bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी - Page 6 - SexBaba
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bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी

शाम तक ऐसे ही काम करने के बाद अरुण अंदर जाके सीधे बाथरूम मे घुस गया. उसकी टीशर्ट धूप मे काम करने के कारण पसीने से भीग कर उसके बदन से चिपकी हुई थी. वो शर्ट उतार ही रहा था कि पीछे हलचल हुई तो उसने मुड़कर देखा. स्नेहा खड़ी थी सामने. उसे देखकर वो सॉरी कहने लगी.

"लेट मी हेल्प," ये कहकर, वो आगे बढ़ी और टीशर्ट के अंदर हाथ डाल दिए.

दोनो की आँखे एक दूसरे से जुड़ गयी और अरुण हाथ उपर करके टीशर्ट को उतारने मे मदद करने लगा. स्नेहा ने टीशर्ट उतार कर पीछे फेक दी और उसके बदन पर दोबारा हाथ फेरने लगी.

"अगर तूने इसे अभी नही चोदा, तो मैं तेरी गान्ड मार लूँगा." अरुण ने दिमाग़ में उस आवाज़ ने कहा

स्नेहा अपने हाथ को उसके कंधे तक ले गयी फिर वहाँ से गर्दन को छूती हुई पेट तक आई और पेट पर पसीने से भीगी उंगलियाँ चलाने लगी. उसके हाथ जीन्स के किनारे आकर रुक गये.

"मुझे लगता है, अब ये रूम हम दोनो के लिए ख़तरा बनता जा रहा है..क्यूँ?" उसने चंचल आँखो से कहा.

"इसे पता नही है कि हम इसके लिए कितना बड़ा ख़तरा हैं. यार, अगर मैं डाइरेक्ट इससे बात कर पाता तो..." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

"ष्ह्ह्ह" अरुण ने मन मे सोचा.

स्नेहा ने कमर के पीछे हाथ लेजा कर उसे अपने पास खीच लिया. फिर नज़रें उठाकर उसे देखते हुए अपने पंजो पर खड़ी होती चली गयी और साथ मे उसकी आँखे बंद होती गयी. दोनो के होठ मिलते ही जीभ भी एक दूसरे के मूह मे घुसती चली गयी.

किस करते करते अरुण बड़े प्यार से उसकी पीठ के साथ साथ उसके चुतड़ों को सहलाने लगा. स्नेहा उसकी बाहों मे समाई हुई अपनी सिसकियों को उसके मूह मे डालने लगी. स्नेहा ने किस तोड़कर अरुण के होठों को अपनी गर्दन से लेकर कानो तक जाते महसूस किया. 

"लाओ.." स्नेहा अपने हाथो से जीन्स को खोलते हुए कहने लगी.."इसे उतारने मे मुझे हेल्प करने दो फिर तुम आराम से नहा लेना."

"जल्दी निकाल, जल्दी, शवर जाए भाड़ मे. तू बस पॅंट निकाल." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने उत्तेजित होते हुए कहा

स्नेहा ने अपने होत काटते हुए उसकी पॅंट के बटन खोले और चैन खोलकर अंडरवेर सहित नीचे कर दिया.

"अगर इस वक़्त कुछ भी अच्छा नही हुआ, तो मेरा इस दुनिया से भरोसा उठ जाएगा."अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने खुश होते हुए कहा

अरुण स्नेहा की ये हरकत देखकर मुस्कुराए बिना ना रह स्का.

"उसस्श, इनको उतारना कितना मुश्किल काम है" स्नेहा मज़ाक मे अरुण से बोली.

अरुण अपने लंड के सीधे खड़े होते ही मुस्कुराते हुए स्नेहा की ओर देखने लगा. तब तक पॅंट उसके पैरो मे पड़ी हुई थी.

"ओह यॅ, नाउ वी आर रेडी. कम आंड सक इट बेब." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने कहा

स्नेहा नीचे से खड़ी हुई. "अब मैं जा रही हूँ, किचन मे कुछ काम है," उसने आँख मार कहा और दरवाजे की तरफ मुड़ने लगी.

"व्हाट...? फक...रोक उसे चूतिए." उस आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे झल्ला कर कहा

अरुण ने एक पल सोचा. "दी, आप बहुत बुरी हो," ये कहते हुए उसने पीछे से स्नेहा को अपने बाहों के घेरे मे जकड लिया. उसका नंगा खड़ा लंड स्नेहा के चुतड़ों से टकराए जा रहा था. अरुण के हाथ उसको दरवाजे से सटाते हुए दूधों को दबाने मे व्यस्त हो गये. "अगर आप इतनी स्वीट ना होती तो अब तक मैं आपके कपड़े निकाल कर अपनी मनमानी कर चुका होता."

"तो कर ना, रोका किसने है. वो तो खुद यही चाहती है." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने झल्लाते हुए कहा

स्नेहा की हँसी छूट गयी, फिर उसने साँस लेकर कहा.."मेरा दिल का एक हिस्सा भी यही कह रहा है कि तुम वही करो जो तुम्हारा मन हो," फिर वो वापस अपनी गान्ड को उसके लंड पर दबाने लगी. उसके हाथ काँपते हुए उसके लंड पर आकर थम गये, फिर उन्ही काँपते हाथों से वो लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी.

"देखा...ओह यअहह..अब बस यही करती रहे तो मज़ा आ जाए.." आवाज़ ने उत्तेजित होते हुए अरुण से कहा

"ओह गॉड, इट फील्स सो गुड," स्नेहा सुबह के किस्से याद करके बोली.

"इसको आगे की झुका दे." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने अधीर होते हुए कहा

अरुण समझ गया कि और देर हुई तो वो फिर खुद को और ना ही स्नेहा खुद को कंट्रोल कर पाएगी तो वो उसके पास से धीरे से पीछे हट गया.

"हॅट्ट, ये क्या चूतियापा है. भोसड़ी वाले. इस बार थप्पड़ की जगह लंड पर मुक्का मरवाउन्गा भोसड़ी के." अरुण के दिमाग़ मे गुस्से से भारी आवाज़ ने कहा

"यार एक बार तो मेरा भरोसा कर लो. ऐसा कभी हुआ है मैने तुम्हारी इज़्ज़त ना रखी हो." अरुण ने सोचा.

"यू मस्ट बी जोकिंग, राइट? हमेशा मेरी इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ाई है तूने. जब भी मैने कुछ करने को कहा तूने मुझे इग्नोर कर दिया." आवाज़ ने गुस्से मे कहा

अरुण ने आवाज़ को इग्नोर कर दिया और स्नेहा को देखने लगा सो अपने सिर को दरवाजे से टेककर लंबी लंबी सासें ले रही थी. कुछ देर बाद उसने धीरे से आँखें खोली, तो अरुण शवर ऑन करने जा रहा था.

"ठंडा पानी यूज़ करना, आज कुछ ज़्यादा ही गर्मी है हमारे घर मे" वो लगातार उसके लंड की तरफ देखते हुए बोली. अरुण उसकी इस अदा को देखकर हँसे बिना नही रह स्का. उसे विस्वास नही हो रहा था कि दो तीन दिन मे ही स्नेहा इतना कैसे बदल गयी.

यही सोचते सोचते वो शवर के नीचे खड़े होकर ठंडे पानी का मज़ा लेने लगा. तब तक स्नेहा दरवाजा बंद करके बाहर चली गयी थी.

"मादरचोद, मैने सोचा था कि हम दोनो दोस्त हैं. लेकिन साले तूने मेरी एक भी बात नही मानी. चूत चुदने को तय्यार खड़ी थी फिर भी तूने छोड़ दी." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने गुस्से से अरुण को गली देते हुए कहा

"चिलेक्स यार, देखो मैं दी के साथ जल्दबाज़ी नही करना चाहता. ये सब बिल्कुल नया है उनके लिए. जिंदगी मे पहली बार उनके साथ ये सब हो रहा है. और तूने आज सुबह देखा ना जिंदगी का पहला ऑर्गॅज़म हुआ था उन्हे. अब ऐसे मे अगर मैं जल्दबाज़ी करूँगा तो उन्हे लग सकता है कि मैं सिर्फ़ उनसे सेक्स करना चाहता हूँ. ऐसा थोड़ी ना है, आइ वॉंट हर टू बी हॅपी. मैं उनको खुश देखना चाहता हूँ. सो वी'ल्ल टेक इट स्लोली. तू बस मुझपे भरोसा रख."

"ओके. जब तू इस तरीके से कह रहा है तो सही लग रहा है. फिर भी यार बहुत हॉर्नी फील कर रहा हूँ." आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे कहा

"मी टू, बडी." अरुण ने अपने मन मे कहा

उसके कुछ देर बाद अरुण अपने रूम मे जाकर कपड़े चेंज करके सोफे पर आकर बैठ गया. कुछ ही देर हुई थी कि वॉशरूम से सुप्रिया की आवाज़ सुनाई दी तो वहाँ जाके उसने अंदर झाँका तो सुप्रिया मशीन मे कपड़े डाल रही थी.

उसे देख कर उसने उपर शेल्व्स पर नज़र घुमा के पूछा.."हेल्प प्लीज़." अरुण ने देखा कि पास मे स्टूल है जिससे वो आसानी से वहाँ तक पहुच सकती है लेकिन यूज़ नही कर रही, खैर.

वो हाथ उपर करके डिटरजेंट्स को उपर से उतारने लगा तो सुप्रिया के हाथ उसके पेट से होते हुए बॉक्सर्स मे पहुच गये और उसने लंड को अपने हाथो मे ले लिया.

"हाई मेरा स्वीतू," वो उसकी पॅंट की तरफ देखते हुए बोली. फिर उसकी ओर देख कर मुस्कुराने लगी. सुप्रिया फिर अपने घुटनो पर फर्श पर बैठ गयी और उसके बॉक्सर्स को थोड़ा नीचे करके उसके 'स्वीतू' को बाहर निकाल लिया. बाहर आकर सुप्रिया के हाथो का स्पर्श पाते ही उसके लंड मे जान आने लगी, तो सुप्रिया ने तुरंत ही अपने मूह को उसके उपर चलाना शुरू कर दिया.

"मैं बता रहा हूँ, शी ईज़ दा बेस्ट सिस्टर." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने खुश होते हुए कहा

अरुण भी प्यार से उसके बाल सहलाता हुआ उसके सिर को धीरे धीरे लंड पर दबाने लगा. सुप्रिया पूरे जोश के साथ उसे अपने मूह मे लेकर चूसने लगी.

"मैं नही चाहती कि जब सब लड़कियाँ घर मे आए तो तुम अपना ये हथियार उन्हे दिखाते हुए घुमो.." सुप्रिया ने कुछ देर के लंड को मूह से दूर करके कहा और फिर वापस चूसने लगी. उसके थूक से पूरा लंड गीला होकर चमकने लगा था.

अब हर झटके के साथ उसके गले की दीवारे लंड के सुपाडे से टकरा रही थी. लेकिन तभी पीछे से कदमो की आवाज़ आई तो सुप्रिया जल्दी से खड़ी हो गयी साथ मे उसने शॉर्ट्स को भी उपर कर दिया.

"फक. फिर से..." अरुण के दिमाग़ में आवाज़ ने झुंझलाते हुए कहा

"थॅंक्स हनी," उसने कहा, तब तक आरोही वहाँ आकर अपने कुछ कपड़े उसे देने लगी. अरुण आरोही के पीछे पीछे मन मसोस कर जाने लगा.

सीढ़ियों पर पहुच कर आरोही उसकी तरफ मूडी और स्माइल के साथ बोली.."जो दी ने स्टार्ट किया वो मैं ख़त्म कर दूँ?"

अरुण ने हंस कर गर्दन हिला दी.

"ओह"

आरोही फिर वापस मूडी और उसकी ओर अपनी गान्ड को दिखाने लगी. अरुण के अंदर उसकी चूत की खुसबू पहुचि तो उसका मन किया कि यही सीढ़ियों पर उसे चोदने लगे.

"ओह्ह्ह्ह दट स्मेल. अब तू इसे भी मना करेगा. यार अगर यही हालत रही तो तेरा लंड तेरे सरीर से अलग हो जाएगा फिर बजाते रहना बाबाजी का थुल्लु." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने अरुण को समझाते हुए कहा

"भाई, तुम्हे कुछ चाहिए नही क्या?" आरोही बड़ी मासूमियत से उसकी ओर अपनी गान्ड को लहराते हुए बोली. तब तक दोनो को स्नेहा के रूम खुलने की आवाज़ आई तो आरोही जल्दी से उपर भाग गयी और अरुण मन मार कर टीवी देखता रहा.

"ईडियट" आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे गुस्सा होते हुए कहा

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उन लोगो के दोस्त डिन्नर से पहले ही आकर जमा हो गये. 7 बजे तक सभी लोग आ चुके थे. पूरे घर मे लड़कियों की चेटर पाटर की आवाज़ गूँज़ रही थी जो किसी नॉर्मल आदमी की समझ के तो बाहर थी. 

विदुषी, रिया, सृष्टि, पायल, नैना, सोनिया, आरोही, श्रुति, आकाँशा सब हॉल मे सोफे पर बैठ कर गपशप किए जा रहे थे. अरुण कुछ देर वहाँ बैठ तो सृष्टि उसके पास आकर बैठ गयी लेकिन उस पर बिल्कुल ध्यान ना देकर गॉसिप मे लगी रही. अरुण ऐसे ही टीवी देखते हुए क्रिकेट देख रहा था. 

"बोरिंग.." अरुण ने सोचा और टीवी ऑफ करके उपर जाने लगा, अभी अपने रूम तक पहुचा ही था कि पीछे से सुप्रिया की आवाज़ आई.."पिज़्ज़ा आने वाला है."

"ओके.." अरुण बोला और अंदर जाकर दरवाजे को बंद कर दिया.

नीचे लड़कियों की गॉसिप चल रही थी. वहाँ श्रुति सुप्रिया के साथ किचन मे चली आई थी और उसके इतने खुश और उसके चेहरे की चमक की वजह जानने मे जुटी थी. उसे शक़ था कि सुप्रिया ने कोई नया बाय्फ्रेंड बना लिया है जिसके बारे मे वो उसे बता नही रही थी. आख़िरकार सुप्रिया ने बता ही दिया कि हां एक लड़का है जिसके साथ वो थोड़ा घुल मिल गयी है.

"तो वो सब कुछ हो गया?" श्रुति ने पूछा.

"यप" सुप्रिया ने हंसकर उसे बता दिया.

तब तो श्रुति उसके पीछे ही पड़ गयी कि कौन है वो. "यार बता ना कौन है कौन है, हॅंडसम है?"

"हां, मेरे लिए तो हॅंडसम ही है." सुप्रिया अरुण के चेहरा याद करके मुस्कुराते हुए बोली.

"यार बता ना, प्लीज़ कौन है, मैं शर्त लगा कर कह सकती हूँ कि वो हम दोनो को बराबर प्यार कर सकता है.." श्रुति आँखें तरेरते हुए उससे बोली.

"श्रुति, मैं नही बताने वाली. तू छोड़ ना ये बात." सुप्रिया हंसते हुए उसे टालने लगी.

"तब तो मुझे अपनी जासूसी करनी ही पड़ेगी." श्रुति बोली.

