hotaks444
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राज के हाथ उसकी कमर से खिसक कर उसकी चुतरों पर पहुँच गया, क्योंकि वह उछल कर उसकी गर्दन से चिपक गयी थी। राज अपने हाथ को उसके चुतरों से हटा कर बोला: बेटी मैं बिलकुल मज़े में हूँ। हम सब तुमको बहुत मिस करते हैं।वह उसके गाल चूमते हुए बोला और उसके बालों पर भी प्यार से हाथ फेरा। इसके साथ ही वह ख़ुद अपना निचला हिस्सा पीछे किया ताकि रचना को उसके लौंडे की हालत का पता नहीं चले।
फिर रचना अलग होकर अपना समान उठाने लगी और फिर से उसकी आधी छातियाँ उसके सामने झूल गयी थीं साथ ही उसकी गाँड़ की दरार भी फिर से उसकी आँखों के सामने थी। इस बार तो जय की भी आँखें उसके जवान बदन पर थीं।
फिर सब बाहर आए और जय ने कार में सामान डाला और कार चलाकर घर की ओर चल पड़ा। राज और रचना पीछे की सीट पर बैठे थे। रचना ने राज का हाथ अपने हाथ ने ले लिया और बोली: पापा। आप माँ को बहुत मिस करते होगे ना?
राज की आँखों के आगे रश्मि और शशी का नंगा बदन आ गया। वो सोचने लगा कि मेरे जैसा कमीना उसको क्या मिस करेगा? पर वह बोला: हाँ बहुत याद आती है उसकी। एकदम से मुझे अकेला छोड़ गयी वह।
रचना: पापा , मुझे भी मॉ की बहुत याद आती है। ये कहते हुए उसकी आँख भर आइ और वो अपना सिर राज के कंधे पर रखी । अब उसकी एक छाती राज की बाँह से सट गयी थी। राज के बदन में उसकी मस्त और नरम छाती का अहसास उसे फ़िर से उत्तेजित करने लगा। रचना के बदन से आती गन्ध भी उसे पागल करने लगी। उसने देखा कि रचना की आँखें बन्द थीं और राज ने उसका फ़ायदा उठाते हुए अपनी पैंट में लौंडे को ऐडजस्ट किया। अब वह अपनी बाँह उसके कंधे पर ले गया और उसे शान्त करने लगा। उसका हाथ उसकी छाती के बहुत क़रीब था। तभी वह अपनी आँख खोली और जय को बोली: और मेरे भय्या का क्या हाल है। शादी के लिए रेडी हो गए हो ना? ये कहते हुए वह आगे को झुकी और राज का हाथ उसकी छाती से टकराया। राज ने अपना हाथ नहीं हटाया और रचना ने भी ऐसा दिखाया जैसे उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
थोड़ी देर तक वो जय और राज से अब तक की तैयारियों का अपडेट ली और बोली: बाप रे, अभी बहुत काम बाक़ी है। चलो अब मैं आ गयी हूँ , अब सब ठीक कर दूँगी। कहते हुए वह राज का हाथ जो उसकी छाती को छू रहा था , उसे अपने हाथ में लेकर वह उसे चूम ली और बोली: पापा आइ लव यू।
राज ने भी उसे अपने से सटाकर कहा: बेबी आइ लव यू टू।
जय: दीदी मेरा क्या? मुझसे कोई प्यार नहीं करता क्या?
दोनों हँसने लगे और बोले: वी लव यू टू ।
तभी वह सब घर पहुँच गए।
घर पहुँचने पर शशी ने सबको नाश्ता कराया और सब चाय पीते हुए बातें करने लगे। शादी की तैयारियाँ बहुत डिटेल में डिस्कस हुई। फिर रचना बोली: मैं अभी सोऊँगी बहुत थक गयीं हूँ। शाम को हम होटेल जाकर मिनु फ़ाइनल करेंगे।
जय: और खाना भी वहीं खा लेंगे। ठीक है ना पापा?
राज: बिलकुल ठीक है, रचना के आने का सेलब्रेशन भी हो जाएगा।
रचना: पापा मेरा कमरा ठीक है ना?
शशी: जी आपका कमरा बिलकुल साफ़ और तैयार है।
फिर रचना उठी और एक बार उसकी गाँड़ की दरार राज और जय की आँखों के सामने थीं। इस बार राज से रहा नहीं गया और वह बोला: बेटी, इस तरह की पैंट क्यों पहनती हो? पीछे से पूरी नंगी हो रही हो।
वो हँसकर बोली: पापा आपने तो मुझे पूरा नंगा देखा है, आपको क्या फ़र्क़ पड़ता है। पर अब मैं इंडिया में ऐसे कपड़े नहीं पहनूँगी। ठीक है ना?
