Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला - Page 17 - SexBaba
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Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला

मैने खुश होकर, उसको अपनी बाहों में उठा लिया, और नीचे लिटाते हुए उसको अपने उपर ले लिया. एक दम ऐसा करने से तान्या की हल्की सी चीख निकल गयी, और फिर उसने अपने शरीर से मेरे बदन को ढक लिया. इस पोज़ में दीदी को मैं अपने सामने कर्टन के पीछे से देखते हुए देख सकता था, लेकिन तान्या की पीठ दीदी की तरफ थी, इसलिए कोई ख़तरा नही था. तान्या ने मेरे चेहरे को अपनी आतूरता, जल्दी और जोरदार किस्सस से भर दिया, और बोली, “अगर हम फिर से तुरंत अभी करें तो कैसा रहेगा?”

"आह नही बाबा" मैने एक गहरी साँस लेते हुए कहा, और उसकी गान्ड पर एक हल्की सी चपत लगा दी, और बोला, “पुरुषों का शरीर इतना जल्दी दोबारा चुदाई के लिए तय्यार नही होता, उनको थोड़ा रेस्ट लेने की ज़रूरत पड़ती है." मैं सोच रहा था, कहीं धीरज उठ ना जाए, मैं चाहता था कि दीदी अपने रूम में चली जायें उसके बाद तान्या को घोड़ी बना के चोदुन्गा.

"कितना रेस्ट, मैं टाय्लेट में फ्रेश होकर आती हूँ, फिर देखती हूँ तुम कितना रेस्ट कर पाते हो?" उसने मेरे कान के निचले हिस्से को अपने दाँतों से काटते हुए पूछा. 

"कुछ दिनों में सब पता चल जाएगा," मैं मुस्कुराते हुए बोला.

तान्या मेरी छाती पर अपने हाथ फिराते हुए बोली, “सच में राज बहुत मज़ा आया. तुम बहुत अच्छा चोदते हो.”

"ओह क्या करूँ मेरी बीवी है ही इतनी ज़्यादा सेक्सी."मेरी बात सुनकर, तान्या मंद मंद मुस्कुरा उठी. 

मैने कर्टन के पीछे छुपी दीदी की तरफ देखा, वो भी मुस्कुरा रही थी. 

जैसे ही तान्या टाय्लेट में घुसी, मैने दीदी कर्टन के पीछे से बाहर निकल आई और धीरे से चुपचाप डोर खोल कर अपने रूम की तरफ चली गयी. मैने अपने हनिमून सूयीट का डोर फिर से लॉक कर लिया.
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वर्तमान में .....................
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पायल- क्या बात है राज तुमने तो अपनी दीदी के सामने ही अपनी सुहागरात मना ली थी
रजनी- अरे यार तू थोड़ी देर चुप नही रह सकती थी कितना मज़ा आ रहा था राज की कहानी में तूने सारा मज़ा खराब कर दिया 

पायल - भाभी मैं क्या करती देखो मेरी चूत का क्या हाल हो गया है कितना पानी छोड़ रही है मेरी चटमेन आग लगी हुई है पहले इस की प्यास बुझवाओ वरना मैं पागल हो जाउन्गी 

रजनी- रंडी अभी कुछ देर पहले ही तो तूने चूत में लंड लिया था 
भाभी प्लीज़ मेरी चूत में आग लगी हुई है इतना कहकर मैने राज के लंड को अपने हाथों मे लिया और मैं प्यार से राज के विशाल लंड पे आगे पीछे हाथ फेरने लगी. मेरी उंगलिओ के घेरे में तो उसका लंड आ नहीं रहा था. राज ने मुझे बाहों में भर लिया और मेरे होंठों को चूमने लगा. एक हाथ उसने मेरी टाँगों के बीच डाल दिया और मेरी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया. धीरे धीरे वो मेरी चूत हाथ फेर रहा था और कभी कभी चूत की दोनो फांकों के बीच उंगली रगड़ देता. फिर उसने दोनो हाथों से मेरे विशाल चुतड़ों को सहलाना शुरू कर दिया और उसका लंड मेरी चूत से टकराने लगा. मैने पंजों के बल ऊपर हो कर उसके लंड को अपनी टाँगों के बीच में ले लिया. ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी पेड़ की मोटी टहनी पे टाँगें दोनो तरफ किए लटक रही थी. राज का उतावलापन बढ़ता जा रहा था. मेरे चुतड़ों को मसलता हुआ बोला, रंडी तेरे चूतड़ भी बहुत सेक्सी हैं.” मैं वासना की आग में बुरी तरह जल रही थी. राज फिर बोला,

“ अब चोदु मेरी रांड़?”

“ हुउँ, चोद ले”. राज ने मुझे अपनी बाहों में उठा के बिस्तेर पर चित लिटा दिया. उसने मेरी टाँगों को चौड़ा किया और मोड़ के मेरी छाति से लगा दिया. इस मुद्रा में मेरी फूली हुई चूत और भी ज़्यादा उभर आई और उसका मुँह ऐसे खुल गया जैसे बरसों से लंड की प्यासी हो. राज गौर से मेरी चूत के खुले हुए छेद को देख रहा था. फिर अचानक उसने मेरी टाँगों के बीच मुँह डाल दिया. वो जीभ से मेरी चूत के खुले हुए होंठों को चाटने लगा.

आ….अया राज ये क्या कर रहे हो ? एयाया………..” बहुत मज़ा आ रहा था. राज चूत के कटाव में और कभी चूत के अंदर जीभ पेलने लगा. वो मस्त होकर मेरी चूत चाट रहा था . उसने मेरी चूत को अच्छी तरह चाटा और जितनी अंदर जीभ डाल सकता था उतनी अंदर जीभ को घुसेड़ा. मेरी चूत बुरी तरह रस छोड़ रही थी. मेरे मुँह से “ …एयेए, …. ऊ उवई माआअ…. अयाया” जैसे वासना भरे शब्दों को सुन कर उसका जोश और भी बढ़ गया था. मैने भी जोश में आ कर उसका मुँह अपनी चूत पे मसल दिया. मेरी चूत तो गीली थी ही, राज का चेहरा मेरे रस से सन गया. मुझ से और नहीं सहा जा रहा था. एक बार तो झाड़ भी चुकी थी. मैं राज के मुँह को अपनी चूत पे रगड़ते हुए बोली,

“ बस करो राज, अब चोद अपनी रांड़ को.” राज ने उठ कर अपने मोटे लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के छेद पर टीका दिया,

“ इज़ाज़त हो तो पेल दूं मेरी रंडी?”

“ ऊओफ़ मेरे मालिक ! अब तंग मत करो. इतनी देर से टाँगें चौड़ी कर के अपनी चूत तुम्हारे हवाले क्यों की हुई है? अब चोद भी दो मेरे राजा.”

“ तो ये ले मेरी रंडी.” ये कहते हुए राज ने एक ज़ोर का धक्का लगा दिया.

“ ओउइ मया…….आ…..आआआः धीरे, तुम्हारा बहुत मोटा है.” राज का लंड फ़च से मेरी चूत को चीरता हुआ 4 इंच अंदर घुस गया. उसने एक बार फिर लंड को बाहर खींच के एक और ज़ोर का धक्का लगाया.

“ आआआअ……हह….ऊऊओह.” लॉडा 7 इंच घुस चुका था और मुझे ऐसा लग रहा था की अब मेरी चूत में और जगह नहीं है. मेरी वासना के साथ मेरे दिल की धड़कन भी बढ़ती जा रही थी. अभी तो 3 इंच और अंदर जाना बाकी था. इससे पहले कि मैं कुच्छ कहती राज ने पूरा लॉडा बाहर खींच के पूरी ताक़त से एक भयंकर धक्का लगा दिया.

“ आआआआआआईयईईईईईईईईई………ओईईई… म्म्म्माआआअ मरररर गाइिईईई आआहह. एयेए…….आआआहह ……ऊओह छोड़ो मुझे आ.एयेए…..आआआआः मैं मर् जाउन्गि” इस भयंकर धक्के से वो मोटा ताना 10 इंच अंडर घुस गया था. उस मोटे लंड ने मेरी चूत इतनी फैला दी की बस फटने को हो रही थी. अंदर जाने की तो बिल्कुल जगह नहीं थी. हाई राम! मैं तो मर पाउन्गि?

“ राज बस करो मेरे राजा अब जल्दी से चुदाई शुरू करो वरना मैं मर जाउन्गि. तुम्हारा बहुत बड़ा है.”
 
“ लंड कितना ही बड़ा क्योन्ना हो औरत की चूत में समा ही जाता है.” राज थोड़ी देर बिना हीले मेरे ऊपर पड़ा रहा और फिर जब थोड़ा दर्द कम हुआ तो धीरे धीरे लंड को मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा. इन छोटे छोटे धक्कों से मेरी चूत फिर से गीली होने लगी. अचानक उसने पूरा लॉडा बाहर खींच के बहुत ही ज़ोर का धक्का लगा दिया.

“ आाऐययईईईई….. आआअहह …..ऊऊऊओह …माआ….. ईइसस्सस्स………आअहह…..ईीइसस्सस्स. फाड़ डालोगे क्या ? इतनी बेरहमी से चोद रहे हो आआ…ह…. कुच्छ तो ख्याल कर. ऊीइ…. !” इस धक्के से राज का लॉडा जड़ तक मेरी चूत में समा गया था. उसके मोटे मोटे बॉल्स मेरी गान्ड से टकरा रहे थे. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरी चूत राज का लंबा लॉडा निगल गयी थी. दर्द तो बहुत हो रहा था लेकिन मज़ा भी बहुत आ रहा था. 

राज ने मेरी चुचियों को दोनो हाथों में पकड़ के फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. मैं भी चूतड़ उचका उचका के उसके धक्कों का जबाब दे रही थी. राज लॉडा पूरा निकाल के जड़ तक पेल रहा था. उसके बॉल्स मेरी गान्ड से टकरा रहे थे. मेरी चूत इतना ज़्यादा रस छोड़ रही थी कि राज के हर धक्के के साथ मेरी चूत में से… फ़च… फ़च …. फ़च……… …फ़च…फ़च …..फ़च……. फ़च …..फ़च……फ़च और मेरे मुँह से आअहह…. अया…. आआआआऐययईईई …..आआआहह……ऊवू….वी …. एयेए ……..वी माआ…… आआआः…. .ओह्ह….. उम्म्म्म…… .का मधुर संगीत गूँज़ रहा था. राज के मोटे लंड ने मेरी चूत इतनी ज़्यादा चौड़ी कर दी थी की फटने को हो रही थी. जब जड़ तक लंड अंडर पेलता तो ऐसा लगता जैसे चूत को फाड़ के छाती में घुस जाएगा. शायद राज का लंड दुनिया के सबसे बड़े लौड़ों में से एक हो. इतना लंबा और मोटा लॉडा करोड़ो औरतों में किसी एक औरत को ही नसीब होता होगा. मैं सुचमुच बहुत भाग्यशाली हूँ. मैने टाँगें खूब चौड़ी कर रखी थी ताकि राज को लंड पूरा अंदर पेलने में कोई रुकावट ना हो.