उधर हॉल मे रिया ने आरोही का हाथ पकड़कर अरुण के नाम की माला जपना शुरू कर दिया.

"सोनिया, तेरा भाई कितना क्यूट है.."

रिया हमेशा से अरुण को पसंद करती आई थी. रिया की हाइट सोनिया के बराबर ही थी, उसके बूब्स सोनिया से थोड़े ही छोटे थे लेकिन उसके पतले शरीर पर जचते थे.

आरोही ने अपने आँखें घुमा कर एक सिन्सियर बहेन की तरह आक्टिंग करी.."कम ऑन, रिया, वो बस अरुण है. इतना क्यूट भी नही है." उसने एक बार सोनिया की तरफ देखा तो वो अपनी हँसी कंट्रोल करने की कोसिस कर रही थी.

"कम ऑन आरोही, इतना हॉट तो है तुम्हारा भाई." पायल ने अपनी राय देते हुए कहा. पायल सोनिया की दोस्त थी और उसकी हाइट सोनिया से थोड़ी ज़्यादा थी.

आरोही ने पायल की तरफ बुरा सा मूह बनाकर कहा.."मेरा भाई है वो. मैने कभी इस तरीके से नही सोचा."

आकांक्षा उनकी बातें सुन कर हंस पड़ी. "नही सही मे क्यूट है." उसने भी अपना सुझाव दिया, उसकी बातें सुनकर बाकी सब लड़कियाँ भी तेज़ी से हँसने लगी.

सोनिया कुछ देर उन सबके साथ हँसती रही बोली. "ओके, मेरा मानना है कि भाई काफ़ी सही हैं. लेकिन बिकॉज़ ही ईज़ अवर ब्रदर तो हम लोगो ने कभी उस नज़र से उन्हे नही देखा." उसने चुपके से आरोही को आँख मारते हुए कहा.

स्नेहा भी आकर उन लोगो के साथ बैठ गयी और एक दूसरे के बाय्फरेंड्स के बारे मे बातें करने लगी. उन सबमे विदुषी थोड़ी कम बोल रही थी. वो भी चश्मिस थी.

सृष्टि उन सबमे सबसे लंबी थी लेकिन आरोही से थोड़ी छोटी. नैना की हाइट सोनिया के बराबर ही थी लेकिन उसके बूब्स थोड़े बड़े थे.

"ही'स सो यम्मी." रिया बोली तो सभी दोबारा ठहाके लगाने लगे.

उपर अरुण तकिये मे सिर छुपाए पड़ा था. उसके कानो मे नीचे उसके बारे मे सारी बातें पड़ रही थी.

"देख यही मौका है अपने लिए. तू नीचे नंगा क्यू नही जाता, उनको दिखा दे असली अरुण कौन है." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

अरुण ने उसे इग्नोर किया और ऐसे ही लेटा रहा. कुछ देर बाद उसे डोरबेल सुनाई दी तो अरुण भी नीचे चला गया.

नीचे टेबल के चारो तरफ 11 लड़कियाँ बैठ कर जूस, बियर और पिज़्ज़ा एंजाय कर रही थी. अरुण फ्रिड्ज के पास गया और अपने लिए कोक लेकर पिज़्ज़ा खाने लगा.

"तू इस कोक को सफेद वाली के उपर गिरा दे." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

अरुण ने देखा तो विदुषी सफेद टीशर्ट पहने हुई थी. 

"सीरियस्ली?" अरुण ने अपने मन में कहा

"ओके, दट वाज़ डंब" दिमाग़ की उस आवाज़ ने कहा

अरुण बॅकयार्ड मे जाकर हॉट टब मे बैठ गया. उसने उसके अंदर जाने से पहले अपने कपड़े उतार दिए और सिर्फ़ अपने बॉक्सर्स मे बैठकर हॉट टब के मज़े लेने लगा.

"दिस ईज़ आ गुड आइडिया. उन सबको यहाँ बुला ले. शायद बिकिनी शो देखने को मिल जाए, ऑर फिर ऑर्जी." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

"तुम्हारा कुछ नही हो सकता." अरुण ने अपने मन मे सोचा

अरुण वही गर्म पानी का मज़ा लेते हुए हल्के हल्के सोने लगा था कि तभी उसे उनकी चटर पाटर तेज आते सुनाई दी. उसने मुड़कर देखा तो सभी स्विमस्यूट्स मे थी. ज़्यादातर ने 2 पीस बिकिनी पहनी थी लेकिन कुछ लोगो ने उस पर रहम करके वन पीस सूट भी पहना हुआ था. कुछ के हाथो मे रंगीन ड्रिंक्स थी, कुछ खाली हाथ थी और सीधे हॉट टब की ओर आ रही थी.

उसे तुरंत ही अपनी हालत का आभास होने लगा. अब वो इस कंडीशन मे पानी से बाहर भी नही जा सकता था. उसने सोचा जब तक ये लोग वापस नही जाते तब तक वो भी बाहर नही जा सकता. फिर थोड़ा और सोचने पर उसे लगा कि ये तो अच्छा हो रहा था, क्यूकी सभी बियर पी रही थी. तो ज़्यादा गड़बड़ हो तो सकती नही.

"ओह माइ गॉड, ऑर्जी..." अरुण के दिमाग़ में आवाज़ सुख की साँस ली 

"शट अप." अरुण ने मन मे कहा

सभी लड़कियाँ हंसते हुए हॉट टब मे आने लगी. रिया उसके साइड मे आकर बैठ गयी तो अरुण ने धीरे से अपना सिर हिला दिया लेकिन उसकी तरफ देखकर हल्के से मुस्कुरा दिया. दूसरी तरफ उसकी परेशानी बढ़ाने के लिए आकाँशा बैठ गयी. रात ढलने लगी थी तो सुप्रिया ने हॉट टब की लाइट्स ऑन कर दी. लेकिन इतनी तेज रोशनी भी नही थी कि पानी के अंदर की हलचल ढंग से देखी जा सके.

"तो नैना, कॉलेज का क्या प्लान है?" आरोही ने अपनी ड्रिंक लेते हुए पूछा.

"उम्म, मैं तो कॉलेज मे जाकर किसी अच्छे बाय्फ्रेंड को ढूढ़ने वाली हूँ" तो सभी लोग हँसने लगे. "और तुम, अरुण" रिया ने उसकी ओर देख कर पूछा.

"सॉरी, रिया, मुझे बाय्फरेंड्स मे कोई इंटेरेस्ट नही है," अरुण ने कहा तो दोबारा ठहाके गूँज़ उठे.

सबकी हँसी थमने के बाद भी रिया की हँसी चालू रही और फिर उसने अरुण के कंधे पर हाथ मार कर कहा.."अरुण, यू आर सो फन्नी..हाहः."

फिर दोबारा कुछ देर तक शांति रही जो सोनिया ने तोड़ी. "चलो कुछ खेलते हैं, माना कि ये थोड़ा बच्पना लगेगा, लेकिन मज़ा आएगा. है ना?"

"ट्रूथ ओर डेर." सभी ने सोनिया का समर्थन करते हुए एक साथ कहा.

"अब कुछ होगा.." अरुण के दिमाग़ में आवाज़ ने कहा

सुप्रिया सबको चुप करवाते हुए कहने लगी. "ओके, प्लान तो सही है, लेकिन कुछ ग्राउंड रूल्स. हम लोगो से फॅमिली मेंबर्ज़ से कुछ भी ऐसा वैसा नही करवाया जाएगा." सभी इस बात से अग्री हो गये.

"फक. ऐसे तो सारा मज़ा ही ख़तम हो जाएगा." आवाज़ ने ठंडी साँस लेते हुए अरुण के दिमाग़ मे कहा

"तो पहले कौन?" आरोही ने पूछा

सभी की उंगलियाँ अरुण की ओर उठ गयी तो अरुण सिर हिलाने लगा. "मैं तुम लोगो की पार्टी मे शामिल नही होने वाला था, मैं तो बस अभी थोड़ी देर मे चला जाउन्गा. तुम लोग खेलो."

"अववववव, कम ऑन, अरुण" उनमे से कुछ एक साथ बोली.

"कम ऑन, अरुण, मज़ा आएगा" आरोही उसे आँख मार कर बोली.."और उपर से तुमने आज पार्टी के लिए इतना कुछ किया है, तो इतना तो हम लोग तुम्हारे लिए कर ही सकते हैं. प्लीज़..?" आरोही उसकी तरफ पलके झपकाते हुए बोली.
 
बाकी 10 लोग भी उसकी तरफ बच्चो की तरह पलके झपकाने लगे तो अरुण ने हंसकर हथियार डाल दिए. "ओके, ओके, आइ'ल्ल प्ले."

"तो मैं किसी के साथ भी स्टार्ट कर सकता हूँ?" वो चारो तरफ देखते हुए बोला.

"रिया के साथ शुरू करो." सुप्रिया आँख मार कर बोली.

अरुण ने एक बार सुप्रिया को देखा लेकिन फिर रिया की तरफ मूड गया.."ट्रूथ ऑर डेर?"

"डेर.." रिया कुछ ज़्यादा ही जोश मे बोल दी तो बाकी सब हँसने लगे. अरुण कुछ देर सोचता रहा.

"ब्लोवजोब के लिए बोल." आवाज़ ने अरुण से खुश होते हुए कहा

"नो." अरुण ने अपने मन में कहा

"तो फिर दूध दिखाने को बोल." आवाज़ ने फिर से मचलते हुए कहा

"इतने बड़े दूध भी नही हैं." अरुण ने मन आवाज़ को जबाब दिया

"तो, नैना को किस करने को बोल." आवाज़ ने फिर से अरुण को आइडिया दिया

"नोप." अरुण ने सोचा

"तो भोसड़ी के कुछ तो करने को बोल जिसे देख कर हमे मज़ा आए." आवाज़ ने गुस्सा होते हुए अरुण के दिमाग़ मे कहा

अरुण अंदर ही अंदर हँसने लगा, फिर रिया से कहने लगा, "तो डेर ये है कि तुम्हे अभी पूल मे जाना है पूरी एक डुबकी कंप्लीट करनी है..ध्यान रहे पूरी एक डुबकी, तब वापस हॉट टब मे आना."

सभी लोग कहने लगी ये तो बहुत आसान डेर लेकिन रिया ने कंधे उच्काये तो नीली बिकिनी मे कमर मटकाती हुई पूल की तरफ जाने लगी.

श्रीष्टि उसकी तरफ सवालिया नज़रो से देखने लगी तो अरुण ने उसे आँख मार कर रहा.."जस्ट वेट, आइ नो व्हाट आइ'एम डूयिंग." तब तक छप्पक से रिया पानी मे कूद गयी.

कुछ ही देर मे जब उसका सिर बाहर आया तो वो चीखते हुए कह रही थी.."ओह गॉड, ऊहह,,इट'स सो फक्किंग कोल्ड. कितना ठंडा पानी है.."

ये सुनकर सभी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे. फिर रिया ठंड से ठिठुराती हुई टब मे आकर अरुण से सटकर बैठ गयी. अरुण अपना पेट पकड़कर हंस रहा था तो उसने धीरे से उसके कंधे पर मार दिया.

"मैं बदला लूँगी, बच्चू," उसने अरुण की ओर देखकर कहा.

"सॉरी, रिया, मैने आज ही पूल का पानी चेंज किया था. तो मुझे पता था कि पानी बिल्कुल ठंडा होगा. और इस से बढ़िया डेर की शुरुआत क्या हो सकती थी."

रिया बड़ी तेज़ी से ठिठुर रही तो उसने अरुण का हाथ पकड़कर अपने कंधे पर रख लिया तो अरुण ने भी मना नही किया.

"तुम्हारी बारी.." श्रीष्टि ने रिया से कहा.

रिया थोड़ी देर अरुण को देख कर सोचती रही कि लेकिन जो भी प्लान सोचती उसमे अरुण को हाथ हटाना पड़ जाते उसके कंधे से.

तो वो अपने साइड मे बैठी विदुषी की ओर देख कर कहा.."ट्रूथ ऑर डेर?"

"ट्रूथ." उसने जवाब दिया.

सभी के मूह से "अवववव" निकल गया.

"ऑलराइट, फाइन, डेर. अब खुश" वो सबको देखकर बोली.

रिया ने कुछ देर सोचा फिर बोली कि सामने जो चेयर उस पर लॅप डॅन्स करना है.

विदुषी का चेहरा लाल होने लगा वो ना मे सिर हिलाने लगी. एक तो वैसे भी बहुत शर्मीली थी उपर से सबके सामने लॅप डॅन्स.

"तो अगर कोई डेर मे फैल हो जाता है तो पेनाल्टी क्या है?" आरोही ने पूछा.

"कॉकटेल का पूरा ग्लास." श्रुति ने कहा तो सब मान गये.

विदुषी मन मसोस कर उठी.."तुम लोग बहुत बुरे हो.." ये कहते हुए वो सामने चेयर पर जाकर लॅप डॅन्स करने लगी..तो सब उसे देखकर तालियाँ बजाने लगे.

डॅन्स करके विदुषी जल्दी से टब मे आकर बैठ गयी और अपने चेहरे को दोनो हथेलियों मे छुपाते हुए हँसने लगी.

फिर उसने अपने पास बैठी सृष्टि को सिंगिंग के लिए डेर दिया. तो श्रष्टि ने आरोही को डेर करने के लिए कहा..ऐसे ही सोनिया, फिर नैना, श्रुति, फिर स्नेहा जिसने पायल को फिर बारी आई सुप्रिया की, उसके बाद आख़िरी बारी थी आकांक्षा की.

सुप्रिया के चेहरे पर आकांक्षा के लिए डेर ढूँढते समय एक बहुत ही शातिर स्माइल थी. अभी तक तो सभी डेर आसान से थे, जैसे गाना गाना, डॅन्स, कुछ एम्बररासिंग करना.

तो रात को और मजेदार करने के लिए सुप्रिया बोली.."आइ डेर यू कि तुम विदुषी को 5 सेकेंड्स के लिए किस करो."

"मैने पहले भी कहा था अब भी कहता हूँ,,,शी ईज़ बेस्ट..बेस्ट...बेस्ट. माइ गर्ल, सुप्रिया. ओरगय्यययययययी..."

अरुण अंदर ही अंदर खुद को शांत करने लगा. सभी लड़कियाँ ठहाके लगा रही थी और विदुषी बेचारी पानी के अंदर ही चली जा रही थी ठीक वैसा ही हाल आकांक्षा का भी था. तो उसने पूरा का पूरा ग्लास जो कॉकटेल से भरा हुआ था ख़तम किया और "वो" कहकर आँखें मुन्दने लगी.

सभी लड़कियाँ हँसने लगी तो विदुषी ने सुप्रिया से पूछ लिया.."दी, इसमे कितना आल्कोहॉल डाला है.."

"बहुत.." सुप्रिया हंस के कहने लगी.

फिर आकांक्षा ने अरुण की तरफ देखते हुए कहा.."ट्रूथ ऑर डेर?"

"ट्रूथ," अरुण ने रिस्क लेना ठीक नही समझा, पता चले उठने को कहा जाए, तो उसके लंड महाराज वैसे भी बॉक्सर्स मे तंबू बनाए हुए थे तो इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ जाए.

