hotaks444
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मैं हूँ बाबू, उम्र ४३ साल, अविवाहित पर सेक्स का मजा लेने में खुब उस्ताद। मेरी इस कहानी में जो लड़की है उसका नाम है - सानिया खान। वो मेरे एक दोस्त प्रोफ़ेसर जमील अहमद खान की बेटी है। सानिया के पिता और मैं दोनों कौलेज के दिनों से दोस्त हैं। उनकी शादी एम०ए० करते समय हीं हो गई। मेरी भाभी यानि उनकी बेगम रिश्ते में मौसेरी बहन थी। खैर मैं तो सानिया के बारे में कहने वाला हूँ उसके माँ-बाप में तो शायद हीं आप-लोगों को रुचि हो। सानिया १८ साल की बी०कौम० फ़र्स्ट ईयर की छात्रा है। बहुत सुन्दर चेहरे की मालकिन है। एक दम गोरी, ५’५" लम्बी, पतली छरहरी काया, लहराती-बलखाती जब वो सामने से चलती तो मेरे दिल में एक हूक सी उठती। मेरे जैसे चूतखोर मर्द के लिए उसका बदन एक पहेली था, कैसी लगेगी बिना कपड़ों के सानिया? तब मैं भूल जाता कि वो मेरे गोद में खेली है, उसके बदन को जवान होते मैने देखा है। उसकी चुची नींबू से छोटे सेव, संतरा, अनार होते देखा है, महसूस किया है। सोच-सोच कर मैंने पचासों बार अपना लंड झाड़ा होगा। पर उसका मुझे चाचा कहना, मुझे रोक देता था कुछ भी करने से। उसके दिल की बात मुझे पता नहीं थी न। वैसे सानिया का चक्कर दो-तीन लड़कों से चला था, घर पर उसे खुब डाँट भी पड़ी थी, पर उन लोगों ने हद पार की थी या नहीं मुझे पता न चल पाया, और जब भी मेरे दोस्त और भाभी जी ने इस बात की चर्चा की, तब उनके भाषा से मुझे कुछ समझ नहीं आया। और एक बार...भगवान की दया से कुछ ऐसा हुआ कि... हुआ ये कि सानिया के नाना की तबियत खराब होने की खबर आई, और सानिया के अम्मी-अब्बा को उसके ननिहाल मेरठ जाना पड़ा, और सानिया की क्लास चलते रहने की वजह से वो उसको नहीं ले जा सके। उनके घर में नीचे के हिस्से में जो किरायेदार थे वो भी अपने गाँव गए हुए थे, सो सानिया को अकेला वहाँ न छोड़, उन लोगों ने उसको एक सप्ताह मेरे साथ रहने को कहा। असल में ये प्रस्ताव मैंने ही उन लोगों को परेशान देख कर दिया था। वो तुरंत मान गए। मेरे दोस्त ने तब कहा भी कि यार मैं भी यही सोच रहा था पर तुम अकेले रहते हो, लगा कहीं तुम्हें कोई परेशानी ना हो। बात-चीत करते हुए जमील ने हल्की आवाज में बताया कि एक बार पहले भी वो सानिया को अकेले तीन दिन के लिए छोड़े थे तो आने पर किरायेदार से पता चला कि दो दिन लगातार सानिया के साथ कोई लड़का रहा था, जो उसके साथ स्कूल में पढ़ता था, अब कहीं इंजीनियरिंग पढ़ रहा है। वो अपनी परेशानी मुझे बता रहा था और मैं सोच रहा था कि जब सानिया अपने घर पर एक लड़के को माँ-बाप के नहीं रहने पर रख सकती है, तो घर के बाहर तो वो जरूर ही चुदवायी होगी। खैर..., अगले दिन सुबह कोई ७ बजे वो लोग सानिया को मेरे अपार्ट्मेंट पर छोड़े, चाय पिया और मेरठ चले गये। सानिया तब अपने स्लीपिंग ड्रेस में ही थी - एक ढ़ीला सा कैप्री और काला गोल गले का टी-शर्ट। उसको को ९ बजे कौलेज जाना था, दो घंटे के लिए। मेरी नौकरानी नास्ता बना रही थी, जब सानिया किचेन में जा कर उससे पूछी कि कोई साबुन है या नहीं। असल में अकेले रहने के कारण मेरे रूम के बाथरूम में तो सब था पर दुसरे रूम, जिसमें सानिया का सामान रखा गया था, वह बाथरूम कपड़े धोने के लिए ही इस्तेमाल होता था। मैं ही तब कहा-"सानिया, तुम मेरे रूम का बाथरूम युज कर लो, मुझे अभी समय है"। और सानिया अपना कपड़ा ले कर मुस्कुराते हुए चली गई। मैं बाहर वाले रूम में अखबार पढ़ रहा था, जब सानिया तैयार हो, नास्ता करके आई और बोली-"चाचा, मैं करीब १२ बजे लौटूँगी, तब तो घर बंद रहेगा।" मैंने उसको भींगे बालों से घिरे सुन्दर से चेहरे को देखते हुए कहा- "कोई परेशान होने की बात नहीं है, तुम एक चाभी रख लो", और मैने नौकरानी से चाभी ले कर उसको दे दी, (मैंने एक चाभी उसको इसलिए दी थी कि वो शाम को आ कर काम कर जाए और मेरा खाना पका जाए) साथ हीं नौकरानी को शाम की छुट्टी कर दी कि शाम को हम लोग होटल में खाना खा लेंगे। थोड़ी देर में नकरानी भी काम निपटा कर चली गई, और मैं तैयार होने बाथरूम में आया। और.. बाथरूम में सानिया की कैप्री और टी-शर्ट खूँटी से टंगी थी, और नीचे गीली जमीन पर सानिया की ब्रा-पैन्टी पड़ी थी। ऐसा लग रहा था कि उसने उन्हें धोया तो है, पर सुखने के लिए डालना भूल गई। मेरे लन्ड में सुरसुरी जगने लगी थी। मैंने उसके अन्तर्वस्त्र उठा लिए और उनका मुआयना शुरु कर दिया। सफ़ेद ब्रा का टैग देखा-लवेबल ३२बी०। सोचिए, ५’५" की सानिया कितनी दुबली-पतली है। मैंने अब उसकी पैन्टी को सीधा फ़ैला दिया। वो एक पुरानी पन्टी थी-रुपा सौफ़्ट्लाईन ३२ साईज। इतनी पुरानी थी कि उसके किनारे पर लगे लेस उघड़ने लगे थे और वो बीच से हल्का-हल्का घिस कर फ़टना शुरु कर चुकी थी।