Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी - Page 2 - SexBaba
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Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी

[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]रागिनी एक दम से शांत हो गयी थी। मैनें उसे पुकारा-"रागिनी बेटा, कैसा लगा... कुछ बताओ भी।" वो उठी और मेरे से लिपट गई, मुझे जवाब मिल गया। हम दोनों एक एक बार झड़ गए थे। मेरा लन्ड फ़िर से मस्त हो चुका था। मै बेड से उठा और साईड टेबल पर रखे जग से थोड़ा पानी पिया, और रागिनी की तरफ़ देखा तो उसने इशारे से पानी माँगा। एक ग्लास पानी पीने के बाद उसके मुँह से बोल निकले-"ओह अंकल, आज तक ऐसा नहीं लगा था। बहुत अच्छा लगा अंकल, थैंक्स। अभी तक तो मेरा एक्स्पीरियंस था कि मर्द लोग धक्के लगा लगा कर खुद मजा लेते, पर मेरे मजा आने के पहले ही, शांत हो जाते। आज पहली बार पता चला असल सेक्स क्या है।" मैंने सानिया की तरफ़ देखा। वो शांति से सब देख रही थी, पर अब उसकी टाँगे थोड़ी आपस में जोर से सटी हुई लगी। उसकी भी चुत गीली हो गयी थी। मैंने उसी को देखते हुए कहा-"अभी कहाँ तुम्हें पता चला है कि सेक्स क्या होता है। वो तो अब पता चलेगा जब इस लन्ड को तुम्हारी बुर में पेल कर तुम्हारी चुदाई करुँगा। जल्दी से रेडी हो जाओ चुदवाने के लिए।" मैं अपने लन्ड को सहला सहला कर सांत्वना दे रहा था कि पप्पु जल्दी ना कर, अभी लालमुनिया मिलेगी चोदने के लिए। दो मिनट बाद रागिनी बोली-"आ जाइए अंकल, मैं तैयार हूँ।" वो तकिये पर सिर रख कर सीधा लेट गयी। मैंने उसके पैरों को घुटने से हल्का मोड़ कर उपर उठा दिया जिससे उसके गीली गीली बुर एक दम से खुल गई। भीतर का नन्हा सा गुलाबी फ़ूल सामने दिख रहा था। मैं उसकी खुली टाँगों के बीच आ गया और अपने ७२ किलो के बदन के उसके उपर ले आया। फ़िर अपने बाँए हाथ से थुक निकाला और अपने लन्ड की फ़ुली हुई सुपाड़ी पे लगा कर लन्ड रागिनी की बुर पे सेट कर लिया, पूछा-"पेल दूँ अब भीतर रागिनी?" उसका सिर हाँ में हिला। "ठीक है फ़िर चुदो बेटा", कहते हुए मैंने लन्ड भीतर ठाँसने लगा। रागिनी हल्के से कुनमुनाई। मैंने एक जोर का ध्क्का लगाया और पुरा ८" लन्ड भीतर पेल दिया। रागिनी की आँख बन्द थी, "आआअह" मुँह से निकली, और उसने आँख खोल कर भरपुर नजरों से मुझे देखा। मैंने उसके कान में कहा-"जब मैं चोदुँगा तो मुझे खुब गाली देना, मजा आएगा।" मैंने रागिनी से पूछा-"बोलो बच्ची,चोदूँ तुम्हें।" और सानिया की देख उससे पूछा-"दिखा साफ़-साफ़, नहीं तो एक बार फ़िर बाहर निकाल कर पेलूँ भीतर"। ये कहते हुए मैंने लन्ड बाहर खींचा और दुबारा से रागिनी की बुर में पेल दी। रागिनी के मुँह से दुबारा आआआह निकली।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]सानिया इस बार खड़ी हो गई ताकि सब साफ़ देख सके। रागिनी ने सानिया को खड़ा देख बोला-"आईए न दीदी आप भी। अंकल बहुत अच्छे हैं।" आगे कुछ कहने से पहले हीं मैंने लन्ड को बुर के बाहर भीतर करके लौण्डिया की चुदाई शुरु कर दी। सानिया का चेहरा चुदाई देख एक दम लाल हो गया था, पर वो सिर्फ़ खड़े-खड़े देख रही थी। रागिनी को पहली बार मेरे जैसे मर्द से वास्ता पड़ा था जो लड़की को खुब मजे ले कर चोदता है और लड़की को भी साथ में मजे देता है। मेरी आदत थी कि मैं रन्डी भी चोदता तो प्रेमिका बना कर। जब भी किसी को चोदा तो उसको अपने लिए भगवान का उपहार माना और उसके शरीर को पुरे मन से भोगा। मैंने रागिनी से कहा-"मजा आया रागिनी?" उसकी आँख बंद थी, होठ से कांपती आवाज आई-"हाँ अंकल बहुत। आप बहुत अच्छे