सभी के मूह से 'अवववववव' निकल गया लेकिन अरुण पर इस बात से कोई फ़र्क़ नही पड़ा. आकांक्षा कुछ देर सोचती रही, उसका सिर हल्का हल्का झूम रहा था, फिर उसने पूछा.."तो अरुण, आज तक कितनी लड़कियों के साथ तुमने सेक्स किया है?"

सोनिया, जो अपने ग्लास से ड्रिंक ले रही थी, उसने धाँसे के साथ सारी की सारी ड्रिंक बाहर उडेल दी, पहले तो कुछ पल पूरे टब मे सन्नाटा छाया रहा लेकिन फिर एक दम से हँसी गूँज़ उठी. अरुण बड़ी मुश्किल से अपना थूक निगल पाया, उसने एक बार सोनिया, फिर आरोही और आख़िर मे सुप्रिया की ओर देखा. सभी इतने तेज़ी से हंस रहे थे कि उसकी आँखों की तरफ किसी का ध्यान ही नही था.

अरुण ने अपनी हिम्मत बटोरी.

"ओके, तीन." उसने सच बोल दिया.

फिर अरुण के पूछने पर रिया ने दोबारा डेर चुना तब सबने नया रूल बनाया कि वो लोग सिर्फ़ डेर ही चूज़ करेंगे. "आइ डेर यू टू किस आरू." अरुण ने गेम को एक लेवेल और उपर ले जाते हुए कहा.

रिया कुछ देर सोचती रही कि कॉकटेल पिए या डेर कंप्लीट करे. उधर आरोही घूर कर अरुण को देखे जा रही थी, फिर उसके चेहरे पर एक स्माइल आई और उसने सिचुयेशन को अपने हाथ मे लेते हुए आगे बढ़कर रिया के होठों को चूम लिया. रिया की चीख उसके मूह मे ही घुट कर रह गयी. उधर पूरे टब मे सब हंस रहे थे.

किस करके आरोही वापस अपनी जगह पर बैठी और बोलने लगी."नया रूल, कोई किसी को भी डेर के लिए कह सकता है, ये सर्कल मे घूमना बड़ा बोरिंग हो रहा है."

रिया तब तक दुबारा अरुण के हाथ के नीचे आकर बैठ गयी.

"ओके.." रिया अपनी सासें संभाल कर चारो तरफ देखते हुए बोली.

अरुण मुस्कुराते हुए खुद से काफ़ी खुश था. लेकिन तभी उसे अपनी जाँघ पर रिया का हाथ महसूस हुआ. रिया ने हल्के से उसकी जाँघ दबा दी तो अरुण के ना चाहते हुए भी उसका लंड झटके खाने लगा.

"ओह शिट, गॉड, प्लीज़ नो.." अरुण सोचने लगा.

"ओह यस..उन्हे भी तो शेर देखने को मिले." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने अपनी उपस्थित दर्ज कराई

"यू जस्ट शट अप." अरुण ने आवाज़ से अपने मन में कहा

रिया को अब अरुण पर थोड़ा गुस्सा आने लगा था. उसने अरुण को सबक सिखाने के लिए दिमाग़ चलाना शुरू किया. वो ध्यान से सबको देखने लगी और किसके बूब्स सबसे बड़े हैं उन्हे देखने लगी..सुप्रिया, स्नेहा और पायल के बीच काटे की टक्कर थी.

"पायल," उसने पायल को देखते हुए कहा.."आइ डेर यू कि तुम अपना टॉप उतारो."

सभी एक बार रिया की ओर देखने लगे फिर ताली बजाकर उसका साथ देने लगे. सभी पर हल्का हल्का नशा चढ़ने लगा था. पायल वैसे भी काफ़ी ओपन रहती थी तो उसने बिना देर किए हाथ पीछे ले जाकर अपने बिकिनी टॉप का थ्रेड खोल दिया. फिर अरुण की तरफ आँख मार कर बोली.."अब आँखो को मत बाहर निकाल देना." टॉप से बाहर आते ही उसके बड़े बड़े बूब्स पानी मे तैरने लगे.

"ओह....माइ.....गॉड.." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने खुश होते हुए कहा

अरुण बड़ी मुश्किल से अपनी आँखें वहाँ से हटाने की कोशिश करने लगा. उन सबकी हँसने की आवाज़ से वो वापस रिलिटी मे आया.

"सॉरी," उसने धीरे से पायल से कह दिया.

पायल हँसने लगी और सोनिया के कान मे कुछ कहा तो सोनिया भी हंसकर अरुण की ओर देखने लगी.

फिर पायल ने रिया की तरफ देखा. उसे डेर से कोई प्राब्लम नही थी लेकिन उसे सबक सिखाना तो ज़रूरी था ही. "रिया, आइ डेर कि तुम भी अपना टॉप निकालो."

अब रिया को काटो तो खून नही, उसने तुरंत ही थोड़ी ड्रिंक ली और कनखियो से अरुण को देखने लगी जो अपनी नज़रें हर तरफ दौड़ा रहा था बस उसकी ओर नही देख रहा था. उसने उसे ही देखते हुए अपने हाथ पीछे किए और बिकिनी टॉप की नाट खोल दी. ठंडी हवा के झोको से उसके छोटे गुलाबी निपल्स और उभरने लगे. उसने अपने हाथ को दोबारा पानी मे डाल के उसके पैरो पर रख दिया.

फिर वो सबकी तरफ देखने लगी और उसकी नज़रें स्नेहा पर आकर रुक गयी. स्नेहा सबके साथ हँसे जा रही थी लेकिन जब उसने रिया को अपनी तरफ देखते पाया तो तुरंत ही अपना सिर हिलाकर उसे मना करने लगी. रिया हँसके उसकी तरफ देखती रही..."स्नेहा दी, आइ डेर कि आप भी अपना टॉप निकालो."

स्नेहा शर्म से लाल हो गयी, और अपना सिर हिलाते हुए कॉकटेल का ग्लास खाली कर दिया. माना कि उसके बूब्स काफ़ी सही थे और वो थोड़ा कॉन्फिडेंट भी फील करने लगी थी लेकिन अभी उसमे इतनी हिम्मत नही आई थी कि सबके सामने अपने दूधों की नुमाइश करे. कॉकटेल के एफेक्ट से वो भी थोड़ा झूमने लगी थी. पानी मे और अंदर जाते हुए वो अपने होठों पर जीभ फेरते हुए अरुण को देखने लगी. फिर उसने नैना से आकांक्षा को किस करने को कहा. नैना भी अपने स्विमस्यूट मे कुछ ज़्यादा ही सेक्सी लग रही थी. वो धीरे से उठी और जल्दी से आकांक्षा को किस करके वापस बैठ गयी.

नैना ने फिर श्रुति को सुप्रिया को किस करने के लिए कहा, जो उसने इतना जल्दी किया जैसे इसी का इंतेज़ार कर रही हो. श्रुति ने उधर विदुषी से उसका टॉप उतारने के लिए कहा तो उसने शरमा कर कॉकटेल का ग्लास ख़त्म कर दिया.

अरुण रिया के हाथ को अपने पैर पर चलते हुए महसूस कर रहा था कि तभी वो हाथ उपर बढ़ते हुए उसके लंड पर आकर रुक गया और वो उसे धीरे से दबाने लगी. अरुण वही पर बिल्कुल सीधा जम गया, और उसने एक बार उसकी ओर देखा तो वो बड़ी मासूमियत से सामने देखते हुए मुस्कुरा रही थी. रिया ने ऐसे ही मासूम बनते हुए शॉर्ट्स के छेद से लंड को बाहर निकाल लिया और उसको उपर नीचे सहलाने लगी.

"ओह अब कुछ मज़ा आ रहा है." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने अपनी खुशी प्रकट की

सभी लड़कियाँ एक दूसरे के टॉप उतरवाने और किस करवाने मे मशगूल थी तो कुछ देर सब जैसे अरुण को भूल ही गये थे. एक दो डेर मे उसे शामिल किया गया था जैसे कि उसे किस करना वग़ैरह. बात बढ़ते कुछ ने तो एक दूसरे के दूध सहलाने का भी डेर किया था जो श्रुति ने आकांक्षा के साथ बड़े मन से किया. तो जल्दी ही लगभग सभी के टॉप उतर चुके थे.

आरोही अभी आकांक्षा को किस करके उठी ही थी कि उसने एक बार स्नेहा की तरफ कुटिल मुस्कान के साथ देखा. स्नेहा उसकी नज़र समझकर गुस्से से उसे मना करने लगी. लेकिन आरोही कहाँ मानने वाली थी.."दी, आइ डेर कि आप अरुण की गोद मे बैठो." उसने मदहोश होकर खिलखिलाते हुए कहा.
 
अरुण का गला सुख गया कि आरोही पर ज़्यादा तो नही चढ़ गयी. वो प्रार्थना करने लगा कि प्लीज़ स्नेहा दी कॉकटेल पी ले लेकिन जब उसने स्नेहा की तरफ देखा तो वो झूम कर उठ रही थी. शायद उस पर भी रात की खुमारी चढ़ने लगी थी. उसने जल्दी से सोनिया की तरफ मदद की गुहार लगाते हुए देखा, लेकिन उसने बस स्माइल कर दिया. स्नेहा मुस्कुराते हुए उसके पास बढ़ी चली आ रही थी. उधर रिया कोशिश कर रही थी लंड वापस शॉर्ट्स मे चला जाए. अरुण ने जल्दी से उसका हाथ हटाकर खुद लंड को शॉर्ट्स के अंदर कर दिया तब तक स्नेहा उसकी गोद मे बैठ चुकी थी.

स्नेहा अपने होठ काटते हुए उसके खड़े लंड को अपनी चूत पर महसूस करते हुए उसके सीने पर सिर रख के मज़े लेने लगी. रिया अरुण की हालत समझकर बड़ी तेज़ी से हँसे जा रही थी. उसे लगा कि अब अरुण को अच्छा सबक मिला है.

स्नेहा का सिर अरुण के कंधे पर था तो उसने धीरे से उसके कान मे कह दिया. "सॉरी, बेबी." फिर वो आगे बढ़ी तो लंड उसकी चूत से रगड़ा तो वो अपने होठ काटने लगी और ड्रिंक उठाकर आधा ग्लास खाली कर दिया.

कुछ राउंड्स तक स्नेहा उसके लंड पर हिलते हुए बैठी रही तब आरोही ने उसे वापस बुला लिया. ऐसे ही कुछ देर बाद बारी आई आकांक्षा की.

आकांक्षा अब तक जान चुकी थी कि रिया हमेशा से ही अरुण को पसंद करती आई है तो उसने उसकी हेल्प करने की सोची.

"रिया, आइ डेर कि अब तुम मेरे भाई की गोद मे बैठो."

रिया ये सुनकर हँसने लगी. उसके मन मे लड्डू फूटने लगे. लेकिन बाकी चारो बहनों को काटो तो खून नही. अब सिचुयेशन भी ऐसी कि कोई मना भी नही कर सकता.

रिया तो जल्दी से खड़ी हुई, एग्ज़ाइट्मेंट मे उसके निपल्स और ज़्यादा ही खड़े होते जा रहे थे. वो जल्दी से अरुण की गोद मे बैठ गयी और अरुण उसके हाथ को अपने शॉर्ट्स के अंदर लंड पर महसूस करने लगा. वो हंसते हुए उसे उपर नीचे करने लगी. अरुण बेचारा इस हालत मे कुछ कर भी नही सकता था.

"अरे चोद इसे भोसड़ी के.." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने झल्लाते हुए कहा

उधर रिया उसके लंड को अपनी चूत पर रगड़े जा रही थी तो अरुण को कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था. उसके हाथ खुद ब खुद उसकी कमर पर चले गये. कुछ देर मे ही रिया कुछ ज़्यादा ही काँपने लगी तो अरुण को समझ आया कि ये तो झड़ने लगी है.

"ओह यॅ..." रिया के मुँह से निकला

अरुण के लिए ये सब कुछ कुछ ज़्यादा ही हो गया तो उसने जल्दी से उसे साइड मे किया और खड़ा हो गया. खड़े होते ही उसे अपनी ग़लती का आभास हुआ क्यूकी, उसके शॉर्ट्स मे बड़ा सा तंबू बना पड़ा था जो छुप तो सकता नही था. अरुण जल्दी से टब से बाहर निकला और बिना पीछे मुड़े तेज कदमो से घर के अंदर जाकर बाथरूम मे ठंडे पानी के नीचे खड़ा हो गया.

"यू फक्किंग ईडियट! अब ये क्या किया तूने.." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने गुस्सा करते हुए कहा

बाहर से आती ठहाको की आवाज़ उसे सब कुछ बता रही थी. सभी लड़कियाँ शॉक हो गयी थी अरुण के शॉर्ट्स को देख कर और एक तरीके से वो रिया को दोषी भी नही ठहरा सकती थी.

सब हंस रहे थे लेकिन आरोही, सुप्रिया, स्नेहा और सोनिया सभी के दिल मे एक जलन की भावना उभर आई थी, लेकिन बेचारी हँसने के अलावा कर भी क्या सकती थी. 

उधर कुछ देर ठंडे पानी मे अपने सिर को शांत करने के बाद अरुण अपने रूम मे आकर लेट गया. कुछ देर बाद सभी के अंदर आने की आवाज़ सुनाई पड़ी तो उसने घड़ी देखी तो आधी रात होने ही वाली थी.

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अरुण तब तक लेटा रहा जब तक हर आवाज़ शांत नही हो गयी, फिर धीरे से बिना आवाज़ के अपने कमरे से निकल कर नीचे चला गया. उसने हॉल मे नज़र डाली तो वहाँ कोई नही था. सुप्रिया के रूम मे वो और श्रुति खर्राटे भर रही थी. उपर आकर आरोही के रूम मे देखा तो 3 लोग और सो रहे थे तो उसने शांति से दरवाजा बंद कर दिया.

फिर वो सोनिया के रूम मे गया तो वहाँ भी 3 लोग शांति से सो रहे थे. अंत मे वो स्नेहा के रूम मे गया तो वहाँ आकांक्षा सो रही थी उसके साथ. वो कुछ देर स्नेहा की सोती हुई सूरत निहारता रहा फिर वापस अपने रूम मे आकर चैन से बैठ गया की सभी लड़कियाँ सेफ हैं.

"11, हॉट, सेक्सी और हॉर्नी लड़कियाँ तेरे घर के हर कोने मे हैं सिर्फ़ हमारे ही कमरे मे कोई नही है, क्यू? ऐसी पार्टी का क्या फ़ायदा??" आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ में दुखी स्वर मे कहा

अरुण उसको इग्नोर करके सोने की कोशिश करने लगा. अभी कुछ ही देर हुई थी कि उसे हॉल से कुछ आवाज़ें सुनाई दी जो कि कदमो की आहट मे तब्दील हो गयी. फिर उसके रूम का दरवाजा धीरे से खुला.

"वेट. बिल्कुल हिलना मत. भगवान ने हमें दूसरा मौका दिया है शायद. डोंट फक दिस अप, मॅन." इस बार अरुण को चेतावनी देते हुए आवाज़ ने कहा

अरुण पीठ के बल लेटा था लेकिन अंधेरे मे उसे शकल नही दिखाई दे रही थी. उसकी तरफ बढ़ते उस साए ने एक दम से उसके उपर छलाँग लगा दी. उसका वजन रिया से तो ज़्यादा ही था, तो ये रिया तो हो नही सकती.

