जब मेरी बारी आई तभी तुम्हे ये कंट्रोल करना था खुद को..सोनिया और सुप्रिया दी के लिए तो कभी ये ख़याल नही आया तुम्हारे दिल मे.." आरोही अभी भी गुस्से मे थी..
"आरोही प्लीज़ ट्राइ टू अंडरस्टॅंड...ओके आइ आम गोयिंग टू टेल यू दा ट्रूथ..." अरुण ने उसका हाथ पकड़ लिया तो इस बार आरोही ने नही छुड़ाया..
"ट्रूथ.??" आरोही भी सर्प्राइज़्ड लग रही थी..
"देखो इसको सुनने के बाद प्लीज़ मुझे पागल मत कहना..देयर'स आ वाय्स इन माइ हेड. मुझे नही पता कि क्या है लेकिन ही ओर शी आइ डोंट नो..मुझसे बात करती है. बात करने का मतलब मुझे हमेशा कुछ सेक्स से रिलेटेड करने को मजबूर करती रहती है..लाइक वो आ सोनिया वाला इन्सिडेंट उस टाइम भी ये सब इसी की कारस्तानी थी..तुम समझ रही हो ना.."
आरोही ने हां मे सिर हिलाया.."थोड़ा थोड़ा..आगे बोलो.."
"तो आज सुबह मैं सोफे पर बैठा तो उसने कहा कि अब मैं प्रेग्नेंट करूँ तुम सबको जिससे तुम सब मेरे साथ हमेशा के लिए रहो..." अरुण इतना कह के आरोही का रियेक्शन देखने लगा..
आरोही का चेहरा कन्फ्यूषन के भाव से भरा हुआ था.."प्रेग्नेंट?? सीरियस्ली..ये सब तुम्हारे दिमाग़ मे रहने वाली आवाज़ बोलती है..?"
"मैं जानता था तुम मेरी बात पर बिलीव नही करोगी..लेकिन ये सच है..तो मैं इतना आगे उसकी बातों मे फँसना नही चाहता तो मैने एक शर्त लगाई.."
आरोही अरुण को ऐसे देख रही थी जैसे कोई एलीयन उसके सामने बैठा हो लेकिन वो बोलता रहा..
"तो शर्त ये है कि मैं 2 वीक्स तक तुम सबके ऐक्शन और इस आवाज़ की जितनी भी बातें होती हैं उनको रेज़िस्ट करूँगा..और खुद को कंट्रोल करूँगा..तो 2 वीक्स तक नो सेक्स,,,वित एनिवन..सोनिया के साथ भी नही.."
आरोही पहले तो उसे देखती रही फिर पेट पकड़कर हँसने लगी और उसके कंधे पर हाथ रख के और ज़ोर से हँसने लगी..
"ये भेजेगी तुझे पागलख़ाने.." दिमाग़ ने फिर चुटकी ली
अरुण असमंजस से उसे देखता रहा...
"हिहिई.हाहह..हाहह...ओके ओके..तो तुमने अपने ही दिमाग़ मे रहने वाली आवाज़ से शर्त लगाई है कि तुम इस घर मे रहने वाली हर लड़की जिनमे से तीन तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहती है वो भी कभी भी और कहीं भी उन सबको रेज़िस्ट करोगे...हिहिहहीी...यू आर मॅड..." आरोही हँसे जा रही थी..
"ओके ओके..शांत आरोही..कंट्रोल...हाहाहा.आ..कंट्रोल..ओके सॉरी अब नही हसुन्गी..हाहह.." लेकिन इसके बाद भी वो थोड़ी देर तक हँसती रही..
अरुण भी बिना कुछ बोले उसे देखता रहा...अटलिस्ट वो अब रो तो नही रही थी..
"अच्छा तो तुम 14 दिन तक किसी के साथ सेक्स नही करने वाले..लेकिन ये बताओ अगर तुम शर्त हार गये तो.."
"तो मैं एक दिन के लिए उसका गुलाम बन जाउन्गा वो जो कहेगा मैं करूँगा..कुछ भी.." अरुण धीरे से बोला..