राज ने उसकी कमर सहला कर कहा: ठीक है बेटी, जाओ अब आराम कर लो। वह शशी के साथ चली गयी।
थोड़ी देर में जय भी दुकान चला गया। क़रीब आधे घंटे के बाद शशी राज के कमरे में आइ और मुस्कुरा कर बोली: आपको शर्म नहीं आती , अपनी बेटी की गाँड़ को घूरते हुए।
राज बेशर्मी से बोला: वह भी तो अपनी गाँड़ दिखाए जा रही थी। मेरी क्या ग़लती है? उसने अपना लौंडा दबाकर बोला: देखो इस बेचारे की क्या हालत ही गयी है ?
शशी हँसती हुई बोली: ये और बेचारा? इसका बस चले तो यह रचना की गाँड़ में भी समा जाता।
राज ने अपनी पैंट उतारी और चड्डी भी उतारा और शशी को लौड़ा चूसने का इशारा किया। शशी उसके लौंडे को सहलाकर बोली: आपको पता है रचना ने अपनी पैंट और टॉप उतार दिया है और सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में सो रही है। देखना है क्या?
राज के लौंडे ने ये सुनकर झटका मारा और राज बोला: सच में ? मगर उसने चद्दर ओढ़ी होगी ना? दिखेगा थोड़ी?
शशी उसके लौंडेको चूसते हुए बोली: उसे बहुत गरमी लगती है इसलिए उसने कुछ भी नहीं ओढ़ा है।
राज उठते हुए बोला: चलो वहीं चलते हैं, उसे देखते हैं की जवान होकर वह अब कैसी दिखती है?
वो दोनों उसके कमरे की खिड़की के पास आकर पर्दा हटाकर झाँके और आऽऽऽह सामने रचना ब्रा और पैंटी में करवट लेकर सोयी हुई थी। ब्रा से उसकी बड़ी छातियाँ आधी बाहर दिखाई दे रही थीं। उसका नंगा गोरा पेट और उसकी गदराइ जाँघें भी बहुत मादक दिख रही थीं। उसका मुँह खिड़की की तरफ़ था। शशी धीरे से बोली: मज़ा आ रहा है ना? राज ने उसकी गर्दन पकड़ी और उसको अपने घुटनों पर झुका दिया और वह उसके लौंडे को चूसने लगी। राज रचना को देखते हुए शशी के मुँह को चोदने लगा। उसकी कमर हिले जा रही थी और अब शशी ने भी डीप थ्रोट से चूसना शुरू कर दिया था। वह अपनी जीभ से उसके मोटे सुपाडे को भी रगड़ रही थी। उसके बॉल्ज़ को भी चाटे जा रही थी।
तभी अचानक राज की नज़र ड्रेसिंग टेबल के शीशे पर पड़ी और वहाँ उसे शीशे में रचना की मोटी मोटी गाँड़ दिखाई दे गयी। आऽऽऽऽऽऽह क्या मस्त गदराइ हुई गाँड़ थीं। दोनों चूतड़ मस्त गोरे और नरम से दिख रहे थे और उनके बीच में एक छोटी सी पट्टी नुमा रस्सी थी जो गाँड़ की दरार में गुम सी हो गयी थी। क्या दृश्य था और राज अब ह्म्म्म्म्म्म करके शशी के मुँह में झड़ने लगा। शशी ने उसका पूरा रस पी लिया।
अब राज वहाँ से हटा और अपने कमरे में आ गया। अब जब उसकी वासना का ज्वार शान्त हो चला था तो उसे अपने आप पर शर्म आयी और वह सोचने कहा कि कितनी गंदी बात है, वो अपनी प्यारी सी शादीशुदा बेटी के बारे में कितना गंदा सोच रहा है। उसने अपने सिर को झटका और फ़ैसला किया कि ऐसे गंदे विचार अब अपने दिमाग़ में नहीं आने देगा आख़िर वो उसकी इकलौती बेटी है। अब उसे थोड़ा अच्छा महसूस हुआ और वो शादी के बजट वग़ैरह की योजना बनाने में लग गया। तभी शशी आइ और बोली: तो कब चोदोगे अपनी बेटी को?
राज: देखो शशी, आज जो हुआ सो हुआ । अब हम इसकी बात भी नहीं करेंगे। वो मेरी बेटी है और मैं उसे कैसे चोद सकता हूँ? ठीक है ?
शशी हैरान होकर: ठीक है साहब जैसा आप चाहें।
अब राज अपने काम में लग गया।
जय ने दुकान से डॉली को फ़ोन किया: कैसी हो मेरी जान।
डॉली: ठीक हूँ। आज बड़े सबेरे फ़ोन किया सब ख़ैरियत?