हैं। आअह अंकल अब थोड़ा जोर से धक्का लगा कर चोदिए न, जैसा धक्का लन्ड पेलते समय दिए थे।" असल में अभी ख्ब प्यार से धीरे धीरे लन्ड अंदर-बाहर करके उसको चोद रहा था। पुरा पैसा वसूल हो इसके लिए जरुरी था कि उसकी बुर कम से कम आध घंटा मेरे लन्ड से चुदे। उसके जोर का धक्का लगाने की फ़र्माईश पर मैंने ८-१० सौलिड धक्के लगाए और धक्के पर रागिनी के मुँह से आह की आवाज आई। मैंने रागिनी से कहा-"आँख खोल और देख न कौन चोद रहा है तुझे। मुझसे आँख मिला, कुछ बात कर ना। रन्डी हो तो थोड़ा रन्डीपना दिखा।" उसे मेरी बात से ठेस पहुँची शायद, पर वो आँख खोल कर बोली-"हाँ साले बेटीचोद, लुटो मजा मेरे चूत का साले। मेरे बाप की उमर के हो और साले मुझे चोद रहे हो।" मुझे उसकी गालियों से जोश आ गया-"चुप साली फाड़ दुँगा तेरी चूत आज। साली कुतिया। मुझे बेटी-चोद बोलती है। बाप से चुदा-चुदा के जवान हुई हो साली और मुझे बोल रही है बेटी चोद...ले साली चुद, और चुद, और चुद, रन्डी साली।’ और मैंने कई जोरदार धक्के लगा दिए। ८-१० मिनट चोदने के बाद मैं थोड़ा थक गया तो लन्ड बाहर निकाल लिया और बोला-"अब बेटा तुम मेरे उपर बैठ कर चोदो, मुझे थोड़ा आराम से लेटने दो, फ़िर मैं चोदुँगा"। उसने कहा-"ठीक हैं अंकल" और मेरे उपर चढ़ कर बैठ गई। सानिया बार-बार अपने पैर सिकोड़ रही थी, उसकी चूत भी गीली थी, पर उसमें गजब का धैर्य था। खड़े-खड़े ही वो हुम दोनों की चुदाई देख रही थी चुप चाप। रागिनी के मुँह से हुम्म्म हुम्म्म की अवाज निकल रही थी पर वो मेरे लन्ड पर उछल उछल कर खुद ही अपनी बुर चुदा रही थी। मैं ऐसी मस्त लौन्डिया को पा कर धन्य हो गया। कुछ देर बाद मैंने कहा-"चल साली, अब घोड़ी बन। घुड़सवारी करने का मन है।" वो बोली-"जरुर अंकल, आपके लिए तो आप जो बोलो करुँगी। आपने मुझे सच्ची मजा दिया है और मुझे पहली बार रन्डीपन का मजा मिल रहा है।" और वो बड़े प्यार मेरे उपर से उठी और फिर बेड से उतर कर जमीन पर हाथ-घुटनों के सहारे झुक गई। वो अब सानिया के बिल्कुल पास झुकी हुई थी। उसकी खुली हुई बुर अपने भीतर की गुलाबी कली के दर्शन करा रही थी। मैं भी बेड से उतर कर पास आ गया और सानिया से पूछा-"मस्ती तो आ रही होगी, कम से कम अपनी ऊँगली से ही कर लो मेरी बच्ची", मैंने प्यार से उसके गाल सहला दिए। फिर रागिनी पर सवार हो गया। मेरा लन्ड अब मजे से उसकी गीली चूत के भीतर की दुनिया का मजा ले रहा था। करीब ४० मिनट हो गया था, हम दोनों को खेलते हुए। रागिनी को एक और और्गैज्म हो चुका था। मेरा भी अब झड़ने वाला था तो मंने उससे पूछा-"कहाँ निकालूँ रागिनी?" वो तपाक से बोली-"मेरे मुँह में, मेरे मुँह में अंकल। आपका एक बुँद भी बेकार नहीं करुँगी।" मैंने अपना लन्ड बाहर निकाल और उसके मुँह की तरफ़ आया। उसने अपना मुँह खोला और मैं उसके मुँह को अब चोदने लगा। १०-१२ धक्के के बाद मेरे लन्ड से पिचकारी निकलने लगी, जिसे रागिनी अपना होठ बन्द करके पुरा का पुरा माल मुँह में ली और फ़िर मैंने लन्ड बाहर खींच लिया तब उसने मुँह खोल कर मेरे माल को अपने मुँह में दिखाया और फिर मुँह बन्द करके निगल गई। मैंने उसको जमीन से उठाया और फ़िर अपने गले लगा लिया और कहा-"तुम बहुत अच्छी हो रागिनी, मैंने जो गालियाँ तुम्हें दी, उसके लिए माफ़ करना। चोदते समय ये सब तो होता ही हैं।" वो भावुक हो गई, उसकी आँखों में आँसू तैर गए। भरी आवाज में बोली-"नहीं सर, आप बहुत अच्छे हैं। मैं रन्डी हूँ, पर आपने इतना इज्ज्त दिया, वर्ना बाकी लोग तो मेरे बदन से सिर्फ़ पैसा वसूल करते हैं। थैंक्यू सर।" उसकी यह बात दिल से निकली थी, मैंने उसकी पीठ थपथपायी-"सर नहीं अंकल। अब मैं तुम्हारा अंकल हीं हूँ। जब भी परेशानी में रहो, मुझे बताना। मैं पुरी मदद करुँगा।" एक-एक बूँद आँसू उसकी गालों पर बह गए। उसने अपने हाथों से अपना चेहरा ढ़क लिया।