उसके उपर बैठी लड़की, सॉफ्ट थी और गर्म भी, फिर उसके होठ अरुण के होंठो को ढूढ़ते हुए उसके गालो को छूने लगे. अरुण ने अपना हाथ उसकी पीठ से लेकर नीचे तक ले गया. उसके चूतड़ सॉफ्ट थे, तो ये आरोही या आरोही की कोई भी दोस्त नही हो सकती क्यूकी वो सब अथलेटिक थी तो उनके चूतड़ थोड़े मस्क्युलर थे.

अरुण के हाथ उसके बालो से खेलने लगे उधर उस साए ने अरुण के होठों को ढूँढ लिया था. उसके दूध अरुण की छाती मे गढ़े जा रहे थे. उसकी जीभ बिल्कुल सॉफ्ट, गर्म थी, जैसे कि उससे कुछ माँग रही हो.

अरुण ने उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसे और ज़्यादा करीब खिचा तो उसकी आह निकल गयी जो अरुण ने अपने मूह मे समेट ली. फिर उस साए ने होठ छुड़ा के अपने होठ उसकी गर्दन पर रख दिए.

वो हल्के से उसके उपर से उठी तो अरुण भी उसका टॉप उतारने मे मदद करने लगा. टॉप उतरते ही उसके दूध अपनी क़ैद से आज़ाद होकर अरुण की क़ैद मे आ गये. अरुण ने तुरंत ही बिना एक पल गवाए उन्हे अपने मूह मे रख लिया और धीरे धीरे मज़े से चूसने लगा.

उस रहस्यमई लड़की ने हाथ पीछे करके उसके झटके खाते लंड को अपने हाथ मे ले लिया. जैसे ही वो उसके लंड को उपर से नीचे करने लगी अरुण और ज़्यादा शिद्दत के साथ निपल्स को चूसने लगा. कुछ ही देर मे उसका लंड अपनी क़ैद से आज़ाद था.

उस लड़की की मदद से अरुण ने जल्दी से अपना अंडरवेर उतार दिया फिर सोचने लगा कि कौन हो सकता है. "सुप्रिया दी?" यही हो सकती है. शायद उनकी आँख खुल गयी होगी जब वो उनके रूम मे गया था.

"आइ...डोंट थिंक सो. फिर भी क्या फ़र्क पड़ता है, चूत तो है ना बस." आवाज़ ने खुश होते हुए कहा

वो साया पीछे बढ़कर उसके लंड को मूह मे भरकर चूसने लगा. उसकी जीभ गोल गोल घूम कर रस से भिगो रही थी.

जीभ के साथ साथ दो हाथ उसके लंड को उपर नीचे करने मे लगे हुए थे. जब उस साए का मूह उसके लंड के उपर नीचे हो रहा था तो चाँद की चाँदनी मे अरुण की नज़र उस पर पड़ी. अरुण चौंक गया कि ये तो सुप्रिया है ही नही..

"मैने पहले ही कहा था ये हमारी सेक्सी सुप्रिया दी नही है. लेकिन है तो ये भी एक अप्सरा ही." अरुण को समझाते हुए आवाज़ ने कहा

"स्नेहा दी!" अरुण ने हल्के से कहा तो उसने उसे आँख मार दी, फिर वापस उसके लंड को मूह मे भर लिया. अरुण से अब रहा नही गया उसने जल्दी से उसका चेहरा पकड़ कर अपने पास खीच लिया फिर एग्ज़ाइट होकर उसकी गर्दन को चूमता हुआ पूरे चेहरे को चूम डाला. अरुण को आभास हुआ कि वो उसे अपनी चूत की तरफ खीच रही है. वो बड़ी तेज़ी से अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़ने मे लगी हुई थी.

किस तोड़ कर अरुण ने उसके चेहरे को अपने हाथो मे लिया.."दी, आप सच मे ये चाहती हो?"

स्नेहा ने स्माइल देते हुए हां मे सिर हिला दिया.

फिर अरुण ने उसे पीठ के बल लिटा दिया और उसके उपर चढ़ कर लंड को चूत पर रगड़ने लगा. लेकिन अभी लंड को बाहर ही रखा और किस करके उस बाल सहलाने लगा.."दी, आर यू रियली रेडी फॉर दिस?"

स्नेहा उसके बालों को सहलाते हुए तेज़ी से किस करने लगी. फिर किस तोड़कर बोली,"ओह अरुण, मैने जिंदगी मे कभी किसी चीज़ के लिए इतनी तड़प महसूस नही की," उसने मदहोशी वाली आवाज़ मे कहकर उसे दोबारा किस कर लिया.."मैं बस तुम्हारी होना चाहती हूँ, सिर्फ़ तुम्हारी..जस्ट...बस.."

"आइ नो, दी" अरुण ने उसके होठों को धीरे से चूमकर कहा.."आइ प्रॉमिस, आपको बिल्कुल भी तक़लीफ़ नही पहुचाउन्गा. आइ लव यू.."

अरुण फिर धीरे धीरे लंड को उसकी गीली सुरंग मे डालने लगा. अभी सुपाडा पूरा अंदर भी नही हुआ था कि उसे रुकावट महसूस होने लगी. स्नेहा की आँखें इस अहसास और दर्द से बंद हो गयी थी. जैसे ही उसका सुपाडा थोड़ा सा अंदर गया तो दर्द की एक ठंडी लहर उसके शरीर मे दौड़ गयी. उसके हाथ अरुण की गर्दन पर कसते चले गये. 

अरुण आराम से वही ऐसे ही लेटे हुए उसे धीरे धीरे किस करता रहा. 

"ओके, थोड़ा और" स्नेहा उसे आगे बढ़ाते हुए कुछ देर मे कहा.

अरुण ने लंड को थोड़ा पीछे किया और फिर थोड़ी फोर्स के साथ अंदर धक्का दिया तो लंड उस दीवार को चीरता हुआ अंदर चला गया. अरुण बस वही पर रुक गया और तेज़ी से उसे किस करने लगा. स्नेहा की सिसकियाँ अरुण के मूह मे घुटने लगी. उसकी आँखो मे आसू आ गये तो अरुण ने उन्हे अपने होंठो से चूस लिया. फिर धीरे धीरे उसके होठों को चूसना जारी रखा. उसका एक हाथ उसकी पीठ को पकड़कर अपने से चिपकाए हुए था और दूसरे उसके दूध को धीरे धीरे मसल रहा था. थोड़ी ही देर मे दर्द की सिकियाँ मस्ती की सिसकियों मे तब्दील हो गयी. और स्नेहा उसे कस के पकड़कर किस करते हुए कमर हिलाने लगी. अब उसकी आँखो मे आसू की जगह एक प्यास थी जो अरुण ने एक ही बार मे समझ ली. अरुण धीरे धीरे उतना ही लंड अंदर बाहर करने लगा...तो कुछ ही देर मे उसका दर्द मज़े मे बदल गया. स्नेहा हर झटके के साथ आनंद की लहरो मे गोता लगाए जा रही थी. अब जाके उसे समझ आया कि आख़िर ऐसा क्या मजा था इस खेल मे. और वो काफ़ी खुश थी कि अरुण ही वो इंसान था जिसके साथ उसने जिंदगी का सबसे पहला सुख प्राप्त किया था. अरुण पूरे तरीके से उसके मज़े का ध्यान रखते हुए अपनी लय को कम या ज़्यादा कर देता. कुछ ही देर मे स्नेहा को अपने अंदर एक और ऑर्गॅज़म बनता हुआ महसूस हुआ, जैसा कि सुबह महसूस हुआ था लेकिन इस बार उसकी तीव्रता कुछ ज्याद ही थी. ऑर्गॅज़म के चलते उसके नाख़ून अरुण की पीठ मे स्वतः ही गढ़ते चले गये और वो अपने दाँतों से उसके होठों को काटने लगी. मस्ती मे उसके पैर खुद ब खुद खुलते चले गये और वो कस के अरुण को अपने अंदर समेटने मे लग गयी. वो बस उस वक़्त अरुण के साथ मिलकर एक होना चाहती थी बस.

अरुण को जब अहसास हुआ कि उसकी चूत मे कुछ ज़्यादा ही तेज लहरे उठ रही थी तो उसने अपने झटको की स्पीड को धीमा कर दिया और उनका टाइम बढ़ा दिया. हर धीमे और लंबे झटके के साथ स्नेहा की जान अरुण मे समाती जा रही थी. उसकी हर साँस हर हिस्से पर अरुण का नाम छपता जा रहा था. उसके मन मे बस अरुण ही अरुण गूंजने लगा. अरुण के मन मे भी बस स्नेहा ही स्नेहा गूंजने लगे. हर झटके के साथ स्नेहा की आँखो की चमक बढ़ती जा रही थी जो अरुण को खुश करने के लिए काफ़ी थी. अरुण बड़े प्यार से उसे देखते हुए किस करने लगा और उधर दोनो की कमर एक दूसरे से टकराकर थप थप की आवाज़ें करने लगी.

"ओह गॉड, यस, बेबी...माइ लव...ओह्ह...यस...", वो सिसकी लेते हुए झड़ने लगी. ये फीलिंग्स ना तो बाहर निकली, ना ही गयी बस इनके साथ स्नेहा का हर सेन्स उसका पूरा अस्तित्व जुड़ता चला गया. वो अरुण के साथ पाई हुई इस फीलिंग को अपने पास से जाने ही नही देना चाहती थी.
 
इधर अरुण ने भी अपना गाढ़ा, गर्म वीर्य उसकी चूत की गहराइयों मे छोड़ना स्टार्ट कर दिया. स्नेहा को पता था कि ये ख़तरनाक हो सकता है लेकिन इस वक़्त उसे किसी की परवाह नही थी. वो बस अरुण के हर हिस्से को अपनी रूह मे समा लेना चाहती थी.

अंततः जब अरुण ने अपना रस उसके अंदर उडेल दिया तब वो धीरे से उसके उपर लेटकर उसकी गर्दन को चाटने लगा. उसका लंड अब भी धीरे धीरे कुछ एक बूंदे उसके गर्म मचलती चूत मे छोड़ रहा था.

"आइ लव यू, दी." अरुण उसको किस करते हुए बोला.

स्नेहा एक के बाद एक बार झड़े जा रही थी. ऐसा लग रहा था कि उसके ऑर्गॅज़म्स का एंड ही नही होगा.

"ओह, गॉड, अरुण..बेबी..आइ ओह्ह्ह्ह..लव यू टू...आऊहहमम्म.." वो किस करते हुए बोलने की कोशिश करने लगी. फिर अरुण को चौंकते हुए उसने अरुण को पलट दिया और लंड को चूत मे डाले डाले उसके उपर बैठ गयी.

"कॅन यू...उहह...गो अगेन?" उसने अरुण से पूछा, उसका शरीर अभी भी उसके लंड के लिए बेताब था, और उसका मन उसके साथ के लिए. उसे इसके अलावा कुछ सूझ ही नही रहा था इस वक़्त.

"यआः....वी कॅन गो अगेन..चल बेटे शुरू हो जा." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने खुश होते हुए कहा

अरुण समझ गया कि जिंदगी मे पहले बार मल्टिपल ऑर्गॅज़म के कारण वो इस समय सही से सोच नही पा रही है. वो बस अपनी नीड्स के बस मे होती जा रही थी. वो चाहता भी था कि उसकी इच्छा पूरी करे लेकिन सच्चाई तो बतानी ही थी.."पता नही दी.."

"कोई नही, तो पता कर लेंगे." स्नेहा बोली,"वाउ, हुहह.." वो हँसती हुई बोली. चाँदनी की चमक मे उसका चेहरा खिला हुआ था. एक खांस चमक थी उसके चेहरे पर जो चाँद को भी छुपने पर विवश कर रही थी. उसका शरीर उसके लंड के उपर अब भी हल्के हल्के कांप रहा था. अरुण बस एक टक उसकी आँखों मे देखते हुए उसके हाथो को चूमे रहा था. कुछ ही देर मे अरुण का लंड दोबारा अपने विकराल रूप मे आने लगा तो स्नेहा और तेज़ी से अपनी कमर को चलाने लगी.. कुछ देर तक ऐसे ही एक दूसरे की आँखो मे खोए रहने के बाद अरुण बोला.."दी यू आर सो ब्यूटिफुल.."

"ओह गॉड, यस यस.." स्नेहा उसके उपर धीरे धीरे कूदते हुए बोली..."मैं जिंदगी भर ऐसे ही रह सकती हूँ, अगर तुम मेरे साथ हो...ओह गुड...उःम्म्म...एस....अरुण....आइ लव यू, बेबी...उम्म्म्म...दिस इस ग्रेट...इट्स आउट ऑफ दिस वर्ल्ड..ओमम्म", उसने कहा फिर पूरे तरीके से उसे किस करने लगी, कमर हिलाते हिलाते वो सिसकी ले रही थी. पूरे कमरे मे चट चट और स्नेहा की सिसकियों के अलावा कुछ नही था.

"यॅ, बेबी, राइड इट...यॅ....हुन्ह."

"ओह्ह...फक मी.." अरुण ने बोला तो आवाज़ से था लेकिन चुदाई की मस्ती मे उसे भी ध्यान नही रहा कि वो ये बात काफ़ी तेज़ी से बोल गया था..

"ओह..बेबी, तुम ..टेन्षन मत लो...तुम्हारी दी है ना..आहह" वो उखड़ती सास को काबू मे करते हुए बोली.."तुम बस ऐसे ही लेटे रहो..ओह माइ गॉड...कुछ देर और..ओमम्म्म....आहह..." ये कहकर स्नेहा ने अपनी स्पीड और तेज कर दी.."ओह बेबी......उःम्म्म्ममम..आहंम...लव यू...ओह्ह्ह्ह...ओह्ह्ह..." उसके झटके इतने तेज हो गये कि अरुण को चिंता होने लगी कि कही वो खुद को चोट ना पहुचा ले.."

"ओह माइ गॉड, ये तो सबसे बेस्ट है. शी ईज़ दा वाइल्डेस्ट.. अभी तक तीनो मे से किसी की हिम्मत नही हुई कि पहली चुदाई के तुरंत बाद दूसरी पारी स्टार्ट करें लेकिन ये तो दूसरी के लिए तय्यार भी हो गयी और उपर से खुद हमे चोद रही है. आज से ये मेरी फॅवुरेट. लव यू, चशमिस...मुआहह...." आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे खुश होते हुए कहा

अरुण को समझ नही आ रहा था कि स्नेहा को क्या हो गया है, लेकिन आख़िरकार स्नेहा अपने फाइनल क्लाइमॅक्स के करीब दिख रही थी. और वो पहले ही झड चुका था तो इस बार जल्दी तो झड़ने वाला था नही.

अरुण के लंड को पूरा का पूरा अंदर लेने के लिए, स्नेहा उसके लंड के उपर बिल्कुल सीधे होकर कुदे जा रही थी.

"ओह गॉड,, अरुण...यू आर सो गुड...यू फील सो गुड..इतना अच्छा लग रहा...है...ओह्ह्ह्म" उसके क्लाइमॅक्स के नज़दीक आते ही वो थोड़ा तेज़ी से चीखने लगी..