जय: सब बढ़िया है। आज दीदी भी आ गयीं हैं। अब शादी की रौनक़ लगेगी घर पर। और तुम्हारे यहाँ क्या चल रहा है?
डॉली: सब ठीक है, मम्मी और ताऊजी टेन्शन में हैं शादी की।
जय: अरे सब बढ़िया होगा। मैं मम्मी को फ़ोन कर देता हूँ कि टेन्शन ना लें।
डॉली: प्लीज़ कर देना उनको अच्छा लगेगा। अरे हाँ मेरी सहेलियाँ पूछ रहीं थीं कि हनीमून पर कहाँ जा रही हूँ? क्या बोलूँ?
जय: बोलो कहाँ जाना है?
डॉली: आप बताओ मुझे क्या पता?
जय : मुझे तो शिमला जाने का मन है या फिर गोवा चलते हैं। तुम बताओ कहाँ जाना है?
डॉली: गोवा चलते हैं। वैसे मेरी एक सहेली बोली की कहीं भी जाओ , एक ही चीज़ देखोगी और कुछ देखने को तो मिलेगा नहीं। मैंने पूछा कि क्या देखने को मिलेगा? तो वो जानते हो क्या बोली?
जय: क्या बोली?
डॉली: वो बोली कि होटेल के कमरे का पंखा देखोगी और कुछ नहीं।
जय हैरानी से: क्या मतलब ? होटल का पंखा?
डॉली हँसने लगी और बोली: आप भी बहुत भोले हैं जी। मतलब मैं बिस्तर में पड़ी रहूँगी और आप मेरे ऊपर रहोगे और मैं सिर्फ़ पंखा ही देखूँगी।
अब बात जय को समझ में आइ और वो हँसने लगा और बोला: हा हा , क्या सोचा है। कोई इतना भी तो नहीं लगा रहता है दिन रात इस काम में। हा हा गुड जोक।
वैसे मुझे भी लगता है कि शायद तुम पंखा ही देखोगी। ठीक है ना?
डॉली हंस कर: मैं तो जाऊँगी ही नहीं अगर सिर्फ़ पंखा ही दिखाना है। वैसे भी पार्क में जो उस दिन आपका बड़ा सा देखा था, वह अभी भी सपने में आता है और मेरी नींद खुल जाती है उस दर्द का सोचकर जो आप मुझे सुहाग रात में देने वाले हो।
जय हँसकर: मैं कोई दर्द नहीं देने वाला हूँ। तुम भी बेकार में ही डरी जा रही हो। वैसे हम सुहाग रात में करेंगे क्या? मुझे तो कोई अनुभव ही नहीं है। चलो कुछ दोस्तों से पूछता हूँ कि कैसे और क्या करना होगा?
डॉली: हाँ ये भी पूछ लेना कि बिना दर्द के ये काम कैसे होता है।
जय: क्या तुम भी ? बस एक दर्द का ही क़िस्सा लेकर बैठी हो। एक बात बोलूँ, दीदी से पूछ लूँ क्या?
डॉली: छी वो तो एक लड़की हैं , उनसे कैसे पूछोगे? वैसे आपने बताया था कि आपने ब्लू फ़िल्मे देखीं हैं तो वहीं से सीख लो ना।
जय: अरे उसमें तो सब उलटा सीधा दिखाते हैं, एक बात बोलूँ मैं दीदी से बात करता हूँ और तुमको भी फ़ोन पर ले लेता हूँ। चलेगा?
डॉली: छी कुछ भी बोलते हो? बिलकुल नहीं, मैं तो मारे शर्म के मर ही जाऊँगी। आप अपने दोस्तों से ही पूछ लो।
जय: चलो दोस्तों से ही पूछता हूँ। तो फिर गोवा पक्का ना, बुकिंग करा लूँ।
डॉली: हाँ करवा लीजिए। पर कमरे में पंखा नहीं होना चाहिए सिर्फ़ एसी होना चाहिए। हा हा ।
दोनों हँसे और फ़ोन रख दिया।
जय ने सुहाग रात की डिटेल जानने के लिए अपने दोस्त मंगेश को फ़ोन किया। उसकी पास ही अनाज की दुकान थी और उसकी शादी को १ साल हो चुका था।
मंगेश: वाह आज इतने दिन बाद कैसे याद आइ?
