bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी - Page 9 - SexBaba
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bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी

स्नेहा ब्रेकफास्ट बना रही थी जब अरुण किचन मे आया. पीछे से सुप्रिया और आरोही भी आ गये. वो लोग सारी बात बताने ही वाले थे, कि सुप्रिया के रूम का दरवाजा खुला और रिया उछलते हुए बाहर आई.

"हे गाइस!" उसने बहुत ही एग्ज़ाइटेड और हॅपी मूड मे सबको विश किया.

अरुण मुस्कुरा दिया और उसके चेहरे की चमक देखने लगा जिस पर आज एक सच्ची मुस्कान छाई हुई थी. जब रिया ने आगे बढ़कर उसे हग किया तो उसे भी लगा कि आज उसके गले मिलने का तरीका अलग था.

तभी रोहन भी रूम से बाहर आया. उसने अपने शॉर्ट्स और टीशर्ट पहनी हुई थी. बाकी सब लोग भी टेबल पर आके बैठने लगे तो स्नेहा ने सबको ब्रेकफास्ट सर्व कर दिया.

रोहन किसी से बिना कुछ बोले अपना नाश्ता लेकर हॉल मे आकर खाने लगा. अरुण ने एक बार रिया की ओर देखा फिर आरोही से आँखों से पूछा तो उसने कंधे उचका कर बता दिया कि पता नही. तभी आरोही रिया को पकड़कर अपने कमरे मे ले गयी, ये बोलकर कि तुझे कुछ मस्त दिखाना है. अरुण ने सोचा वो आरोही को ही सबकुछ हॅंडल करने दे. शायद रोहन अभी गिल्टी फील कर रहा हो, ये सब करके.

वो सबके साथ बैठकर अपने नाश्ते पर टूट पड़ा.

*********

"आरोही, क्या है यार. नाश्ता तो करने देती. इतनी भूक लगी है मुझे." रिया बोले जा रही थी.

"रिया, आइ नो व्हाट हॅपंड," आरोही ने सीधे सीधे कह दिया. रिया के चेहरे का रंग तुरंत ही फीका पड़ गया और वो आरोही के इशारा देने पर बेड पर बैठ गयी. "मैं नीचे आई थी, मुझे लगा कि अरुण होगा दी के रूम मे, लेकिन जब मैने गेट खोला तो मैने तुम दोनो की आवाज़ें सुनी."

रिया ने अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया जिसे आरोही ने तुरंत ही खीच लिया.

"डॉन'ट बी अशेम्ड, रिया..कम ऑन. मैं भी तो इसी पोज़िशन मे हूँ." आरोही ने अपनी तरफ इशारा करते हुए कहा.

कुछ देर तक दोनो के बीच खामोशी छाइ रही, जिसे देखकर आरोही सोचने लगी कि उसने सीधे इस बारे मे बात करके ठीक किया. एक आह भरते हुए आरोही अपने भूरे बालों मे हाथ घुमाने लगी. "रिया, कुछ तो बोल यार."

रिया उसकी तरफ देखने लगी. "मैं क्या बोलूं?"

"जस्ट से इट. अड्मिट इट, तुझे अच्छा लगेगा. मुझे भी ये फीलिंग्स हुई थी जब मैने किया था. जब तक मैने आक्सेप्ट नही कर लिया कि हां मैं अपने भाई की तरफ अट्रॅक्टेड हूँ, तब तक मुझे भी अच्छा नही लगता था. उसके बाद सब कुछ अच्छा हो गया." वो रिया के बालो को अपनी उंगली मे लपेटते हुए बोलने लगी.

"वाज़ इट अन आक्सिडेंट?" आरोही ने पूछा.

रिया सोचने लगी. "नोट रियली, मतलब बस हो गया. हम दोनो जब जागे तब उसका वो मेरे अंदर था," वो शरमाते हुए बोली. "उसने रोकने की कोशिश भी की, कि ये सब ग़लत है. बट ही वाज़ एग्ज़ाइटेड और मैं भी चाहती थी कि वो आगे बढ़े..सो..आइ..कन्विन्स्ड हिम," रिया एक छोटी से मुस्कान के साथ बोली.

आरोही हँसने लगी. "कन्विन्स किया? कैसे?"

रिया ने हां मे सिर हिला दिया. "आइ हॅव माइ वेस," वो बोली.

आरोही ने उसे गले लगा लिया. "आइ'म हॅपी फॉर यू," उसने कहा और वो सच मे खुश थी उसके लिए.

"लेकिन मुझे अब रोहन से बात करनी पड़ेगी इस बारे मे, आइ डोंट थिंक कि अब इसके बाद मैं किसी और के साथ रिलेशन्षिप मे रह सकती हूँ. दट फीलिंग वाज़...इनडिस्क्राइबबल."

"यॅ, यू हॅव टू टॉक टू हिम. फॉर यू आंड फॉर हिम." आरोही उसकी आँखों मे देखते हुए बोली.

रिया ने सिर हिलाया और नीचे देखकर कुछ सोचने लगी. फिर आँखें उपर करके उसने सीधे आरोही की तरफ देखा. "आइ फक्ड माइ ब्रदर." रिया ने कहा और तुरंत ही अपने मूह पर हाथ रख लिया. "यू वर राइट. मुझे सही मे हल्का महसूस हो रहा है."

आरोही ने दोबारा उसे गले लगा लिया, लेकिन रिया वापस हो रही थी.

"वो..यार.. उसे कन्विन्स करने के चक्कर मे मुझे तुम लोगो के बारे मे बताना पड़ा."

"व्हाट?" आरोही चौंकते हुए बोली.

"गुस्सा मत हो यार, वो किसी को नही बताएगा."

"यार.." आरोही बोलने लगी तो रिया के चेहरे पर शिकन बढ़ती जा रही थी. आरोही ने गहरी सास ली फिर उसे हग किया. "इट'स ओके. मैं जानती हूँ वो किसी को नही बताएगा. आइ नो युवर सीक्रेट आंड यू नो माइन. सिंपल."

रिया मुस्कुराते हुए खड़ी हुई. "तो चले..ब्रेकफास्ट करने?"

"यप, ब्रेकफास्ट." आरोही उसके गले मे हाथ डाले चलने लगी.
 
वो दोनो नीचे आई तो अरुण और रोहन दोनो नाश्ता कर चुके थे और बॅकयार्ड मे जा रहे थे. आरोही उसके पास आई और कान मे जल्दी से सब बता दिया. अरुण ने उसे देखा फिर रिया को देखा. सिर हिलाते हुए उसने आरोही के गाल पे किस किया फिर रोहन के पीछे पीछे बकयार्ड मे चला आया.

पूल के पास वो लोग बॉटल्स और कपड़े उठा रहे थे.

"तो मुझे पता लगा कि तुम्हे हमारा सीक्रेट पता है,"
अरुण ने रोहन से पूछा. रोहन उसे ऐसे देखने लगा, जैसे कि उसे कुछ पता ही ना हो कि अरुण किस बारे मे बात कर रहा है.

"आइ'एम नोट जड्जिंग," रोहन ने कुछ देर बाद कहा.

"अगर ऑनेस्ट्ली कहूँ तो," अरुण कुछ सोच के बोला,"ये जो पूरा डेट वाला किस्सा था ये इसीलिए था कि तुम और रिया एक हो जाओ."

रोहन एक दम से उसकी ओर देखने लगा.

"अभी कुछ दिन पहले रिया को हमारा ये सीक्रेट पता चल गया. तो उसने हम सबको ब्लॅकमेल किया कि अगर मैं उसका बाय्फ्रेंड नही बना तो वो सबको बता देगी. बातों बातों मे उसने ये भी बता दिया कि वो काफ़ी टाइम से तुम्हारी तरफ अट्रॅक्टेड है. तो मेरी सिस्टर्स ने ये प्लान निकाला. वी हॅव नो अदर ऑप्षन." 

रोहन उसकी बात को समझने के लिए चेयर पर बैठकर सोचने लगा.

"तुमने मुझसे सीधे सीधे क्यूँ नही पूछा?" रोहन ने कहा.

अरुण एक दम से उसकी ऑर देखने लगा. "सीरियस्ली? अगर मैं डाइरेक्ट्ली आके पूछता कि क्या तुम अपनी बहेन के साथ सेक्स करोगे तो तुम मेरा क्या हाल करते. या तो तुमने मेरी हड्डी पसली एक कर दी होती या फिर सबको बता कर हम सबको जैल करवा दी होती."

रोहन भी उसकी बात समझ गया.

"मैं बस बताना चाहता हूँ, कि यू आर नोट दा ओन्ली वन. इफ़ यू नीड सम्वन टू टॉक अबाउट इट..आइ'म हियर बडी. आंड इट्स नोट रॉंग. ग़लत तब है जब तुम किसी को दुख पहुचाओ, किसी का नुकसान करो. ई थिंक वॉट मॅटर्स इस-- हॅपीनेस ऑफ अदर पर्सन आंड सॅटिस्फॅक्षन ऑफ युवर्ज़."

रोहन वही बैठकर उसकी बातों के बारे मे सोचता रहा तब तक अरुण सब कुछ कलेक्ट करता रहा.

"मुझे खुद नही पता यार, शी वाज़.."

"...डिफरेंट फ्रॉम एनिवन एल्स. बेटर दॅन एनिवन ऑर एनितिंग यू हॅव एवर एक्सपीरियेन्स्ड. आउट ऑफ दिस वर्ल्ड. अमेज़िंग." अरुण ने उसकी बात पूरी की.

रोहन ने धीरे से सिर हिला दिया और धीरे धीरे उसकी हेल्प करने लगा.

"आइ नो रोहन, व्हाट आर यू थिंकिंग राइट नाउ. मेरे साथ भी ये सब हो चुका है. बट बिलीव मी, अगर तुम इसे आक्सेप्ट कर लोगे, यू विल फील बेटर."

**********

अंदर, रोहित भी नीचे आ गया था और नाश्ता कर रहा था जब अरुण और रोहन अंदर आए. कुछ देर बाद रोहन और रिया दोनो चले गये.

काफ़ी देर तक निशा और रोहित अपनी वाकेशन के किस्से सुनाते रहे. रोहित ने अपनी काफ़ी बेइज़्ज़ती करवाई फिर बाइ बोलकर वो दोनो भी चले गये. श्रुति पहले ही जा चुकी थी.

अरुण ने चारो की तरफ मुस्कुराते हुए देखा. "सो.."

"मिशन अकॉंपलिश्ड!" आरोही चिल्लाते हुए बोली तो पूरे घर मे ठहाके फुट गये.

**********

बाद मे उसी सनडे को, अरुण पूल के पास बैठा नॉवेल पढ़ रहा था. डोर ओपन हुआ और आरोही अंदर आई, एक टॉप और छोटी सी स्कर्ट पहने हुए और उसके सामने बैठ गयी. उसे बैठते देख अरुण की हँसी छूट गयी, क्यूकी आरोही ने स्कर्ट के नीचे पैंटी नही पहनी थी.

"ओह.." अरुण ने बस इतना कहा.

"तुमने सुबह मना किया था ना," आरोही भी हंसते हुए बोली.

"इससे कह, कि घोड़ी बन जाए." आवाज़ ने अरुण को ऑर्डर दिया

अरुण दोबारा हंस दिया. 

"यहाँ पास वाली चेयर पर क्यू नही आ जाती." अरुण ने कुछ देर बाद कहा.

"इस दट आन ऑर्डर?" उसने एक नॉटी स्माइल के साथ कहा.

"हां बोल और बोल कि लंड पर आकर बैठे." आवाज़ ने फिर से अरुण को कहा

अरुण हंसते हुए उसे देखने लगा. कि वो सच मे कितनी खूबसूरत लग रही थी. उसके कंधो से नीचे जाते हल्के भूरे रंग के बाल, भूरी आँखें सब उसे सुंदरता की मूरत बना रही थी.

"मेबी?." अरुण बोला.

"ओह कम ऑन." आरोही ने उसके उपर कुछ फेकते हुए कहा. "डू इट राइट."

अरुण हंस के आराम से लेट गया. "आरोही, अपने सब कपड़े निकाल कर यहाँ लेट जाओ,"उसने आख़िरकार कहा तो वो हँसने लगी.

"और पड़ोसियों का क्या?" उसने पूछा.

"वो अपने यहाँ से तो हमें देख नही सकते." उसने कहा.

वो हंसते हुए आई और उसके पास आकर अपने कपड़े निकाल दिए और उसकी पास वाली चेयर पर लेट गयी.
अरुण बार बार उसकी ओर देखते हुए किताब पढ़ने लगा.

"काफ़ी गर्मी है ना," आरोही हंसते हुए बोली.

अरुण ने पास पड़ी पानी की बॉटल उठाई और उसकी पीठ पर धीरे धीरे डालने लगा. धूप की पानी की बूंदे उसकी पीठ से होती हुई दूधो की साइड मे चमकने लगी. फिर उसके चूतड़ पर पानी डाला तो वो उसकी गंद से होता हुआ चूत से चुहुने लगा.

"फीलिंग बेटर?" उसने वापस बैठते हुए पूछा.

एक गहरी सास लेकर मुस्कुराते हुए वो उसकी ओर देखने लगी. तभी दरवाजा खुला और स्नेहा बाहर आई. उसने एक बहुत ही सेक्सी बिकिनी पहनी हुई थी, जो अरुण ने उसके उपर आज से पहले कभी नही देखी थी. वो इतनी छोटी बिकिनी पहनी थी कि इमॅजिनेशन के लिए कुछ बचता ही नही था. आरोही और अरुण दोनो अपना मूह खोले उसकी बदन पर नज़रे चिपकाए आते हुए देख रहे थे.

"आइ होप यू बोथ लाइक इट," स्नेहा अपने बालो को पीछे करते हुए बोली. डार्क ब्लू कलर की बिकिनी, जिसके टॉप मे 2 छोटे छोटे ट्राइंगल थे और पैंटी छोटा सा ब्लू कपड़ा जो उसके पैरो के बीच का हिस्सा मुस्किल से छुपा रहे थे.

"दी, ऐसा लग रहा जैसे आपके बॉडी पार्ट्स ने जगह जगह सूट को खा लिया हो," आरोही हंसते हुए बोली तो स्नेहा ने उसे दिखाने के लिए अपने दूध हिला दिए, तो एक साइड से उसका निपल निकल आया.

"ऊप्स," उसने कहा और अपना निपल दोबारा उसके अंदर करने लगी.

"मैं तो आपके गुदगुदी करने की सोच रहा था." अरुण ने मुस्कुराते हुए कहा. फिर उसे भी गर्मी लगने लगी तो पूल मे डुबकी लगा दी. उधर स्नेहा आरोही के पास वाली चेयर पर बैठ गयी.

"इधर क्यू आया चूतिए, चूत उधर है?" आवाज़ ने अरुण को समझाया

अरुण पानी के अंदर से सिर निकालकर अपनी बहनो को देखने लगा. 

"अरुण, थोड़ा मसाज कर दो ना, प्लीज़." आरोही ने उसे देखते हुए कहा.

अरुण पूल से निकालकर तुरंत ही उसके पास आ गया.