तो अरुण ने भी इस बात की परवाह किए बिना कि कोई सुन लेगा उसकी कमर को पकड़ा और उसको पूरा मज़ा देने के इरादे से पूरा का पूरा लंड उसकी चूत मे पेलने लगा. स्नेहा की चूत ने पूरे तरीके से उसके लंड को जकड रखा था. ऐसे ही कुछ ही धक्को से स्नेहा का शरीर कमान की तरह मुड़ता चला गया, कूदने के कारण उसके दूध कुछ ज़्यादा ही मस्ती से उछल रहे थे.."ओह गॉड, अरून्न्ञणन्.....उःम्म्म्ममयस..." वो बड़ी तेज़ी से अरुण का नाम लेते हुए झड़ने लगी. उसका पूरा का पूरा शरीर बड़ी तेज़ी के साथ काँपते हुए अरुण के उपर गिर पड़ा लेकिन उसके बाद भी दो झटके और लगे तो उसकी गर्दन पीछे होती चली गयी. 

ऐसे ही कुछ झटको के बाद आख़िरकार वो अरुण की छाती पर बेसूध होकर गिर पड़ी और अपनी सासो को समेटने लगी. अरुण ने उसको आराम देने के लिए अपने धक्के बंद कर दिए थे और उसकी पीठ को बड़े प्यार से सहला कर उसकी सासो को संभाल रहा था. दोनो के शरीर बुरे तरीके से पसीने से भीग चुके थे. स्नेहा के बाल पसीने से भीगकर उसके कंधो चेहरे और अरुण से चिपके हुए थे. उनके नीचे बिछी चादर पसीने और खून से सन चुकी थी. स्नेहा वैसे ही लेटे लेटे उसके गले मे बाहें डाले हुई थी और बहुत तेज़ी से सासें भर रही थी. उसकी आँखो से थोड़े आसू निकलकर अरुण के सीने पर गिर रहे थे. 

अरुण जानता था ये वक़्त स्नेहा के लिए अनमोल है तो वो बस उसके सिर को चूमते हुए उसकी पीठ को सहलाए जा रहा था. कुछ देर बाद जब स्नेहा कुछ होश मे आई तो अरुण ने उसका चेहरा उठाकर नीचे से उपर तक उसके गालो को आसू समेत चाट लिया और उसके गर्म धधकते होठों को चूम लिया. स्नेहा फिर उसके आगोश मे लेट कर उस पल के मज़े लेने लगी. फिर अरुण ने लंड को धीरे से उसकी चूत से बाहर निकाला और पास पड़े कपड़े से उसकी चूत को और अपने लंड पर से खून सॉफ कर दिया. वो भी काफ़ी थक गया था, लेकिन वो पानी लेने जाने वाला था कि स्नेहा ने उसका हाथ थाम लिया तो अरुण ने उसकी आँखों मे एक गुहार देखी तो उसे सीने से चिपकाए वही लेट गया.

अभी कुछ ही पल हुए थे स्नेहा की सासो को नॉर्मल हुए कि उन्हे सीढ़ियों पर किसी के कदमो की आहट सुनाई दी जो उसके कमरे की तरफ ही बढ़ रही थी. दोनो ने एक दम एक दूसरे की आँखों मे देखा तो अरुण ने जल्दी से उसे उसका टॉप पहनाया, स्नेहा अपनी थकि हुई हालत मे जैसे तैसे टॉप पहनने लगी, अरुण ने जल्दी से उसे पकड़कर बेड के नीचे लिटा दिया. मरता क्या ना करता, फिर जल्दी से जाकर अपने कंप्यूटर के सामने बैठ गया, आवाज़ हर पल के साथ बढ़ती ही जा रही थी, कि उसकी नज़र बेड पर पड़ी. पूरी बेडशीट खून और पसीने से भीगी तो उसे जल्दी से उस पर चादर डाल थी ऐसे तैसे और कंप्यूटर के सामने बैठकर माउस पकड़ लिया. अरुण के कंप्यूटर मे अगर ब्राउज़र खोलो तो उसने फर्स्ट वेबसाइट पॉर्न वाली ही लगा रखी तो ब्राउज़र खोलते ही पॉर्न साइट ओपन होने लगी.

तब तक दरवाजे पर एक नॉक हुई तो अरुण के मूह से अपने आप ही निकल गया, "कौन?"

"चूतिए हो क्या?? जवाब देने की क्या ज़रूरत थी." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने अरुण को डाँटते हुए कहा

अरुण को अपनी ग़लती का अहसास हुआ तो दाँतों तले जीभ दबा दी. तब तक दरवाजा हल्का सा खुला तो रिया का चेहरा अंदर झक रहा था.

रिया ने एक बार रूम को कन्फ्यूज़ होकर देखा फिर उसकी तरफ अजीब नज़रो से देखा.."क्या मैं ..अंदर आ जाउ?"

अरुण ने जब अपनी तरफ देखा तो उसके पैरो तले ज़मीन खिसक गयी. बचने के चक्कर मे वो अपने शॉर्ट्स पहनना भूल ही गया था. एक तो पूरा नंगा उपर से पॉर्न साइट खुलने से उसका लंड पूरा का पूरा खड़ा, मॉनिटर की रोशनी मे उसका लंड आराम से दिखाई दे रहा था..

अरुण जल्दी से उठा और पास मे पड़ी दूसरी चादर को लपेट कर कुर्सी पर बैठ गया.

"रिया...काफ़ी रात हो गयी है.." उसने कहा. वो कनखियों से बेड के नीचे देखने लगा तो उसे दिखा कि स्नेहा अपने पैर और अंदर समेट रही थी.

"आइ'म सॉरी अरुण, मुझे पता नही था..कि.तुम..." वो बोलने लगी.

अरुण को पता था कि उसे शरमाने की आक्टिंग करनी चाहिए लेकिन उसके मन मे एक रिलीफ भी था की रिया को लग रहा था कि वो मूठ मारने जा रहा था. वो प्रार्थना करने लगा कि वो बस यही सोचे और कुछ नही. तभी उसके मन मे एक आइडिया आया.

"नो..नो..बडी..मेरे भाई....डोंट से इट. वो चढ़ जाएगी. और तू अभी इसे नही चोद सकता, नीचे अभी ताजी चुदि हुई चूत है. और ये पक्का बाकियों को बता देगी. एक चूत के चक्कर मे सब चूत हाथ से चली जाएगी और तू पिटेगा वो अलग." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने अरुण को सावधान करते हुए कहा

"आइ'म सॉरी, मैं तुम्हे बाहर ऐसे ही छोड़कर आ गया था," अरुण बोलने लगा."मतलब हॉट टब मे. मैं उसके बारे मे सोच ही रहा था कि मुझे ऐसा नही करना चाहिए था. लेकिन मैं कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइट हो गया था तो मुझे रिलीफ की ज़रूरत थी."

"तू मरने वाला है.." आवाज़ ने अरुण को फिर चेताया
 
रिया के चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान खिल उठी और वो अचानक अंदर आ गयी. "सो, यू वांटेड टू फक मी?", वो उसकी चादर की किनारी पकड़ते हुए बोली.

"फक, ये क्या हो गया." अरुण ने मन मे खुद को थप्पड़ मारते हुए सोचा. आवाज़ सही सलाह दे रही थी, ये इतना अच्छा आइडिया भी नही था. उसने सोचा था कि रिया शरमा कर भाग जाएगी लेकिन यहाँ तो दावं ही उल्टा पड़ गया था. 

"तूने मेरी बात नही मानी ना अब देख.." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा


रिया धीरे धीरे उसकी चादर खिच रही थी. अरुण अपने मन मे सेक्सलेस थॉट्स सोचने लगा.."मरी हुई कुतिया, बंदर, मेला..भगवान.."

"स्नेहा तेरा लंड चूस रही है, तू सुप्रिया को वॉशिंग मशीन पर झुकाकर चोद रहा है, आरोही की मस्त गान्ड..."दिमाग़ मे आवाज़ ने अरुण की खिल्ली उड़ाते हुए कहा

"शट दा फक अप!" अरुण बड़ी तेज़ी से चीख पड़ा तो रिया चादर छोड़कर डर से उसे देखने लगी.

"व्हाट..?" वो पूछने लगी.

"रिया..मैं.." वो अपनी सफाई देने लगा,"आइ'म सॉरी, दिस ईज़ एंबॅरसिंग."

रिया दुखी नज़रो से उसे देखती हुई बेड पर बैठ गयी तो अरुण का हलक सुख गया. अगर चादर हट गयी तो सारा भंडा फुट जाएगा.

"तो तुम इतने एग्ज़ाइट हो गये कि तुम्हे मास्टरबेट करना पड़ा? तुमने आकर मुझे क्यूँ नही जगा लिया?
" रिया अपनी टी शर्ट उतारते हुए कहने लगी. 

"रिया..प्लीज़..नो.." अरुण उसे रोकने की कोशिश करने लगा, उसे अपनी कब्र सामने दिखाई देने लगी.

"अरुण, कम ऑन, आइ नो यू नो दट आइ लाइक यू. यू कॅन डू व्हाटेवेर यू लाइक," उसने ये कहते हुए टीशर्ट को निकाल दिया फिर उसके हाथ नीचे अपनी पैंटी पर पहुचने लगे,"आइ लाइक यू. आइ लाइक यू आ लोग," उसने ये कहते हुए पैंटी निकाल दी फिर अरुण का हाथ पकड़ने लगी.

"अब मत छोड़ना इस चूत को." दिमाग़ मे आवाज़ ने अरुण को कहा

अरुण का दिमाग़ घोड़े की तरह भागने लगा. उसे इस सिचुयेशन से बचने का कोई भी रास्ता नही सूझ रहा था. "रिया, आइ लाइक यू टू. लेकिन आइ थिंक हमे इतनी जल्दबाज़ी नही करनी चाहिए. वी नीड टू टेक इट स्लो. तुम समझ रही हो ना." अरुण अपनी बात उसे समझाने की कोशिश करने लगा.

ये सुनकर रिया उसे दुखी होकर देखने लगी. "अरुण.."

अरुण चारो तरफ देखकर सोचने लगा कि क्या कहे कैसे कहे.

"यार अब देख वो यहाँ से जाने वाली तो है नही. उपर से अपने सामने नंगी बैठी है. अब तो तेरे पास केवल 2 ऑप्षन्स हैं या तो चोद दे नही तो उसके सिर पर मार कर बेहोश कर दे." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने आइडिया दिया

"व्हाट दा फक ईज़ रॉंग वित यू," उसने जल्दी से सोचा.

"तो चोद ना. यही ऑप्षन है तेरे पास अब." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने अपनी राय देते हुए कहा

"स्नेहा दी बेड के नीचे हैं, मादरचोद." अरुण ने अपने दिमाग़ की आवाज़ को डाँटते हुए कहा

"हां, तो इसे चोदने के बाद तू उसे भी चोद सकता है. कोम्बो ऑफर." अरुण के दिमाग़ में आवाज़ ने अरुण को समझाते हुए कहा

"अरुण," रिया खड़ी हुई तो उसके गुलाबी निपल्स बिल्कुल तने हुए थे,"आइ रियली वॉंट यू."

"आइ कॅन'ट," उसने बोलना शुरू किया फिर जो कुछ मन मे आता चला गया बोलता गया.."मैं पहले ही फिनिश कर चुका हूँ, और अब कुछ नही हो सकता."

"हां जैसे उसकी तो आँखें खराब है ना जो इस मूसल को खड़े हुए नही देखेगी." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने कमेंट पास करते हुए कहा

अरुण उसकी ओर से आँखें उठाकर होठ काटते हुए इधर उधर देखने लगा. रिया ने उसके उपर से चादर एक दम खीची तो लंड बिल्कुल तना हुआ खड़ा हुआ था.

"तो फिर ये क्या है?" उसने कहा और उसकी तरफ हाथ बढ़ाने लगी."अगर ये नॉर्मल स्टेट है, तो एग्ज़ाइट होने पर तो मैं पागल ही हो जाउन्गी."

"यअहह.."

अरुण ने अपना हाथ बढ़ाकर उसका हाथ थाम लिया. "रिया, प्लीज़. ट्राइ टू अंडरस्टॅंड."

रिया ने लेकिन उसे अनसुना कर दिया और उससे हाथ छुड़ाकर आगे बढ़कर लंड को पकड़ लिया.

"ओह"

"अरुण, लव, बस एक बार मुझे अपना बना लो. प्लीज़." वो बहुत ही मासूम सी शक्ल बना कर बोली.

अरुण के सारे सेन्सस ने डर और एग्ज़ाइट्मेंट मे काम करना बंद कर दिया था. और फिर रिया अपने घुटनो पर बैठ कर अपने मूह को आगे बढ़ने लगी.

"होने दे, होने दे.."अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने उत्तेजित होते हुए कहा

रिया की जीभ लंड पर पड़ते ही अरुण की आँखें बंद होती चली गयी.
स्नेहा ने जब ये देखा तो उसने बेड के नीचे से हाथ निकालकर उसके पैर पर चिकोटी काट ली.

"आहह..." अरुण चिल्ला कर कुदा तो लंड रिया के मूह मे अंदर तक घुसता चला गया. इसके कारण रिया का दम घुटने लगा. उसने जल्दी से मूह को लंड पर से हटा लिया.

"अरुण, ये क्या बदतमीज़ी है?" रिया भी चिल्ला कर पूछने लगी लेकिन तब तक अरुण तेज़ी से रूम से बाहर की ओर भाग रहा था.

अरुण सीढ़ियों से नीचे भाग रहा था 2 लोगो से टकरा गया, जो पायल और नैना थी. टकराते ही तीनो गिर पड़े तो अरुण जल्दी से उनके बीच से उठने की कोशिश करने लगा. इस कोशिश मे किसी का हाथ उसके लंड से टकराया तो पुरे घर मे सरप्राइज मे चीखें गूँज़ उठी.

"वाउ," जाने किसकी आवाज़ आई तब तक दूसरा हाथ अरुण के लंड पर पड़ा. अरुण बड़ी सावधानी से वहाँ से छूटा और भागता हुआ बॅकयार्ड मे चला आया. उसे कहीं कुछ सूझ नही रहा था तो सीधा जाकर ठंडे पूल मे कूद पड़ा. कुछ देर वो पूल मे स्विम्मिंग करता रहा. घर की तरफ ध्यान दिया तो अंदर से काफ़ी आवाज़ें आ रही थी लेकिन कुछ भी समझ नही आ रहा था.

"तेरी लगने वाली है." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने कहा

"शट अप्प्प." अरुण ने झल्ला कर मन में सोचा

वो तब तक पूल मे रहा जब तक उसका खड़ा लंड बैठ नही गया. अब तक पूरा घर जाग गया था, और सब लोग जो कुछ हुआ था और जो नही हुआ था उसके बारे मे बहस करने मे लगे हुए थे.

अब कुछ किया नही जा सकता. और वो किसी को पूरी बात समझा भी नही सकता था.

कुछ देर वो ऐसे ही सोचता रहा फिर आवाज़ से बोला,"यू नो व्हाट?"