मैं तुम्हारे लंड की प्यासी हूँ, अब और मत तडपाओ प्लीज़…. चोदो ना !” मैं चुतड़ों को पीछे की ओर उचका कर उसका लंड चूत में लेने की कोशिश करती हुई बोली.“ 

जैसा मेरी रांड़ का हुकुम.” ये कह कर राज ने चूत के छेद पे लंड को टीका के ज़ोरदार धक्का लगा दिया. मैं बुरी तरह से गीली थी. उसका मोटा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ 5 इंच अंदर घुस गया.

“ आआआआऐययईईईई……धीरे मेरे राजा. आआहह…..” 

राज ने लंड सुपाडे तक बाहर खींच के पूरी ताक़त से फिर धक्का लगाया. इस बार के धक्के से उसका लंड 10 इंच मेरी चूत में दाखिल हो गया.

“ इयियैआइयिमयया…..आआआआअ इसस्स्स्सस्स…..” राज ने फिर पूरा लंड बाहर खींचा. मैं अब उसके आख़िरी धक्के के लिए तैयार थी. उसने मेरे चूतेर पकड़ के फिर ज़बरदस्त धक्का लगा दिया. इस बार पूरा लॉडा मेरी चूत में समा गया.

“ ऊऊओिईईई…माआआ….. फाड़ दोगे क्या?” 

राज कभी दोनो हाथों से मेरी लटकती हुई चूचिओ को पकड़ के धक्के लगाता तो कभी कमर पकड़ के और कभी मेरे चुतड़ों को मसल्ते हुए पूरा लंड बाहर निकाल के अंदर पेलने लगता. फ़च… फ़च… ….फ़च….फ़च….फ़च …… एयाया एयेए…. .इसस्स्स्स्सस्स…..ऊऊऊहह…….आआहह फ़च…फ़च…….ऊऊओिईईई…..ऊऊहह…आआअहह… फ़च… फ़च. बस सिर्फ़ ये ही आवाज़ें कमरे में गूँज़ रही थी. राज का मूसल तो मानो मेरी छाती तक घुसा जा रहा था. मर्द का लंड औरत की चूत में सबसे ज़्यादा अंदर दो ही मुद्राओं में घुसता है. एक तो जब औरत मर्द के ऊपर बैठ के चुदवाती है और जब मर्द औरत को घोड़ी या कुतिया बना कर चोद्ता है. इसका कारण ये है कि मर्द का लंड तो सामने की ओर होता है लेकिन औरत की चूत उसकी टाँगों के बीच पीछे की ओर गान्ड के छेद से सिर्फ़ एक इंच दूर होती है. इस कारण से जब औरत चित लेट के चुदवाती है तो मर्द को औरत की टाँगें मोड़ के उसकी छाति से लगानी पड़ती हैं ताकि आसानी से लंड पेल सके. कुतिया बनाने से चूत जो कि के छेद के नज़दीक होती है खूब उभर जाती है जिससे चूत में लंड जड़ तक आसानी से पेला जा सकता है. राज के धक्के भयंकर होते जा रहेथे और जब उसका लॉडा मेरी चूत में जड़ तक घुसता तो उसकी जांघें मेरे विशाल चुतड़ों से टकरा जाती. ऊओफ़ क्या तगड़ा लॉडा था. मैं भी चूतड़ पीछे की ओर उचका उचका के राज के धक्कों का जबाब दे रही थी. मेरा पूरा बदन वासना की आग में जल रहा था. एक अजीब सा नशा छाता जा रहा था. 

चल मेरी रांड़ फिर से कुतिया बन जा और रागिनी अपनी चूत इसके मुँह पर रख ले ये तेरी गुलाम है अब तेरी चूत को चाट कर तेरी प्यास बुझाएगी .

भाभी तुरंत बेड पर अपनी टांगे चौड़ी करके अपनी चूत खोल कर लेट गई

मैं फिर से कुतिया बन गयी और अपने चूतड़ ऊपर की ओर उभार दिए. मेरी चूत से अब रस बाहर निकलने लगा था. मेरा मुँह भाभी की चूत पर था . मैं भाभी की चूत मे अपनी जीभ घुसा कर उसकी चूत की आग को शांत करने लगी . विकी मेरे चुतड़ों के पीछे आ कर कुत्ता बन गया. उसने फिर से अपने मूसल का सुपाडा मेरी चूत के छेद पे टिका के एक ज़ोर का धक्का लगा दिया.

“ एयाया..हह…….ऊऊऊीीईईईईई….आअहह” मेरी चूत बुरी तरह से गीली तो थी ही और सारी रात चुदाई के कारण चौड़ी भी हो गयी थी. राज का लॉडा चूत की दोनो फांकों को आसानी से चीरता हुआ आधा अंदर धँस गया. राज ने मेरे चुतड़ों को पकड़ के लंड बाहर खींचा और एक भयंकर धक्के के साथ पूरा का पूरा लंड जड तक मेरी चूत में उतार दिया.

“ आआआआआआअ…………..वी….. माआआआ ……… आह…आह……आआहह….इससस्स आईईईईई.”

अब राज पूरा लंड सुपाडे तक बाहर निकाल कर जड़ तक अंदर पेलने लगा. फ़च…फ़च …. फ़च….. ……आआआः ……ऊऊओह..फ़च…फ़च ….फ़च …आऐईयईई….फ़च…फ़च. बहुत ही मज़ा आ रहा था. मैं भी चूतड़ उछाल उच्छाल कर उसके धक्कों का जबाब दे रही थी. और मेरी जीभ भाभी की चूत का रस चाट रही थी क्योंकि भाभी भी झड कर शांत हो चुकी थी . हर धक्के के साथ राज का लंबा लंड मेरी प्यासी चूत में जड़ तक समा जाता. आज तक किसी मर्द ने मुझे नहीं चोदा था. आख़िर राज मुझे चोदने वाला पहला मर्द था. राज के दमदार धक्कों के कारण मैं फिर झड गयी. मैं राज के रस के लिए पागल हो रही थी. जब तक उसका लंड मेरी चूत को अपने वीर्य से भर नहीं देता तब तक मेरी चूत की प्यास नहीं बुझ सकती थी. आख़िर मैं बेशर्म होके बोल ही पड़ी,

“ राज भर दो अपनी रांड़ की प्यासी चूत को अपने वीर्य से. राज ..प्लीज़….अब बुझा दो मेरी प्यास नहीं तो मैं मर जाउन्गि.” 
 
“ हां मेरी जान. आज मैं तुम्हारी प्यास ज़रूर बुझाउन्गा.” ये कहते हुए राज ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया इससे पहले कि मैं कुच्छ समझू उसने सामने आ के तने हुए लंड को मेरे मुँह में पेल दिया. मैं जितना चूस सकती थी उतना चूसने की कोशिश कर रही थी, लेकिन इतने मोटे लंड को चूसना कोई आसान काम नहीं था. उसने धक्के मार मार के लंड मेरे गले तक घुसेड दिया था. मैं साँस भी बड़ी मुश्किल से ले पा रही थी. दस मिनिट तक मेरे मुँह को चोदने के बाद राज ने फिर से लंड मेरी चूत में पेल दिया. ये सिलसिला एक घंटे तक चलता रहा. राज पहले मेरी चूत लेता और फिर मुँह में पेल देता. मेरे मुँह में कयि चीज़ों का स्वाद था. राज के लंड का, उसके वीर्य का, अपनी चूत का . ये स्वाद तो किसी शराब से भी ज़्यादा नशीला था. सुबह के 6 बज रहे थे. मैं कुतिया बनी पागलों की तरह चुदवा रही थी. अजीब सा नशा छा रहा था. ऐसा लग रहा था कि मैं फिर से होश खो बैठूँगी. इतने में राज जो की मेरी चूत में लंड पेल रहा था, अब शायद राज का वीर्य निकलने वाला था उसने चार पाँच तगड़े धक्के लगाए और चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया मेरी चूत ने भी दुबारा पानी छोड़ दिया मैं इस चुदाई पस्त हो चुकी थी और धडाम से मुँह के बल रजनी भाभी के ऊपर गिर पड़ी तो राज बोला

“ ठीक तो है मेरी रंडी ? ये क्या हो गया है तुझे?”

“ ये बात तुम मुझसे क्यों पूछ रहे हो ? अपने इस मूसल से पूछो.” मैं उसके झूलते हुए लंड को प्यार से सहलाते हुए बोली. “ ये तो किसी भी औरत का बॅंड बजा देगा. और तुमने भी तो कितने बेरहमी से चोदा है. ऐसे चोदा जाता है अपनी रांड़ को? ”

फिर कुछ देर सुस्ताने के बाद मैं और भाभी राज से उसकी अधूरी कहानी सुनाने की ज़िद करने लगे

राज ने अपनी कहानी बताना स्टार्ट किया 

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फ्लेश बॅक..................
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समय कितनी जल्दी बीत जाता है, पता ही नही चलता.मेरी और तान्या की शादी को करीब 7 साल हो चुके थे, और दीदी की शादी को हुए करीब 8 साल बीत चुके थे. डॉली दीदी के 2 बेटे हो गये थे. मैं और तान्या अभी भी फॅमिली शुरू करने की प्लॅनिंग कर रहे थे. सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था. आज कल तान्या अपने मायके गयी हुई थी, उसके रीलेशन में किसी की शादी थी, मैने सोचा चेंज के लिए मैं भी डॉली दीदी के घर कुछ दिनों के लिए रहने चले जाता हूँ. 