जय: बस ऐसे ही , अगर बहुत व्यस्त ना हो तो चलो कॉफ़ी पीते हैं।
फिर वो और मंगेश कॉफ़ी हाउस में मिले और कुछ इधर उधर की बातें करने के बाद जय बोला: यार अगले हफ़्ते मेरी शादी है, और मुझे सच में सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं आता। थोड़े टिप्स दे देना यार।
मंगेश हँसते हुए: तू भी इतना बड़ा हो गया है और बच्चों के जैसी बातें करता है।अरे ब्लू फ़िल्म तो देखा होगा ना अगर चुदाई नहीं की है तो। देख भाई मैंने तो शादी के पहले ही तीन लड़कियाँ चोद रखीं थीं सो मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। तू भी किसी को चोद ले आजकल में और फिर मना सुहागरत मज़े से ।
जय : नहीं ये मैं कभी भी नहीं करूँगा। यार तू बता ना कि कैसे शुरू करते हैं ?
मंगेश: मैं तो प्रेक्टिकल करके बता सकता हूँ अगर तू चाहे तो। मेरी एक गर्ल फ़्रेंड है उसे बोल दूँगा वो रोल प्ले कर देगी मेरी दुल्हन का। बोल इंतज़ाम करूँ?
जय: पर मैं कैसे देखूँगा? मतलब तुम दोनों को शर्म नहीं आएगी? और फिर तुम अपनी पत्नी को धोका भी तो दोगे?
मंगेश: बाप रे इतने सवाल !! तुम उसी कमरे में कुर्सी में बैठ कर देखोगे। हमको कोई शर्म नहीं आएगी। और हाँ शादी के बाद थोड़ा बहुत ये सब चलता है। ये लड़की नर्गिस मुझसे हफ़्ते में एक बार तो चुदवाती ही है।
जय हैरान होकर: उसी कमरे में ? क्या यार मुझे शर्म आएगी।
मंगेश: मैं शर्त लगाता हूँ कि तुम भी मज़े में आकर मेरे सामने उसे चोदोगे। तो बताओ कब का प्रोग्राम रखें?
जय: कल दोपहर का रख लो।
मंगेश: चलो उसको पूछता हूँ, वो भी फ़्री होनी चाहिए। उसने नर्गिस को फ़ोन लगाया और स्पीकर मोड में डाल दिया। मंगेश: कैसी हो मेरी जान?
नर्गिस: बस ठीक हूँ , आज कैसे मेरी याद आइ?
मंगेश: यार तुमको मेरे एक दोस्त की मदद करनी है। वो शादी कर रहा है। तुम्हें उसके सामने मेरी बीवी बनकर मेरे साथ सुहाग रात मनानी होगी। बोलो ये रोल प्ले करोगी?
नर्गिस: याने कि वह ये सब देखेगा?
मंगेश: और क्या ? उसके लिए ही तो कर रहे हैं।
नर्गिस: फिर तो उसे मुझे कोई महँगी गिफ़्ट देनी पड़ेगी।
मंगेश: कैसी गिफ़्ट?
नर्गिस: उसको फ़ैसला करने दो ओर मेरा दिल Apple के फ़ोन पर आया हुआ है।
मंगेश ने प्रश्न सूचक निगाहों से जय को देखा तो वो हाँ में सिर हिला दिया। मंगेश: ठीक है ले लेना। तो फिर कल १२ बजे मिलें तुम्हारे घर पर?
नर्गिस: ठीक है आ जाओ। यह कहकर उसने फ़ोन काट दिया।
फिर वो दोनों कल मिलने का तय करके वापस अपने दुकान आ गए।
जय ने डॉली को फ़ोन किया: देखो तुम्हारे साथ सुहाग रात कितनी महोंगी पड़ी अभी से । वो लड़की जो सुहागरत में दुल्हन की ऐक्टिंग करेगी मेरे दोस्त के साथ उसे एक स्मार्ट फ़ोन ख़रीद कर देना पड़ेगा।
डॉली: ओह तो आपने इंतज़ाम कर ही लिया? मुझे तो लगता है कि कल आपका भी उस लड़की के साथ सब कुछ हो ही जाएगा।
जय: सवाल ही नहीं पैदा होता। मैंने अपने कुँवारेपन को तुम्हारे लिए बचा के रखा है मेरी जान। सुहागरात में हम दोनों कुँवारे ही होंगे। ठीक है?