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]५-६ सेकेण्ड बाद मुस्कुराते हुए हाथ हटाए और बोली-"बेटीचोद" और मेरे गले से लिपट गयी। सानिया की आँख भी गीली हो गई। उसकी नजरों में भी मेरे लिए अब प्यार दिख रहा था। वो बोली-"मैं आप दोनों के लिए पानी लाती हूँ" और वो बाहर चली गई। जब वो पानी का ट्रे ले कर आई तब मैं कुर्सी पर बैठा था और रागिनी बिस्तर ठीक कर रही थी। हम दोनों अभी भी नंगे ही थी। मेरा लन्ड एक दम शांत और भोला बच्चा बन गया था। पानी आगे करते हुए सानिया बोली-"चाचु अब आप दोनों सो जाएँ, ११.३० से ज्यादा हो रहा है। अब कल सुबह मैं चाय लाऊँगी आप दोनों के लिए।" फ़िर हँसते हुए रुम में से भाग गयी। अगली सुबह सानिया ही रुम में आ कर मुझे और रागिनी को जगाई। मैने देखा कि सानिया के हाथ की ट्रे में दो गिलास पानी और पेपर है। मैं और रागिनी अभी भी नंगे थे जैसे कि हम रात को सो गए थे। रागिनी पानी पी कर बाथरुम की तरफ़ चल दी, और मैंने उसका तकिया उठा कर अपने गोद में रख लिया जिससे मेरे लन्ड को सानिया नहीं देखे। सानिया यह सब देख बड़े कातिलाना अंदाज में मुस्कुराई, फ़िर चाय लाने चली गई। मैं पेपर खोल लिया। जब सानिया चाय ले कर आई, तब तक रागिनी भी बाहर आ गई थी और अपने कपड़े जमीन पर से समेट रही थी। सानिया सिर्फ़ एक कप चाय लाई थी, जिसे उसने रागिनी की तरफ़ बढ़ा दिया। रागिनी ने चाय लिया बाकी चाय के बारे में पुछा। अब जो सानिया ने कहा उसे सुन कर मेरी नसें गर्म हो गई। बड़ी सेक्सी आवाज में हल्के से फ़ुस्फ़ुसा कर सानिया बोली-"तुम पीयो चाय, चाचू को आज मैं अपना दूध पिलाऊँगी", और उसने अपने टौप को नीचे से पकड़ कर उठाते हुए एक ही लय में अपने सर के उपर से निकाल दिया। मेरे मुँह से निकल गया-"जीयो जान, क्या मस्त चुची निकली है तेरी।" सच उसकी संतरे जैसी गोल-गोल गोरी-गोरी चुची गजब का नजारा पेश कर रही थी, और उस पर गुलाबी-गुलाबी लगभग आधे आकार को घेरे हुए चुचक बेमिसाल लग रहे थे। सानिया के बदन के गोरेपन का जवाब न था। वो इसके बाद मेरे बदन पर ही चढ़ आई।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large].मैंने पहले उसके चेहरे को पकड़ा और फ़िर उसके गुलाबी होठों का रस पीने लगा। उसका बदन हल्का सा गर्म हो रहा था, जैसे बुखार सा चढ रहा हो। बन्द आँखों के साथ वो हसीना अब टौपलेस मेरे बाहों में थी। मैंने रागिनी की तरफ़ देखा। वो मुझे देख मुस्कुरा रही थी, और चाय की चुस्की ले रही थी, जब मैंने सानिया को अपने बदन से थोड़ा हटाया और फ़िर उसकी दाहिनी चुची की निप्पल मुँह में ले उसे चुभलाने लगा। सानिया आँख बंद करके सिसकी भर रही थी, और मैं मस्त हो कर उसके चुचियों से खेल रहा था, चुस रहा था। वो भी मस्त हो रही थी। मैंने अपने हाथ थोड़ा आगे कर उसके कैप्री के बटन खोले और फ़िर उसको अपने सामने बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। भीतर काली पैन्टी की झलक मुझे मिल रही थी। प्यार से पहले मैंने कैप्री उत्तार दी। फ़िर मक्खन जैसी जाँघों को सहलाते हुए भीतर की तरफ़ जाँघ पर २-४ चुम्बन लिया। उसका बदन अब हल्के से काँप गया था। और जब मैं उसकी पैन्टी नीचे कर रहा था तब उसने शर्म से अपना चेहरा अपने हाथों से ढ़क लिया। इस तरह से उसका शर्माना गजब ढ़ा गया। चूत को उसने एक दिन पहले ही साफ़ किया था, सो उसकी गोरी चूत बग-बग चमक रही थी। मैंने उसके चूत को पुरा अपने