Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला - Page 15 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला

भैया ने एक कदम और बढ़ाया और मेरे रूम में अंदर आ गये, मैने कंबल को अपनी गर्दन तक उपर खींच लिया. मुझे उस वाइब्रटर के अभी भी मेरी चूत में घुसे होने से हल्का हल्का दर्द हो रहा था, लेकिन मैने भैया की तरफ अपना ध्यान केंद्रित किया. हालाँकि ये आसान नही था, क्यों कि मेरे अपने आप झड्ने के इस पूरे कार्यक्रम की फॅंटेसी में वो भी शामिल थे. मेरा गुर्राने का मन हुआ..

"ह्म?" मैने सवाल भरी आवाज़ निकाली.

भैया एक कदम और मेरे पास आ गये, मेरे बेड के और ज़्यादा करीब. मैने एक गहरी साँस ली, और अपने आप पर और अपनी भावनाओं पर काबू करने का प्रयास करने लगी. वो थोड़ा और करीब आ गये, वो अब मेरे से बस कुछ ही फीट की दूरी पर थे. फिर वो बोले, “मुझे पता नही पिछले कुछ समय से कैसे अजीब अजीब सपने आ रहे हैं.”

ओह? मुझे कुछ समझ में नही आया कि क्या कहूँ. मेरे शरीर में गुदगुदी हो रही थी. सब कुछ उल्टा पुल्टा लग रहा था. लेकिन भैया मेरे से बात करना चाहते थे, इसलिए मैने अपनी भावनाओं पर किसी प्रकार काबू रखा. और फिर बोली, “ किस तरह के सपने?”

भैया मेरे और नज़दीक आ गये, और मेरे बेड के निचले हिस्से से अब उनका पैर छू रहा था. वो शून्य में ताक रहे थे. जब वो बोले, तो बड़ी शांति से उन्होने जवाब दिया, “ऐसे सपने जो कि मुझे नही आने चाहिए.”

मैने बस ओके कहा, मैं चाहती थी कि वो अपने आप मुझे और ज़्यादा बतायें. 

"आइ'म सॉरी, मैने तुम को जगा दिया संध्या," वो एक मिनिट बाद बोले.

मैने अपने कंधे उन्च्काये और बोली, “कोई बात नही, वैसे भी मैं सो नही रही थी.” क्या उनको पता था कि उनके आने से पहले मैं अपने छूट में वाइब्रटर घुसा के झड्ने की कोशिश कर रही थी. 

धीरज भैया मुस्कुराए, और बेड पर मेरे पैरों के पास बैठ गये. वो अभी भी शून्य में ताक रहे थे, शायद वो सोच रहे थे कि आगे क्या बोलूं, या कैसे बोलूं. मैं थोड़ा उपर खिसक कर बैठ गयी, और उनको देखने लगी. ये सब क्या हो रहा था? क्या वो मुझे बताने वाले थे कि वो चुदाई के सपने देख रहे हैं. 

"आपने सपने में क्या देखा?" मैने पूछा

भैया ने बहुत देर तक कोई जवाब नही दिया. उन्होने अपना मूँह खोला, और फिर बिना कुछ बोले बंद कर लिया, उनके चेहरे पर शिकन आ गयी थी. वो क्या नही बोल पा रहे थे? वो जो कुछ भी था, मुझे बता सकते थे. मैने उनको बोलने के लिए उकसाया, “अब बोलो भी भैया.”

धीरज भैया ने एक गहरी साँस ली, और बोले, “सेक्स.”

"हां, मुझे मालूम है," मैने बिना कुछ सोचे जवाब दिया.

उन्होने अपना सिर मेरी तरफ घुमाया, और बोले, “तुमको मालूम है?”

शिट! मेरे कुछ समझ में आया कि अब क्या करूँ, मैं बोली, “हां मैने आवाज़ें सुनी थी.”

"ओह," वो बोले, और दूसरी तरफ देखने लगे. मेरे रूम में रोशनी थोड़ी हल्की थी, इसलिए मालूम नही पड़ था कि शरम से उनका चेहरा लाल हो चुका है या नही. लेकिन शायद हो चुका था.

"सॉरी," मैं बोली. "मुझे इस से कोई फरक नही पड़ता, मेरा मतलब, मुझे नही लगता इसमे कुछ ग़लत है .” मैने उनकी शरम को कम करने की कोशिश की. 

भैय ने मेरी तरफ देखा. "तुमने क्या कुछ देखा?"

आह शिट, मैं इस बात को आगे नही बढ़ाना चाहती थी. “उः मैने कुछ नही देखा. बस तुम्हारी आवाज़ें सुनी थी, और मैने अनुमान लगाया कि तुम सेक्स कर रहे हो. मैने उसको नज़र अंदाज कर दिया.” मेरी इन बातों में काफ़ी कुछ झूठ था, लेकिन मैं और कर भी क्या सकती थी. 

"अच्छा, मुझे तो ये सुनकर शरम आ रही है," भैया बोले.

मैने अपने कंधे उँचका दिए. “तुमको शरम नही आनी चाहिए,” मैं बोली, ये सोच कर कि अभी भी मेरी चूत में डिल्डो घुसा हुआ है. ये सोच कर मैं मंद मंद मुस्कुरा उठी.

"ऐसा तुम क्यों कह रही हो?" उन्होने पूछा.

मैने एक गहरी साँस ली. मैं बातों के इस सेन्सिटिव टॉपिक को चेंज करना चाहती थी, लेकिन मैं असफल हो रही थी. और अब मैं निर्णायक स्थिति में पहुँच चुकी थी. क्या मैं झूठ बोलूं और भैया को सोने के लिए वापस भेज दूं, या फिर सब कुछ सच सच बता दूं, और भगवान से सब कुछ ठीक करने की प्रार्थना करूँ. 

मैने सच बोलना ही बेहतर समझा. 

"उः, तुमको शरम नही आनी चाहिए भैया क्यों कि..." मैं आगे कुछ नही बोल पाई. मैं उनको ये सब कैसे बता सकती थी कि मैं अभी अभी क्या कर रही थी. भैया मेरी तरफ एकटक देख रहे थे, और जब तक देखते रहे, जब तक मैने धीरे से बोला, "मैं भी सेक्स के ही सपने ही देख रही थी."
 
भैया की आँखों में चमक आ गयी, और वो पूरी तरह खुल गयी. फिर उन्होने पूछा, “तो फिर वो वाइब्रटर की ही आवाज़ थी, जो मैने सुनी थी.”

मैने अपनी आँखें बंद कर ली, और मूँह में आए थूक को अंदर सटक लिया. मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. बिना कुछ सोचे, मैने अपने एक हाथ नीचे ले जाकर, डिल्डो को थोड़ा सा अड्जस्ट करने का प्रयास किया. मैने कोशिश की भैया को इस बात का पता ना चले, या वो ऐसा करते मुझे देख ना लें. लेकिन रूम में इतना कम उजाला था, कि उनको शायद ही पता चले. मैने खिसक कर अपने शरीर को भी थोड़ा अड्जस्ट किया. मेरी उंगली उस डिल्डो को नीचे से पकड़ कर, थोड़ा सा हिलाकर अड्जस्ट करने लगी.

लेकिन मेरी किस्मत ही खराब थी, ऐसा करने से वाइब्रटर का पवर बटन दब गया, और बज़्ज़ बज़्ज़ की आवाज़ आने लगी. एक दम मिले इस आनंद से मेरी आँखें बंद होने लगी. किसी तरह मैने उस बटन को ढूँढा और उसको ऑफ किया. आँखें खोलने से पहले मैं बहुत देर तक तेज तेज साँसें लेती रही. 

धीरज भैया की नज़रें मेरी चूत वाली जगह पर थी, और वो आँखें फाड़ फाड़ के उस जगह देख रहे थे. मैने एक गहरी साँस बाहर छोड़ी और बोली, “ओके तो ये तो शरम वाली बात थी.” मेरा चेहरा लाल हो रहा था.

धीरज भैया ने अपना सिर हिलाया और मेरी तरफ देख कर फुसफुसाए, "नही इसमे शरमाने वाली कोई बात नही है." 

मैने अपने कंधे उँचका दिए. मुझे शरम आ रही थी. लेकिन पता नही क्यों मैं उतनी ज़्यादा शर्मिंदा नही थी, जितना कि मुझे होने चाहिए था. “ये एक आक्सिडेंट था,” मैं धीरे से बोली.

भैया दूसरी तरफ देखने लगे, खिड़की की तरफ. वो बोले, “मुझे सपने के बारे में ज़्यादा तो कुछ याद नही, लेकिन संध्या तुम उस सपने में ज़रूर थी.”

हुह? मैं एक दम चौंक गयी. मेरी आँखें खुली की खुली ही रह गयी. मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. क्या भैया मेरी धड़कनों को सुन रहे थे? मेरी चूत में फँसे उस डिल्डो की वजह से मैं छटपटा रही थी. मैं बेहद गरम हो चुकी थी. बहुत ज़्यादा गरम. जब कोई भाई अपनी बेहन से कहे कि वो उसके सपने देखता है, और वो भी सेक्स के, तो आप क्या कहोगे. वैसे भैया ने क्या कहा था? यही कि मैं उनके सपने में थी, लेकिन उन्होने ये नही बताया कि मैं क्या कर रही थी. मैने पूछा “उः, भैया मैं आपके सपने में क्या कर रही थी?”

भैया ने सिर हिलाया, और बोले “पता नही.” 

मुझे समझ में नही आया कि वो सच बोल रहे हैं या झूठ, या फिर इस निषेध विषय पर चर्चा करने से बच रहे थे. उनको इस बात का बिल्कुल पता नही था, कि मैं भी ऐसे ही सपने देख रही हूँ. पता नही हम दोनो क्या कर रहे थे?

मैने अपनी नर्वुसनेस को काबू में करते हुए पूछा, “क्या हम दोनो सेक्स कर रहे थे?”

धीरज भैया ने झट से अपना सिर मेरी तरफ घुमाया. वो कुछ नही बोले, जिस से मेरी धड़कन और ज़्यादा बढ़ गयी. मैने अपनी साँसें रोक ली. फिर वो बोले, “शायद... पता नही... संध्या. मुझे ये सब तुमको नही बताना चाहिए था.” उन्होने फिर से अपने मूँह दूसरी तरफ कर लिया.

मैं अपने होंठ को काटने लगी, और फिर कंबल में से ही अपने पैर के पंजे से भैया के पैर को छूआ. भैया ने मेरे पैर की तरफ देखा. मैं धीरे से बोली, “इट्स ओके भैया. अगर तुम इस बारे में सोच रहे हो तो, मैं अपसेट नही हूँ. 

"क्या सच में तुम अपसेट नही हो?" भैया ने पूछा.

मैने हां में गर्दन हिल दी. भैया ने कनखियों से मुझे देखा, और हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा उठे. हालाँकि, हम दोनो भाई बेहन की लड़ाइयाँ लड़कर ही बड़े हुए थे. लेकिन हम दोनो परिवार में बाकी सब से कहीं ज़्यादा, एक दूसरे के बेहद करीब थे. हम दोनो एक दूसरे की ग़लतियों को भी आसानी से माफ़ कर देते थे. लेकिन इस केस में, मुझे नही लग रहा था कि किसी को माफ़ करने की कोई ज़रूरत थी. जब हम दोनो ने एक ही जुर्म किया था. 