डॉली: देखते है कल के बाद आप कुँवारे रहते भी हो या नहीं।
जय: देख लेना। फिर दोनों ने फ़ोन रख दिया।
शाम को जय ज़रा जल्दी घर आ गया और फिर रचना और राज के साथ सब उस होटेल गए जहाँ शादी होनी थी। रचना ने मिनु फ़ाइनल किया और सजावट की भी बातें मैनेजर को समझाईं। फिर वो सब वहाँ डिनर किए। सबने ख़ूब बातें की और राज ने पारिवारिक सुख का बहुत दिन बाद आनंद लिया। रचना भी सलवार कुर्ते में बहुत प्यारी लग रही थी। जय भी काफ़ी हैंडसम था और राज को अपने बच्चों के ऊपर घमंड सा हो आया। जय रचना को जिजु की बातें करके छेड़ रहा था। सब हंस रहे थे और मज़े से खाना खा रहे थे। घर आकर सब सोने चले गए।
फिर रचना अलग होकर अपना समान उठाने लगी और फिर से उसकी आधी छातियाँ उसके सामने झूल गयी थीं साथ ही उसकी गाँड़ की दरार भी फिर से उसकी आँखों के सामने थी। इस बार तो जय की भी आँखें उसके जवान बदन पर थीं।
फिर सब बाहर आए और जय ने कार में सामान डाला और कार चलाकर घर की ओर चल पड़ा। राज और रचना पीछे की सीट पर बैठे थे। रचना ने राज का हाथ अपने हाथ ने ले लिया और बोली: पापा। आप माँ को बहुत मिस करते होगे ना?
राज की आँखों के आगे रश्मि और शशी का नंगा बदन आ गया। वो सोचने लगा कि मेरे जैसा कमीना उसको क्या मिस करेगा? पर वह बोला: हाँ बहुत याद आती है उसकी। एकदम से मुझे अकेला छोड़ गयी वह।
रचना: पापा , मुझे भी मॉ की बहुत याद आती है। ये कहते हुए उसकी आँख भर आइ और वो अपना सिर राज के कंधे पर रखी । अब उसकी एक छाती राज की बाँह से सट गयी थी। राज के बदन में उसकी मस्त और नरम छाती का अहसास उसे फ़िर से उत्तेजित करने लगा। रचना के बदन से आती गन्ध भी उसे पागल करने लगी। उसने देखा कि रचना की आँखें बन्द थीं और राज ने उसका फ़ायदा उठाते हुए अपनी पैंट में लौंडे को ऐडजस्ट किया। अब वह अपनी बाँह उसके कंधे पर ले गया और उसे शान्त करने लगा। उसका हाथ उसकी छाती के बहुत क़रीब था। तभी वह अपनी आँख खोली और जय को बोली: और मेरे भय्या का क्या हाल है। शादी के लिए रेडी हो गए हो ना? ये कहते हुए वह आगे को झुकी और राज का हाथ उसकी छाती से टकराया। राज ने अपना हाथ नहीं हटाया और रचना ने भी ऐसा दिखाया जैसे उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
थोड़ी देर तक वो जय और राज से अब तक की तैयारियों का अपडेट ली और बोली: बाप रे, अभी बहुत काम बाक़ी है। चलो अब मैं आ गयी हूँ , अब सब ठीक कर दूँगी। कहते हुए वह राज का हाथ जो उसकी छाती को छू रहा था , उसे अपने हाथ में लेकर वह उसे चूम ली और बोली: पापा आइ लव यू।
राज ने भी उसे अपने से सटाकर कहा: बेबी आइ लव यू टू।
जय: दीदी मेरा क्या? मुझसे कोई प्यार नहीं करता क्या?
दोनों हँसने लगे और बोले: वी लव यू टू ।
तभी वह सब घर पहुँच गए।
घर पहुँचने पर शशी ने सबको नाश्ता कराया और सब चाय पीते हुए बातें करने लगे। शादी की तैयारियाँ बहुत डिटेल में डिस्कस हुई। फिर रचना बोली: मैं अभी सोऊँगी बहुत थक गयीं हूँ। शाम को हम होटेल जाकर मिनु फ़ाइनल करेंगे।
जय: और खाना भी वहीं खा लेंगे। ठीक है ना पापा?
राज: बिलकुल ठीक है, रचना के आने का सेलब्रेशन भी हो जाएगा।
रचना: पापा मेरा कमरा ठीक है ना?
शशी: जी आपका कमरा बिलकुल साफ़ और तैयार है।
फिर रचना उठी और एक बार उसकी गाँड़ की दरार राज और जय की आँखों के सामने थीं। इस बार राज से रहा नहीं गया और वह बोला: बेटी, इस तरह की पैंट क्यों पहनती हो? पीछे से पूरी नंगी हो रही हो।
वो हँसकर बोली: पापा आपने तो मुझे पूरा नंगा देखा है, आपको क्या फ़र्क़ पड़ता है। पर अब मैं इंडिया में ऐसे कपड़े नहीं पहनूँगी। ठीक है ना?
