hotaks444
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भैया ने एक कदम और बढ़ाया और मेरे रूम में अंदर आ गये, मैने कंबल को अपनी गर्दन तक उपर खींच लिया. मुझे उस वाइब्रटर के अभी भी मेरी चूत में घुसे होने से हल्का हल्का दर्द हो रहा था, लेकिन मैने भैया की तरफ अपना ध्यान केंद्रित किया. हालाँकि ये आसान नही था, क्यों कि मेरे अपने आप झड्ने के इस पूरे कार्यक्रम की फॅंटेसी में वो भी शामिल थे. मेरा गुर्राने का मन हुआ..
"ह्म?" मैने सवाल भरी आवाज़ निकाली.
भैया एक कदम और मेरे पास आ गये, मेरे बेड के और ज़्यादा करीब. मैने एक गहरी साँस ली, और अपने आप पर और अपनी भावनाओं पर काबू करने का प्रयास करने लगी. वो थोड़ा और करीब आ गये, वो अब मेरे से बस कुछ ही फीट की दूरी पर थे. फिर वो बोले, “मुझे पता नही पिछले कुछ समय से कैसे अजीब अजीब सपने आ रहे हैं.”
ओह? मुझे कुछ समझ में नही आया कि क्या कहूँ. मेरे शरीर में गुदगुदी हो रही थी. सब कुछ उल्टा पुल्टा लग रहा था. लेकिन भैया मेरे से बात करना चाहते थे, इसलिए मैने अपनी भावनाओं पर किसी प्रकार काबू रखा. और फिर बोली, “ किस तरह के सपने?”
भैया मेरे और नज़दीक आ गये, और मेरे बेड के निचले हिस्से से अब उनका पैर छू रहा था. वो शून्य में ताक रहे थे. जब वो बोले, तो बड़ी शांति से उन्होने जवाब दिया, “ऐसे सपने जो कि मुझे नही आने चाहिए.”
मैने बस ओके कहा, मैं चाहती थी कि वो अपने आप मुझे और ज़्यादा बतायें.
"आइ'म सॉरी, मैने तुम को जगा दिया संध्या," वो एक मिनिट बाद बोले.
मैने अपने कंधे उन्च्काये और बोली, “कोई बात नही, वैसे भी मैं सो नही रही थी.” क्या उनको पता था कि उनके आने से पहले मैं अपने छूट में वाइब्रटर घुसा के झड्ने की कोशिश कर रही थी.
धीरज भैया मुस्कुराए, और बेड पर मेरे पैरों के पास बैठ गये. वो अभी भी शून्य में ताक रहे थे, शायद वो सोच रहे थे कि आगे क्या बोलूं, या कैसे बोलूं. मैं थोड़ा उपर खिसक कर बैठ गयी, और उनको देखने लगी. ये सब क्या हो रहा था? क्या वो मुझे बताने वाले थे कि वो चुदाई के सपने देख रहे हैं.
"आपने सपने में क्या देखा?" मैने पूछा
भैया ने बहुत देर तक कोई जवाब नही दिया. उन्होने अपना मूँह खोला, और फिर बिना कुछ बोले बंद कर लिया, उनके चेहरे पर शिकन आ गयी थी. वो क्या नही बोल पा रहे थे? वो जो कुछ भी था, मुझे बता सकते थे. मैने उनको बोलने के लिए उकसाया, “अब बोलो भी भैया.”
धीरज भैया ने एक गहरी साँस ली, और बोले, “सेक्स.”
"हां, मुझे मालूम है," मैने बिना कुछ सोचे जवाब दिया.
उन्होने अपना सिर मेरी तरफ घुमाया, और बोले, “तुमको मालूम है?”
शिट! मेरे कुछ समझ में आया कि अब क्या करूँ, मैं बोली, “हां मैने आवाज़ें सुनी थी.”
"ओह," वो बोले, और दूसरी तरफ देखने लगे. मेरे रूम में रोशनी थोड़ी हल्की थी, इसलिए मालूम नही पड़ था कि शरम से उनका चेहरा लाल हो चुका है या नही. लेकिन शायद हो चुका था.