भैया आख़िर में उठ कर खड़े हुए, और डोर की तरफ चल दिए. वो बोले, “चलो अब सो जाओ संध्या. मेरी सपने वाली बातों को सुनने के लिए थॅंक यू.”

मैने फिर से अपना होंठ काटा, और धीरे से बोली, “वेट.”

भैया डोर के पास रुक गये और घूम कर मेरी तरफ देखा. मैं ना जाने क्या बोलने वाली थी, मुझे खुद यकीन नही हो रहा था. लेकिन अपने आप मेरे मूँह से शब्द निकला रहे थे, “क्या आज रात मेरे पास रुकोगे?”

भैया ने चेहरा बनाया, वो थोड़ा कन्फ्यूज़ हो गये. "तुम्हारे साथ रुकू?" उन्होने पूछा.

मेरे चेहरे पर खून दौड़ आया. मैं कुछ बोल ना पाई, बस अपनी गर्दन हिला दी. 

भैया के चेहरे पर कन्फ्यूषन और शिकन जल्द ही दूर हो गयी, और वो मेरे पास आने लगे. मैने पहली बार ध्यान दिया कि उन्होने सफेद टी शर्ट और स्वेट पॅंट पहन रखी थी. जब वो मेरे बेड की साइड पर आ गये, मुझे शरम आने लगी. मैने अपने सगे बड़े भैया को अपने बेड में आमंत्रित किया था. हालाँकि, इसमे कोई बुराई नही थी. मैने उनको सेक्स करने के लिए तो बुलाया नही था. लेकिन जिस तरह से अभी अभी उन्होने जो कुछ स्वीकार किया था, उसके बाद सब कुछ बदल चुका था.

धीरज भैया ने मेरी तरफ देखा, और फिर बेड की तरफ, और अपनी आइब्रो उपर की तरफ की. मैने हां में सिर हिलाया, और भैया कंबल के अंदर घुस आए. तभी भैया के स्वेटपेंट का कॉटन वाला कपड़ा मेरी नंगी टाँगों को छूने लगा, तभी मुझे एहसास हुआ कि मैने नीचे कुछ पहन ही नही रखा था. हां मैं नंगी थी, और मेरी चूत में डिल्डो फँसा हुआ था.

इस सब की वजह से क्या कुछ हो सकता है, ये सोचकर मैने अपनी आँखें बंद कर ली. और मैं अपने साए बड़े भाई के साथ बेड पर लेटी हुई थी. मैने नीचे से आधी नंगी थी, और वाइब्रटर मेरी टाँगों के बीच मेरी चूत में घुसा हुआ था. और उपर से, अभी अभी भैया ने मेरे सामने स्वीकार किया था, कि वो मेरे साथ सेक्स के सपने देखते हैं. आज राज कुछ रोचक होने वाला था.


मुझे एक और बात का एहसास हो रहा था, कि भैया का इस तरह मेरे पास लेटना मुझे अच्छा लग रहा था. भैया के शरीर में गर्माहट थी, हालाँकि हम दोनो के शरीर बस थोड़ा सा ही टच कर रहे थे, लेकिन मैं उस गरमाहट को महसूस कर रही थी. मेरा बेड 4 बाइ 6 फीट का था, इसलिए वो इतना बड़ा था कि हम दोनो को ज़्यादा पास होने की ज़रूरत नही थी. हालाँकि भैया अभी भी मेरे और करीब आ सकते थे, और मुझे भी इसमे कोई आपत्ति नही होती. लेकिन मैने कुछ भी ना बोलने में ही भलाई समझी. 

धीरज भैया ने ही कुछ बोलकर बात चीत शुरू की. और जो कुछ उन्होने बोला, वो सुनकर मैं काँप उठी. भैया बोले, “तुम अगर चाहो तो वो ख़तम कर सकती हो, जो तुम कर रही थी.” 

"भैया आप कैसी बात कर रहे हो?" मैने पूछा.

मैने कंबल को हिलता हुआ महसूस किया, जैसे ही भैया थोड़ा सा हीले, और बोले, “मैने ये नही कह रहा हूँ कि तुम करो ही, लेकिन अगर तुम करना चाहती हो तो मुझे कोई आपत्ति नही है.”

मैने अपना सिर घुमाकर उनकी तरफ देखा. कमरे में हल्की सी रोशनी थी, लेकिन मैं भैया के सुंदर सा मुखड़ा देख पा रही थी. भैया पीठ के बल लेटे हुए छत की तरफ देख रहे थे, “मैं अगर वो करूँ, तो आप क्या करोगे?”

भैया ने मूँह के अंदर आए थूक को अंदर सटका और बोले, “शायद मैं भी वो ही करूँगा.”

"शायद?" मैने पूछा.

भैया ने अपनी आँखें बंद कर ली, और एक गहरी साँस ली. फिर बोले, “मैं करूँगा, लेकिन यदि तुम चाहो तो नही करूँगा.”

मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. मेरे शरीर में गुदगुदी होने लगी. और तभी मुझे उनका सुझाव पसंद आ गया. मैने फुसफुसा कर कहा, “आइ डॉन’ट माइंड.”

धीरज भैया ने मेरी तरफ करवट ले ली, और मैं भैया की आँखों में देखने लगी, और मेरे अंदर काम वासना जाग कर चरम पर पहुँच गयी. वो बस मुझ से कुछ ही इंच दूर थे. और मैं उनसे कह रही थी, “कर लो भैया.”

धीरज भैया मेरी तरफ कुछ सेकेंड्स तक देखते रहे, और फिर मैने देखा क़ि उन्होने अपनी एलास्टिक वैस्टबंद वाली स्वेट पैंट को नीचे कर के उतार दिया. मैं और भैया अब दोनो नीचे से नंगे थे. और अब दोनो साथ साथ हॅस्ट मैथुन करने वाले थे. एक साथ. 
 
मैने अपनी आँखें बंद कर ली. मैं पहल नही करना चाहती थी, मैं भैया का इंतेजार करने लगी. और तभी मैने वो आवाज़ सुनी, जिसको सुनकर मैं काँप उठी. भैया अपने लंड को हिला रहे थे. मेरी चूत में फँसा हुआ डिल्डो मुझे गरम लगने लगा. बिना कोई देर किए, मैने अपना एक हाथ नीच ले जाकर, उसका बटन दबाकर उसको फिर से ऑन कर दिया.

तुरंत मेरे शरीर में जो आनंद की जो अनुभूति हुई, उसकी मैने कल्पना भी नही की थी. इस से पहले कि मैं अपने आप पर काबू करती, मैं ज़ोर से कराह उठी. मैं भैया को भी कराहते हुए सुन रही थी. भैया मेरे पास ही लेटे हुए थे, लेकिन उन्होने अपने पैर थोड़ा दूर कर लिए थे, इसलिए वो मुझे अब टच नही कर रहे थे. हालाँकि, मैं भैया के शरीर से निकल रही गर्माहट को महसूस कर रही थी. और मैं भैया के तेज़ी से मूठ मारने की आवाज़ को भी सुन रही थी. मैं भैया की तेज चल रही साँसों को भी सुन रही थी, जो अब छोटी होती जा रही थी. मैने महसूस किया, मेरी साँसें भी अब हाँफने का रूप ले चुकी थी. 

मेरे शरीर में आनंद की लहर दौड़ रही थी. मैं जिस तरह पहले झड्ने के बेहद करीब पहुच गयी थी, शायद वो स्थिति फिर से आ गयी थी. मेरा शरीर अकड़ने लगा था. मैने अपना हाथ नीचे ले जाकर, वाइब्रटर को अपनी चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. और तभी मेरे दिमाग़ में सपने वाली वो तस्वीरें घूम गयी. अचानक, मैं सोचने लगी कि भैया मुझे प्यार कर रहे हैं. मैने भैया के मूँह से निकल रही आवाज़ों से अंदाज़ा लगाया, कि वो झडने के बेहद करीब पहुँच चुके हैं. जैसे ही मैने उस डिल्डो को अपनी चूत में पूरा अंदर तक घुसाया, भैया फिर से कराह उठे. मैं कल्पना करने लगी, कि मानो ये डिल्डो ना होकर भैया का असली लंड है, जो मेरी चूत के अंदर घुस रहा है. 

जैसे ही मुझे हक़ीकत का थोड़ा सा एहसास हुआ, मेरी आँखें खुल गयी. मैं कल्पना कर रही थी कि भैया मुझे प्यार कर रहे हैं. मेरे सगे बड़े धीरज भैया. लेकिन इस चीज़ में मुझे कोई बुराई नज़र नही आ रही थी. मुझे ग्लानि होने की अपेक्षा और ज़्यादा उत्तेजना महसूस हो रही थी. मैं ये सोचकर ही झडने के बेहद करीब पहुँच गयी थी. मुझे इस बात का कोई अंदाज़ा नही था, कि अगली सुबह, यानी कल सुबह इस सब का मुझ पर क्या प्रभाव या असर होने वाला है.

लेकिन उस समय, मुझे इन सब बातों की कोई परवाह नही थी. मैं जल्दी से झडन चाहती थी. भैया के मूठ मारने के कारण कंबल ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था, और उनके मूँह से हर कुछ सेकेंड के बाद निकल रही कराहों को मैं सुन रही थी. मैं बेहद गरम हो गयी थी, और मेरे शरीर में अजीब सी लहर का संचार हो रहा था. मैं हाँफ रही थी. भैया के मूठ मारते वक़्त, मेरे हाथ की उंगलियों ने भैया की टाँगों को हल्का सा छुआ, और उनके मूँह से तुरंत आवाज़ निकली “उहनन्न.”

मैं भैया के तेज़ी से चल रहे हाथ की आवाज़ को सुनने लगी. वो फिर से कराह उठे, इस बार थोड़ा ज़ोर से. मुझे एहसास हो गया, कि वो बस झडने ही वाले हैं. मेरी दोनो टाँगों के बीच भी मेरे जल्द ही झडने के संकेत मिलने लगे थे. मैं हान्फ्ते हुए साँस ले रही थी. “उहमम्म,” भैया कराहे. और सच में तभी मुझे उनके लंड से पानी की धार निकलने की आवाज़ सुनाई दी. ऐसी आवाज़ मानो कोई पानी की सतह पर तैर रहा हो. वो अभी भी गुर्रा रहे थे, और अभी भी मूठ मार रहे थे. मैं उनके गुर्राने और हाँफने की आवाज़ सुन रही थी, तभी मुझे अपनी टाँगों पर कुछ ग्राम गरम महसूस हुआ. भैया के लंड से निकाला माल, पानी नुमा था, और वो तुरंत मेरी जांघों पर बहने लगा.

"ओह संध्या, मेरा मतलब...आह! आइ'म सॉरी," भैया मुझसे माफी माँगने लगे, और मुझसे दूर होने लगे. उनके लंड से निकला पानी अब ठंडक देने लगा था, लेकिन मुझे उस सब की कोई परवाह नही थी. 

मुझे अब कुछ नही संभाल सकता था. इसके विपरीत, मेरे शरीर में आग लगी हुई थी. मेरे शरीर में हवस और वासना अपना घर बना चुकी थी, बस अब मुझे झडना था, मेरे मूँह से हल्की सी आहह निकली. ये सब मेरे सहन करने से कहीं ज़्यादा था. मेरे सगे बड़े भैया, मेरे से बस कुछ इंच दूर मूठ मार रहे थे, और झड्ने के बाद अपने लंड से पानी निकाल रहे थे, और उनके लंड की पिचकारी से निकला पानी मेरी टाँगो को गीला कर रहा था. 