धीरज और डॉली दीदी से मिले वैसे भी बहुत टाइम हो चला था. मैने दीदी को फोन मिलाया, और उनसे पूछा अगर मैं उनके पास कुछ दिनों के लिए रहने आ जाऊं तो कैसा रहेगा, क्योंकि तान्या भी अपने मायके गयी हुई है. दीदी मेरे आने की बात सुनकर बहुत खुश हुई. बिज़्नेस का सारा काम अपने भरोसेमंद आदमी के हवाले करके, और उसको ईमेल और मोबाइल पर टच में बने रहने की हिदायत देकर मैं डॉली दीदी के घर की तरफ चल दिया. 

मैं दीदी के घर दोपहर में पहुँच गया. उस दिन ट्यूसडे था, बच्चे स्कूल गये हुए थे. धीरज जीजा जी ने मुझे दरवाजे पर रिसीव किया. "गुड टू सी यू, राज. डॉली तुम्हारा ही इंतेजार कर रही थी."

धीरज ने मेरा सूटकेस कार की डिकी में से निकाल कर अंदर तक लाने में मेरी मदद की. 

डॉली दीदी ड्रॉयिंग रूम में किचन में से तीन ग्लासेस में कोल्ड ड्रिंक लेकर दाखिल हुई. "हाउ आर यू, राज?"

"आइ'म फाइन. आप कैसी हो दीदी?"

"ठीक हूँ, बस इन बच्चों और किचन के काम में ही बिज़ी रहती हूँ, टाइम ही नही मिलता,” डॉली दीदी हँसते हुए बोली.
धीरज को कहीं बाहर जाना था, वो कुछ देर में लौट कर आने का प्रॉमिस कर के बाहर निकल गया.

‘और सब कैसा चल रहा है, डॉली दीदी?"

"प्रेटी गुड."

"नही , सीरियस्ली बताओ. हाउ आर थिंग्स गोयिंग? आप मेरी दीदी हो और मैं आपके चेहरे को देख कर ही बता सकता हूँ ,कि आप थोड़ा परेशान हो."

"दोनो बच्चे सुबह सुबह स्कूल चले जाते हैं, और धीरज बिज़्नेस के काम में बिज़ी रहते हैं, मैं अपने आप को यूज़लेस फील करने लगी हूँ."


"व्हाट डू यू मीन बाइ यूज़लेस? आप की वजह से ही तो बच्चों के पढ़ाई ठीक से चल रही है, और धीरज अपने बिज़्नेस में ध्यान लगा पा रहा है. ये सब आपकी मेहनत का ही नतीजा है. आप की इंपॉर्टेन्स ही तो सब से ज़्यादा है.”

डॉली दीदी उठ कर खड़ी हो गयी, और मैने भी उनके साथ खड़े होते हुए उनके गले में अपनी बाहें डाल दी. "थॅंक्स, राज. तुम मेरे बहुत प्यारे शैतान और समझदार छोटे भाई हो."

"डॉली दीदी, आइ'म सीरीयस. आप अपने आप को कम मत समझा करो, ये सब कुछ आप की वजह से ही संभव हो पा रहा है, आइ लव यू."

"मैं तो मज़ाक कर रही थी. आइ लव यू टू, शैतान कहीं के. चलो अब कुछ देर अपने रूम में आराम कर लो." डॉली दीदी ने मेरे गाल पर एक पप्पी ली, जो पप्पी कम और किस से बस थोड़ा सा कम थी.

जैसे ही दीदी घूम कर अपने रूम की तरफ चली, मैने उनकी गान्ड पर हल्की सी चपत लगा दी. दीदी की गान्ड पर हाथ लगा कर मैने महसूस किया, दीदी की गान्ड दो बच्चों को पैदा करने के बाद भी एक दम सॉलिड थी. 

रात को मैने और धीरज ने एक-एक बियर पी, फिर हम सब लोगों ने एक साथ डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खाया, और तान्या से सभी ने फोन पर बात की. उसके बाद सभी सोने चले गये.

अगले दिन जब मैं सो कर उठा, तो धीरज अपने ऑफीस और बच्चे अपने स्कूल जा चुके थे. मैं और दीदी जब डाइनिंग टेबल पर बैठ कर ब्रेकफास्ट कर रहे थे, तभी दीदी के मोबाइल पर धीरज का फोन आया. धीरज ने दीदी को बताया कि उसको बिज़्नेस के किसी अर्जेंट काम के लिए 2 दिन के लिए मुंबई जाना है, और वो उसका सूटकेस तय्यार कर दे. वो एरपोर्ट जाते हुए घर से अपना सूटकेस ले लेगा.

मैने डॉली दीदी की धीरज का सूटकेस रेडी करने में उनकी मदद की. धीरज जब सूटकेस लेकर चला गया, उसके बाद मैं नहा कर अपने रूम में एक झपकी मारने के लिए बेड पर लेट गया. दीदी अपने किचन के काम में बिज़ी थी.

जब मेरा बेड थोड़ा हिला, तो मेरी आँख खुल गयी. डॉली दीदी मेरे पास आकर लेटी हुई थी. “क्या....”

"ष्ह्ह. मुझे अपनी बाहों में भर लो राज." मैने दीदी को अपनी बाहों में भर लिया, दीदी मुझसे चिपक गयी, और अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया. 

"क्या हुआ, दीदी?"

"कुछ नही. बस मैं पहले की तरह तुम्हारे करीब आना चाहती थी."
 
मैने घूम कर दीदी के माथे पर चूम लिया, और उनको अपने से चिपका लिया. हम दोनो की उसी अवस्था में आँख लग गयी. कुछ देर बाद जब दीदी के बाल मेरे चेहरे पर आ गये, तो मैने आँख खोल कर देखा, दीदी के होंठ मेरे होंठों के बेहद करीब थे. दीदी ने मेरे चेहरे को अपने हाथों से पकड़ कर, मुझे किस करना शुरू कर दिया, और अपनी जीभ मेरे मूँह में घुसा दी. मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ, फिर मैने भी उनको अपने और करीब चिप्टा कर, फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया.

बहुत देर बाद हम एक दूसरे से किस करते हुए अलग हुए. डॉली दीदी मेरे पास बैठ गयी, और मेरी टी-शर्ट पर अपना हाथ फिराने लगी. "याद है, पहली बार जब मैं बिना डोर नॉक किए, तुम्हारे रूम में आ गयी थी, और तुम पॉर्न देखते हुए मूठ मार रहे थे?"

"हां, मुझे उस तरह पकड़े जाने पर बहुत शरम आई थी," मैं हंसते हुए बोला. मैं अपने उस को हाथ से हिला रहा था, और मेरी बड़ी बेहन अगर ऐसा करते हुए देख ले, तो शरम तो आएगी ही ना."

"ये तो बहुत पुरानी बात है, हम दोनो शायद जब कॉलेज में पढ़ ही रहे थे. उसके बाद क्या हुआ था, याद है?"

"हाँ, मैं वो सब कैसे भूल सकता हूँ? और मैं वो सब कभी भूलना भी क्यों चाहूँगा? आप ने ही तो कहा था, कि मुझे पॉर्न देखकर मूठ मारने की कोई ज़रूरत नही है, और मेरा पॉर्न अडिक्षन दूर करने के लिए आपने मेरे सामने अपने कपड़े उतारकर, असली नंगी लड़की को देख कर, मुझसे मूठ मारने को कहा था.”

"मुझे अब भी याद है, आपने जब पहली बार अपनी ब्रा उतारकर मुझे अपनी चूंचियाँ दिखाई थी. और मेरे लंड ने उनको देखकर कितनी जल्दी पानी छोड़ दिया था. और फिर आपने मुझे बस देखने की पर्मिशन दी थी, लेकिन छूने की नही.”

"मैं भी तो पहली बार किसी असली लंड को देख रही थी, मेरी चूत भी गीली हो रही थी. तुम जिस तरह से अपने लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर हिला रहे थे, और वो भी मेरे पास एक ही बेड पर, वो सब देख कर मेरी चूत में आग लग रही थी. मूठ मारते हुए तुम्हारी आँखें बंद हो गयी थी."

"और जिस तरह से तुम अपनी चूंचियों को मसल रही थी, और निपल्स को मींज रही थी, वो सब देखकर मेरा लंड एक दम लोहा बन गया था."

"फिर तुम अपनी पीठ के बल बेड पर लेट गये, और मेरी आँखों के सामने मूठ मारने लगे. तुमने मुझसे पूछा, क्या मैं तुम्हारी हेल्प करना चाहूँगी. और मैने हामी भरते हुए अपने हाथ को तुम्हारे लंड के उपर लपेट लिया. तुम मेरे हाथ के उपर अपना हाथ रख के अपने लंड को उपर नीचे करने लगे.”

"फिर दीदी आपको ऐसा करने में मज़ा आने लगा, और आप मेरी जांघों के उपर बैठ कर, मेरे लंड को अपने दोनो हाथों से पकड़ कर उपर नीचे करने लगी, मैं आपकी चूंचियों को हिलते हुए उछलते हुए देखने लगा."


"और फिर झडने से पहले तुम्हारा लंड और ज़्यादा कड़ा होने लगा, तुमने अपनी पीठ बेड से उठा ली और तुम गुर्राने लगे जब तुम्हारे लंड में से निकले हुए चिपचिपे पानी ने तुम्हारे पेट और छाति को गीला कर दिया. तुम बार बार बोल रहे थे प्लीज़ ऐसे ही करती रहो दीदी. जब तुम्हारे लंड से पानी निकलना बंद हो गया, तो मैने भी अपने हाथ पर लगे तुम्हारे वीर्य के पानी को चाट लिया."

"फिर दीदी आप भी बेड पर अपनी दोनो टाँगें फैला कर लेट गयी, और अपने राइट हॅंड की दो उंगलियों को अपनी चूत में घुसा लिया था, और दूसरे हाथ से अपने चूत के दाने को सहलाने लगी थी."

"फिर राज तुम भी खिसक कर मेरे पास आ गये, और मेरी चूत में अपनी उंगली घुसा दी, और अंगूठे से मेरी चूत के दाने को सहलाने लगे, और जब तक मेरी चूत ने पानी नही छोड़ा, और मैं ठंडी नही पड़ गयी, तुम वैसे ही उसको सहलाते रहे”'

"और फिर मम्मी पापा के आने से पहले हम दोनो एक साथ बाथरूम में नहा कर कपड़े पहनकर तयार हो गये."