"सॉरी," मैं बोली. "मुझे इस से कोई फरक नही पड़ता, मेरा मतलब, मुझे नही लगता इसमे कुछ ग़लत है .” मैने उनकी शरम को कम करने की कोशिश की.
भैय ने मेरी तरफ देखा. "तुमने क्या कुछ देखा?"
आह शिट, मैं इस बात को आगे नही बढ़ाना चाहती थी. “उः मैने कुछ नही देखा. बस तुम्हारी आवाज़ें सुनी थी, और मैने अनुमान लगाया कि तुम सेक्स कर रहे हो. मैने उसको नज़र अंदाज कर दिया.” मेरी इन बातों में काफ़ी कुछ झूठ था, लेकिन मैं और कर भी क्या सकती थी.
"अच्छा, मुझे तो ये सुनकर शरम आ रही है," भैया बोले.
मैने अपने कंधे उँचका दिए. “तुमको शरम नही आनी चाहिए,” मैं बोली, ये सोच कर कि अभी भी मेरी चूत में डिल्डो घुसा हुआ है. ये सोच कर मैं मंद मंद मुस्कुरा उठी.
"ऐसा तुम क्यों कह रही हो?" उन्होने पूछा.
मैने एक गहरी साँस ली. मैं बातों के इस सेन्सिटिव टॉपिक को चेंज करना चाहती थी, लेकिन मैं असफल हो रही थी. और अब मैं निर्णायक स्थिति में पहुँच चुकी थी. क्या मैं झूठ बोलूं और भैया को सोने के लिए वापस भेज दूं, या फिर सब कुछ सच सच बता दूं, और भगवान से सब कुछ ठीक करने की प्रार्थना करूँ.
मैने सच बोलना ही बेहतर समझा.
"उः, तुमको शरम नही आनी चाहिए भैया क्यों कि..." मैं आगे कुछ नही बोल पाई. मैं उनको ये सब कैसे बता सकती थी कि मैं अभी अभी क्या कर रही थी. भैया मेरी तरफ एकटक देख रहे थे, और जब तक देखते रहे, जब तक मैने धीरे से बोला, "मैं भी सेक्स के ही सपने ही देख रही थी."
"ह्म?" मैने सवाल भरी आवाज़ निकाली.
भैया एक कदम और मेरे पास आ गये, मेरे बेड के और ज़्यादा करीब. मैने एक गहरी साँस ली, और अपने आप पर और अपनी भावनाओं पर काबू करने का प्रयास करने लगी. वो थोड़ा और करीब आ गये, वो अब मेरे से बस कुछ ही फीट की दूरी पर थे. फिर वो बोले, “मुझे पता नही पिछले कुछ समय से कैसे अजीब अजीब सपने आ रहे हैं.”
ओह? मुझे कुछ समझ में नही आया कि क्या कहूँ. मेरे शरीर में गुदगुदी हो रही थी. सब कुछ उल्टा पुल्टा लग रहा था. लेकिन भैया मेरे से बात करना चाहते थे, इसलिए मैने अपनी भावनाओं पर किसी प्रकार काबू रखा. और फिर बोली, “ किस तरह के सपने?”
भैया मेरे और नज़दीक आ गये, और मेरे बेड के निचले हिस्से से अब उनका पैर छू रहा था. वो शून्य में ताक रहे थे. जब वो बोले, तो बड़ी शांति से उन्होने जवाब दिया, “ऐसे सपने जो कि मुझे नही आने चाहिए.”
मैने बस ओके कहा, मैं चाहती थी कि वो अपने आप मुझे और ज़्यादा बतायें.
"आइ'म सॉरी, मैने तुम को जगा दिया संध्या," वो एक मिनिट बाद बोले.
मैने अपने कंधे उन्च्काये और बोली, “कोई बात नही, वैसे भी मैं सो नही रही थी.” क्या उनको पता था कि उनके आने से पहले मैं अपने छूट में वाइब्रटर घुसा के झड्ने की कोशिश कर रही थी.