मैं वाइब्रटर को अपनी चूत में अंदर घुसा हुआ महसूस कर रही थी, तभी ऐसा लगा मानो जैसे कोई बॉम्ब फुट गया हो. मैं हाँफने लगी, और मेरा शरीर काँपने लगा. मैने अपनी कमर उपर उठा दी, और फिर नीचे कर ली. मेरा शरीर अकड़ने लगा, और मैं इस कदर झडि, जैसा पहले कभी नही झडि थी. मैं निढाल हो गयी. मेरे सारे शरीर में मानो विस्फोट हो रहे थे, और उन विस्फोटों की शुरुआत, मेरी चूत की गहराई से हुई थी. मेरी चूत का दाना मचल रहा था, और उस में से आनंद की तरंगें निकल रही थी, जो उपर तक फैल कर आते हुए मेरी चूंचियों तक आ रही थी. मेरे शरीर में आनंद भरी गुदगुदाहट हो रही थी. मैं एक बार नही एक साथ काई बार एक साथ झड रही थी. मैं अपना होश खो बैठी थी. मेरी चूत ढेर सारा पानी छोड़ रही थी. मैं हाँफ रही थी और ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी. मैने महसूस किया कि मैने एक हाथ से धीरज भैया की बाँह को ज़ोर से पकड़ लिया था, मानो वो मुझे बचा लेंगे. भैया चुपचाप लेटे रहे. 

मेरे शरीर में झड्ते हुए जैसे जैसे मेरी चूत पानी छोड़ती, मेरे शरीर में दौरे से पड़ने लगते. ऐसा तब तक चलता रहा, जब तक मैं पूरी तरह झड कर ठंडी नही पड़ गयी. मैं ज़ोर ज़ोर से साँस ले रही थी. मैने वाइब्रटर को बटन दबाकर ऑफ किया, और चूत में से बाहर निकाल लिया, और फर्श पर फेंक दिया. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था, और ऐसा लग रहा था, कहीं मैं बेहोश ना हो जाऊं. पूरे शरीर में हलचल मची हुई थी. 

"हे भगवान, संध्या," धीरज की हल्की सी आवाज़ से मेरी आँखें खुल गयी. मैने घूमकर उनकी तरफ देखा, भैया मेरी तरफ ही घूर रहे थे. मैने अपने हाथ से पकड़ी हुई बाँह को छोड़ दिया. "मूठ मार कर पानी निकालने में आज जैसा मज़ा आया है, वैसे आज से पहले कभी नही आया,” भैया बोले. 

मैं भी मुस्कुरा दी और बोली, "हां आज कुछ ज़्यादा ही मज़ा आया."

धीरज भैया मेरी तरफ देखकर कुटिलता से मुस्कुराए और बोले, "थॅंक्स फॉर, उः... इन्वाइटिंग मी."

मैं भैया के पास जाकर उनके साथ चिपकाना चाहती थी. लेकिन मुझे डर लग रहा था. इसलिए, मैने उनके उपर झुक कर भैया को गाल पर किस कर लिया, और फुसफुसा कर बोली, "यू'आर वेलकम. गुड नाइट."

हम दोनो जल्दी ही सो गये. मुझे किसी तरह का कोई सपना नही आया, और जब मैं जागी, तो मैने अपने आप को बहुत तरो ताज़ा महसूस किया. और सबसे बड़ी बात, मैने जो कुछ किया था, उस बात की मुझे कोई शरमिंदगी नही थी. मैने धीरज भैया की तरफ देखा, वो अब भी सो रहे थे. भैया के गालों को किस करने के लिए मैं थोड़ा नीचे झुकी, लेकिन गालों की जगह मैने भैया के होंठों को किस कर लिया. ये एक छोटी सी किस थी, लेकिन इस का मेरे अंदर घूमड़ रही भावनाओ से गहरा समबंध था. 

कहीं ना कहीं, मुझे मालूम था, कि अब हम दोनो भाई बेहन के बीच हमेशा के लिए सब कुछ बदलने वाले था. और मुझे नही मालूम था, कि ये बदलाव बेहतर होगा या खराब. मैं भैया को सोता हुआ छोड़कर, बेड से उठ गयी. मैने बाथरूम में जाकर फ्रेश होने और नहाने के बाद, कॉलेज जाने के लिए अपने कपड़े चेंज कर लिए.
 
धीरज भैया अगले दिन थोड़ा जल्दी जाग गये, और किचन में मेरे पीछे आकर खड़े हो गये, जब मैं ब्रेकफास्ट में आलू परान्ठे बना रही थी. भैया ने पीछे से आकर मुझे अपनी बाहों में भर लिया. मुझे उनका ऐसा करना बहुत अच्छा लगा. मैने एक गहरी साँस ली, उस से पहले की मैं कुछ समझ पाती, कि भैया दरअसल कर क्या रहे हैं. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. भैया की मादक गंध में मानो मैं खो ही गयी. ओह शिट... मैं अपने सगे बड़े भाई की गंध का आनंद ले रही थी. और उस गंध से मैं उत्तेजित भी हो रही थी. 

भैया मुझसे कुछ कदम पीछे होकर, मुझसे थोड़ा दूर हो गये, और शायद उनको अंदाज़ा नही हुआ कि मैं कहाँ खोई हुई थी. भैया ने पूछा, “तबीयत तो ठीक है तुम्हारी, संध्या?”

मैने गर्दन हिलाकर हां में जवाब दिया और पूछा, “हां, और आपकी?” 

जब भैया ने कोई जवाब नही दिया, तो फिर मैने पीछे गर्दन घुमाई, और देखा वो मुझे देखकर कुटिलता से मुस्कुरा रहे थे. मैं भी मुस्कुरा उठी. और फिर हम दोनो ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया, और ज़ोर से जकड लिया. भैया की बाहें मेरे कंधों को जकड़े हुए थी. और मेरी बाहों ने भैया की कमर के मध्य भाग को जकड रखा था. मैं अपनी आँखें बंद किए भैया की छाती पर अपना चेहरा रगड़ रही थी. 

जब हम दोनो एक दूसरे हो बाहों मेी लिए वहाँ पर खड़े थे, तब मैं हर पल और ज़्यादा गरम होती जा रही थी. मैं भैया के शरीर से निकल रही मादक गंध को सूंघ रही थी. तभी मैने महसूस किया कि भैया का दिल भी ज़ोर से धड़क रहा है. मैने अपने आप को भैया से और ज़्यादा चिपका लिया. मैं ये जानने के लिए उत्सुक थी, कि भैया का लंड खड़ा है या नही. मेरे दिमाग़ में ना जाने ये ख्याल कहाँ से आया, लेकिन मैं ये पता करने के लिए कुछ ज़्यादा ही उत्सुक हो गयी. मैं भैया के उपर और ज़्यादा झुक गयी. और फिर मैने महसूस किया, हां, भैया का लंड खड़ा हुआ था, भैया के गरम मोटे लंड का मुझे एहसास हुआ. 

मैं थोड़ा पीछे हुई, और उनकी चेहरे की तरफ देखा. भैया भी मेरी तरफ ही देख रहे थे. भैया धीरे से फुसफुसाए, “तुम ये ही चेक कर रही थी ना, कि मेरा लंड खड़ा हुआ है या नही?”

मैने अपने होंठ को दाँतों से काटते हुए अपना सिर हां में हिला दिया. “तो फिर क्या डिसाइड किया?” भैया ने पूछा.

"कुछ पता नही चला," मैने भैया को चिढ़ाते हुए कहा.

"उः हा," भैया बोले.

और फिर उन्होने मुझे किस कर लिया, इस का एहसास मुझे पहले ही हो गया था, और मैने इसका कोई विरोध नही किया. मैने उनको रोकने की कोई कोशिश नही की, मैने कुछ नही किया, और बस उनकी बाहों में पिघलती चली गयी. बहुत मज़ा आ रहा था. भैया बहुत अच्छी तरह से किस कर रहे थे. भैया ने अपनी जीभ का इस्तेमाल किया, लेकिन हल्के धीरे से, उन्होने जीभ को ज़बरदस्ती मेरे मूँह में नही घुसाया. वो अपनी जीभ को मेरे होंठों पर बाहर ही फिराते रहे, और फिर कभी थोड़ा अंदर और बाहर, और फिर आस पास. दोनो के चेहरे थोड़ा सा साइड में झुक गये, और मेरे हाथ अपने आप उपर जाकर भैय के सिर के बालों में उंगलियाँ फिराते हुए, सिर को सहलाने लगे.

धीरज भैया फिर पीछे हट गये, और मैं वहाँ हाँफती हुई खड़ी रह गयी. फिर मैने झिझकते हुए अपने कदम पीछे हटाए, तभी भैया ने मुझे मेरी बाँह पकड़कर मुझे संभाल लिया. किचेन में गॅस स्टोव पर पीछे से आती हुई परान्ठे की खुश्बू ने मेरी ध्यान वर्तमान में खींच लिया. मैं भैया की तरफ से अपना घूमा कर गॅस की तरफ कर लिया. मुझे ऐसा करना पड़ा. अगर मैं भैया की तरफ देखती रहती, तो शायद मैं उनको फिर से किस करने से अपने आप को नहीं रोक पाती.

"मैं अपने आप को ऐसा करने से नहीं रोक पाया," भैया मेरे पीछे से बोले.

मैं कुछ भी बोलने की स्थिति में नही थी, इसलिए मैं चुप ही रही. मैने गॅस पर रखे तवे पर सिक रहे परान्ठे को पलटा और फिर गॅस स्टोव को बंद कर दिया. हम दोनो के लिए परान्ठे बन चुके थे. अच्छा हुआ भैया ने फिर से मुझे फिर से पीछे से मुझे अपनी बाहों में नही भरा. मेरे शरीर में आग लगी हुई थी, और मेरी चूत में अजीब सी खुजली हो रही थी, और मेरी चूत का दाना फड़कने लगा था. मुझे मालूम था, कि यदि भैया ने फिर से कुछ भी किया, तो मेरे अंदर इतनी इच्छा शक्ति नही थी कि मैं फिर कुछ भी होने से रोक पाऊँ. और मेरे दिमाग़ में ये ख्याल आते ही, कि अब भैया के साथ सेक्स को टालना असंभव था, ये सोचकर ही मैं और ज़्यादा गरम हो रही थी. 

मैने अपने और भैया, दोनो की लिए नाश्ते की प्लेट में परान्ठा, आचार और दही लेकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी. हम दोनो ने बिना कुछ बोले, चुप चाप नाश्ता ख़तम किया. नाश्ता ख़तम करने के बाद भैया ने मुझे बताया कि उनको आज किसी पार्टी में जाना है, इसलिए रात को वो थोड़ा लेट आएँगे. 

"तुम कितने बजे तक कोचिंग कॉलेज से आपस आ जाओगी?" भैया ने पूछा.

"लगभग शाम 5 बजे तक," मैने बताया.

"ओके," वो बोले.

"आज बड़ा टाइम का ध्यान रख रहे हो, क्या बात है?" मैने उत्सुकता से पूछा.

भीयया ने अपने कंधे उँचकाते हुए जवाब दिया, "वैसे ही, जस्ट क्यूरियस," वो बोले.

मैने थोड़ी बोल्डनेस दिखाते हुए पूछा, "क्या आज रात फिर से मेरे साथ, मेरे बेड पर सोने का मन कर रहा है?"
 