"रिलॅक्स, स्वीटी पिए," अरुण ने कहा और पास से आयिल की बॉटल उठा कर थोड़ा तेल अपने हाथ मे लिया. नीचे से शुरू करते हुए उसने उसके पैरो पर तेल लगाकर वो उसकी जांघों तक पहुचता है. वहाँ से उसके चूतड़ फिर गान्ड से लेकर हल्की भीगी चूत की दरार मे अच्छे से उंगली फिरा के उसके हाथ पेट तक पहुचते हैं, उसके दूध पर हाथ पड़ते ही निपल सख़्त होने लगते हैं.

आरोही का मूह हल्का सा खुला हुआ, वो अपने भाई के हाथों का पूरा मज़ा लेने मे लगी हुई है. अरुण ने नीचे झुक कर एक दूध को पकड़ा और उसके निपल पर अपनी जीभ फिरा दी, फिर मूह मे लेकर बाहर निकाल दिया. ऐसा करके वो दूसरे दूध पर टूट पड़ा, फिर दोबारा उन पर तेल लगाकर चमका दिया. दूधों से जी भरकर वो उसकी गर्दन पर बढ़ा.

"देयर यू गो, अब जाओ और दी की मसाज करो," अरुण ने उससे स्नेहा की तरफ इशारा करते हुए कहा.

"ओके," आरोही धीरे धीरे खड़ी हुई और स्नेहा के पास चली गयी.
 
स्नेहा भी आराम से अपनी चेयर पर लेट गयी. आरोही ने भी अपने हाथों मे तेल लिया और अपने भाई की तरह उसके पैरो से ही शुरुआत करी. चूतड़ पर पहूचकर उसने जानबूझकर उसकी चूत को अन्छुआ छोड़ दिया और अपने हाथों को पेट, दूध और गर्दन पर घुमाने लगी. फिर उसने एक उंगली से बिकिनी टॉप को एक साइड किया और गुलाबी निपल को अपने मूह मे भर लिया. दोनो तरफ ऐसा करने के बाद उसने वही से उसके हर हिस्से को चूमते हुए नीचे बढ़ना स्टार्ट किया. अरुण के कहने पर उसने दोबारा उसके दूधों को चूसना शुरू कर दिया. स्नेहा की सासें भारी होने लगी जिसे देखकर आरोही ने अपना हाथ पेट से ले जाते हुए पैंटी तक ले गयी, तो स्नेहा की सास एक दम से तेज हो गयी.

अपने मूह को दूध पर रखे हुए उसने दो उंगलियों को अपनी बड़ी बहेन की चूत मे डाल दिया और अंगूठे से उसकी क्लाइटॉरिस को रगड़ने लगी. स्नेहा तुरंत ही जवाब देते हुए अपनी कमर को कमान की तरह तानने लगी.

"अब दी के दोनो पैरो के बीच मे आओ," अरुण बोला.

अरुण ने तुरंत ही दूध से मूह उठाया और स्नेहा के पैरो के बीच आ गयी और अरुण की तरफ दूसरे ऑर्डर के लिए देखने लगी. स्नेहा आँखें खोल के दोनो को देख रही थी.

"चाटो," अरुण ने कहा तो आरोही हंस पड़ी.

"कोई देख लेगा," स्नेहा बोली.

"नो टेन्षन दी," आरोही बोली और उसकी पैंटी को थोड़ा साइड मे करके अपनी ज़ुबान उसकी चमकती चूत पर घुमाने लगी. "ओह." स्नेहा बोल पड़ी.

तभी उन्हे पास से कार की आवाज़ सुनाई पड़ी.

"शिट," अरुण बोला फिर आरोही की बिकिनी उसे दे दी और अंदर जाने लगा, लेकिन तभी उसे एक आइडिया आया.

वो आके पूल के पास बैठ गया और अपने पैर पूल मे डाल दिए. आरोही उसके जस्ट सामने खड़ी थी.

"आरू," आरोही पलट के उसे देखने लगी. "कम हियर," उसने कहा.

वो तुरंत ही पूल मे कूदकर उसके सामने खड़ी हो गयी. नीचे देखते हुए अरुण ने अपने शॉर्ट्स उतार दिए और लंड को बाहर निकाल लिया.

"चूसो," अरुण ने धीरे से कहा.

"ओह यॅ. सक इट बेब."

आरोही के चेहरे पर भी एक बड़ी स्माइल आ गयी. वो आगे बढ़ी और उसके लंड को हाथ मे लेकर इधर उधर करने लगी. सूरज की चमक, उसके बदन पर तेल के कारण चमकता पानी और उसके मूह मे लंड, ये सब अरुण को मदहोशी मे ले जाने लगे. 

उसके लंड को मूह मे रखकर वो चूसे जा रही थी. उसके थूक से पूरा लंड धूप मे चमक रहा था.
गले के अंदर तक पहुचा तो अरुण ने धीरे से अंदर लेने को कहा, आरोही ने एक सेकेंड के लिए लंड को मूह से बाहर निकाला और फिर अंदर कर लिया. उसका सुपाडा अंदर गले की दीवार को रगड़ने लगा.

"आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह."

अरुण और उसकी आवाज़ एक साथ ही बोले और उसके सिर को पकड़कर अपनी आँखो की तरफ कर दिया. उसने दोनो हाथों से उसका सिर पकड़ा और अपने लंड पर आगे पीछे करना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर मे वो उसके मूह मे झाड़ते हुए सिसकी लेने लगा. जब आरोही ने पूरे तरीके से उसका लंड सॉफ करके लंड को मूह से बाहर निकाला तो उसने उसकी आँखों मे देखा.

"थॅंक यू." अरुण ने कहा.

हंसते हुए आरोही ने एक और बार उसे आँख मार दी और आख़िरी बार लंड को चाट के पानी के अंदर गोता लगा दिया.

*************

अरुण अपने पास गर्म अहसास से जागा. खिड़की से सूरज के दर्शन हो रहे थे. उसने पलटते हुए अपने पास उस गर्म, कोमल शरीर को अपने आगोश मे लेने के लिए उसके तरफ हाथ बढ़ा दिया. उसके बालों मे अपनी नाक रगड़कर उसने धीरे से साँस ली और मुस्कुरा दिया.

"सोनिया," उसने मुस्कुराते हुए मन मे उसका नाम लिया.

सोनिया हल्की सी हिली और उसने भी पलटकर उसके सीने मे अपना मूह रखकर गहरी सास ली.

"म्म्म्मीमममम," सोनिया ने धीरे से जागते हुए कहा.

अरुण ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके खूबसूरत चेहरे से बाल हटाए, और उसकी नींद से जागती आँखों को अपनी ओर उठाते हुए देखने लगा. उसने आगे बढ़कर अपने होठ उसके नाज़ुक होठों पर रख दिए और उसके चेहरे को खिचते हुए पलटकर उसके उपर चढ़ गया.

अभी मे नींद मे होते हुए सोनिया ने उसके किस के जवाब मे उसे किस किया और उसके गले मे अपनी बाहें डालकर अपने पैरो को खोल दिया. उसने अपनी उंगलियाँ उसके पीठ पर रख दी और उसके लंड को अपनी चूत के अंदर जाते हुए महसूस करने लगी. उसकी प्रतीक्षा मे उसने अपने होठों को चबाना शुरू कर दिया और जैसे ही लंड उसकी गीली चूत मे दाखिल हुआ उसने एक चैन की सास ली.

अरुण ख़ुसी से झूमते हुए अपने लंड को उसकी चूत के रस से सारॉबार करते हुए अंदर की तरफ धक्के लगाने लगा. उसने अपने हाथ को उसकी कमर के नीचे करके उसके चुतड़ों को उपर उठाया और इस बार जब उसका लंड चूत के मूह को खोलता हुआ अंदर गया तो दोनो के मूह से एक साथ आह निकल गयी.

सोनिया ने मस्ती मे अपना सिर नीचे तकिये मे धंसा दिया और उसके धक्को का आनंद लेने लगी.

"गुड....आअहह...मॉर्निंग...ओहमम्म्म..भईई." उसने मदमस्त काँपति हुई आवाज़ मे कहा.

"मॉर्निंग सेक्सी.."अरुण ने एक आराम से लेकिन करारा झटका अंदर देते हुए कहा.

"भाई, थोड़ा और ज़ोर से," उसने धीरे से कहा. "मैं सोच ही रही थी कि कब आप मुझे ऐसे जगाओगे," उसने कहा.

हंसते हुए अरुण ने वापस धक्का मारा और एक ही बार मे पूरा लंड अंदर तक कर दिया, दोनो के शरीर मे करेंट दौड़ गया, दोनो की आहें एक दूसरे की सासों मे घुलकर दोनो को आनंद के सागर मे गोते खिलाने लगी. अरुण अभी भी उसकी कमर को पकड़े हुए था और कस कस के जोरदार धक्के दे रहा था.

अरुण ने अभी अगला धक्का लगाया ही था कि उसके रूम का डोर ओपन हुआ और सुप्रिया अंदर की ओर झाँकने लगी.

"गॉड, डॉन'ट स्टॉप," सोनिया ने सुप्रिया को देखते हुए कहा, उसे इस वक़्त कोई फ़र्क़ नही पड़ रहा था कि उनकी बड़ी बहेन उन दोनो को एक साथ सेक्स करते हुए देख रही थी.

अरुण ने भी एक बार पीछे मूड के देखा और सुप्रिया की ओर मुस्कुरा कर देखते हुए एक धक्का और लगा दिया सोनिया की चूत मे. सोनिया का शरीर कांप कर उसके ऑर्गॅज़म की दशा दिखाने लगा. सुप्रिया ने पीछे दरवाजा बंद किया और उन दोनो के पास आकर बिस्तर पर बैठकर देखने लगी.

"आइ'म जस्ट हियर टू एंजाय दिस ब्यूटिफुल शो," उसने सोनिया के चेहरे पर पसीने के कारण चिपके बाल हटाते हुए कहा.

सोनिया दोबारा आ भरते हुए अरुण से चिपक गयी. उसकी चूत लंड के चारो तरफ अपना शिकंजा कसे हुए थी, अरुण के हर झटके के साथ सोनिया आह आह कर रही थी. अरुण लगातार सुप्रिया की आँखों मे देखते हुए सोनिया को किस करने लगा और सोनिया अपने ऑर्गॅज़म के कारण काँपते हुए उसकी बाहों मे सिमटी पड़ी रही. आख़िरकार अरुण ने अपनी कमर को रोका और उसके सिर को सहारा देकर तकिये पर रख दिया. कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद अरुण ने वैसे ही उसे अपने से चिपकाया और खुद पीठ के बल लेट कर उसे अपने उपर कर लिया. उसे पता था की सोनिया को उसके उपर चढ़ कर सेक्स करने मे कितना मज़ा आता है. उसके काम का फल उसे मिला जब उसके कानो मे दोबारा उसकी मस्ती भरी आह रस घोलने लगी.

सुप्रिया दोनो को देखकर मुस्कुराए जा रही थी. उसे अपने भाई बहेन के इस सुंदर कृत्य पर बड़ा प्यार आ रहा था, वो मन मे चाह रही थी कि सोनिया उसे इस मे शामिल कर ले लेकिन वो दोनो को डिस्टर्ब नही करना चाहती थी.

सोनिया पूरी मस्ती मे अपने भाई के लंड के उपर उछल्ते हुए कराहने लगी. आख़िरकार दोबारा उसकी चूत मे ऑर्गॅज़म की लहर उठाने लगी और कुछ ही देर मे दोबारा उसकी सासें बढ़ने लगी और वो गहरी सास लेते हुए उसके उपर गिर कर साँस संभालने लगी.

"यू टू आर सो गुड अट था," सुप्रिया बोली. "सॉरी, मैं तुम दोनो को डिस्टर्ब नही करना चाहती थी. बस मुझसे रहा नही गया तो मैं देखने चली आई."

सोनिया अपनी उखड़ी सासो को संभालते हुए उसकी ओर पलटी.

"डॉन'ट वरी दी. मुझे कोई प्राब्लम नही है. उपर से इट वाज़ मोर फन," उसने मुस्कुराते हुए कहा.

अरुण वही अपनी दोनो बहनों के साथ कुछ मिनिट लेटा रहा. उसका लंड अभी भी सोनिया की चूत मे सावधान अवस्था मे खड़ा हुआ था.

"मुझे लगा आज क्लास जाने से पहले यू कुड यूज़ आ लिट्ल गिफ्ट," उसने सोनिया को चूमते हुए कहा. फिर धीरे धीरे उसने लंड को उसकी कुलबुलाती चूत से बाहर निकाल लिया. सोनिया लेटे हुए सुप्रिया की आँखो मे देखने लगी जो उन दोनो के पास ही लेटी हुई थी. सुप्रिया से रहा नही गया तो उसने आगे बढ़कर धीरे से सोनिया के नरम होठों को अपने मूह मे रख लिया और पूरे एक मिनिट तक उनका रस चूस्ति रही. फिर उठाते हुए बोली.

दरवाजे की ओर जाते हुए वो कहने लगी,"मुझे वो.. बनाना..है.."
 
अरुण ने सोनिया की ओर देखा तो सोनिया ने मुस्कुरा कर हां मे सिर हिला दिया. अरुण जल्दी से खड़ा हुआ और उसके पीछे पहुचा. सुप्रिया उसी की पुरानी शर्ट और पैंटी पहने हुए थी.

"इतनी जल्दी क्या है, स्वीटी पिए," उसने उसके दोनो हाथ पकड़कर अपनी ऑर मोडते हुए कहा और उसको लेकर बेड पर गिर पड़ा, कुछ ही पॅलो बाद उसकी पैंटी उसके पैरो से बाहर निकल रही थी. सोनिया ने सुप्रिया के कंधे पकड़कर उपर खिच लिया और खुद थोड़ा साइड मे हटकर उसे जगह दे दी.

अरुण ने हाथ आयेज बढ़ाकर जल्दी से उसकी शर्ट उतार दी. हंसते हुए सुप्रिया ने उसके चमकते हुए लंड को देखा और फिर सोनिया की खूबसूरत चंचल आँखो मे देखते हुए मुस्कुरा दी.

अरुण ने देर ना करते हुए लंड को एक ही झटके मे अंदर कर दिया, अरुण ने महसूस किया और उसे कोई अचंभा भी नही हुआ कि उसकी चूत काफ़ी गीली थी.

"ओह गॉड येस्स्स..." सुप्रिया काफ़ी तेज़ी से बोली जैसे ही उसका मोटा लंड उसकी चूत की गहराइयाँ जाँचने लगा. उसके पैर खूदबखुद उसकी कमर के इर्द गिर्द लिपट गये और अरुण कस के धक्के पर धक्के देने लगा.

"ओह,,,गॉड...आहह..स्वीटी,," उसने मस्ती मे कहा, उसकी चूत किसी भूके की तरह उसके लंड को खा जाने पर तुली हुई थी. अरुण ने उसकी कमर को पकड़ा और दूसरे हाथ से उसकी पीठ को सहारा देकर अपने उपर डाल लिया फिर खड़ा होकर उसे दीवार के पास ले गया. वही दीवार से सटा कर अरुण उसकी चूत को पेलने लगा.

"फक, यस..ऐसे ही चोदो मुझे..आ.हह..." सुप्रिया पूरे जोश मे आकर बोली. हर धक्का उसे उसके चरम के करीब ले जा रहा था. 

कुछ ही देर मे उसकी चूत की दीवारें भी काँपते हुए अपना रस छोड़ने लगी और वो भी निढाल होकर अरुण की गर्दन को हल्के हल्के चूमने लगी.