मुट्ठी में पकड़ कर हल्के से दबा दिया, तो वो आआह्ह्ह्ह कर दी। मैंने अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया और वो चुसाई की, वो चुसाई की गोरी-गोरी चूत की कि वो एक दम लाल हो गई जैसे अब खून उतर जाएगा। वो अब चुदास से भर कर कसमसा रही थी, कराह रही थी। उसकी हालत देख मैंने रागिनी की तरफ़ आँख मारी और कहा-"सानिया बेटा, अब जरा तुम भी मेरा चुसो, अच्छा लगेगा"। वो काँपते आवाज में बोली-"नहीं चाचु, अब कुछ नहीं अब बस आप घुसा दो मेरे भीतर अब बर्दास्त नहीं होगा, प्लीज..." मैंने उसको छेड़ा-"क्या घुसा दूँ, जरा ठीक से बोलो ना।" रागिनी मेरे बदमाशी पर हँस दी, बोली-"अंकल, क्यों दीदी को तड़पा रहे हो, कर दो जल्दी।" सानिया लगातार प्लीज घुसाओ प्लीज कर रही थी। मैंने फ़िर कहा-"बोलो भी अब क्या घुसा दूँ, कहाँ घुसा दूँ, मुझे समझाओ भी जरा।" सानिया सच अब गिड़गिराने लगी, बोली-"चाचा, प्लीज..." वो अपने हाथ से अपना चूत सहला रही थी। मैंने भी कहा-"एक बार कह दो साफ़ साफ़ डार्लिंग, उसके बाद देखो, जन्न्त की सैर करा दुँगा, बस तुम्हारे मुँह से एक बार सुनना चाहता हूँ पहले।" अब सानिया बोल दी-"मेरे अच्छे चाचु, प्लीज अपने लन्ड को मेरे चूत में दाल कर मुझे चोद दो एक बार, अब रहा नहीं जा रहा।" मेरा लन्ड जैसे फ़टने को तैयार हो गया था ये सब सुन कर। वषों से यही सोच सोच कर मैंने मुठ मारी थी सैकड़ों बार। मैं जोश में भर कह उठा-"ओके, मेरे से चुदाना चाहती हो, ठीक है खोलो जाँघ"। और मैं उसके जाँघों के बीच बैठ कर लन्ड को उसकी लाल भभुका चूत की छेद से भिरा दिया। मैंने कहा-"डालूँ अब भीतर?" सानिया चिढ़ गई-"ओह, अब चोद साले बात मत कर आह"। इस तरह जब वो बोल पड़ी तो मैं समझ गया कि अब साली को रन्डी बन जाने में देर ना लगेगी।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]मैंने एक जोर के धक्के के साथ आधा लन्ड भीतर पेल दिया। उसके चेहरे पर दर्द की रेखा उभरी, पर उसने होंठ भींच लिए। अगला धक्का और जोर का मारा और पुरा ८" जड़ तक सानिया की चूत में घुसेड़ दिया। वो चीख पड़ी-"हाय माँ, मर गई रे....।" उसका आँख बन्द था, और उस जोरदार धक्के के बाद मैं थोड़ा एक क्षण के लिए रुका कि रागिनी की आवाज सुनाई दी-"ओह माँ"। मैंने आँख खोली, देखा सानिया के दोनों आँखों से एक-एक बूँद आँसू निकल कर गाल पर बह रहे थे, रागिनी साँस रोके अपने हाथों से मुँह ढ़के बिस्तर देख रही थी। और तब मुझे अहसास हुआ कि सानिया कुँवारी कली थी, और मैंने उसका सील तोड़ा था अभी-अभी। बिस्तर पर उसकी कुँवारी चूत की गवाही के निशान बन गए थे, बल्कि अभी और बन रहे थे। मैं समझ गया कि कितनी तकलीफ़ हुई है सानिया को, सो अब मैंने उसको पुचकारा-"हो गया बेटा हो गया सब, अब कुछ दर्द ना होगा कभी"। रागिनी भी उसके बाल सहला रही थी-"सच दीदी, अब सब ठीक है, इतना तो सब लड़की को सहना होता है..."। सानिया भी अब थोड़ा सम्भली और होंठ भींचे भींचे सर को हिलाया कि सब ठीक है। और तब मैंने अपना लन्ड बाहर-भीतर करना शुरु किया। ४-६ बार बाद लन्ड ने अपना रास्ता बना लिया और फ़िर हौले-हौले मैं भी अब सही स्पीड से सानिया की चुदाई करने लगा। वो भी अब साथ दे रही थी। ८-१० मिनट बाद मैंने अपना सारा माल चुत के उपर पेट की तरफ़ निकाल दिया। वो निढ़ाल सी बेड पर पड़ी थी। रागिनी ने बेडशीट से ही उसकी चूत पोंछ दी, और फ़िर उसको सब दिखाया। सानिया बोली-"अब तो पका हुआ ना कि मैंने रेहान के साथ कुछ नहीं किया था, पर ये सब अम्मी-अब्बू कैसे जान पाएँगें?" उसके आँखों में आँसू आ गए। मैंने उसे अपनी बाँहों में समेट लिया-"छोड़ो ये सब बात, आज तो