एक झटके में उन्होने अपनी गर्दन उठा ली, और मुझ घूर कर देखा. फिर उनका चेहरा लाल हो गया. मुझे ये सब देखकर इस बात का संतुष्टि मिली, की ऐसा ही नही है जिसको ऐसे शरमनाक विचार आ रहे हैं. “हो सकता है,” वो बोले.

"आप फ्लर्ट करना बिल्कुल नही जानते भैया," मैने चिढ़ाते हुए कहा.

"तुमको कैसे मालूम कि मैं फ्लर्ट करने की कोशिश कर रहा था?" उन्होने पूछा.

मैने उनकी कमर के नीचे उनके लंड वाले हिस्से को देखा, और फिर उनके चेहरे की तरफ. उनका लंड खड़ा हुआ था. “सब को पता चल रहा है, कुछ छुपा हुआ नही है,” मैने मुस्कुराते हुए जवाब दिया. 

भैया ने अपने खड़े हुए लंड से बने पॅंट के उभार को देखा, और फिर हँसने लगे. “ठीक है, मैं फ्लर्ट कर रहा था. और हां, मैं आशा कर रहा था, कि तुम आज रात फिर से मुझे अपने साथ सोने दोगि.”

शब्दों के हल्के से उलट फेर का मुझ पर गजब का असर हुआ. “पास सोने” से शब्द बदलकर “साथ सोने” के हो चुके थे. बातों का अर्थ बदल चुका था. ये सब सोच कर ही मैं गरम होने लगी. 

"ठीक है, अगर तुम मेरे बेड पर सोते हो तो मुझे कोई परेशानी नही है. लेकिन पार्टी से थोड़ा जल्दी आने की कोशिश करना." मैने नाश्ते की प्लेट्स को उठाकर, बाद में धोने के लिए किचन की सिंक में रख दिया.

"थॅंक्स," वो पीछे से बोले. मैने घूम कर उनकी तरफ देखा. सब कुछ थोड़ा ख़तरनाक होता जेया रहा था. हमारी बातें, एक दूसरे को छूना, किस करना. मेरी शरीर में गर्मी बढ़ती जा रही थी. 

धीरज भैया ने जैसे ही मेरे कंधे पर हाथ रखा, मैं चौंक गई. मेरे शरीर में गजब की लहर सी दौड़ गयी, और मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगी. मुझे एहसास हुआ कि मेरे दिल की धड़कन भी तेज हो चुकी हैं. भैया अपना हाथ नीचे मेरी बाँह तक फिराते हुए ले आए. मैं काँप उठी. उन्होने मेरा हाथ पकड़ लिया, और मुझे गुदगुदी होने लगी. मैं उनकी उंगलियों को मेरी उंगलियों के उपर फिसलते हुए महसूस करने लगी. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैं धीरे धीरे छोटी छोटी साँस ले रही थी, जिस से की कहीं मैं ज़ोर से हाँफने ना लगूँ. 

मेरे पूरे बदन मेी न आग लगी हुई थी. पूरे शरीर में गुदगुदी हो रही थी, ख़ासकर उस जगह, जहाँ वो मुझे छूते थे. मैने उनके दूसरे हाथ को अपनी गर्दन के पीछे महसूस किया. मैं काँप उठी. उन्होने मेरी गर्दन के पीछे से सारे बालों को दूसरी तरफ कर दिया, और जैसे ही वो मेरे करीब आने लगे, मैं उनकी गरम गरम साँसों को महसूस करने लगी. मैं बेतहाशा काँप रही थी. और फिर वो अपने होंठों से मेरी गर्दन के पिछले हिस्से को चूमने लगे. 

मेरी आँखें अपने आप बंद हो गयी. मैने सिंक को सहारे के लिए पकड़ लिया. मेरे सारे शरीर में अजीब सी लहर सी दौड़ रही थी. मैं कराह रही थी, और ऐसा करने से रोकने में मैं असमर्थ थी. मैं भैया के मूँह को गर्दन से कान तक, हल्के से, प्यार से चूमता हुआ महसूस कर रही थी. उन्होने मेरे कान के नीचे की मेरी स्किन को अपने मूँह में भर के चूसना शुरू कर दिया, और मुझे ऐसा लगा मानो मैं अभी झड जाउन्गि. आज से पहले किसी ने मुझे वहाँ पर किस नही किया था. मैने एक ज़ोर की साँस ली.

धीरज भैया ने अपने होंठ दूर कर लिए, और मैं बिन पानी मछली की तरह मचल उठी. फिर भैया मेरे कान में फुसफुसाए, "मैं तुम्हारे साथ प्यार करना चाहता हूँ."

मुझे अपने आप को समझाने की कोई ज़रूरत नही थी, कि मुझे ऐसा करना चाहिए या नही. मेरे अंदर विरोध करने की शक्ति ख़तम हो चुकी थी. भैया की उंगलियाँ अब भी मेरी उंगलियों को छू रही थी, मैने उनका हाथ पकड़ कर अपनी छाती पर ले आई. मैने उनके हाथ को अपनी चूंचियों के उपर दबाया. जैसे ही उनके हाथ ने मेरी निपल को टी-शर्ट के उपर से ही छुआ, मैं काँप उठी. मेरी पैंटी गीली हो चुकी थी. 

धीरज भैया ने फिर से मेरी गर्दन को चूमा, और मुझे तो मानो जन्नत ही मिल गयी हो. फिर वो मुझे मेरे बेडरूम की तरफ खींच कर ले जाने लगे. मैं उनका विरोध करने के लिए बहुत ज़्यादा कमजोर थी, इसलिए जैसा वो चाह रहे थे, मैने उनको वैसा ही करने दिया, और उनके साथ बेड तक जा पहुँची. उन्होने एक झटके में मुझे उठाया, और मुझे बेड पर लिटा दिया. मैं उनको अपने गले से टी-शर्ट उतारते हुए देखती रही. भैया का गठीला शरीर मेरे सामने था, ये सब मुझे और ज़्यादा कामुक बना रहा था. मैं चाहती थी कि वो अपने शरीर को मेरे बदन के उपर ले आयें. मैं उनकी गठीली बाहों को मुझे जकड़ते हुए महसूस करना चाहती थी. 

"मैं भी आप के साथ प्यार करना चाहती हूँ, भैया,"मैं धीरे से फुसफुसाई.


"मैं भी आप के साथ प्यार करना चाहती हूँ, भैया," मैं धीरे से फुसफुसाई.

वो मुस्कुराए और बेड पर मेरे उपर लेट गये. मैने अभी भी कपड़े पहन रखे थे, लेकिन भैया के शरीर से निकल रही गर्माहट मेरी स्किन महसूस कर रही थी. मैं अपने सगे बड़े भाई के साथ प्यार करने का विचार दिमाग़ में आते ही कराह उठी. मैं अपने हाथ भैया की बाहों पर उपर से नीचे तक फिराकार सहलाने लगी, और उनकी मसल्स को फील करने लगी. भैया की बाहों पर हल्के हल्के बालों के रोयें थे, और उनके बाइसेप्स बिल्कुल चिकने थे. मैने उनके उपर अपनी उंगलियाँ फिराने लगी, और उनको नापने लगी. भैया के बाइसेप्स बहुत कठोर और गठीले थे, लेकिन उनके उपर उनकी स्किन बहुत सॉफ्ट थी. वो हार्ड और सॉफ्ट का चक्कर मुझे मन्त्र मुग्ध कर रहा था. और मैं बेहद गरम होती जा रही थी. 

"मुझे प्यार करो भैया," मैं एक बार फिर से कहा, और उनके चेहरे की तरफ देखा.
 
भैया ने मुझे फिर से किस किया. और वो किस मेरी अब तक की सबसे फॅवुरेट किस थी. भैया की जीभ को अपने होंठों के किनारों पर मैं महसूस कर रही थी. मैने भी अपनी जीब निकाल कर थोड़ा सा भैया की जीभ की तरफ बढ़ा दी, और वो दोनो बीच में मिल गयी. भैया की जीभ गरम थी. मुझे लग रहा था, कि मेरे शरीर का टेंपरेचर बढ़ता ही जा रहा है. मैने अपने होंठों को और ज़्यादा खोल दिया, और भैया की जीभ को अपने मूँह के अंदर इन्वाइट करने लगी. उन्होने मेरी जीभ को थोड़ा पीछे धक्का दिया, जिस से उनकी खुद की जीभ मेरे होंठों के अंदर घुस सके. मैं कराह उठी. मैं अपने सगे बड़े भैया की जीभ को अपने मूँह में लेकर, बेहद कामुक हो रही थी. 

मैने अब अपनी गान्ड उपर की तरफ उछालनी शुरू कर दी थी, और अपनी टाँगों के बीच उनके खड़े हुए लंड को भी महसूस कर रही थी. मैं उनके मूँह के अंदर कराही, और अपनी बाँहें उनकी कमर के गिर्द लपेट ली. भैया की कमर भी बहुत गठीली थी. कमर के उपर से हाथ सरकाते हुए मैं अपने हाथ, भैया की स्वेटपॅंट तक ले आई. फिर स्वेटपेंट की एलास्टिक में अपने अंगूठे फँसाकर उसको नीचे करके उतार दिया. जब भैया की पॅंट उतार गयी, तो उनके लंड से निकल रही गर्माहट मुझे और ज़्यादा महसूस होने लगी. भैया ने अपने हिप्स को नीचे करते हुए मेरे उपर आ गये. कपड़े के उपर से ही, भैया के खड़े हुए लंड के छूने का एहसास ने मेरे शरीर में आनंद की तरंगें भेजनी शुरू कर दी. 

मैने साँस लेने के लिए अपना मूँह किस करते हुए से हटा कर दूसरी तरफ कर लिया. इस समय का उपयोग करते हुए मैने अपने हाथों से अपनी टी-शर्ट उतार दी. भैया ने टी-शर्ट को मेरे गले में से निकालने में मेरी मदद की, और उसको उतार कर नीचे फर्श पर फेंक दिया. फिर भैया ने किसी एक्सपर्ट की तरह मेरी आगे के हुक वाली ब्रा के हुक को एक झटके में खोल दिया, और उसको मेरी बाहों में से निकाल दिया. मैं भैया को देख रही थी, और वो मेरी चूंचियों को निहार रहे थे. भैया के चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे. वो मेरी चूंचियों को इस तरह देख रहे थे, मानो वो किसी की चूंचियाँ पहली बार देख रहे हो. 

"तुम्हारे ये दोनो बिल्कुल पर्फेक्ट हैं संध्या," वो फुसफुसा कर बोले.

उस दिन से पहले किसी ने मेरी चूंचियों की तारीफ़ नही की थी. लेकिन जिस तरह से भैया ने कहा उस की वजह से मेरी चूत का दाना फड़कने लगा. मैं भैया के लंड को जल्दी से जल्दी अपने अंदर लेना चाहती थी. मैने अपने हाथ नीचे लेजाकर अपनी पॅंट के बटन को खोलने लगी. जब भैया ने मुझे ऐसा करते हुए देखा, वो मेरी मदद करने लगे. बस कुछ के सेकेंड के बाद, हम दोनो पूर्ण रूप से निर्वस्त्र हो चुके थे. 