"अच्छा तभी आज सुप्रिया दी इतना ओपन ओपन कपड़े पहने हुई थी...खैर एक बात बताऊ, जैसा तुमने मुझे इस आवाज़ के बारे मे बताया है और अगर उस हिसाब से तुम हार गये तो बहुत पछताने वाले हो.."
"एसस्स, आइ न्यू इट..शी ईज़ माइ पार्ट्नर.." दिमाग़ की आवाज़ ने खुश होते हुए कहा
"अगर.." अरुण ने ज़ोर देकर कहा..
"अच्छा चलो अब मेरी कंडीशन पर आओ, मेरा क्या.."
अरुण ने उसका चेहरा पकड़कर उसके होठों को चूमा फिर कहा...
"आइ'म रियली सॉरी टू से दिस आरू..लेकिन तुम्हे भी 14 दिन तक इंतजार करना पड़ेगा...लेकिन उसके बाद पक्का आइ विल मेक अवर यूनियन स्पेशल. आइ ऑल्सो वान्ट टू डू दिस....प्रॉमिस..आंड आइ लव यू, रियली..आंड आगे से रोना मत, नही तो बहुत मारूँगा.."
आरोही ने भी उसके हाथों पर अपने हाथ रख दिए.."आइ नो भाई, यू लव मे आंड आइ लव यू टू. मुझे बस उस टाइम ये लगा कि तुम पार्षियालिटी कर रहे हो. लेकिन अब मैं तुम्हारी बात समझ गयी हूँ लेकिन.." इतना कह कर वो रुक गयी..
"लेकिन.." अरुण ने डर कर पूछा.
"लेकिन, क्यूकी तुम मुझे 14 दिन तक इतना इंतजार करवाने वाले हो तो मैं तुम्हारी आवाज़ की साइड लूँगी.."
"येस्स्स, सक्सेस्स्स मेरी तरफ 3 हैं तेरी तरफ कोई नही..." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा
"व्हाट डू यू मीन..??" अरुण ने पूछा..
"मतलब मैं तुम्हारा ये ब्रह्म्चर्य वाला ख़याल ख़त्म करवा के ही रहूंगी.."
"प्लीज़ यार आरू, तुम भी.."
"तुम भी क्या, तुम मुझे इतना तड़पाने वाले हो तो तुम भी तय्यार रहो मिस्टर अरुण..." आरोही ने किसी बच्चे की तरह उसके गाल खींचे और रूम से चली गयी.. डोर पर पहुच कर उसने पीछे देखा और आँख मार दी फिर चली गयी..
"मैं सही मे मरने वाला हूँ" अरुण ने सोचा
"हारने के बाद मरना..एक दिन मेरा गुलाम बन जा फिर हँसते हँसते मर जाना"
उसके बाद वो रूम मे 2 3 घंटे तक रहा. कभी कंप्यूटर चलाता कभी नॉवेल पढ़ता कभी मोबाइल पर लगता लेकिन कुछ फ़ायदा नही हुआ. उसने सोचा ऐसे हर टाइम तो वो रूम मे बंद रह नही सकता.
कुछ तो करना पड़ेगा इन लोगो से ध्यान हटाने के लिए. लेकिन इतनी देर हो गयी ये आवाज़ कहाँ चली गयी. अभी तक तो आवाज़ को दस बाते बोलनी चाहिए थी. शायद सही मौके पर बॉम्ब फोड़ने का इंतजार कर रही होगी. अरुण ने घड़ी की तरफ देखा तो दोपहर हो रही थी..यानी कि ल्यूक टाइम..
तो वो उठा और दरवाजे को हल्के से खोलकर सिर्फ़ सिर को बाहर निकाला और चारो तरफ देखा..उसे डर था कही कोई एक दम से उस पर कूद ना पड़े..पता चले अपनी ही बहन रेप कर डाले..
खैर उपर वाले फ्लोर पर तो कोई नही था और ना ही हॉल मे..तो उसने थोड़ा आगे बढ़ कर नीचे देखा तो आरोही स्नेहा की मदद कर रही थी खाना बनाने मे. दोनो बातें भी कर रही थी लेकिन उसे कोई आइडिया नही था कि किस बारे मे. तो अरुण नीचे आ गया और डाइनिंग टेबल पर बैठ कर मोबाइल चलाने लगा.