"दी, मैं समझ गयी आपको कैसा लगा होगा. आइ कॅन फील इट नाउ." सोनिया बेड पर लेटे लेटे ही दोनो की तरफ देखते हुए बोली.

"हमे ऐसा और ज़्यादा करना चाहिए, आगे से." सुप्रिया बेड पर आते हुए बोली. सोनिया ने कस के उसे अपने पास खीच लिया और उसके सीने पर सिर रख के लेट गयी. सुप्रिया भी अपनी सास को पकड़ते हुए उसे साथ लेटे लेटे नींद के आगोश मे जाने लगी.

अरुण ने अपनी दोनो बहनो को एक साथ प्यार से नींद मे जाते देखा तो मुस्कुरा दिया और मुड़कर अपने रूम से बाहर चला आया. बाहर आते ही अपनी जुड़वा बहेन के रूम की तरफ मूड गया उसे सर्प्राइज़ देने के लिए.

पंजो के बल बिना आवाज़ किए उसने धीरे से उसके रूम का दरवाजा खोला और अंदर उसकी सोती हुई सूरत निहारने लगा. उसके भूरे बाल एक चोटी मे थे और उसका बदन एक चादर से ढका हुआ था. उसकी सेक्सी गान्ड का उभर चादर मे से सॉफ सॉफ दिख रही थी. अरुण धीरे से आगे बढ़ा और शीट को पकड़कर धीरे से खिच लिया. चादर उतरते ही उसका सेक्सी गोरा बदन उसकी नज़रो मे उतरने लगा, उसके छोटे एगर पर्की दूध बिस्तर मे धन्से जा रहे थे और उसके नंगे चूतड़ कुछ अलग ही शोभा बढ़ा रहे थे.

चुपचाप आगे बढ़ते हुए उसने हल्के से उसके नंगे चूतड़ पर किस कर दिया. नज़रे उठाकर उसने देखा तो वो अभी भी सो रही थी, तो उसने दोबारा किस किया और धीरे धीरे दोनो चुतड़ों पर अपनी छाप छोड़ने लगा.

आख़िरकार वो हल्के से हिली और पलटकर पूरे तरीके से अपने पेट के बल लेट गयी, अरुण ने भी मौका ना छोड़ते हुए उसके चूतड़ो को हल्का सा खोला और अपनी जीभ को कोणदार करके छेद के अंदर ले जाने की कोशिश करने लगा. उसकी गान्ड पर अरुण की गरम जीभ पड़ते ही आरोही सोते सोते ही आह करने लगी और अपनी कमर को उपर उठाकर उसे और ज़्यादा उकसाने लगी. गान्ड से होती हुई जीभ उसकी चूत तक जा पहुचि और उसको अपने थूक से भिगोने लगी. दोनो हाथों से चौड़ा कर उसने जीभ को चूत के अंदर डाल दिया फिर कुछ देर बाद उसे बाहर निकाल कर देखा तो आरोही गहरी सासों के साथ जाग रही थी.

"वाउ, व्हाट आ सेक्सी मॉर्निंग," उसने कहा और अरुण का सिर दोबारा अपनी चूत पर दबा दिया. अरुण के हाथ किसी साप की तरह उसके शरीर के उपर चढ़ते हुए दूधों तक जा पहुचे इधर वो अपनी जीभ से उसकी क्लाइटॉरिस के साथ खेलता रहा. आरोही उसके सिर को पकड़े पकड़े अपनी कमर को कस के घूमने लगी. फिर उसने उसे छोड़ दिया और अपने हाथो के बल शरीर को उपर उठा दिया. अरुण ने अपने हाथो से उसकी जांघों को पकड़ लिया और पूरी की पूरी जीभ उसके छेद के अंदर डाल कर मज़े देने लगा.

चूत चाटते चाटते ही अरुण ने अपनी जुड़वा बहेन की ओर देखा तो वो भी उसकी ही ओर देख रही थी. जैसे ही अरुण ने अपना मूह उसकी चूत से हटाया आरोही एक दम से उस पर चढ़ने लगी, चुदने के लिए लेकिन अरुण ने उसे रोक दिया.

"वेट, काफ़ी टाइम है हमारे पास." अरुण ने एक कुटिल मुस्कान के साथ कहा.

आरोही को उसकी बात का मतलब नही समझ आया तो वो दोबारा बिस्तर पर लेट कर उसकी ओर देखने लगी और अपनी टाँगे खोलकर उसे न्योता देने लगी. "प्लीज़, फक मी भाई."

अरुण ने हंसकर उसे देखा. और आगे झुककर अपने लंड को चूत पर रख दिया लेकिन अंदर नही डाला. "वेट," अरुण ने कहा तो आरोही से रहा नही गया लेकिन उसने उसकी बात की तौहीन भी नही की. वो बस वही पर हल्के हल्के कमर हिलाने लगी. 

"प्लीज़, प्लीज़ चोदो मुझे," उसने भीख माँगते हुए उसकी ओर देखा.

इस बार अरुण ने भी देर नही की और उसके हाथो को साइड मे कस्के रखके एक जोरदार झटका मार कर लंड को गहराइयों मे पहुचा दिया. तुरंत ही आरोही का शरीर उपर उठ कर अरुण से चिपकता चला गया और उसके मूह से मादक सिसकारी निकल गयी.

"फक्क्क्क..येस्स्स्स्स.." आरोही बस यही बोले जा रही थी और अरुण झटके पर झटके दिए जा रहा था. कुछ ही देर मे आरोही ने भी झड़ना शुरू कर दिया और वो मूह खोलकर उसे किस करने लगी और आँखें बंद करके उस पल का आनंद उठाने लगी. जब उसका शरीर ठंडा होकर नीचे गिर पड़ा तो अरुण ने धक्के मारना बंद किए और नीचे उसकी ओर देखा. उसके चेहरे पर पसीना था जो उसे और खूबसूरत बना रहा था. उसने उसके भीगे होठों को अपने जीभ से चाटा और फिर एक जोरदार किस किया. "आइ लव यू, आरू," उसने कहा.

आरोही ने भी उसके गले मे बाहें डाल दी और उसके शरीर को खुद पर महसूस करके मदहोश होने लगी. उसने भी अपने होठों से उसके पूरे चेहरे पर चुंबन ले लिए.

"आइ लव यू टू, अरुण." उसने भी धीरे से कह दिया.

कुछ देर दोनो ऐसे ही हल्के हल्के किस करते रहे फिर अरुण उसके माथे को चूमकर रूम से बाहर चला गया.

वो नीचे किचन मे पानी पीने ही जा रहा था की सीढ़ियों से उतरते ही उसे शवर चलने की आवाज़ आई. उसे तुरंत ही पता चल गया कि स्नेहा ही होगी वहाँ तो उसके मन मे एक और आइडिया आ गया, जिसे कन्फर्म करने के लिए उसने अपने खड़े हुए लंड की तरफ देखा.

वो बाथरूम तक पहुचा और धीरे से दरवाजा खोलकर अंदर देखा, तो वहाँ स्नेहा शवर के नीचे खड़ी थी, उसकी सेक्सी बॉडी पर साबुन लगा हुआ था, जो पानी के कारण झाग बनकर उसके दूधों से होता हुआ पेट के ज़रिए चूत तक पहुच रहा था. उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी. वो जल्दी से उससे जाकर चिपक गया तो वो पहले तो डर गयी लेकिन फिर जब वही जाने पहचाने होठ उसकी गर्दन पर आए तो उसने भी उसे अपनी बाहों के घेरे मे ले लिया.

"वेल, गुड मॉर्निंग बेबी," उसने कहा और एक हाथ से उसके लंड को हिलाने लगी. "वाउ," उसने लंड को उपर नीचे करते हुए कहा. "मेरे लिए?" स्नेहा ने पूछा.

अरुण ने मूह से तो कोई जवाब नही दिया लेकिन लंड के सुपाडे को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. दोनो के शरीर पानी मे भीगे हुए थे और स्नेहा के शरीर का झाग अब अरुण के शरीर पर भी लगा हुआ था, उसने भी देर ना करते हुए लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया तो स्नेहा खड़ी होने के लिए उसकी गर्दन को पकड़ने लगी.

अरुण उसे पकड़े पकड़े दीवार से सटाने लगा और अपने दोनो हाथो से उसके चूतड़ पकड़कर उसे हवा मे उठा लिया और चोदने लगा.

"ओह..स्वीट...ओह...गूओड़...बेबी..." स्नेहा मस्ती मे बोली.

अरुण भी मस्ती मे पूरी ताक़त से उसे चोदे जा रहा था. अरुण ने तुरंत ही पलटकर उसे शवर से बाहर ले गया और फर्शपर लिटा दिया और दोबारा अपनी बहेन के अंदर लंड को पेलना स्टार्ट कर दिया. हर धक्के के साथ स्नेहा के दूध पूरी सिद्दत के साथ हिलने लगे.

फिर उसने उसे पलट दिया और डॉगी पोज़िशन मे चोदने लगा.

"मेरे बाल..अहः..खिचो," स्नेहा ने एक दम कहा तो अरुण ने उसकी बात मानते हुए भीगे बालों को पकड़कर पीछे खिचा जिससे उसका सिर भी पीछे आ गया और उसकी कमर और चूतड़ थप थप की आवाज़ें निकालने लगे.

"ओह्ह्ह..चोदो...बेबी...हूहम्म" स्नेहा बार बार यही बोलने लगी, दोनो का पानी से भीगा शरीर उनकी मस्ती को और बढ़ा रहा था. जब स्नेहा अपने झड़ने के करीब आई तो उसने अपनी कमर को उसे कस्के जोड़ दिया . अरुण ने उसके बालों को और खिच लिया तो स्नेहा की मादक सिसकारी और तेज होने लगी. कुछ ही देर मे वो नीचे निढाल होकर लेट गयी तो अरुण ने धक्को को रोका.

उसकी गर्दन पर किस करके अरुण बाथरूम से बाहर जाने लगा.

"तुम्हे क्लाइमॅक्स तक नही पहुचना?" स्नेहा ने बैठते हुए पूछा.

अरुण ने अपना सिर हिला दिया. "आइ'हॅव स्टिल गॉट प्लॅन्स फॉर दट," उसने हंसकर कहा और मुड़कर उसे वही छोड़कर चला गया.

**********
 
एक घंटे बाद अरुण आज किचन मे अपनी बहनों के लिए ब्रेकफास्ट तय्यार कर रहा था. सभी एक एक करके नीचे आए और सभी ने उसके होंठो को किस करके गुड मॉर्निंग कहा और अपने भाई के हाथो बने नाश्ते का लुत्फ़ उठाने लगीं.

अरुण ने सभी के चेहरे पर चमक देखी तो काफ़ी खुश हुआ कि इसका रीज़न वो था.

सुप्रिया ने उसके चेहरे पर इतनी बड़ी स्माइल और आँखों मे चमक देखी तो पूछ बैठी,"सो, आइ गेस मैं और सोनिया ही लकी नही थी आज," उसने आरोही और स्नेहा की ओर देखते हुए पूछा.

कोई भी अपनी हँसी नही रोक पाया और पूरा घर उन सबकी खिलखिलाहट से भर गया.

"मुझे तो अपनी जीभ की करामात से जगाया," आरोही हंसते हुए बोली.

"मुझे शवर मे, दोबारा," स्नेहा ने भी कहा.

"मुझे तो रोज की तरह," सोनिया ने सुप्रिया को आँख मारते हुए कहा.

सभी अपने अपने मोमेंट्स बताकर हंसते रहे.

"लेकिन अरुण का क्लाइमॅक्स तो हुआ नही, आइ थिंक, तो इसके पास और कोई प्लान है?" स्नेहा बोली तो सभी अरुण की ओर देखने लगी.

"अरुण, तुम्हे पता है ना तुम्हे अपनी हाथों से मेहनत करने की ज़रूरत नही है," आरोही हंसते हुए बोली. "तुम हम लोगो से इस काम के लिए कह सकते हो."

अरुण भी हंस पड़ा. "डॉन'ट वरी, आइ'म फाइन." उसने बात जारी करते हुए कहा. "थोड़ी ज़्यादा एनर्जी नुकसान तो नही पहुचाएगी ना," उसने अपनी प्लेट सिंक मे डालते हुए कहा.

आज स्नेहा, सोनिया, आरोही और अरुण के लिए पहला दिन था कॉलेज का तो सभी तय्यार होकर कुछ देर बाद कॉलेज के लिए निकल पड़े.

कॉलेज मे टाइम काटना अरुण के लिए काफ़ी भारी पड़ा. वापस आते टाइम वो और आरोही एक साथ थे. रास्ते मे उसे शरारत सूझी तो अरुण बोला," आरू, अपनी ब्रा और पैंटी अभी मुझे दो." आरोही ने 2 पल उसे देखा फिर मुस्कुराते हुए अपने टॉप से ब्रा निकाल दी और स्कर्ट के नीचे से पैंटी निकालकर उसे दे दी. अरुण ने पैंटी को अपनी नाक के पास ले जाकर सूँघा फिर साइड मे रखकर पूरे रास्ते उसकी चूत को सहलाता रहा. घर आकर देखा तो सोनिया और स्नेहा की गाड़ी पहले से ही थी.

जब दोनो अंदर पहुचे तो अंदर कोई नही था, उसने खिड़की से देखा तो सभी बॅकयार्ड मे थे. और तीनो की तीनो नंगी लेटी हुई थी. अरुण का सिर घूमने लगा.

आरोही तो ताली बजाते हुए जल्दी से बाहर पहुचि और भागते हुए ही अपने टॉप को फिर अपनी स्कर्ट को उतार कर स्नेहा के पास लेट गयी.

"नो अंडरवेर?" सुप्रिया ने उसकी हालत देखी तो पूछा.

आरोही हंसते हुए अरुण की तरफ उंगली करने लगी. "हिज़ आइडिया," उसने कहा फिर उन्हे कार वाली हरकत बताने लगी.

अरुण हंसकर वापस जाने लगा लेकिन तभी रुक गया.

"पगला गया है क्या, दूध उधर हैं..वापस जा." आवाज़ ने जैसे अरुण को ऑर्डर दिया

उसकी बात मान कर अरुण वापस मुड़ा और उनके सामने वाली चेयर पर लेट कर उन्हे निहारने लगा.

"क्यू अब वापस नही जाना?" स्नेहा ने पूछा.

"इससे बढ़िया नज़ारा थोड़ी ना मिलेगा कही?" अरुण ने कहा और फिर वही लेट कर उनसे बातें करता रहा.

ऐसे ही काफ़ी देर तक सभी पूल मे मस्ती करते रहे.

अरुण का फोन बजा तो उसने मेसेज पढ़ा. मेसेज रोहित का था.

"निशा क्लब जा रही है. तो तू भी आजा, और अपनी बहनों को भी लाना, लेकिन सिर्फ़ सेक्सी वालियों को." अरुण ने रोहित का मेसेज पढ़ कर सभी को सुना दिया.

कुछ ही देर मे चारो देवियाँ पूल से बाहर निकालकर अंदर जाने लगी. अरुण मूह खोले चारो की भीगी गान्ड को निहारने लगा.

"वेट," अरुण ने कहा तो सभी उसकी ओर देखने लगे.
अरुण ने इशारे से उन्हे वापस चेयर पर बैठने के लिए कहा तो सभी बैठ कर उसे देखने लगे.