धीरज भैया ने अपने हिप्स तो थोड़ा उपर उठाया, अब मैं उनके लंड को महसूस नही कर पा रही थी. लेकिन मुझे मालूम था, कि वो बस मेरी चूत को छूने से कुछ ही इंचों की दूरी पर है. मैने अपना सीधा हाथ नीचे लेजाकर उनके खड़े हुए लंड को पकड़ लिया. वाउ, ये वाकई में बहुत बड़ा था. लेकिन मैं इसको अपनी चूत में अंदर लेना चाहती थी. मैं अपने सगे बड़े भैया के लंड को अपनी चूत में घुसाना चाहती थी. इसलिए मैने भैया के लंड के सुपाडे को अपनी चूत के छेद के मूँह पर रख लिया, और अंदर घुसाने लगी. मेरे बिना कुछ बोले ही, भैया मेरा आदेश समझ गये, और अपनी गान्ड को आगे की तरफ धकेलने लगे.

मैने अपनी नज़रें उपर उठाकर भैया की तरफ देखा, वो भी मेरे चेहरे को ही घूर रहे थे. मैने उनके चेहरे पर से अपनी नज़रें नही हटाई. मैं उनके लंड के सुपाडे को अपनी चूत के मूँह पर महसूस कर रही थी, और हाँफ रही थी. भैया ने अपने आप को आगे धकेलने से रोक लिया. मैने अभी भी उनके लंड को अपने हाथ से पकड़ रखा था. वो इंतेजार कर रहे थे, कि मैं कब शुरुआत करती हूँ. मैने अपनी गान्ड थोड़ी उपर उठाकर, उनके लंड को थोड़ा सा अपनी तरफ धकेला.

उनके लंड का सुपाड़ा मेरी चूत मे घुसने लगा. मुझे तुरंत समझ में आ गया कि अब मुझे दर्द होने वाला है. लेकिन अब पीछे हटाने का कोई सवाल नही था. मैने उनकी तरफ देखकर अपनी गर्दन हिलाकर हामी भरी, और फिर भैया ने आगे की तरफ धक्का मारना शुरू कर दिया. मैने दर्द होने की आशंका से अपनी आँखें बंद कर ली. मेरे शरीर में आनंद का तूफान आ रहा था. भैया ने थोड़ा और अंदर घुसाया, और मुझे अपनी चूत फटती हुई महसूस हुई. लेकिन मुझे आश्चर्य हुआ कि मुझे उतना ज़्यादा दर्द नही हुआ, जितने की मैं आशंका कर रही थी. 

"ऊवू उहह," धीरज भैया एक दम कराह उठे. मैने अपनी नज़रें उठाकर उनकी तरफ देखा, उन्होने अपनी आँखें कस कर बंद कर रखी थी, और वो तेज़ी से साँसें ले रहे थे.

मैने अपने हाथ उठाकर उनकी छाती पर फिराने शुरू कर दिया, और उनकी छाती की मसल्स को सिंकूड़ते और फैलते हुए देखने और महसूस करने लगी. भैया बहुत ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो चुके थे. तभी मुझे लगा, कि शायद वो झडने के बेहद करीब पहुँच चुके हैं. लेकिन उनका लंड को बस अभी 2 इंच ही मेरी चूत के अंदर घुसा था.

तभी मुझे चिंता होने लगी, कि कहीं मैं प्रेग्नेंट ना हो जाऊं. नही, ऐसा नही होना चाहिए! जितना मैं अपने भैया के साथ अचानक बने इस संबंध का मज़ा ले रही थी, उतना ही डर मुझे इस बात का लगने लगा कि प्रेग्नेंट हो गयी तो क्या होगा. सब कुछ बर्बाद हो जाएगा, मैं घबरा गयी.

"भैया!" मैं घबरा कर बोली.

उन्होने अपनी आँखें नही खोली. ऐसा लग रहा था जैसे कि वो बहुत ज़्यादा ध्यान से चुदाई कर रहे हैं, और इस दुनिया में ही नही हैं. मैने उनके कंधे को थपथपाया, फिर वो बोले, “ष्ह्ह... मुझे अपनी बहना की चुदाई करने दो, प्लीज़ एक मिनिट तक कुछ मत बोलो.”

मैने अपना हाथ नीचे लाकर बेड पर रख दिया, और उनकी तरफ देखने लगी. उनकी आँखें अभी भी कस के बंद थी. मैं उनके पेट की मसल्स को सिंकूड़ते और फैलते हुए देखने लगी, फिर उनकी बाहों को , और फिर उनके चेहरे को. उनके अंदर एक अंतर्द्वंद चल रहा था, और मुझे पता नही चल रहा था कि कौन जीत रहा है. मेरी चूत में खुजली मच रही थी, और चिल्ला चिल्ला के मेरा ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी. लेकिन मैं चूत की तरफ ध्यान देने से घबरा रही थी.

तभी अचानक, धीरज भैया थोड़ा आगे हुए, और मैने उनके लंड को अपनी चूत में कयि इंच तक और अंदर घुसता हुआ महसूस किया, ऐसे करते हुए मुझे थोड़ा दर्द भी हुआ. लेकिन उतना ज़्यादा दर्द नही हुआ, जितना कि मैं डर रही थी. लेकिन दर्द से कयि गुना ज़्यादा मज़ा आ रहा था. मैं ज़ोर से कराह रही थी. और फिर मैं अपने सगे भाई के नीचे अपनी गान्ड उछालने लगी. भैया अब झटके नही मार रहे थे, मैं ही उनके लंड को अपने चूत में अंदर बाहर कर रही थी. मेरा अपने उपर कोई नियंत्रण नही था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. "म्म्म्मममममममम," मैं कराह उठी, जैसे ही आनंद की एक लहर मेरे पेट में से दौड़कर उपर की तरफ आई. मेरी चूत का दाना जोरों से फडक उठा.


धीरज भैया भी मेरी चूत में लंड घुसाते हुए कराह उठे. जैसे ही भैया का लंड मेरी चूत में एक इंच और अंदर घुसा, मैं हाँफने लगी. मुझे लगा कि इस से ज़्यादा अब बर्दाश्त नही होगा. उनका लंड वाकई में बहुत बड़ा, लंबा और मोटा था! और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. अपने सगे भाई का लंड अपनी चूत में घुसाकर मुझे जिंदगी का सबसे नया बेहतरीन अनुभव मिल रहा था. मैं कराह रही थी, हाँफ रही थी, और भैया के नीचे लेती हुई काँप रही थी. मैं जल्दी ही झड्ने वाली थी. 

"मैं होने ही वाला हूँ, संध्या," अचानक धीरज भैया फुसफुसाए.

मेरी आँखें अपने आप खुल गयी. हे भगवान, नही! अभी नही! लेकिन तभी मेरे दिमाग़ में पता नही कहाँ से सद्बुद्धि आ गयी ,और मैने भैया को अपने उपर से धकेल कर उपर कर दिया. वो समझ गये, और तभी मैने उनके लंड को अपनी चूत में से फिसल कर बाहर निकलता हुआ महसूस किया. वो एक अलग ही तरह की फीलिंग थी. मेरी चूत उस दिन से पहले कभी इतनी ज़्यादा फैल कर खुली नही थी, इसलिए चूत को सिंकूड कर फिर से रिलॅक्स होने में कुछ सेकेंड्स लगे.


और बस कुछ ही सेकेंड के बाद मैने अपने उपर भैया को कराहते हुए सुना. मैने उपर देखा, तो भैया के होंठ खुले हुए थे. और फिर भैया के लंड से निकले पानी की पहली धार मेरे पेट पर आ कर गिरी, और मेरी नज़र नीचे की तरफ चली गयी. धीरज भैया अपने लंड को हाथ में पकड़ कर हिला रहे थे. मेरा पेट भैया के वीर्य का पानी गिरने से गीला होकर चमक रहा था. जैसे ही उस तरफ देखा, तभी भैया के लंड से निकली वीर्य के पानी की एक और धार मेरे पेट पर आ गिरी. उनके लंड से निकली पिचकारी मेरी चूंचियों के निचले हिस्से तक पहुँच रही थी. भैया के लंड से निकल रहा वो ताज़ा पानी गरम गरम लग रहा था.

जैसे ही उस तरफ देखा, तभी भैया के लंड से निकली वीर्य के पानी की एक और धार मेरे पेट पर आ गिरी. उनके लंड से निकली पिचकारी मेरी चूंचियों के निचले हिस्से तक पहुँच रही थी. भैया के लंड से निकल रहा वो ताज़ा पानी गरम गरम लग रहा था. 
 
मैं भैया के लंड को अपने हाथ से उपर नीचे करते हुए, मूठ मारते हुए निहार रही थी, और तभी उसमे से एक पिचकारी और निकली, और स्लो मोशन में उसका पानी मेरी निपल पर आ गिरा. मैं उसको अचंभित होकर देखने लगी. फिर मैने धीरज भैया के चेहरे की तरफ देखा, वो ज़ोर ज़ोर से हाँफ रहे थे. फिर उन्होने लंड को हिलाना बंद कर दिया, और मेरे उपर लेट गये. मैं उनके वीर्य के लिसलिसे पानी को हम दोनो के बदन के बीच घिसते हुए महसूस कर रही थी. 

भैया ने मुझे फिर से किस करना शुरू कर दिया, लेकिन इस बार बिना अपनी जीभ का इस्तेमाल किए. मेरा बदन अभी भी काँप रहा था, क्यूंकी मैं झडने के बेहद करीब पहुँच चुकी थी. “आइ आम सॉरी संध्या,” भैया मेरे कान में फुसफुसाए. 

"इट'स ओके," मैं बोली. मैं निराश थी लेकिन अपसेट नही थी.

"मुझे तो याद भी नही, मैं इतना अच्छी तरह लास्ट टाइम कब हुआ था" वो बोले.

"इट'स फाइन, सच में," मैने फिर से दोहराया.

"आइ जस्ट... आइ डॉन'ट नो. ना जाने मैने आज कितने महीणों के बाद सेक्स किया है. और फिर तुम इतनी ज़्यादा टाइट जो थी. और उसके उपर से तुम तो तुम ही हो, संध्या मेरी सेक्सी छोटी बेहन. मैने अपने आप पर कंट्रोल ही नही कर पाया. मैं आज से पहले इतना ज़्यादा एग्ज़ाइटेड जिंदगी में पहले कभी नही हुआ” मैं समझ रही थी कि वो क्या कहना चाह रहे हैं, और मैं बस अपना सिर हिला रही थी.

मैने फुसफुसा कर जवाब दिया, "मैं भी वैसा ही फील कर रही थी, भैया. मैं भी आज से पहले इतना ज़्यादा गरम कभी नही हुई थी."

भैया मूँह बनाते हुए बोले, "तुम तो अभी भी गरम हो, क्यों नही हो?" उन्होने पूछा.

मैने हां में अपनी गर्दन हिलाई. "इट'स ओके. आइ'ल्ल बी फाइन," मैं बोली.

"क्या मैं...," वो कुछ पूछना चाह रहे थे.

"क्या भैया, आप क्या?" मैने पूछा.

"मेरा मतलब था, क्या हम आज रात को फिर से ये सब कर सकते हैं? उन्होने जवाब दिया.

मैने अपनी गर्दन आगे की, और भैया को हल्के से होंठों पर चूम लिया. और फिर फुसफुसा कर बोली, "मुझे भी अच्छा लगेगा, अगर हम दोनो आज रात को फिर से करेंगे तो मुझे भी मज़ा आएगा."

भैया मुस्कुराए, और अपना सिर मेरे तकिये पर टिका दिया, और बोले, “आज मेरा ऑफीस जाने का मन नही कर रहा, मैं आज घर पर ही आराम करूँगा.” इतना कहकर उन्होने अपनी आँखें बंद कर ली, और कुछ ही देर में सो गये. मैं सावधानी के साथ बेड से उतरी, जिस से उनकी नींद में खलल ना पड़े, और फिर नहाने के लिए बाथरूम में चली गयी.