सिर्फ़ अपनी जवानी का जश्न मनाओ।" मुझे अब पेशाब लग रही थी, सो मैं बिस्तर से उठ गया। अब दोनों लड़कियाँ भी उठ कर कपड़े पहनने लगीं। आधे घन्टे बाद चाय-बिस्कुट के साथ सानिया अपने पहले चुदाई के अनुभव बता रही थी। रागिनी ने उसे समझाया कि "अभी एक-दो बार और दर्द महसुस होगा पर ऐसा नहीं मीठा दर्द लगेगा, उसके बाद जब बूर का मुँह पुरा खुल जायेगा तब बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा, चाहे जैसा भी लन्ड भीतर डलवा लो। मुझे अब बिल्कुल भी दर्द नहीं होता"। करीब ९ बजे रागिनी चली गई। सानिया ने उससे वादा लिया कि वो फ़िर एक बार आयेगी, तब शुक्रवार को आने की बात कही, क्योंकि शनि और रविवार को रजिन्दर उसकी मेरे साथ बूकिंग के बाद एक घन्टे में अगले ५ सप्ताह की बूकिंग कर चुका था। मुझे भी रागिनी बहुत अच्छी लगी थी। जाते-जाते वो मुझे कह गई-"अंकल आपको जब मन हो फ़ोन कर दीजिएगा, सुरी सर वाले दिन छोड़ कर, चली आऊँगी, अब आपके साथ पैसे ले कर नहीं करुँगी, आपने सच मुझे बहुत इज्ज्त और प्यार दिया, थैंक्यु"। उसके जाने के बाद मैं और सानिया ने अगले एक घन्टे में घर साफ़ किया और फ़िर कपड़े वाशिंग मशीन में डालने के बाद सानिया मेरे पास आई और बोली-"चाचु, एक बार और कीजिएगा, अब दर्द बिल्कुल ठीक हो गया है"। सुबह साढ़े छः के करीब सानिया पहली बार चुदी और अभी साढ़े दस बजे वो दुसरी बार चुदाने को तैयार थी। मेरे लिए तो सानिया का जिस्म दुनिया का सबसे बड़ा नशा था सालों से, कैसे मना करता। तुरंत ही अपना कपड़ा खोल दिया और बोला-"आओ" सानिया आई और घुटनो पर बैठ गई। मैं समझ गया कि अब वो होगा जो मैंने हमेशा सपने में होने की उम्मीद करता था। हाँ, सानिया ने मेरे ढ़ीले लन्ड को पकड़ अपने मुँह में डाल लिया था और उस पर अपना जीभ चला रही थी। अचानक वो बोली-"चाचु, अब आपका बुढ़ा होने लगा हैं; देखिए आपका कई बाल सफ़ेद हो गया है।" वो मेरे झाँट के बारे में बात कर रही थी। उसे इस प्रकार बात करते देख अच्छा लगा कि अब ज्यादा मजा आयेगा पहली बार तो कुछ खास बात चीत हुई ना थी। मैंने उसे थोड़ा एनकरेज किया-"अभी बुढ़ा न कहो इसको। बारह घन्टे में दो जवान लौन्डिया चोदा है मेरा पट्ठा। एक की तो सील तोड़ी है। मर्द तो साठ साल में पट्ठा होता है - साठा तब पाठा - सुना नहीं क्या? अभी पाँच मिनट रुको, पता चलेगा जब तेरी बूर की बीन बजाएगा ये काला नाग।" उसने अपनी आँख गोल-गोल नचाई-"हूँ, ऐसा क्या?"। सच उसकी यह अदा लाजवाब है। वो चुस-चुस कर मेरे लन्ड को कड़ा कर रही थी और काफ़ी अच्छा चुस रही थी।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]. मैंने कहा-"अभी थोड़ा और चुसो आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह, सानिया तुम तो सब बहुत जल्दी सीख गई"। उसने नजर मिला कर कहा-"मेरा प्यारा चाचु सिखाए और मैं ना सीखू, ऐसा कैसे होगा?" मैं-"आय हाय, बड़ी मस्त लौन्डिया हो रे तुम चाचा की भतीजी"। उसने मुझसे हँसते हुए पूछा-"मैं लौन्डिया हूँ?" मैंने जवाब दिया-"हाँ तुम लौन्डिया हो लौन्डिया, मेरी लौन्डिया, मेरी लौन्डी हो।" वो बोली-"अच्छा और क्या हूँ मैं?" और मेरे लन्ड को हल्के हल्के चुसती जा रही थी। मै मस्ती की मूड में आ गया-"दिखने में तो तुम माल हो माल, वो भी टौप क्लास का। आआआअह्ह्ह्ह्ह, मक्खन हो साली तुम। खिलती हुई गुलाब की कली हो जान। वाह बहुत अच्छा चुस रही हो, इइइइस्स्स्स्स,मजा आ रहा है। और चुस मेरी लौन्डी। कैसा लग रहा है, जरा बता ना साली। थोड़ा खेल भी हाथ में ले कर।" सानिया ने लन्ड को अब हाथ से सहलाना शुरु किया, "बहुत बढ़ीया है आपका लवड़ा।" मैंने