"नही मुझे कुछ नही पता. क्या?" दिमाग़ की आवाज़ ने कहा


"फक इट." अरुण ने सोचा

"किसकी मारनी है...वेट..अरुण..मेरे भाई..सब ठीक है ना?" अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने चिंतित होते हुए कहा

उस वक़्त उसके मन की आवाज़ उसके लिए सही मे चिंतित लग रही थी. अरुण पानी से बाहर निकला तो उसका नंगा बदन पानी की बूँदो से भीगा हुआ था. उसने हिम्मत बटोर कर पीछे का दरवाजा खोला और एक हाथ लंड पर रख के सीधा सीढ़ियों की तरफ जाने लगा. लेकिन हाथ रखने से कोई फ़ायदा हो नही रहा था, अंदर का माहौल देख कर डर से तो उसकी फटी जा रही थी लेकिन सेक्सी लड़कियों को छोटे छोटे कपड़ो मे देखकर उसका लंड दोबारा खड़ा होने लगा.

उसको देख कर कुछ एक मूह से आवाज़ें निकल गयी. कुछ के मूह खुले रह गये.

"अरुण.." सुप्रिया अपने मूह पर हाथ रख के बोली.
 
उसके साथ खड़ी श्रुति की आँखें सिर्फ़ अरुण के लंड पर टिकी हुई थी, जो पानी से भीगा था. उसका मूह खुला का खुला रह गया. आकांक्षा तो उसे देखकर सोफे से उठ कर खड़ी हो गयी और आँखें चौड़ी करके उसके लंड की तरफ देखे जा रही थी. रिया भी सोफे पर थी लेकिन उसने कपड़े पहेन लिए थे. बाकी सब किचन सो उसे ताडे जा रहे थे. वो चुपचाप बिना किसी की ओर देखे तेज़ी से सीढ़ियाँ चढ़ते हुए उपर जाने लगा तो सीढ़ियों पर स्नेहा मिली जिसने उसकी तरफ एक बार भी नज़रें नही घुमाई. इस सब हड़बड़ाहट मे वो चुपके से बाहर निकल आई थी.

"ग्रेट, अब सब मट्टी पलीत कर दी तूने. हमें नयी नयी चूत मिली थी, उसे भी नाराज़ कर दिया. अब भुगत.." अरुण के दिमाग़ में आवाज़ ने कहा 

अरुण दरवाजा बंद कर रहा थे रूम का तो नीचे उसे हँसने की आवाज़ें आने लगी.

"मुझे लगा था कि सब कुछ सही होगा," वो सोचते हुए एक दम से बेड पर गिर पड़ा.

"तुझे लगा, नंगे ही नीचे भागना, फिर नंगे ही वापस आना जब सारे घर की लड़कियाँ जाग रही थी. वाउ!" दिमाग़ की आवाज़ ने कटाक्ष किया

"यार, अब स्नेहा दी भी गुस्सा हैं उस रिया की वजह से. और पता नही उस कुत्ति रिया ने सबको क्या बताया होगा. और अगर स्नेहा दी ने तीनो मे से किसी को भी बता दिया तो सब मिलकर जान ले लेंगी. हे भगवान.."

"वैसे तो मैं तेरी और लेने की सोच रहा था लेकिन तेरे साथ वैसे ही काफ़ी कुछ हो चुका है. तो मेरी सलाह मान और सो जा, कल जो होगा देखा जाएगा." अरुण के दिमाग़ में मे आवाज़ ने कहा

"हां, यही सही रहेगा." फिर अरुण चादर को ओढकर सोने की कोशिश करने लगा.

फाइनली उसने सब के साथ सेक्स कर ही लिया था. शुरू से लेकर अभी तक सारे किस्से उसके दिमाग़ मे आने लगे. उसने अपनी सभी बहेनॉ के साथ सेक्स कर ही लिया था. उसके मन मे कोई दोष भावना नही थी लेकिन कुछ तो था. कुछ अलग.

हर किसी के साथ उसका एक अलग ही जुड़ाव था, हर किसी के साथ एक अलग भावना. जो चीज़ सबके साथ समान थी वो ये कि वो प्यार सब से करता था और बराबर का करता था. वो फ्यूचर के बारे मे सोचने लगा. अगर उसने किसी को प्रेग्नेंट कर दिया तो? क्या वो बच्चा रखेंगी या अबॉर्षन? और अगर बचा रखा तो बाहर वालो को क्या जवाब देगी कि किसका बच्चा है. उसे शायद कॉंडम का उसे करना स्टार्ट कर देना चाहिए.

"हॅट...."

या फिर उनसे पिल्स लेने के लिए कहेगा. लेकिन तभी उसके मन मे एक और विचार आया. वो सब को एक साथ खुश कैसे रख पाएगा? एक तो कुछ ही दिनो मे कॉलेज स्टार्ट होने वाला था, तो क्लास भी जाना पड़ेगा और पढ़ना पड़ेगा. तो इन सबके बीच वो सबकी इच्छाएँ कैसे पूरी कर पाएगा. और अब इस रिया की बच्ची का क्या करे?

"चोद डाल, और क्या?" अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने सजेशन दिया

"तुझसे सोने के लिए कहा था." अरुण ने डाटा

माना कि रिया काफ़ी क्यूट थी, लेकिन अरुण ने कभी उसके बारे मे इस तरीके से सोचा ही नही थी. आरोही ने उसे बताया तो था कि रिया हमेशा से उसे पसंद करती आई है, लेकिन उसने कभी इस बात पर ज़्यादा ध्यान नही दिया. लेकिन वो रिया के चक्कर मे बाकी सब को धोखा नही दे सकता था.

वो आशा करने लगा कि बाकी लड़कियाँ आज रात जो कुछ हुआ वो नशे के कारण भूल जाएँ. फिर वो सोचने लगा कि जब वो पायल और नैना से टकराया था तो किसी ने उसका लंड पकड़ लिया था. और उपर से दोनो बाहर हॉल मे कर क्या रही थी. शायद वो और स्नेहा कुछ ज़्यादा ही शोर कर रहे थे.

"ओह शिट," उसने सोचा. अगर किसी ने आवाज़ पर ध्यान दिया तो वो समझ जाएँगी कि वो दोनो सेक्स कर रहे थे. और ये तो कोई नही मानेगा कि वो बस मुट्ठी मारते हुए इतनी आवाज़ें कर रहा था.

ऐसे ही इधर उधर की बातें सोचते हुए उसे नींद आ गयी.
 
सूरज की किरणें उसके कमरे मे दाखिल हुई तो उसे उठने के लिए विवश करने लगी. अरुण ने अपनी मिड्ल फिंगर सूरज की तरफ कर दी और चादर सिर पर डाल कर दूसरी तरफ मूह मोड़ लिया. लेकिन कुछ देर बाद उसे उठना ही पड़ा तो वो नीचे आधी आँखें खोले बाथरूम मे चला गया और नहा कर वापस उपर जाने लगा. उपर पहुचा ही था कि आरोही अपने कमरे से जमुहाइ लेते हुए बाहर निकली. उसे देख कर आरोही ने गुड मॉर्निंग बोला और उसके गले लग गयी. अरुण को उसका बदन बहुत ही गर्म और सॉफ्ट फील हुआ तो उसने भी कस कर उसे बाहों मे भर लिया. फिर उसके गाल पर किस करके अपने रूम मे चला गया उधर वो बाथरूम की तरफ जाने लगी.

अरुण कपड़े चेंज करके जब नीचे आया तो स्नेहा और कुछ एक लड़कियाँ मिल्कशेक बना रही थी. सुप्रिया ब्रेकफास्ट बनाने मे जुटी थी. अरुण किचन के अंदर फ्रिड्ज के पास जाने लगा तो स्नेहा ने नज़रे उठाकर उसे देखा लेकिन जल्दी ही नज़रे फेर ली. 

"मुझे दी से बात करनी ही पड़ेगी." अरुण ने सोचा.

"गुड मॉर्निंग स्वीतू," सुप्रिया उसके सिर को चूम कर बोली. उसने भी जवाब मे उसे विश किया फिर पानी लेकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया और आपल खाने लगा. जब बाकी लड़कियाँ वहाँ आई तो अजीब सा सन्नाटा छा गया वहाँ, सब छुपी हुई नज़रो से अरुण को ही देख रहे थे. लेकिन तुरंत ही गॉसिप से वो चुप्पी ख़तम हो गयी. कोई भी रात वाली बात नही कर रहा था. अरुण इसके लिए भगवान का बार बार शुक्रिया कर रहा था. उसे लगा कि अभी नाश्ते मे थोड़ा टाइम है तो वापस अपने रूम की ओर जाने लगा. अभी उसने पहली सीधी पर कदम रखा ही था की उसे कुछ सुनाई पड़ा.

सुप्रिया नाश्ता बनाते हुए श्रुति से बात कर रही थी.

"तो, कल रात अरुण के रूम मे कौन घुस गया था?" पायल ने सबकी तरफ देखते हुए पूछा.."तुम लोगो को अरुण की चीखने की आवाज़ें सुननी चाहिए थी."

सभी की नज़रे एक दम रिया पर आके टिक गयी तो वो अपना सिर हिला के इनकार करने लगी. "मैं नही थी, सच्ची" वो बड़ी मायूसी और मासूमियत से बोली.

"कम ऑन रिया," सृष्टि को उसकी बात का यकीन नही हुआ,"तेरी नज़र तबसे थी अरुण पर जबसे हम लोग यहाँ आए हैं और उपर से मैने और नैना ने तुझे कमरे से बाहर निकलते देखा है. और उपर से जब अरुण हॉल से भाग रहा था तो उसकी बॉडी पर एक भी कपड़ा नही था."

तो रिया तेज़ी से सिर हिलाने लगी. "पायल, रियली मैं नही थी. मैं गयी थी लेकिन तब वो कंप्यूटर पर बैठने का बहाना कर रहा था."

"तो फिर कौन हो सकता है?" आरोही जासूसी वाली शक्ल बना कर बोली. सुप्रिया को आरोही का लहज़ा सुन के बड़ा अजीब लगा. एक तो सुप्रिया को गुस्सा आ रहा था कि उनके अलावा कोई दूसरा भी उनके भाई को पसंद करने लगा था. लेकिन तब भी वो अपने चेहरे से अपनी गुस्सा झलकने नही दे रही थी लेकिन आरोही तो थी ही आरोही. वो मामले की जड़ तक पहुचने से पहले नही रुकने वाली थी.

"रिया!" आरोही गुस्से से उसकी ओर देखते हुए बोली. "तू ही थी ना?"

रिया ने उसे इग्नोर कर दिया और चारो तरफ देखने लगी. उसे खुद शक था कि कोई और भी था अरुण के रूम मे. वो चारो तरफ देख कर सबकी हरकते देख रही थी. स्नेहा सिर झुका कर बैठी थी और उनकी बातचीत को इग्नोर करने की पूरी कोशिश कर रही थी. एक दम से उसे झटके के साथ पूरी बात समझ मे आ गयी. स्नेहा दी ही थी! पक्का यही थी!

"ओह माइ गॉड!" उसने सोचा. स्नेहा ने नज़रे उठाकर एक बार उसकी तरफ देखा तो उसे अपनी तरफ अजीब नज़रो से देखता पाया तो तुरंत ही आँखें चुरा कर नीचे कर ली. तो स्नेहा दी अपने ही भाई के साथ सेक्स किया. ये लाइन उसे उत्तेजित भी कर रही थी और उसे थोड़ा अजीब भी फील हो रहा था. उसके दिमाग़ मे तुरंत ही एक खुराफाती प्लान जन्म लेने लगा जिससे जो वो चाहती थी वो पा सकती थी.

"रियाअ!" आरोही अपने हाथ मोड़ते हुए गुस्से से उसे देखने लगी.

रिया ने एक बार स्नेहा की ओर देखा फिर कुछ सोच कर अपना सिर हां मे हिलाने लगी. "ओके, ओके, मैं ही थी."

सुप्रिया ने अपना हाथ आरोही के कंधे पर रख कर उसे शांत रहने का इशारा करने लगी. "अरुण की प्राइवेट लाइफ से हमे कोई मतलब नही है," उसने कंधे को धीरे से दबाते हुए कहा.

आरोही ने एक बार गुस्से से सुप्रिया को देखा जैसे पूछ रही हो "सीरियस्ली दी?", लेकिन फिर उसकी बात समझ गयी कि वो एक बहेन के नाते कुछ ज़्यादा ही रिएक्ट कर रही थी. सुप्रिया की आँखों मे भी गुस्सा और दर्द था लेकिन वो खुद पर कंट्रोल कर रही थी.

फिर सबने ऐसे ही चेटर पाटर करते हुए नाश्ता ख़त्म किया, लेकिन तब तक आरोही, सुप्रिया और सोनिया का मूड थोड़ा खराब हो चुका था, तो सभी विश करके एक एक करके जाने लगे.

"दोबारा पार्टी करना तब भूलना मत," आकांक्षा ने कहा तो सब यही कहने लगी.

"ऑफ कोर्स यार, जल्दी ही करेंगे." सुप्रिया, और बाकी बहने ये कहते हुए सबको बाहर भेजने लगी.

स्नेहा तो अपने रूम मे चली गयी थी लेकिन बाकी तीनो हॉल मे आई. जैसे ही आख़िरी स्कूटी की आवाज़ आनी बंद हुई ही..घर मे एक ज़ोर की आवाज़ गूँज़ी..

"अरून्न्ञनननणणन्...." तीनो की आवाज़ एक साथ गुस्से से गूँज़ी.
अगले ही पल अरुण अपने रूम से भागता हुआ नीचे आया कि जाने क्या हो गया, कही किसी के कुछ चोट तो नही लग गयी. लेकिन वो आधी सीढ़ियाँ पार ही कर चुका थी कि उसे चार मे से तीन बहने गुस्से मे उसकी ओर देखती हुई दिखाई दी. अब उसकी गान्ड फटने लगी. "आज सही मे जान जाने वाली है?"

आधी सीढ़ियाँ वो धीरे से चलता हुआ आया और धीरे से टेबल के पास आके खड़ा हो गया.

"अरुण, अगर चाहते हो कि आगे की जिंदगी मे हम लोग तुम्हे एक भाई की तरह ट्रीट करे और तुमसे प्यार से बात करे तो हम लोग जो पूछे उसका जवाब सिर्फ़ सच और सिर्फ़ सच मे ही देना," आरोही ने बात को अपने हाथो मे लेकर कहा.

अरुण ने बड़ी मुश्किल से थूक निगला फिर बहुत ही धीमे से बोला.."ओके."

"मैं भी तेरी जान ले लूँगा अगर इनमे से एक भी चूत दूर गयी तो."

"कल रात तुमने सेक्स किया था?" आरोही ने पूछा.

अरुण का सिर घूमने लगा. "अब इसका क्या जवाब दूँ?"

"भाई, प्लीज़, इस वक़्त सिफ सच बोल..प्लीज़."

"ओके, ओके.."

"हां." उसने धीरे से बोल दिया.

"अच्छा, तो मेरे साथ तो कुछ हुआ नही, तो दी या फिर सोनिया मे से ही कोई होना चाहिए..है ना."

"मैं नही थी." सुप्रिया ने अपने हाथ मोड़ कर उसे गुस्से से देखते हुए कहा.

"मैं भी नही." सोनिया ने बहुत ही धीमे से कहकर नीचे देखने लगी. अरुण ने उसकी आँखों मे दर्द की लहर देख ली थी. अरुण का दिल उस वक़्त रोने का हो रहा था. वो सपने मे भी सोनिया को रुलाने के बारे सोच नही सकता था.