"चलो ये तो ठीक है कि हम लोग अपने घर मे इतना ओपन हैं, लेकिन हमे बाहर पब्लिक मे अलग तरीके से बिहेव करना पड़ेगा." अरुण ने अपनी बात रखी.

स्नेहा उसकी बात समझकर अपनी सिर उपर नीचे कर रही थी जिसके कारण उसके दूध भी हल्के हल्के हिल रहे थे. "यॅ, मैं भी इसी बारे मे सोच रही थी. साइन्स के अकॉरडिंग कोई सही से अब्ज़र्व करके बता सकता है कि 2 लोग आपस मे सेक्स करते हैं कि नही. तो आज हम सबको थोड़ा संभालना पड़ेगा."

सभी उसकी बात समझने लगे.

"ओके सो वी आर गोयिंग टू क्लब, बट सोनिया, यू ओके वित दिस?" आरोही ने सोनिया से पूछा.

अरुण भी उसकी ओर देखने लगा. उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल थी और आँखो मे थोड़ा डर. अरुण समझ गया कि वो जाना तो चाहती थी लेकिन थोड़ा नर्वस थी.

"हे," उसने पूल से बाहर आकर उसके हाथ थाम लिया. "अगर तुम नही चलना चाहती तो मैं रुक जाउन्गा यहाँ तुम्हारे साथ."

सोनिया उसकी ओर मुस्कुरा कर देखने लगी और अपनी सिर ना मे हिला दिया. "नही, मुझे कभी कभी ना कभी तो ये फेस करना ही पड़ेगा, वैसे भी वहाँ आप लोग साथ मे होगे मुझे कोई प्राब्लम नही होगी."

अरुण ने उसका सिर चूम लिया.

"लेकिन अरुण के थोड़ी दिक्कत होने वाली है?" सुप्रिया बोली.

अरुण सवालिया नज़रो से उसकी ओर देखने लगा.

"कैसे?" अरुण ने आख़िरकार पूछा.

सुप्रिया आकर उसके सामने बैठ गयी. "सोचो. हम लोग पब्लिक मे होंगे वो भी एक क्लब मे. और वहाँ हम लोग तुम्हारे साथ भी नही हो सकते इन दट वे. और वहाँ दूसरे लड़के भी होंगे, और वो हम लोगो से बात भी करने की कोशिश करेंगे."

अरुण के मन मे कभी ये बात आई ही नही थी.

"मैं ये नही कह रही कि हम लोग उन लोगो के साथ चिपक जाएँगे, लेकिन हम लोग सबको इग्नोर भी नही कर सकते ना, रोहित और निशा को शक हो गया तो."

अरुण के मन मे बस एक ही आवाज़ उठ रही थी.

"नूऊऊ...नूऊऊ...नूऊऊ" आवाज़ ने अपनी नाराज़गी जाहिर की

"शट्ट अप्प." अरुण ने सोचा.

"और सोचो, किसी ने आरोही से कुछ बात करी और तुम उस पर अपसेट हो गये. एक तो तुम दोनो को कोई एक ही नज़र मे बता देगा कि दोनो जुड़वा भाई बहेन हो, तो वो लोग पक्का सोचेंगे कि एक भाई को इतनी क्या दिक्कत हो सकती है ज़रा सी बात करने पर." स्नेहा बोली.

आरोही अपना सिर हिला रही थी. "दी, मुझे नही लगता कोई इतना सोचेगा, बहुत से भाई अपनी बहनो को लेकर काफ़ी प्रोटेक्टिव होते हैं."

"हां, लेकिन ये भी मत भूलो हम लोग अरुण के साथ इंटिमेट हो चुके हैं तो पक्का अरुण कुछ ज़्यादा ही रिएक्ट करेगा जैसे कि कोई अपनी गर्लफ्रेंड के साथ करता है और दूसरे लोग ये बात समझ सकते हैं."

"और उपर से हम सब लगते भी थोड़े एक जैसे हैं तो कोई भी बता सकता हैं वी आर रिलेटेड." सोनिया बोली.

अरुण अपना सिर हाथो मे पकड़ कर बैठ गया. सभी उसके रियेक्शन का इंतेज़ार करने लगे.

"अरुण कुछ तो बोलो," सुप्रिया बोली.

अरुण ने उनकी तरफ देखा फिर कुछ देर चुप रहा.

"लुक, ऐसा नही है कि मुझे पता नही है कि हम लोग हमेशा ऐसे नही रह सकते," उसने अपनी बात शुरू की.

"आइ डू," आरोही बोली तो बाकी सब हंस दिए.

अरुण फिर बोला. "मेरा मतलब है, रियलिस्टिकली, आइ नो कि हम लोग सिर्फ़ घर मे रह कर हर वक़्त सेक्स नही कर सकते, ये अलग बात है आइ'ड लव दट. आइ मीन आज स्कूल मे ही मुझे बस तुम सबकी याद आती रही. और मुझे लगता है कि मुझे थोड़े सेल्फ़ कंट्रोल की ज़रूरत है. तो आइ गेस, मैं अपने आप को कंट्रोल कर सकता हूँ अगर तुम लोग दूसरे लड़को से बात करोगी तो."

"बुलशिट!" आवाज़ ने गुस्सा होते हुए कहा

बाकी सब मुस्कुरा कर उसे साथ मे गले लगाने लगे और आइ लव यू कहने लगे.

"वैसे किस टाइम जाना है?" आरोही ने पूछा.

"टाइम?" अरुण ने मेसेज टाइप किया.

"निशा कह रही है, अपनी बहनों से पूछो." रोहित का जवाब आया.

उन लोगो के साथ यही होता था. जब भी ये लोग एक साथ बाहर जाते थे तो अरुण की बहने ही सब कुछ डिसाइड करती थी. तो सबको वैसे ही आदत पड़ी हुई थी.

"ओके," अरुण ने वापस रिप्लाइ किया.

"रोहित और निशा कह रहे थे कि जब तुम लोगो की मर्ज़ी हो," अरुण ने अंदर जाते हुए सभी से कहा. "और जब तुम लोग कपड़े पहेन लो तब."

स्नेहा जाके वैसे ही सोफे पर बैठ गयी, आज उसका मन नही था किचन मे जाने का. अरुण ने यही मौका सही देखा उससे कुछ पूछने का. वो आगे बढ़कर उसके पास बैठ गया तो स्नेहा ने अपना सिर उसके कंधे पर रख कर चॅनेल बदलने लगी.

अरुण ने कुछ देर उसे ऐसे ही टीवी देखने दी.

"सो, दी..उम..मुझे कुछ पूछा था," उसने कहा.

स्नेहा ने उसकी ओर देखा. "तो पूछो?" 

"अभी कुछ दिन पहले आप ने कहा था कि आप कि मन मे भी कोई आवाज़ है जो आपके ये सब करने को कहती है?"

स्नेहा हँसने लगी. "हां, मैने कहा था."

अरुण सीरीयस नज़र से उसकी ओर देखने लगा.

"तो क्या ये मेरी तरह आपसे बात वग़ैरह करती है?" उसने पूछा.

स्नेहा रुककर छत की ओर देखकर सोचने लगी.

"एग्ज़ॅक्ट्ली नही, हां कभी कभी मुझसे कुछ काम करने के लिए कहती है, यूष्यूयली जब मैं एग्ज़ाइटेड होती हूँ. लेकिन ऐसा भी नही है कि कोई दूसरी लड़की हो मेरे दिमाग़ मे."

अरुण ने आइब्राउस सिकोड ली, कन्फ्यूज़ हो कर. "लेकिन आप तो कह रही हो कि ये आपसे सेक्स रिलेटेड चीज़े करने को कहती है."

स्नेहा हां मे सिर हिलाने लगी. "हां, लेकिन इट'स नोट रियल, ये सिर्फ़ मेरे दिमाग़ मे है. जैसे उस दिन जब तुम मेरी कार ठीक कर रहे थे और मैं तुम्हारी हेल्प कर रही थी तब भी ये मुझे कह रही थी कि मैं तुम्हे किस करूँ. आइ थिंक बाकी सब के मन मे ऐसा कुछ होगा. और मुझे लगता है तुम्हारे साथ भी यही केस है. बस तुम इस बारे मे कुछ ज़्यादा ही सोचते हो."

अरुण कुछ देर उसकी बात के बारे मे सोचता रहा फिर अपने कमरे मे जाने लगा.

"शिट यार, मेरी सेट्टिंग का प्लान गया." आवाज़ ने कहा

*************
 
उसी शाम अरुण जस्ट तय्यार ही हुआ था कि डोरबेल की आवाज़ आई. अरुण ने दरवाजा खोला तो रोहित और निशा मुस्कुराते हुए खड़े थे.

"हे!" निशा अंदर आते हुए उससे गले मिली. "नाइस लुक," उसने अरुण को उपर से नीचे तक निहारते हुए कहा.

"थॅंक्स, निशु, यू लुक गॉर्जियस टू," अरुण ने भी तारीफ कर दी.

निशा उसे घूम कर अपनी ब्लॅक ड्रेस दिखाने लगी. ड्रेस आगे से लो कट थी तो उसका क्लीवेज काफ़ी अच्छे से उसकी नज़रे अपनी तरफ खीच रहा था.

"थॅंक्स, रोहित की पसंद है." निशा ने कहा.

रोहित ने अरुण के कंधे पर हाथ मारा. "हां, क्लीवेज अच्छा दिख रहा है ना, इसीलिए." तुरंत ही उसके कंधे पर एक हाथ पड़ा जो कि निशा का था. 

"तू फिर शुरू हो गया?" निशा गुस्से से बोली.

दोनो हंस ही रहे थे कि सोनिया नीचे आई, अरुण ने घूमकर देखा तो बस देखता ही रहा. वो बिल्कुल पहले की तरह हॉट आंड सेक्सी प्लस ब्यूटिफुल लग रही थी. 

"हाई यू ऑल," उसने अपनी कमर पर हाथ रख के कहा और अरुण और रोहित के मूह से कुछ सुनने का इंतजार करने लगी. दोनो मूह खोलकर बस उसे देख ही रहे थे कि निशा आगे बढ़कर उसे गले लगाने लगी.

"यू लुक अमेज़िंग," निशा बोली. "तभी इन दोनो के मूह से कुछ नही निकल रहा," उसने पीछे दोनो की तरफ इशारा करते हुए कहा और दोनो हँसने लगी.

तब तक बाकी तीनो भी नीचे आ गयी. सभी ने अपनी बॉडी के हिसाब से बेस्ट ड्रेस पहनी थी जो उन सबको और सेक्सी बना रही थी.

"तो करना क्या है?" रोहित ने हाथ मसल्ते हुए कहा.

"हम सब मेरी कार मे जाएँगे. और तुम दोनो अपनी सवारी से आ जाना," निशा ने रोहित और अरुण से कहा.

उनके निकलने के बाद अरुण ने बाहर निकलकर डोर लॉक किया और अपनी कार मे बैठकर निशा की कार के पीछे चलने लगे.

"ओये, आज थोड़ा ध्यान रखना, स्पेशली सोनिया का. वो उस इन्सिडेंट के बाद पहली बार किसी क्लब मे जा रही है." अरुण ने कहा.

"डोंट वरी, मॅन. काश उस दिन मैं होता तेरे साथ तो उन सबका बॅंड बजा डालता. हिम्मत कैसे हुई सालो की हमारी बहेन को छूने की. वैसे आरू बता रही थी कि तूने अच्छी ख़ासी धुलाई करी थी ." रोहित बोला.

अरुण हल्के से हंस दिया. "शुरुआत तो अच्छी ही हुई थी. लेकिन बाद मे किसी छक्के ने पीछे से सिर पर बॉटल मारी तो मैं बेहोश हो गया."

"कोई नही भाई, इस बार तेरा भाई तेरे साथ है." रोहित अपने डोले उसे दिखाते हुए बोला.

अरुण हंस दिया लेकिन उसे रोहित पर पूरा भरोसा था कि चाहे जो कुछ हो रोहित पक्का सबका ध्यान रखेगा.

क्लब के बाहर कार रोकी तो अंदर से म्यूज़िक की आवाज़ बाहर तक आ रही थी. लड़किया तो हंसते हुए अंदर जाने लगी और एंट्री फी देकर अंदर चली गयी पीछे पीछे ये दोनो भी चले गये.

"मैं खाली टेबल ढूढ़ता हूँ," रोहित उन सबको डॅन्स फ्लोर पर छोड़कर चला गया.

अरुण भी उसके पीछे चल पड़ा. भीड़ से निकलकर उन्हे आख़िरकार एक खाली टेबल मिल ही गयी और दोनो बैठकर बाकी पाँचो को डॅन्स करते हुए देखने लगे. वो सभी एक ही ग्रूप मे इकट्ठे होकर डॅन्स कर रही थी और सभी की नज़रे बार बार उन्ही पर पड़ रही थी. कुछ लड़के उनके पास जाने की नाकाम कोशिश भी कर रहे थे. 

अरुण ये देखकर हंस पड़ा कि उन मे से किसी ने भी एक भी लड़के को अपने पास तक फटकने नही दिया.

खूबसूरत और हॉट सी वेट्रेस उन दोनो के पास आई, उसने छोटी सी स्कर्ट और बिकिनी टॉप पहना हुआ था. उसने उनसे पूछा की कुछ चाहिए क्या?

"तुम्हारा नंबर. मिलेगा?" रोहित ने सीधे पूछा तो लड़की ने हंसकर आँख मार दी. "एक कोक से भी काम चल जाएगा." रोहित हंसते हुए बोला.

"व्हाट अबाउट यू, शुगर?" लड़की ने अरुण की तरफ देखककर कहा.

"कोक ईज़ फाइन." अरुण ने मुस्कुरकर जवाब दिया.

लड़की वापस जाने लगी तो दोनो उसकी मटकती गान्ड को देखने लगे.

"आइ लव दिस प्लेस, मॅन." रोहित चिल्ला के बोला.

"तुझे तो हर वो जगह पसंद आती है, जहा बियर और लड़कियाँ हो," अरुण भी तेज आवाज़ मे बोला.

"तो इसमे कुछ ग़लत है क्या?"

निशा और सोनिया दोनो उनके पास आके वही बैठ गयी और रिलॅक्स करने लगी.

"हॅविंग फन?" अरुण ने सोनिया से पूछा तो उसने हंसकर आँख मार दी.

कुछ देर बाद वही वेट्रेस दो कोक लिए आई और दोनो लड़कियों की तरफ नज़रे फिरने लगी. 

"व्हाट कॅन आइ गेट यू लॅडीस?"

"आ मार्गरीटा," सोनिया ने कहा.

"एम्म्म, मी टू," निशा ने अपने रिस्ट बॅंड्स उसे दिखाते हुए कहा जो बाहर सबको दिए गये थे ये प्रूव करने के लिए की वो लोग 18 साल से उपर थे.

"ओके, बाइ दा वे माइ नेम'ईज़ प्रिया, इफ़ यू'ऑल नीड...एनितिंग." उसने अरुण की तरफ देखकर एनितिंग पर कुछ ज़्यादा ही ज़ोर देकर कहा.

"नाउ वास्न'ट दट सटल," सोनिया ने कॉमेंट किया उसके जाते ही, और उसके चेहरे पर हल्की सी जलन के भाव भी थे.

निशा ने हंसकर अरुण को आँख मार दी.