"मैं तो डर ही गयी थी, जब डिन्नर करते हुए मम्मी ने पूछा था, कि तुमने दोपहर में क्या किया, और तुमने जवाब दिया था, कि तुमने मॅगज़ीन पढ़ी थी और सोए थे."

"और ऐसा बोलकर मम्मी को बनाते हुए तुम हंस रहे थे."
 
मैने डॉली दीदी की तरफ देखा. उनका चेहरा लाल हो गया था, और उनका हाथ मेरी टी-शर्ट के अंदर घुस चुका था. मेरा लंड भी पूरी तरह खड़ा हो चुका था. "और वो हमारे नये रिश्ते की शुरूवात थी, डॉली दीदी."

"हां, राज क्या वो दिन फिर से वापस नही आ सकते.”

"हां, राज क्या वो दिन फिर से वापस नही आ सकते. कितना अच्छा समय था वो.”

“अच्छा, समय से याद आया, खाने का टाइम हो गया है, क्या खाओगे राज?”

दीदी ने पुलाव बना दिया, और बच्चों के आने से पहले हम दोनो ने डाइनिंग टेबल पर बैठ कर उसको खा लिया. जब दीदी किचन में झूठे बर्तनों को सिंक में रख रही थी, तभी मैने उसके पीछे से जाकर, उनकी कमर को अपनी बाहों में भर लिया, और उनको अपने से चिपका लिया. दीदी ने अपना चेहरा उठाकर मेरी तरफ देखा. "आइ लव यू, डॉली दीदी," कहते हुए मैने उनको किस कर लिया. डॉली दीदी नेमेरी बाहों में घूमकर मेरी तरफ अपना फेस कर लिया, और हम दोनो एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे. मैं दीदी की चूंचियों को अपनी छाति से दबता हुआ महसूस कर रहा था. शायद दीदी भी मेरे तने हुए लंड का दबाव महसूस कर रही थी. 

"चलो उपर चलते हैं, डॉली दीदी. जो कुछ आज दोनो की शादी के बाद हमने शुरू किया है, उसको ख़तम कर ही देते हैं.” मैं दीदी को उस कमरे में ले गया, जिसमे मैं रुका हुआ था. मैने अपनी टी-शर्ट उतार कर फैंक दी. “आप भी नंगी हो जाओ दीदी.”

"अब तुमसे कैसी शरम राज.” दीदी ने अपनी सलवार का नाडा खोल कर उसको नीचे खिसका दिया, और गले में से कुर्ता निकाल कर फैंक दिया. और फिर जल्दी ही अपनी पैंटी भी उतार दी. 

"अब ठीक है." मैं भी पाजामा और अंडरवेर उतार कर पूरा नंगा हो गया.

दीदी ने ब्रा का हुक खोलकर उसको उतारते हुए पूछा, “अब क्या करना है?"

"चलो, मैं अपनी टाँगों को क्रॉस कर के बेड के किनारे पर बैठ जाती हूँ.” 

मैं बेड पर पिल्लोस को सही जगह रखने लगा, और डॉली दीदी बेड पर बैठ गयी. मैं बेड पर तकिये का सहारा लेकर बैठ गया, और अपनी टाँगें फैला कर अपने लंड को हिलाने लगा. डॉली दीदी एक मिनट तक वैसे ही देखती रही, और फिर खिसक कर मेरे पास आ गयी. दीदी ने अपनी टाँगें फैला कर चौड़ी कर दी, और अपनी चूत को सहलाने लगी. 

हम दोनो खामोशी से कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे को देखते हुए हस्तमैथुन करते रहे, और फिर दीदी आगे बढ़कर मेरे लंड को हिलाने लगी. मैने भी अपना हाथ दीदी की चूत पर रख दिया, और दो उंगलियाँ उनकी चूत में घुसाने लगा, और उनकी चूत के दाने को साथ साथ सहलाने लगा. 

"राज, तुम जब भी झडने वाले हो, तो प्लीज़ अपना पानी मेरे बूब्स पर छोड़ना. धीरज तो हमेशा अपना पानी मेरी चूत में हो छोड़ता है. मैं उसके लंड से पानी को निकलते हुए देखना चाहती हूँ, पर पता नही वो ऐसा क्यों नही करता, वो कहता है ऐसा करवाना तो रंडियों को अच्छा लगता है, तुम तो मेरी बीवी हो, मैं तो तुम्हारी चूत में ही पानी छोड़ूँगा.”

मैने दीदी को बेड पर लिटाते हुए, उनकी कमर के दोनो तरफ घुटनों के बल बैठ गया. दीदी ने मेरे लंड को दोनो हाथों से पकड़ लिया. जब मैने कहा “दीदी बस झडने ही वाला हूँ,” दीदी ने अपने हाथ हटाकर मुझे अपने आप मूठ मारने का इशारा किया. मैने सावधानी के साथ निशाना लगाकर, दीदी के दोनो निपल्स पर बारी बारी से वीर्य की पिचकारी छोड़ दी. और फिर बाकी सारा पानी उनकी दोनो चूंचियों के बीच में उंड़ेल दिया. 

डॉली दीदी ने सारे वीर्य के पानी को अपनी चूंचियों पर रगड़ लिया और फिर अपनी उंगलियाँ चाटने लगी. मैं तो दीदी की जांघों के बीच में अपना मूँह घुसाकर, दीदी की चूत को चाटना चाहता था, और चूत के दाने को अपनी जीभ से रगड़ना चाहता था. 

डॉली दीदी और मैं कुछ देर वैसे ही अगल बगल लेटे रहे, फिर दीदी बोली "क्या सोच रहे हो, राज?"

"मैं सोच रहा हूँ कि हम को अब ये सब इस तरह तुम्हारे घर पर नही करना चाहिए."

"हां, शायद तुम ठीक कह रहे हो राज."

"मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ, दीदी, लेकिन अब नही .... हमको ये सब नही करना चाहिए"

"हां राज, जब तक हमारी शादी नही हुई थी, और मेरे बच्चे नही हुए थे, तब तक शायद ठीक था, और शादी से पहले तो हम दोनो ही सेक्स के प्रति इतने ज़्यादा उत्सुक थे, तब शायद ठीक था."

"हां दीदी, और सगे भाई बेहन के बीच, जिसको समाज ग़लत समझता है, वो इस सब को और ज़्यादा रोमांचक और मजेदार बना देता था. हम दोनो ने जो कुछ किया उसका मुझे कोई अफ़सोस नही है, दीदी, लेकिन..."

डॉली दीदी मेरे उपर झुक गयी, "षुश.... मुझे भी इस बात की खुशी है, कि हम दोनो ने वो सब किया. और वैसे भी हम जो बीत गया उसको बदल तो नही सकते. और अगर बदल भी सकते, तो भी मैं तो बदलना नही चाहूँगी. मैने जिस तरह से तुम्हारे साथ सेक्स किया, उसमे बहुत मज़ा आया, उन दिनों हम दोनो ही सेक्स के बारे में अनाड़ी थे."

"मुझे भी बहुत मज़ा आया दीदी. शायद हम दोनो ने सेक्स करना एक दूसरे से ही सीखा है."

"राज, प्लीज़ मेरे षड्डों पर ज़्यादा ध्यान मत देना, क्यूंकी मैं किसी औरत की तरह बात कर रही हूँ, और ना जाने किन ग़लत शब्दों का भी तुम्हारे सामने इस्तेमाल कर रही हूँ, लेकिन एक बात सच है, वो ये कि आज तक मुझको तुमने सब से अच्छी तरह चोदा है, मुझे अपने छोटे भाई से चुदना बहुत अच्छा लगता है."

मैं कुछ बोलता, उस से पहले ही दीदी ने मुझे किस करना शुरू कर दिया. दीदी मेरी कंधों और पेट को सहला रही थी. “तुम जिम जाते हो, इस वजह से तुम्हारा पेट कितना फ्लॅट और हार्ड है. धीरज को मैने कितनी बार कहा, लेकिन अब वो जाता ही नही है, उसकी तो अब थोड़ी से तोंद भी निकल आई है."
 
तभी दीदी के मोबाइल की घंटी बज उठी. "शायद धीरज का फोन है." डॉली दीदी ने बेड से उतरकर टेबल पर रखा अपना मोबाइल उठाया. मैं दीदी को दूर जाते हुए देखता रहा. दीदी की गान्ड एक दम सॉलिड थी, उनकी पीठ एक दम स्ट्रेट, और गोरी गोरी टाँगें किसी केले के पेड़ की तने की तरह चिकनी और सुडौल.

"हां, धीरज का ही फोन था, उसकी फ्लाइट टाइम से पहुँच गयी थी. अब वो होटेल से निकल कर अपने क्लाइंट से मिलने जा रहा था. अगर उसका काम हो गया तो, वो शायद फ्राइडे आफ्टरनून को लौटेगा.

डॉली दीदी बेड की तरफ वापस आने लगी. वो बिना कपड़ों के चलती हुई मस्त और कॉन्फिडेंट लग रही थी. वो आज भी वैसी की वैसी थी, जैसी शादी से पहले थी. उनकी चूंचियाँ अभी भी कसी हुई थी, पतली कमर थी, और उनकी ट्रिम की हुई, घुंघराली झान्टो ने उनकी चूत को छुपा कर ढक रखा था. 

"तो फिर ठीक है, चलो कपड़े पहन लेते हैं,राज."

"दीदी, आप नहाने जाओगी?"

"हां, लेकिन अकेले, बच्चे स्कूल से आने ही वाले होंगे." दीदी ने झुक कर मुझे फिर से किस किया, और जाते जाते मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हल्का सा दबा गयी. “चलो अब तुम भी अपने कपड़े पहन लो राज.” 

"ठीक है, दीदी." मैं कपड़े पहनते हुए, बाथरूम से आ रही शवर की आवाज़ को सुनने लगा. मैं सोच रहा था, दीदी के बदन पर नहाते हुए साबुन लगाने में कितना मज़ा आता. मैं दीदी के लंड दबाने के बारे में सोचने लगा, और फिर उसका मतलब सोचते हुए, मेरी बेड पर लेटे लेटे आँख लग गयी. शाम को बच्चों के साथ खेला, और रात को हम सब ने रेस्टोरेंट में जाकर डिन्नर किया.

अगली सुबह जब मैं उठा, तब तक बच्चे स्कूल जा चुके थे, मैं नहाने के बाद सीधा किचन में गया. दीदी ने अभी अभी चाई बनाई थी. दीदी ने नाइट्गाउन पहना हुआ था. मैने दीदी को पीछे से जाकर अपनी बाहों में भर लिया, और उनकी गर्दन को किस करने लगा. “गुड मॉर्निंग, दीदी.”