राज ने उसकी कमर सहला कर कहा: ठीक है बेटी, जाओ अब आराम कर लो। वह शशी के साथ चली गयी।
थोड़ी देर में जय भी दुकान चला गया। क़रीब आधे घंटे के बाद शशी राज के कमरे में आइ और मुस्कुरा कर बोली: आपको शर्म नहीं आती , अपनी बेटी की गाँड़ को घूरते हुए।
राज बेशर्मी से बोला: वह भी तो अपनी गाँड़ दिखाए जा रही थी। मेरी क्या ग़लती है? उसने अपना लौंडा दबाकर बोला: देखो इस बेचारे की क्या हालत ही गयी है ?
शशी हँसती हुई बोली: ये और बेचारा? इसका बस चले तो यह रचना की गाँड़ में भी समा जाता।
राज ने अपनी पैंट उतारी और चड्डी भी उतारा और शशी को लौड़ा चूसने का इशारा किया। शशी उसके लौंडे को सहलाकर बोली: आपको पता है रचना ने अपनी पैंट और टॉप उतार दिया है और सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में सो रही है। देखना है क्या?
राज के लौंडे ने ये सुनकर झटका मारा और राज बोला: सच में ? मगर उसने चद्दर ओढ़ी होगी ना? दिखेगा थोड़ी?
शशी उसके लौंडेको चूसते हुए बोली: उसे बहुत गरमी लगती है इसलिए उसने कुछ भी नहीं ओढ़ा है।
राज उठते हुए बोला: चलो वहीं चलते हैं, उसे देखते हैं की जवान होकर वह अब कैसी दिखती है?
वो दोनों उसके कमरे की खिड़की के पास आकर पर्दा हटाकर झाँके और आऽऽऽह सामने रचना ब्रा और पैंटी में करवट लेकर सोयी हुई थी। ब्रा से उसकी बड़ी छातियाँ आधी बाहर दिखाई दे रही थीं। उसका नंगा गोरा पेट और उसकी गदराइ जाँघें भी बहुत मादक दिख रही थीं। उसका मुँह खिड़की की तरफ़ था। शशी धीरे से बोली: मज़ा आ रहा है ना? राज ने उसकी गर्दन पकड़ी और उसको अपने घुटनों पर झुका दिया और वह उसके लौंडे को चूसने लगी। राज रचना को देखते हुए शशी के मुँह को चोदने लगा। उसकी कमर हिले जा रही थी और अब शशी ने भी डीप थ्रोट से चूसना शुरू कर दिया था। वह अपनी जीभ से उसके मोटे सुपाडे को भी रगड़ रही थी। उसके बॉल्ज़ को भी चाटे जा रही थी।
तभी अचानक राज की नज़र ड्रेसिंग टेबल के शीशे पर पड़ी और वहाँ उसे शीशे में रचना की मोटी मोटी गाँड़ दिखाई दे गयी। आऽऽऽऽऽऽह क्या मस्त गदराइ हुई गाँड़ थीं। दोनों चूतड़ मस्त गोरे और नरम से दिख रहे थे और उनके बीच में एक छोटी सी पट्टी नुमा रस्सी थी जो गाँड़ की दरार में गुम सी हो गयी थी। क्या दृश्य था और राज अब ह्म्म्म्म्म्म करके शशी के मुँह में झड़ने लगा। शशी ने उसका पूरा रस पी लिया।
अब राज वहाँ से हटा और अपने कमरे में आ गया। अब जब उसकी वासना का ज्वार शान्त हो चला था तो उसे अपने आप पर शर्म आयी और वह सोचने कहा कि कितनी गंदी बात है, वो अपनी प्यारी सी शादीशुदा बेटी के बारे में कितना गंदा सोच रहा है। उसने अपने सिर को झटका और फ़ैसला किया कि ऐसे गंदे विचार अब अपने दिमाग़ में नहीं आने देगा आख़िर वो उसकी इकलौती बेटी है। अब उसे थोड़ा अच्छा महसूस हुआ और वो शादी के बजट वग़ैरह की योजना बनाने में लग गया। तभी शशी आइ और बोली: तो कब चोदोगे अपनी बेटी को?
राज: देखो शशी, आज जो हुआ सो हुआ । अब हम इसकी बात भी नहीं करेंगे। वो मेरी बेटी है और मैं उसे कैसे चोद सकता हूँ? ठीक है ?
शशी हैरान होकर: ठीक है साहब जैसा आप चाहें।
अब राज अपने काम में लग गया।
जय ने दुकान से डॉली को फ़ोन किया: कैसी हो मेरी जान।
डॉली: ठीक हूँ। आज बड़े सबेरे फ़ोन किया सब ख़ैरियत?
जय: सब बढ़िया है। आज दीदी भी आ गयीं हैं। अब शादी की रौनक़ लगेगी घर पर। और तुम्हारे यहाँ क्या चल रहा है?