सुधारा-"लवड़ा नहीं लौंड़ा बोल इसे। चुदाते समय रन्डियों की तरह बोलना सीख"। वो मचल कर बोली-"तो सिखाओ ना कैसी रन्डी बोलती है, मुझे थोड़े न पता है। मैं तो सीधी-साधी लड़की हूँ, अम्मी-अब्बू ने इतने प्यार से पाला और अब आप मुझे ये सब कह रहे हो, कैसे होगा?" मैं बोला-"तुझे लड़की कौन बेवकुफ़ कहेगा। मैंने बताया न, तुम माल हो वो भी एक दम टंच माल। एक चुदाई के बाद जैसे लन्ड खा रही है, लगता है कि अम्मी-अब्बू के घर जाने तक तू पुरी रन्डी बन जाएगी।" सानिया मेरी बात सुन कर बोली-"हाँ चाचु, मुझे सब सीखना है, जल्दी-जल्दी सीखाओ न अब, एक सप्ताह तो तुम बर्बाद कर दिए मेरा उदघाटन करने में। वो भी हुआ तब, जब मैं कौलगर्ल लाने को बोली, वर्ना तुम तो मुझे ऐसे ही अपने घर से विदा कर देते। मैं जब आई थी तब से यह सब सोच कर आयी थी। शुरु से तुमको लाईन दे रही थी और तुम साधु बने हुए थे। पहले दिन से ही मैंने तुम्हारे बाथरुम में अपना अन्डरगार्मेन्ट छोड़ना शुरु किया पर तुम थे कि आगे बढ़ ही नहीं रहे थे।" मैं सब सुना और कहा-"हाँ बेटा, तुम सही कह रही हो। असल में मुझ लग रहा था कि थोड़ी-बहुत छेड़-छाड़ तो ठीक है, पर शायद तुम सेक्स के लिए ना कह दोगी तो मुझे बहुत शर्म आयेगी फ़िर तुमसे। यही सब सोच मैं आगे नहीं बढ़ रहा था। पर मैंने भी धीरे-धीरे ही सही पर तुम्हारी तरफ़ आगे बढ़ रहा था ये तो मानोगी। और पता है, रोज मास्टरबेट करके तुम्हारी पैन्टी पर अपना लन्ड का रस डाल देता था, तुम्हें पता चला कुछ?" वो मुस्कुराई-"सब पता है, सुखने पर भी थोड़ा तो अलग लगता है। अब ऐसे अपना क्रीम मत फ़ेंकना, मैं हूँ ना, सब खा जाऊँगी। कहीं पढ़ा है कि, मर्द के उस रस में बहुत पौष्टिक मैटेरीयल होता है।" मेरा लन्ड अब जैसे माल निकालने की स्थिति में आ गया था। मैंने समय लेने के लिए कहा-"अब बात बन्द कर और चल बिस्तर पर लेट। तेरे चूत का स्वाद लेना है अब मुझे।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]वो झट उठी और बेड पे लेट गई। मैं भी साथ ही आ गया और तुरंत उसकी चूत पर मुँह भिरा दिया। पुरे दस मिनट तक उसकी चूत को खुब चुभला-चुभला कर चुसा, चबाया। उसकी गीली चूत का नमकीन स्वाद मस्त था। साली खुब मस्त हो कर अपना चूत चटा रही थी। एक बार वो पानी भी छोड़ी, पर थोड़ा सा। इसके बाद वो थोड़ा शान्त हो गई, तब मैंने पुछा-"क्या हाल है? कैसा लगा इस चुतिया चाचा के मुँह का मजा?" बेचारी कुछ बोल न सकी, बस हाँफ़ती रही, और मुझे समझ आ गया की बछिया अब हार चुकी है। मैं एक बार फ़िर साँढ़ बन कर बछिया पर चढ़ गया और सिर्फ़ उसके चेहरा पर नजर गड़ा कर साली की जोरदार चुदाई शुरु कर दी। अब वो जैसे छोटे पिल्ले केंकीयाते हैं, वैसा आवाज मुँह से निकाल रही थी। आप सब ने ऐसी आवाज की चाईनीज या जपानी लड़की की चुदाई वाली ब्लु-फ़िल्म में सुनी होगी। उसकी चूत से निकलने वाला "राग मस्त-चुदाई" मुझे एक विशेष मजा दे रहा था। थोड़ी देर में मैंने पुछा-"क्या रे अब रोना-चीखना छोड़ और बोल कहाँ निकालूँ अपना वीर्य, अब मेरा छुटेगा।" वो संभली और बोली-"मेरे मुँह में चाचु, मेरे मुँह में।" ये सुन मैंने अपना लन्ड बाहर खींचा और उसके चेहरे की ओर आ गया। उसने अब अपना मुँह मराने के लिए खोला और मैं उसके मुँह में लन्ड घुसा अब उसकी मुँह मारने लगा। मैं अपने किस्मत पर खुश था, मुझे सानिया जैसी हूर चोदने को भगवान ने दे दी थी। १०-१२ बार के बाद मेरे लन्ड ने पहली पिचकारी छोड़ी और फ़िर अगले ५ बड़े झटके में मेरा कम-से-कम एक बड़ा चम्मच वीर्य उसकी मुँह में गिरा। वो बड़े चाव से वो सब माल निगल गई, हाँफ़ रही थी पर शौक से खाई। फ़िर मेरे