आरोही ने आहट सुन किचन से बाहर देखा तो अरुण सॉफ सॉफ दिखाई दिया. "थोड़े मज़े लिए जाए.." आरोही ने मन मे सोचा.
अरुण थोड़ी थोड़ी देर मे किचन की ओर देखता रहता. इधर आरोही ने बोव्ल के अंदर से कोई पेस्ट था उसमे उंगली डुबो दी फिर उसे बाहर निकालकर अपने मुँह मे रख कर चूसा.
"कैसा बना है.." स्नेहा ने आरोही से पूछा..
तो आरोही ने दूसरे हाथ की उंगली को उस पेस्ट मे डुबो दिया फिर वो उंगली स्नेहा के मुँह मे रख दी तो स्नेहा ने पेस्ट मे चूस लिया लेकिन फिर स्नेहा को भी अजीब लगा जब आरोही ने उंगली को बाहर निकालने की जगह अंदर ही रखा और इधर उधर हल्के से हिलाने लगी. इस से थोड़ा सा पेस्ट स्नेहा की चिन से होता हुआ क्लीवेज और साइड मे गिर पड़ा..जिससे उसके टॅंक टॉप गंदा हो गया..
आरोही ने जल्दी से उसके टॅंक टॉप को उसके शरीर से अलग कर दिया.."मैं सुप्रिया दी को दे देती हूँ..वो वैसे भी कपड़े ही धोने जा रही होंगी.." ये कहकर उसने टॅंक टॉप को साइड मे रख दिया. तो स्नेहा ने कुछ नही कहा और वो वैसे ही ब्रा मे पेस्ट को चलाने लगी.
अरुण के लंड ने तो सलामी देना शुरू ही कर दिया था. सामने दो दो कामदेवी जो खड़ी थी. स्नेहा ने ब्लॅक कलर की ब्रा पहनी थी और वो भी सही तरीके से उसके दूधों को ढकने मे असमर्थ थी. निपल्स तो जैसे टॉप को फाड़ देने पर ही उतारू थे.
आरोही ने अरुण के चेहरे को भाव को पढ़ा तो उसे और मज़ा आने लगा. उसने सोचा इसको थोड़ा और आगे ले जाते हैं. तो उसने स्नेहा को अपनी तरफ घुमाया और अपनी उंगली से क्लीवेज पर से उस पेस्ट को उठाया और पेस्ट को सक कर लिया..फिर उसी भीगी उंगली से बचे हुए पेस्ट को हटाया और उसे भी चाट लिया..स्नेहा उसे ये सब करते हुए मना नही कर रही थी..उसे तो समझ मे ही नही आया कि करे तो क्या..
"चोद डाल दोनो को..देख फिर लेज़्बीयन सीन चालू हो रहा है.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण को उकसाया
"गान्ड..देख...एक मार ना.." दिमाग़ ने अरुण की कहा
"ःऊह्ह्ह्ह...हुहह.कंट्रोल..." अरुण ने गहरी साँस लेकर दूसरी तरफ मुँह घुमा लिया.
तब तक सुप्रिया भी किचन मे आ गयी.
"हः...गेम हॅड आब्वियस्ली बिगन..तू तो गया.." दिमाग़ ने अरुण को चेताया
सुप्रिया ने सुबह के कपड़ो को बदल लिया था लेकिन ये कपड़े..शॉर्ट्स और एक वाइट शर्ट पहने थी जिसके 3 बटन खुले हुए थे और सॉफ पता चल रहा था कि उसने ब्रा नही पहनी है...ओह..गॉड..सुप्रिया अपनी गान्ड को मटकाती हुई अरुण के पास आई और उसके सामने झुककर उसका माथा चूमा और आँख मार दी..अरुण की नज़रें तो उन दो घाटियों पर ही अटकी थी जो शर्ट मे से झलक रही थी...
अरुण सोचने लगा ये निपल तो चूसने की भीख माँग रहे हैं...काश दी अकेले मे मिल जाए तो तुरंत ही इन पर टूट पडू..