धीरज भैया मुस्कुराए, और बेड पर मेरे पैरों के पास बैठ गये. वो अभी भी शून्य में ताक रहे थे, शायद वो सोच रहे थे कि आगे क्या बोलूं, या कैसे बोलूं. मैं थोड़ा उपर खिसक कर बैठ गयी, और उनको देखने लगी. ये सब क्या हो रहा था? क्या वो मुझे बताने वाले थे कि वो चुदाई के सपने देख रहे हैं.
"आपने सपने में क्या देखा?" मैने पूछा
भैया ने बहुत देर तक कोई जवाब नही दिया. उन्होने अपना मूँह खोला, और फिर बिना कुछ बोले बंद कर लिया, उनके चेहरे पर शिकन आ गयी थी. वो क्या नही बोल पा रहे थे? वो जो कुछ भी था, मुझे बता सकते थे. मैने उनको बोलने के लिए उकसाया, “अब बोलो भी भैया.”
धीरज भैया ने एक गहरी साँस ली, और बोले, “सेक्स.”
"हां, मुझे मालूम है," मैने बिना कुछ सोचे जवाब दिया.
उन्होने अपना सिर मेरी तरफ घुमाया, और बोले, “तुमको मालूम है?”
शिट! मेरे कुछ समझ में आया कि अब क्या करूँ, मैं बोली, “हां मैने आवाज़ें सुनी थी.”
"ओह," वो बोले, और दूसरी तरफ देखने लगे. मेरे रूम में रोशनी थोड़ी हल्की थी, इसलिए मालूम नही पड़ था कि शरम से उनका चेहरा लाल हो चुका है या नही. लेकिन शायद हो चुका था.
"सॉरी," मैं बोली. "मुझे इस से कोई फरक नही पड़ता, मेरा मतलब, मुझे नही लगता इसमे कुछ ग़लत है .” मैने उनकी शरम को कम करने की कोशिश की.
भैय ने मेरी तरफ देखा. "तुमने क्या कुछ देखा?"
आह शिट, मैं इस बात को आगे नही बढ़ाना चाहती थी. “उः मैने कुछ नही देखा. बस तुम्हारी आवाज़ें सुनी थी, और मैने अनुमान लगाया कि तुम सेक्स कर रहे हो. मैने उसको नज़र अंदाज कर दिया.” मेरी इन बातों में काफ़ी कुछ झूठ था, लेकिन मैं और कर भी क्या सकती थी.
"अच्छा, मुझे तो ये सुनकर शरम आ रही है," भैया बोले.
मैने अपने कंधे उँचका दिए. “तुमको शरम नही आनी चाहिए,” मैं बोली, ये सोच कर कि अभी भी मेरी चूत में डिल्डो घुसा हुआ है. ये सोच कर मैं मंद मंद मुस्कुरा उठी.
"ऐसा तुम क्यों कह रही हो?" उन्होने पूछा.
मैने एक गहरी साँस ली. मैं बातों के इस सेन्सिटिव टॉपिक को चेंज करना चाहती थी, लेकिन मैं असफल हो रही थी. और अब मैं निर्णायक स्थिति में पहुँच चुकी थी. क्या मैं झूठ बोलूं और भैया को सोने के लिए वापस भेज दूं, या फिर सब कुछ सच सच बता दूं, और भगवान से सब कुछ ठीक करने की प्रार्थना करूँ.
मैने सच बोलना ही बेहतर समझा.
"उः, तुमको शरम नही आनी चाहिए भैया क्यों कि..." मैं आगे कुछ नही बोल पाई. मैं उनको ये सब कैसे बता सकती थी कि मैं अभी अभी क्या कर रही थी. भैया मेरी तरफ एकटक देख रहे थे, और जब तक देखते रहे, जब तक मैने धीरे से बोला, "मैं भी सेक्स के ही सपने ही देख रही थी."