जब मैं नहा रही थी, तभी मेरे पास मेरे मोबाइल पर मेरी एक सहेली का फोन आया, वो मुझे शाम को अपनी बर्तडे पार्टी पर बुला रही थी. मैने उसका इन्विटेशन आक्सेप्ट किया और मन ही मन कोचैंग कॉलेज जाने का डिसिशन लिया. मैं जल्दी से तय्यार होकर, अपनी कार से बाहर निकल गयी. मैं भैया के पास एक कागज पर लिख कर छोड़ गयी कि मैं कोचैंग के बाद अपनी फ्रेंड की बर्तडे पार्टी में जाउन्गि, और आने में थोड़ा लेट हो जाउन्गि, इसलिए वो शाम को अपने लिए होम डेलिवरी से खाना माँगा लें, और सो जायें. 

कोचैंग कॉलेज के रास्ते में मैं एक गाइनकॉलजिस्ट के क्लिनिक पर रुकी, और अपने लिए बर्त कंट्रोल पिल्स का प्रिस्क्रिप्षन लिखवाया. डॉक्टर ने प्रिस्क्रिप्षन लिखते हुए ही मुझे बता दिया था, कि ये पिल्स एक हफ्ते बाद काम करना शुरू करेंगी, इसलिए एक हफ्ते तक सावधानी बरतने की ज़रूरत होगी. फिर एक केमिस्ट से बर्त कंट्रोल पिल्स ली, और ई-पिल का भी एक पॅकेट ले लिया, जो की अगले 7 दिनों तक काम आने वाला था. 

मैने कार में बैठकर, पानी की बॉटल उठा कर, सब से पहले वो एक बर्त कंट्रोल पिल की एक गोली खाई. मैने मन ही मन सोचा, कि अगले एक हफ्ते में ज़्यादा से ज़्यादा भैया को बस एक या दो बार ही अंदर होने दूँगी, और उन दिनों उसके बाद ई पिल खा लूँगी. मुझे कॉंडम बिल्कुल पसंद नही हैं, मुझे तो कॉंडम का विचार आते ही, मन में घृणा वाली फीलिंग आने लगती है. और जैसे भैया का लंड इतना बड़ा था, मुझे लगा कहीं कॉंडम पहन कर उनको परेशानी ना हो. भैया के लंड का मेरी चूत में घुसने का ख्याल आते ही मैं सिहर उठी. 

कोचैंग के बाद मैं अपनी सहेली की बर्तडे पार्टी में गयी, और घर लौटते लौटते रात के 11 बज गये. दिन भर मेरे दिमाग़ में बस भैया से चुदाई के ख्याल ही आते रहे, मैं चुदने के लिए आज से पहले इतनी ज़्यादा उतावली, पहले कभी नही हुई थी. 

घर पर पुंचने पर कार पार्क करने के बाद, मैने अपनी घड़ी पर नज़र डाली, रात के 11:15 बज रहे थे. मैं जल्दी से घर का ताला, अपनी चाबी से खोलकर अंदर घुस आई. ऐसा लग रहा था मानो मैं चुदने को बेताब कोई रंडी हूँ, मैं मन ही मन मुस्कुराइ, और तेज़ी से भैया के रूम की तरफ चल पड़ी.

मैं जब भैया रूम के दरवाजे पर पहुँची तो मैं हाँफ रही थी, और मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैने अपने रूम में घुसकर, पीछे से डोर का लॉक कर दिया, और अपने पर्स को उछाल कर फर्श पर दूर फेंक दिया. मैं नही चाहती थी कि भैया को पता चले कि मैं चुदने के लिए इतनी ज़्यादा आतुर हूँ, इसलिए मैं रूम में घुसने के बाद नॉर्मल रहने की कोशिश करने लगी.

जब मैने गौर से देखा, तो धीरज भैया अपने सिर के नीचे दोनो हाथों को रख कर आँखे बंद कर लेटे हुए थे. उन्होने कंबल एक साइड में किया हुआ था, और मैं उनके गठीले नंगे बदन को निहार रही थी. मैं अपने आप पर काबू रखने की स्थिति में नही थी, इसलिए मैने तुरंत अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. 

मेरे आने की आहट सुनकर भैया ने अपनी आँखें खोल दी, और मुझे मेरे कपड़े उतारते हुए देखने लगे. मैने पहले अपनी गले में से निकालकर पानी टी-शर्ट उतारी, फिर अपनी ब्रा को उतारकर दूर फेंक दिया, और फिर अपनी पॅंट को उतारकर फर्श पर फेंक दिया. मैं जब ऐसा कर रही थी, भैया का लंड धीरे धीरे खड़ा होता जा रहा था, ये देख कर मुझे खुशी हो रही थी. 
 
भैया ने बेड के साइड में रखी स्टूल पर से कुछ उठाया. जैसे ही मैं आगे बढ़कर उनके पास पहुँची, मैने देखा कि उन्होने एक कॉंडम उठाया था. मैने अपना मूँह बनाया, और भैया को ऐसे देखने लगी, मानो उन्होने कोई घोर अपराध कर दिया हो. वो तो अच्छा था, कि वो बस एक कॉंडम ही लाए थे. मैने बोला, “प्लीज़ रुक जाओ, भैया.”

उन्होने अपनी नज़र उठाकर मेरी तरफ देखा, कॉंडम का पाउच अभी आधा ही खुला था, और अभी भी उनके हाथ में था, “हुह?” उन्होने पूछा.

"मैने आज से बर्त कंट्रोल पिल्स लेनी शुरू कर दी हैं," मैं बोली. मैने भैया को ये नही बताया कि इन बर्त कंट्रोल पिल्स को काम करने के लिए एक हफ्ते तक इंतेजार करना होगा. लेकिन ई-पिल के बारे में सोचकर मुझे किसी तरह की परवाह नही थी. 

तभी मैं आगे बढ़ी और भैया के उपर चढ़ गयी. और फिर हम दोनो एक दूसरे को किस करने लगे, पहले से कहीं ज़्यादा भावुक होकर. दोनो की जीभ एक दूसरे के मूँह में घुसकर, आगे पीछे होते हुए, अठखेलियाँ कर रही थी. भैया अपना हाथ मेरी पीठ पर फिरा रहे थे,कभी मेरी गान्ड पर, और मुझे सहला रहे थे. मैने उनके उपर सवारी कर रही थी, और अपनी चूत को उनके खड़े हुए गर्म गरम लंड पर फिट करने की कोशिश कर रही थी. मैने भैया की गर्दन को चूमा, और फिर उनके कान के निचले हिस्से को. और फिर अपनी चूत को उनके लंड के उपर घिसने लगी. मैं तो मानो तुरंत झडने को तयार हो चुकी थी, और मैं हाँफने लगी थी.

मैं जल्दी से जल्दी भैया के लंड को अपनी चूत के अंदर लेना चाहती थी. मैने अपनी गान्ड को थोड़ा सा उपर उठाया, और भैया के लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया. जैसे ही मैने भैया के लंड को पकड़ा, भैया के मूँह से आहह निकल गयी, लेकिन मैं बिल्कुल नही हिचकिचाई. और एक पल में, मैने भैया के लंड के सुपाडे को अपनी चूत के द्वार पर रख दिया, और फिर मैं अपनी गान्ड को धीरे धीरे नीचे करने लगी. भैया का लंड मेरी चिकनी चूत में आसानी से घुस गया. हम दोनो कराहने लगे, जैसे जैसे मैं नीचे हो रही थी, और भैया का लंड मेरी चूत में और ज़्यादा घुसता जा रहा था. उनका लंड अब मेरी चूत में उतना ही अंदर पहुँच गया था, जितना उस दिन सुबह पहुँचा था, लेकिन मैं उसको और ज़्यादा अंदर लेने लगी. भैया के कराहने की आवाज़ और तेज होती जा रही थी. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैने लंड को और ज़्यादा अंदर लेने की कोशिश की, हालाँकि ऐसा करते हुए मुझे थोड़ा दर्द भी हुआ. भैया का लंड अब इतना ज़्यादा अंदर घुस चुका था, जहाँ तक कभी मेरा डिल्डो भी नही पहुँचा था. हम दोनो ने अभी चुदाई शुरू ही की थी, और मुझे ऐसा लग रहा था, मानो मैं झडने के बेहद करीब पहुँच चुकी हूँ.

धीरज भैया ने मेरी गर्दन पकड़ के, किस करने के लिए मुझे नीचे की तरफ झुकाया. वो ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहे थे. मैने एक बार ज़ोर का झटका मारा, और लंड को पूरा अंदर ले लिया. मैं ज़ोर से कराही, जैसे ही मैने भैया के लंड को अपनी चूत में फड़कते हुए महसूस किया. वो एक गरम लोहे की रोड की तरह मेरी चूत में घुसा हुआ था. वो बहुत गरम था,मैने उसके उपर नीचे होने लगी, और उसको अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी. मैं बीच बीच में अपनी गान्ड को गोल गोल घुमा रही थी. हर झटके के साथ, मेरी स्पीड तेज होती जा रही थी. मैं अपने सगे भैया को चोद रही थी. और मैने झडना शुरू कर दिया था. 

धीरज भैया गुर्राए, "उहह ओह, मेरी संध्याअ!"

"हां भैया," मैं धीरे से बोली. "म्म्म्मममम," मेरी कराहने की आवाज़ तेज होती जा रही थी. मेरा शरीर इस आनंद को पाकर सातवें आसमान पर था. मेरा दिल इतनी ज़ोर से धड़क रहा था, मुझे लगा कहीं मुझे हार्ट अटॅक ही ना आ जाए. और मैं भैया के लंड के उपर सवारी करते हुए, अपनी चूत में हर नीचे की तरफ झटके मारते हुए अंदर घुसाए जा रही थी.

धीरज भैया ने मुझे फिर से किस किया, और फिर अपने होंठों को नीचे मेरी थोड़ी तक ले आए. फिर वो थोड़ा आगे झुके और मेरी गर्दन को चूम लिया, और फिर मेरी चूंचियों को. उन्होने मेरे दोनो निपल्स को बारी बारी से चूसा, मेरा शरीर उनके उपर ऐसे झटके मारने लगा, मानो मुझे करेंट लग रहा हो. मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था. मैं अपनी कमर को जल्दी जल्दी उपर नीचे करते हुए, भैया के लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी.

"उहंंनणणन्," वो कराहे, और मेरी चूंचियों में से अपना चेहरा निकालकर दूर कर लिया. "मैं छूटने ही वाला हूँ, संध्या!"

"इट'स ओके. हो जाओ भैया," मैं सवारी करते हुए फुसफुसाई.

जैसे ही अगली बार मैं उपर हुई, मैने भैया के लंड से निकली पानी की पिचकारी को छूटते हुए महसूस किया. थोड़ा सा पानी लंड के किनारे नीचे भी निकल आया, लेकिन जैसे ही मैं नीचे हुई, भैया के लंड ने एक और धार उगल दी. भैया हर झटके के साथ कराह रहे थे, और ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहे थे.