लौंड़े को चाट-चुस कर साफ़ भी किया। जब वो मेरा लन्ड चाट रही थी, तब मैं भी उसकी ताजा चुदी चूत को चाटा, और उसके नमकीन गीलेपन और कसैले-खट्टेपन से भरी गंध का मजा लिया। करीब १२ बजे हम दोनों साथ ही नहाए, और नंगे ही बाहर आए तो मैंने कहा कि जल्दी तैयार हो जाओ, आज बाहर हीं लंच लेंगे। वो जल्दी हीं आ गई। उसने एक सफ़ेद स्कर्ट और गोल गले का लाल टौप पहन रखा था, और पोनी टेल में बंधे बाल के साथ वो बहुत सुन्दर दिख रही थी। मैंने आँख मारी और कहा ऐसा जानमारूँ माल बन कर घर से निकलोगी, तो सड़क पर हंगामा हो जायेगा। वो हँस दी, और मैं उसकी मोहक मुस्कान पे फ़िदा हो उसके होठ पर एक हल्का सा चुम्बन जड़ दिया। हम अब एक अच्छे से रेस्ट्राँ में आए, और खाना खाया, फ़िर पास के ही एक मल्टीप्लेक्स में २ बजे के शो में एक अंग्रेजी रोमैंटिक फ़िल्म देखी। तीन शानदार बेडरुम सीन था। हौल में इधर-उधर कई सिस्की सुनाई दे जा रही थी। मैंने सानिया का ध्यान एक जोड़े की तरफ़ किया। एक २१-२२ साल की लड़की नीचे झुक कर शायद अपने बायफ़्रेन्ड का लन्ड चुस रही थी। हम दोनों अब बीच-बीच में उस जोड़े की हरकतों का भी मजा ले रहे थे। सानिया ने भी मेरे लन्ड को अपने हाथ से मसल मसल कर झाड़ा, और जब मेरा वीर्य उसके हाथों पे फ़ैल गया तब उसने उसके चाट कर अपना हाथ साफ़ किया। फ़िल्म के बाद हम मार्केट गए और वहाँ पर मैंने सानिया के लिए एक सुन्दर सा लाल और हरा का एक कामदार सलवार-सुट खरीदा। तभी सानिया की अम्मी का फ़ोन आ गया कि अभी वो लोग एक सप्ताह और रुकेंगे। सुन कर हम दोनों खुश हो गए। उन्होनें जब सानिया से पूछा की कोई परेशानी तो नहीं, तब सानिया ने मेरी तरफ़ देख कर हँसते हुए कहा कि कोई परेशानी नहीं है, चाचा मेरा बहुत ख्याल रखते हैं, मुझे बहुत प्यार करते हैं। फ़िर भाभी जी मेरे से बात कीं और मुझसे माफ़ी माँगी कि उनके बाहर रहने से सानिया के कारण मुझे परेशानी उठानी पर रही है।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]मैंने भी कहा कि वो संकोच ना करें, मुझे सानिया से कोई परेशानी नहीं है। बल्कि सानिया की वजह से अब मैं ज्यादा घरेलु हो गया हूँ, शाम में घर आने पर अच्छा लगता है। सानिया हीं मुझे चाय पिलाती है बना कर। भाभी जी संतुष्ट हो गयीं और फ़ोन काट दिया। सानिया बोली-"अम्मी से तो ऐसे कह रहे थे जैसे मैं आपकी बीवी की तरह चाय पिला रही हूँ आपको?" मैंने तपाक जड़ दिया-"और नहीं तो क्या? न सिर्फ़ बीवी की तरह चाय पिलाती हो, अब तो रोज़ बीवी की तरह चुदाती भी हो। कहो तो यह भी कह दूँ तेरी अम्मी से?" सानिया शर्मा गई-"छिः, ये बात कहीं अम्मी से कही जाती है?" फ़िर हम करीब ८ बजे डिनर ले कर घर लौटने लगे, तब सानिया ने कहा कि वो कभी ब्लु-फ़िल्म नहीं देखी है, इसलिए अगर संभव हो तो मैं उसको एक ब्लु-फ़िल्म दिखा दूँ, वर्ना अपने घर जाने के बाद तो वो ऐसी चीज कभी देख नहीं पाएगी। मेरे लिए यह कौन सी मुश्किल बात थी। मैंने रास्ते से ही ३ डीवीडी अपने एक परिचित दुकानदार से ले ली। सानिया तो उसके कवर को देख कर ही खुश हो रही थी। घर आने पर वो तुरंत ही एक को प्लेयर में डाली और सोफ़े पे बैठ गयी। मैंने रात के कपड़े पहने और फ़िर कौफ़ी बनाने लगा। जब आया तब सानिया तो फ़िल्म देखने में मग्न देखा। सामने टीवी पर एक काली लड़की को दो काले लड़के चोद रहे थे। एक का लन्ड लड़की के मुँह में था, और दुसरे का उसकी चूत में उसकी काली-काली चूत के चारों तरफ़ खुब झाँट थी। आह, ओह खुब हो रहा था। फ़िर दोनों बारी-बारी से लड़की की झाँट पर झड़े, तब उसकी काली झाँट पर सफ़ेद वीर्य खुब चमक रहा था। झड़ते समय ही