"गुड मॉर्निंग." डॉली दीदी ने अपना सिर पीछे घुमाकर मुझे किस कर लिया. दीदी ने अपने हाथ मेरी बाहों पर रख दिए. दीदी के मम्मे मेरी बाहों को छू रहे थे. मैं दीदी के गाउन के सामने वाले बटन्स को खोलने लगा. “ये क्या कर रहे हो राज?”

"वो ही जो मैं कल दोपहर को करना चाहता था. मैं ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गया और दीदी की पैंटी नीचे सरका कर उनकी घुंघराली झान्टो में अपना चेहरा घुसा दिया. "नहिी..., राज. ये करना अब ग़लत है. . ," डॉली दीदी कराहते हुए बोली. जैसे ही मैं दीदी की चूत के बाहरी होंठों के किनारों को चाटने लगा, दीदी ने विरोध करना बंद कर दिया.

कुछ देर वैसे ही दीदी की चूत को चाटते हुए, दीदी किचन की स्लॅब पर बैठ गयी, और मैं भी किचन में रखी चेयर को खिसका कर उस पर बैठ गया. दीदी अपनी एल्बोस को स्लॅब पर टिका कर थोड़ा पीछे झुक गयी, और मैं अब आसानी से दीदी की चूत को चाटने लगा. फिर दीदी पीठ के बल किचन की स्लॅब पर लेट गयी, और मैने अपना पूरा मूँह दीदी की चूत में घुसा दिया, और अब दीदी की चूत का दाना मेरी पहुँच में था, मैं उसको बेतहाशा चूसने लगा.
 
दीदी ने अपनी एक टाँग मेरे कंधे पर रखी हुई थी, और दूसरी टाँग को मैने हाथ से पकड़ कर उपर कर रखा था, और मैं दीदी की चूत को किस करते हुए चाटे जा रहा था, और चूत के दाने को चूस रहा था. दीदी अब कराहने लगी. मैं अपनी जीभ को दीदी की चूत की दरार पर नीचे से उपर तक चाटे जा रहा था, और उनकी चूत से निकल रहे जूस को चाट रहा था. दीदी अब काँपने लगी. मैं दीदी की चूत के दाने को जीभ से घिसे जा रहा था, और फिर जब मैने चूत को दाने को ज़ोर से चूसा, तो दीदी ने अपनी गान्ड उपर उछाल दी, और अपनी चूत को मेरी नाक, मूँह और थोड़ी के उपर ज़ोर से दबा दिया. 

दीदी चुपचाप किचन की स्लॅब पर लेटी हुई थी, और मैं उनकी गोरी गोरी चिकनी जाँघो को चाट रहा था, और उनकी चूत से निकले जूस को चाट कर सॉफ कर रहा था. जैसे ही दीदी उठ कर स्लॅब पर सीधी बैठी, मैने दीदी की तरफ देखा. दीदी ने अपना आगे से खुला हुआ गाउन अपने कंधों में से निकाल कर फेंक दिया, और अपनी हथेलियों को स्लॅब पर टिका कर, थोड़ा पीछे झुक गयी. जैसे ही उठ कर खड़ा हुआ, दीदी ने आगे झुक कर मुझे किस किया और मुस्कुराते हुए बोली, “मज़ा आया अपनी दीदी की चूत को चाट कर?”

मेरा लंड पाजामे के अंदर खड़ा होकर टेंट बना रहा था. मैं दीदी को अपनी उंगलियाँ चूत में घुसा कर बाहर निकालते हुए और फिर उनको चाटते हुए देखता रहा. “तुमको मेरी चूत का टेस्ट अच्छा लगता है राज?” मैं कुछ बोलता उस से पहले दीदी खिसक कर किचन की स्लॅब से नीचे उतर आई. 

किचन की ब्लाइंड्स में से छन कर आ रही सूरज की रोशनी में दीदी की नग्न गोरा शरीर दमक रहा था. दीदी ने स्लॅब पर से उतरते हुए कहा, “चलो राज, उपर रूम में चलते हैं.”

मैं दीदी के पीछे पीछे सीढ़ियों पर चढ़ने लगा. सीढ़ियों के उपर लगे रोशनदान में से आ रही रोशनी हम दोनो के उपर गिर रही थी. दीदी ने थोड़ा उपर पहुँच कर नीचे मेरी तरफ देखा, और अपने सीधे हाथ से अपनी झान्टो और गोरे पेट को सहला दिया, और अपनी लेफ्ट चूंची को दबाते हुए बोली, “मेरे पास आओ राज.”

मैने अपनी टी-शर्ट और पाजामे को उतार के फेंक दिया. दीदी को उपर चढ़ते हुए और अपने आप को सहलाते हुए देख कर मेरा लंड बेकाबू हो रहा था. सीढ़ियों पर उपर चढ़ते हुए, मेरा लंड एक दम मेरे पेट से 45 डिग्री के आंगल पर खड़ा होकर फूँकार मार रहा था. 

डॉली दीदी ने उपर पहुँच कर अपना एक हाथ मेरी तरफ बढ़ाया, और मुझे अपने पास खींच लिया, और मेरा हाथ पकड़ कर अपने मास्टर बेड रूम में ले गयी. जैसे ही हम रूम में लगे मिरर के सामने से गुज़रे, दीदी रुक गयी और हँसने लगी.

"आप हंस क्यों रही हो दीदी?"

"कितना अजीब लग रहा है!"

मैने दीदी की तरफ देखा और बोला, "आप बहुत खूबसूरत हो दीदी."

"नही, मेरे पैरों की तरफ देखो. मैं उपर से नीचे तक पूरी नंगी हूँ, बस पैरों में ये बेकार से ये स्लिपर्स ही पहन रखे हैं,” डॉली दीदी इतना कहकर फिर से हँसने लगी.

जैसे ही दीदी ने वो स्लिपर्स उतार कर दूर फेंके, मैं दीदी के पीछे खड़ा हो गया. मैने अपनी बाहें दीदी की कमर में डाल दी, और थोड़ा आगे झुक कर दीदी की गरदन को चूमने लगा. मैं थोड़ा नीचे झुका, और अपने लंड को दीदी की गान्ड के क्रॅक में घुसाने की कोशिश करने लगा. दीदी ने अपनी टाँगें थोड़ी फैला दी, और अपनी जांघों के बीच में मेरे लंड के घुसने के लिए जगह बना दी. मैं अपने हाथ दीदी के पेट पर सहलाता हुआ, उपर उनकी चूंचियों तक ले गया, और धीरे से उनकी चूंचियों को अपनी हथेलियों में भर लिया. मैं एक पल रुक कर, दीदी के कान में फुसफुसाया, “मैं आप को चोदना चाहता हूँ , दीदी.”

डॉली दीदी ने मेरे हाथों के उपर अपने हाथ रख दिए और बोली, 'हां,राज मेरे भाई, चोद दो मुझे."

हम दोनो अलग होकर, बेड की तरफ चल दिए. दीदी ने पिल्लो और ब्लंकेट को उठा कर हेड रेस्ट के पास रख दिया. मैने रूम की ब्लाइंड्स को खोल दिया, जिस से सारा रूम रोशनी से नहा उठा. डॉली दीदी बेड के सेंटर में लेट गयी. मैं बेड के किनारे के पास घुटनों के बल बैठ कर दीदी के उस नग्न शरीर का दीदार करने लगा, जो चुदने के लिए मेरे सामने लेट कर मेरे आगे बढ़ने का इंतेजार कर रही थी.

मैं दीदी के पास बेड पर लेट गया. पिल्लोस में से दीदी की स्मेल आ रही थी. “दीदी मैं आपका मूड खराब नही करना चाहता, फिर भी क्या मैं कॉंडम चढ़ा लूँ?”

डॉली दीदी ने मेरी तरफ अपना सिर घुमाया और बोली, "नही, उसकी कोई ज़रूरत नही है, मैं पिछले साल ही नसबंदी का ऑपरेशन करा चुकी हूँ." दीदी ने आगे बढ़कर मुझे किस कर लिया. 

हम दोनो ने एक दूसरे अपनी बाहों में भर लिया, और एक दूसरे की पीठ को सहलाने लगे, हमारी किस अब और ज़्यादा मादक, कामुक और गहरी होती जा रही थी. डॉली दीदी थोड़ा सा खिसक कर पीछे हुई, और अपना हाथ मेरे पेट के उपर सहलाते हुए मेरे लंड तक ले आई. दीदी मेरे लंड और उसके नीचे टट्टों में गोलियों को सहलाने और दबाने लगी. मैं दीदी की चूंचियों को होंठों से चूम रहा था, जीभ से चाट रहा था, और हाथों से दबा रहा था.


"इसको अंदर डाल दो, राज." डॉली दीदी पीछे होकर लेट गयी और अपने हिप्स और टाँगों को अड्जस्ट कर लिया. मैं दीदी की टाँगों के बीच, घुटनों के बल बैठ गया. जैसे ही मैं थोड़ा आगे बढ़ा, और अपने लंड के सुपाडे को दीदी की चूत के द्वार और दाने पर घिसने लगा, दीदी ने मेरे लंड को पकड़ लिया, और थोड़ा नीचे खिसक आई.

जैसे ही मैं थोड़ा पीछे हुआ, डॉली दीदी फिर से और नीचे खिसक आई. मेरा लंड दीदी की चूत की फांकों को चीरता हुआ, चूत की सुरंग में घुस गया. जैसे ही मेरे लंड को दीदी की चूत की गर्माहट का एहसास हुआ, मैं दीदी के और करीब आ गया, और दीदी ने मुझे अपने उपर खींच लिया, जिस से मैं अब दीदी के उपर लेट गया.

हम दोनो उसी अवस्था में कुछ देर लेटे रहे, फिर दीदी फुसफुसा कर बोली, "जब तुम अपना ये मेरे अंदर डालते हो, तो मुझे बहुत अच्छा लगता है."

हम दोनो धीरे धीरे एक साथ ताल से ताल मिलाते हुए अपनी गान्ड हिलाने लगे. मैं अपने शरीर का सारा भार अपने हाथों पर लेकर, दीदी को धीरे और लंबे झटकों के साथ चोदने लगा. डॉली दीदी अपनी गान्ड मेरे झटकों के साथ ताल मिलाते हुए आगे पीछे कर रही थी. दीदी मुझे देख कर मुस्कुराइ, और मैने उनसे कहा, “आइ लव यू दीदी.”