"यू...माइ बॉय...सही जा रहे हो..मैं तो कहता हूँ यहीं पर शर्ट फाड़ के टूट पड़ कोई कुछ नही कहेगा..और अगर किस्मत अच्छी हुई तो शायद आज फोरसम भी हो जाए.." दिमाग़ ने कहा
"नो.." अरुण अपने ख़यालो से बाहर आते ही बोला.."आइ कॅन कंट्रोल.."और गहरी गहरी साँसें लेने लगा..
"ना..चोद दे..चोद दे.." दिमाग़ की आवाज़ चिल्लाने लगी
उसने सोचा अब तो यहाँ से जाना ही बेहतर होगा.
अरुण उठा और फ्रिज मे से पानी निकालकर पीने लगा...फिर बाहर आकर सोफे के पास ही जा रहा था कि दरवाजा खुलने की आवाज़ आई. तो उसने आवाज़ की दिशा की तरफ़ ध्यान दिया तो स्नेहा के रूम का दरवाजा खुला था..
"प्लीज़ ढंग के कपड़े हो प्लीज़ भगवान ढंग के कपड़े हों...प्लीज़" अरुण मन मे दुआ करते हुए सोचने लगा.
अरुण ने जब स्नेहा की ओर देखा तो गिरते गिरते बचा..स्नेहा ने टॅंक टॉप पहना था वो भी कुछ ज़्यादा ही डीप नेक का..निपल के इंप्रेशन तो सॉफ सॉफ देखे जा सकते थे..और उपर से बूब्स की जड़ पे वो काला तिल..और नीचे उसने सिर्फ़ पैंटी पहनी हुई थी...जैसे जैसे वो आगे बढ़ रही थी उसके दूध हिलते जा रहे थे..
अरुण को पता था कि स्नेहा ने ऐसे कपड़े उसे परेशान करने के लिए नही पहने हैं. ये तो बस स्नेहा थी. वो लगभग घर मे ऐसे ही कपड़े पहना करती थी.
स्नेहा थोड़ा तेज़ी से चलती हुई आई और अरुण के गाल पर किस किया तो उसके बूब्स अरुण की छाती मे चुभ गये अरुण ने अपनी आँखें बंद कर ली..
"मॉर्निंग, माइ डियर बेबी..उम्म्म" ये कहकर वो किचन मे चली गयी..
अरुण ने बिना सोचे पलटकर देखा और फिर पछताने लगा..पूरे किचन मे सेक्षुयल एनर्जी भरी पड़ी थी...4 4 कामदेवियाँ वहाँ बैठी बातें कर रही थी..
अरुण ने तुरंत ही अपने कमरे मे जाना ठीक समझा और दौड़ के चला गया...
"तू तो हारेगा..बेटे.." दिमाग़ ने अरुण को कहा
अरुण ने जाते टाइम सुप्रिया की आवाज़ सुनी लेकिन कोई रिक्षन नही दिया. आने वाले 14 दिन बहुत भारी होने वाले हैं.
आधा घंटा हुआ था कि आरोही आई उसके कमरे मे...
उसके चेहरे पर गुस्सा सॉफ दिख रहा था..
वो आई और बेड पर टाँगो को क्रॉस करके बैठ गयी.
"हाई." अरुण ने उसकी तरफ ना देखते हुए कहा.. थोड़ा डर भी लग रहा था..
"भाई, तुम आख़िर मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो..?" आरोही गुस्से मे बोली.
"हुआ क्या?" अरुण ने धीरे से पूछा..और वो डर भी रहा था..
"हुआ क्या बहुत कुछ हुआ है....हाउ कॅन यू डू दिस टू मी??" आरोही गुस्से मे थोड़ा तेज बोली..
अब अरुण को थोड़ा हर्ट भी हुआ क्यूकी वो अपनी किसी भी बहेन को तकलीफ़ मे देख नही सकता था और आरोही के लिए तो उसके दिल मे वैसे भी स्पेशल प्लेस था..
अरुण को कुछ समझ मे नही आया तो चुप रहा..
"अब कुछ कहने के लिए भी नही है तुम्हारे पास.." आरोही की शक्ल देख कर लग रहा था कि वो रोने वाली है..
"दी ने बताया, है ना.." अरुण ने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा लेकिन आरोही ने हाथ झटक दिया.