मैं रुम में आया था। मैंने एक कौफ़ी मग सानिया को पकड़ाया और फ़िर वहीं सामने सोफ़े पे बैठ गया। अगली फ़िल्म में एक लड़की का इन्टरव्यु हो रहा था। एक से एक गन्दे सवाल कोई पुछ रहा था, और वो भी बेशर्म की तरह बेबाक जवाब दे रही थी। वो लड़की ब्रा-पैन्टी में थी। वो नई थी और तीसरी बार अपनी चुदाई का विडियो बनवा रही थी, इसलिए ब्लु-फ़िल्म निर्माता उसका परिचय करा रहा था। मर्द के आवाज से शुरुआत हुई, लड़की के नाम और उमर पूछा, फ़िर उसने पूछा कि वो कब से सेक्स इन्डस्ट्री में है तब उसने हँस कर कहा करीब एक साल से, पर उसने पिछले महिने से ही विडियो करना शुरु किया, इसके पहले वो नाईट कल्ब में स्ट्रीप-डाँसर थी। जब उससे पूछा गया कि क्या उसके घरवालों को पता है कि वो क्या करती है, तब थोड़ा रुक कर उसने कहा-"दुर्भाग्य से हाँ, दो महीने पहले पता चल गया। जब उसके छोटे भाई ने उसको नाईट क्लब में डाँस करते देखा। मैं जब घर आई तब मम्मी ने बहुत डाँटा, और तब मैंने घर छोड़ दिया और एक दोस्त के पास आ गई। इसके एक महिने के बाद जब ठीक-ठाक पैसे का औफ़र मिला तो मैंने विडियो के लिए सीन करना मंजूर कर लिया। फ़िर अब जब आप अच्छा पे कर रहें हैं तब मैं आज आपके प्रोडक्शन के लिए काम कर रही हूँ।" तब मर्द की आवाज आई, "हाँ, सो तो है, पर आज तुम्हें तीन मर्द एक साथ चोदेंगे। बहुत जबर्दस्त चुदाई होगी तुम्हारी आज। तीनों प्रोफ़ेशनल हैं, और लड़की को चोद-चोद कर बेदम कर देते हैं।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]हमारे दर्शकों के लिए तुम चुदवाने को तैयार हो? १९ साल की उमर में तुम शायद उन लोगों के लिए कुछ कम उमर की ही हो, और कम अनुभवी भी।" वो लड़की भी हँस कर बोली-"ठीक है तीन हैं तो कोई बात नहीं, जब पोर्न करना है तो ये सब क्या सोचना"। और अब जब उस मर्द की आवाज आई-"और अगर यह विडियो तुम्हारे घर के लोगों ने देख लिया तब?" वो फ़िर हँसकर बोली-"तब क्या कुछ नहीं, उन्हें भी मजा आए देख कर कोशीश तो यही करुँगी कि मेरी चुदाई देख कर उनको दुसरे किसी की फ़िल्म पंसद न आए और वो बार-बार मेरी विडियो को ही खोज कर देखें।" फ़िर अवाज आई-"ठीक है फ़िर अब तुम अपने कपड़े खोलो और अपने घर वालों को भी और हमारे दर्शकों को भी अपने नंगे बदन की नुमाईश कराओ, और देखो तुमको चोदने के लिए तीनों मुस्टंडे आ गये हैं। उसने खुब आराम से अपने कपड़े खोले और फ़िर पास आये तीनों मर्दों की तरफ़ बढ़ कर उनके पैन्ट खोल कर उनके लन्डों को बाहर खींच लिया। वो बारी-बारी से उन्हें चुस चुस कर खड़ा कर रही थी। इसके बाद खुब जम कर उन लन्डों द्वारा उस लड़की कि चुदाई हुई, बल्कि उसकी चुची, चूत, चुतड़ और गाल सब पर उसको कई थप्पड़ भी खाने पड़े, पर वो खुब मजे ले कर चुदवायी। थप्पड़ लगने पर चिखती फ़िर तुरंत ही उन मर्दॊं को उकसाने लगती और वो सब खुब जोर से उसको पेलते और फ़िर वो कराह उठती। बड़ी गर्म फ़िल्म थी। मुझ जैसे अनुभवी की नसें गर्म हो गईं तो सानिया साली का क्या हाल हुआ होगा आप सब समझ सकते हैं। इसके बाद रात को सानिया ने फ़िर मेरे साथ चुदाई का खेल खेला। साली को नयी जवानी आयी थी सो सब्र हीं नहीं था, लगातार चुदा रही थी। दो बार चुदाने के बाद वो सोने की बात कि, फ़िर हम दोनों सो गये। अगली सुबह सानिया नंगी हे उठी और चाय बनाने चली गयी। दोनों एक साथ बेड पर बैठ चाय पीने के बाद कपड़े पहने और फ़िर डेली रुटीन शुरु हुआ। आज मुझे ओफ़िस भी जाना था। शाम को घर आने पर सानिया ने एक अनोखी बात कही।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
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