डॉली: सब ठीक है, मम्मी और ताऊजी टेन्शन में हैं शादी की।
जय: अरे सब बढ़िया होगा। मैं मम्मी को फ़ोन कर देता हूँ कि टेन्शन ना लें।
डॉली: प्लीज़ कर देना उनको अच्छा लगेगा। अरे हाँ मेरी सहेलियाँ पूछ रहीं थीं कि हनीमून पर कहाँ जा रही हूँ? क्या बोलूँ?
जय: बोलो कहाँ जाना है?
डॉली: आप बताओ मुझे क्या पता?
जय : मुझे तो शिमला जाने का मन है या फिर गोवा चलते हैं। तुम बताओ कहाँ जाना है?
डॉली: गोवा चलते हैं। वैसे मेरी एक सहेली बोली की कहीं भी जाओ , एक ही चीज़ देखोगी और कुछ देखने को तो मिलेगा नहीं। मैंने पूछा कि क्या देखने को मिलेगा? तो वो जानते हो क्या बोली?
जय: क्या बोली?
डॉली: वो बोली कि होटेल के कमरे का पंखा देखोगी और कुछ नहीं।
जय हैरानी से: क्या मतलब ? होटल का पंखा?
डॉली हँसने लगी और बोली: आप भी बहुत भोले हैं जी। मतलब मैं बिस्तर में पड़ी रहूँगी और आप मेरे ऊपर रहोगे और मैं सिर्फ़ पंखा ही देखूँगी।
अब बात जय को समझ में आइ और वो हँसने लगा और बोला: हा हा , क्या सोचा है। कोई इतना भी तो नहीं लगा रहता है दिन रात इस काम में। हा हा गुड जोक।
वैसे मुझे भी लगता है कि शायद तुम पंखा ही देखोगी। ठीक है ना?
डॉली हंस कर: मैं तो जाऊँगी ही नहीं अगर सिर्फ़ पंखा ही दिखाना है। वैसे भी पार्क में जो उस दिन आपका बड़ा सा देखा था, वह अभी भी सपने में आता है और मेरी नींद खुल जाती है उस दर्द का सोचकर जो आप मुझे सुहाग रात में देने वाले हो।
जय हँसकर: मैं कोई दर्द नहीं देने वाला हूँ। तुम भी बेकार में ही डरी जा रही हो। वैसे हम सुहाग रात में करेंगे क्या? मुझे तो कोई अनुभव ही नहीं है। चलो कुछ दोस्तों से पूछता हूँ कि कैसे और क्या करना होगा?
डॉली: हाँ ये भी पूछ लेना कि बिना दर्द के ये काम कैसे होता है।
जय: क्या तुम भी ? बस एक दर्द का ही क़िस्सा लेकर बैठी हो। एक बात बोलूँ, दीदी से पूछ लूँ क्या?
डॉली: छी वो तो एक लड़की हैं , उनसे कैसे पूछोगे? वैसे आपने बताया था कि आपने ब्लू फ़िल्मे देखीं हैं तो वहीं से सीख लो ना।
जय: अरे उसमें तो सब उलटा सीधा दिखाते हैं, एक बात बोलूँ मैं दीदी से बात करता हूँ और तुमको भी फ़ोन पर ले लेता हूँ। चलेगा?
डॉली: छी कुछ भी बोलते हो? बिलकुल नहीं, मैं तो मारे शर्म के मर ही जाऊँगी। आप अपने दोस्तों से ही पूछ लो।
जय: चलो दोस्तों से ही पूछता हूँ। तो फिर गोवा पक्का ना, बुकिंग करा लूँ।
डॉली: हाँ करवा लीजिए। पर कमरे में पंखा नहीं होना चाहिए सिर्फ़ एसी होना चाहिए। हा हा ।
दोनों हँसे और फ़ोन रख दिया।
जय ने सुहाग रात की डिटेल जानने के लिए अपने दोस्त मंगेश को फ़ोन किया। उसकी पास ही अनाज की दुकान थी और उसकी शादी को १ साल हो चुका था।
मंगेश: वाह आज इतने दिन बाद कैसे याद आइ?
जय: बस ऐसे ही , अगर बहुत व्यस्त ना हो तो चलो कॉफ़ी पीते हैं।
फिर वो और मंगेश कॉफ़ी हाउस में मिले और कुछ इधर उधर की बातें करने के बाद जय बोला: यार अगले हफ़्ते मेरी शादी है, और मुझे सच में सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं आता। थोड़े टिप्स दे देना यार।
मंगेश हँसते हुए: तू भी इतना बड़ा हो गया है और बच्चों के जैसी बातें करता है।अरे ब्लू फ़िल्म तो देखा होगा ना अगर चुदाई नहीं की है तो। देख भाई मैंने तो शादी के पहले ही तीन लड़कियाँ चोद रखीं थीं सो मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। तू भी किसी को चोद ले आजकल में और फिर मना सुहागरत मज़े से ।
जय : नहीं ये मैं कभी भी नहीं करूँगा। यार तू बता ना कि कैसे शुरू करते हैं ?