मैं आगे बढ़कर अपने घुटनों के बल बैठ गया, और दीदी की टाँगों को उपर उठा दिया, जिस से मैं दीदी की गरम गरम, गीली गीली चूत में अंदर तक लंड पेल सकूँ. "ओह, राज, मुझे ऐसे चूत के अंदर तक लंड पिलवाने में बहुत मज़ा आता है."

मैं दीदी को वैसे ही कुछ देर तक, धीरे धीरे लंड को अंदर तक पेलते हुए चोदता रहा, और चूत के दाने को अपने अंगूठे से सहलाता रहा. कुछ देर बाद दीदी बोली, “तुमको मेरे झडने के लिए हेल्प करने की कोई ज़रूरत नही है. हम दोनो इस का मज़ा लेते हैं और झड्ने के बारे में अभी नही सोचते.”
 
मैने धीरे से अपनी पीठ नीचे करते हुए, डॉली दीदी के उपर छा गया. हम दोनो वैसे ही कुछ देर लेटे रहे और एक दूसरे के फिज़िकल और एमोशनल सामिप्य का आनंद लेते रहे. बीच बीच में हम दोनो लंड को चूत में आगे पीछे कर, चुदाई का मज़ा भी ले लेते. मैने नीचे आते हुए, दीदी को अपने उपर ले लिया, और दीदी की पीठ को, गर्दन से लेकर गान्ड तक सहलाने लगा. हम दोनो एक दूसरे को किस कर रहे थे, और फुसफुसा रहे थे कि हम एक दूसरे को कितना ज़्यादा प्यार करते हैं, और कितना ज़्यादा मिस करते हैं. हम दोनो काम वासना में बहे चले जा रहे थे. 

जब काम क्रीड़ा का वो तूफान शांत हुआ, तो हम दोनो अलग होकर, एक दूसरे के पास साइड में लेट गये. मैं करवट लेकर दीदी की तरफ आया, और उनको किस कर लिया. “दीदी मैं हमेशा आप को ऐसे ही चोदते रहना चाहता हूँ, लेकिन चलो अब कुछ और काम भी कर लेते हैं.”


"हां चलो, दोपहर होने वाली है, घर के सारे कम अभी करने बाकी हैं,” डॉली दीदी ने मेरे चेहरे को अपने चेहरे के पास खींचते हुए बोला. "लेकिन अभी कल की सुबह और दोपहर तो हमारे पास है." हम दोनो ने एक दूसरे के लिप्स को आपस में घिस लिया. फिर मैं बेड से उतर कर नीचे खड़ा हो गया, और डॉली दीदी को बेड पर नंगा लेटे हुए देखने लगा, और बोला, “आप वाकई में बहुत खूबसूरत हो दीदी.”

"थॅंक यू." दीदी ने जाते हुए मुझे एक फ्लाइयिंग किस दिया, और पलट कर बाहर निकल गयी.

मैने नीचे उतरते हुए, सीढ़ियों पर पड़े हुए अपने पाजामे और टी-शर्ट को उठाया, और उनको पहन कर दीदी के पास किचन में आ गया. डॉली दीदी लंच बना रही थी. 

मैं ड्रॉयिंग हॉल में बैठ कर टीवी देखने लगा, कुछ देर बाद दीदी किचन से बाहर निकल कर आई, और मेरे पास सोफे पर बैठ गयी. कुछ देर शांत बैठने के बाद दीदी बोली, “मुझे तुमसे कुछ बात करनी है, राज.”

"हां, दीदी बताओ, क्या बात करनी है?"

"हमारे बारे में. मतलब मेरे और धीरज के बारे में." डॉली दीदी सोफे पर आराम से सहारा लेकर बैठती हुई बोली.

"हम दोनो इस बारे में शवर करते हुए बातें नही कर सकते, अगर आप चाहो तो. क्या आप मेरे शाथ शवर लेना चाहोगी?"

"नो, थॅंक्स. तुम अकेले ही नहा लो."

जब मैं बाथरूम की तरफ चला, तो पीछे पीछे दीदी भी बाथरूम के डोर तक आकर वहाँ पर खड़ी हो गयी. वॉटर टेंपरेचर को अड्जस्ट करने के बाद मैने शवर चालू कर दिया, और अपनी पीठ दीदी की तरफ कर ली. जैसे ही मैने पाजामा उतारा, दीदी मुझे देख रही थी. मैने पाजामे को दीदी को पकड़ाते हुए कहा, “इसको प्लीज़ खूँटि पर टाँग दो.” दीदी ने पाजामे को पकड़ते हुए मुझे उपर से नीचे तक देखा. मैं शवर के नीचे खड़े होकर नहाने लगा.

"मेरा भाई है तो बड़ा ही हॅंडसम, और जो तुम ने जिम जाकर अपने ये डोले शोले बना रखे हैं, वो तो बिल्कुल मस्त हैं, और तुम्हारी बट भी मजेदार है.”

"थॅंक्स.चलो अच्छा है आपको मेरी बट पसंद आई. तान्या ने कभी मेरी बट की तारीफ़ नही की. अब बताओ क्या कह रही थी, अपने और धीरज के बारे में?"

"हां ,इन फॅक्ट हम दोनो की सेक्स लाइफ ना तो ज़्यादा हॉट है, ना ही ज़्यादा कोल्ड. पिछले एक महीने में मैने जो सेक्स किया है, वो कल और आज सुबह तुम्हारे साथ ही किया है."

"आइ'म सॉरी, दीदी. आप तो बहुत सेक्सी हो, धीरज के साथ कोई प्राब्लम है क्या?"

"ओह, नही प्राब्लम हम दोनो के साथ है. पहले मैं सोचती थी, कि जब बच्चे स्कूल जाना शुरू कर देंगे, तब सब ठीक हो जाएगा, क्योंकि हम दोनो को ज़्यादा प्राइवसी मिल पाएगी. लेकिन धीरज अपने काम में इतना ज़्यादा बिज़ी रहता है. कितनी बार उसको बिज़्नेस ट्रिप्स पर जाना पड़ता है, और जब घर पर रहता है, तो इतना ज़्यादा काम करने के बाद बेहद थका हुआ रहता है, या फिर कभी कभी तो ऑफीस के काम को भी घर पर ले आता है, और लॅपटॉप पर मेल्स या मोबाइल फोन पर कॉल्स में ही बिज़ी रहता है.”

"इतना ज़्यादा काम?"

"हां, कभी कभी तो वो सुबह 5 बजे उठकर 6 बजे अपने ऑफीस चला जाता है, जब किसी कन्साइनमेंट की डेलिवरी होनी होती है. और शाम को वो अगर 9 बजे से पहले घर आ जाए तो उसको ऐसा लगता है, मानो उस दिन वो कितना जल्दी आ गया हो."

"तब तो वाकई में प्राब्लम है दीदी, मैं धीरज से इस बारे में बात करूँगा."

"कभी कभी तो मुझे ऐसा लगता है, जैसे कि मैं धीरज के लिए कोई चुदाई करने वाली गुड़िया हूँ."

"क्या दीदी?"

"हां, राज, तुमको पता है 4 मिनट में सब कुछ ख़तम हो जाता है."

"विश्वास नही होता, दीदी."

"धीरज को मेरा उसके उपर बैठकर चोदना पसंद है, और मुझे उसका लंड चूसना, लेकिन जैसे ही मैं उसका लंड चूस कर खड़ा करती हूँ, और चूस कर उसका पानी निकालने ही वाली होती हूँ, वो अपना लंड मेरे मूँह में से बाहर खींच लेता है, और मुझे सीधा या उल्टा लेट जाने को कह देता है. मैं बेड पर अपनी टाँगें चौड़ी कर के लेट जाती हूँ, चाहे मैं चुदने के लिए उस वक़्त तक तय्यार हो पाई हूँ या नही, इस चीज़ का उस पर कोई फरक नही पड़ता. धीरज तो बस अपना लंड मेरी चूत में घुसा देता है, और ज़्यादा से ज़्यादा 10 या 12 झटकों के बाद अपने लंड का पानी मेरी चूत में छ्चोड़ने के बाद, दूसरी तरफ करवट लेकर गहरी नींद में सो जाता है, और खर्राटे मारने लगता है.”

"क्यों दीदी, देखने में तो धीरज इतना चूतिया नही लगता."
 
मैं अपनी छाति पर साबुन मल रहा था. डॉली दीदी मुझे ऐसा करते देख हँसने लगी, "ऐसा लग रहा है, जैसे मैं तुम को छुप कर नहाते हुए देख रही हूँ."

"आप भी आ जाओ दीदी, मेरे साथ ही नहा लो?" मैने अपना साबुन से भरा हाथ लंड और टट्टों पर फिराते हुए, और लंड को थोड़ा सा हिलाते हुए दीदी से कहा.

"नही, मैं आज बस देखूँगी."

मैने फिर से शवर चालू कर के साबुन को पानी से बहा दिया, और फिर टवल से अपने बदन को पोंछने लगा. “मैं धीरज से बात करके इसका भी कोई सल्यूशन निकालूँगा. और लगता है तुमको भी दीदी, कुछ टेक्नीक और ट्रिक्स सिखानी पड़ेंगी.”

"जैसे कि?"

"जैसे कि, जब आप धीरज के उपर चढ़ती हो, और उसका लंड जब सॉफ्ट होता है, तब आप उसके लंड को पूरा अपने मूँह में लेने के बाद, उसकी गोलियों को चूसा करो. ऐसा करना मर्दों को बहुत अचाहा लगता है, और वो कुछ और करने की सोचने लगते हैं."

मैं टवल को पूरा खोलकर अपनी पीठ पर उसको घिसकर उसको ड्राइ कर रहा था.

"तुम्हारा मतलब इस तरह?" डॉली दीदी, जो अब इंग्लीश स्टाइल की टाय्लेट सीट पर बैठ चुकी थी, उन्होने आगे बढ़कर मेरे मुरझाए हुए लंड को पाने मूँह में भर लिया. मैने दूसरी दीवार पर लगे शीशे में देखा, और दीदी की जीभ को अपनी गोलियों को चूसते हुए देखने लगा. दीदी ने टट्टों की थैली को हल्का सा दबाया, लंड के सुपाडे को किस किया, और फिर खड़े होकर मुझे होंठों पर किस कर लिया. “बाकी बाद में करेंगे, चलो अब तय्यार हो जाओ, मैं जल्दी से तुम्हारे लिए खाना लगाती हूँ, बच्चे स्कूल से आने ही वाले होंगे .”