"क्या फ़र्क पड़ता है किसने बताया...मैं ये पूछ रही हूँ कि मेरे साथ ही ऐसी पार्षियालिटी क्यू..??" आरोही ने अपना आँख को रगड़ते हुए कहा.
"यार आरू प्लीज़ यार तुम तो मुझे समझो..मेरा इंटेन्षन तुम्हे या किसी को हर्ट करने का नही है..आइ आम जस्ट.."
"हां सही बात है, सब को प्यार बताते फ़िरो जब आरोही की बारी आती है तो वो ही सब समझे..क्यू क्यूकी मैं तुम्हारी फीलिंग्स समझती हूँ. लेकिन तुम ने अरुण, तुमने कभी मेरी फीलिंग्स समझी.." अब आरोही के हल्के से आसू निकलने लगे..
तो अरुण भी उसके पास बेड पर बैठ कर उसके आसू पोछ डाले..
"प्लीज़ आरू, रोना मत...मैं ये नही कह रहा कि आइ डोंट लव यू..और ये बात तुम अच्छे से जानती हो...मैं जानता हूँ तुम जाने कब्से उस टाइम का इंतजार कर रही हो. व्हेन वी विल बी टुगेदर....और मैं ये भी नही कह रहा कि वो नही होगा..बस अभी 2 वीक्स तक नही.."
"क्यू जब मेरी बारी आई तभी तुम्हे ये कंट्रोल करना था खुद को..सोनिया और सुप्रिया दी के लिए तो कभी ये ख़याल नही आया तुम्हारे दिल मे.." आरोही अभी भी गुस्से मे थी..
"आरोही प्लीज़ ट्राइ टू अंडरस्टॅंड...ओके आइ आम गोयिंग टू टेल यू दा ट्रूथ..." अरुण ने उसका हाथ पकड़ लिया तो इस बार आरोही ने नही छुड़ाया..
"ट्रूथ.??" आरोही भी सर्प्राइज़्ड लग रही थी..
"देखो इसको सुनने के बाद प्लीज़ मुझे पागल मत कहना..देयर'स आ वाय्स इन माइ हेड. मुझे नही पता कि क्या है लेकिन ही ओर शी आइ डोंट नो..मुझसे बात करती है. बात करने का मतलब मुझे हमेशा कुछ सेक्स से रिलेटेड करने को मजबूर करती रहती है..लाइक वो आ सोनिया वाला इन्सिडेंट उस टाइम भी ये सब इसी की कारस्तानी थी..तुम समझ रही हो ना.."
आरोही ने हां मे सिर हिलाया.."थोड़ा थोड़ा..आगे बोलो.."
"तो आज सुबह मैं सोफे पर बैठा तो उसने कहा कि अब मैं प्रेग्नेंट करूँ तुम सबको जिससे तुम सब मेरे साथ हमेशा के लिए रहो..." अरुण इतना कह के आरोही का रियेक्शन देखने लगा..
आरोही का चेहरा कन्फ्यूषन के भाव से भरा हुआ था.."प्रेग्नेंट?? सीरियस्ली..ये सब तुम्हारे दिमाग़ मे रहने वाली आवाज़ बोलती है..?"
"मैं जानता था तुम मेरी बात पर बिलीव नही करोगी..लेकिन ये सच है..तो मैं इतना आगे उसकी बातों मे फँसना नही चाहता तो मैने एक शर्त लगाई.."
आरोही अरुण को ऐसे देख रही थी जैसे कोई एलीयन उसके सामने बैठा हो लेकिन वो बोलता रहा..
"तो शर्त ये है कि मैं 2 वीक्स तक तुम सबके ऐक्शन और इस आवाज़ की जितनी भी बातें होती हैं उनको रेज़िस्ट करूँगा..और खुद को कंट्रोल करूँगा..तो 2 वीक्स तक नो सेक्स,,,वित एनिवन..सोनिया के साथ भी नही.."
आरोही पहले तो उसे देखती रही फिर पेट पकड़कर हँसने लगी और उसके कंधे पर हाथ रख के और ज़ोर से हँसने लगी..