मंगेश: मैं तो प्रेक्टिकल करके बता सकता हूँ अगर तू चाहे तो। मेरी एक गर्ल फ़्रेंड है उसे बोल दूँगा वो रोल प्ले कर देगी मेरी दुल्हन का। बोल इंतज़ाम करूँ?
जय: पर मैं कैसे देखूँगा? मतलब तुम दोनों को शर्म नहीं आएगी? और फिर तुम अपनी पत्नी को धोका भी तो दोगे?
मंगेश: बाप रे इतने सवाल !! तुम उसी कमरे में कुर्सी में बैठ कर देखोगे। हमको कोई शर्म नहीं आएगी। और हाँ शादी के बाद थोड़ा बहुत ये सब चलता है। ये लड़की नर्गिस मुझसे हफ़्ते में एक बार तो चुदवाती ही है।
जय हैरान होकर: उसी कमरे में ? क्या यार मुझे शर्म आएगी।
मंगेश: मैं शर्त लगाता हूँ कि तुम भी मज़े में आकर मेरे सामने उसे चोदोगे। तो बताओ कब का प्रोग्राम रखें?
जय: कल दोपहर का रख लो।
मंगेश: चलो उसको पूछता हूँ, वो भी फ़्री होनी चाहिए। उसने नर्गिस को फ़ोन लगाया और स्पीकर मोड में डाल दिया। मंगेश: कैसी हो मेरी जान?
नर्गिस: बस ठीक हूँ , आज कैसे मेरी याद आइ?
मंगेश: यार तुमको मेरे एक दोस्त की मदद करनी है। वो शादी कर रहा है। तुम्हें उसके सामने मेरी बीवी बनकर मेरे साथ सुहाग रात मनानी होगी। बोलो ये रोल प्ले करोगी?
नर्गिस: याने कि वह ये सब देखेगा?
मंगेश: और क्या ? उसके लिए ही तो कर रहे हैं।
नर्गिस: फिर तो उसे मुझे कोई महँगी गिफ़्ट देनी पड़ेगी।
मंगेश: कैसी गिफ़्ट?
नर्गिस: उसको फ़ैसला करने दो ओर मेरा दिल Apple के फ़ोन पर आया हुआ है।
मंगेश ने प्रश्न सूचक निगाहों से जय को देखा तो वो हाँ में सिर हिला दिया। मंगेश: ठीक है ले लेना। तो फिर कल १२ बजे मिलें तुम्हारे घर पर?
नर्गिस: ठीक है आ जाओ। यह कहकर उसने फ़ोन काट दिया।
फिर वो दोनों कल मिलने का तय करके वापस अपने दुकान आ गए।
जय ने डॉली को फ़ोन किया: देखो तुम्हारे साथ सुहाग रात कितनी महोंगी पड़ी अभी से । वो लड़की जो सुहागरत में दुल्हन की ऐक्टिंग करेगी मेरे दोस्त के साथ उसे एक स्मार्ट फ़ोन ख़रीद कर देना पड़ेगा।
डॉली: ओह तो आपने इंतज़ाम कर ही लिया? मुझे तो लगता है कि कल आपका भी उस लड़की के साथ सब कुछ हो ही जाएगा।
जय: सवाल ही नहीं पैदा होता। मैंने अपने कुँवारेपन को तुम्हारे लिए बचा के रखा है मेरी जान। सुहागरात में हम दोनों कुँवारे ही होंगे। ठीक है?
डॉली: देखते है कल के बाद आप कुँवारे रहते भी हो या नहीं।
जय: देख लेना। फिर दोनों ने फ़ोन रख दिया।
शाम को जय ज़रा जल्दी घर आ गया और फिर रचना और राज के साथ सब उस होटेल गए जहाँ शादी होनी थी। रचना ने मिनु फ़ाइनल किया और सजावट की भी बातें मैनेजर को समझाईं। फिर वो सब वहाँ डिनर किए। सबने ख़ूब बातें की और राज ने पारिवारिक सुख का बहुत दिन बाद आनंद लिया। रचना भी सलवार कुर्ते में बहुत प्यारी लग रही थी। जय भी काफ़ी हैंडसम था और राज को अपने बच्चों के ऊपर घमंड सा हो आया। जय रचना को जिजु की बातें करके छेड़ रहा था। सब हंस रहे थे और मज़े से खाना खा रहे थे। घर आकर सब सोने चले गए।