अगले दिन धीरज दोपहर बाद लौटने वाला था. डॉली दीदी, किसी भी और भारतीय महिला की तरह सुबह से ही उसके लौटने का इंतेजार कर रही थी, और उसके लंच के लिए स्पेशल तय्यारी कर रही थी. 

"मुझे धीरज के लंच के लिए आज कुछ स्पेशल बनाना चाहिए, उसकी पसंद की कढ़ी और चावल ठीक रहेंगे, बेचारा होटेल का खाना खा खा कर बोर हो गया होगा."

मैने भी दीदी की किचन में थोड़ी हेल्प की, और करीब दोपहर के 1 बजे धीरज की कार के आने की आवाज़ सुनाई दी. मैने बाहर निकल कर धीरज को ग्रीट किया, और उसका सामान अंदर लाने में उसकी मदद की. डॉली दीदी ने धीरज को एक लंबी गहरी किस के साथ ग्रीट किया. मैने और दीदी ने धीरज की ट्रिप के बारे में जानकारी हासिल की. 

शाम को धीरज किचन में से एक वाइन की बॉटल और 3 ग्लास लेकर ड्रॉयिंग हॉल में आ गया, और बोला, “इस वाइन की बॉटल को मैने किसी स्पेशल अकेशन के लिए संभाल कर रखा हुआ था, मुझे लगता है आज जब राज यहाँ पर है, तो इस से बेहतर मौका और कोई नही हो सकता.”

हम दोनो ने गपशप लगाते हुए वाइन का आनंद लिया. बातों बातों में डिसाइड हुआ कि तान्या को भी अगले कुछ दिनों के लिए डॉली दीदी के घर पर ही बुला लेते हैं , फिर मैं और तान्या एक साथ ही वापस चले जाएँगे. डिन्नर करने के बाद मैं अपने रूम में सोने चला गया, धीरज और तान्या बच्चों के रूम में उनसे बातें करने के लिए चले गये.

रात में जब मेरी आँख खुली तो मुझे दीदी के रूम से धीरज के गुर्राते हुए बोलने की आवाज़ सुनाई दी, “ बहुत मज़ा आ रहा है, आज से पहले तुमने ऐसा कभी नही किया, आहह... ! बहुत मज़ा आ रहा है, और साथ में डॉली दीदी की भी दबी हुई कराहने की आवाज़ें सुनाई पड़ रही थी. 

अगले दिन तान्या भी अपने मायके से मेरे बुलाने पर, डॉली दीदी के घर पर ही आ गयी. सारे घर में चहल पहल बहुत बढ़ गयी. रात को डिन्नर करने के बाद, धीरज सिगरेट पीने के लिए बाल्कनी में चला गया, और मैं और डॉली दीदी आपस में बचपन की बातें करने लगे. तान्या थोड़ी देर में बोर होकर धीरज के पास बाल्कनी में जाकर खड़ी हो गयी. 

"माइंड इफ़ आइ जाय्न यू?" धीरज की विचार तंद्रा थोड़ी भंग हो गयी, जब तान्या ने उसके पास जाकर इस तरह पूछा. धीरज ने बाल्कनी में से दूर सड़क पर देखते हुए, अपने पैरों को थोड़ा अड्जस्ट किया, जिस से तान्या उसके पाजामे में खड़े हुए लंड को ना देख ले. 

"नोट अट ऑल," धीरज ने तान्या के सवाल का जवाब दिया. और फिर दोनो कुछ देर वैसे ही रात की शांति का खामोशी से खड़े हुए आनंद लेते रहे. 

"वो दोनो तो अपने बचपन की बातें करने में इतना मस्त हैं, उनको तो मेरी फिकर ही नही है, मैने सोचा थोड़ा जीजा जी को ही परेशान किया जाए," तान्या ने धीरज को छेड़ते हुए कहा.

"अगर मैं भी तुमसे थोड़ी छेड़ छाड़ कर लूँ, तो तुमको बुरा तो नही लगेगा?" धीरज ने हंसते हुए जवाब दिया. 

"अच्छा हमको तो पता ही नही था, आप भी मुझे छेड़ना चाहते हैं?" तान्या ने बनावटी गुस्से में अपनी आइब्रो चढ़ाते हुए जवाब दिया.

"मेरा मतलब, अगर तुम पर्मिशन दो तो...," धीरज हकलाते हुए बोला.

"इट'स ओके." तान्या ने धीरज की बाँह पकड़ते हुए कहा. "मैं समझ सकती हूँ. राज एक बहुत ही अच्छा पति है, और वो मुझको किसी राजकुमारी की तरह रखता है, लेकिन कभी कभी जब घर का खाना खा खा कर बोर हो जाओ तो चाट पकोड़ी भी खाने का मन करता है..."तान्या की आवाज़ में थोड़ी घबराहट थी.

“कभी हमारी आइस क्रीम का कोन भी चाट कर देखो, बहुत टेस्टी है,” धीरज, तान्या को छेड़ता हुआ बोला.

"चलो बाद में बातें करते हैं, वो दोनो हमारी तरफ ही देख रहे हैं,” तान्या जल्दी से बोलकर, बाल्कनी में से अंदर आ गयी.

धीरज, तान्या की टाइट स्कर्ट में से मटकती हुई गान्ड को तान्या के पीछे से चलते हुए, रूम के अंदर आते हुए घूर रहा था. शायद धीरज ने तान्या को ऐसी नज़रों से पहले कभी नही देखा था. धीरज मन ही मन सोच रहा था, लगता है तान्या भी उसकी तरह अपनी सेक्स लाइफ से संतुष्ट नही है.

उसके बाद सब एक दूसरे को विश करने के बाद, अपने अपने बेड रूम में चले गये. 

डॉली दीदी और धीरज का सेक्स तो अब वीक में एक बार का एक रुटीन सा बन चुका था. उनकी चुदाई में कोई फोरप्ले नही होता था, और ना ही कोई वेराइटी. दीदी डिन्नर करने के बाद, बाथरूम में जाती, टूतब्रश करती, और बाथरूम में रखी वॅसलीन को अपनी चूत पर लगा कर उसको चिकना कर लेती. जब तक दीदी बाथरूम से लौट कर आती, धीरज पहले से नंगा हो चुका होता, दीदी डोर बंद करके, अपना नाइट्गाउन उतारकर उसके पास चुदने के लिए लेट जाती. दीदी सीधी कमर के बल, बेड पर अपने पैर फैला लेती, और धीरज दीदी की टाँगों के बीच आकर अपनी पोज़िशन ले लेता. अब ये सब बहुत बोरिंग और एक रुटीन सा बन चुका था. 

लेकिन आज तान्या और तान्या की बातों को याद करते हुए धीरज का लंड थोड़ा ज़्यादा टाइट हो रहा था. और ये सोचते हुए ही धीरज ने डॉली दीदी की वसेलीन से आर्टिफीशियली चिकनी की हुई चूत में अपना लंड पेल दिया. हर बार की तरह, आज भी धीरज धीरे धीरे लंड को दीदी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था, और उसको इसकी कोई उम्मीद नही थी कि दीदी किसी तरह का कोई रिक्षन देंगी. जैसे ही धीरज के लंड को दीदी की चूत की गर्माहट का एहसास हुआ, वो तान्या की मटकती हुई सॉलिड गान्ड के बारे में सोचने लगा. तान्या का चेहरा उसके विचारों में घूम गया, और वो तान्या को अपने नीचे लेटे होने की कल्पना करने लगा, मानो तान्या चुदाई से खुश होकर, और ज़ोर से चोदने के लिए कह रही हो.

"कम ऑन, धीरज!" धीरज के कानों में तान्या की आवाज़ सुनाई देने लगी. "मेरी जी भर के चुदाई करो, फाड़ दो मेरी चूत को, और ज़ोर से चोदो, और ज़ोर से...!" वो उसकी हर रिक्वेस्ट पूरी करने की कोशिश करने लगा, और ये सोचकर कि तान्या उसके नीचे लेटी हुई है, वो अपने लंड को दीदी की चूत में ज़ोर ज़ोर से पेलने लगा. तभी धीरज को दीदी की हल्की सी कराह सुनाई पड़ी, और उसने एक और लंड का एक ज़ोर का झटका दीदी की चूत में गहराई तक लंड को पेलते हुए लगा दिया, दीदी की चूत को इसकी कोई उम्मीद नही थी.
 
धीरज और ज़ोर से दीदी की चुदाई करने लगा, उसकी छाती दीदी की चूंचियों को दबा रही थी, और वो मन ही मन तान्या को सोचकर दीदी की चुदाई कर रहा था, और कल्पना कर रहा था कि तान्या की चूंचियाँ जब उसकी छाती से दबेंगी तो कैसा फील होगा. उसने तान्या की कल्पना करते हुए अपना चेहरा थोड़ा नीचे झुकाया और दीदी की नरम नाज़ुक होंठों के करीब ले आया. लेकिन इस से पहले की वो किस ख़तम कर पाता, उसके लंड ने लावा उगलना शुरू कर दिया, और वो वास्तविकता में लौट आया. जैसे जैसे उसका लंड दीदी की चूत में वीर्य उगल रहा था, वो डॉली दीदी के चेहरे पर आ रहे कन्फ्यूषन के एक्सप्रेशन्स को पढ़ने की कोशिश करने लगा.

"आइ लव यू," धीरज ने फुसफुसाते हुए दीदी के होंठों को चूम लिया, और फिर अपने मुरझाए हुए लंड को दीदी की चूत में से निकाल कर दीदी के उपर से हट गया. 

"आइ लव यू, टू," दीदी भी धीमे स्वर में बोली, और उठकर बाथरूम में अपनी चूत को धोने के लिए चली गयी. हमेशा ऐसा ही होता था, ये सब मानो रुटीन बन चुका था, लेकिन दीदी ने आज बाथरूम में जाते समय नाइट्गाउन नही पहना था, और इस वजह से धीरज को दीदी के नंगे बदन का बाथरूम में घुसते हुए दीदार हो गया था. तान्या और दीदी के शरीर के बनावट की तुलना करते हुए, धीरज का लंड फिर से खड़ा होने लगा. तान्या शायद डॉली दीदी से 2 या 3 साल छोटी होगी, लेकिन तान्या का क्या गठीला मस्त बदन है. धीरज तान्या के बारे में सोचता हुआ और उसके सपने देखता हुआ सो गया.