"ये भेजेगी तुझे पागलख़ाने.." दिमाग़ ने फिर चुटकी ली
अरुण असमंजस से उसे देखता रहा...
"हिहिई.हाहह..हाहह...ओके ओके..तो तुमने अपने ही दिमाग़ मे रहने वाली आवाज़ से शर्त लगाई है कि तुम इस घर मे रहने वाली हर लड़की जिनमे से तीन तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहती है वो भी कभी भी और कहीं भी उन सबको रेज़िस्ट करोगे...हिहिहहीी...यू आर मॅड..." आरोही हँसे जा रही थी..
"ओके ओके..शांत आरोही..कंट्रोल...हाहाहा.आ..कंट्रोल..ओके सॉरी अब नही हसुन्गी..हाहह.." लेकिन इसके बाद भी वो थोड़ी देर तक हँसती रही..
अरुण भी बिना कुछ बोले उसे देखता रहा...अटलिस्ट वो अब रो तो नही रही थी..
"अच्छा तो तुम 14 दिन तक किसी के साथ सेक्स नही करने वाले..लेकिन ये बताओ अगर तुम शर्त हार गये तो.."
"तो मैं एक दिन के लिए उसका गुलाम बन जाउन्गा वो जो कहेगा मैं करूँगा..कुछ भी.." अरुण धीरे से बोला..
"अच्छा तभी आज सुप्रिया दी इतना ओपन ओपन कपड़े पहने हुई थी...खैर एक बात बताऊ, जैसा तुमने मुझे इस आवाज़ के बारे मे बताया है और अगर उस हिसाब से तुम हार गये तो बहुत पछताने वाले हो.."
"एसस्स, आइ न्यू इट..शी ईज़ माइ पार्ट्नर.." दिमाग़ की आवाज़ ने खुश होते हुए कहा
"अगर.." अरुण ने ज़ोर देकर कहा..
"अच्छा चलो अब मेरी कंडीशन पर आओ, मेरा क्या.."
अरुण ने उसका चेहरा पकड़कर उसके होठों को चूमा फिर कहा...
"आइ'म रियली सॉरी टू से दिस आरू..लेकिन तुम्हे भी 14 दिन तक इंतजार करना पड़ेगा...लेकिन उसके बाद पक्का आइ विल मेक अवर यूनियन स्पेशल. आइ ऑल्सो वान्ट टू डू दिस....प्रॉमिस..आंड आइ लव यू, रियली..आंड आगे से रोना मत, नही तो बहुत मारूँगा.."
आरोही ने भी उसके हाथों पर अपने हाथ रख दिए.."आइ नो भाई, यू लव मे आंड आइ लव यू टू. मुझे बस उस टाइम ये लगा कि तुम पार्षियालिटी कर रहे हो. लेकिन अब मैं तुम्हारी बात समझ गयी हूँ लेकिन.." इतना कह कर वो रुक गयी..
"लेकिन.." अरुण ने डर कर पूछा.
"लेकिन, क्यूकी तुम मुझे 14 दिन तक इतना इंतजार करवाने वाले हो तो मैं तुम्हारी आवाज़ की साइड लूँगी.."
"येस्स्स, सक्सेस्स्स मेरी तरफ 3 हैं तेरी तरफ कोई नही..." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा
"व्हाट डू यू मीन..??" अरुण ने पूछा..
"मतलब मैं तुम्हारा ये ब्रह्म्चर्य वाला ख़याल ख़त्म करवा के ही रहूंगी.."
"प्लीज़ यार आरू, तुम भी.."
"तुम भी क्या, तुम मुझे इतना तड़पाने वाले हो तो तुम भी तय्यार रहो मिस्टर अरुण..." आरोही ने किसी बच्चे की तरह उसके गाल खींचे और रूम से चली गयी.. डोर पर पहुच कर उसने पीछे देखा और आँख मार दी फिर चली गयी..
"मैं सही मे मरने वाला हूँ" अरुण ने सोचा
"हारने के बाद मरना..एक दिन मेरा गुलाम बन जा फिर हँसते हँसते मर जाना"
उसके बाद वो रूम मे 2 3 घंटे तक रहा. कभी कंप्यूटर चलाता कभी नॉवेल पढ़ता कभी मोबाइल पर लगता लेकिन कुछ फ़ायदा नही हुआ. उसने सोचा ऐसे हर टाइम तो वो रूम मे बंद रह नही सकता.