"सुन लिया, अरुण?" आरोही चिल्ला कर बोली. "किस कुतिया के साथ मूह काला कर रहे थे तुम?"

"आरोही, थोड़ा आराम से" सुप्रिया ने उसे पकड़कर कहा फिर गुस्से से ही अरुण को देखते हुए पूछा.."अरुण जवाब दो.."

अरुण के दिमाग़ मे एक साथ हज़ार चीज़े चलने लगी. "यार स्नेहा दी से बिना पूछे मैं, हमारा सीक्रेट नही बता सकता, उनका दिल टूट जाएगा. उससे बढ़िया है कि मैं झूठ बोल दूँ. क्या करूँ यार?"

"मैं..मैं नही बता सकता." अरुण ने थोड़ी देर बाद कह दिया.

"क्या मतलब, नही बता सकते." सुप्रिया ने गुस्से से टेबल पर हाथ पटकते हुए कहा. सोनिया और आरोही की नज़रो मे गुस्से के साथ साथ एक दर्द भी झलकने लगा. कि आख़िर अरुण किसे बचाने की कोशिश कर रहा था जिसे बचाने के लिए वो उन से भी दूर होने को तय्यार था.

"मैं बता सकती हूँ," पीछे से एक बहुत ही धीमी आवाज़ उनके कानो मे पड़ी.."वो मैं थी."

तीनो के सिर एक साथ पीछे से आती आवाज़ की तरफ मुड़े तो स्नेहा आ रही थी उनकी तरफ.

"व्हाट?" आरोही के मूह से बा इतना ही निकला.

"स्नेहा?" सुप्रिया बोली.

केवल सोनिया ने कुछ नही कहा, बल्कि उस के चेहरे पर तो आराम के भाव आ गये थे और हल्की सी स्माइल. अरुण ने ये देखा तो उसे तुरंत ही थोड़ा अच्छा फील होने लगा. लेकिन फिर स्नेहा के लिए टेन्षन होने लगी.

"हां. मैं ही थी," स्नेहा दोबारा कहकर शांति के साथ चेयर पर बैठते हुए बोली. "मुझसे और ज़्यादा कंट्रोल नही हुआ." उसने सुप्रिया और आरोही की आँखों मे सीधा देखते हुए कहा. "अरुण तुम लोगो को नही बता रहा था क्यूकी वो मुझे हर्ट नही करना चाहता है."

उसके बाद कुछ देर तक कमरे मे शांति छाइ रही. सब इस नयी जानकारी को समझने की कोशिश कर रहे थे.

"तो, अगर कमरे मे तुम थी...." सुप्रिया ने कहना शुरू किया.

"तू उस रिया की बच्ची ने क्यूँ कहा कि वो थी?" आरोही ने मुड़कर अरुण की ओर देखते हुए पूछा.

"मैं बताऊ. मुझे लगता है उसे पता चल गया कि कल रात अरुण के रूम मे मैं थी," स्नेहा को सारी बात समझ मे आने लगी. "ओह गॉड, अब उसे ये भी पता है कि अरुण अपनी एक बहेन के साथ सेक्स करता है." वो अरुण की ओर देखते हुए बोली.

"फक," अरुण के मूह से निकल गया. इस बात को सुन कर उसकी सिट्टी पिटी गुम होने लगी.

"कम डाउन, अरुण." सुप्रिया बोली.

"कम डाउन? दी, हम लोग जो कर रहे हैं वो इल्लीगल है. मुझे जैल भी हो सकती है. और आप लोगो की बेइज़्ज़ती होगी वो अलग!" उसने अपने से ज़्यादा अपनी बहनों की चिंता सताने लगी.

"ऐसा कुछ नही होने वाला, तुम इतना मत परेशान हो." सुप्रिया उसका हाथ पकड़कर उसे बैठाते हुए बोली.

"फिर भी," आरोही के चेहरे पर भी चिंता की लकीरे उभर आई थी. उसका गुस्सा भी ठंडा हो चुका था. "हमे उस से बात तो करनी ही पड़ेगी, पता नही उस चुदैल को क्या चाहिए होगा इस बात को सीक्रेट रखने के लिए."

"मुझे शायद पता है कि वो क्या करने वाली है," सोनिया सबकी ओर देखते हुए बोली.

"ब्लॅकमेल?" आरोही ने पूछा.

"ब्लॅकमेल." स्नेहा ने अपनी सहमति दी.

"चुड़ैल नही तो," आरोही गुस्से मे बोली.

"वेट, ..व्हाट? हे, भगवान..." अरुण अपना सिर पकड़कर बैठ गया.

"ओये, मेरी लाइन है ये."

"अरुण ने उसे इग्नोर कर दिया और अपनी बात कहने लगा,"मुझे तो वो 
पसंद भी नही है. और उसने तो सबके सामने एक तरीके से मेरा रेप ही कर डाला था तुम चारो ने एक बार भी उसे रोकने की कोशिश नही की थी. और उसके बाद तुम लोग मेरी उस कंडीशन के लिए मुझे ही गुस्सा दिखा रहे हो? अब मैं क्या करूँ कि वो मेरे रूम मे सेक्स करने के लिए आ गयी?"

"अरुण, पॉइंट ये है कि तुमने उसे रोका भी नही. अगर वो तुम्हारे साथ सेक्स करने आई थी तो तुम मना भी कर सकते थे," सुप्रिया बोली.

"वो अंदर आई थी, और हमे मतलब दी और मुझे डिस्टर्ब किया था. तो जल्दी मे दी को बेड के नीचे छुपना पड़ा. फिर उसने हमारे बीच वो..चीज़े स्टार्ट करने की कोशिश करी. लेकिन जब मैं जल्दी से खड़ा हुआ तो उसका दम घुटते घुटते बचा."

"वेट, वेट..दम घुटने से क्या मतलब है?" आरोही ने पूछा.

"शी वाज़ गिविंग हिम आ ब्लोवजोब." स्नेहा ने भी थोड़ा गुस्से से उसे देखते हुए कहा.

"शी वाज़ गिविंग यू ब्लोवजोब?" आरोही की आँखों मे दोबारा अँगारे उभर आए थे.
 
अरुण ने तुरंत ही अपने हाथ सामने कर दिए. "आरू, आरू, जस्ट रिलॅक्स, ओके, मैने उसे रोकने की कोशिश करी, कसम से, और ब्लोव्जोब केवल 3 4 सेकेंड्स के लिए थी उसके बाद जैसे ही मैं भागने को हुआ तो उसका दम घुटते घुटते बचा. दी ने तो मेरा एक बाल तक उखाड़ लिया पैर से. अभी तक दर्द हो रहा है."

"यू डिज़र्व्ड इट, यू बिग जर्क," स्नेहा के उसकी ओर देखे बिना कहा.

आरोही शांत हो गयी लेकिन तब भी उसे गुस्से से देखती रही.

"लुक," अरुण बोलने लगा, उसे पता था यही वक़्त है जब सब कुछ ठीक हो सकता है. नही तो उसकी जिंदगी नरक होने से कोई नही बचा सकता. "मुझे इस बात से कोई फ़र्क़ नही पड़ता कि लोग सोचेंगे कि जो हम कर रहे हैं वो ग़लत है. आइ लव ऑल ऑफ यू, आंड मोर दॅन सिस्टर्स. मैं जिंदगी मे केवल तुमसे और केवल तुम लोगो से ही प्यार करना चाहता हूँ. मुझे किसी और की कोई ज़रूरत नही है, सच मे. और अभी तक तो मैने ये नही सोचा था कि मैं चार लोगो को कैसे खुस रख पाउन्गा लेकिन कुछ ना कुछ तो कर ही लेता. लेकिन अब मैं इस रिया नाम की प्राब्लम का क्या करूँ? मैं तो उसे पसंद भी नही करता?"

"गुड सेव. देखे अब क्या कहती हैं ये.." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने अरुण का हौंसला बढ़ाया

अरुण की बात सुनके सबको थोड़ी सी तसल्ली हो गयी थी.

"अरुण, मैं ऐसे बहुत लोगो को जानती हूँ जो तुम्हारी जिंदगी जीने के लिए कुछ ही कर सकते हैं. और हम लोगो की चिंता मत करो. और मुझे पूरा यकीन है कि तुम पूरे तरीके से हम लोगो को प्यार करोगे. बस हमें पहले इस रिया का कुछ करना पड़ेगा."

"मैं बात करके देखती हूँ," आरोही अपना मोबाइल खोलते हुए बोली.

वो अभी अपनी कॉंटॅक्ट लिस्ट मे सर्च ही कर रही थी कि डोरबेल की आवाज़ से सब चौक गये. फिर स्नेहा दरवाजा खोलने चली गयी. आरोही जब किचन मे वापस आई तो उसके पीछे पीछे रिया भी आ रही थी.

कुछ देर तक ऐसे ही सब शांति से एक दूसरे को देखते रहे, फिर रिया ने शांति को तोड़ा.

"मैं बस ये बताने आई थी कि कल रात मैं अरुण के साथ नही थी. और मुझे पता है कि वो कौन था और मुझे लगता है कि ये सब अल्कोहल की वजह से हुआ होगा. लेकिन मैं अपना फ़ायदा जाने भी नही दे सकती."

"रिया.." स्नेहा ने बोलने की कोशिश की.

"वो स्नेहा दी थी," उसने कहा. "स्नेहा अपने सगे भाई यानी कि तुम सबके भाई के साथ सेक्स कर रही थी."

उसने सोचा था ये खबर सुनकर सब चौक जाएँगे. लेकिन जब उसने चारो तरफ देखा तो सब उसे नॉर्मली देख रहे थे.

"हमें अभी अभी स्नेहा ने बताया." सुप्रिया ने कहा.

"ओह..ओके..देन.." रिया बोली.

"रिया, तुझे चाहिए क्या?" आरोही से सब्र नही हो रहा था.

"चाहिए?" उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "मुझे?" वो मासूम बनते हुए बोली.

"आए रिया की बच्ची ये ड्रामा बंद कर. सीधे सीधे बोल तुझे इस बात को हजम करने के लिए क्या चाहिए?"

"ऑलराइट!" रिया अपनी हँसी रोकते हुए बोली. "मुझे ज़्यादा कुछ नही चाहिए बस अरुण के साथ कभी कभी प्राइवेट टाइम चाहिए. कल रात के बाद मैं ये तो समझ ही गयी हूँ कि वो उस तरीके से मेरी केयर नही करेगा जिस तरीके से तुम लोगो की करता है," यह कहते वक़्त रिया थोड़ी मायूस हो गयी..,"लेकिन फिर भी मुझे इस बात से ज़्यादा फ़र्क़ नही पड़ता. मुझे बस अरुण के साथ थोड़ा टाइम बिताना है. आरोही तो ये जानती ही है कि मुझे अरुण कितना पसंद है."

रिया ने कन्फर्म करने के लिए आरोही की तरफ देखा तो आरोही ने नज़रे फेर ली.

"रिया, ऐसा नही है कि तुम मुझे अच्छी नही लगती," अरुण अपनी बहनों की तरफ देखते हुए बोला,"प्राब्लम ये है कि मेरी जिंदगी मे पहले से ही कोई है."

"ईडियट! तू अपना मूह बंद रख. लड़कियों को ये सब कंट्रोल करने दे." अरुण के दिमाग़ ने उसे डाँटते हुए कहा

रिया उसकी बात समझने की कोशिश करने लगी तभी उसे सब कुछ समझ मे आता चला गया.

"अरुण, शट अप!" आरोही गुस्से से अरुण से चिल्ला कर बोली, उसे डर था कि अरुण अपनी बेवकूफी मे पूरा सीक्रेट ना बता दे.

"व्हाट?" अरुण को समझ मे नही आया कि उसे क्यूँ चुप करवाया जा रहा है.

"कल रात पहली बार नही हुआ था, है ना? ओह्ह्ह..और और और..स्नेहा दी ही अकेली नही हैं. हाहः..तो आख़िर अपनी कितनी बहनों के साथ सेक्स कर रहे हो, अरुण?"

सुप्रिया अब अरुण की तरफ खा लेने वाली नज़रो से देखने लगी. "उसे ये नही पता था कि तुम हमारे साथ भी सेक्स करते हो, यू डफर."

अरुण के मूह खुला का खुला रह गया जब उसे अपनी ग़लती का अहसास हुआ. शर्म से उसका चेहरा लाल होने लगा.

"लाइक आइ सेड, और जैसा कि उसने भी कहा. यू आर ऐन ईडियट." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने कमेंट पास किया

"ओह माइ गॉड, इट्स अमेज़िंग, यू आर फक्किंग ऑल युवर सिस्टर्स? चारो की चारो..वाउ" रिया ने अपने मूह पर हाथ रख के कहा. 

आरोही रिया की तरफ मुड़ने लगी. "रिया डोंट जज अस. तुम्हे नही पता, इसके पीछे क्या रीज़न्स थे, क्या कंडीशन थी. तुम्हे पता नही है उसके साथ होने का क्या मतलब है. ही'ज दा पर्फेक्ट लवर, और ये सब..बस..हो गया."

"यू थिंक..." अरुण बोला.

"यू जस्ट शट अप," आरोही उसे उंगली दिखाते हुए बोली तो अरुण ने तुरंत अपना मूह बंद कर लिया.

रिया कुछ देर चुप रही. फिर मुस्कुरा कर सबको देखने लगी. "ओके, आइ'विल नोट जज, आइ प्रॉमिस. मैं समझ सकती हूँ. मुझे भी अपना भाई काफ़ी कुछ अच्छा लगता है. लेकिन, ये मेरा पर्सनल सीक्रेट है जो कभी पूरा नही हो सकता. सच बताऊ तो मुझे अब तुम लोगो से ..थोड़ी जलन होने लगी. काश मैं भी तुम लोगो की बहन होती."

सभी लड़कियाँ हल्के से हंस दी.

सोनिया अभी भी थोड़ी ज़्यादा परेशान थी,"लुक रिया, मुझे मेरे भाई की ज़रूरत है. कुछ महीने पहले मेरे साथ ऐसा कुछ हुआ जिसके बारे मे मैं बात नही करना चाहती. अरुण मेरा भाई है, हां. बट ही'ज ऑल्सो माइ लवर. आइ लव हिम मोर दॅन आइ लव माइसेल्फ," उसने अरुण को स्माइल देते हुए कहा. "मुझे उसके बिना नींद नही आती है. सो इन सिंपल वर्ड्स वी कॅंट गिव यू अवर ब्रदर."

अरुण का दिल किया कि बस अभी जाके उसे गले लगा ले.

"हेलो, हम लोगो को काफ़ी कुछ डिसकस करना है." उसने दोनो को अपने तरफ देखने पर मजबूर करते हुए कहा. "यॅ, मेरे पास एक आइडिया है."

सभी उसकी तरफ देखने लगे कि आख़िर ऐसा कौन सा आइडिया जिससे उन सभी की प्रॉब्लम्स सॉल्व हो सकती हैं.