"तूने फिर मेरी लाइन काट दी," रोहित उसके हाथ पर मारते हुए बोला. उसकी बात सुन सभी हँसने लगे.

अरुण फिरसे डॅन्स फ्लोर पर अपनी तीनो बहनों को डॅन्स करते हुए देखने लगा. दो तीन लड़के अभी भी उनसे बात करने के लिए पास आते लेकिन आरोही उन्हे दूर से ही भगा देती.

तभी एक लड़की जो थोड़ी सी ज़्यादा ही नशे मे लग रही थी वो डगमगाते हुए उनकी टेबल पर आई और रोहित के उपर गिर पड़ी.

"बेबी!" उसने कहा और उसे किस करने लगी. "चलो ना प्राइवेट रूम मे चलते हैं?" उसने पूछा.

रोहित का चेहरा तो खिल ही उठा और वो लड़की उसका हाथ पकड़कर उसे साइड मे ले जाकर किस करने लगी.

निशा तो आँखें तरेर कर अपना सिर घुमाने लगी और सोनिया अपने मूह पर हाथ रख के हँसे जा रही थी. फिर वो थोड़ा सा अरुण की तरफ मूडी और उसके कान के पास जाकर बोली. 

"सो हाउ आर यू डूयिंग?"

अरुण हल्के से मुस्कुरा दिया. "आइ'म ओके," उसने कहा और डॅन्स फ्लोर की तरफ इशारा करने लगे. "वैसे इन लोगो को देखकर तो लग रहा है इन्हे काफ़ी मज़ा आ रहा है."

"आप हम सबके साथ डॅन्स तो कर ही सकते हो. इट'स अलाउड." सोनिया ने वापस हटते हुए आँख मार दी.

"ये हुई ना बात. तू वैसे यहाँ कर क्या रहा है चूतिए? जा वहाँ और चूत पकड़ या फिर घर चलकर चोद किसी को..कुछ तो कर." आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे कहा

"मैं सोच ही रहा था कि तुम कहाँ थे अब तक." अरुण ने सोचा.

"मैं यही था. सुबह चार बार की चुदाई देखकर मुझे लगा कि तुझे अभी मेरी ज़रूरत नही है. लेकिन अब..डॅन्सिंग. सीरियस्ली, चोद ना जाके किसी को?" आवाज़ ने अरुण को मानते हुए कहा

"हां हां, ठीक है." अरुण उसे इग्नोर करते हुए बोला.

अरुण ने पलटकर देखा तो रोहित और वो लड़की अभी भी लगे हुए थे.

"व्हाट दा फक!" पीछे से किसी की चीखने की आवाज़ आई. "अन्नूऊऊ!"

अरुण ने तुरंत ही उस भारी आवाज़ की तरफ देखा तो उसकी आँखें फटती चली गयी. सामने एक 6.5 फीट का लंबा चौड़ा आदमी खड़ा हुआ था, उसकी बॉडी देखकर तो अरुण का गला ही सुख गया. रोहित और उस लड़की अन्नू के मूह आपस मे जुड़े हुए ही थे कि उस आदमी ने उसके बाल पकड़कर पीछे खिच लिया.

"हे, व्हाट आर..." रोहित बोल ही रहा था कि जैसे ही उसकी नज़र उस आदमी पर पड़ी उसका मूह बंद हो गया. "यू आर बिग..."

"तू मेरी गर्लफ्रेंड के साथ क्या कर रहा था?" उस आदमी ने बहुत ही तेज आवाज़ मे कहा तो आस पास के सभी लोग उसी ओर देखने लगे.

अरुण कुछ बोलने के लिए खड़ा ही हुआ था कि उस आदमी ने एक हाथ उसके कंधे पर रखा और उसे वापस चेयर पर बैठा दिया.

"आराम से बैठ जा चिकने. ये मेरे और इसके बीच की बात है."

"देख भाई," रोहित ने बोलना शुरू किया.

"बाहर चल, अभी.."

"फक," अरुण के मूह से निकल गया.

"एक मिनिट बात तो सुन ले भाई. ये जो आपकी गर्लफ्रेंड है, एक तो इनकी शक्ल मेरी एक्स गर्लफ्रेंड से मिलती है, और उपर से अंधेरा था और ये नशे मे थी तो मिस्टेक हो गयी यार. मैं आपको बियर पिलाता लेकिन अभी मेरी उमर नही है," उसने कहा.

निशा की थयोरी भी चढ़ि हुई थी, थोड़ी अपने भाई पर उससे ज़्यादा उस पहलवान पर. उसे खुद कुछ समझ मे नही आ रहा था कि क्या करे.

अरुण की बाकी तीनो बहनें भी वहाँ आ गयी और उससे पूछने लगी कि क्या हुआ तो अरुण ने कंधे उचका दिए. उस आदमी को देखकर तो लग रहा था कि किसी मोटरसाइकल को उठाकर तुरंत ही रोहित पर फेक दे. अरुण सोच तो रहा था कि रोहित का साथ देगा लेकिन इस पहलवान के सामने दोनो 2 मिनिट से ज़्यादा टिक जाए तो ये किसी चमत्कार से कम नही होगा.

"सोन ऑफ ए बिच!" आरोही एक दम से चीखते हुए रोहित पर कूद पड़ी, तो सभी एक दम से उसे देखने लगे.

"मैने तुझे पाँच मिनिट के साथ अकेला क्या छोड़ा और तूने इस..इस..कुट्टी के साथ मूह काला करना शुरू कर दिया?" आरोही पूरे गुस्से मे बोली.

पूरी ताक़त से उसने अपना हाथ पीछे किया और ज़ोर से एक तमाचा रोहित के गाल पर मारा तो उसकी पाँचो की पाँचो उंगलियाँ रोहित के गाल पर छप गयी. रोहित तुरंत ही अपना गाल सहलाने लगा. 

"कुत्ति किसे बोला...तूने." वो लड़की बोली जिसे अब वो आदमी पकड़े हुए था, उसका गुस्सा भी अब थोड़ा कम लग रहा था.

आरोही ने उस आदमी के चेहरे पर कन्फ्यूषन के भाव देखे तो तुरंत ही रोहित की तरफ मूड गयी. "आज मैं तेरी अच्छी खबर लेने वाली हूँ," ये कहकर वो गुस्से मे पैर पटकती हुई दूसरी तरफ जाने लगी.

रोहित को तुरंत ही अकल आई और वो भी पीछे चिल्लाते हुए दौड़ने लगा, "बेबी, वेट, बाबू...सुनो..." 

वो आदमी अपनी गर्लफ्रेंड को लेकर बिना कुछ बोले बाहर चला गया.

"मैं कुत्ति नही हूँ!" वो लड़की दोबारा बोली लेकिन तब तक वो बाहर जा चुकी थी.

अरुण गहरी सास छोड़ते हुए बैठ गया. "हे भगवान," अरुण बोला तब तक आरोही और रोहित दोनो वापस आ गये.

"वो हैवान चला गया?" रोहित ने पैनी नज़रो से चारो तरफ देखते हुए पूछा.

"जी रोहित बहेन, वो चला गया." निशा गुस्से मे बोली.

"अवव, चिंता मत करो बहना. थोड़ी देर अगर वो और रुकता तो मेरे हाथो मार खा रहा होता." रोहित वही आराम से बैठते हुए बोला.

"हाआँ, वो तो दिखा कैसे आरू के पीछे छुप गया तू." निशा बोली.

"अवव, मेरा हाथ भी दर्द कर रहा है यार." आरोही अपना हाथ रगड़ते हुए बोली.

रोहित ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे सहलाने लगा. "थॅंक्स आरू, बाइ दा वे क्या मैं इस हाथ की पूजा कर सकता हूँ?" सभी थोड़ी देर तक हंसते रहे फिर लड़कियाँ दोबारा डॅन्स फ्लोर पर चली गयी और इस बार उन दोनो को भी अपने साथ खिच कर ले गयी.

एक अच्छा सॉंग आने लगा तो अरुण भी उन लोगो के साथ नाचने लगा. स्नेहा के दूध उसके सामने उपर नीचे हो रहे थे और पीछे से सोनिया उससे सट कर नाच रही थी. अरुण की नज़रे तो उन दूधों पर ही टिकी हुई थी जो उसके सामने थे. 

तभी अरुण के कंधे पर एक हाथ पड़ा. "हे भगवान, रोहित ने इसे भी बिगाड़ दिया. अरुण बहेन है वो तुम्हारी." निशा ने उसे देखते हुए कहा तो अरुण भी अपना सिर खुजाने लगा और मुस्कुरा दिया.

"अब मेरी ग़लती थोड़ी ना है, यार." वो बोल दिया फिर स्नेहा की तरफ देखकर आँख मार दी.

रोहित आरोही के साथ डॅन्स कर रहा था कि वो अरुण के पास आया और उसे हटा दिया. "अब मेरी बारी," उसने स्नेहा के साथ डॅन्स करते हुए कहा.

अरुण को निशा ने अपने पास खीच लिया, तभी डीजे ने एक स्लो सॉंग चला दिया तो दोनो थोड़ा और पास आके डॅन्स करने लगे. पास मे आरोही की गान्ड बार बाद उससे छू रही थी.

सॉंग एंड होने पर अरुण आरोही की तरफ मूड गया और उसकी कमर मे हाथ डाल कर डॅन्स करने लगा.
काफ़ी देर तक सभी एक दूसरे के साथ डॅन्स करते रहे. जब फिरसे एक और स्लो सॉंग प्ले हुआ तो निशा ने अरुण को अपने पास दोबारा खीच लिया.

"इट'स हार्ड टू बिलीव," उसने अरुण से कहा.

"क्या?" अरुण ने पूछा


"क्या?" निशा ने पूछा.

"वॉट'स हार्ड टू बिलीव?" उसने अपनी बात क्लियर की.

"ओह, बस कि पहले तुम हम लोगो को कितना इरिटेट करते थे."

"तो अब क्या करता हूँ?" अरुण थोड़ा शरमाते हुए बोला.

"थोड़ा कम इरिटेट." निशा हंसते हुए बोली.

सोनिया उसके सामने रोहित के साथ डॅन्स कर रही थी, तो उसने अरुण की तरफ फेस करके "बाद बॉय" कह दिया.

"यू नो, यू वर माइ फर्स्ट क्रश." अरुण ने बोला.

निशा हँसने लगी. "यॅ, आइ नो. मुझे याद है कैसे तुम हर वक़्त मेरे पीछे लगे रहते थे."
 
दोनो ऐसे ही हल्की फुल्की बातें कर रहे थे कि जैसे ही सॉंग एंड हुआ अरुण ने एक बार निशा को स्पिन किया फिर उसके गाल पर किस करके टेबल पर जाके बैठ गया.

"ह्म्म्म , स्मूद." रोहित पीछे से आते हुए बोला. और वो भी पास मे बैठ गया.

अरुण और निशा ने उसे मिड्ल फिंगर दिखा दी.

तभी स्नेहा ने इशारे से अरुण को अपनी ओर बुलाया तो अरुण उसके साथ डॅन्स करने लगा.

"सो..." स्नेहा कुछ बोल ही रही थी कि आरोही तेज़ी से उनकी तरफ चलती हुई आई. "हम लोग अभी बाहर चल रहे हैं, अभी."

"हुआ क्या, आरू?" स्नेहा ने पूछा.

"दी, सवाल बाद मे, आप दोनो जाओ, मैं रोहित और दी को लेकर आती हूँ," उसने कहा और पीछे मूडी ही थी कि उसने देखा सोनिया उन दोनो को लेकर बाहर की तरफ जा रही थी.

अरुण को कुछ अजीब लगा लेकिन उससे ज़्यादा चिंता भी हुई और वो आरोही की तरफ देखने लगा.

"हुआ क्या है, आरोही?" अरुण ने ज़ोर देकर पूछा.

आरोही ने आँखें बंद कर ली फिर आँखें खोलकर उसे देखा. "वो लड़का यही है!"

"वो?" अरुण ने पूछा लेकिन तुरंत ही उसके दिमाग़ मे सोनिया और उस लड़के की तस्वीर घूमने लगी.

"रोहित!" अरुण ने चिल्ला कर कहा तो उसके पास खड़ी दोनो बहने उसकी आवाज़ सुन कर चुप हो गयी.

रोहित जो कि पहले ही परेशान था कि सोनिया इतनी घबरा क्यूँ रही है, जैसे ही उसने अरुण की आवाज़ सुनी उसे समझ मे आ गया और वो सोनिया का हाथ पकड़कर खड़ा हो गया.

सोनिया उसकी और अरुण की ओर देखने लगी.

"कहाँ है?" अरुण ने गुस्से मे आरोही से पूछा.

"वो 3 4 लड़को के साथ बिल्कुल अभी अंदर आया है," आरोही बोली.

"भाई, प्लीज़..रोहित नही.." सोनिया बोली.

"हुआ क्या है?" रोहित को अभी भी पूरी बात नही पता थी.

"वो लड़का यहाँ है..जिसने.." स्नेहा सोनिया की ओर देखते हुए कहा जो अब आसुओ की कगार पर ही थी.

रोहित ने एक बार अरुण की ओर देखा और अपना सिर हिलाकर उसे कह दिया कि वो साथ मे ही है. अरुण स्नेहा और आरोही के साथ एग्ज़िट की तरफ चल पड़ा, उसे पहले चिंता सभी लड़कियों की हो रही थी. वो उन सबको किसी सेफ जगह पहले पहुचाना चाहता था.

वो लोग बाहर निकले ही थे कि अरुण ने सभी की ओर देखा. "आरू?" उसने चिल्ला कर पूछा.

"शिट!" रोहित बोला, उसे भी आरोही की चिंता होने लगी.

"कहाँ रह गयी ये?" अरुण बोला और रोहित के साथ वापस अंदर जाने लगा.

अंदर जाते ही अरुण की नज़र आरोही को ढूढ़ने लगी और उसे वो दिख भी गयी.

वो दीवार से सटी हुई थी और उसी लड़के के साथ 4 लड़के और थे जो उसे घेरे हुए थे.

आरोही के आँखे गुस्से से लाल थी. अरुण के पीछे पीछे चलते हुए उसे अपनी कोहनी पर किसी का हाथ महसूस हुआ जिसने उसे पीछे खीच लिया. तुरंत ही उसने खुद को दीवार से सटे हुए पाया और नज़रे घुमा कर देखा तो सामने उसी लड़के की आँखें थी.

"लेट मी गो!" आरोही गुस्से मे बोली.

"नो!" सलिल बोला और अपना खाली हाथ बढ़ाकर उसकी कलाई पकड़ ली. दूसरे हाथ से उसने आरोही का दूसरा हाथ दीवार से सटा रखा था.

"अगर तूने मुझे नही जाने दिया ना तो बहुत पछताएगा." आरोही विफर्ते हुए बोली.

"नो!" सलिल ने दोबारा कहा.

"मैं होता तो वही करता जो ये कह रही है," रोहित उसके पीछे आते हुए बोला. "बहुत जबरदस्त किक मारती है ये."

सलिल ने पीछे मुड़कर देखा तो मौके का फ़ायदा उठाकर आरोही उससे छूटकर अरुण की तरफ भाग गयी.

"ये, तेरी गर्लफ्रेंड?" सलिल ने रोहित की तरफ इशारा करके अरुण से पूछा.

"अपनी ये बकवास बाहर जाके ख़तम करो," पास मे बाउन्सर ने कहा और उन सबको बाहर कर दिया.