कुछ तो करना पड़ेगा इन लोगो से ध्यान हटाने के लिए. लेकिन इतनी देर हो गयी ये आवाज़ कहाँ चली गयी. अभी तक तो आवाज़ को दस बाते बोलनी चाहिए थी. शायद सही मौके पर बॉम्ब फोड़ने का इंतजार कर रही होगी. अरुण ने घड़ी की तरफ देखा तो दोपहर हो रही थी..यानी कि ल्यूक टाइम..
तो वो उठा और दरवाजे को हल्के से खोलकर सिर्फ़ सिर को बाहर निकाला और चारो तरफ देखा..उसे डर था कही कोई एक दम से उस पर कूद ना पड़े..पता चले अपनी ही बहन रेप कर डाले..
खैर उपर वाले फ्लोर पर तो कोई नही था और ना ही हॉल मे..तो उसने थोड़ा आगे बढ़ कर नीचे देखा तो आरोही स्नेहा की मदद कर रही थी खाना बनाने मे. दोनो बातें भी कर रही थी लेकिन उसे कोई आइडिया नही था कि किस बारे मे. तो अरुण नीचे आ गया और डाइनिंग टेबल पर बैठ कर मोबाइल चलाने लगा.
आरोही ने आहट सुन किचन से बाहर देखा तो अरुण सॉफ सॉफ दिखाई दिया. "थोड़े मज़े लिए जाए.." आरोही ने मन मे सोचा.
अरुण थोड़ी थोड़ी देर मे किचन की ओर देखता रहता. इधर आरोही ने बोव्ल के अंदर से कोई पेस्ट था उसमे उंगली डुबो दी फिर उसे बाहर निकालकर अपने मुँह मे रख कर चूसा.
"कैसा बना है.." स्नेहा ने आरोही से पूछा..
तो आरोही ने दूसरे हाथ की उंगली को उस पेस्ट मे डुबो दिया फिर वो उंगली स्नेहा के मुँह मे रख दी तो स्नेहा ने पेस्ट मे चूस लिया लेकिन फिर स्नेहा को भी अजीब लगा जब आरोही ने उंगली को बाहर निकालने की जगह अंदर ही रखा और इधर उधर हल्के से हिलाने लगी. इस से थोड़ा सा पेस्ट स्नेहा की चिन से होता हुआ क्लीवेज और साइड मे गिर पड़ा..जिससे उसके टॅंक टॉप गंदा हो गया..
आरोही ने जल्दी से उसके टॅंक टॉप को उसके शरीर से अलग कर दिया.."मैं सुप्रिया दी को दे देती हूँ..वो वैसे भी कपड़े ही धोने जा रही होंगी.." ये कहकर उसने टॅंक टॉप को साइड मे रख दिया. तो स्नेहा ने कुछ नही कहा और वो वैसे ही ब्रा मे पेस्ट को चलाने लगी.
अरुण के लंड ने तो सलामी देना शुरू ही कर दिया था. सामने दो दो कामदेवी जो खड़ी थी. स्नेहा ने ब्लॅक कलर की ब्रा पहनी थी और वो भी सही तरीके से उसके दूधों को ढकने मे असमर्थ थी. निपल्स तो जैसे टॉप को फाड़ देने पर ही उतारू थे.
आरोही ने अरुण के चेहरे को भाव को पढ़ा तो उसे और मज़ा आने लगा. उसने सोचा इसको थोड़ा और आगे ले जाते हैं. तो उसने स्नेहा को अपनी तरफ घुमाया और अपनी उंगली से क्लीवेज पर से उस पेस्ट को उठाया और पेस्ट को सक कर लिया..फिर उसी भीगी उंगली से बचे हुए पेस्ट को हटाया और उसे भी चाट लिया..स्नेहा उसे ये सब करते हुए मना नही कर रही थी..उसे तो समझ मे ही नही आया कि करे तो क्या..
"चोद डाल दोनो को..देख फिर लेज़्बीयन सीन चालू हो रहा है.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण को उकसाया