जैसे ही मैं झडि, और मेरी चूत ने पानी छोड़ा, मैं ज़ोर से चीखी. मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया. भैया का लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में घुसा हुआ था, और वीर्य के पानी की धार छोड़ रहा था. मेरा शरीर काँपने लगा. हर धड़कन के साथ मेरे शरीर में आनंद की लहरों का संचार हो रहा था. मैं काँपते हुए हिल रही थी. मेरी चूत का दाना फडक रहा था. मैं हाँफने लगी, और जब चीख ख़तम हुई, तो कराहने लगी. भैया के लंड ने एक और धार मेरी चूत में फेंक दी. मैं भैया के लंड से निकल रही पानी की धार के स्पीड को अपनी चूत में महसूस कर रही थी. 

काँपते हुए मैं भैया के उपर गिर गयी. हम दोनो के मूँह मिलते ही, हम दोनो प्यार से किस करने लगे. भैया का लंड अभी भी मेरी चूत में था, लेकिन अब वो पानी नही छोड़ रहा था. मैने भैया के होंठों के किनारों पर जीभ फिराते हुए, उनके मूँह में अपनी जीभ घुसा दी. भैया कराहे, और फिर मुझे अपनी बाहों में भर लिया.

भैया का लंड अपनी चूत में लिए हुए, मैं सो गयी. सपनों में भी मुझे भैया का लंड ही दिखाई दे रहा था.

अगली सुबह जब मैं उठी, तो मैने अपने आप को भैया की बाहों में पाया. मैं मन ही मन मुस्कुराने लगी और अपने बदन को उनके और ज़्यादा करीब लाने लगी. भैया का नंगा शरीर मुझे गर्माहट दे रहा था. मैं भैया की साँसों को सुनने लगी, जो की मद्धम और गहरी थी. वो अब भी गहरी नींद मे सो रहे थे. मेरा शरीर बेहद तृप्त था, हालाँकि कहीं कहीं हल्का सा दर्द ज़रूर था.

"ओह गॉड, धीरज भैया," मैं धीरे से मन ही मन कराही.

मैने भैया की छाती पर एक निगाह डाली, वो बहुत ही आकर्षक और गठीली थी. मैने नीचे की तरफ नज़र झुका के देखा, भैया का लंड अभी भी खड़ा हुआ था, और मेरी तरफ पॉइंट कर रहा था. मैं भैया के चेहरे की तरफ देख कर मुस्कुराइ. भैया शायद अब तक जाग चके थे, वो भी मुझे देख कर मुस्कुराए. फिर मैं थोड़ा पीछे हुई, और भैया के उपर अपने आप को धकेल दिया, जिस से कि वो थोड़ा खिसक कर पीछे हो जाए. मैने भैया का हाथ पकड़ा और उनको अपने रूम में खींच कर ले गयी. जब हम मेरे बेड के पास पहुँचे तो मैने भैया को धक्का दिया, और वो मेरे बेड पर पीठ के बल सीधे लेट गये. 

धीरज भैया मेरी तरफ देख रहे थे, और मैं भैया के नंगे बदन को अपने बेड पर लेटे हुए निहार रही थी. भैया का लंड खड़ा होकर मुझे बुला रहा था. भैया के लंड को घूरते हुए ऐसा लगा, जैसे मैं उसकी गुलाम हो चुकी हूँ. और फिर मैं अपने बेड पर घुटनों के बल बेड के पास बैठ गयी. भैया अपनी गर्दन थोड़ी उठा कर मेरी तरफ देखने लगे, उनका लंड हम दोनो के बीच में था. मैने अपने होंठों पर जीभ फिराई, और थोड़ा आयेज झुकी, जिस से अब मैं बेड पर थोड़ा सा झुक गयी थी. 

भैया का लंड मेरे चेहरे से बस अब कुछ ही इंच दूर था. मैं लंड को घूर कर निहारने लगी. मैने अपना एक हाथ बढ़ाया और उसकी एक उंगली से लंड की साइड को छूने लगी. भैया ने एक गहरी साँस ली, और लंड को अपने आप झटका मारते हुए देखने लगे. धीरे धीरे, मैं भैया के लंड की बनावट का अपनी उंगलियों से एहसास करने लगी. मैने लंड के नीचे की तरफ की उभरी हुई नस को एक बार देखा, और उसको अपनी उंगली से उपर से नीचे तक सहलाने लगी. जब मैं भैया के लंड की बनावट को महसूस कर रही थी, भैया धीरे धीर कराह रहे थे.

जब मैने लंड के उपर की तरफ देखा, तो भैया के लंड का सुपाड़ा उनकी लंड की चमड़ी से आधे से ज़्यादा तक ढका हुआ था, जहाँ पर सुपाड़ा ख़तम होता है, उसको उनकी लंड की चमड़ी ने ढक रखा था. जहाँ पर सुपाड़ा ख़तम होता था वहाँ पर बड़ा वी शेप बना हुआ था. मैने भैया के ज़ोर से कराहने की आवाज़ सुनी, “उहनन्न.”
 
मैने भैया के लंड पर दूसरी और फिर तीसरी उंगली लगाते हुए उसको सहलाने लगी. मैं अपनी उंगलियों को उपर नीचे करने लगी, और आगे पीछे दोनो तरफ सहलाने लगी. भैया का लंड अब पहले से भी ज़्यादा झटके मार रहा था, और भैया भी अब पहले से ज़्यादा ज़ोर से कराह रहे थे. 

मैने अपने होंठों पर जीभ फिराई, और भैया के चेहरे की तरफ देखा. वो अब मेरी तरफ नही देख रहे थे. वो आराम से तकिये के सहारे लेते हुए थे, और मेरे ख्याल से उनकी आँखें बंद थी. 

भैया के तने हुए लंड जो कि मेरे सामने था, उसकी तरफ देखते हुए, मैने अपनी उंगलियाँ उनके लंड के गिर्द लपेट ली. भैया के उस विशालकाय लंड के सामने मेरी उंगलियों बहुत छोटी लग रही थी . मैने भैया के लंड को कस के पकड़ लिया, और नीचे की तरफ सरका दिया. भैया ने एक गहरी साँस ली. मैने फिर से उसको उपर कर दिया, और मेरी मुट्ठी के उपर होते ही वो फिर से कराह उठे.

मेरे पैरों में से तो मानो जान ही निकल गयी थी. मैं भैया के लंड को पकड़े हुए ही, बेड पर चढ़ गयी. मेरे पास बस एक ही विकल्प था कि मैं अपने पैरों को पिल्लो की तरफ कर लूँ और भैया से थोड़ा दूर रहते हुए, पेट के बल लेट जाऊ, जिस से मेरा काम वैसे ही चलता रहे. मैं भैया के लंड की दीवानी हो चुकी थी. 

जैसे ही मैने अपनी पोज़िशन बदली, मेरा हाथ थोड़ा उपर की तरफ फिसल गया, और भैया के मून्ह से एक कराह निकल गयी. मैं अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए, भैया के लंड की तरफ थोड़ा आगे खिसकी. मैने लंड की चमड़ी को फिर से नीचे खिसका दिया, और मेरा मूँह अब लंड से बस कुछ ही उपर मंडरा रहा था.

मैने अपनी नज़रें नीचे करके भैया के लंड की तरफ देखा, और देखने लगी कि वो उपर से कैसा दिखता है. भैया के लंड के सुपाडे के बीच में एक छोटा सा छेद दिखाई दिया, उस छेद में से एक चमकती हुई चिकने पानी की बूँद निकल रही थी. भैया का शरीर काँप रहा था, और उनका लंड मेरी उंगलियों के बीच आगे पीछे हिल रहा था. जैसे ही मैने उस बूँद को सुपाडे के छेद में से निकलते हुए देखा, मैं अपने होंठों पर जीभ फिराने लगी.

मैने नीचे झुकते हुए, अपनी जीभ थोड़ी सी बाहर निकाल ली. उस दिन से पहले मैने 10+2 के समय, अपने एक क्लासमेट के लंड को चूसा था, उसने मुझसे एक शर्त हारने के बाद ज़बरदस्ती लंड चुस्वाया था, और मुझे ऐसा करने में बिल्कुल अच्छा नही लगा था. किसी तरह मैने अपने दाँतों को उसके लंड को छीलने से रोका था, मुझे बहुत घिंन आ रही थी और वो मेरा सिर पकड़ के अपने लंड के उपर दबाए जा रहा था. वो बहुत ही खराब एक्सपीरियेन्स रहा था.

लेकिन आज कुछ भी खराब होने वाली बात ही नही थी. मैं भैया ले लंड को नीचे झुकते हुए निहार रही थी. और मैं भैया के लंड को टेस्ट करना चाहती थी. मैं उनके प्रेकुं को चख कर देखना चाहती थी. मैं उनके लंड की स्किन को चूसना चाहती थी, और अपने होंठों के बीच आगे पीछे होते हुए महसूस करना चाहती थी. 

मेरी जीभ ने लंड के सुपाडे की नोक को छू लिया. मैने सोचा प्रेकुं का कुछ स्पेशल टेस्ट होगा, लेकिन ऐसा मुझे नही लगा. वो चिकना और चिपचिपा ज़रूर था. मैं अपनी जीभ सुपाडे के छेद पर फिराने लगी, और जो कुछ प्रेकुं बचा हुआ था, उसको चूसने लगी. भैया के मूँह से एक ज़ोर की आहह निकल गयी. मैने भी एक गहरी साँस ली, और भैया के लंड की गंध को महसूस करने लगी. ऐसा सब करते हुए मुझे माहौल बहुत सेक्सी और कामुक लग रहा था. 

मैने एक हाथ से लंड को नीचे से पकड़ा हुआ था, जिस से वो सीधा खड़ा रहे. धीरे धीरे मैं अपनी जीभ सुपाडे की रिम पर फिराने लगी. “हे भगवान,” भैया कराहते हुए बोले. मैने एक बार फिर से सुपाडे की रिम पर अपनी जीभ फिराई, और उसके नीचे लंड की मुलायम पिंक स्किन को महसूस करने लगी. वो बहुत गरम थी मैं अब लंड को अपने मूँह में भर लेना चाहती थी. ऐसा करने की मेरी इच्छा इतनी ज़्यादा स्ट्रॉंग हो चुकी थी, कि अब मुझे रोकना असंभव था. 

थोड़ा औ आगे झुकते हुए, मैने अपने होंठ सुपाडे पर ज़ोर ज़ोर से दबा दिए. फिर धीरे धीरे मैं और आगे खिसकने लगी. और साथ ही साथ, लंड की लंबाई को अपने मूँह में भरने लगी. वो अब ज़ोर ज़ोर से कराहने लगे, भैया के लंड की मोटाई मेरे मुट्ठी को और ज़्यादा खुलने के लिए मजबूर कर रही थी. मैं चाहती थी कि भैया इस सब का ज़्यादा से ज़्यादा आनंद लें. 

मुझे उस समय एहसास हुआ, कि जो कुछ मैं भैया के साथ कर रही थी, वो सब मुझे बहुत ज्याता उत्तेजित और गरम कर रहा था, जैसा उस दिन से पहले मैने कभी महसूस नही किया था. मेरी दोनो टाँगें आपस में ज़ोर से चिपकी हुई थी. और मेरा चूत का दाना जोरों से फडक रहा था. अब मुझे भैया के लंड पर ध्यान केंद्रित करने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी, लेकिन मैं किसी तरह वो सब कर रही थी. 