बाहर निकलते ही दोनो ग्रुप एक दूसरे के सामने खड़े हो गये.

सोनिया को सुप्रिया, स्नेहा और निशा संभाले हुई थी.

"अववव, मेरी सोनी कुड़ी," सलिल उसकी ओर देखते हुए बोला. "मैं सोच ही रहा था कि तू कहाँ मिलेगी. पिछली बार मेरा काम अधूरा रह गया था." 

सोनिया अपने आसू रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी.

"एक और शब्द बोल फिर देख मैं तेरा क्या हाल करता हूँ," अरुण ने गुस्से से कहा. "मैं दोबारा कोई पंगा नही चाहता. पिछली दो बार तो मैने तुझे ऐसे ही छोड़ दिया इस बार पूरा किस्सा ही ख़तम कर दूँगा. इसलिए कह रहा हूँ, चुपचाप चला जा और हम लोगो को अकेला छोड़ दे." अरुण ने कहा तब तक बिजली कडकने लगी और हल्की हल्की बारिश भी होने लगी.

सलिल हंसते हुए अपने बालो को पीछे करने लगा. "मैं बस इस चिकनी का एक बार और स्वाद चखना..." बस इतना ही बोल पाया वो.

अरुण ने सोचा भी नही था कि आरोही बड़ी तेज़ी से पास से घूमती हुई आई और उसके चेहरे पर एक जोरदार मुक्का मार दिया. सलिल पीछे गिरने को हुआ तो उसके दोस्तों ने उसे पकड़ लिया.

"ऊऊओह," पास खड़े दूसरे लोग ये देखकर सलिल पर हँसने लगे. 

अरुण भी हल्के से हंस दिया. "सोच अगर मैने आरू को तुझे ऐसे ही मारने के लिए छोड़ दिया तो तेरा क्या हाल होगा," अरुण ने आरोही को देखते हुए कहा जिसे रोहित पकड़े हुए था.

"सलिल, चल यार ज़्यादा लफडा ठीक नही," उसके एक दोस्त ने उससे कहा.

सलिल ने गुस्से से उससे अपना हाथ छुड़ा लिया लेकिन फिर अपनी गाड़ी की तरफ जाते हुए अरुण की तरफ देखने लगा. "मुझे पता है कि तू कहाँ रहता है, देख लूँगा तुझे," उसने कहा तो अरुण ने उसे अपनी मिड्ल फिंगर दिखा दी.

फिर वो सभी लड़के उसके साथ अपनी गाड़ी मे चले गये. अरुण सभी के साथ चुपचाप चलता हुआ गाड़ियों के पास पहुचा तब तक बारिश काफ़ी तेज हो चुकी थी. अरुण ने रास्ते मे सोनिया को अपने पास कर लिया और उसके साथ कार की तरफ जाने लगा.

रोहित ने अरुण की कार का दरवाजा खोलकर सोनिया को अंदर बिठाया, आरोही भी सोनिया के साथ वही बैठ गयी. अरुण और रोहित आगे की सीट्स पर बैठकर निशा की कार के पीछे चलने लगे. अरुण ने पीछे चलती गाड़ी पर ध्यान नही दिया और ना ही किसी और ने.

"अबे यार थोड़ी हड्डियाँ और तोड़ने को मिलती," रोहित बोला.

"तेरा तो पता नही लेकिन आरू ने पक्का उसकी नाक तोड़ी," अरुण ने कहा.

आरोही हंसते हुए अपना हाथ सहलाने लगी. "ये पक्का कल तक़लीफ़ देगा. लेकिन फिर भी मज़ा आया उसकी नाक तोड़कर."

"मुझे नही लगता आरू ने कभी मुझे भी इतना तेज मारा होगा," रोहित बोला.

"तुमने मुझे इतना गुस्सा भी तो नही दिलाया ना," आरोही बोली.

"यानी आगे से और मेहनत करनी पड़ेगी," रोहित ने कहा और उसके बाद ही दो चीखे कार मे गूँज़ी रोहित और आरोही की. आरोही की हाथ के दर्द की वजह से जो उसने रोहित के हाथ पर मारा था.

बारिश और तेज होने लगी तो अरुण ने कार की स्पीड और कम कर दी. तब उसने ध्यान दिया तो कोई उन लोगो के पीछे था और पास माँग रहा था, बारिश मे सॉफ सॉफ तो नही दिख रहा था इसलिए अरुण ने कार को और ज़्यादा धीमा कर दिया.

"कुछ भी हो, उस चूतिए को छोड़कर आज मज़ा तो काफ़ी आया," अरुण बोला.

"यॅ, काफ़ी अछा टाइम था. 2 लड़ाइयों से बचा, किस्सिंग भी हो गयी, और स्नेहा दी के साथ डॅन्स भी करने को मिला. अवेसम नाइट." रोहित ख़ुसी से बोला.

आरोही अपना सिर हिलाकर उसे देखने लगी. सोनिया भी हल्के से हंस दी. उसके आसू अब तक रुक चुके थे.

उनके पीछे चल रही कार की स्पीड तेज हुई और वो उनके बराबर आ गयी. अरुण ने दोबारा स्पीड कम करके उसे आगे जाने दिया लेकिन वो कार बराबर मे ही चलती रही. अरुण ने साइड मे देखा तो उस कार की विंडो ओपन हो रही थी.

"ध्यान से!" अरुण ने अपने मन मे इससे तेज आवाज़ कभी नही सुनी थी.

तुरंत ही एक दम से चमक उठी और एक धमाके की आवाज़ और तुरंत ही अरुण की कार डगमगाने लगी. शॉटगन ने अपना काम कर दिया था और वो कार तेज़ी से निशा की कार की तरफ जाने लगी. अरुण कार को संभालने की कोशिश करने लगा और आरोही सोनिया को पकड़े हुए थे. 

"अभी जस्ट हुआ क्या?" रोहित ने चिल्ला कर पूछा.

कार भीगी रोड पर कुछ ज़्यादा ही तेज़ी से फिसली तो आगे का पहिया ज़मीन से उठने लगा, जब तक अरुण कार को संभालता तब तक कार मे तिरछी हो चुकी थी. तिरछी होकर कार बिल्कुल पलटी तब तक एरबॅग्स निकल चुके थे. अरुण ने महसूस किया कि कार एक पूरा राउंड लेकर दोबारा पलटी और साइड मे उसकी विंडो किसी चीज़ से टकराई. अरुण तुरंत ही अंधेरे मे खोता चला गया. कार साइड मे रगड़ते हुए आगे बढ़ती रही फिर जाके रुक गयी.
 
बारिस अपने पूरे वेग से गिरती रही, और कार के एंजिन से चुटुर पुटुर की आवाज़ आ रही थी. काफ़ी आगे, एक कार धीरे से मूडी और उस कार की तरफ आने लगी.

बारिश सब कुछ भिगाती रही.
अरुण अंधेरे और शोर की गलियों से गुज़र रहा था. धुँआधार बारिश मे बिजली बार बार अंधेरो को मिटा रही थी. बीप- बीप. फिर से आँखें चौधिया देने वाली चमक...सुप्रिया की आवाज़....कोई रो रहा है.

अंधेरा दूर हटने लगा. अरुण दोबारा अपनी गर्लफ्रेंड के साथ था. पहले तो उसे उसका नाम भी ध्यान नही आ रहा था लेकिन फिर एक दम से उसके होठों पर उसका नाम आ गया. एश. वो उसे देखकर मुस्कुराइ और उसके गाल को चूम लिया. उसकी महेक अरुण को उसकी मस्ती मे डुबोने लगी. उसे ध्यान आया कि उस ने ये पर्फ्यूम उसे गिफ्ट किया था. वो बिल्कुल भूल ही गया था कि एश कितनी खूबसूरत थी. उसके लंबे डार्क ब्राउन कलर के बाल, जो थोड़े से घुंघराले थे, उसकी काली आँखें जो हमेशा चमकती रहती थी, थोड़ी सी हया. गले मे एक लॉकेट. वो उसे एक अजीब से मायूसी से देखती रही फिर एक दम से रोने लगी. अरुण के दिल मे उसके आसू देखकर दर्द उठने लगा.

दोबारा अंधेरा छा गया. इस बार जब अंधेरा दूर हुआ तो वो अभी भी छोटा था और वो मनहूस रात थी. पोलीस दरवाजे पर खड़ी थी और सुप्रिया बेजान सी दरवाजे पर खड़ी होके सिर हिलाए जा रही थी.

काफ़ी देर तक सुप्रिया अपने भाई बहनों से कुछ नही बोली जो उसके इर्द गिर्द आकर खड़े हो गये थे. काफ़ी देर बाद वो उठी और बाथरूम को चली गयी. वो काफ़ी देर तक अपने आप को शीशे मे देख कर मूह धोती रही. अरुण को उस समय ये चीज़ समझ नही आई थी लेकिन अब समझ आ रहा था कि वो खुद को बता रही थी कि अब उसे क्या करना है. वो अपनी जिंदगी, अपने सपनो को अलविदा कह रही थी, क्यूकी अब इस घर मे उन सबके माँ बाप का हक़ उसे ही अदा करना था. जैसे जैसे अरुण देखता रहा, सुप्रिया का चेहरा एक माँ के रूप मे बदलता चला गया.

उस रात उसके मोम डॅड की एनिवर्सरि थी, जिन्हे उन सबने ज़िद करके बाहर भेजा था. सुप्रिया उन सबके साथ आके सोफे पर बैठ गयी और बात करने लगी. उसने उन सबको याद दिलाया कि उनके मम्मी पापा उन सबसे कितना प्यार करते थे, और फिर उन सबकी आँखों मे देखते हुए उसने सच बयान कर दिया, कि उनके मम्मी पापा का आक्सिडेंट हुआ है. उसने बताया कि उन्हे काफ़ी चोट आई और हॉस्पिटल पहुचने से पहले ही उनका देहांत हो गया और अब वो लोग कभी वापस नही आने वाले. सभी को झटका तो लगा लेकिन सब इस बात को समझ गये.

सुप्रिया ने उन सबको कहा कि अब से वो उन सबका ख़याल रखेगी और वो अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगी कि उनकी ज़रूरतो को पूरा कर स्के. वो सब सुप्रिया की बाहों मे ही सो गये जब तक की उनके आँखें आसू बहाते हुए थक नही गयी.

अरुण एक ऐसी स्थिति मे फसा हुआ था जहाँ उसे अपने होने का अहसास भी था और आधी चीज़े याद भी नही थी. उसे वो चीज़े याद आने लगी कैसे सुप्रिया रोहित के पापा के साथ लीगल मॅटर्स सॉल्व करने के लिए गयी. कैसे वो फफक फफक कर रोई थी, उसकी ग्रॅजुयेशन के बाद जब अंकल ने बताया था कि उसके मम्मी पापा ये देखकर कितना खुश होते. वो उनके अंतिम संस्कार के बारे मे सोचने लगा. उसे इस वक़्त पता ही नही था कि उसके पापा को इतने लोग जानते थे. 

उसने सोनिया के बारे सोचना शुरू किया, कैसे वो पूरी तरीके से बदल गयी. आक्सिडेंट से पहले तो बड़ी स्वीट थी लेकिन उसके बाद जैसे उसकी जिंदगी का एक ही मकसद था सुप्रिया को दुख पहुचाना. वो हमेशा सुप्रिया की बातों को नज़रअंदाज़ करके अपनी मनमानी करती रहती.

स्नेहा का बर्ताव जैसा था वैसा ही रहा. वो पहले से ही पढ़ाकू थी, और आक्सिडेंट के बाद तो जैसे उसकी दुनिया बस किताबो मे ही सिमट कर रह गयी थी. अगर वो किसी से बात करती तो सिर्फ़ अरुण से. वैसे भी वो थी भी पापा की लाडली. शायद इसीलिए वो अरुण से बात करती थी क्यूकी अरुण लगता भी उनके पापा की तरह था.

आरोही ने खुद को स्पोर्ट्स मे डाल दिया. ऐसी कोई चीज़ उसने नही छोड़ी जिसमे उसने हाथ नही आजमाया- वॉलीबॉल, फुटबॉल, बॅस्केटबॉल, स्विम्मिंग एट्सेटरा. यहाँ तक कि वो फुटबॉल टीम भी जाय्न करने वाली थी लेकिन सुप्रिया ने मना कर दिया.

अरुण भी सबसे दूर होने लगा. शायद यही वजह थी कि आक्सिडेंट के कुछ ही महीनो बाद उसके मन मे ये आवाज़ आने लगी. एक दिन जब वो पॉर्न देख रहा था उसके बाद से ही ये आवाज़ आई थी उसके दिमाग़ मे जो उसे वो सीन याद दिला रही थी. पहले तो उसे काफ़ी कम सुनाई पड़ती थी, जैसे कि महीने मे एक दो बार. लेकिन उमर के साथ साथ आवाज़ की मात्रा भी बढ़ती गयी. एक बार जब वो एश को किस कर रहा था तो आवाज़ ने उससे उसकी शर्ट फाड़ने को कहा तो अरुण ने उसे झट से मना कर दिया. उसके कुछ महीनो तक दोबारा उसे आवाज़ ने तंग नही किया था.

अंधेरे की चादर दोबारा पड़ गयी. इस बार जब वो चादर हटी तो एक चौधिया देने वाली सफेद रोशनी अरुण की आँखों मे पड़ी जब उसने आँखें खोलने की कोशिश करी. उसने अपना हाथ उठाने की कोशिश करी तो कुछ भारी सा उसके हाथ को रोके हुए था.

"ब्लॅंकेट्स," उसने सोचा. "मैं बेड पर हूँ, लेकिन..?" क्या जो कुछ अभी उसे दिख रहा था वो सपना था?

उसने कंबल के नीचे से अपना हाथ निकाला और अपने सिर पर रख के रोशनी को रोकने की कोशिश करते हुए आँखें खोलने लगा. उसकी उंगलियों के बीच से सफेद रोशनी अंदर आ रही थी. धीरे धीरे उसकी नज़र सॉफ हुई तो उसे आभास हुआ कि उसके आस पास काफ़ी लोग थे.

"दी..दी.." किसीने कहा. ये आवाज़ काफ़ी जानी पहचानी लग रही थी, लेकिन उसे याद नही आ रहा था कि किसकी है.

उसने अपने कंधे पर एक हाथ महसूस किया, कोमल प्यार से भरपूर.

"अरुण?" सुप्रिया ने धीरे से पूछा.

अरुण ने बोलने के लिए मूह खोला तो एक दर्द की लहर चीरती हुई निकल गयी और मूह काफ़ी सूखा हुआ था. उसने किसी चीज़ मे पानी गिरने की आवाज़ सुनी. प्लास्टिक की रिम उसके होठों से छुई और ठंडा पानी उसके गले के अंदर जाने लगा.

"और दूँ?" उसने पूछा.

उसने धीरे से सिर हिलाया तो उसकी गर्दन और पीठ मे दर्द होने लगा.

"हिलो मत," फिर से उसकी आवाज़ आई.

अरुण ने दोबारा बोलने की कोशिश की. उसकी आवाज़ उखड़ उखड़ के आ रही थी. "मैं कहा हूँ?"