डॉली दीदी बाथरूम में नहाते हुए, अपने गालों पर बहते हुए आँसू को महसूस कर रही थी, जो शायद शवर के पानी में कहीं खो गये थे. दीदी को धीरज से चुदाई करवाते हुए इस तरह चुप चाप नीचे लेटा रहना बिल्कुल पसंद नही था, आख़िर धीरज उसका पति था, और उसको दीदी की चुदाई जैसे चाहे वैसे करने का पूरा हक़ था. वो भी धीरज को बेहद प्यार करती थी. दीदी की आँखों से आँसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे.

जब तक डॉली बाथरूम से फ्रेश होकर बेडरूम में अपने बेड तक वापस आई, धीरज गहरी नींद में सो चुकता. डॉली धीरे से उसके साइड में लेट गयी, और धीरज को, अपने पति को प्यार से निहारने लगी. 

अगले कुछ दिनों तक धीरज की सेक्षुयल फॅंटसीस में तान्या ही छाई रही. दोनो जब भी थोड़ा सा अकेले में मिलते, तान्या धीरज की तरफ एक कातिल मुस्कान से देखती , और एक आँख मार देती. धीरज को अपनी मंज़िल करीब आती महसूस हो रही थी. एक रात फिर से जब धीरज बाल्कनी में सिगरेट पीने गया, तान्या भी उसके पीछे पीछे चली गयी, मैं और दीदी ड्रॉयिंग हॉल में बैठे बात कर रहे थे. 

"और क्या हाल हैं?" तान्या ने पूछा, और धीरज को अपनी सिगरेट को जलाते हुए देख कर अपनी आइब्रो चढ़ा ली, और बिना किसी झिझक के एक सीधा सवाल पूछा "आप अपनी सेक्षुयल फीलिंग्स को जाहिर करने में इतना घबराते क्यूँ हैं?" 

"उः... ऐसा कुछ नही है," धीरज ने तान्या को घूरते हुए जवाब दिया. “और तुम कैसी हो?” जितना ज़्यादा धीरज तान्या को देख रहा था, वो उसको उतनी ही ज़्यादा आकर्षक लगने लगी थी. आज तान्या ने एक जीन्स की टाइट स्कर्ट पहन रखी थी, जिसमे से उसकी टाइट गान्ड की गोलाइयाँ सॉफ दिखाई दे रही थी, और उपर उसने एक कॉटन का वाइट टॉप पहना हुआ था, जो उसकी बड़ी बड़ी गोल गोल चूंचियो को किसी तरह ढँक रहा था. 

"मेरा भी आप जैसा ही हाल है," तान्या ने जवाब दिया. "राज मेरी बहुत फिकर और देखभाल करते हैं, लेकिन कभी कभी एक लड़की को और भी कुछ चाहिए होता है, आइ होप यू अंडरस्टॅंड?"

"यॅ," धीरज धीरे से फुसफुसाया, वो खुद नही समझ पा रहा था, कि वो किस रास्ते पर जा रहा है. हालाँकि धीरज हमेशा तान्या को कामुक नज़रों से देखता था, लेकिन इस तरह की बातें उन दोनो में पहले कभी नही हुई थी. शायद तान्या भी उसकी तरह ही फ्रस्टरेटेड होकर अपना गुबार निकालने के लिए अपनी बातें उसके साथ शेर कर रही हो.

"मैं राज को छोड़ना नही चाहती, लेकिन अपनी इच्छाओं पर काबू रखना भी अब संभव नही लगता,” तान्या बोली. “ऐसा नही है कि और लड़के मेरे उपर लाइन नही मारते, लेकिन हर किसी के साथ मैं ये सब नही कर सकती, इसके लिए कोई ऐसा चाहीए जो मुझको पसंद भी हो, और जिस पर मैं विश्वास कर सकूँ...” इतना कहते कहते तान्या की आवाज़ लड़खड़ाने लगी. 

"मैं समझ रहा हूँ, तुम क्या कहना चाहती हो," धीरज ने तान्या को समझाते हुए कहा, धीरज का लंड अब सारी संभावनाओं को तलाशने लगा था. तान्या ने धीरज की तरफ सिर उठा कर देखा, और बस कुछ देर वैसे ही देखती रही, मानो वो कोई निर्णय लेने से पहले कुछ सोच रही हो. 

"मैने तुमको कई बार मेरे शरीर को घूरते हुए देखा है,"तान्या थोड़ा सा धीरज के और करीब आते हुए बोली. "तुम्हारी नज़रों के घूरने से ही पता चल जाता है, कि तुम्हारे दिमाग़ में क्या चल रहा है."

"नही इस तरह तो शायद मैने तुमको कभी नही देखा," धीरज अपनी झेंप मिटाते हुए बोला, उसकी नज़रें पास खड़ी तान्या के उस कॉटन टॉप में से झाँक रही चूंचियों पर टिकी हुई थी. 

"शायद हम एक दूसरे की मदद कर सकते हैं, और इस बारे में किसी को शक़ भी नही होगा," तान्या के मूँह से यकायक अपने आप निकल गया, और उसके हाथ धीरज के कमर तक पहुँच गये. धीरज तुरंत पीछे हटा, और रूम की तरफ देखने लगा, कि कहीं उनको कोई देख तो नही रहा है.

"डॉन'ट वरी," तान्या हंसते हुए बोली. "मैं इस वक़्त यहाँ पर कोई अटॅक नही करने वाली." तान्या ने धीरज की शर्ट की पॉकेट में रखे मोबाइल फोन को निकाल लिया. “मैं अपनी मोबाइल नंबर इसमे सेव कर देती हूँ,” ऐसा कहते हुए उसने अपना मोबाइल नंबर धीरज के फोन में सेव कर दिया.”

उस रात धीरज ने अपनी बीवी डॉली को चोदने में बिल्कुल मज़ा नही आया. धीरज के दिमाग़ में तो बस अब तान्या बस चुकी थी. डॉली की चूत में लंड पेलते हुए, धीरज के दिमाग़ में तो तान्या की चूंचियों और उसके निपल्स को चूसने के ही ख्याल चल रहे थे. तान्या की गान्ड की गोल गोल गोलाईयों के बारे में सोचते हुए, और मस्त मुलायम गान्ड की गोलाईयों को दबाने और उनमे अपनी उंगलियों को गढ़ाने की कल्पना करते हुए, धीरज, डॉली की चूत में दना दन लंड को अंदर बाहर कर रहा था. आख़िर तान्या ने उसको ऐसा करने के लिए आमंत्रित किया है. डॉली की चूत से निकल रही गर्माहट ने उसकी विचार तंद्रा तोड़ दी, और वो डॉली की चूत में झडते हुए इस बात को महसूस कर रहा था, कि आज कितने महीनों के बाद इतना अच्छी तरह से वो झडा है. धीरज ने लंबी लंबी साँसें लेते हुए, दीदी के चेहरे की तरफ देखा, और उसको भी डॉली के चेहरे पर संतुष्टि के भाव नज़र आए. 

"आज कल कुछ ज़्यादा ही जोश आ रहा है, क्यों?" डॉली ने धीरज को अपने उपर से दूर करते हुए पूछा, और अपने नाइट्गाउन को उठा कर बाथरूम की तरफ चल पड़ी. धीरज ने डॉली की तरफ देखने की कोई कोशिशी नही की.

जब धीरज की बीवी यानी कि डॉली बाथरूम में थी, धीरज ने अपना मोबाइल फोन उठाया और तान्या को एक एसएमएस कर दिया, “कब और कहाँ मिलना है?” 

धीरज के दिमाग़ में कयि सारे सवाल चल रहे थे. क्या वो अपनी पत्नी को धोखा देकर सही करेगा? क्या तान्या के साथ उसको ये करना चाहिए? अगर पकड़े गये तो क्या होगा? लेकिन काम वासना, उसके इंद्रियों पर हावी हो चुकी थी, और वो विवेक से निर्णय लेने की क्षमता खो चुका था. 

धीरज और तान्या ने तान्या के ऑफीस के गेस्टहाउस में मिलने का प्रोग्राम फाइनल किया. तान्या अपने क्लाइंट्स से मिलने उस अफीशियल गेस्ट हाउस में अक्सर जाती रहती थी. धीरज ने डॉली को किसी मॅनेज्मेंट ट्रैनिंग का बहाना मार दिया, और बता दिया कि अब वो हर वेडनेसडे को थोड़ा लेट आया करेगा. तो नेक्स्ट वेडनेसडे का प्रोग्राम फाइनल हो गया.

अगले दिन राज और तान्या वापस अपने घर लौट आए, हालाँकि डॉली और राज के घर के बीच बस 40 मिनट की ड्राइव की ही तो दूरी थी. लेकिन डॉली के घर कुछ दिन रहने मे ही, तान्या और धीरज के जीवन को एक नयी दिशा दे दी थी. 

नेस्ट वेडनेसडे को तान्या ने धीरज के पहले डोर नॉक करने पर ही, गेस्ट हाउस के उस रूम का दरवाजा खोल दिया. धीरज एक सेकेंड को वहाँ खड़ा होकर कुछ सोचने लगा, लेकिन तान्या ने उसको हाथ पकड़ कर अंदर खींच लिया. जैसे ही डोर बंद हुआ, तान्या ने अपनी बाहें धीरज के गले में डाल दी, और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. दोनो बड़ी तत्परता से एक दूसरे को किस करने लगे, और एक दूसरे की जीभ दूसरे के मूँह में जगह तलाशने लगी, धीरे धीरे दोनो के कपड़े ज़मीन पर इकट्ठे होने शुरू हो गये.

किसी तरह एक दूसरे से लिपटे हुए, वो दोनो बेड पर पहुँचे.तान्या की चूत में आग लगी हुई थी, मानो रेगिस्तान में आज बरसों बाद मूसलाधार बारिश हो गयी हो. धीरज का लंड भी फूँकार मारता हुआ खड़ा होकर सलामी दे रहा था. वो दोनो ये सब बिना कुछ बोले कर रहे थे. दोनो अपनी महीनों से दबी सेक्स की इच्छा को पूरा करने के लिए बेताब थे. 
 
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