"ओके, अरुण हम सबके साथ इंटिमेट है. बाहर वाले कभी इस बात को आक्सेप्ट नही करेंगे. तो ये बात कभी भी बाहर नही निकलनी चाहिए. और जैसा कि रिया ने कहा है कि वो बिना अरुण के टाइम के मानेगी नही तो पहले तो रिया प्रॉमिस करो कि तुम कभी किसी को भी ये बात नही बताओगी."

"आइ प्रॉमिस, दी. आइ लव यू ऑल, गाइस." रिया आरोही की तरफ मुस्कुराते हुए बोली..

"दी प्लान क्या है.." सोनिया थोड़ी बेसब्री से बोली.

"प्लान है, कि रिया विल बी गर्लफ्रेंड ऑफ अरुण. इस तरीके से ये किसी को बताएगी भी नही."

सभी शांत हो गये इस बात को सुन कर.

"यॅ...यार मैं दिन ब दिन इसे प्यार करने लगा हूँ. देख हमारे लिए नयी चूत का इंतेज़ाम कर दिया. वाउ.." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने कहा

"आइ आम नोट गोयिंग टू बिट्रे एनी ऑफ माइ सिस्टर्स." अरुण ने कहा

"आइ कॅन मॅनेज," रिया खुश होकर बोली.

"तू तो कर ही लेगी." आरोही अब भी उससे गुस्सा थी.

"मैं कुछ कह सकता हूँ?" अरुण ने सब से गुहार करते हुए पूछा.

"नूऊओ, वैसे भी तुम्हे ही फ़ायदा हो रहा है. तुम्हे बिना मेहनत के गर्लफ्रेंड मिल रही है जिसके साथ तुम मूवीस, डिन्नर वग़ैरह वग़ैरह जगह जा सकते हो. और साथ मे हम लोग भी मिल रहे हैं."

"मुझे शेरिंग से कोई प्राब्लम नही है. मैं वादा करती हूँ कि अरुण का कभी ग़लत फ़ायदा उठाने की कोशिश नही करूँगी."

अरुण वहाँ गंज की तरह खड़े होकर अपनी लाइफ के फ़ैसले सुन रहा था.

"तो हम लोगो को कोई टाइम टेबल बनाना पड़ेगा क्या अरुण के साथ टाइम बिताने के लिए? स्पेशली फॉर रिया?" सुप्रिया बोली तो बाकी सब अपना सिर हिलाने लगे.

"दी यही तो मज़ा है अरुण के साथ. आप सोच भी नही सकते कब अरुण का मूड हो, जैसे पता नही कब आप पर बाथरूम मे अटॅक कर दे," आरोही हंसते हुए बोली.

ये सुनकर स्नेहा की कुछ ज़्यादा ही तेज हँसी छूट गयी. उसे कल सुबह का किस्सा याद आने लगा.

बाकी चारो उसे देखने लगे, अरुण तो अपनी ही दुनिया मे खोया हुआ था. "लंबी कहानी है." स्नेहा ने शरमाते हुए कहा.

"तो एग्रीमेंट ये है कि- भाई और ये रिया बाहर वालो के लिए एक कपल हैं. और इसके बदले मे रिया किसी को कुछ नही बताएगी, कभी भी नही."

अरुण को छोड़ कर सभी ने हां मे सिर हिला दिया. वो अभी भी बेवकूफो की तरह सामने देख रहा था.

"अरूंन्ं.!" सुप्रिया चिल्ला के बोली तो वो एक दम से उनकी तरफ देखने लगा.."क्या...क्या हुआ..? ओह..हां ठीक..ठीक." वो बोला.

फिर कुछ देर वो लोग ऐसे ही डिसकस करते रहे फिर रिया जाने के लिए खड़ी हुई. "कॉल मी, लवर." रिया ने अरुण से कहा.

अरुण तो उसके आगे चलने लगा. "आओ मैं तुम्हे बाहर तक छोड़ आता हूँ." 

"थॅंक यू.." रिया ख़ुसी से उससे चिपकते हुए बोली.

जब वो लोग रिया की कार के पास पहुचे तो रिया बोली.."तुम्हे पता है, चाहे कल रात जो कुछ भी हुआ हो, मुझे तुम्हारे साथ काफ़ी मज़ा आया."
 
अरुण ने आगे बढ़कर कार का दरवाजा खोल दिया. "मुझे भी." फिर उसे बैठकर बाइ बोल दिया और अंदर आ गया. अंदर आते हुए उसने सामने चार चेहरे उसकी ओर देखते हुए दिखाई दिए. अंदर आकर सब सोफे पर बैठ गये. 

"आइ वॉंट टू अस्क सम्तिंग. तो तुम लोगो को ये सब कुछ ठीक लगेगा. मतलब तुम लोगो को जलन नही होगी क्या? तुम लोगो के चेहरे देख कर तो ऐसा लग नही रहा?"

सोनिया ने बिना किसी एक्सप्रेशन के उसकी ओर देखा. "देखेंगे."

स्नेहा ये बोलकर कि उसे थोड़ा अकेला वक़्त चाहिए अपने रूम मे चली गयी. अरुण लगातार उसे रूम तक जाते हुए देखता रहा. उसे पता था कि उसे बात करनी चाहिए, लेकिन वो स्नेहा को अपने आप ये चीज़े समझने का वक़्त देना चाहता था.

सुप्रिया किचन मे चली गयी. आरोही और सोनिया आपस मे कुछ खुसुर पुसुर करके एक साथ उपर जाने लगी लेकिन सोनिया बीच रास्ते से वापस आकर उसके पास खड़ी हो गयी.

"तो आज रात आपके बिस्तर मे मेरे लिए जगह होगी?" उसने पूछा.

"आब्सोल्यूट्ली," अरुण ने उसके गाल को चूमकर कहा.

"आंड आइ'म सॉरी फॉर रिया."

सोनिया कुछ कहना चाहती थी लेकिन फिर वापस चली गयी.

अरुण स्नेहा के रूम की ओर जाने लगा. दरवाजा बंद था तो उसने धीरे से नॉक किया. "दी?"

"कम इन," उसने अंदर से ही कह दिया.

अरुण ने दरवाजा खोल कर अंदर देखा. तो स्नेहा अपने बेड पर बैठकर नखुनो को देख रही थी, जो काम आज से पहले कभी करते हुए नही देखा उसने.

"तो..उः.." अरुण को समझ मे नही आ रहा था कि क्या कहे और कैसे कहे.

लेकिन उसे आगे सोचने की ज़रूरत भी नही पड़ी, स्नेहा एक दम से खड़ी हुई और उसकी तरफ भागकर आई. भागकर सीधे उसकी बाहों मे समा गयी. अरुण दीवार से सट गया तो स्नेहा की जीभ सीधे उसके होठों पर दस्तक देने लगी और उसकी जीभ को ढूँढ कर उसके साथ खेलने लगी.

उस पल को पूरे तरीके से समझने के बाद अरुण ने धीरे से उसे दूर किया और उसे लेजा कर सीधे बेड पर लेट गया. 

"मुझे लगा, आप नाराज़ हो मुझसे," अरूणने कहा.

"थी तो, लेकिन इस वक़्त आइ रियली नीड यू तो मुझसे कंट्रोल नही हुआ," वो उसकी शर्ट के बटन खोलते हुए बोली.

"होली शिट, शी ईज़ आसम." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ गूँजी

"दी, वेट.." अरुण कहने लगा तब तक स्नेहा अपने टॉप को भी निकाल चुकी थी. उसने नीचे ब्रा नही पहनी थी तो टॉप निकलते ही उसके सुडौल दूध बाहर निकल आए. अरुण उनको देखकर अपनी बात भूल ही गया.

स्नेहा ने उसे पलटकर पीठ के बल लिटा दिया और अपने लोवर को निकालकर उसकी पॅंट की जिप खोलदी और जल्दी से लंड को बाहर निकालने लगी. अरुण ने भी देर ना करते हुए एक बार जी भर के उसके निपल को चूसा फिर खड़े होकर अपनी पॅंट सहित बॉक्सर्स को उतार दिया.

स्नेहा ने जैसे ही उसके खड़े हुए लंड को देखा उसकी आँखों मे एक अलग चमक उतर आई. उसने हाथ आगे करके उसके पेट पर धक्का देते हुए उसे बेड पर गिरा दिया और भूकी आँखो से लंड को देखने लगी. फिर अपने दोनो हाथों से उसे पकड़कर उपर नीचे करने लगी. अरुण स्नेहा की इस हरकत को देखकर चौंके बिना नही रह सका, वो घुटनो के बल नंगी बैठी थी, दोनो दूध हवा मे लटक रहे थे, और आँखों मे एक चमक.

"वाउ..ये ...तो.."

"हां.."

"मुझे लगा आप तो मुझसे बात भी नही करने वाली हो," अरुण अपनी बात पर बड़ी मुश्किल से ध्यान देते हुए कहने लगा.

"चूतिए चुप रह..जस्ट फक हर. आइ लव युवर फॅमिली, मॅन." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने अरुण को समझाते हुए कहा

"मैं बस थोड़ी जेलस थी. जब वो कमीनी रिया आई थी तब भी मुझे इतनी तेज इच्छा हो रही थी कि उसके सामने ही तुम पर कूद कर खा जाउ. मन तो कर रहा था कि उसे धक्का देकर हमारे कमरे से निकाल दूं और तुम्हारे साथ प्यार करने लगू."

ये बोलते बोलते वो थोड़ा आगे झुके सुपाडे को धीरे से लिक्क करने लगी. जैसे जैसे उसका सिर लंड की जड़ की तरफ बढ़ने लगा वैसे वैसे अरुण की आँखें बंद होती चली गयी. वो धीरे धीरे उसके भूरे बालों मे हाथ फिराने लगा और उनको चेहरे से हटाने लगा. स्नेहा उसकी ओर देखकर मुस्कुराते हुए लंड को अपने थूक से भिगोकर चूसने लगी.

अरुण से और ज़्यादा सहन नही हुआ, उसने जल्दी से हाथ आगे बढ़ाकर उसके सिर को पकड़लिया फिर उसे जल्दी से पलट कर बेड पर गिरा दिया. स्नेहा पूरे वक़्त खिलखिलाती रही, और हंसते हुए अपनी कमर हिलाते हुए अपने पैर खोलकर अपनी चूत के दर्शन करवाने लगी.

"मैं बता रहा हूँ, ये स्नेहा नही है."

अरुण उसे देखकर मुस्कुरा दिया और उसके चूतड़ पकड़कर दबाने लगा. आगे झुककर उसने लंड को स्नेहा की चूत पर रखा तो स्नेहा की आह निकल गयी. वो अपने सिर को तकिये मे दबाने लगी. अरुण धीरे धीरे उसके छेद पर लंड को रगड़ता रहा तो स्नेहा और ज़्यादा सिसकी के साथ मचलने लगी.

"अगर तुमने अभी स्टार्ट नही किया तो मैं तुम पर कूद कर तुम्हे खा जाउन्गी..प्लीज़..जल्दी." स्नेहा ने आँखें बंद करे करे ही कहा.

"मैं भी मैं भी. जल्दी चोद ना." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने मचलते हुए कहा

अरुण उसकी बात सुनकर हँसने लगा तो वो गुस्से से उसे देखने लगी, उसकी आँखें उससे मिलते ही उसने सुपाडे को अंदर डाल दिया फिर थोड़ा सिर बाहर निकालकर एक ही बार मे आधे से ज़्यादा लंड अंदर तक घुसा दिया तो स्नेहा की सास भारी हो गयी. उसका सिर आगे की तरफ होकर पीठ घूमती चली गयी. "ओह.....आहह.." उसकी तुरंत ही चीख निकल गयी. अरुण के सिर मे पटाखे फूटने लगे, जब उसकी मखमली छूट का अहसास उसे अपने लंड के चारो तरफ हुआ. हर धक्के के साथ स्नेहा की तेज सिसकी निकलती और वो उसके जवाब मे अपनी कमर को धक्का देकर उसकी ओर उछालती. दोनो की कमर एक दूसरे से टकराती ठप ठप की आवाज़ निकाल रही थी. उसने हाथ आगे बढ़कर उसे एक दूध को पकड़ कर मसल दिया तो स्नेहा की आँखें मस्ती मे बंद हो गयी और उसकी सिसकियों की आवाज़ और ज़्यादा बढ़ गयी.

हर धक्के के साथ स्नेहा की बॉडी मे करेंट की लहर दौड़ जाती तो वो और तेज़ी के साथ अपनी कमर चलाने लगती. "ओह्ह्ह...येस्स्स..." स्नेहा की ऑर्गॅज़म के साथ ही चीखे गूंजने लगी. अरुण भी मस्ती मे उसके अंदर ही अपने वीर्य को चोदते हुए झड़ने लगा. हर झटके के साथ वो उसकी चूत मे अपना गर्म वीर्य उडेलने लगा. इधर स्नेहा के शरीर मे तो ऑर्गॅज़म की लहर के बाद और लहरे उठ रही थी, काफ़ी टाइम तक अपनी कमर को हिलाने के बाद वो काँपते हुए बिस्तर पर गिर पड़ी. उसका पूरा चेहरा पसीने से भीग चुका था, सास उखड़ी हुई थी, होठों और गाल पर बहुत लाली छाइ हुई थी, और पूरा शरीर हल्के हल्के झटके के साथ कांप रहा था.

"ओह..गॉड, आइ लव यू," वो अरुण को अपनी ओर खिचते हुए बोली.

अरुण ने उसकी छाती मे अपना मूह घुसाते हुए उसके दूध को पकड़कर चूस लिया.

"दोबारा करें?" उसने अरुण के लंड की तरफ देखा तो उसकी चूत से बाहर निकलकर किसी मुर्दे की तरह लटक रहा था, फिर एक आस लेकर उसकी आँखो मे देखने लगी. लेकिन जब उसकी नज़र अरुण के चेहरे पर पड़ी तो वो तेज़ी से हँसने लगी. अरुण के चेहरे पर परेशानी के भाव थे.

"दी, मुझे और लोगो को भी खुश रखना है. है ना? " फिर उसके निपल को मूह मे खीच कर काटने लगा.

"एम्म्म...अरुंण...मुझे नही पता कि मैं तुम्हे दूसरो के साथ शेयर कर पाउन्गी..या मेरी करने की इच्छा भी है," उसने उसे अपने उपर खिचते हुए कहा. "आइ मीन, चलो अपने घर मे तो ठीक है, लेकिन मैं उस कमीनी रिया के साथ तुम्हे बिल्कुल नही देख सकती." अरुण ने आज पहली बार स्नेहा के मूह से कमीनी जैसा वर्ड सुना था. आरोही और सोनिया तो हमेशा से ही गाली वग़ैरह देते आए हैं, लेकिन उसे तो लगता था कि स्नेहा इन सब चीज़ो से बिल्कुल दूर है. और आज तो 2 बार उसके मूह से ये शब्द सुन के उसे बड़ा अजीब लग रहा था.

"दी, आइ नो. मैं भी तो उसे पसंद नही करता उपर से मेरे लिए आप सब ही काफ़ी हो. लाइक आइ सेड, आइ डोंट नीड एनिवन एल्स एक्सेप्ट यू फोर. आंड बाइ दा वे आपको कल से हो क्या गया है, आज आपने पहली बार किसी को कमीनी कहा और आपका ये रूप?"

स्नेहा उसकी बात सुनकर तेज़ी से हँसने लगी.
 
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