सुप्रिया आगे झुक गयी. "स्वीतू, तुम आइसीयू मे हो. तुम्हारा आक्सिडेंट हुआ था. और सबसे ज़्यादा चोट तुम्हारे ही लगी है." उसने उसके कोमल हाथ का स्पर्श अपने माथे पर महसूस किया. "3 रिब्स टूटी हैं और सिर पर चोट लगी है. हम लोग तो डर ही गये थे."

"आक्सिडेंट?"

कुछ देर तक कोई आवाज़ नही आई, और फिर सुप्रिया की आवाज़ उसके कानो मे पड़ी. "हां. तुम आरोही, सोनिया और रोहित के साथ क्लब से घर आ रहे थे, तब."

अरुण ने एक कराह ली. "मैं नशे मे था क्या?" उसने पूछा.

"नही." सुप्रिया ने जवाब दिया.

"उस सुअर के बच्चे ने हमारी कार के टाइयर पर गोली मारी, यार." रोहित ने कहा, उसकी आवाज़ मे गुस्सा और चिंता सॉफ झलक रही थी.

अरुण कुछ देर तक चुप रहा. "कौन?"

उसका सवाल सुन के सभी कुछ देर के लिए चुप हो गये.

"स्वीतू....अभी जस्ट पिछली बात याद है क्या?" सुप्रिया की आवाज़ कांप रही थी.

अरुण कुछ देर तक सोचता रहा. "पता नही, सब धुंधला धुंधला है. मुझे याद है कि मैं और आरू अपने कॉलेज मे अड्मिशन के बाद पहले दिन साथ मे गये थे. मैं उस के साथ एक ही क्लास मे बैठा था. इसके बाद सब कुछ....धुँधला है. मुझे...पता नही..."

काफ़ी देर खामोशी छाइ रही जिसे सुप्रिया की रुआसी आवाज़ ने तोड़ा. "अरुण, वो एक साल पहले की बात है."

"ऐसा कैसे हो सकता है," उसने जवाब दिया.

सुप्रिया की जैसे आवाज़ ही गुम हो गयी थी. उसको देख कर लग रहा था कि अगर उसने एक शब्द और कहा तो आवाज़ की जगह वो रोने लगेगी.

अरुण दोबारा नींद के आगोश मे चला गया. उसे दोबारा एश दिखी सपने मे. उसकी महक और ज़्यादा यादें साथ लेके आई. वो दोनो एक साथ बीच पर टेहल रहे थे हाथो मे हाथ डाले. वही पर एश ने बताया कि वो फॉरिन जा रही है आगे की पढ़ाई करने.

अरुण उसे पसंद करता था लेकिन उसे ये कन्फर्म नही था कि क्या वो उसे प्यार करता है. उसके जाने का गम तो हुआ लेकिन इट वाज़ ओके. उन दोनो ने काफ़ी अच्छा टाइम स्पेंड किया था साथ मे और दोनो ने जब रिलेशन्षिप ख़त्म की तो दोनो ने दोस्त रहने का वादा किया था.

उसकी आँख मे एक सफेद रोशनी आके पड़ी और कुछ ठंडा ठंडा उसके सीने पर लगा. दो लोग आपस मे बात कर रहे थे. फिर उसने कुछ देर बाद दरवाजा बंद होने की आवाज़ सुनी.

कुछ देर बाद दोबारा वही दो आवाज़ें आई तो उसने धीरे से आँखें खोली. इस बार रोशनी ने उसकी आँखो को उतनी तक़लीफ़ नही पहुचाई. सबसे पहले उसकी नज़र सुप्रिया पर पड़ी. वो उसके बेड के पास ही चेयर पर थी और उसका सिर अरुण की जाँघ के पास था. वो सो रही थी. उसने नज़रे घुमा कर देखा तो खिड़की के पास निशा चेयर पर सिर रख के सो रही थी. उसके पास आरोही और रोहित बात कर रहे थे, दोनो ठीक ही थे, बस रोहित के सिर पर पट्टी बँधी हुई थी. दूसरी तरफ स्नेहा थी जिसकी गोद मे सोनिया सिर रख हुई थी, स्नेहा बड़े प्यार से सोनिया को पकड़े हुए सो रही थी.

अरुण थोड़ा हिला तो सुप्रिया जाग गयी जिससे आरोही और रोहित उसकी तरफ देखने लगे. सुप्रिया ने अपनी नज़रे उसकी तरफ करी तो अरुण की नीली आँखो को अपनी तरफ ही देखते हुए पाया. "हाई," उसने कहा जैसे कि रोज की तरह नॉर्मल दिन हो.

सुप्रिया हल्के से हंस दी और प्यार से उसे गले लगा लिया. "कुछ चाहिए क्या?" उसने पूछा.

अरुण ने पेट मे गुदगुदाहट सुनी. "कितना टाइम हुआ है? मेरे पेट मे चूहे कूद रहे हैं."

"एक साप्ताह होने वाला है, स्वीतू. तुम्हारी बॉडी को ठीक होने के लिए ज़्यादा ही एनर्जी की ज़रूरत थी तभी तुम्हे भूख लग रही है. मैं कुछ इंतज़ाम कर के आती हूँ."

आरोही उसके पास आई और झुक कर उसके सिर को चूम लिया. "तुमने तो हम सबको डरा ही दिया था," उसकी आँखे हल्की सी लाल थी और फिरसे उनमे आसू उभर आए थे. "मुझे..हमे लगा कि हम ने तुमको खो ही दिया है."

अरुण ने उसका हाथ प्यार से दबाया ये जताने के लिए वो ठीक है कि उसके हाथ मे भी दर्द उठने लगा.

"आइ'म सॉरी, आरू," उसने बोला, उसे पता था कि ग़लती उसकी बिल्कुल नही थी और ये भी जानता था कि कोई उसे दोषी ठहरा भी नही रहा पर इस वक़्त यही ठीक लगा.

रोहित चलकर आगे आया तो बाकी सब भी जाग गये. 

"और मेरे शेर, कुछ चाहिए? लड़की, दारू एनितिंग?" 

अरुण हंस दिया और उसके हाथ को थपथपाने लगा जिसने अरुण के हाथ को पकड़ रखा था. "थॅंक्स यार. आइ'म ग्लॅड तुम तीनो ठीक हो. अगर तुम लोगो को कुछ हो जाता तो..." उसने बात को वही ख़त्म कर दिया वो इससे आगे सोचना भी नही चाहता था.

"हम सब ठीक है," स्नेहा ने कहा, लेकिन उन सबकी हालत बिल्कुल उल्टी लग रही थी. सभी बिल्कुल थके हुए लग रहे थे. "तुम बस आराम करो और कुछ चाहिए तो हमे बताना."

वो आगे आई और उसे धीरे से गले लगाकर सिर को चूम लिया. झुकते समय उसके दूध अरुण के सीने से लगने लगे तो अरुण की नज़र उसके क्लीवेज पर पहुच गयी.

"तेरी बहेन है कुत्ते," उसने खुद से कहा.

सबसे ज़्यादा खराब हालत सोनिया की लग रही थी. उसकी आँखें देख कर लग रहा था कि वो काफ़ी रोई है.

अरुण उसकी हालत देखकर कन्फ्यूज़ हो गया. सोनिया तो कभी उसकी केयर नही करती थी. आज तक उसने कोई भी मौका नही छोड़ा था अरुण को परेशान करने का और आज वो सबसे ज़्यादा बुरी हालत मे लग रही थी. जब स्नेहा हटी तो सोनिया आगे आई उसे गले लगाने के लिए.

"तुम्हे पिछले साल का कुछ याद है?" सुप्रिया ने पूछा जब सोनिया उसे गले लगा चुकी थी.

अरुण ने एक गहरी सास ली और सिर हिला दिया. "आख़िरी चीज़ जो मुझे याद है वो ये कि मैं और आरू एक साथ क्लास मे जा रहे थे. तुम लोग कोई प्रॅंक तो नही प्लान कर रहे हो ना?"

सभी लोग अपना सिर हिलाने लगे, उन सबकी आँखो मे एक मायूसी छाइ हुई थी.

"यहाँ कब तक रहना पड़ेगा?" अरुण ने पूछा.

जैसे उसके सवाल का ही इंतजार हो रहा था कि तुरंत ही दरवाजा खुला और डॉक्टर एक नर्स के साथ अंदर दाखिल हुआ. 

डॉक्टर ने दोनो आँखों मे टॉर्च से देखकर पूछा. "तो कैसा लग रहा है अब?"
 
अरुण कुछ देर अपने शरीर को देखता रहा. "पूरा शरीर दर्द कर रहा है. और भी इन लोगो ने बताया कि मेरी एक साल की मेमोरी गायब हो गयी है."

"हां, हम लोगो ऐसा कुछ होने का डर था. इस टाइप की इंजुरी मे कुछ चीज़े भूल जाना नॉर्मल है. दिक्कत ये है कि इस बारे मे हम कुछ कर भी नही सकते. वापस फेमिलियर सराउंडिंग्स मे जाने पर काफ़ी कुछ हेल्प मिलती है. तो बस वही करो." 

"अंकल सब याद तो आ जाएगा ना भाई को?" सोनिया ने बहुत ही धीरे से पूछा. अरुण ने उसे देखा तो वो बिल्कुल कमजोर लग रही थी. और उसने उसको भाई बुलाया था. वो सोचने लगा कि एक साल मे काफ़ी कुछ बदल गया है उसकी लाइफ मे.

"बेटा कुछ कह नही सकते. मोस्ट्ली केसस मे तो याददाश्त वापस आ जाती है, कुछ केसस मे नही."

सोनिया ने रुआसी आखो से सुप्रिया की ओर देखा तो सुप्रिया ने उसे गले लगा लिया और कान मे कुछ कहा. सोनिया ने अपने आसू पोछते हुए सिर को हिला दिया.

"चलो बाकी चोटो का चेकप कर लेते है," डॉक्टर ने उस पर से चादर हटाते हुए कहा. "रही दर्द की बात तो उसके लिए तो दवाई है ही."

अरुण तो अपनी चोट देखकर डर ही गया. सीने से नीचे देखकर तो लग रहा था किसी ने अच्छे से हॉकी लेकर उसकी सूताई करी हो. कुछ देर तक जगह जगह छू कर डॉक्टर उसके दर्द की जाँच करता रहा फिर वहाँ से चला गया.

काफ़ी देर तक एक असहज सी खामोशी छाइ रही, क्यूकी किसी को कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या कहा जाए. तभी पीछे दरवाजे पर नॉक हुई और एक पोलीस इन्स्पेक्टर अंदर आया.

"डॉक्टर ने बताया कि इन्हे होश आ गया है." इनस्पेक्टर बोला.

सुप्रिया ने सिर हिलाकर उन्हे हां कह दी. "लेकिन सर लगता नही मेरा भाई अभी आपकी कोई हेल्प कर सकता है. सिर पर चोट लगाने के कारण इसकी पिछले एक साल की यादास्त खो चुकी है."

"कोई बात नही, मेरा नाम इनस्पेक्टर अजय है. मैं बस स्टेट्मेंट लेने आया हूँ, ओके?"

कुछ सवालो के बाद ये बिल्कुल क्लियर हो गया कि अरुण को कुछ भी याद नही है.

"हम लोगो ने वहाँ मौजूद लोगो से पूछताछ करी है तो उन्होने बताया कि तुमने उन लोगो से जाने के लिए कहा था. और तुम्हारी बहनों ने बताया कि वो कार मे से ही गनशॉट फाइयर हुआ था. तुम्हारी कार तो अब चलने की हालत मे है नही फिर भी हम उसकी चेकिंग करेंगे. और जिसने ये हरकत करी है वो हमारी कस्टडी मे है तो तुम्हे फिकर करने की ज़रूरत नही है." अजय ये कहकर टेक केयर बोलकर चला गया.

नर्स आई और अरुण को बाकी दवाइयों के साथ नींद की दवा भी दे दी. निशा ने भी आगे बढ़कर उसे गले लगा लिया और उसके सिर को चूम लिया. 

"यू स्केर्ड मी...थॅंक गॉड, तुम ठीक हो. अब जल्दी से ठीक हो जाओ, ओके." ये कहकर वो बाकी सब से बात करने लगी. रोहित ने अपना समान उठाया और निशा के साथ बाहर जाने लगा.

"जब डिसचार्ज करें तो मुझे कॉल कर देना, मैं आ जाउन्गा." रोहित बोला और सबको बाइ बोलकर चला गया.

अरुण कुछ ही देर मे नींद मे चला गया.

"वी नीड टू टॉक," सुप्रिया सभी से बोली उन लोगो को लेकर बाहर निकल आई.

वो लोग एक वेटिंग रूम मे चले गये जहाँ कोई नही था, तो उसने सभी को अंदर बुलाकर दरवाजा बंद कर दिया और साबो बैठने का इशारा कर दिया.

सोनिया जो बस रोने की कगार पर ही थी पहले बोली.

"भाई को कुछ याद नही है ना!" इसके साथ ही उसके आसू निकलने लगे और वो अपने चेहरे अपने हाथो से छुपाने लगी. सुप्रिया ने उसे अपने कंधे का सहारा दिया और उसका सिर सहलाने लगी. "देखो, मैं यह तो नही कहने वाली थी कि मुझे पता है कि इस कंडीशन मे क्या करना है, लेकिन कुछ ना कुछ तो सोचना ही पड़ेगा."

आरोही और स्नेहा बिल्कुल शांत बैठी हुई थी.

स्नेहा ने उसकी बात सुन अपना गला साफ किया. "एक बार उसकी नज़र से देखो. अगर उसे कुछ भी याद नही है, कि इस साल क्या क्या हुआ, कैसे हम सबकी लाइफ चेंज हुई है, और अगर हम ने एक दम से उसे बता दिया, तो पता नही क्या होगा. पर्सनली, मुझे नही पता वो इस बात पर कैसे रिएक्ट करेगा. अगर हम लोग धीरे धीरे उसे अपनी तरफ आकर्षित करे तो शायद उसे बीती बातें याद आ जाएँ."

"दी, आप तो हम लोगो पर पहले से ही नज़र रखे हुई थी, तो बताओ कि पहले अरुण हम लोगो के आस पास कैसे बिहेव करता था? क्या पहले भी वो इतना ही हम लोगो को घूरता था?"

सुप्रिया हल्के से हंस दी, जब उसे ध्यान आया कि कैसे अरुण उसके एप्रन को निहारता था. "मुझे याद है कि जब सोनिया छोटे छोटे कपड़े पहने उछलती हुई सीढ़ियों से नीचे आती तो अरुण की नज़रे कहीं और होती ही नही थी. और सोनिया को देखकर तो लगता था कि ये जानबूझ कर वो स्पोर्ट्स ब्रा और शॉर्ट्स पहेन कर आती थी उसे परेशान करने के लिए."

सोनिया ने अपना सिर उठाकर हल्के से स्माइल कर दी. "कभी कभी."

"मुझे भी याद है कि अरुण हमेशा जॉगिंग के टाइम मेरे पीछे ही रहता था, मुझे तो लगता था कि शायद मेरी स्पीड तेज है इसलिए." आरोही बोली.

सभी हल्के से हंस दी तो सबका मन थोड़ा हल्का हुआ.

"और कितनी बार हम लोगो ने उसे स्नेहा का क्लीवेज घूरते हुए पकड़ा है?" सुप्रिया ने कहा तो स्नेहा शरमा गयी.