सब कुछ धीरे धीरे आराम से करने की इच्छा पर वासना हावी होती जा रही थी. मैं नीचे झुकी, और भैया का लंड मेरे होंठों को चौड़ा करता हुआ, मेरे मूँह में और अंदर चला गया. जैसे जैसे लंड मेरे मूँह में और ज़्यादा अंदर घुस रहा था, भैया की कराहने की आवाज़ तेज होती जा रही थी. मैं अब लंड को चूसने लगी थी, उसको चाट रही थी. और प्रेकुं को स्वाद लेकर निगल रही थी. जब मैं प्रेकुं को अंदर सटकती तो मेरे होंठ बंद हो जाते, और भैया फिर से कराह उठाते. भैया के हिप्स अपने आप बेड से एक दो इंच उपर उछलने लगे, और मैं उनके लंड को अपने मूँह में और अंदर घुसते हुए महसूस कर रही थी. 

मेरा मूँह अब मेरे हाथ तक पहुँच चुका था. मैने लंड को और ज़्यादा अंदर ना ले जाते हुए अपने मूँह को वहीं पर रोक लिया. मुझे डर लग रहा था, कि भैया का इतना बड़ा लंड मेरे मूँह में जा भी पाएगा या नहीं. मेरे होंठ तो पहले से ही चौड़े हो गये थे. अगले कुछ समय तक, मैं वैसे ही लंड को अपने मूँह में बिना कुछ और ज़्यादा किए लेटी रही, बस अपनी जीभ को सुपाडे पर फिरा रही थी. 

शुपाडे पर जीभ फिराने की वजह से भैया अब तरह तरह के रिक्षन दे रहे थे. उनका शरीर अकड़ने लगा था, और उनके टाँगों की मसल्स टाइट होने लगी थी. “ऊओ,” वो कराहे. और फिर फुसफुसा कर बोले, “संध्या, मैं ऐसे ज़्यादा देर तक नही रोक पाउन्गा...”

मैं समझ गयी, और अपने होंठों को थोड़ा और आगे खिसकाया, और लंड को थोड़ा और अपने मूँह में घुसा लिया. लंड जितना मेरे मूँह में जा सकता था, वो करीब करीब उतना मेरे घुस चुका था, और वो अभी एक तिहाई भी नही घुसा था, मैने फिर से प्रेकुं को जीभ से चाट कर निगल लिया. मैने फिर से अपनी दोनो टाँगों को आपस में और ज़्यादा चिपका लिया. मेरे पेट से नीचे के सारे हिस्से में अजीब सी गुदगुदी हो रही थी. 
 
मैं अपने नथुनो में ज़्यादा से ज़्यादा हवा भरकर, ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी. मैं भैया का लंड मूँह में से निकालना नही चाहती थी, लेकिन उसको और ज़्यादा अंदर लेने में मुझे डर लग रहा था. इसलिए मैने लंड को हाथ से हिलाना शुरू कर दिया, और उसको उपर नीचे करने लगी. मेरे मूँह से निकल रहे थूक ने लंड को उपर से नीचे तक गीला कर दिया था. भैया ज़ोर से साँस लेते हुए, कराह रहे थे. वो शायद अब झडने के बेहद करीब पहुँच चुके थे. 

तभी अचानक मुझे अपनी टाँगों पर कुछ दबाता हुआ महसूस हुआ. पहले तो मैने थोड़ा प्रतिरोध किया, और अपनी जांघों से अपनी चूत के दाने को मसलाना जारी रखा. लेकिन जब वो दबाना जारी रहा, तो मैने प्रतिरोध करना बंद कर दिया. मैने महसूस किया कि भैया मेरी टाँगों को अपने पास खींच रहे हैं. उनके गरम हाथों ने मुझे मेरे हिप्स को पकड़ के खींच लिया, और फिर मेरे शरीर को पकड़ कर मुझे साइड से लिटा दिया. 

मुझे अपना मूँह लंड से थोड़ा हटाना पड़ा, क्योंकि भैया ने मुझे अपने हिसाब से मुझे लिटा दिया था, लेकिन मैने उनको ऐसा करने से बिल्कुल नही रोका. और अब हम दोनो एक दूसरे की तरफ फेस किए हुए, साइड से लेते हुए थे, लेकिन 69 पोज़िशन में. मेरा पूरा शरीर काँप रहा था.

मैं अपना सिर साइड से लिटा कर लेटी हुई थी, और भैया का लंड अभी भी करीब 2 इंच मेरे मूँह के अंदर था. मैने अपना दूसरा हाथ लेजाकर भैया की गान्ड पर सहारे के लिए रख दिया, और लंड को थोड़ा और अंदर लेजाकर चूसने लगी. मैं जब लंड को अपने गले तक ले जाकर गून गून की आवाज़ निकाल रही थी, तब भैया ज़ोर से आहें भर रहे थे. मैं एक पल को थोड़ा पीछे हुई, और एक गहरी साँस ली.

जैसे ही मैं फिर से थोड़ा आगे बढ़ने वाली थी, तभी मेरी दोनो टाँगों के बीच मानो आग लग गयी हो. धीरज भैया का चेहरा मेरी जांघों के बीच घुसा हुआ था, और मैं उनकी जीभ को अपनी चूत के द्वार के बाहर महसूस कर रही थी. मैने एक गहरी साँस ली, जो की कराह में बदल गयी. मैने फिर से भैया के लंड के सुपाडे को अपने मूँह में ले लिया.

भैया की जीभ मेरी चूत से निकल रहे रस को चाट रही थी. भैया जानबूझ कर मेरी चूत के द्वार और दाने को नही छू रहे थे. मुझे उनका ऐसा करने में बहुत आनंद आ रहा था. ऐसा मज़ा आज से पहले कभी मुझे अपने आप करते हुए नही मिला था. 

फिर मुझे होश आया, और मैं अपने होंठ लंड पर उपर से नीचे तक फिर से फिराने लगी. मैं उनके लंड को और ज़्यादा मोटा होता हुआ महसूस कर रही थी. लंड ने मेरे होंठों को लास्ट टाइम से करीब आधा इंच और ज़्यादा खुलने पर कजबूर कर दिया था. मैं थोड़ा रुकी, लंड को मूँह में लिए हुए, लंड की स्किन को अपनी जीभ से चाटने लगी. लंड के मूँह में भरे होने के कारण, जीभ का ज़्यादा हिलाना डुलाना संभव नही था. भैया का लंड वाकई में बड़ा था. 

मैने सोचा क्यों ना भैया को जीभ की जगह, अपने होंठों से मज़ा दिया जाए. और मैं लंड के उपर अपने होंठों को उपर नीचे करने लगी. मैने अपनी उंगली से लंड को उस जगह से निशान बनाकर पकड़ रखा था, जिस से की लंड मेरे मूँह में ज़्यादा नही घुस जाए. मैने लंड को जहाँ तक संभव था उतना मूँह में अंदर लिया, और फिर होंठों से घिसते हुए बाहर निकाल दिया. भैया के लंड की स्किन मेरे होंठों को राशमी मुलायम लग रही थी. मुझे उसे अपने होंठों से छूकर बहुत मज़ा आ रहा था. 

मेरी टाँगों के बीच से निकल रही गर्मी के कारण, मेरी आँखें चौड़ी होकर खुली हुई थी. और फिर मुझे भैया की जीभ का एहसास हुआ, वो मेरी चूत को चाट रहे थे, और तभी उन्होने मेरी चूत में अपनी जीभ घुसा दी. और हर पल वो एक सेंटिमेट्रर मेरी चूत में चूत में घुसाया जा रहे थे. और फिर उपर की तरफ चाटते हुए उन्होने अपनी जीभ से मेरी चूत के दाने को घिस दिया. मेरी तो मानो जान ही निकल गयी. मेरी चूत के दाने में से आनंद की लहरें निकालने लगी, जिनका संचार मेरे पूरे शरीर में हो रहा था. मेरी साँसें तो मानो थम ही गयी थी.

अपने आप मेरे मूँह थोड़ा पीछे हो गया, हालाँकि उनका लंड अभी भी मेरे मूँह में ही था, और मैने एक गहरी साँस ली. भैया जब मेरी चूत के दाने को अपनी जीभ से सहला रहे थे, मेरी आँखें खुली की खुली ही रह गयी थी. मेरी जांघों के बीच जो मज़ा आ रहा था, उसकी वजह से मुझे और कुछ नही सूझ रहा था. मैं काँप रही थी, हिल रही थी. मेरे होंठों के बीच से ज़ोर स्की कराह निकली, "ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओह!"

मेरा हाथ ने अभी भी भैया के लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ रखा था, और मैने उस पर कस के ग्रिप बना रखी थी, मानो मुझे वो ही सहारा दे रहा हो. मेरी मूँह से निकल रही आवाज़ें, भैया को उत्तेजित कर रही थी. और वो मेरी चूत को मज़े से चाट रहे थे, और मेरी जांघों के बीच के हर हिस्से हिस्से को खोज रहे थे. मैं भैया की जीभ को अपनी चूत के दाने पर घिसता हुआ महसूस कर रही थी, जो फिर चूत के होंठों के बीच छेद में अंदर घुस जाती. जैसे ही भैया अपनी जीभ बाहर निकालते, वो सब फिर से रिपीट करने के लिए, तो मेरी आहह निकल जाती.

मुझे महसूस हुआ कि मेरे हिप्स भैया के चेहरे पर दबाव बना रहे थे. मुझे ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे भैया मुझे अपने मूँह से चोद रहे हो, और मैं पागल हुए जा रही थी. मेरे पूरे शरीर में झंझनाहट सी महसूस हो रही थी. मेरी चूंचियों में भी खिंचाव महसूस हो रहा था. भैया ने फिर से मेरी चूत के दाने पर अपनी जीभ फिराई, और फिर उसको मूँह में भर कर चूस लिया. अब बर्दाश्त करना मेरे बस की बात नही थी. 

मेरे मूँह से एक चीख निकल गयी.

मेरा शरीर ऐंठने लगा. मैं अपने हिप्स से भैया के चेहरे को मसलता हुआ महसूस कर रही थी. लेकिन भैया को इस बात का कोई फराक नही पड़ रहा था. भैया के होंठों ने मेरी चूत के दाने को दबा रखा था, और वो जीभ को धीरे धीरे, उपर नीचे करके उसको चाट रहे थे. मैं हाँफ रही थी, और मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैं कराह रही थी.

मैं नही चाहती थी कि ये सब कभी ख़तम हो. लेकिन साथ ही साथ, मैं फारिग भी होना चाहती थी. मैं झडना चाहती थी. और लग रहा था जैसे मैं बहुत अच्छा वाला झडने वाली थी. मेरे शरीर में आनंद की लहरों का संचार हो रहा था, और वो लहरें मेरी चूत के दाने से निकल रही थी, लेकिन मैं उनको सिर से पैर तक महसूस कर रही थी. भैया की जीभ अभी भी मेरी चूत के दाने को सहला रही थी. और तभी मैने महसूस किया कि भैया का हाथ, उनके चेहरे के नीचे से आते हुए, मेरी चूत के होंठों को छू रहा है. 

जैसे ही मुझे लगा कि भैया अब....... तभी मैं कराह उठी, “ऊवू!” मैने महसूस किया कि भैया की दो उगलियाँ मेरी चूत में अंदर घुस गयी हैं. भैया उंगलियों को चूत में घुसा कर, उनको घुमाने लगे, और मैं उनको अपनी चूत के दाने पर हल्का सा घिसता हुआ महसूस करना लगी. मेरे शरीर में अपार आनंद का संचार हो रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था, मानो मेरे पेट में खुशी की लड्डू फुट रहे हो. मैं ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी.

मैं बस झडने ही वाली थी.
 
Back
Top