"और मैं ही अकेली भाई को सुबह परेशान नही करती थी, आरू भी तो वैसे ही सेक्सी कपड़े पहेन कर आती थी और तब भी भाई की नज़र इस पर से नही हटती थी. और स्नेहा दी तो जैसे सेंटर ऑफ अटेन्षन थी. बस इनको शायद इस बात की जानकारी नही थी." सोनिया बोली.

स्नेह शरमाते हुए हंस दी. "तुम लोग मुझे जितना इग्नोरेंट समझते हो मैं उतना नही थी. मुझे पता था कि वो मुझे देख रहा है बस मुझे रीज़न नही पता था. उसी ने मुझे पहली बार बताया दट आइ लुक प्रेटी." उसने एक मायूस आवाज़ मे कहा.

सभी एक साथ गले लग गये. "मुझे पक्का यकीन है, उसे जल्दी ही सब याद आ जाएगा और अगर नही आया ना तो हम लोग दोबारा उसे खूब टॉर्चर करेंगे," आरोही बोली.

स्नेहा एक दम से आरोही की ओर देखने लगी दूर हट के.

"व्हाट?" आरोही ने चिंतित स्वर मे कहा.

"यही तो है!" स्नेहा एग्ज़ाइटेड होते हुए बोली.

सभी उसकी तरफ कन्फ्यूज़ होकर देखने लगे.

"अरे यही तो सल्यूशन है. हम लोगो को उसे दोबारा टॉर्चर करना पड़ेगा लेकिन इस बार थोड़ा आराम से. और इस बार एक दूसरे के साथ थोड़ा लिमिट मे नही तो उसे पक्का बड़ा झटका लगेगा," स्नेहा आरोही की ओर देखते हुए बोली जो हँसे जा रही थी. "वैसे दट वाज़ फन," स्नेहा बोली.

"नाइस आइडिया. हां, थोड़ा लिमिट तो रखनी ही पड़ेगी इस बार." आरोही उसकी बात का समर्थन करते हुए बोली.

"और सोनिया का क्या?" सुप्रिया ने पूछा तो दोनो सोनिया की ओर देखने लगी.

"सोनिया हम लोगो के साथ सो सकती है," स्नेहा ने कहा.

सोनिया ने मना कर दिया. "कोई बात नही दी. मैं ठीक हूँ. मैं अपने रूम मे ही सोउंगी. अगर कभी ज़रूरत पड़ी तो आप लोगो के पास आ जाउन्गी."

"ओके, नेक्स्ट पार्ट. वो पूछेगा तो ज़रूर इस साल के बारे मे. ये तो उसे भी पता चल गया है कि हमारी रिलेशन्षिप काफ़ी चेंज हुई है तो उसे रीज़न क्या बताएँगे सोनिया के बर्ताव का?" आरोही ने पूछा.

"हम लोगो कुछ कुछ चीज़े तो उसे बता ही सकते हैं. जैसे कि जो कुछ सोनिया के साथ हुआ तभी से उसे अकेले नींद नही आती. ये बात उसे समझ मे आ भी जाएगी. तब उसे ये भी पता चल जाएगा कि क्यूँ उस लड़के ने टाइयर पर गोली मारी और शायद याद भी आ जाए कि वो लड़का कौन था," सुप्रिया बोली.

"सोनिया?" आरोही ने सोनिया से पूछा.

सोनिया कुछ देर सोचती रही फिर हंस दी. "भाई की मेमोरी वापस आ जाए, और क्या चाहिए?"

**********
 
अरुण कुछ घंटो तक सोने के बाद उस शाम जागा. आँखें झपकाते हुए उसने तो देखा तो उसकी बहनें जा चुकी थी सिर्फ़ स्नेहा पास मे बैठी बुक पढ़ रही थी.

"हे, बेबी, कुछ चाहिए?" उसने प्यार से पूछा.

अरुण ने धीरे से सिर हिलका तकिया पर रख लिया. कुछ देर तक वो ऐसे ही इधर उधर देखता रहा.

"कितने दिन एग्ज़ॅक्ट्ली हुए हैं?" उसने पूछा.

स्नेहा ने बुक साइड मे रख दी और उसके पास आ गयी. "तुम पहले तो 2 दिन आइसीयू मे ही रहे. फिर जब तुम्हे होश आया तो एक दिन बाद डॉक्टर ने तुम्हे रेग्युलर रूम मे शिफ्ट कर दिया. उसके बाद तुमने आज आँखें खोली."

अरुण ने दोबारा आँखें बंद कर ली. कमरे मे खामोसी थी. याददाश्त खोने की खबर उसके लिए किसी झटके से कम नही थी लेकिन स्नेहा की मीठी आवाज़ उसे काफ़ी आराम पहुचा रही थी. उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान उभर आई.

"क्या हुआ?" स्नेहा ने पूछा.

उसने स्नेहा की ओर देखा. "आपकी आवाज़ बड़ी अच्छी लग रही है," उसने कहा.

स्नेहा मुस्कुरा कर उसे देखने लगी. "थॅंक्स बेबी," उसने और प्यार से कहा तो अरुण के मान मे जो अंधेरा था वो धीरे धीरे उसकी मीठी रोशनी मे घुलने लगा.

"टीवी?" स्नेहा ने टीवी की ओर इशारा करते हुए कहा. 

अरुण ने सिर हिलाकर मना कर दिया. "नही, आप बस मुझसे करती रहो, मुझे बड़ा अच्छा लगता है जब आप बात करती हो." 

स्नेहा मुस्कुराते हुए बात करने लगी की कैसे बचपन मे दोनो साथ मे चेस खेलते थे और वो ज़्यादातर जानबूझकर हार जाती थी. वो उसकी पढ़ने मे हेल्प करती थी, और अरुण की शैतानियों पर मारती भी थी. कुछ घंटो बाद डॉक्टर आया और कुछ नुरलॉजिकल टेस्ट किए अरुण के. 

अगले दिन अरुण को हॉस्पिटल से डिसचार्ज कर दिया गया. व्हीलचेयर मे बैठे हुए अरुण को आरोही ले जाने लगी. पीछे से रोहित सबके साथ समान ले आने लगा.

रोहित ने आरोही की हेल्प की उसे अपनी कार मे बैठने मे. रोहित दूसरी तरफ गया तब तक स्नेहा आ गयी और उसकी सीट बेल्ट लगाने लगी. अरुण की नज़रे दोबारा स्नेहा के क्लीवेज पर टिक गयी और बेल्ट लगाते टाइम स्नेहा का बया दूध उसके हाथ से रगड़ गया.

अरुण को तुरंत ही एक झटका लगा, उसके मन मे एक सीन आने लगा, स्नेहा का निपल उसकी जीभ के चारो ओर घूम रहा था. उसने अपने सिर को हिलाकर उस तस्वीर को दूर किया और फिरसे उसे अपने दर्द का आभास होने लगा.

आरोही पीछे बैठ गयी और रोहित कार को धीरे से चलाने लगा.

"तो तुझे कुछ भी याद नही है इस साल का? क्लास, वाकेशन, कुछ भी?" रोहित ने पूछा.

अरुण ने धीरे से सिर हिला दिया. "नही यार. मैने कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही. वैसे कुछ स्पेशल हुआ क्या इस साल?" अरुण ने मिरर मे आरोही से पूछा.

आरोही पानी पी रही थी कि उसके सवाल के जवाब मे मूह से एक दम पानी निकल पड़ा. खाँसते हुए वो हल्के से हंस दी.

"यू ओके?" अरुण ने हंसते हुए पूछा.

आरोही उसे एकटक देखने लगी. "तुम्हे पक्का कुछ भी याद नही?"

अरुण ने अपना हाथ उपर कर दिए. "नही, आरू. तुम तो मानो."

"तो फिर शाम को हर डीटेल दी जाएगी," आरोही बोली.

अरुण सोचने लगा कि आरोही ने उसी वक़्त क्यू नही बताई उसे सब बाते. वो विंडो से बाहर देखने लगा और खुद से पूछने लगा कि उसे कुछ याद क्यूँ नही आ रहा था?

जब वो लोग घर के बाहर पहुचे तो अरुण को देखकर बड़ा अजीब लगा कि उसकी कार के बिना घर कितना सुना लग रहा था. वो उसकी पसींदीदा कार जो थी.

आरोही ने उसके चेहरे के भाव पढ़ लिए और उसके कंधे पर हाथ रख दिया. "डॉन'ट वरी ब्रो, हम लोग दूसरी ले लेंगे और इस बार चाय्स मेरी होगी."

अरुण मुस्कुरा दिया और फिर रोहित की मदद से उतर कर व्हील्चैर पर बैठ गया.

गेट खुलते ही अरुण जब अंदर गया तो चारो तरफ देखने लगा.

"कुछ याद आया?" सोनिया ने बड़ी आशा के साथ पूछा.

सिर हिलाते हुए अरुण ने कंधे उचका दिए. "वेल, मतलब मुझे ये तो याद ही है कि मैं यही रहता हूँ लेकिन बस पिछली छुट्टियों के बाद का कुछ याद नही आ रहा."

"कोई नही. मैं कुछ खाने को बनाती हूँ" सुप्रिया किचन की ओर जाते हुए बोली.

"मैं तुम्हे आराम से बैठा देती हूँ," आरोही उसे हॉल मे सोफे के पास ले जाते हुए बोली. सोफे पर बैठा कर उसने टीवी का रिमोट उसके हाथ मे दे दिया.

"पानी?" उसने पूछा.

अरुण ने हां कह दी तो वो किचन मे चली गयी. रोहित भी ये बोलकर चला गया कि कुछ ज़रूरी काम है और कुछ ज़रूरत हो तो उसे कॉल करे.

आरोही बॉटल लेकर वापस आई तो अरुण ने थॅंक्स कह दिया.

"अरुण." आरोही उसके पास खड़े हुए बोली.

"हां?" अरुण ने उपर देखते हुए कहा.

वो नीचे झुकी और उसे अपनी बाहों मे आराम से समेट लिया. "आइ लव यू," उसने प्यार भरे लहज़े मे कहा जितना कि अरुण को आशा नही थी. आरोही के होठ उसके होंठो के पास जा ही रहे थे कि उसने खुद को रोका और उसके गाल पर किस कर दिया.

"आइ लव यू टू," अरुण ने प्यार से उसे गले लगाते हुए कह दिया.

आरोही किचन की तरफ जाने लगी तो उसने देखा कि सोनिया चुपचाप अरुण के रूम मे जा रही थी तो वो भी उसके पीछे पीछे उपर जाने लगी.

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किचन मे सुप्रिया और स्नेहा खाना बनाने मे जुटे हुए थे. सुप्रिया ने स्नेहा की ओर देखा.

"तो अब क्या करना है," उसने पूछा.

मुड़ते हुए स्नेहा ने उसकी ओर देखा और कुछ सोचने लगी. "उम्म्म, अच्छा ये बताओ जब हम लोग उसके साथ इंटिमेट नही थे तो अरुण किस चीज़ से एग्ज़ाइट होता था?"

सुप्रिया हंसते हुए कुछ मिनिट सोचती रही. "मेरा एप्रन, तुम्हारा क्लीवेज, आरोही की आस, और सोनिया जब स्पोर्ट्स ब्रा मे होती थी," उसने कुछ देर बाद जवाब दिया.

स्नेहा हंसते हुए सब्जी काटती रही. "मुझे पक्का पता है एप्रन के अंदर आप थी इसलिए उसे इतना अच्छा लगता था. तो हम लोग इसी से स्टार्ट करते हैं. अगर हो सके तो हम लोग ब्रा पहनना बंद कर देंगे घर मे," स्नेहा बोली.

सुप्रिया ये सुनकर हँसने लगी और वॉशरूम मे जाकर अपनी ब्रा को उतार दिया और एप्रन पहन कर वापस आ गयी. जब वो वापस आई तो स्नेहा उसे देखकर हंस दी और खुद भी वॉशरूम जाकर अपनी ब्रा को उतार दिया और टीशर्ट को खिचकर और नीचे कर दिया.

"हे भगवान, स्वीटी. तू तो उसे आज ही सबकुछ याद दिला देगी!" सुप्रिया उसकी टीशर्ट मे से बाहर झलकते क्लीवेज देखकर बोली.

*********

उपर, सोनिया अरुण के बेड पर बैठी आसू बहा रही थी. आरोही ने धीरे से दरवाजा खोला और उसके पास आकर बैठ गयी. सोनिया ने अपना सिर उसके कंधे पर रख दिया.

काफ़ी देर तक दोनो ऐसे ही बैठे रहे.

"आरू, पता है बात ये नही है कि मेरे और अपने बारे मे भूल गया है. वो सब कुछ भूल गये हैं. कैसे वो मुझे देखते थे, कैसे मेरे बालो से खेलते थे सब कुछ."

"आइ नो, गुड़िया," आरोही ने कहा और धीर धीरे उसके बालो से खेलती रही. "तुम्हे पता है शुरुआत मे मुझे तुमसे काफ़ी जलन होती थी क्यूकी तुम्हे अरुण के साथ इतना टाइम स्पेंड करने को मिलता था जबकि मुझे पता था कि तुम्हे उसकी ज़रूरत थी."

सोनिया हल्के से मुस्कुरा दी और आसू पोछने लगी. "आइ'म सॉरी," उसने कहा. "अगर...नही जब भाई की यादस्त वापस आ जाएगी तो प्रॉमिस मैं ईक्वली शेयर करूँगी."

"एक बात बताऊ? किकी थिंग्स?" आरोही मुस्कुराते हुए बोली.

सोनिया पीछे हटकर उसे देखने लगी.

"मैं अरुण के साथ ये ऑर्डर वाला गेम खेल रही थी काफ़ी दिनो से. जैसे जो कुछ वो मुझसे करने को कहता मैं करती, चाहे कुछ भी हो."

"हीही, सच्ची?" सोनिया हल्के से हंसते हुए बोली.

"और क्या. तुम्हे पता उस दिन कार मे उसी ने तो मुझे मेरी पैंटी माँगी थी." वो याद करते हुए बोली तो थोड़ी मायूस हो गयी.

सोनिया उसकी गले लग गयी. "चिंता मत कर, गुड़िया वो जल्दी ही ठीक हो जाएगा. और एक बात, अगर तुझे कोई प्राब्लम ना हो तो मेरे साथ सो जाना. हम दोनो जुड़वा हैं तो शायद तुझे वही फीलिंग मेरे साथ भी आए." आरोही उसका सिर सहलाते हुए बोली.

"ये हो सकता है," सोनिया गले लगे ही बोली.

आरोही ने उसकी ओर देखा और उसके दोनो गालो पर किस कर लिया फिर अंगूठे से उसकी चिन पकड़कर उसके होंठो को भी चूम लिया. सोनिया ने आरोही के कोमल होठ अपने होंठो पर महसूस किए तो वही करेंट दौड़ गया उसके शरीर मे जो अरुण को किस करते वक़्त होता था. कुछ देर तक किस करने के बाद आरोही ने उसे सीने से लगा लिया. "आइ लव यू गुड़िया," उसने कहा.

आक्सिडेंट से पहले सोनिया और आरोही दोनो काफ़ी करीब थे, लेकिन आक्सिडेंट के बाद तो जैसे सोनिया दुश्मन हो गयी थी आरोही की. शायद यही वजह थी कि कुछ सालो की दूरियाँ आज मिट रही थी.

"थॅंक्स, दी," सोनिया ने उसके गले मे बाहें डालते हुए कहा फिर दोनो साथ मे रूम से बाहर चल दिए.

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